कालापानी
(साइबेरिया में जेल के जिनगी)
भाग-1; अध्याय-6: पहिला महिन्ना (2)
जेल
में प्रवेश के समय हमरा पास कुछ पइसा हलइ; हमर हाथ में थोड़हीं सुनी हलइ, ई भय से, कि
कहीं जप्त नयँ कर लेल जाय, लेकिन सुरक्षा के दृष्टि से छिपावल हलइ, मतलब नवविधान
(New Testament) के जिल्द में चिपकावल, (एक्के अइसन किताब) जेकरा जेल में ले जाल जा
सकऽ हलइ । ई किताब, (जिल्द में) चिपकावल पइसा के साथ, तोबोल्स्क में हीं हमरा उपहार
में अइसन लोग देलका हल, जे खुद निर्वासन में कष्ट झेलते गेला हल आउ हुआँ दस साल के
समय गुजरलका हल [1], आउ जे बहुत पहिलहीं से हरेक "अभागल" के भाय के रूप में
देखे के अभ्यस्त हो चुकला हल । साइबेरिया में कुछ अइसन लोग हथिन, आउ (अइसन लोग के)
लगभग कभी अंत नयँ होवऽ हइ, जे, लगऽ हइ, "अभागल" लोग के सेवा आउ देखभाल करे
के अपन जिनगी के उद्देश्य बना लेते जा हथिन, ओकन्हीं खातिर अपन सगा बाल-बुतरू नियन,
बिलकुल स्वार्थरहित, पवित्र, संवेदना आउ सहानुभूति दर्शावऽ हथिन । हियाँ परी हमरा एगो
अइसन भेंट के संक्षेप में आद (वर्णन) से नयँ रहल जा हइ । ऊ शहर में, जेकरा में हमन्हीं
के जेल हलइ, एगो महिला रहऽ हलइ, नस्तास्या इवानोव्ना, जे एगो विधवा हलइ । वस्तुतः हमन्हीं
में से कोय, जेल में रहे के दौरान, ओकरा से व्यक्तिगत रूप से परिचित नयँ हो सकले हल।
लगऽ हलइ, अपन जिनगी के उद्देश्य ऊ अभियुक्त लोग के सहायता करना निश्चित कर लेलके हल,
लेकिन सबसे अधिक ऊ हमन्हीं के बारे चिंता करऽ हलइ । कहीं ओकर परिवार में कउनो अइसनहीं
तरह के विपत्ति झेले पड़ले हल, कि विशेष करके ओकर प्रिय आउ दिल के नगीच लोग में से कोय
ओइसने तरह के अपराध लगी तकलीफ उठइलके हल, लेकिन (बात कुच्छो रहइ,) खाली ऊ मानूँ हमन्हीं
लगी यथासंभव सब कुछ करे में खास खुशी मानऽ हलइ । बहुत जादे ऊ, वस्तुतः, नयँ कर सकलइ
- ऊ बहुत गरीब हलइ । लेकिन हमन्हीं, जेल में बइठल, अनुभव करऽ हलिअइ, कि हुआँ, जेल के
बहरसी, हमन्हीं के कोय सबसे निष्ठावान दोस्त हइ । एकरा अलावे, ऊ हमन्हीं के अकसर समाचार
देते रहऽ हलइ, जेकर हमन्हीं के बहुत जरूरत रहऽ हलइ । जेल से बाहर निकसते आउ दोसरा शहर
जइते बखत, हमरा ओकरा से मोलकात करे के आउ व्यक्तिगत रूप से ओकरा साथ परिचय प्राप्त
करे के मौका मिल गेलइ । ऊ कहीं तो उपनगरीय क्षेत्र में रहऽ हलइ, एगो अपन नगीची रिश्तेदार
के हियाँ । ऊ न बूढ़ी हलइ, न नौजवान; देखे में न सुत्थर, न खराब; एहो नयँ समझल जा सकऽ
हलइ, कि ऊ बुद्धिमान हइ, शिक्षित हइ, कि नयँ । ओकरा में खाली एहे देखल जा सकऽ हलइ,
कि हरेक कदम पर, एगो असीम दया हइ; प्रसन्न करे के, राहत देवे के, अपने के पक्का कुछ
तो आनंदमय करे के अदम्य कामना हइ । ई सब कुछ ओकर शांत, कृपालु आँख में देखाय दे हलइ
। हम लगभग एगो पूरा शाम ओकरा हीं अपन दोसर कैदी-साथी के साथ गुजरलिअइ । ऊ हमन्हीं के
आँख में आँख डालके देखऽ हलइ; हँस्सऽ हलइ, जब हमन्हीं हँस्सऽ हलिअइ; हमन्हीं जे कुछ
कहऽ हलिअइ, ओकरा पर शीघ्रता से सहमत हो जा हलइ; बल्कि कुच्छो से, जे ओकरा से बन पइलइ,
ऊ हमन्हीं के सत्कार करे लगी दौड़-धूप करते रहलइ । चाय, नाश्ता, कोय प्रकार के मिठाय
परसल गेलइ, आउ अगर ओकरा पास हजारो होते हल, त लगऽ हइ, कि ओकरा ई बात के खुशी होते हल,
कि हमन्हीं के आउ बेहतर ढंग से सत्कार कर सकते हल आउ हमन्हीं के बाकी साथी सब के, जे
जेल में रह गेते गेले हल, आउ कुछ राहत देते हल । बिदा होते बखत, ऊ स्मृति के रूप में
हमन्हीं सब लगी एकक गो सिगरेट केस निकासके लइलकइ । ई सिगरेट केस ऊ गत्ता (कार्डबोर्ड)
के चिपकाके खुद्दे तैयार कइलके हल (भगमाने जाने, कि कइसे ई सब चिपकावल हलइ), ऊ सबके
रंगीन कागज से चिपका देलके हल, बिलकुल ओइसीं, जइसे बुतरुअन के इस्कूल लगी प्रवेशिका
अंकगणित (के पुस्तक) में कवर लगावल जा हइ (आउ शायद, वास्तव में कवर लगी कागज कोय अंकगणित
के पुस्तक से लेल गेले हल) । दुन्नु सिगरेट केस के चारो तरफ, सुंदरता लगी, किनारा में
सुनहरा कागज के पतरगर पट्टी चिपका देलके हल, जेकरा लगी ऊ, शायद, खास करके दोकान गेले
हल । "अपने सब तो सिगरेट पीयऽ हथिन, त शायद, अपने लगी ई उपयोगी होतइ", ऊ
बोललइ, मानूँ सकपकइते अपन उपहार लगी क्षमा माँगते ... कुछ लोग के कहना हइ (हम ई सुनलिए
आउ पढ़लिए ह), कि पड़ोसी लगी सबसे उँचगर प्यार साथे-साथ सबसे बड़गर अहंभाव (अहम्मन्यता)
भी हइ [2] । लेकिन हियाँ परी की बात में अहंभाव हलइ - हमरा कइसूँ समझ में नयँ आवऽ हइ
।
हलाँकि
जेल में प्रवेश करे के बखत हमरा पास बहुत पइसा नयँ हलइ, लेकिन हम कइसूँ तखने ऊ सब कैदी
पर गंभीरतापूर्वक झुँझला नयँ हलिअइ, जे हमर जेल के जिनगी के लगभग शुरुआते घड़ी में,
एक तुरी धोखा दे देलो के बाद, बड़ी भोला बनके दोसरा तुरी आवऽ हलइ, तेसरा तुरी आउ पचमो
तुरी आवऽ हलइ हमरा भिर उधार लेवे लगी । लेकिन हम एक बात के स्पष्ट तौर से स्वीकार करऽ
हिअइ - हमरा बहुत झुँझलाहट होलइ, कि ई सब लोग, अपन सरल धूर्तता के साथ, जइसन कि हमरा
लगलइ, हमरा सीधा-सादा आउ बेवकूफ समझऽ होतइ आउ हमरा पर हँस्सऽ होतइ, ठीक ई कारण से,
कि हम ओकन्हीं के पचमा तुरी पइसा देलिअइ । ओकन्हीं के पक्का लगऽ होतइ, कि हम ओकन्हीं
के धोखा आउ धूर्तता के सामने झुक जा हिअइ, आउ अगर, एकर विपरीत, हम ओकन्हीं के इनकार
कर देतिए हल आउ भगा देतिए हल, त हमरा विश्वास हइ, कि ओकन्हीं हमरा अपेक्षाकृत अधिक
सम्मान करते हल । लेकिन हमरा केतनो झुँझलाहट काहे नयँ होवइ, तइयो हम इनकार नयँ कर सकलिअइ
। हमरा झुँझलाहट ई बात से होवऽ हलइ, कि जेल के पहिलौका दिन में गंभीरतापूर्वक आउ चिंतित
होके सोचऽ हलिअइ, कि कइसे आउ कइसन गोड़ पर हम खुद के जेल में खड़ी करबइ, चाहे, बेहतर
रूप से ई कहल जाय, कि कउन गोड़ पर हमरा ओकन्हीं के साथ खड़ी होबे के चाही । हम अनुभव
कइलिअइ आउ समझलिअइ, कि ई पूरा माहौल हमरा लगी बिलकुल नावा हइ, कि हम बिलकुल अन्हार
में हकूँ, कि हमरा लगी अन्हार में ओतना साल गुजारना असंभव हके । हमरा खुद के तैयार
करे के हले । वस्तुतः, हम निश्चय कर लेलिअइ, कि सबसे पहिले हमरा सीधे आगू बढ़े के चाही,
जइसन हमरा आंतरिक भावना आउ अंतःकरण हमरा कहत । लेकिन हम एहो जानऽ हलिअइ, कि वस्तुतः
ई खाली एगो सूत्र हइ, आउ असलियत में हमरा सामने तइयो सबसे अप्रत्याशित घटना घट सकऽ
हइ ।
आउ
ओहे से, जेल के जिनगी के अनुकूल खुद के स्थापित करे लगी सब्भे छोटगर से छोटगर बात के
खियाल रक्खे के बावजूद, जेकरा बारे हम पहिलहीं उल्लेख कर चुकलिए ह [3] आउ जेकरा पर
विशेष करके अकीम अकीमिच हमर ध्यान आकृष्ट कइलके हल, हलाँकि हमर मन के कुछ हद तक ध्यान
हटइलकइ, लेकिन भयंकर, काट खाय वला उदासी जादे आउ जादे हमरा यातना दे रहल हल । "मुर्दाघर
!" - हम खुद के बोलिअइ, जब कभी-कभी गोधूलिवेला में अपन बैरक के ड्योढ़ी से, काम
से वापिस आके जामा होते कैदी लोग तरफ निहारिअइ आउ जेल के प्रांगण में बैरक से भनसाघर
दने आउ वापिस, ओकन्हीं के धीमे गति से एन्ने-ओन्ने घूमते-फिरते देखिअइ । ओकन्हीं दने
निहारिअइ आउ ओकन्हीं के चेहरा आउ गति से समझे के प्रयास करिअइ, कि ओकन्हीं कइसन अदमी
हइ आउ ओकन्हीं के चरित्र कइसन हइ । ओकन्हीं हमर सामने से त्योरी चढ़इले, चाहे बहुत खुशी-खुशी
एन्ने-ओन्ने घूमते-फिरते रहइ (ई दू तरह के चेहरा के भाव सबसे अधिक देखे में आवऽ हइ
आउ लगभग जेल के वैशिष्ट्य हइ), गारी-गल्लम करइ, चाहे खाली गपशप करइ; आखिरकार, अकेल्ले
घूमते रहइ, मानूँ विचारमग्न होल, शांत, समरूप चाल में; कुछ लोग के चेहरा थक्कल आउ उदासीन
लगइ, आउ कुछ दोसर (आउ हियों !) अहंकार भरल
सर्वश्रेष्ठता के दृष्टि के साथ, टोपी एक तरफ सरकल, कोट कन्हा पर डालल, ढीठ, धूर्त
दृष्टि, आउ होंठ पर ढीठ व्यंग्य के भाव के साथ । "ई सब हमर परिवेश, हमर वर्तमान
संसार हके", हम सोचिअइ, "जेकरा साथ, हम चाहिअइ चाहे नयँ चाहिअइ, लेकिन हमरा
जीए पड़तइ ..." हम अकीम अकीमिच से पूछताछ करे आउ ओकन्हीं बारे जाने के कोशिश करिअइ,
जेकरा साथ चाय पीना हमरा अच्छा लगइ, ताकि हम अकेल्ले नयँ रहूँ । संयोगवश कहल जा सकऽ
हइ, कि चाय, ई समय में (अर्थात् जेल के शुरुआती दिन के दौरान), हमर लगभग एकमात्र भोजन
हलइ । अकीम अकीमिच चाय से इनकार नयँ करइ, आउ खुद्दे हमर हास्यास्पद, घर के बन्नल, टिन
के छोटकुन्ना समोवार के गरम करे लगी रक्खइ, जे हमरा अकीम अकीमिच उधार देलके हल, आउ
साधारणतः एक गिलास पिअइ (ओकरा पास कइएक गिलासो हलइ), चुपचाप आउ निफिकरी (एकदम अराम)
से पिअइ, आउ एकरा वापिस करते हमरा धन्यवाद देइ आउ तुरतम्मे हमर रजाई बनावे में लग जाय
। लेकिन जे कुछ हमरा जाने के हलइ, ऊ हमरा नयँ बता पावइ आउ ओकरा समझहूँ में नयँ आवइ,
कि हमन्हीं बीच चारो तरफ के आउ सबसे नगीच के कैदी लोग के चरित्र में हम विशेष करके काहे लगी रुचि ले हिअइ, आउ हमर
बात के एक तरह के धूर्त मुसकान के साथ सुन्नइ, जे हमरा अभी तक निम्मन से आद हइ ।
"नयँ, स्पष्टतः, खुद्दे अनुभव से मालूम करे के चाही, नयँ कि दोसरा से पूछताछ करके",
हम सोचलिअइ । चौठा दिन, ओइसीं जइसे कि ऊ बखत, जब हमरा फेर से बेड़ी तैयार कइल जाय लगी
जाय पड़ऽ हलइ, मुँहझप्पे (बहुत सुबहे) कैदी लोग के दू कतार में खड़ी कइल गेलइ, कोर-द-गार्द (गार्ड हाउस, रक्षक निवास) के सामने
मैदान में, जेल के गेट के पास । ओकन्हीं के आगू आउ पीछू - लोड कइल राइफल आउ कसके लगावल
संगीन (bayonets) के साथ सैनिक लोग तैनात हलइ । सैनिक के कैदी के शूट कर देवे के अधिकार
होवऽ हइ, अगर ऊ ओकरा भिर से भागे के प्रयास करऽ हइ; लेकिन साथे-साथ ओकरा अपन फायरिंग
के जवाब देवे पड़ऽ हइ, अगर ऊ बिलकुल अत्यंत आवश्यकता के परिस्थिति में अइसन नयँ कइलकइ;
एहे नियम लागू होवऽ हइ - कैदी लोग के खुल्लल विद्रोह के परिस्थिति में । लेकिन साफ
तौर पे केऽ भागे के सोचतइ ? इंजीनियर अफसर, गार्ड, आउ इंजीनियर अवर-अधिकारी लोग आउ
सैनिक सब अइते गेलइ, जेकन्हीं के (कैदी लोग से) काम करवावे के जिमेवारी रहऽ हइ । हाजिरी
लेल गेलइ; कैदी लोग के एक दल के, जेकरा दर्जी के काम करे के हलइ, सबसे पहिले पठावल
गेलइ; इंजीनियर अधिकारी वर्ग के ओकन्हीं से कोय संबंध नयँ हलइ; ओकन्हीं खाली जेल में
काम करऽ हलइ आउ जेल के सब कपड़ा सीयऽ हलइ। तब
वर्कशॉप के काम लगी भेजल गेलइ, आउ तब साधारण बेहुनर काम (unskilled work) लगी । दोसर
कैदी सब के बीस अदमी के दल में हमरो भेजल गेलइ । किला के पीछू में, जमके बरफ होल नद्दी
पर दूगो सरकारी बजरा (नौका, barges) हलइ, जे कोय काम के नयँ रह गेला से ओकरा तोड़-ताड़
डाले के हलइ, ताकि कम से कम पुरनका लकड़ी बेकार नयँ जाय । लेकिन, ई समुच्चा पुरनका माल,
लगऽ हइ, बहुत कम कीमत के हलइ, लगभग नगण्य । शहर में लकड़ी नगण्य कीमत पर बेचल जा हलइ,
आउ चारो तरफ जंगले जंगल हलइ । हमन्हीं के लगभग खाली ई लगी भेजल गेलइ, कि कैदी लोग हाथ
पर हाथ धरके बइठल नयँ रहइ, आउ ई बात खुद्दे कैदी लोग समझऽ हलइ । अइसन काम ओकन्हीं हमेशे
बिन कोय उत्साह के आउ उदासीन भाव से करऽ हलइ, आउ लगभग दोसरे बात रहऽ हलइ, जब काम अपने
आप में महत्त्वपूर्ण, कीमती होवऽ हलइ, आउ विशेष करके जब कोय निर्धारित लक्ष्य वला काम
खुद लगी माँगल जा सकऽ हलइ । एकरा में तो ओकन्हीं मानूँ उत्साहित हो जा हलइ आउ हलाँकि
एकरा से ओकन्हीं के बिलकुल कुछ मिल्ले वला नयँ हलइ, लेकिन हम खुद देखऽ हलिअइ, कि पूरा
जोर लगाके काम करते जा हलइ, ताकि जल्दी से जल्दी आउ बेहतर ढंग से ऊ खतम हो जाय; हियाँ
ओकन्हीं के स्वाभिमान कइसूँ रुचि उत्पन्न कर दे हलइ । लेकिन आझ के काम में, जे आवश्यकता
से कहीं अधिक औपचारिकता से करावल जाब करऽ हलइ, कोय निर्धारित लक्ष्य वला काम खुद लगी
माँगना मोसकिल हलइ, आउ काम करते रहे के हलइ, ढोल बज्जे तक, जे सुबह के एगारह बजे घर
लौटे के बोलावा होवऽ हलइ । दिन गरम आउ कुहरायुक्त हलइ; बरफ लगभग पिघले वला हलइ । हमन्हीं
के पूरा दल किला के पिछुआनी में नद्दी के किनारे पहुँचे लगी रवाना होलइ, बेड़ी हलका-हलका
झनझनइते, जे हलाँकि कपड़ा के अंदर छिप्पल हलइ, लेकिन तइयो हरेक कदम के साथ पतरा आउ सुस्पष्ट
(sharp) धात्विक ध्वनि उत्पन्न कर रहले हल । दू-तीन अदमी जरूरी औजार लावे खातिर डिपो
(भंडारघर) चल गेते गेलइ । हम सबके साथ-साथ गेलिअइ आउ हमरा में मानूँ स्फूर्ति आ गेलइ
- हमरा जल्दी से जल्दी देखे के आउ जाने के मन कइलकइ, कि ई कइसन काम हकइ ? ई कइसन कठोर
श्रम वला काम हइ ? आउ हम अपन जिनगी में पहिले तुरी कइसे काम करबइ ?
हमरा
छोटगर से छोटगर ब्योरा (विवरण) आद आवऽ हइ । रस्ता में हमन्हीं के एक प्रकार के एगो
दढ़ियल मध्यवर्गीय व्यक्ति से भेंट होलइ, जे रुक गेलइ आउ अपन हाथ जेभी में घुसइलकइ ।
हमन्हीं के दल से तुरते एगो कैदी अलगे होलइ, अपन हैट उतार लेलकइ, उपहार लेलकइ - पाँच
कोपेक - आउ तेजी से वापिस दल में आ गेलइ । ऊ व्यक्ति क्रॉस कइलकइ आउ अपन रस्ता पर आगू
बढ़ गेलइ । ई पाँच कोपेक ओहे सुबह कलाच खाय में खरच कइल गेलइ, पार्टी के सब लोग में
बराबर-बराबर हिस्सा में बाँटके ।
कैदी
के ई पूरे दल में से कुछ लोग, हमेशे नियन, उदास आउ अल्पभाषी हलइ, दोसर कुछ लोग भावशून्य
आउ निरुत्साह हलइ, जबकि तेसर लोग आपस में अराम से गपशप कर रहले हल । एगो तो कोय कारणवश
भयंकर रूप से खुशी आउ जोश में हलइ, रस्तावा में गावऽ हलइ आउ नच्चऽ हलइ, हरेक छलाँग
पर अपन बेड़ी के झनकइते । ई ओहे नटगर आउ मोटगर कैदी हलइ, जे जेल में हमर पहिलौका सुबह
में एगो दोसरा कैदी के साथ पानी के मामले में झगड़ा कइलके हल, कपड़ा धोवे के बखत, ई बात पर, कि दोसरा कैदी बिन सोचले-समझले अपना बारे
घोषित करे के दुस्साहस कइलके हल, कि ऊ शार्दूल पक्षी हइ [4] । ई खुशमिजाज लौंडा के
नाम हलइ स्कुरातोव । आखिरकार, ऊ एक प्रकार के जोशीला गीत गावे लगलइ, जेकरा में से हमरा
टेक (गीत के स्थायी पद) आद पड़ऽ हइ -
हमरा
बेगर हमर शादी कर देल गेलइ ।
हम
तो तखने मिल (mill) भिर हलिअइ ॥
खाली
एगो बलालाइका [5] के कमी हलइ ।
ओकर
असाधारण खुशमिजाज मनोभाव, जाहिर हइ, तुरते हमन्हीं के पार्टी के कुछ लोग में क्रोध
भड़का देलकइ, एकरा लगभग अपमान के रूप में समझल गेलइ ।
"चिल्लाय
लगलइ !" - तिरस्कारपूर्वक एगो कैदी बोललइ, लेकिन जेकरा ई मामला से कुछ लेना-देना
नयँ हलइ।
"भेड़िया
के एक्के गीत हलइ, आउ ओकरो नकल कर लेलकइ, तुल्याक (तुला शहर/प्रांत वासी) !" उदास
लोग में से एगो दोसरा कैदी यूक्रेन लहजा (accent) में टिप्पणी कइलकइ ।
"हम
तो, मान ले हिअइ, तुल्याक हिअइ", तुरतम्मे स्कुरातोव एतराज कइलकइ, "लेकिन
तोहन्हीं तो अपन पोलतावा प्रांत में पिष्टान्न (आटा के बन्नल पकवान) से दम घोंट लेते
जाहीं ।"
"झूठा
कहीं के ! खुद्दे कउची खा हलहीं ! छाल के जुत्ता
से बंदागोबी के शोरबा निंगलऽ हलहीं ।"
"आउ
अभी तो लगऽ हइ मानूँ शैतान ओकरा तोप के गोला से पेट भरऽ हइ", तेसरा कैदी आगू बोललइ
।
"हम
तो वास्तव में, भाय लोग, एगो कोमल स्वभाव के अदमी हिअइ", स्कुरातोव हलका उच्छ्वास
के साथ जवाब देलकइ, मानूँ अपन नाजुकपन पर खेद प्रकट करते आउ सामान्य रूप से सबके संबोधित
करते, न कि कोय केकरो विशेष रूप से, "बचपने से सुक्खल आलूबुखारा आउ फैंसी पावरोटी
पर इस्पितन (जाँचल) हिअइ [मतलब वस्पितन (पालित-पोषित) हिअइ । स्कुरातोव जानबूझके शब्द
के विकृत कर दे हलइ, जइसे कि "वस्पितन" के स्थान पर "इस्पितन"
बोल देलकइ], हमर सगा भाय सब के अभियो मास्को में अपन दोकान हइ, जइसन हावा चल्लऽ हइ
ओइसने मोताबिक धंधा करऽ हइ, बहुत धनगर व्यापारी हइ ।"
"आउ
तूँ कउची के धंधा करऽ हलहीं ?"
"कइएक
तरह के हमहूँ धंधा करऽ हलिअइ । अइकी तखनिए तो, भाय लोग, हमरा पहिला दू सो मिललइ
..."
"वास्तव
में रूबल !" एगो उत्सुक (कैदी) बीच में बोल उठलइ, एतना पइसा के बारे सुनके आश्चर्यचकित
भी होके।
"नयँ,
प्यारे भाय, रूबल नयँ, बल्कि फटका (बेंत के मार) । लूका, आउ लूका !"
"केकरो
लगी लूका, लेकिन तोरा लगी लूका कुज़मिच", एगो नोकदार नाक वला नटगर आउ पतरगर कैदी
अनिच्छा से जवाब देलकइ ।
"अच्छऽ,
लूका कुज़मिच, तोरा शैतान पकड़उ, अइसीं सही ।"
"केकरो
लगी लूका कुज़मिच, आउ तोरा लगी चाचा ।"
"अच्छऽ,
तोरा शैतान पकड़उ आउ चचा, तूँ तो बातो करे लायक नयँ ! आउ एगो निम्मन बात कहे लगी चाहऽ
हलिअउ । अच्छऽ, त भाय लोग, अइसन होलइ, कि हम मास्को में जादे समय तक पइसा नयँ कमा पइलिअइ;
हुआँ हमरा अंतिम घड़ी पनरह फटका देल गेलइ आउ बाहर कर देल गेलइ । त अइकी हम
..."
"लेकिन
बाहर काहे लगी भेज देल गेलउ ? ..." एगो बीच में टुभक पड़लइ, जे ध्यान से कहानी
सुन रहले हल ।
"करंतीन
(quarantine) में नयँ जो, शराब नयँ पी, बिलियर्ड नयँ खेल; ओहे से हम, भाय लोग, वास्तव
में मास्को में धनगर नयँ बन पइलिअइ । आउ हम बहुत, बहुत, बहुत धनी बन्ने लगी चाहऽ हलिअइ
। आउ हमरा एतना मन करऽ हले, कि हमरा समझ में नयँ आवऽ हके, कि कइसे एकरा अभिव्यक्त करूँ
।"
कइएक
लोग हँस पड़लइ । स्कुरातोव, स्पष्टतः, स्वैच्छिक खुशमिजाज अदमी हलइ, चाहे, बेहतर कहल
जाय, कि जोकर हलइ, जे अपन उदास साथी लोग के मानूँ खुश रक्खे के अपन फर्ज समझऽ हलइ,
आउ जाहिर हइ, एकर बदले ओकरा गारी के अलावे आउ कुछ नयँ मिल्लऽ हलइ । ऊ अइसन खास आउ अद्भुत
ढंग के व्यक्ति हलइ, जेकरा बारे हमरा शायद आउ आगू चर्चा करे पड़इ ।
"हूँ,
अभी तो सेब्ल (sable) के जगह पर तोरे शिकार करे खोजऽ हउ", लुका कुज़मिच टिप्पणी
कइलकइ । "अरे, तोर एक्के गो पोशाक तो सो रूबल के होतउ ।"
स्कुरातोव
के देह पर बहुत पुराना, बहुत फट्टल-चिट्टल भेड़ के खाल के कोट हलइ, जेकरा पर चारो बगली
पेउँद लगल साफ-साफ देखाय दे रहले हल । ऊ काफी भावशून्य ढंग से, लेकिन ध्यानपूर्वक ओकरा
(लूका के) उपरे से निच्चे तक निहारे लगलइ ।
"लेकिन
सिर कीमती होवऽ हइ, भाय लोग, सिर !" ऊ जवाब देलकइ । "जब हम मास्को से विदा
होलिअइ, त ई बात के तसल्ली हलइ, कि सिर हमर साथे जात । अलविदा, मास्को, धन्यवाद स्नानघर
लगी, मुक्त हावा लगी, (पीठ पर फटका के कारण) निम्मन बाम उखाड़ देल गेलइ ! आउ तोरा तो
भाय, हमर भेड़ के खाल के कोट तरफ देखे जइसन कुछ नयँ हको ..."
"त
शायद तोर सिर तरफ देखल जाय ?"
"लेकिन
सिर भी तो ओक्कर खुद के नयँ हइ, बल्कि उपहार में देल हइ", लूका फेर से बीच में
दखल देलकइ । "ओकरा तो त्यूमेन में ईसा मसीह के नाम पर मिललइ, जब ऊ पार्टी के साथ
रवाना होलइ ।"
"अच्छऽ,
स्कुरातोव, वास्तव में तोर कोय धंधा हलउ ?"
"कइसन
धंधा ! गाइड हलइ, आन्हर भिखारी सब के रस्ता देखावऽ हलइ, आउ ओकन्हीं के कटोरा में से
भीख में मिल्लल तामा के पइसा चोरा ले हलइ", नाक-भौं सिकोड़ल लोग में से एक कैदी
टिप्पणी कइलकइ, "एहे ओकर धंधा हलइ ।"
"हम
वास्तव में बूट सीए के काम अजमावऽ हलिअइ", अइसन कटु टिप्पणी पर बिन कोय ध्यान
देले स्कुरातोव जवाब देलकइ । "खाली एक्के जोड़ा सी पावऽ हलिअइ ।"
"त
की, कोय खरीदवो करऽ हलउ ?"
"हाँ,
अइसन एक अदमी तो अइलइ, जे स्पष्टतः भगमान से नयँ डरऽ हलइ, माय-बाप के आदर नयँ करऽ हलइ;
भगमान ओकरा दंड देलकइ - त ऊ खरीद लेलकइ ।"
स्कुरातोव
के चारो बगली के सब लोग ठठाके हँस पड़लइ ।
"आउ
तब फेर से हियों काम करे लगलिअइ", असीम शून्यभाव से स्कुरातोव बात जारी रखलकइ,
"लेफ़्टेनेंट स्तेपान फ़्योदोरिच पोमोर्त्सेव के बूट के उपरौला हिस्सा (uppers)
नावा चढ़ाके देलिअइ ।"
"त
की ऊ संतुष्ट होलथुन हल ?"
"नयँ,
भाय लोग, असंतुष्ट हला । हमरा अइसन डाँट बजइलका कि हमरा हजारो साल तक आद रहतइ, आउ टेहुना
भिर हमरा पीछू से लतियाके पिटवो कइलका । हमरा पर बहुत गोसइला । ओह, हमरा तो जिनगी धोखा
देलक, कठोर सश्रम के दंड हमरा धोखा देलक !
ओकर
थोड़हीं देर तो बाद में,
अक्-कुलिना
के मरद अँगना में ..."
अचानक
ऊ फेर से मस्ती में आके गावे लगलइ आउ उछल-उछल गोड़ पटकक-पटकके ताल देवे लगलइ ।
"हइ,
ई तो अजीब अदमी हइ !" हमर बगली से जा रहल एगो यूक्रेनी (Little Russian) ओकरा
तरफ तिरछा नजर से देखते द्वेषपूर्ण घृणा से बड़बड़इलइ ।
"बेकार
अदमी हइ !" दोसरा कैदी निर्णयात्मक आउ गंभीर तान (tone) में टिप्पणी कइलकइ ।
हमरा
निश्चित रूप से ई समझ में नयँ अइलइ, कि लोग स्कुरातोव पर गोस्सा काहे लगी करते जा हइ,
आउ सामान्यतः - काहे लगी ऊ सब कोय, जे खुशमिजाज होवऽ हइ, जइसन कि हम अपन जेल के जिनगी
के शुरुआती दिन में नोटिस कइलिअइ, मानूँ कोय तरह से घृणा के दृष्टि से देखल जा हइ
? यूक्रेनी आउ दोसर लोग के गोस्सा हमर समझ से व्यक्तिगत मामला लगलइ । लेकिन ई व्यक्तिगत
मामला नयँ हलइ, बल्कि ई वजह से गोस्सा हलइ, कि स्कुरातोव में आत्मसंयम नयँ हलइ, आत्मसम्मान
के कठोर कृत्रिम प्रदर्शन नयँ हलइ, जेकरा से जेल के सब्भे कैदी आडंबर के हद तक प्रभावित
हलइ - एक शब्द में, ई वजह से, कि ऊ हलइ, ओकन्हिंएँ के अभिव्यक्ति के अनुसार, एगो
"बेकार" अदमी । तइयो ओकन्हीं सब्भे खुशमिजाज लोग पर गोस्सा नयँ करते जा हलइ
आउ सबके साथ ओइसे व्यवहार नयँ करऽ हलइ, जइसे कि स्कुरातोव के साथ आउ ओकरे नियन दोसरा
लोग के साथ।
ई
निर्भर करऽ हलइ, कि केऽ खुद के केतना हद तक कइसूँ काम चला सकऽ हलइ - अदमी निम्मन स्वभाव
आउ सरलहृदय के होला पर असानी से तुरतम्मे अपमान के पात्र बन जा हलइ । ई हमरा आश्चर्यचकित
कर देलकइ । लेकिन खुशमिजाज लोग के बीच अइसनो लोग हलइ, जे झल्ला आउ गुर्रा सकऽ हलइ,
आउ झल्लाना आउ गुर्राना पसीन करऽ हलइ आउ केकरो लगी ढील नयँ दे हलइ - अइसनकन के ओकन्हीं
लचारी में आदर देवे करऽ हलइ । हिएँ, लोग के एहे दल में, एगो अइसन तेजजुबान हलइ, आउ
असल में बहुत खुशमिजाज आउ बहुत प्यारा अदमी, लेकिन जेकरा ई पहलू से हम बाद में जनलिअइ,
जे देखे में सुडौल आउ लमगर लौंडा हलइ, गाल पर बड़का गो मस्सा आउ चेहरा पर बहुत हँसमुख
भाव, लेकिन काफी सुंदर आउ समझदार । ओकरा लोग पायोनियर (अग्रदूत) कहके पुकारऽ हलइ, काहेकि
कभी ऊ पायोनियर दल में काम कइलके हल; अभिए ऊ विशेष विभाग में पहुँच गेलइ । ओकरा बारे
हमरा आउ चर्चा करे के अवसर मिलतइ ।
लेकिन
सब्भे "गंभीर स्वभाव वला" ओतना भावावेशयुक्त नयँ हलइ, जेतना खुशमिजाजी पर
गोस्सा करे वला यूक्रेनी । जेल में अइसन कुछ लोग हलइ, जे श्रेष्ठ (superior), सब क्षेत्र
के जानकार, हाजिरजवाब, चरित्रवान आउ बुद्धिमान बन्ने के लक्ष्य बनइले हलइ । ओइसनकन
में कइएक वास्तव में बुद्धिमान, चरित्रवान हलइ आउ वास्तव में ऊ चीज प्राप्त कर लेलके
हल, जेकर लक्ष्य हलइ, अर्थात् अपन साथी लोग में श्रेष्ठता आउ सार्थक (significant)
नैतिक प्रभाव । ई बुद्धिमान लोग आपस में अकसर बड़गर दुश्मन हलइ - आउ ओकन्हीं में से
हरेक के कइएगो नफरत करे वला हलइ । दोसर कैदी सब के ओकन्हीं शान से आउ कृपाशीलता से
भी देखऽ हलइ, अनावश्यक लड़ाय-झगड़ा नयँ मोल ले हलइ, प्रशासन के दृष्टि में कृपापात्र
हलइ, काम के जगह में मानूँ संचालक के काम करऽ हलइ, ओकन्हीं में से एक्को अदमी मीन-मेख
नयँ निकासऽ हलइ, मसलन, गीत खातिर (अर्थात् बिलकुल क्षुद्र बात पर); एतना छोटगर-छोटगर
बात पर खुद के नयँ गिरावऽ हलइ । जेल में हमर पूरे जिनगी के दौरान, हमरा साथ एकन्हीं
अत्यंत आदर से व्यवहार कइलकइ, लेकिन हमरा साथ बहुत बोलचाल नयँ करऽ हलइ; शायद एहो मानूँ
शानी के चलते । ओकन्हीं बारे भी कुछ विस्तार से चर्चा करे के अवसर मिलतइ।
नद्दी
के किनारे पहुँचते गेलिअइ । निच्चे नद्दी में पानी में बरफ से जम्मल एगो पुरनका बजरा
हलइ, जेकरा तोड़े के हलइ । नद्दी के ऊ तरफ स्तेप (steppe) नीला देखाय देब करऽ हलइ; एगो
उदासीन आउ वीरान दृश्य हलइ । हम इंतजार कर रहलिए हल, कि सब कोय काम में टूट पड़तइ, लेकिन
एकरा बारे लोग नयँ सोच रहले हल । कुछ लोग किनारे में एन्ने-ओन्ने पड़ल लट्ठा (लकड़ी के
कुंदा, logs) पर बइठ गेते गेलइ; लगभग सब कोय बूट से क्षेत्रीय (local ) खैनी के थैली
निकासते गेलइ, जे बजार में पत्ता के रूप में तीन कोपेक प्रति पौंड के दर से मिल्लऽ
हलइ, आउ तालिन (जौर्जिया के एगो शहर) के लकड़ी के घरेलू छोटकुन्ना पाइप (चिलम) । पाइप
जलइते गेलइ; मार्गरक्षी सैनिक लोग हमन्हीं के एक के बाद एक घेर लेलकइ आउ हमन्हीं पर
बहुत बोरियत भाव से पहरेदारी करे लगलइ ।
"आउ
ई बजरा के तोड़े के विचार केक्कर दिमाग में घुसलइ ?" एगो कैदी मानूँ अपने आप से
पुछलकइ, केकरो बिन संबोधित कइले । "की चेली (खपची) के जरूरत हलइ ?"
"जेकरा
हमन्हीं से भय नयँ हइ, ओकरे दिमाग में ई बात अइलइ", दोसरा कोय टिप्पणी कइलकइ ।
"अरे,
ई सब देहाती लोग काहाँ जामा हो रहले ह ?" थोड़े देर चुप रहला के बाद पहिलौका कैदी
पुछलकइ, जाहिर हइ, पहिलौका सवाल के जवाब पर बिन ध्यान देलहीं आउ अँगुरी से देहाती लोग
के भीड़ तरफ इशारा करते, जे कहीं तो एक के पीछू एक धारी लगइले अखंड बरफ पर से होके जा
रहले हल । सब कोय आसकत से ऊ तरफ मुड़लइ आउ कोय काम नयँ रहे से ओकन्हीं पर मजाक करे लगते
गेलइ । एक देहाती, कतार में सबसे अंतिम, कइसूँ असाधारण रूप से हास्यास्पद ढंग से जा
रहले हल, अपन दुन्नु हाथ बाहर फैलइले आउ अपन सिर एक तरफ लटकइले, जेकरा पर एगो लमगर
देहाती टोपी हलइ, शंकु के अकार के (conical) । ओकर पूरे देह के छाया स्पष्ट रूप से
उज्जर बरफ पर पड़ रहले हल ।
"देखहो,
पित्रोविच भाय, कइसन कपड़ा पेन्हले हइ !" ऊ देहाती के उच्चारण के नकल करते एक कैदी
टिप्पणी कइलकइ ।
ई
अद्भुत बात हलइ, कि कैदी लोग सामान्य रूप से देहाती (किसान) लोग के जरी घमंड से (नीच
दृष्टि से) देखऽ हलइ, हलाँकि ओकन्हीं में से आधा लोग देहाती हलइ ।
"साथी
लोग, कतार के आखिर वला तो अइसे चल रहले ह, जइसे मुरय (मूली) लगाब करऽ हइ ।
"ई
अधकपारी हइ, एकरा पास बहुत पइसा हइ", तेसरा कैदी टिप्पणी कइलकइ ।
सब
लोग हँस पड़लइ, लेकिन कइसूँ तो अलसाल ढंग से, मानूँ अनिच्छा से । एहे दौरान कलाच बेचे
वली नगीच अइलइ, जे एगो फुरतीली आउ चलाँक तरुणी हलइ । ओकरा हीं से कलाच लेल गेलइ, भेंट
में मिल्लल पाँच कोपेक से, आउ तुरते बराबर-बराबर हिस्सा में बाँट देल गेलइ ।
नौजवान
छोकरा, जे जेल में कलाच बेचऽ हलइ, बीस गो लेलकइ आउ कसके विवाद करे लगलइ, कि ओकरा कमीशन
के रूप में तीन कलाच मिल्ले के चाही, नयँ कि दू कलाच, जइसन कि साधारणतः मिल्लऽ हलइ
। लेकिन कलाच बेचे वली सहमत नयँ हो रहले हल ।
"अच्छऽ,
त ऊ काहे नयँ दे हीं ?"
"आउ
कउची ?"
"जे
चूहा नयँ खा हइ ।"
"तोर
जीभ कटके गिर जाव !" तरुणी चिल्लइलइ आउ हँस पड़लइ ।
आखिरकार
काम पर नजर रक्खे वला सर्जेंट डंडा के साथ पहुँचलइ ।
"ए,
तोहन्हीं बइठल काहे लगी हकहीं ! काम शुरू कर !"
"ई
की इवान मतवेइच, ठीक-ठीक काम तो निश्चित करके देथिन", अपन जगह से धीरे-धीरे उठते
"नेता लोग" में से एगो बोललइ ।
"तोहन्हीं
एकरा बारे पहिलहीं काहे नयँ पूछते गेलहीं ? बजरा के तोड़-ताड़के अलगे करके लाव, एहे तोहन्हीं
के काम हकउ ।"
कइसूँ
आखिर कैदी लोग उठते गेलइ आउ नद्दी दने बढ़लइ, मोसकिल से गोड़ घसीटते । भीड़ में तुरतम्मे
"संचलाक लोग" भी दृष्टिगोचर होलइ, कम से कम नाममात्र खातिर (अर्थात् ऊ लोग,
जे अपन साथी लोग के बीच खुद के मैनेजर, फ़ोरमैन, चाहे नेता समझऽ हलइ) । प्रतीत होलइ,
कि बजरा के खाली अइसीं बेकार में तोड़े के नयँ हलइ, बल्कि एकर लट्ठा (beam, log) के
सुरक्षित रक्खे के हलइ आउ खास करके आड़े-तिरछे शहतीर (crossway beams) के, जे बजरा के
अपन पूरे लंबाई तक तलहटी में लकड़ी के कील से ठोंकके कस्सल हलइ - आउ ई काम लम्मा आउ
उबाऊ (boring) हलइ ।
"सबसे
पहिले हम सब के ई शहतीर के निकासे के चाही । ई काम में लग जाल जाय, बच्चे लोग
!" एगो टिप्पणी कइलकइ, जे संचालक चाहे प्रशासक के जोश वला तो बिलकुल नयँ हलइ,
बल्कि खाली एगो अकुशल मजदूर (unskilled labour), अल्पभाषी आउ शांत छोकरा, जे अभी तक
चुप हलइ, आउ झुकके, दुन्नु हाथ से मोटका शहतीर के पकड़ लेलकइ, आउ मदत लगी इंतजार करे
लगलइ । लेकिन ओकरा कोय नयँ मदत कइलकइ ।
"हाँ,
शायद तूँ उठा लेम्हीं ! आउ तूँ नयँ उठा पइम्हीं, तब तोर बाबा, भालू, अइतउ - ओहो नयँ
उठा पइतउ !" कोय तो अपन दाँत के बीच से बोललइ ।
"तब
की कइल जाय, भाय लोग, शुरू कइसे कइल जाय ? हमरा तो मालूम नयँ ...", हैरान होल
नयका नबाब (अर्थात् उत्साही युवक) बोललइ, शहतीर के छोड़के आउ खड़ी होके ।
"थक
गेलो पर पूरा काम नयँ कर पइम्हीं ... उछलके काहे लगी लग पड़लहीं ?"
"तीन
मुर्गी के दाना चुगावे में भी ई गिनती करे में चूक करतइ, लेकिन हियाँ परी पहिला (रहे
लगी चाहऽ हइ) ... तिलोर (little bustard) !"
"लेकिन
हमर कहे के तो मतलब, भाय लोग, कुछ नयँ", हैरान होल ऊ छोकरा बोललइ, "हम तो
खाली अइसीं ..."
"हमरा
तोहन्हीं के उपरे चद्दर रक्खे के चाही की ? की ठंढी में तोहन्हीं के अँचार बनावे के
चाही ?" किंकर्तव्यविमूढ़ होल फेर से सर्जेंट चिल्लइलइ, अइसन बीस लोग के भीड़ देखके,
जेकरा समझ में नयँ आ रहले हल, कि काम कइसे शुरू कइल जाय । "शुरू करते जो ! जल्दी
से जल्दी !"
"जेतना
तेजी से कइल जा सकऽ हइ, ओकरा अपेक्षा आउ तेजी से नयँ कइल जा सकऽ हइ, इवान मतवेइच ।"
"लेकिन
तूँ तो कुछ नयँ करब करऽ हीं, ए ! सावेल्येव ! ए गप्पी पित्रोविच ! तोरा कह रहलियो ह
- हुआँ खड़ी काहे लगी हकहीं, आँख बेचब करऽ हीं ! ... काम में लग !"
"लेकिन
हम अकेल्ले की करबइ ? ..."
"ठीक-ठीक
निश्चित काम देथिन, इवान मतवेइच ।"
"बता
देवल गेलो ह - कोय ठीक-ठीक निश्चित (अर्थात् दिन भर खातिर हरेक के अलग-अलग निर्धारित)
काम नयँ देल जइतउ । बजरा के तोड़ आउ घर जो । काम शुरू कर !"
आखिरकार
काम में लग गेते गेलइ, लेकिन बिन कोय उत्साह के, अनिच्छा से, अनाड़ीपन से । हट्ठा-कट्ठा
कार्मिक लोग के ई तंदुरुस्त भीड़ देखहूँ में खेदजनक लगऽ हलइ, जे, लगऽ हइ, बिलकुल किंकर्तव्यविमूढ़
हलइ, कि काम कइसे शुरू कइल जाय । जइसीं पहिलौका, सबसे छोटका शहतीर के निकासे के कोशिश
कइलकइ - लगलइ, कि ई टूट जइतइ, "खुद्दे टूट रहले ह", अइसन बहाना के रिपोर्ट
सर्जेंट के दे देल गेलइ; मतलब, कि काम ओइसे नयँ कइल जा सकऽ हलइ, आउ कोय दोसरा तरह से
काम चालू करे के जरूरत हलइ । लमगर विवाद कैदी लोग के बीच चललइ, कि दोसरा तरह से कइसे
काम शुरू कइल जाय, की कइल जाय ? जाहिर हइ, धीरे-धीरे बात गारी-गल्लम तक पहुँच गेलइ,
काम आगू बढ़ावे के धमकी तक मिललइ ... सर्जेंट फेर से चिल्लइलइ आउ डंडा भांजे लगलइ, लेकिन
शहतीर फेर से टूट गेलइ । आखिरकार प्रतीत होलइ, कि कुल्हाड़ी कमती हइ, आउ, आउ कोय तरह
के औजार लावे के जरूरत हइ । तुरतम्मे दू लड़कन के रक्षाकर्मी के देखरेख के अंतर्गत औजार
लावे खातिर किला में भेजल गेलइ, आउ बाकी लोग अराम से बजरा पर बइठ गेते गेलइ, अपन-अपन
पाइप निकासते गेलइ आउ फेर से धूम्रपान करे लगलइ ।
सर्जेंट
आखिरकार (नफरत से) थूक देलकइ ।
"हूँ,
तोहन्हीं से काम रोना चालू नयँ करतउ ! (अर्थात् काम से तोहन्हीं मर नयँ जइमँऽ !) ओह,
लोग, लोग !" ऊ गोस्सा से बड़बड़इलइ, हाथ हिलइलकइ आउ डंडा भांजते किला तरफ चल पड़लइ
।
एक
घंटा के बाद सुपरिन्टेंडेंट (फ़ोरमैन) अइलइ । कैदी लोग के बात शांति से सुनके, ऊ घोषणा
कइलकइ, कि ऊ निर्धारित काम दे रहले ह - आउ चार शहतीर निकासे के, लेकिन अइसे, कि ऊ टुट्टे
नयँ, बल्कि पूरा-पूरा निकस जाय, आउ एकरा अलावे, बजरा के एगो बड़गर अंश के विभाजित करके
तोड़े लगी कहलकइ, आउ तब ओकन्हीं के घर जाय के अनुमति होतइ । काम बड़गर हलइ, लेकिन, हे
भगमान, कइसन काम के धुन में लग गेते गेलइ ! काहाँ गेलइ आलस, काहाँ गेलइ किंकर्तव्यविमूढ़ता
! कुल्हाड़ी चलावे लगते गेलइ, लकड़ी के किल्ला (कील) घुमाके निकासे लगते गेलइ । बाकी
लोग मोटगर कइएक खंभा बजरा के निच्चे घुसा देते गेलइ, आउ ओकरा पर बीस हाथ के दबाव देके,
असानी से आउ दक्षतापूर्वक शहतीर के निकास लेते गेलइ, आउ हम अचंभित हो गेलिअइ कि जे
अब बिलकुल समुच्चा आउ सुरक्षित निकस गेलइ । ई मामला गरम हो गेलइ । सब लोग अचानक कइसूँ
अत्यधिक बुद्धिमान बन गेलइ । बिन कोय फालतू शब्द के, बिन कोय गाली-गल्लम आउ डाँट-फटकार
के, हरेक कोय जानऽ हलइ, कि कीऽ कहे के चाही, कीऽ करे के चाही, काहाँ खड़ी होवे के चाही,
कीऽ सलाह देवे के चाही । ढोल बज्जे के ठीक आध घंटा पहिले निर्धारित काम खतम हो गेलइ,
आउ कैदी लोग घर चल गेते गेलइ, थक्कल-माँदल, लेकिन बिलकुल संतुष्ट होके, हलाँकि निर्दिष्ट
समय के विरुद्ध कुल्लम आधा घंटा बचा पइलके हल । लेकिन जाहाँ तक हम्मर संबंध हलइ, हम
एक विशेष बात नोटिस कइलिअइ - काम के दौरान हम मदत करे लगी जाहाँ कहूँ जइअइ, सगरो हम
ओकन्हीं लगी उपयुक्त नयँ हलिअइ, सगरो हमरा चलते मानूँ बाधा होवऽ हलइ, सगरो हमरा लगभग
डाँटके सीधे भगा देते जा हलइ ।
एक
तरह से सबसे नीच, गुदड़िया, जे खुद तो सबसे खराब कार्मिक (workman) हलइ आउ दोसर कैदी
लोग के सामने, जे ओकरा से कहीं जादे बुद्धिमान आउ दक्ष हलइ, अपन मुँह खोले के साहस
नयँ करऽ हलइ, आउ ऊ अपन अधिकार समझऽ हलइ - हमरा पर चिल्लाय के, आउ हमरा भगा देवे के,
जब हम ओकर बगली में खड़ी होवऽ हलिअइ, ई बहाने कि हम ओकर काम में बाधा डालऽ हिअइ । आखिरकार,
एगो तेज कैदी सीधे आउ रूखाई से हमरा कहलकइ - "काहाँ सरकल आवऽ हीं, सीधे चल जो
! जाहाँ तोर जरूरत नयँ हकउ, हुआँ अपन नाक घुसेड़ऽ हीं !"
"तूँ
तो फंदा में फँस गेलँऽ", तुरतम्मे दोसरा कोय बात आगू बढ़इलकइ ।
"बेहतर
होतउ कि तूँ एगो कटोरा ले ले", तेसरा हमरा कहलकइ, "आउ जाके भीख माँगके पत्थल
के घर बनाव आउ तमाकू-खैनी पर अपन जिनगी बरबाद कर, लेकिन हियाँ परी तो तोरा करे लगी
कुछ नयँ हउ ।"
तब
हमरा अलगे खड़ी रहे पड़लइ, लेकिन अलगे खड़ी रहना, जबकि सब कोय काम करब करऽ हइ, कइसूँ तो
शरम के बात हइ । लेकिन जब वास्तव में अइसन होलइ, कि हम दूर हट गेलिअइ आउ बजरा के अंतिम
छोर पर खड़ी हो गेलिअइ, त तुरतम्मे चिल्लाय लगते गेलइ –
"अइकी
कइसन-कइसन कार्मिक (हमन्हीं के मदत करे लगी) देल गेले ह; अइसनकन से की काम करावल जा
सकऽ हइ ? कुच्छो नयँ !"
ई
सब कुछ, जाहिर हइ, जानबूझके कइल जा रहले हल, काहेकि एकरा से सबके मनोरंजन होवऽ हलइ
। कुलीन घराना के कोय रहे तो ओकरा पर प्रहार करे के हलइ, आउ वस्तुतः ओकन्हीं के अइसन
मौका मिल्ले पर खुशी होवऽ हलइ ।
अब
ई बिलकुल स्पष्ट हइ, कि काहे, जइसन कि हम पहिले उल्लेख कर चुकलिए ह, जेल में प्रवेश
कइला पर हमर पहिला सवाल हलइ - हमरा कइसे व्यवहार करे के चाही, ई लोग के सामने खुद के
कइसे प्रस्तुत करे के चाही ? हमरा आभास हो रहले हल, कि अकसर हमरा ओकन्हीं साथ अइसने
संघर्ष करे पड़तइ, जइसन कि अभी काम के दौरान । लेकिन कइसनो संघर्ष रहला के बावजूद, हम
अपन क्रियाकलाप में कोय बदलाव नयँ करे के निर्णय कर लेलिअइ, जे आंशिक रूप से हम ई समय
में हम सोचलिए हल; हम जानऽ हलिअइ, कि ई निर्णय सही हइ । वस्तुतः हम निर्णय कइलिअइ,
कि यथासंभव सहज रूप में आउ स्वतंत्र ढंग से व्यवहार करे के चाही, ओकन्हीं के साथ नगीची
संबंध बनावे खातिर कोय विशेष प्रयास करे के जरूरत नयँ; लेकिन ओकन्हीं के ठुकरावल नयँ
जाय, अगर ओकन्हीं खुद्दे घनिष्ठ संबंध बनावे लगी चाहइ । ओकन्हीं के धमकी आउ नफरत से
बिलकुल नयँ डरे के चाही, आउ यथासंभव, अइसन देखावे के, कि हम कुछ नयँ ध्यान दे हिअइ
। कुछ जानल बिन्दु के मामले में ओकन्हीं के पास जाय के नयँ, आउ ओकन्हीं के कुछ आदत
आउ रिवाज के मामले में अपना तरफ से कोय ढिलाई नयँ देवे के, एक शब्द में - ओकन्हीं के
साथ पूरा दोस्ती खातिर खुद के थोपे के नयँ । हम पहिलहीं नजर से अंदाज लगा लेलिए हल,
कि एकरा लगी ओकन्हीं हमरा से नफरत करे में सबसे आगू होतइ । लेकिन, ओकन्हीं के विचार
से (आउ बाद में जाके एकरा बारे पक्का तरह से हमरा मालूम पड़लइ), हमरा तइयो ओकन्हीं के
सामने अपन कुलीन घराना में जलमौती के आत्मगौरव बनइले रक्खे आउ सम्मान देवे के चाही,
मतलब खुशी मनाना, अकड़ देखाना, ओकन्हीं के देखके नाक-भौं सिकोड़ना, हरेक कदम पर झुंझलाना,
कठिन शारीरिक परिश्रम से दूर रहना। कुलीन होवे के एहे मतलब ओकन्हीं समझऽ हलइ । ओकन्हीं,
जाहिर हइ, हमरा एकरा लगी गरिअइवो करते हल, लेकिन तइयो मने-मन हमरा सम्मान भी देते हल
। अइसन भूमिका तो हमर स्वभाव में नयँ हलइ; ओकन्हीं के विचार के अनुसार तो हम कभी कुलीन
व्यक्ति के तरह आचरण नयँ कइलिअइ; लेकिन हम तो कसम खा लेलिअइ, कि कइसनो हालत में ओकन्हीं
के सामने हम न तो अपन शिक्षा के, आउ न तो अपन सोचे के तरीका के बलिदान देबइ । अगर हम
ओकन्हीं के खुश करे लगतिए हल, ओकन्हीं के कृपापात्र बने के प्रयास करतिए हल, ओकन्हीं
के बात में सहमति प्रकट करतिए हल, ओकन्हीं से परिचित होतिए हल, ओकन्हीं के विभिन्न
"गुण" के अपनइतिए हल, ताकि ओकन्हीं के सहानुभूति जीत सकिअइ - त ओकन्हीं तुरतम्मे
समझ लेते हल, कि हम ई सब डर के मारे आउ कायरता के चलते करऽ हिअइ, आउ हमरा साथ घृणापूर्वक
व्यवहार करते जइते हल । आ-व (कोय उचित) उदाहरण नयँ हलइ - ऊ मेजर के पास अइते-जइते रहऽ
हलइ, आउ ओकन्हीं (कैदी लोग) खुद्दे ओकरा से डरऽ हलइ । आउ दोसर बात ई, कि हमरो मन नयँ
करऽ हलइ कि हम ओकन्हीं के सामने खुद के भावशून्य आउ अगम्य नम्रता में बन कर लिअइ, जइसन
कि पोलिस्तानी लोग करऽ हलइ । हम अभी बहुत अच्छा से देखऽ हलिअइ, कि ओकन्हीं हमरा से
ई बात लगी घृणा करऽ हइ, कि हम ओकन्हिंएँ नियन काम करे लगी चाहऽ हलिअइ, मौज-मस्ती नयँ
करऽ हलिअइ आउ ओकन्हीं के सामने नाक-भौं नयँ सिकोड़ऽ हलिअइ; आउ हलाँकि पक्का जानऽ हलिअइ,
कि बाद में ओकन्हीं के हमरा बारे अपन विचार (राय) के बदले पड़तइ, लेकिन तइयो ई विचार,
कि अभी ओकन्हीं के मानूँ हमरा से घृणा करे के अधिकार हइ, ई सोचके, कि हम काम में ओकन्हीं
के कृपापात्र बन्ने के प्रयास कर रहलिए हल - ई विचार भयंकर रूप से हमरा कष्ट दे हलइ
।
जब
साँझ के, दुपहर के भोजन के बाद के काम खतम हो गेला पर, हम जेल वापिस अइलूँ, थक्कल-माँदल
आउ चूर-चूर होल, त भयंकर उदासी हमरा पर हावी हो गेल । "केतना हजार आउ अइसन दिन
हमरा आगू हके", हम सोचलूँ, "सब्भे अइसने, सब्भे बिलकुल एक्के आउ ओहे
!" चुपचाप, जब गोधूलिवेला पहुँच चुकले हल, बैरक के पीछू में एन्ने-ओन्ने घूम रहलिए
हल, छरदेवाली के किनारे-किनारे, त अचानक हमरा शारिक पर नजर पड़लइ, जे हमरा दने दौड़ल
आ रहले हल । शारिक हमन्हीं के जेल के कुत्ता हलइ, जइसन कि (थलसेना के) कंपनी, (तोपसेना
के) बैटरी आउ (अश्वसेना के) गुल्म (स्क्वॉड्रन) में होवऽ हइ । ऊ अज्ञात समय से जेले
में रह रहले हल, जे कोय विशेष अदमी के नयँ हलइ, जे सब्भे के अपन मालिक समझऽ हलइ आउ
भनसाघर के जुट्ठा-कुट्ठा खाके जीयऽ हलइ । ई एगो काफी बड़गर कुत्ता हलइ, करिया, उज्जर-उज्जर
धब्बा सहित, दोनस्ला (दोगला, संकरजातीय, mongrel), जादे बूढ़ा नयँ, बुद्धिमान आँख वला
आउ गुच्छेदार पूँछ वला । कोय ओकरा कभियो सहलावऽ नयँ हलइ, कोय ओकरा पर कुछ ध्यान नयँ
दे हलइ । पहिलहीं दिन से हम ओकरा सहलइलिअइ आउ अपन हाथ से ओकरा रोटी देलिअइ । जब हम
ओकरा सहलावऽ हलिअइ, त ऊ शांत रहऽ हलइ, प्यार से हमरा तरफ देखऽ हलइ आउ खुशी के संकेत
के रूप में शांति से पुच्छी हिलावऽ हलइ । अभी, लम्मा समय तक हमरा नयँ देखके - हमरा,
जे पहिले तुरी कइएक साल के बाद ओकरा पुचकरलके हल - ऊ दौड़ते-दौड़ते सबके बीच हमरा खोजब
करऽ हलइ, आउ बैरक के पीछू मुँहें हमरा पाके, भूँकते हमरा से मिल्ले लगी टूट पड़लइ ।
हमरा मालूम नयँ, हमरा की होलइ, लेकिन हम ओकरा चुम्मे लगी लपकके गेलिअइ, हम ओकर सिर
के आलिंगन कर लेलिअइ; ऊ अगला पंजा के उछलाके हमर कन्हा पर रख लेलकइ आउ हमर चेहरा चट्टे
लगलइ । "त ई हइ दोस्त, जेकरा हमरा पास किस्मत भेजलके ह !" हम सोचलिअइ, आउ
हरेक तुरी, जब बाद में, ई पहिलौका कष्टदायक आउ उदासी भरल समय में, हम काम से वापिस
आवऽ हलिअइ, त सबसे पहिले, कहूँ परी नयँ जाके, हम लपकके बैरक के पीछू चल जा हलिअइ, जाहाँ
उछलते आउ खुशी से भूँकते हमरा सामने आवल शारिक के सिर के पकड़के चूमते रहऽ हलिअइ, चूमते
रहऽ हलिअइ, आउ एक तरह के मिठगर आउ साथे-साथ कष्टदायक कटु भावना हमर हृदय के सालऽ हलइ
। आउ हमरा आद पड़ऽ हइ, हमरा सोचके खुशी भी होवऽ हलइ, मानूँ अपन कष्ट के सामने आत्मगौरव
के अनुभव करऽ हलिअइ, कि अइकी पूरे संसार में खाली हमरा लगी ई जीव बच्चल हइ, जे हमरा
प्यार करऽ हइ, हमरा में अनुरक्त (devoted) हइ, हमर दोस्त हइ, हमर एकमात्र मित्र हइ
- हमर निष्ठावान कुत्ता शारिक ।