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Monday, February 02, 2015

अपराध आउ दंड - भाग – 2 ; अध्याय – 5



अपराध आउ दंड

भाग – 2

अध्याय – 5

ई हला एगो अइसन सज्जन, जे अपन नौजवानी के उमर पार कर चुकला हल, अत्यौपचारिक, स्थूलकाय, सतर्क आउ चिड़चिड़ा आकृति वला, जे शुरुआत कइलका ई बात से, कि चौखटे पर ठिठक गेला, चारो तरफ तिरस्कार भरल आउ प्रत्यक्ष विस्मय से देखते आउ मानूँ अपन आँख के माध्यम से पूछ रहल होवें - "हम कद्धिर आके फँस गेलूँ ?" अविश्वास आउ एक प्रकार के आतंक के देखावा के साथ, आउ लगभग अपना के अपमानित महसूस करते, ऊ रस्कोलनिकोव के तंग आउ नीचगर "जहाज के केबिन" (अर्थात् अनवारी नियन कमरा) पर एक नजर दौड़इलका । ओहे विस्मय के साथ ऊ अपन नजर फेरके बाद में खुद रस्कोलनिकोव पर डललका, जे उघारे, बिन कंगही कइले, बिन नहइले, अपन छोटगर मैल-कुचैल सोफा पर पड़ल आउ एकटक उनको देख रहले हल । तब ओहे धीमापन से रज़ुमिख़िन के बिखरल बाल, दाढ़ी बढ़ल, बिन कंगही कइल आकृति तरफ देखे लगला; ओहो ढिठाई के साथ प्रश्नात्मक दृष्टि से उनका आँख में आँख डालके एकटक देखते रहलइ, अपन सीट से बिन हिलले-डुलले । ई तनावपूर्ण चुप्पी कोय एक मिनट तक बनल रहलइ, आउ आखिरकार जइसन कि आशा कइल जा सकऽ हलइ, दृश्य में थोड़े सन परिवर्तन होलइ । शायद कुछ असंदिग्ध, लेकिन तीक्ष्ण संकेत के आधार पर ई सोचके, कि हियाँ ई "जहाज के केबिन" में बहुत जादे रोबदार डील-डौल से कुछ नयँ मिल्लत, प्रवेश करे वला सज्जन जरी नरम पड़ गेला, आउ नम्रतापूर्वक, हलाँकि बिन सख्ती के नयँ, आउ अपन प्रश्न के हरेक अक्षर के स्पष्ट उच्चारण करते ज़ोसिमोव के संबोधित कइलका –
"रोदियोन रोमानिच रस्कोलनिकोव, श्रीमान छात्र या पूर्वछात्र ?"
ज़ोसिमोव धीरे से हिललइ, आउ शायद जवाबो देते हल, अगर रज़ुमिख़िन, जेकरा बिलकुल नयँ संबोधित कइल गेले हल, ओकरा तुरते नयँ रोकते हल -
"अइकी सोफा पर पड़ल हथुन ! अपने के की चाही ?"

ई शिष्टाचारहीन "अपने के की चाही ?" अत्यौपचारिक सज्जन के पैर के तले से तो जमीन घसका देलक; ऊ रज़ुमिख़िन के तरफ मुड़हीं वला हला, लेकिन समय रहते अपना के सँभार लेलका आउ तुरते फेर से ज़ोसिमोव तरफ मुड़ला ।

"अइकी रस्कोलनिकोव हथुन !" ज़ोसिमोव बुबुदइलइ, रोगी के तरफ सिर हिलाके इस्तारा करते । तब जम्हाई लेलकइ, अपन मुँह असाधारण रूप से बहुत जादे खोललकइ आउ असाधारण रूप से देर तक ओहे हालत में रखले रहलइ । बाद में धीरे-धीरे अपन हाथ वास्कट के जेभी में डललकइ, आउ एगो बहुत बड़का गो उभरल (convex) सोना के ढक्कन लगल घड़ी निकसलकइ, खोललकइ, देखलकइ आउ ओइसीं धीरे-धीरे अलसाल ढंग से फेर से अपन जेभी में वापिस रख लेलकइ ।        

खुद रस्कोलनिकोव पूरे समय चुपचाप चित पड़ल, बिना कुछ सोच-विचार के, आगंतुक तरफ लगातार एकटक देख रहले हल । ओकर चेहरा, देवाल पर के आकर्षक फूल के तरफ से मुड़ल, बहुत जादे पीयर पड़ गेले हल आउ असाधारण पीड़ा के झलक देखाय दे रहले हल, मानूँ ओकरा अभी-अभी कष्टकारी ऑपरेशन कइल गेल होवे, चाहे अभी यातना से ओकरा मुक्ति देल गेल होवे । लेकिन नवागंतुक सज्जन धीरे-धीरे करके ओकरा में अधिकाधिक ध्यान जागृत करे लगला, बाद में शक्का, फेर अविश्वास आउ मानूँ आतंक भी । जइसीं ज़ोसिमोव, ओकरा तरफ इस्तारा करके, कहलकइ - "अइकी रस्कोलनिकोव हथुन", त ऊ अचानक तेजी से उठके, लगभग उछलल नियन, बिछौना पर बइठ गेलइ आउ लगभग चुनौती देवे नियन, लेकिन टुट्टल-फुट्टल आउ क्षीण स्वर में बोललइ –
"जी हाँ ! हमहीं हकिअइ रस्कोलनिकोव ! अपने के की चाही ?"

आगंतुक ध्यानपूर्वक ओकरा देखलकइ आउ रोब से बोललइ -
"प्योत्र पित्रोविच लूझिन । हमरा पूरा विश्वास हइ, कि अब तक हमर नाम अपने के अपरिचित नयँ होतइ ।"
लेकिन रस्कोलनिकोव, बिलकुल दोसरे चीज के प्रत्याशा में हलइ, शून्य दृष्टि से आउ सोच के मुद्रा में उनका तरफ देखलकइ आउ कुछ जवाब नयँ देलकइ, मानूँ प्योत्र पित्रोविच के नाम बिलकुल पहिले तुरी सुन रहले हल।
"की ? सच में अपने के अभी तक कोय सूचना नयँ प्राप्त होले ह ?" प्योत्र पित्रोविच जरी चौंकके पुछलका ।

एकर जवाब में रस्कोलनिकोव धीरे-धीरे तकिया तरफ झुक गेलइ, हाथ के सिर के निच्चे रख लेलकइ आउ छत तरफ एकटक देखे लगलइ । लूझिन के चेहरा पर उदासी के भाव उभर अइलइ । ज़ोसिमोव आउ रज़ुमिख़िन आउ जादे उत्सुकता से ओकरा परखे लगलइ, आउ देखे में लगलइ कि आखिरकार ऊ अटपटा महसूस कइलका ।

"हम मान रहलिए हल आउ हिसाब लगइलिए हल", ऊ जरी लम्बा घींचके बोलला, "कि खत कम से कम दस दिन पहिले डालल गेले हल, हो सकऽ हइ, लगभग दू सप्ताह पहिले भी ..."
"सुनथिन, अपने दुअरिया पर काहे खड़ी हथिन ?" अचानक रज़ुमिख़िन बीच में टोकलकइ, "अगर कुछ कहे लगी चाहऽ हथिन, त बइठ जाथिन, अपने आउ नस्तास्या दुन्नु खातिर हियाँ जगह काफी नयँ हइ । नस्तस्यूश्का, जरी सरक जाहीं, उनका आवे देहीं ! किरपा करके आथिन, अइकी अपने खातिर कुरसी हइ, हियाँ ! बइठ जाथिन !"

ऊ अपन कुरसी के टेबुल से थोड़े सन अलगे कर लेलकइ, अपन टेहुना आउ टेबुल के बीच जरी सन जग्गह बनइलकइ, आउ ई सिकुड़ल परिस्थिति में थोड़े इंतजार कइलकइ, कि अतिथि कइसूँ ई दरार से "पार कर जाथिन" । अइसन क्षण चुन्नल गेले हल, कि इनकार नयँ कइल जा सकऽ हलइ, आउ अतिथि ई तंग जग्गह से कइसूँ पार करके चल अइला, त्वरित गति से आउ ढनमनइते । कुरसी तक पहुँचके, ऊ बइठ गेला आउ सन्देह भरल दृष्टि से रज़ुमिख़िन तरफ देखे लगला ।

"अपने सकपकाथिन नयँ", ऊ अनायास बोल उठलइ, "आझ रोद्या के बेमार पड़ला पाँच दिन हो गेलइ आउ तीन दिन तक तो सरसाम (delirium) में हला, लेकिन अब होश में आ गेला ह आउ पूरा भूख के साथ खइबो कइलका । ई उनकर डॉक्टर बइठल हथिन, अभिए उनका चेक कइलथिन, आउ हम रोदका के साथी हकिअइ, हमहूँ पूर्वछात्र, आउ अखने उनकर देखभाल करऽ हिअइ; त हमन्हीं के बारे कुछ सोच-विचार नयँ करथिन आउ कोय संकोच नयँ करथिन, आउ बात जारी रखथिन, जे कुछ अपने के जरूरत हइ ।"

"धन्यवाद । लेकिन हमर उपस्थिति आउ बातचीत से रोगी के परेशानी तो नयँ होतइ ?" प्योत्र पित्रोविच ज़ोसिमोव के संबोधित करके पुछलका ।
"जी न-नयँ", ज़ोसिमोव बात जरी लम्मा घींचके बोललइ, "उनकर ध्यान भी हटा पइथिन" । आउ फेर से जम्हाई लेलकइ ।
"ओ, ऊ तो बहुत देर से होश में हका, सुबहे से !" रज़ुमिख़िन बात आगू बढ़इलकइ, जेकर शिष्टाचारहीनता अइसन निष्कपट भोलापन लग रहले हल, कि प्योत्र पित्रोविच दोबारा विचार कइलका आउ हिम्मत बन्हलका, शायद आंशिक रूप से ई कारण से, कि ई फटीचर आउ ढीठ अपन परिचय छात्र के रूप में दे पइलके हल।

"अपने के माय ...", लूझिन शुरू कइलका ।
"हूँ !" रज़ुमिख़िन जोर से खखरल नियन कइलकइ । लूझिन ओकरा तरफ प्रश्नात्मक ढंग से देखलका ।
"कोय बात नयँ हइ, हम अइसहीं; किरपा करके बात जारी रखथिन ..."
लूझिन अपन कन्हा उचकइलका ।

"... अपने के माय, हमरा उनकर पड़ोस में रहे बखत, अपने के खत लिक्खे लगलथिन हल । हियाँ पहुँचला पर, हम जान-बूझके कुछ दिन टाल देलिअइ आउ अपने के पास नयँ अइलिअइ, ताकि हमरा पूरा तरह से तसल्ली हो जाय, कि अपने के सब सूचना मिल गेले ह; लेकिन अभी हमरा ई बात से अचरज होब करऽ हइ ..."
"मालूम हइ, मालूम हइ !" अचानक रस्कोलनिकोव बोल पड़लइ, बहुत अधीर झुंझलाहट के मुद्रा में । "त ई अपनहीं हथिन ? मंगेतर ? खैर, जानऽ हिअइ ! ... आउ अच्छा से !"

प्योत्र पित्रोविच के बेशक ई बात लग गेलइ, लेकिन चुप रह गेला । ऊ जल्दी से ई बात समझे के कोरसिस कइलका, कि ई सब के कीऽ मतलब हइ ? एक मिनट तक खामोशी रहलइ ।

एहे दौरान रस्कोलनिकोव, जे जवाब देते बखत थोड़े सन उनका तरफ मुड़ गेले हल, अचानक फेर से एकटक उनका तरफ देखे लगलइ आउ एक प्रकार के विशेष उत्सुकता से, मानूँ पहिले उनका पूरा तरह से नयँ देख पइलके हल, अथवा मानूँ उनका में ओकरा कुछ नया नजर पड़लइ - एकरा लगी जान-बूझके तकिया से जरी उपरे उठ गेलइ । वस्तुतः, प्योत्र पित्रोविच के सामान्य रूप में कुछ तो विशेष विस्मयकारक हलइ, यानी कुछ तो अइसन हलइ जेकरा चलते मानूँ उनका एतना अशिष्टता से देल गेल उपाधि "मंगेतर" तर्कसंगत मालूम पड़ऽ हलइ । सर्वप्रथम, ई स्पष्ट हलइ आउ आउ असानी से देखलो जाल सकऽ हलइ, कि प्योत्र पित्रोविच रजधानी में कुछ दिन ठहरे के दौरान बहुत जल्दीबाजी में दुलहिन के प्रत्याशा में अपना के सज्जे-सँवारे में ई समय के उपयोग करे में लग गेला हल, जे बिलकुल निर्दोष आउ स्वीकार्य हलइ । उनकर अप्पन भी, शायद बेहतर देखाय देवे खातिर अपन मनोहर परिवर्तन के बहुत आत्मसंतुष्टि के खुद के बोध भी अइसन अवसर पर क्षमा योग्य हो सकऽ हलइ, काहेकि प्योत्र पित्रोविच मंगेतर के भूमिका में हला । उनकर सब्भे पोशाक अभी-अभी दर्जी के हियाँ से अइले हल, आउ सब कुछ निम्मन हलइ, सिवाय वस्तुतः खाली एक बात के, कि सब कुछ बिलकुल नया हलइ आउ बहुत कुछ खास उद्देश्य व्यक्त कर रहले हल । फैशनदार, बिलकुल नया, गोलगाल टोप भी ई उद्देश्य के स्पष्ट कर रहले हल - प्योत्र पित्रोविच ओकरा साथ बहुत आदरपूर्वक पेश आ रहला हल आउ बहुत सवधानी से ओकरा हाथ में रखले हला । उत्तम कोटि के नीलक (lilac) रंग के असली जुवैं फ्रांसीसी दस्ताना [1] के जोड़ी भी एहे बात के सबूत दे रहले हल, चाहे बल्कि ई एक्के बात से, कि एकरा पेन्हले नयँ हला, बल्कि खाली देखावा लगी हथवा में लेले हला । प्योत्र पित्रोविच के पोशाक में हलका आउ नौजवान लायक रंग के प्रधानता हलइ । ऊ  हलका भूरा रंग के आभा (shade) के गरमी वला एगो उत्तम जैकेट पेन्हले हला, आउ हलका रंग के पतला पतलून, ओहे रंग के मैचिंग वास्कट, अभी-अभी खरदल बारीक छालटी (linen), कैंब्रिक (cambric, हलका आउ गाढ़ा बुन्नल उज्जर छालटी अथवा सूती कपड़ा) के गुलाबी धारी (stripes) वला बहुत हलका छोटगर टाई, आउ सबसे निम्मन बात हलइ कि ई सब कुछ प्योत्र पित्रोविच के फबवो करऽ हलइ । उनकर चेहरा, जे बेहद चमकीला आउ सुन्दर भी हलइ, ई सब पहनावा के बगैर भी उनकर अप्पन पैंतालीस के उमर से कमती लगऽ हलइ । घना गलमोछी (whiskers) दुन्नु तरफ से दूगो कटलेट नियन मनोहर रूप से छाल हलइ, आउ सफाचट चमकदार ठुड्डी के पास बेहद सुन्दर रूप से घनीभूत होल हलइ । कहीं-कहीं पर जरी मनी उज्जर हो चुकल, केश-प्रसाधक (hair-dresser) के हियाँ कंगही कइल आउ घुंघराला बनावल, केशियो अइसन परिस्थिति में कोय हास्यास्पद, चाहे कइसनो बुद्धू वला सूरत नयँ पैदा करऽ हलइ, जइसन कि केश घुंघराला बनइला पर, आवश्यक रूप से चेहरा के साधारणतः हमेशे शादी के वेदी पर जइते जर्मन जइसन बना दे हइ । अगर ई यथेष्ट सुन्दर आउ हट्ठा-कट्ठा देहाकृति में कुछ वास्तव में अरुचिकर आउ विकर्षक (repulsive) हलइ, त ई आउ दोसर कारण से उद्भूत हलइ । मिस्टर लूझिन तरफ शिष्टाचारहीनता से देखके, रस्कोलनिकोव दुर्भाव से मुसकइलइ, फेर से तकिया पर पड़ रहलइ आउ पहिलहीं नियन छत तरफ एकटक देखे लगलइ ।

लेकिन मिस्टर लूझिन खुद के नियंत्रित कइलका, आउ शायद तात्कालिक रूप से ई सब हरकत के उपेक्षा करे के निर्णय कर लेलका ।

"अपने के अइसन हालत में देखके हमरा बहुत जादे अफसोस होलइ", ऊ फेर शुरू कइलका, बलपूर्वक चुप्पी तोड़ते । "अगर हमरा अपने के बेमारी के बारे पता चलते हल, त हम पहिले आ जइतिए हल । लेकिन, अपने के मालूम हइ, केतना भाग-दौड़ रहऽ हइ ! ... एकरा अलावे हमरा वकील होवे के नाते सीनेट में एगो बहुत जरूरी काम पड़ल हइ । आउ भी दोसर-दोसर काम हकइ, जेकरा हमरा उल्लेख करे के जरूरत नयँ हइ, अपने अंदाज लगा ले सकऽ हथिन । अपने के माय आउ बहिन, कभी भी पहुँच जा सकऽ हथिन ..."

रस्कोलनिकोव कसमसइलइ आउ लगलइ कि कुछ कहे ल चाहऽ हइ; ओकर चेहरा से चिंता के झलक देखाय देलकइ । प्योत्र पित्रोविच रुकके थोड़े इंतजार कइलका, लेकिन जब कुछ प्रतिसाद (response) नयँ मिललइ, त ऊ बात जारी रखलका -
"... कोय भी बखत । तब तक लगी ओकन्हीं खातिर एगो फ्लैट खोज लेलिए ह ..."
"काहाँ ?" धीमे स्वर में रस्कोलनिकोव बोललइ ।
"हियाँ से बहुत नगीचे में, बकालेयेव के घर में ..."
"ई तो वोज़नेसेन्स्की में हइ", रज़ुमिख़िन बीच में बात काटते बोललइ, "हुआँ नम्बर अंकित कइल कइएक कमरा के दुमंजिला इमारत हकइ; व्यापारी यूशिन किराया पर एकरा चलावऽ हइ; हम हुआँ होके अइलिए ह ।"
"जी हाँ, नम्बर अंकित कइल ..."

"बहुत्ते खराब जगह हकइ - गन्दगी, दुर्गन्ध, आउ सन्देहास्पद जगह; कुछ वारदात हो चुकले ह; ई तो शैताने के मालूम कि हुआँ केऽ नयँ रहऽ हइ ! ... हम तो हुआँ एगो शरमनाक घटना के मामले में गेलूँ हल । हाँ, लेकिन ई सस्ता जरूर हकइ ।"

"हम वस्तुतः ओतना सूचना संग्रह कर नयँ पइलिअइ, काहेकि हम खुद हियाँ परदेशी हकिअइ", गंभीरतापूर्वक प्योत्र पित्रोविच एतराज कइलका, "लेकिन दूगो बहुत बहुत साफ-सुथरा कमरा हकइ, आउ चूँकि ई बहुत कम अवधि लगी हकइ ... हम वास्तविक, मतलब अपन भावी फ्लैट खोज लेलिए ह", ऊ रस्कोलनिकोव तरफ संबोधित कइलका, "आउ अभी एकरा पूरा कइल जा रहले ह; आउ अभी लगी हियाँ से दू कदम पर श्रीमती लिप्पेवेख़्ज़ेल के बिल्डिंग में, अपन एगो युवक दोस्त, अन्द्रेय सिम्योनिच लेबेज़्नियात्निकोव, के फ्लैट में कइसूँ थोड़े सन जगह में रह रहलिए ह; ओहे हमरा बकालेयेव के घर के पता बतइलका हल ..."

"लेबेज़्नियात्निकोव के फ्लैट में ?" रस्कोलनिकोव धीरे-धीरे बोललइ, जइसे कुछ आद आ रहल होवे ।
"हाँ, अन्द्रेय सिम्योनिच लेबेज़्नियात्निकोव, मंत्रालय में किरानी हका । अपने जानऽ हथिन ?"
"जी हाँ, ... नयँ ...", रस्कोलनिकोव जवाब देलकइ ।
"माफ करथिन, अपने के सवाल से हमरा अइसन लगलइ । हम कभी उनकर अभिभावक हलिअइ ... बहुत अच्छा नौजवान हइ ... आउ जानकार ... हमरा नौजवान लोग से मिलके खुशी होवऽ हइ - उनकन्हीं के संपर्क से मालूम होवऽ हइ, कि कउची नयका-नयका बात हइ ।" प्योत्र पित्रोविच बड़ी उमीद भरल नजर से सब्भे उपस्थित लोग तरफ देखलका ।

"ई कउन संबंध में अपने बात कर  रहलथिन हँ ?" रज़ुमिख़िन पुछलकइ ।

"सबसे जादे गंभीर, ई तरह कहल जाय, बिलकुल वास्तविक बात में", प्योत्र पित्रोविच ई बात के अइसे लेलका, जइसे ई सवाल से खुश हो गेला हल । "हमरा, अपने देखवे करऽ हथिन, पिछले तुरी पितिरबुर्ग अइला दस बरस बीत चुकले ह । ई हमर सब नयापन, सुधार, विचार - ई सब कुछ हमन्हीं के पास प्रान्त भर तक पहुँच चुकले ह; लेकिन जादे साफ तरीका से देखे लगी आउ सब कुछ देखे लगी, पितिरबुर्ग में आना जरूरी हइ । खैर, श्रीमान, आ हमर विचार बिलकुल अइसन हइ, कि सबसे अधिक देखल आउ समझल जा सकऽ हइ, हमर नयका नौजवान पीढ़ी के अवलोकन करके । आउ हम कबूल करऽ हिअइ - हमरा खुशी होलइ ..."

"ठीक-ठीक कउन बात पर ?"

"अपने के प्रश्न व्यापक हइ । हमरा गलतफहमी हो सकऽ हइ, लेकिन हमरा लगऽ हइ, आउ अधिक दृष्टिकोण मिल्लऽ हइ, अधिक, अइसन कहल जा सकऽ हइ, कि आलोचना मिल्लऽ हइ; अधिक व्यवहार कुशलता ..."

"ई बात तो सच हइ", दाँत भींचके ज़ोसिमोव बोललइ ।

"बकवास कर रहलऽ ह, कोय व्यवहार कुशलता के बात नयँ हकइ", रज़ुमिख़िन ओकर बात पकड़के बोललइ । "व्यवहार कुशलता मोसकिल से मिल्लऽ हइ, आ फोकट में असमान से नयँ टपकऽ हइ । आउ पिछले दू सो साल से हरेक प्रकार के क्रियाशीलता से हम सब के आदत लगभग छूट गेले ह ... विचार तो, शायद, एन्ने-ओन्ने घुम्मब करऽ हइ", ऊ प्योत्र पित्रोविच तरफ मुड़लइ, "आउ अच्छाई के इच्छा हइ, हलाँकि बचकाना शकल में; आउ इमनदरियो पावल जा हइ, हलाँकि ढेर सारा दगाबाजो लोग लग्गल हइ, तइयो व्यवहार कुशलता तो नयँ हइ ! व्यवहार कुशलता तो जुत्ता में बुल्लऽ हइ ।"

"हम अपने के साथ सहमत नयँ हिअइ", प्रत्यक्ष प्रसन्नता के साथ प्योत्र पित्रोविच एतराज कइलका, "वस्तुतः, जोश होवऽ हइ, गलती होवऽ हइ, लेकिन सहिष्णुता भी होवे के चाही - जोश सबूत दर्शावऽ हइ काम के प्रति उत्साह के, आउ ऊ गलत बाहरी परिस्थिति के, जेकरा में काम करे पड़ऽ हइ । आउ अगर कमती काम होले ह, त समइयो कमती हलइ । आउ साधन के बारे चर्चा नयँ करबइ । हमर व्यक्तिगत मत के अनुसार, अगर चाहऽ हथिन, कुछ त कइल जा चुकले ह - नयका आउ उपयोगी विचार प्रसारित कइल गेले ह, पहिलौका काल्पनिक आउ स्वच्छंदतावादी रचना के बदले कुछ नयका उपयोगी रचना प्रचार में अइले ह; साहित्य में अधिक प्रौढ़ता के आभा (shade) प्राप्त हो रहले ह; कइएक हानिकारक पूर्वाग्रह के उन्मूलन कइल जा चुकले ह आउ एकरा पर व्यंग्य कस्सल गेले ह ... एक शब्द में, हम सब अटल रूप से अतीत से नाता तोड़ लेते गेलिए ह, आउ ई, हमर विचार से बड़गो बात हइ, जी ..."

"सब कुछ रट लेलका ह ! आउ स्वयं के अनुशंसा कर रहला ह (recommending) !" अचानक रस्कोलनिकोव के मुँह से निकल पड़लइ ।
"की कहलथिन, जी ?" प्योत्र पित्रोविच पुछलका, जे सुन नयँ पइलका हल, लेकिन कोय जवाब नयँ मिललइ ।
"ई सब कुछ सच हकइ", ज़ोसिमोव शीघ्रतापूर्वक बोल पड़लइ ।

"सच हइ न, जी ?" ज़ोसिमोव तरफ सौजन्य दृष्टि डालते प्योत्र पित्रोविच बात जारी रखलका । "खुद सहमत होथिन", रज़ुमिख़िन तरफ संबोधित करते ऊ बात जारी रखलका, लेकिन अब एक प्रकार के विजय आउ श्रेष्ठता (superiority) के आभा (shade) के साथ, आउ ‘नौजवान’ शब्द जोड़ते-जोड़ते रुक गेला, "कि विकास नाम के कोय चीज हइ, अथवा, जइसन कि आझकल बोलल जा हइ, प्रगति होले ह, हलाँकि विज्ञान आउ आर्थिक सत्य के नाम पर ..."

"ई तो घिस्सल-पिट्टल बात हइ !"

"नयँ, ई तो घिस्सल-पिट्टल बात नयँ हइ जी ! अगर हमरा, मसलन, अभी तक कहल गेलइ '(अपन पड़ोसी के) प्यार करऽ', आउ हम (ओकरा) प्यार कइलिअइ, त एकर की नतीजा निकसलइ ?" प्योत्र पित्रोविच बात जारी रखलका, संभवतः आवश्यकता से अधिक शीघ्रता के साथ, "नतीजा ई निकसलइ, कि हम कफ्तान के फाड़के दू टुकड़ा कर देलिअइ, पड़ोसी के आधा टुकड़ा देलिअइ, आउ हमन्हीं दुन्नु आधा-आधा नंगा रहलिअइ; रूसी कहावत के अनुसार – ‘एक्के साथ कइएक खरगोश के पीछू पड़बऽ, त एक्को गो नयँ पकड़इतो ।’ आउ विज्ञान बतावऽ हइ – ‘सबसे पहिले खाली खुद के प्यार करऽ, काहेकि ई संसार में सब कुछ व्यक्तिगत स्वार्थ पर आधारित हको । खाली खुद के प्यार करबऽ, त अपन काम ठीक से कर पइबऽ, आउ तोहर कफ्तान पूरा के पूरा बच्चल रहतो ।’ आउ आर्थिक सत्य एकरा में आउ जोड़ दे हइ, कि समाज में व्यक्तिगत कार्य जेतने जादे सुव्यवस्थित होवऽ हइ, आउ, अइसे कहल जाय, कि पूरा के पूरा कफ्तान होवऽ हइ, ओतने जादे एकरा (समाज) लगी मजबूत बुनियाद होवऽ हइ, आउ ओतने जादे एकरा में सामान्य जनता के कार्य सुव्यवस्थित होवऽ हइ । मतलब, एक्के आउ खासकर के खुद के खातिर दौलत जुटाके, हम अइसन करके मानूँ सबके खातिर दौलत जुटा रहलूँ हँ, आउ अइसन हालत पैदा कर रहलूँ हँ कि पड़ोसी के फट्टल कफ्तान से कुछ बेहतर मिल्लइ, आउ अब निजी, अलग उदारता के कारण से नयँ, बल्कि जन सामान्य के समृद्धि के चलते । ई विचार सरल हइ, लेकिन दुर्भाग्यवश बहुत लम्मा समय से हम सब के पास नयँ पहुँचलइ, हर्षावेग आउ स्वप्नमयता से बाधित रहलइ, लेकिन अइसन लगतइ कि एकरा समझे लगी जादे बुद्धि के जरूरत नयँ होतइ [2] ..."

"माफ करथिन, हमहूँ बुद्धिहीन हकिअइ", रज़ुमिख़िन झट से बात काटके बोललइ, "ओहे से ई चर्चा बन कर देल जाय। हम ई चर्चा कुछ उद्देश्य से शुरू कइलिए हल, लेकिन ई सब अपन मन-बहलाव के चर्चा, ई सब लगातार अबाधित घिस्सल-पिट्टल बात, आउ हमेशे ओहे के ओहे, फेर ओहे के ओहे, गत तीन साल के दौरान हमरा एतना ऊबाहट पैदा कर देलक ह, कि भगमान कसम, हमर चेहरा शरम से लाल हो जा हके, खाली हमरे ई सब के बात करे में नयँ, बल्कि जब दोसर कोय भी हमरा सामने ई सब के बात करऽ हके । जाहिर हइ, अपने स्वयं के ज्ञान के अनुशंसा करे में शीघ्रता कइलथिन हँ, ई बिलकुल क्षमा योग्य हइ, आउ हम एकरा में कोय दोष नयँ दे हिअइ। हम तो अब खाली एहे जाने लगी चाहऽ हलिअइ, कि अपने कइसन व्यक्ति हथिन, काहेकि, अपने देखऽ हथिन, एन्ने कुछ समय से केतना सारा अवैध व्यापारी सब ई जन सामान्य कार्य में लग गेते गेला ह, आउ जे कुछ के ऊ हाथ लगइका, अपन निजी लाभ के कारण से ऊ सब कुछ के एतना जादे विकृत कर देलका ह, कि ऊ पूरे ध्येय के निश्चित रूप से दूषित कर देते गेला ह । बस, महोदय, काफी हो गेलइ !"

"आदरणीय महोदय", अत्यधिक गौरव के साथ ऐंठते मिस्टर लूझिन शुरू कइलका, "एतना अशिष्टता से कहीं अपने ई तो नयँ कहे ल चाहऽ हथिन, कि हमहूँ ..."
"ओ, माफ करथिन, माफ करथिन, ... हम अइसन जुर्रत कइसे कर सकऽ हिअइ ! ... बस, महोदय, अब काफी हो गेलइ !" रज़ुमिख़िन उनकर बात काट देलकइ आउ अचानक पहिलौका बातचीत के जारी रक्खे खातिर ज़ोसिमोव तरफ मुड़लइ ।

प्योत्र पित्रोविच यथेष्ट बुद्धिमान प्रतीत होला, कि तुरते ई स्पष्टीकरण पर विश्वास कर लेलका । लेकिन ऊ दू मिनट में चल जायके निश्चय कर लेलका ।

"हमरा विश्वास हइ, कि अभी के शुरू होल हम सब के जान-पछान", ऊ रस्कोलनिकोव के संबोधित कइलका, "अपने के चंगा हो गेला के बाद आउ अपने के जानल परिस्थिति के देखते आउ गहरा होते जइतइ ... विशेष रूप से हम अपने के स्वस्थ होवे के कामना करऽ हिअइ ..."

रस्कोलनिकोव अपन सिर भी नयँ घुमइलकइ । प्योत्र पित्रोविच कुरसी से उट्ठे लगला ।

"पक्का कोय गाहके ओकर हत्या कइलके ह !" ज़ोसिमोव पूरा विश्वास के साथ बोललइ ।
"पक्का गाहके !" रज़ुमिख़िन सहमति व्यक्त कइलकइ । "पोरफ़िरी अपन राय बतावऽ नयँ हका, लेकिन तइयो ओकर गाहक सब के साथ पूछ-ताछ कर रहला ह ..."
"गाहक सब के साथ पूछ-ताछ कर रहला ह ?" रस्कोलनिकोव जोर से पुछलकइ ।
"हाँ, त की होलइ ?"
"कुछ नयँ ।"
"काहाँ से ओकन्हीं के पकड़ऽ हका ?" ज़ोसिमोव पुछलकइ ।
"कुछ के नाम तो कोख़ बता देलकइ; कुछ दोसर लोग के नाम गिरवी रक्खल समान के आवरण (wrappers) पर लिक्खल हलइ, आ कुछ लोग जइसीं सुनलकइ ओइसीं खुद्दे आ गेलइ ..."
"शायद कोय चलाक आउ अनुभवी छँट्टल बदमाश होतइ ! कइसन हिम्मत ! कइसन संकल्प (पक्का इरादा) !"

"बस एहे बात तो हइ, कि नयँ हइ !" रज़ुमिख़िन बात काटके बोललइ । "एहे बात तो तोहन्हीं सब के भटका दे हको । आउ हमरा कहना हइ - ऊ न चलाक हलइ, न अनुभवी हलइ, बल्कि ई  शायद ओकर पहिला कदम हलइ! चलाक बदमाशो के बारे अच्छा से सोच-विचार के देख लऽ, त ई असंभव लगतो । ई मानके चलहो कि ऊ अनाड़ी हलइ, त पता चलतो, कि ऊ खाली संयोग से आफत से बच गेलइ, आउ संयोग कीऽ नयँ करऽ हइ ? हे भगमान, शायद ओकरा रस्ता में आवे वला अड़चनो के अंदाजा नयँ हलइ ! आउ ऊ काम कइसे निपटावऽ हइ ? - दस-बीस रूबल के चीज ले ले हइ, ओकरा से अपन जेभी ठूँस ले हइ, बुढ़िया के सन्दूक में टटोलऽ हइ, पुरनका लुग्गा-फट्टा में टटोलऽ हइ - जबकि उपरौला दराज (drawer) वला अनवारी में एगो बक्सा में डेढ़ हजार रूबल नगद मिललइ, आउ साथ-साथ वचनपत्र भी ! ऊ लूट तो नयँ सकलइ, खाली ऊ हत्या कर सकलइ ! पहिला प्रयास, हम तोरा कहऽ हियो, पहिला प्रयास; ओकर दिमाग नयँ काम कइलकइ ! आउ प्लान से नयँ, बल्कि संयोग से बच निकसलइ !"

"लगऽ हइ, कि ई चर्चा हाल के सरकारी किरानी के बुढ़िया विधवा घरवली के हत्या के बारे हो रहले ह", प्योत्र पित्रोविच बीच में बोलला, ज़ोसिमोव तरफ संबोधित करते, जे अपन टोप आउ दस्ताना हाथ में लेले खड़ी हो चुकला हल, लेकिन प्रस्थान के पहिले अपन कुछ बुद्धिमत्ता भरल टिप्पणी कर देवे ल चाहऽ हला । ऊ वस्तुतः अनुकूल छाप (impression) छोड़े के फिकिर में हला, आउ अहंकार उनकर विवेक के दबा लेलकइ ।

"जी हाँ । अपने सुनलथिन हल ?"
"जी, कइसे नयँ, ई तो पड़ोस में ..."
"आ विस्तार से जन्नऽ हथिन ?"
"ई तो हम नयँ कह सकऽ हिअइ; लेकिन ई मामला में हमरा दोसरे परिस्थिति में दिलचस्पी हइ, आ ई कहल जाय, कि पूरे समस्या से । हमरा एहो नयँ कहना हइ, कि अपराध निचले वर्ग में पिछले पाँच साल में बढ़ गेले ह; एहो नयँ कहना हइ, कि सगरो लगातार डकैती आउ आगजनी के घटना होब करऽ हइ; हमरा लगी तो सबसे जादे अचरज के बात ई लगऽ हइ, कि अपराध उच्च वर्ग में भी ओइसहीं बढ़ रहले ह, आउ ई कहल जाय, कि समानान्तर रूप से । कहीं सुनल जा हइ, कि एगो पूर्वछात्र राजपथ (highway) पर एगो डाक लूट लेलकइ; आउ कहीं अखबार के उपरौका पन्ना में छप्पऽ हइ, कि समाज के उच्च वर्ग के लोग नकली नोट बनावऽ हका; आउ हुआँ, मास्को में, पूरा के पूरा गिरोह अद्यतन लॉटरी के जाली टिकट बनावे वला गिरोह पकड़ल जा हइ - आउ एकर मुख्य हिस्सेदार सब में विश्व इतिहास के एगो व्याख्याता (लेक्चरर) हकइ; ओन्ने एगो हमर विदेश सचिव के हत्या कर देल जा हइ, आर्थिक आउ रहस्यमय कारण से ... आउ अगर अब ई गिरवी रक्खे वली बुढ़िया के हत्या कोय गाहक कर देलकइ, - त ई, शायद, समाज के उच्च वर्ग के कोय अदमी हलइ, काहेकि किसान सब तो सोना के वस्तु गिरवी रक्खऽ हइ नयँ, - त ई अप्पन समाज के सभ्य भाग के, एक तरह से, ई नैतिक पतन के कइसे समझावल जा सकऽ हइ ?"

"बहुत सारा आर्थिक परिवर्तन होले ह ...", ज़ोसिमोव के उत्तर हलइ ।
"कइसे समझावल जा सकऽ हइ ?" रज़ुमिख़िन जुड़ गेलइ । "आ ई पक्का समझावल जा सकऽ हइ - सरासर बिलकुल अव्यवहारिकता से ।"
"मतलब, ई कइसे महोदय ?"

"आउ मास्को में अपने के ऊ व्याख्याता जे उत्तर देलका, ई प्रश्न के, कि ऊ जाली नोट काहे लगी बनावऽ हला, अइकी ई हइ - 'सब कोय भिन्न-भिन्न तरह से धनी बनते जा हइ, त हमरो जल्दी से जल्दी धनमान बन्ने के मन कइलकइ' । ठीक-ठीक ओकर शब्द तो हमरा आद नयँ, लेकिन मतलब हलइ, कि जे फोकट के मिल जाय, जल्दी से जल्दी, बिन कोय मेहनत कइले ! हम सब के आदत पड़ गेले ह, अइसन जिनगी जीये के, कि सब कुछ बन्नल-बनावल मिल जाय, दोसर के मदत से चल्ले के, दोसर के चबावल खाय के । खैर, जब बड़का घंटा बजलइ [4], त हरेक कोय प्रत्यक्ष रूप से सामने आ गेलइ, कि असलियत में कइसन हइ ..."

"लेकिन तइयो नैतिकता ? आउ, ई कहल जाय, नियम ..."
"त अपने के फिकिर कउन बात के हइ ?" अप्रत्याशित रूप से रस्कोलनिकोव बीच में बोल उठलइ । "अपनहीं के सिद्धान्त के अनुसार तो सब कुछ होलइ !"
"हमर सिद्धान्त के अनुसार कइसे ?"
"आ ऊ परिणाम तक जाके देखथिन, जेकर अभी-अभी अपने पैरवी कर रहलथिन हल, त ई निष्कर्ष निकसतइ, कि लोग के गला रेत देल जा सकऽ हइ ..."
"हे भगमान !" लूझिन चिल्लइला ।
"नयँ, अइसन बात नयँ हइ !" ज़ोसिमोव बोललइ ।

रस्कोलनिकोव सोफा पर पीयर पड़ल हलइ, उपरौला होंठ फड़क रहले हल आउ ओकरा साँस लेवे में तकलीफ हो रहले हल ।

"हर चीज के हद होवऽ हइ", अहंकार से लूझिन बात जारी रखलका, "आर्थिक विचार हत्या के आमंत्रण नयँ हइ, आउ अगर खाली ई मान लेल जाय ..."

"आउ की ई सच हकइ, कि अपने", रस्कोलनिकोव फेर से बीच में बोल पड़लइ, गोस्सा से ओकर अवाज में कंपन हलइ, जेकरा में एक प्रकार के जीत के खुशी सुनाय देब करऽ हलइ, "की ई सच हइ, कि अपने अपन वाग्दत्ता (मंगेतर) के कहलथिन हल ... ठीक ओहे बखत, जब ओकरा तरफ से सहमति प्राप्त कइलथिन, कि  ई बात के अपने के सबसे जादे खुशी हइ ... कि ऊ कंगाल हकइ ... काहेकि, कंगाली से ग्रस्त घरवली लाना जादे फायदेमंद होवऽ हइ, ताकि ओकरा पर बाद में धाक जमावल जा सकइ ... आउ ई बात के ताना देल जाय, कि ओकरा पर अपने उपकार कइलथिन हँ ? ..."

"आदरणीय महोदय", पूरा तमतमाल आउ परेशान लूझिन गोस्सा के मारे आउ चिढ़के चिल्ला उठला, "आदरणीय महोदय ... हमर बात के ई तरह तोड़ल-मरोड़ल गेले ह ! हमरा माफ करथिन, लेकिन हमरा अवश्य कहे के चाही, कि अफवाह, जे अपने के पास पहुँचले ह, अथवा ई कहना बेहतर होतइ, कि अपने के पास पहुँचावल गेले ह, ओकरा में कोय वास्तविक आधार नयँ हइ, आउ हमरा ... शक हइ, कि केऽ ... एक शब्द में ... ई तीर ... एक शब्द में, अपने के माय ... एकरो बेगर हमरा लगल हल कि, ऊ अपन सब्भे सर्वोत्तम गुण के बावजूद, उनकर विचार में कुछ हर्षोन्मत्तता आउ भावुकता के झलक हइ ... लेकिन तइयो हम ई गुमान से हजारों कोस दूर हलिअइ, कि हमर बात के ऊ एतना विकृत मनगढ़ंत रूप में समझता आउ पेश करता ... आउ आखिर में ... आखिर में ..."

"आ जानऽ हथिन की ?" रस्कोलनिकोव चिल्ला उठलइ, तकिया पर से अपन सिर उठइते आउ सीधे उनका तरफ तीक्ष्ण चमकते दृष्टि से देखते, "जानऽ हथिन की ?"
"आ कीऽ महोदय ?" लूझिन रुक गेला, आउ नराज आउ चुनौती भरल नजर से इंतजार करते रहला । ई चुप्पी कुछ सेकेंड तक रहलइ ।
"आउ ई, कि अगर अपने एक्को तुरी आउ ... हमर माय के बारे ... अपन मुँह से एक्को शब्द निकासे के जुर्रत करथिन ... त हम अपने के उलटके ज़ीना से निच्चे फेंक देबइ !"
"तोरा की हो गेलो ह !" रज़ुमिख़िन चिल्लइलइ ।

"हूँ, त ई बात हइ महोदय !" लूझिन के चेहरा पीयर पड़ गेलइ आउ ऊ अपन होंठ चबावे लगला । "हमर बात सुनथिन, महोदय", ऊ सँभल-सँभल के, आउ खुद के यथासंभव नियंत्रित करते, लेकिन तइयो हँफते-हँफते, कहना चालू कइलका, "हम पहिलहीं, अन्दर कदम रखतहीं, अपने के विद्वेष के भाँप गेलिए हल, लेकिन जान-बूझके हियाँ पर ठहर गेलिअइ, ताकि आउ कुछ अधिक जान सकिअइ । हम बेमार अदमी के आउ रिश्तेदार के बहुत कुछ माफ कर सकऽ हिअइ, लेकिन अब ... अपने के ... कभी नयँ महोदय ..."
"हम बेमार नयँ हकूँ !" रस्कोलनिकोव चिल्लइलइ ।
"तब तो आउ विशेष रूप से महोदय ..."
"जहन्नुम में जाथिन अपने !"

लेकिन अपन बात बिन पूरा कइलहीं, फेर से टेबुल आउ कुरसी के बीच से रस्ता बनइते, लूझिन खुद्दे निकल गेला; रज़ुमिख़िन अबरी खड़ी हो गेलइ, ताकि उनका रस्ता मिल जाय । केकरो तरफ बिन नजर कइले आउ ज़ोसिमोव तरफ अपन सिर बिन हिलइलहीं, जे काफी देर से उनका सिर हिलाके रोगी के अकेल्ले छोड़ देवे खातिर इस्तारा करब करऽ हलइ; लूझिन बाहर चल गेला, अपन टोप के सवधानी से कन्हा के ऊँचाई तक उठइते, जब ऊ थोड़े सन झुकके दरवाजा से बहरसी निकस रहला हल ।

आउ ऊ बखत उनकर पीठ में के झुकाव भी मानूँ ई व्यक्त कर रहले हल, कि ऊ अपने साथ केतना अपमान ढोले जा रहला ह ।
"की संभव हइ, की अइसन संभव हइ ?" रज़ुमिख़िन भौंचक्का होल सिर हिलइते बोललइ ।

"हमरा छोड़ द, सब मिलके हमरा छोड़ द !" रस्कोलनिकोव क्रोधावेश में चिल्ला उठलइ । "ए जालिम सब, हमरा आखिर छोड़ते जइबऽ कि नयँ ! हम तोहन्हीं से भयभीत नयँ हकियो ! हम अब केकरो से, केकरो से नयँ डरऽ हियो ! चल जा हमरा भिजुन से ! हम अकेल्ले रहे ल चाहऽ हूँ, अकेल्ले, अकेल्ले, अकेल्ले !"
"चलल जाय !" ज़ोसिमोव कहलकइ, सिर हिलाके रज़ुमिख़िन के इशारा कइलकइ ।
"हे भगमान, की वास्तव में एकरा अइसीं छोड़ देल जाय ?"
"चलल जाय !" आग्रहपूर्वक ज़ोसिमोव दोहरइलकइ आउ निकस गेलइ । रज़ुमिख़िन थोड़े देर सोचते रहलइ आउ फेर ओकरा पीछू दौड़ पड़लइ ।

"आउ जादे खराब हो सकऽ हइ, अगर हमन्हीं ओकर कहे मोताबिक नयँ करऽ हिअइ", ज़ोसिमोव बोललइ, जे ज़ीना पर पहुँच चुकले हल । "ओकरा नराज नयँ करे के चाही ..."
"ओकरा की हो गेले ह ?"
"अगर ओकरा खाली एगो कोय प्रकार के अनुकूल झटका लगइ, त काम बन जाय ! आझ ऊ बरियार हलइ ... जानऽ हो, ओकर दिमाग में कुछ तो हकइ ! कुछ तो अडिग, भारी ... ई बात के हमरा डर हइ; पक्का !"
"हाँ, अइकी ई मिस्टर, शायद, ई प्योत्र पित्रोविच ! बातचीत से साफ हइ, कि ऊ ओकर बहिनी के साथ शादी करे वला हका, आउ रोद्या के एकरा बारे, ठीक ओकर बेमारी के पहिले, चिट्ठी मिलले हल ..."

"हाँ, शैतान ओकरा अभी लइलकइ; शायद, सब काम बिगाड़ देलकइ । आ तूँ नोटिस कइलहो, कि ऊ (रस्कोलनिकोव) सब मामला में विरक्त (indifferent) रहऽ हइ, सब कुछ पर चुपचाप रहऽ हइ, खाली एक बात के छोड़के, जेकरा पर ऊ भड़क उट्ठऽ हइ - ई हइ हत्या ..."
"हाँ, हाँ !" रज़ुमिख़िन बात समझ गेलइ, "बिलकुल नोटिस कइलिअइ ! ऊ रुचि ले हइ, डर जा हइ । ई बात तो ओकरा ओकर बेमारी के दिनमे डरा देलकइ, पुलिस चीफ के दफ्तर में; ऊ मूर्छित होके गिर गेलइ ।"

"तूँ हमरा आझ साँझ के विस्तार से बतावऽ, आ हम तोरा कुछ बाद में बतइबो । ओकरा में हमरा दिलचस्पी हकइ, बहुत ! आध घंटा के बाद हम जाके ओकरा चेक करबइ ... सूजन, लेकिन, नयँ होतइ ..."
"धन्यवाद ! आ हम पाशेन्का के पास इंतजार करबो आउ नस्तास्या के माध्यम से ओकर देखरेख करते रहबो ..."

रस्कोलनिकोव, अकेल्ले रह गेला पर, अधीरता आउ उदासी से नस्तास्या तरफ देखलकइ; लेकिन ऊ बाहर जाय में देर कर देलकइ ।

"चाय तो अब पीबऽ ?" ऊ पुछलकइ ।
"बाद में ! हमरा नीन आ रहल ह ! हमरा अकेल्ले छोड़ दे ..."
ऊ झट से अपन मुँह देवाल तरफ फेर लेलकइ; नस्तास्या बाहर निकस गेलइ ।

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