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Saturday, December 05, 2015

रूसी उपन्यास "कालापानी" - भाग-1 ; अध्याय-4: प्रथम राय (3)



कालापानी
(साइबेरिया में जेल के जिनगी)

भाग-1; अध्याय-4: प्रथम राय (3)

अंतिम हाजिरी लेल गेलइ । ई हाजिरी के बाद बैरक सब में ताला लग गेलइ, हरेक बैरक में खास ताला, आउ कैदी लोग सुबह होवे तक बन हो गेलइ ।

हाजिरी लेल गेलइ सर्जेंट आउ दू गो सैनिक द्वारा । एकरा लगी कैदी सब के कभी-कभी प्रांगण में कतार में खड़ी कर देल जा हलइ, आउ ड्यूटी पर के अफसर आवऽ हलइ । लेकिन जादेतर ई सब औपचारिकता घरेलू तरीका से होवऽ हलइ - बैरक के अनुसार हाजिरी लेल जा हलइ । ओइसीं अभियो हलइ । हाजिरी लेवे वला से अकसर गलती हो जाय, गिनती में गलती हो जाय, चल जाय आउ फेर से वापिस आ जाय । आखिरकार बेचारा ड्यूटी वला लोग वांछित संख्या तक गिन लेइ आउ बैरक में ताला लगा देइ । ओकरा में तीस कैदी तक रक्खल जा हलइ, पटरा के बिछौना पर पूरा खचाखच भरल । सुत्ते लगी अभियो जरी जल्दी हलइ । जाहिर हइ, हरेक के कुछ न कुछ काम में व्यस्त होवे पड़ऽ हलइ ।

प्राधिकारी (authority) के तरफ से बैरक में खाली एक्के गो अपंग पूर्वसैनिक रहऽ हलइ, जेकरा बारे पहिलहीं उल्लेख कइलिए ह । हरेक बैरक में भी कैदी लोग के बीच, मेजर द्वारा नियुक्त एगो वृद्ध (बुजुर्ग) रहऽ हलइ, जाहिर हइ, बेहतर व्यवहार खातिर । अकसर अइसन होवऽ हलइ, कि ई वृद्ध कैदी सब भी खुद गंभीर हरक्कत करते पकड़ा जा हलइ; तब ओकन्हीं के कोड़ा लगावल जा हलइ, तुरतम्मे पदच्युत कर देल जा हलइ आउ दोसरा कोय से प्रतिस्थापित (replaced) कर देल जा हलइ । हमन्हीं के बैरक में बुजुर्ग हलइ अकीम अकीमिच, जे, हमरा अचरज लगइ, कि अकसर कैदी लोग तरफ चिल्ला हलइ । कैदी सब ओकरा साधारणतः उपहास के साथ जवाब दे हलइ । अपंग पूर्वसैनिक ओकरा से अधिक बुद्धिमान हलइ आउ कोय बात में दखल नयँ दे हलइ, आउ अगर कभी ओकरा मुँह खोले जइसन लगऽ हलइ, त ई खाली औपचारिकता के रूप में होवऽ हलइ, अंतःकरण के संतुष्टि खातिर । ऊ चुपचाप अपन बिछौना पर बइठल रहइ आउ अपन बूट के सीते रहइ । कैदी लोग ओकरा तरफ लगभग कोय ध्यान नयँ देइ ।

अपन जेल के जिनगी के ई पहिले दिन हम एगो प्रेक्षण (observation) कइलिअइ आउ बाद में जाके हमरा पक्का हो गेलइ, कि ई सही हइ । ई प्रेक्षण ई हलइ, कि ऊ सब्भे कोय, जे कैदी नयँ हलइ, चाहे ऊ कोय रहइ, कैदी से सीधा संबंध रक्खे वला, जइसे - मार्गरक्षी, ड्यूटी पर के सैनिक, से लेके, जेल के जिनगी से कइसनो प्रकार के मामला से संबंध रक्खे वला साधारणतः सब लोग तक - कैदी सब पर कइसूँ अतिरंजित (exaggerated) विचार रक्खऽ हइ । ओकन्हीं मानूँ हरेक मिनट ई बात से परेशान रहऽ हलइ, कि कैदी नयँ-नयँ आउ (अर्थात् कोय ठीक नयँ कि कखने) अचानक  ओकन्हीं में से केकरो पर छूरी लेके टूट पड़तइ । लेकिन सबसे अधिक अचरज के बात ई हलइ, कि खुद कैदी लोग अवगत हलइ, कि ओकन्हीं भयभीत रहऽ हइ, आउ ई बात, स्पष्टतः, ओकन्हीं के एक प्रकार से डीड़ बना दे हलइ । आउ तइयो कैदी लगी सबसे उत्तम चीफ़ ओहे होवऽ हइ, जे ओकरा से नयँ डरऽ हइ । आउ साधारणतः ढीठता के बावजूद, खुद कैदी लोग के बहुत अच्छा लगऽ हइ, जब ओकन्हीं पर विश्वास कइल जा हइ । ई बात से ओकन्हीं के अपना तरफ आकृष्ट भी कइल जा सकऽ हइ । हमर जेल के जिनगी के दौरान अइसन होवऽ हलइ, हलाँकि बहुत विरले, कि प्रशासन में से कोय अधिकारी जेल में बिन कोय गार्ड के आवऽ हलइ । ई देखे लायक हलइ, कि कैदी लोग पर ई बात केतना प्रभावित करऽ हलइ, आउ अनुकूल रूप से प्रभावित करऽ हलइ । अइसन निडर भेंटकर्ता (visitor) हमेशे ओकन्हीं के दिल में अपना प्रति आदर जागृत करऽ हलइ, आउ अगर वास्तव में कुछ खराब घटना होहूँ सकऽ हलइ, त ओकर उपस्थिति में नयँ होते हल । कैदी लोग द्वारा उत्पन्न कइल जाय वला भय सगरो हइ, जाहाँ कहीं कैदी लोग हकइ, आउ सचमुच हमरा मालूम नयँ, कि ई कइसे असल में उत्पन्न होवऽ हइ । कुछ तो आधार, वस्तुतः, एकरा में हइ, एगो स्वीकृत डाकू के चेहरा वला कैदी के खास बाहरी रूप से शुरू करके; एकरा अलावे, हरेक, सश्रम कारावास में आवे वला अनुभव करऽ हइ, कि ई सब लोग के दल हियाँ एक जगुन जामा होले ह अपन मन से तो नयँ, कि कइसनो कदम चाहे काहे नयँ उठा लेल जाय, एगो जीवित अदमी के मुरदा तो नयँ बनावल जा सकऽ हइ - ऊ तो भावुक रहतइ, बदला आउ जिनगी के पिपासु, भावाकुल आउ ऊ सब के संतुष्ट करे लगी इच्छुक ।

लेकिन एकर बावजूद, हमरा पक्का विश्वास हइ, कि तइयो कैदी लोग से डरे के कोय बात नयँ हइ । ओतना असानी से आउ न ओतना जल्दीबाजी में एक अदमी दोसरा अदमी पर छूरी लेके टूट पड़ऽ हइ । एक शब्द में, अगर खतरा संभव भी हइ, अगर ई कभी होवो करऽ हइ, त अइसन अप्रिय घटना के विरलता (rarity) के ध्यान में रखते सीधे ई निष्कर्ष निकासल जा सकऽ हइ, कि ई नगण्य हइ । जाहिर हइ, हम अभी खाली सिद्धदोषी कैदी लोग के बारे बोल रहलिए ह, जेकरा में से कइएक लोग ई बात से खुश भी होवऽ हइ, कि आखिरकार जेल में पहुँच गेलइ (नयका जिनगी कभी-कभी एतना हद तक निम्मन होवऽ हइ !), आउ फलस्वरूप शांत आउ संतुष्ट जिनगी जीए लगी प्रवृत्त रहऽ हइ; आउ एकरा अलावे, वास्तव में अपनहीं में से कष्टदायक लोग के खुद्दे जादे गड़बड़-सड़बड़ करे नयँ देतइ । हरेक कैदी, चाहे ऊ केतनो साहसी आउ उद्दंड काहे नयँ होवे, जेल में सब कुछ से डरऽ हइ । लेकिन अभियुक्त (आरोपी) कैदी के बात दोसर हइ । ई वास्तव में कोय अनजान अदमी पर टूट पड़े में सक्षम होवऽ हइ, बेफुसटंग के (बिन कोय कारण के), बस खाली ई वजह से, मसलन, कि कल ओकरा दंड झेले लगी बाहर निकसे पड़तइ; आउ अगर कोय नयका मामला हो जा हइ, त शायद, दंड स्थगित हो जा सकऽ हइ (नयका केस चालू होवे चलते) । हियाँ परी कारण हइ, आक्रमण के प्रयोजन हइ - ई हइ "अपन भाग्य के बदलना", चाहे जइसे होवे, आउ यथासंभव जल्दी से जल्दी । हम ई प्रकार के एगो विचित्र मनोवैज्ञानिक घटना जानऽ हिअइ ।

हमन्हीं के जेल में, मिलिट्री विभाग में, एगो सैनिक कैदी हलइ, जेकरा जायदाद के अधिकार से वंचित नयँ कइल गेले हल, आउ जेल में दू साल के दंड भुगते लगी भेजल गेले हल, जे भयंकर शेखीबाज आउ बहुत कायर हलइ । साधारणतः शेखीबाजी आउ कायरता रूसी सैनिक में बहुत विरले देखल जा हइ । हमन्हीं के सैनिक एतना व्यस्त रहऽ हइ, कि अगर चाहवो करइ, त ओकरा कभी शेखी बघारे के बखत नयँ मिलतइ । लेकिन अगर ऊ शेखीबाज हइ, त लगभग हमेशे ऊ निठल्ला आउ कायर होवऽ हइ । दुतोव (कैदी के पारिवारिक नाम) आखिरकार अपन दंड के अवधि पूरा कइलकइ आउ फेर से अपन लाइन बटालियन में चल गेलइ । लेकिन ओकरा नियन सब्भे, जे जेल में सुधारे लगी भेजल जा हइ, आखिर ऊ आउ बिगड़ जा हइ, अइसन साधारणतः होवऽ हइ, कि स्वतंत्र होला के दू-तीन सप्ताह से जादे नयँ होवऽ हइ, कि फेर से मोकदमा में फँस जा हइ आउ जेल में वापिस आ जा हइ, लेकिन खाली दू या तीन साल खातिर नयँ, बल्कि "आजीवन" विभाग में, पनरह चाहे बीस साल खातिर । आउ अइसने ओकरा साथ होलइ । जेल से निकसला के तीन सप्ताह बाद, दुतोव ताला तोड़के चोरी कइलकइ; एकरो उपरे, ढीठिअइ कइलकइ आउ हंगामा मचइलकइ । ओकरा पर मोकदमा चललइ आउ ओकरा विरुद्ध कठोर दंड के फैसला कइल गेलइ । आगामी चरमोत्कर्ष (extreme) दंड से भयभीत होके, हद दर्जा के दयनीय डरपोक, ऊ दिन के पूर्वसंध्या पर, जब ओकरा मिलिट्री दंड के रूप में दू कतार के बीच डंडा लेले मारे वला लोग से होके दौड़े के हलइ, कैदी के कमरा में प्रवेश कइल ड्यूटी पर के अफसर पर छूरी लेके टूट पड़लइ । जाहिर हइ, कि ऊ निम्मन से ई बात समझऽ हलइ, कि अइसन हरक्कत से ऊ अपन दंड आउ ओकर अवधि के अत्यधिक बढ़ा देतइ । लेकिन ओकर दिमाग में बस एहे हिसाब चल रहले हल कि बल्कि कुच्छे दिन लगी सही, बल्कि कुच्छे घंटा लगी, दंड के भयंकर क्षण तो टल जइतइ ! ऊ एतना कायर हलइ, कि छूरी से हमला कइला पर, ऊ अफसर के घायलो नयँ कर पइलकइ, सब कुछ खाली औपचारिकता लगी कइलकइ, खाली ई लगी, कि ई एगो नयका अपराध प्रतीत होवइ, जेकरा लगी ओकरा पर फेर से मोकदमा चलावल जाय ।   

कैदी लगी दंड के पहिले वला क्षण वास्तव में भयंकर होवऽ हइ, आउ हमरा कुछ साल काफी कैदी लोग के ओकन्हीं लगी निर्णायक दिन के पूर्वसंध्या के दौरान देखे के मौका मिललइ । साधारणतः हमरा अभियुक्त कैदी के साथ अस्पताल में भेंट होवऽ हलइ, कैदी वार्ड में, जब हम बेमार पड़ल रहऽ हलिअइ, जे काफी अकसर होवऽ हलइ । ई बात पूरे रूस में सब्भे कैदी के मालूम हइ, कि ओकन्हीं प्रति सबसे अधिक सहानुभूतिशील लोग डॉक्टर होते जा हइ । ओकन्हीं कभियो कैदी लोग के बीच अंतर नयँ करऽ हइ, जइसन कि लगभग सब बाहरी लोग करते जा हइ, वस्तुतः खाली एगो सामान्य जनता के छोड़के । ई लोग (सामान्य जनता) कोय कैदी के ओकर अपराध लगी कभियो नयँ कोसऽ हइ, चाहे ऊ कइसनो भयंकर काहे नयँ रहइ, आउ ओकर सब भुगतल दंड आउ सामान्य रूप से झेलल कष्ट चलते ओकरा माफ कर दे हइ । सोचिए समझके पूरे रूस के सामान्य जनता अपराध के दुर्भाग्य, आउ अपराधी के अभागल कहऽ हइ । ई गहरा सार्थक परिभाषा हइ । ई आउ अधिक महत्त्वपूर्ण हइ, कि अचेतन रूप से आउ सहज रूप से (unconsciously and instinctively) अइसन कइल गेले ह । डॉक्टर तो कइएक हालत में कैदी लोग लगी वास्तविक आश्रय होवऽ हइ, विशेष रूप से ओइसन अभियुक्त खातिर, जेकर हालत पहिलहीं से दंड के निर्णय कइल गेल अपराधी के हालत से अधिक कष्टकारी होवऽ हइ ... आउ अइकी अभियुक्त, अपन भयंकर दिन के संभावित तारीख के हिसाब कइला के बाद, अकसर अस्पताल चल जा हइ, ई चाहते, कि बल्कि कुच्छो देर लगी, ऊ कष्टकारी काल के आगू ढकेल सकइ । जब ओकरा अस्पताल से छुट्टी मिल जा हइ, त लगभग ई पक्का जानके, कि निर्णायक पल बिहान हइ, त ऊ हमेशे बहुत अधिक चिंतित हो जा हइ । कुछ लोग आत्मगौरव के चलते अपन भावना के गुप्त रक्खे के प्रयास करऽ हइ, लेकिन अकुशल देखावटी साहस ओकन्हीं के साथी लोग के धोखा नयँ दे पावऽ हइ । सब कोय समझऽ हइ, कि बात की हइ, आउ मानवप्रेम के कारण चुप्पी साध ले हइ ।  हम एगो कैदी के जानऽ हलिअइ, एगो नौजवान हत्यारा सैनिक के, जेकरा बेंत के मार के पूरे (अर्थात् अधिकतम) संख्या के दंड सुनावल गेले हल । ऊ एतना भयभीत हो गेले हल, कि दंड के पूर्वसंध्या के ऊ पूरे बोतल दारू पी जाय के फैसला कइलकइ, जेकरा में ऊ सुँघनी डाल देलके हल । प्रसंगवश ई कहल जा सकऽ हइ, कि अभियुक्त कैदी के पास दंड भुगते के पहिले हमेशे दारू रहऽ हइ । एकरा निर्धारित दिन से बहुत पहिलहीं मँगा लेल जा हइ, जेकरा लगी बहुत बड़गो रकम चुकावल जा हइ, आउ अभियुक्त एकरा लगी छो महिन्ना तक अपन बहुत आवश्यक चीज के बगैर भी रह जा हइ, लेकिन एक चौथाई श्तोफ़ [1] दारू लगी वांछित रकम कइसूँ बचा ले हइ, ताकि ऊ दंड झेले के पनरह मिनट पहिले पी ले सकइ । कैदी लोग के बीच एगो धारणा हइ, कि नीसा में धुत्त रहला पर कोड़ा चाहे बेंत के मार के दरद कम अनुभव होवऽ हइ । लेकिन हम कहानी से भटक रहलिए ह । बेचारा नौजवान, अपन दारू के पूरा बोतल चढ़ा गेला पर, वस्तुतः तुरतम्मे बेमार पड़ गेलइ - ओकर मुँह से कै के साथ खून आवे लगलइ, आउ ओकरा लगभग बेहोशी हालत में  अस्पताल ले जाल गेलइ । ई उलटी (कै) ओकर छाती के एतना बुरा तरह से प्रभावित कइलके हल, कि कुछ दिन के बाद ओकरा में तपेदिक (टीबी) के पक्का लक्षण देखाय देवे लगलइ, जेकरा से ऊ आधा साल के बाद मर गेलइ । तपेदिक के ओकर इलाज कर रहल डॉक्टर सब के मालूम नयँ पड़लइ कि ई कइसे होलइ ।

लेकिन दंड के पहिले अपराधी लोग के अकसर देखाय देल कायरता के उल्लेख करे के साथ-साथ हमरा एहो बता देवे के चाही, कि एकर विपरीत, ओकन्हीं में से कुछ लोग असाधारण निडरता से प्रेक्षक लोग के अचरज में डाल दे हइ । हमरा, एक प्रकार के चेतनहीनता (insensibility) के हद तक पहुँचल साहस के कुछ उदाहरण आद पड़ऽ हइ, आउ अइसन उदाहरण बिलकुल विरला नयँ हलइ । खास करके हमरा आद पड़ऽ हइ एगो भयंकर अपराधी के साथ भेंट के । गरमी में एक दिन कैदी वार्ड में एगो अफवाह फैललइ, कि साँझ के एगो मशहूर डाकू ओरलोव के दंडित कइल जइतइ, जे एगो भगोड़ा सैनिक हलइ, आउ दंड देला के बाद ओकरा वार्ड में लावल जइतइ । बेमार कैदी लोग ओरलोव के इंतजार में दृढ़तापूर्वक कहते गेलइ, कि ओकरा क्रूरतापूर्वक दंड देल जइतइ । सब्भे कोय कुछ उत्तेजित हलइ, आउ हम स्वीकार करऽ हिअइ, कि हमहूँ चरम उत्सुकता के साथ ऊ मशहूर डाकू के आगमन के प्रतीक्षा कर रहलिए हल । हम बहुत पहिलहीं ओकर कारनामा के बारे सुनलिए हल । ई एगो अइसन अपराधी हलइ, जइसन बहुत कम होवऽ हइ, जे बुढ़वन आउ बुतरुअन के नृशंस हत्या कइलके हल - एगो भयंकर इच्छाशक्ति वला आउ अपन शक्ति के अहंकारी चेतना वला अदमी । कइएक हत्या के मामला के ऊ स्वीकार कर लेलके हल आउ दू कतार के बीच में ओकरा डंडा से पिटाय के दंड के फैसला कइल  गेले हल । ओकरा लावे तक साँझ हो गेले हल । वार्ड में अन्हेरा हो चलले हल, आउ मोमबत्ती जल गेले हल । ओरलोव लगभग बेहोश हलइ, भयंकर रूप से पीयर, ओकर केश मोटगर, घुँघराला, आउ बहुत कार । ओकर पीठ फुल्लल (सुज्जल) आउ लाल-नीला रंग के हलइ । रातो भर कैदी लोग ओकर देखभाल करते रहलइ, ओकर पुलटिस (poultice) बदलते रहलइ, एक करवट से दोसरा करवट बदलते रहलइ, दवाय देते रहलइ, मानूँ ओकन्हीं एगो खूनी रिश्तेदार के सेवा-सुश्रूषा कर रहले हल, एक प्रकार के अपन संरक्षक के । दोसरे दिन ऊ पूरा तरह से होश में आ गेलइ आउ दू तुरी वार्ड में टहललइ ! ई बात से हमरा अचरज होलइ - ऊ अस्पताल में बिलकुल दुर्बल आउ क्लांत दशा में अइले हल । ओकरा लगी निर्धारित डंडा के कुल मार के संख्या के आधा ऊ एक्के तुरी में पइलके हल । डॉक्टर ई दंड के कार्यान्वयन के तभिए रोकलकइ, जब ऊ देखलकइ, कि दंड के आउ आगू जारी रखना अपराधी लगी पक्का प्राणघातक सिद्ध होतइ । एकरा अलावे, ओरलोव नटगर कद आउ कमजोर काठी के हलइ, आउ एकर साथ-साथ मोकदमा के दौरान दीर्घकालीन कारावास में रहला से ऊ क्षीण हो चुकले हल । जेकरा कभी मोकदमा चल रहल कैदी लोग से भेंट करे के मौका मिलले होत, ओकरा शायद ओकन्हीं के लम्मा समय तक क्षीण, दुब्बर-पातर आउ पीयर चेहरा, ज्वरपीड़ित जइसन दृष्टि आद पड़ऽ होतइ । एकर बावजूद, ओरलोव तेजी से चंगा होब करऽ हलइ। स्पष्टतः ओकर आंतरिक, आध्यात्मिक ऊर्जा प्रकृति के सहायता कर रहले हल । वस्तुतः, ई अदमी सामन्य बिलकुल नयँ हलइ । उत्सुकता से हम ओकरा साथ आउ नजदीकी परिचय प्राप्त कइलिअइ आउ पूरे सप्ताह ओकर अध्ययन कइलिअइ ।  हम विश्वासपूर्वक कह सकऽ हिअइ, कि जिनगी में कभियो हम ओकरा से जादे बरियार (शक्तिशाली), जादे लौह इच्छाशक्ति के अदमी नयँ देखलूँ । हम एक तुरी पहिलहूँ, तोबोल्स्क में, ओइसने तरह के एगो मशहूर अदमी के देखलिए हल, डाकू लोग के एगो अतमान (सरदार) के । ऊ एगो पूरा वहशी जानवर हलइ, आउ तूँ, ओकरा भिर खड़ी रहला पर आउ ओकर नाम बिन जानले, सहज रूप से अनुभव करतहो हल, कि तोहरा बिजुन एगो कोय तो भयंकर जीव हको । लेकिन ओकरा में आध्यात्मिक मंदबुद्धिता हमरा आतंकित कर देलकइ । ओकर शरीर ओकर सब्भे आध्यात्मिक गुण के उपरे एतना हद तक हलइ, कि ओकर चेहरा से प्रथमदृष्ट्या ई देख सकऽ हलथिन, कि हियाँ परी खाली शारीरिक सुख, कामुकता, विलासिता के एगो वहशी पिपासा रह गेले हल । हमरा पक्का विश्वास हइ, कि कोरेनेव - ऊ डाकू के नाम हलइ - भी (ओरलोव नियन प्राप्त) दंड के सामने टूट जइते हल आउ डर से कँप्पे लगते हल, ई बात के बावजूद, कि ऊ पलक झपकते गला रेत देवे में सक्षम हलइ । ओकर ठीक विपरीत हलइ ओरलोव । ई वास्तव में शरीर पर पूरा विजय हलइ । ई स्पष्ट हलइ, कि ई अदमी खुद पर असीमित रूप से नियंत्रण रख सकऽ हलइ, सब्भे तरह के उत्पीड़न आउ दंड से घृणा करऽ हलइ आउ संसार में कुच्छो से नयँ डरऽ हलइ । ओकरा में अपने देख सकऽ हलथिन - असीम ऊर्जा, क्रियाशीलता के पिपासा, बदला के पिपासा, पूर्वनिर्धारित लक्ष्य के प्राप्त करे के पिपासा । एकरा अलावे, ओकर विचित्र अभिमान से हम विस्मित हलिअइ । ऊ सब कुछ के कइसूँ अविश्वसनीय हद तक नफरत से देखऽ हलइ, लेकिन खुद के गेड़ी (stilts) पर उठावे के कोय प्रयास नयँ करऽ हलइ, आउ ई बात कइसूँ स्वाभाविक हलइ । हमर समझ से, संसार में अइसन कोय जीव नयँ हलइ, जे ओकरा पर खाली अपन प्राधिकार (authority) से प्रभावित कर सकऽ हलइ । ऊ सब कुछ के तरफ एक तरह के अप्रत्याशित शांत दृष्टि से देखऽ हलइ, मानूँ संसार में अइसन कुच्छो नयँ हलइ, जे ओकरा अचरज में डाल सकऽ हलइ । आउ हलाँकि ऊ पूरा तरह से समझऽ हलइ, कि दोसर कैदी लोग ओकरा तरफ आदर के दृष्टि से देखऽ हइ, लेकिन ओकन्हीं के सामने अपन बड़प्पन के प्रदर्शन नयँ करऽ हलइ, जबकि अहंकार आउ ढिठइ, बिन कोय अपवाद के, लगभग सब्भे कैदी के गुण होवऽ हइ । ऊ बहुत चलाँक आउ कइसूँ विचित्र रूप से खुला दिल के हलइ, हलाँकि ऊ बातूनी बिलकुल नयँ हलइ । हमर सवाल के ऊ सीधे-सीधे जवाब दे देलकइ, कि ऊ चंगा होवे के इंतजार कर रहले ह, ताकि जल्दी से जल्दी बाकी दंड के भुगत लेइ, कि दंड भुगते के पहिले, ऊ शुरू-शुरू में डर रहले हल, कि ऊ एकरा बरदास नयँ कर पइतइ । "लेकिन अब", मटकी मारते ऊ बात आगू बढ़इलकइ, "मामला खतम हो गेलइ । मार के बाकी संख्या के भुगत लेबइ, तुरतम्मे हमरा पार्टी के साथ नेरचिंस्क भेजवा देल जइतइ, लेकिन हम तो रस्तवे से निकस भागबइ ! पक्का निकस भागबइ !  बस खाली हमर पीठ जल्दी से जल्दी ठीक हो जाय !" आउ ई पाँचो दिन ऊ बड़ी उत्सुकता से प्रतीक्षा कइलकइ, कि कब ओकरा अस्पताल से छुट्टी (discharge) मिलइ । आउ ई प्रतीक्षे में ऊ कभी बहुत हँसमुख आउ प्रसन्न रहऽ हलइ। हम ओकरा से ओकर साहसिक कार्य के बारे चर्चा करे के प्रयास कइलिअइ । अइसन प्रश्न पर ऊ कुछ नाक-भौं सिकोड़ऽ हलइ, लेकिन हमेशे खुल्ला दिल से उत्तर दे हलइ । जब ऊ समझलकइ, कि हम ओकर अंतःकरण तक पहुँचे आउ ओकरा में बल्कि कोय प्रकार के पश्चात्ताप देखे के प्रयास करब करऽ हिअइ, त ऊ हमरा तरफ एतना नफरत आउ घमंड से देखलकइ, मानूँ हम अचानक ओकर नजर में एक प्रकार के छोटगर, मूरख बुतरू हिअइ, जेकरा साथ बड़गर नियन कुछ चर्चा नयँ कइल जा सकऽ हइ । ओकर चेहरा पर हमरा लगी एक प्रकार के सहानुभूति के झलक हलइ । एक मिनट के बाद, बिन कइसनो व्यंग्य के, बिलकुल खुल्लल दिल से ऊ हमरा पर ठठाके हँस पड़लइ, आउ हमरा पक्का विश्वास हइ, कि अकेल्ले रहला पर आउ हमर बात के आद करके, शायद, कइएक तुरी अपने आप में हँसलइ । आखिरकार, ओकरा अस्पताल से छुट्टी मिल गेलइ जबकि ओकर पीठ अभी तक पूरा तरह से ठीक नयँ होले हल; अबरी हमरो छुट्टी मिल गेलइ, आउ संयोगवश अस्पताल से हमन्हीं दुन्नु के साथे लौटे पड़लइ - हमरा जेल में, आउ ओकरा हमन्हीं के जेल भिर के कोर-द-गार्द (गार्ड-हाउस) में, जाहाँ ओकरा पहिले रक्खल गेले हल । विदा होते बखत, ऊ हमरा साथ हाथ मिलइलकइ, आउ ओकरा तरफ से ई एगो उँचगर विश्वास के लक्षण हलइ । हमरा लगऽ हइ, कि ऊ अइसन ई लगी कइलकइ, कि ऊ अच्छा मूड में हलइ आउ ई बात से खुश कि असली पल आ गेले हल । वस्तुतः, ऊ हमरा नयँ घृणा ई बात से नयँ कर सकऽ हलइ आउ ओकरा हमरा तरफ पक्का अइसन दृष्टि से देखे पड़लइ, कि हम झुक जाय वला, कमजोर, ओकरा सामने सब्भे मामला में घटिया (inferior) हलिअइ । बिहाने होले ओकरा दोसरका आधा दंड देवे खातिर ले जाल गेलइ ...

जब हमन्हीं के बैरक बन हो जा हलइ, त ई अचानक एक प्रकार के विशेष रूप धारण कर ले हलइ - एगो असली निवासस्थान, घरेलू केंद्र के रूप । खाली अभिए हम कैदी लोग के, अपन साथी सब के पूरे तरह से निश्चिंत देख पावऽ हलिअइ । दिन में सर्जेंट, गार्ड आउ सामान्य रूप से अधिकारी वर्ग जेल में कउनो पल भी आ जा सकऽ हलइ, ओहे से जेल के सब निवासी कइसूँ दोसरा तरह से व्यवहार करते जा हइ, मानूँ पूरे तौर पे निश्चिंत नयँ रहला से, मानूँ एक प्रकार के आशंका में मिनट-मिनट कुच्छो के प्रत्याशा रहइ । लेकिन जइसीं बैरक में ताला लग जाय, कि तुरतम्मे शांति से सब कोय बइठ जाय, हरेक अपन-अपन जगह पर, आउ लगभग हरेक कोय अपन-अपन एक प्रकार के हस्तशिल्प में लग जाय । बैरक अचानक प्रकाशित हो जाय । हरेक कोय के पास मोमबत्ती होवइ आउ अपन बत्तीदान (candlestick), अधिकांश लकड़ी के । कोय जुत्ता सीये लगी बइठ जाय, त कोय कपड़ा सीये लगइ । बैरक के हावा के दुर्गंध घंटे-घंटे बढ़ते जाय । मौज-मस्ती करे वला के दल कोना में बिछावल एगो दरी के सामने ताश खेले लगी चुक्को-मुक्को बइठ जाय । लगभग हरेक बैरक में अइसन कैदी हलइ, जेकरा पास अर्शीन (0.71 मीटर) भर के पतरगर एगो दरी रहइ, एगो मोमबत्ती आउ अविश्वास के हद तक गंदा चिक्कट ताश के गड्डी । आउ ई सब पूरा सेट के "मयदान" कहल जा हलइ । (मयदान के) मालिक खेलाड़ी सब से एक रात लगी पनरह कोपेक पावऽ हलइ; ई ओकर धंधा हलइ । खेलाड़ी सब साधारणतः "तीन पत्ता" खेलऽ हलइ, "गोर्का", आदि । ई सब खेल जुआ हलइ । हरेक खेलाड़ी अपन सामने तामा के पइसा रख देइ - पूरा के पूरा, जे ओकर जेभी में रहइ, आउ चुक्को-मुक्को स्थिति से तभिए उट्ठइ, जब पूरा के पूरा हार जाय, चाहे अपन साथी सब के हरा देइ । खेल देर रात के खतम होवइ, आउ कभी-कभी तो भोर होवे तक चल्लइ, ऊ पल तक जब बैरक खोलल जाय ।

हमन्हीं के कमरा में, ओइसीं जइसन कि जेल के बाकी सब्भे बैरक में, हमेशे कंगाल आउ गरीब लोग होवऽ हलइ, जे ताश के जुआ में सब कुछ हारल रहऽ हलइ, चाहे सब कुछ पी-पाके फूँक देल रहऽ हलइ, चाहे बस स्वभाव से भिखमंगा हलइ । हम कहऽ हिअइ - "स्वभाव से" आउ ई अभिव्यक्ति पर हम विशेष बल दे हिअइ । असल में, हमन्हीं के देश में (अर्थात् रूस में), चाहे वातावरण कइसनो रहे, चाहे परिस्थिति कइसनो रहे, हमेशे कुछ न कुछ विचित्र व्यक्तित्व के अस्तित्व रहतइ, जे नम्र आउ अकसर बहुत आलसी नयँ हइ अइसन व्यक्तित्व के, लेकिन जेकर भाग्य में शताब्दी-शताब्दी तक स्थायी रूप से भिखमंगा रहे के बद्दल हइ । ओकन्हीं हमेशे भूमिहीन, हमेशे मैल-कुचैल बस्तर पेन्हले, हमेशे एक प्रकार से दलित आउ उदास देखाय दे हइ, आउ शाश्वत रूप से केकरो अइसन लोग के हुकुम बजावऽ हइ, जे सामान्यतः ऐयाश चाहे अचानक धनवान होके उपरे उठ चुकले ह । प्रत्येक प्रतिष्ठा वला पद, प्रत्येक पहलशक्ति (initiative) - ओकन्हीं लगी शोक आउ भार प्रतीत होवऽ हइ । ओकन्हीं मानूँ पैदे होले हल ई शर्त पर, कि खुद्दे कुछ नयँ पहल करतइ आउ खाली दोसरा के सेवा करतइ, अपन इच्छा के अनुसार नयँ जीतइ, दोसर के बाँसुरी के अवाज पर नचतइ; ओकन्हीं के कर्म - खाली दोसर के इच्छा के पूर्ति करना होतइ । कउनो परिस्थिति, कउनो क्रांति ओकन्हीं के धनी नयँ बना सकऽ हइ । ओकन्हीं हमेशे कंगाल रहऽ हइ । हम नोटिस कइलिए ह, कि अइसन व्यक्तित्व खाली कृषक वर्ग में नयँ हइ, बल्कि सब्भे समाज, वर्ग, पार्टी, पत्रिका आउ संघ (association) में हइ । एहे हालत हलइ हरेक बैरक में, हरेक जेल में, आउ जइसीं मयदान के गठन होलऽ नयँ, कि अइसनकन में से एगो तुरतम्मे सेवा लगी हाजिर हो जाय । आउ सामान्यतः एक्को मयदान के, बिन सेवक के काम नयँ चल सकऽ हलइ । ओकरा साधारणतः सब्भे खेलाड़ी लोग किराया पर रखते जा हलइ, रात भर लगी, चानी के पाँच कोपेक पर, आउ ओकर मुख्य ड्यूटी होवऽ हलइ रात भर गार्ड के रूप में खड़ी रहना । अधिकांश ऊ छो चाहे सात घंटा तक जम्मल रहऽ हलइ - अन्हेरा में, गलियारा में, ठंढ के तीस डिग्री (रोमर) में [अर्थात् शून्य से 30 डिग्री रोमर निच्चे के तापमान (-37.5 डिग्री सेंटीग्रेड) में], आउ सुनते रहऽ हलइ हरेक खड़खड़ाहट के, हरेक अवाज के, प्रांगण में हरेक कदम के ।  मेजर, चाहे ड्यूटी पर के अफसर कभी-कभी जेल में काफी देर रात में पहुँच जा हलइ, अंदर चुपके से घुस जा हलइ, आउ खेलाड़ी आउ काम करे वला के रंगे हाथ पकड़ ले हलइ, आउ अतिरिक्त जल रहल मोमबत्ती तो प्रांगण से हीं देखाय दे हलइ । कम से कम, जब अचानक गलियारा से प्रांगण जाय वला दरवाजा में ताला खोले के अवाज आवे लगऽ हलइ, तब नुक्के, मोमबत्ती घर करे आउ पटरा के बिछौना पर सुत्ते लगी बहुत देर हो चुकऽ हलइ । लेकिन चूँकि मयदान के तरफ से ड्यूटी पर वला गार्ड के बाद में दर्दनाक फटकार खाय परऽ हलइ, ओहे से अइसन गलती अत्यंत विरले होवऽ हलइ । पाँच कोपेक, वस्तुतः, हास्यास्पद रूप से नगण्य पारिश्रमिक हइ, जेलवो खातिर; लेकिन जेल में हमरा हमेशे नियोक्ता (किराया पर रक्खे वला जुआड़ी लोग) के कठोरता आउ निर्ममता पर अचरज होवऽ हलइ, एकरो में आउ सब्भे दोसर परिस्थिति में । "पइसा लेलहीं, त ओइसीं सेवो करके देखाहीं !" ई तर्क हलइ, जेकरा में कोय एतराज बरदास नयँ होवऽ हलइ । देल एगो अद्धी (आधा कोपेक) लगी नियोक्ता जे कुछ ले सकऽ हलइ, ले ले हलइ, अगर संभव होवऽ हलइ, त कुछ अतिरिक्त आउ तइयो समझऽ हलइ, कि ऊ नियोक्ता के आभारी हइ । रंगरेली मनावे वला नीसा में धुत्त कैदी, बिन गिनले पइसा दहिने-बामे फेंकते, जानबूझके रेजकी के गिन्ने में गलती करके सेवक के धोखा देके कमती मेहनताना दे हलइ, आउ ई बात हम खाली एक जेल में नयँ, एक मयदान में नयँ नोटिस कइलिअइ ।

हम पहिलहीं उल्लेख कर चुकलिए ह, कि बैरक में लगभग सब्भे, कोय न कोय काम में लग जा हलइ - खेलाड़ी (जुआड़ी) लोग के छोड़के, बिलकुल बेकार पाँच से जादे अदमी नयँ हलइ; ओकन्हीं तुरतम्मे सुत्ते लगी पड़ गेलइ । पटरा के बिछौना पर हम्मर जगह दरवाजा के बिलकुल पास में हलइ । दोसरा तरफ से हमरा साथ माथा से माथा मिलाके अकीम अकीमिच पड़ल हलइ । दस या एगारह बजे तक ऊ काम करते रहऽ हलइ, कागज के टुकड़ा के चिपका-उपकाके एक प्रकार के बहुरंगी चीनी आकाशदीप बनावऽ हलइ, जेकर औडर ओकरा हीं शहर से मिलले हल, काफी अच्छा पारिश्रमिक पर । आकाशदीप ऊ बड़ी कुशलता से बनवइ, विधिपूर्वक काम करइ, बीच में बिन रुकले; जब अपन काम खतम कर लेइ, तब सब समान ठीक-ठाक से साफ कर लेइ, अपन गद्दी बिछावइ, भगमान के प्रार्थना करइ आउ शिष्ट व्यक्ति नियन अपन बिछौना पर पड़ जाय । शिष्टाचार आउ क्रमव्यवस्था (orderliness) प्रत्यक्ष रूप से बिलकुल छोटगर-छोटगर बातो पर नियमनिष्ठा (punctiliousness) के पालन करऽ हलइ; स्पष्टतः ऊ खुद के, सामान्यतः सब्भे मंदबुद्धि आउ सीमित लोग के नियन, अत्यधिक बुद्धिमान समझऽ होतइ । हमरा तो ऊ पहिलहीं दिन से पसीन नयँ पड़लइ, हलाँकि, हमरा आद पड़ऽ हइ, ई पहिला दिन के हम ओकरा बारे बहुत सोचलिए हल आउ सबसे जादे हमरा ई बात के अचरज होलइ, कि अइसन व्यक्तित्व, जिनगी में तरक्की करे के बदले, जेल में कइसे पहुँच गेलइ । बाद में हमरा एक से जादे तुरी अकीम अकीमिच के बारे बात करे के मौका मिलतइ ।

लेकिन संक्षेप में अपन बैरक के पूरे सदस्यगण के वर्णन करबइ । एकरा में हमरा कइएक साल रहे पड़लइ, आउ ई सब्भे हमर भावी सहवासी (co-habitants) आउ साथी लोग हलइ । स्पष्ट हइ, कि हम ओकन्हीं के उत्कट उत्सुकता से देखऽ हलिअइ । हमर जगह से बामा तरफ पटरा पर काकेशियाई पर्वतीय लोग के दल रहऽ हलइ, जेकन्हीं के अधिकांश लूट-पाट के चलते आउ विभिन्न अवधि लगी हियाँ भेजल गेले हल । ओकन्हीं हलइ - दूगो लेज़गी (Lezghians), एगो चेचेन, आउ तीन गो दागेस्तानी तातार । चेचेन एगो उदास आउ निराश जीव हलइ; लगभग केकरो से नयँ बोलऽ हलइ आउ हमेशे अपन चारो बगली ईर्ष्यालु दृष्टि से, त्योरी चढ़इले, आउ जहरीला, दुर्भावनापूर्ण व्यंग्यात्मक मुसकान के साथ देखऽ हलइ । एक लेज़गी बूढ़ा हो चुकले हल, जेकर नाक लमगर, पतरा, तोता नियन मुड़ल हलइ, आउ देखे में पक्का डाकू लगऽ हलइ । लेकिन दोसरा, नुर्रा, पहिलहीं दिन से हमरा पर बहुत आनंदप्रद आउ मनोरम प्रभाव डललकइ । ई अदमी अभियो जवान हलइ, मध्यम कद के, हर्क्यूलस नियन काठी के, बिलकुल सुनहरा केश, आँख चमकीला नीला, नाक जरी सुन उपरे तरफ उट्ठल, फ़िन्निश औरत नियन चेहरा आउ गोड़ वक्राकार, जे पहिले लगातार घुड़सवारी करे के चलते हो गेले हल । ओकर पूरा शरीर कट्टल-खुट्टल हलइ, संगीन (bayonet) आउ गोली से घायल हलइ । काकेशिया में ऊ शांतिप्रिय जनजाति के हलइ, लेकिन लगातार चुपके-चोरी  विद्वेषी पर्वतीय लोग के पास घुड़सवारी करते अइते-जइते रहऽ हलइ आउ हुआँ से रूसी लोग पर हमला करऽ हलइ । जेल में ओकरा सब कोय मानऽ हलइ । ऊ हमेशे खुशमिजाज रहऽ हलइ, सबके साथ मिलनसार, बिन कोय शिकायत के काम करऽ हलइ, शांतचित्त आउ साफ दिल से, हलाँकि ऊ अकसर कैदी जीवन के गंदगी पर नराजगी के नजर से देखऽ हलइ, आउ ऊ क्रोधावेश में आ जा हलइ - हरेक तरह के चोरी, धोखेबाजी, नीसाखोरी आउ सामान्य रूप से ऊ सब कुछ से, जेकरा में बेईमानी से संबंध हलइ; लेकिन ऊ कभियो लड़ाय नयँ मोल ले हलइ आउ खाली घृणापूर्वक मुँह मोड़ ले हलइ । खुद ऊ अपन जेल के पूरे जिनगी के दौरान कुच्छो नयँ चोरइलके हल, आउ न कोय गलत हरक्कत कइलके हल । ऊ अत्यधिक भगवद्भक्त हलइ । ऊ श्रद्धापूर्वक प्रार्थना पूरा करऽ हलइ; मुस्लिम उत्सव के पहिले उपवास के दौरान ऊ एगो कट्टर मुस्लिम नियन उपवास करऽ हलइ आउ रातो भर प्रार्थना करते रहऽ हलइ । ओकरा सब कोय मानऽ हलइ आउ ओकर ईमानदारी में विश्वास करऽ हलइ । "नुर्रा - शेर हइ", कैदी लोग बोलऽ हलइ; आउ "शेर" ओकर नाम के साथ रह (जुड़) गेले हल । ऊ बिलकुल निश्चिंत हलइ, कि जेल में निर्धारित अवधि के बाद ओकरा वापिस काकेशिया भेज देल जइतइ, आउ खाली एहे विश्वास पर जी रहले हल । हमरा लगऽ हइ, कि ऊ मर जइते हल, अगर ई विश्वास ओकरा नयँ होते हल । जेल में अपन पहिलौके दिन हमरा ओकरा पर ध्यान आकृष्ट हो गेले हल । दोसर सब कैदी के द्वेषी, उदास आउ उपहासपूर्ण चेहरा के बीच ओकर दयालु, सहानुभूतिपूर्ण चेहरा पर ध्यान नयँ जाना असंभव हलइ । जेल में हमरा आवे के आधे घंटा के अंदर ऊ हमरा भिर से गुजरते बखत हमर कन्हा थपथपइलकइ, हमरा तरफ नजर मिलइते आउ स्वाभाविक रूप से हँसते । हम शुरू-शुरू में समझ नयँ सकलिअइ, कि एकर की मतलब हइ । ऊ बड़ी खराब तरह से रूसी में बोल रहले हल । थोड़हीं देर बाद ऊ फेर से हमरा भिर अइलइ, मुसकइते, मित्रतापूर्वक हमर कन्हा थपथपइलकइ । बाद में फेर से, आउ फेर से, आउ अइसीं तीन दिन तक चलते रहलइ । ओकरा तरफ से एकर मतलब हलइ, जइसन कि हम अंदाज लगइलइ आउ हमरा बाद में मालूम पड़लइ, कि ओकरा हमरा पर तरस आवऽ हइ, कि ऊ अनुभव करऽ हइ, कि हमरा जेल के जिनगी के अभ्यस्त होना केतना कष्टदायक हइ, कि ऊ हमरा तरफ दोस्ती देखावे, हमर हौसला बढ़ावे आउ हमरा ऊ अपन संरक्षण के बारे आश्वस्त करे लगी चाहऽ हइ । दयालु आउ सरलहृदय नुर्रा !

दागेस्तानी तातार तीन गो हलइ, आउ ओकन्हीं सब्भे सगा भाय हलइ । ओकन्हीं में से दूगो तो उमरगर हलइ, लेकिन तेसरा, अली (मूल रूसी वर्तनी के अनुसार "अलेय"), बाईस साल से जादे के नयँ हलइ, लेकिन देखे में आउ तरुण लगऽ हलइ । ओकर जगह पटरा के बिछौना पर हमर बगले में हलइ । ओकर सुंदर, निष्कपट, बुद्धिमान आउ एकर साथ-साथ दयालु आउ सरलहृदय चेहरा पहिलहीं नजर में हमर हृदय के ओकरा तरफ आकृष्ट कर लेलकइ, आउ हम बहुत खुश होलिअइ, कि भाग्य हमरा भिर ओकरा भेजलक, आउ पड़ोस के रूप में आउ दोसरा केकरो नयँ । ओकर पूरा आत्मा ओकर सुंदर, एहो कहल जा सकऽ हइ - अतिसुंदर, चेहरा पर अभिव्यक्त होवऽ हलइ । ओकर मुसकान एतना विश्वसनीय हलइ, एतना बालसुलभ सरलहृदय; बड़गर-बड़गर करिया आँख एतना नरम हलइ, एतना प्यारा हलइ, कि ओकरा तरफ निहारके, हम हमेशे विशेष प्रसन्नता अनुभव करऽ हलिअइ, दुख आउ उदासी में राहत भी । हम ई बात बढ़ा-चढ़ाके नयँ बोलऽ हिअइ । मातृभूमि में ओकर बड़का भइया (ओकर बड़का भाय कुल पाँच गो हलइ; दोसरका दू गो कोय फैक्टरी में काम करे गेले हल) एक दिन ओकरा तलवार लेके घोड़ा पर चढ़े   आउ कोय प्रकार के अभियान में साथ में जाय लगी औडर देलकइ। बड़का भाय लगी पहाड़ी लोग के परिवार में एतना बड़गो आदर रहऽ हइ, कि ई लड़का खाली साहसे नयँ नयँ कर पइलकइ, बल्कि ई पुछहूँ  के बारे नयँ सोचलकइ, कि आखिर ओकन्हीं के काहाँ रवाना होवे के हइ ? आउ ओकन्हिंयों बतावे के जरूरत नयँ समझलकइ । ओकन्हीं सब्भे डकैती करे लगी गेले हल, रस्ता में अर्मेनिया के एगो धनाढ्य व्यापारी के घात लगाके लूट लेवे लगी । अइसीं होलइ - ओकन्हीं मार्गरक्षी लोग के मार देलकइ, अर्मेनियाई व्यापारी के गला रेत देलकइ आउ ओकर सब माल लूट लेलकइ । लेकिन मामला के पता चल गेलइ - छोवो के गिरफ्तार कर लेल गेलइ, मोकदमा चललइ, दंड सुनावल गेलइ आउ कठोर श्रम खातिर साइबेरिया भेज देवल गेलइ । केवल दया, जे कोर्ट अली पर कइलकइ, ऊ हलइ दंड के कमती अवधि - ओकरा चार साल लगी भेजल गेले हल । ओकर भइवन ओकरा बड़ी प्यार करऽ हलइ, आउ ई प्यार भाय के प्यार से जादे बाप के प्यार हलइ । ऊ ओकन्हीं लगी निर्वासन (exile) में सांत्वना हलइ, आउ ओकन्हीं, जे साधारणतः उदास आउ दुखी रहऽ हलइ, ओकरा तरफ देखके हमेशे मुसकुरा हलइ, आउ जब ओकरा से बात करे लगऽ हलइ (लेकिन ओकरा साथ बहुत कम बात करऽ हलइ, मानूँ लगातार अभियो ओकरा बुतरू समझऽ हलइ, जेकरा साथ कुच्छो गंभीर बात नयँ कइल जाय के चाही), त कठोर चेहरा नरम पड़ जा हलइ, आउ हम अंदाज लगावऽ हलिअइ, कि ओकन्हीं ओकरा साथ कुछ तो मजेदार बात करब करऽ हइ, लगभग बचकाना, कम से कम ओकन्हीं हमेशे एक दोसरा पर नजर डालऽ हलइ आउ स्वाभाविक रूप से हँस्सऽ हलइ, जब कभी ओकर जवाब सुन्नऽ हलइ । खुद तो ऊ ओकन्हीं साथ बोले लगी शुरू करे के हिम्मत लगभग नयँ जुटा सकऽ हलइ - एतना हद तक ओकन्हीं लगी ओकर आदर हलइ । ई कल्पना करना कठिन हइ, कि कइसे ई लड़का अपन जेल के जिनगी में हमेशे अपन हृदय के एतना नरम बनइले, एतना कठोर निष्ठा विकसित कइले, अइसन निष्कपटता, सहानुभूति बनइले रक्खऽ हलइ, आउ अशिष्टता आउ दुराचार से परे रहऽ हलइ । ओकर संपूर्ण स्पष्ट नरमी के बावजूद, ई लेकिन शक्तिशाली आउ स्थितप्रज्ञ स्वभाव हलइ । हमरा ओकरा बारे निम्मन से बाद में पता चललइ । ऊ एगो पवित्र कुमारी कन्या नियन कुमार हलइ, आउ कउनो कुरूप, दोषदर्षी, गंदा या असत्य, उत्पीड़क हरक्कत जेल में ओकर आँख में क्रोधाग्नि प्रज्वलित करइ, त ओकरा से ओकर चेहरा आउ अधिक सुंदर लगइ । लेकिन ऊ लड़ाय-झगड़ा आउ गाली-गलौज से बच्चऽ हलइ, हलाँकि ऊ सामान्यतः अइसन लोग में नयँ हलइ, जे केकरो से बिन दंडित होले खुद के अपमान सहते रहतइ, आउ अपन रक्षा में खुद सक्षम हलइ । लेकिन ओकरा केकरो से झगड़ा-उगड़ा नयँ हलइ - ओकरा सब कोय प्यार आउ दुलार करऽ हलइ । शुरू-शुरू में ऊ हमरा साथ शिष्ट व्यवहार करऽ हलइ । धीरे-धीरे हम ओकरा साथ बातचीत करे लगलिअइ; कुछ महिन्ना में ऊ रूसी भाषा में बात करे लगी सीख लेलकइ, जे ओकर भइवन जेल के अपन पूरे जिनगी के दौरान नयँ कर पइलकइ । ऊ हमरा अत्यधिक बुद्धिमान लड़का प्रतीत होलइ, अत्यधिक विनम्र आउ कोमल हलइ, आउ जे अब तक बहुत कुछ तर्क-वितर्क भी कर चुकले हल (अर्थात् कोय विषय पर यथेष्ट तर्क प्रस्तुत करे में सक्षम हलइ) । सामान्य रूप से हम पहिलहीं कहबइ - हम अली के साधारण जीव से कहीं दूर समझऽ हिअइ आउ ओकरा साथ मोलकात के हम अपन जिनगी के सबसे उत्तम मोलकात के रूप में आद करऽ हइ । प्राकृतिक रूप से अइसनो व्यक्तित्व होवऽ हइ, जे भगमान से एतना हद तक भगवत्कृपा प्राप्त कइले रहऽ हइ, कि एगो अइसनो विचार, कि ऊ कभी बदलके बत्तर हो जा सकऽ हइ, तोहरा असंभव लगतो । ओकरा बारे तूँ हमेशे निफिकरी रहबहो । हमहूँ अली के बारे निश्चिंत हिअइ । काहाँ होतइ ऊ अभी ? ...

एक तुरी, हमरा जेल में काफी लम्मा समय गुजर गेला के बाद, हम पटरा पर पड़ल हलिअइ आउ कुछ तो गंभीर बात सोच रहलिए हल । अली, जे हमेशे काम में लीन आउ कठिन परिश्रम के प्रेमी हलइ, अभी कोय काम में व्यस्त नयँ हलइ, हलाँकि अभियो सुत्ते लगी जरी जल्दी हलइ । लेकिन ओकन्हीं लगी अपन मुस्लिम उत्सव के दिन हलइ, आउ ओकन्हीं काम नयँ कर रहले हल । ऊ पड़ल हलइ, अपन दुन्नु हाथ सिर के निच्चे रखले, आउ ओहो कुछ तो सोच रहले हल । अचानक ऊ हमरा से पुछलकइ –
"की बात हको, तोहरा कुछ तकलीफ हको ?"
हम ओकरा दने उत्सुकता से देखलिअइ, अली के ई तीव्र गति से कइल सीधा प्रश्न हमरा विचित्र लगलइ, जे हमेशे नाजुक, हमेशे स्पष्ट, हमेशे दिल से बुधगर हलइ - लेकिन ओकरा तरफ अधिक ध्यान से देखला पर, हम ओकर चेहरा पर केतना विषाद, कुछ स्मरण के कारण केतना यातना हलइ, जे हम तुरते अनुभव कइलिअइ, कि ओकर खुद के दिल बहुत भारी लग रहले ह आउ ठीक एहे पल में । हम ओकरा अपन अंदाज के बारे कह देलिअइ । ऊ एक उच्छ्वास लेलकइ आउ उदासी के साथ मुसकइलइ । हमरा ओकर मुसकान पसीन पड़ऽ हलइ, जे हमेशे स्नेहमय आउ हार्दिक होवऽ हलइ । एकरा अलावे, मुसकइते बखत, ऊ दाँत के मोती के दूगो पंक्ति देखावऽ हलइ, जेकर सौंदर्य से विश्व सुंदरी ईर्ष्या कर सकऽ हलइ ।

"की, अली, तूँ वास्तव में अभी सोच रहलहीं होत, कि तोहन्हीं हीं दागेस्तान में ई उत्सव कइसे मनावल जा रहले होत ? जरूर, हुआँ बहुत अच्छा होवऽ होतउ ?"
"हाँ", ऊ हर्षावेश में उत्तर देलकइ, आउ ओकर आँख चमक उठलइ । "लेकिन तोहरा कइसे मालूम, कि हम एकरा बारे सोच रहलिए ह ?"
"हम कइसे नयँ जानबइ ! कि, हुआँ जादे अच्छा होतइ, हियाँ के बनिस्बत ?"
"ओह ! ई तूँ काहे लगी बोलब करऽ हकहो ..."
"शायद, अभी तोहन्हीं हीं अभी केतना सुंदर फूल होतउ, कइसन स्वर्ग ! ..."
"ओ-ओह, बेहतर तूँ अभी आउ कुछ मत बोलऽ ।"

ऊ बहुत चिंतित हो गेलइ ।
"सुन, अली, तोरा बहिन हलउ ?"
"हाँ, हलइ । लेकिन एकरा से तोरा की ?"
"शायद, ऊ बहुत हसीन होतउ, अगर तोरा से मिल्लऽ-जुल्लऽ होतउ ।"
"हमरा नियन ! ऊ अइसन सुंदरी हइ, कि पूरे दागेस्तान में सबसे बेहतर हइ । आह, कइसन सुंदरी हइ हम्मर बहिन ! ओइसन तूँ कभियो नयँ देखलऽ होत ! हमर मइयो सुंदरी हलइ ।"
"आउ तोरा मइया मानऽ हलथुन ?"
"आह ! तूँ की बोलऽ हो ! ऊ शायद अब तक हमर शोक में मर गेले होत । हम ओकर दुलरुआ बेटा हलिअइ । ऊ हमरा बहिनी से जादे, सब्भे से जादे मानऽ हलइ ... ऊ आझ हमर सपना में अइलइ आउ हमरा लगी कन्ने लगलइ।"

ऊ चुप हो गेलइ आउ ई साँझ के आउ एक्को शब्द नयँ बोललइ । लेकिन तब से ऊ हरेक तुरी हमरा से बोले के कोशिश करइ, हलाँकि खुद ऊ जे हमरा लगी नयँ मालूम काहे इज्जत के नजर से देखऽ हलइ, कभियो हमरा साथ पहिले नयँ बोलइ । लेकिन ऊ बहुत खुश होवइ, जब हम ओकरा संबोधित करिअइ । हम ओकरा काकेशिया के बारे पुछलिअइ, ओकर पहिलौका जिनगी के बारे । ओकर भाय सब ओकर हमरा साथ बातचीत करे में बाधा नयँ डालऽ हलइ, बल्कि ओकन्हीं के ई बात से खुशी होवऽ हलइ । ओकन्हीं ई देखके भी, कि हम जादे आउ जादे अली के प्यार करऽ हिअइ, हमरा साथ बहुद जादे स्नेहमय हो गेते गेलइ ।

अली काम में हमरा मदत करऽ हलइ, यथासंभव ऊ बैरक में हमर सेवा करऽ हलइ, आउ देखल जा सकऽ हलइ, कि ओकरा बहुत खुशी होवइ, जब बल्कि कुच्छो ऊ हमर काम हलका कर देइ आउ प्रसन्न कर देइ, आउ प्रसन्न करे के ई प्रयास में कोय अपमान के बात, चाहे कइसनो लाभ के चाह नयँ हलइ, बल्कि हार्दिक, मित्रतापूर्ण भावना हलइ, जे ऊ अब हमरा से नयँ छिपावऽ हलइ । एकरा अलावे, ओकरा हस्तशिल्प के बहुत क्षमता हलइ - ऊ कपड़ा सीना निम्मन से सीख लेलकइ, जुत्ता सीयऽ हलइ, आउ बाद में जाके यथासंभव बढ़ईगिरी (carpentry) सीख लेलकइ । ओकर भइवन ओकर प्रशंसा करऽ हलइ आउ ओकरा पर गौरव अनुभव करऽ हलइ ।
"सुन, अली", एक तुरी हम ओकरा कहलिअइ, "काहे नयँ तूँ रूसी पढ़े-लिक्खे लगी सीख लेइँ ? तूँ जानऽ हीं, ई केतना तोरा हियाँ, साइबेरिया में, बाद में काम आ सकऽ हउ ?"
"हम तो बहुत चाहऽ हूँ । लेकिन केकरा से सिक्खूँ ?"
"की हियाँ कम पढ़ल-लिक्खल लोग हइ ! तूँ चाहऽ हीं, कि हम तोरा पढ़इअउ ?"
"आह, पढ़ावऽ, मेहरबानी करके !" आउ ऊ पटरा पर उठके बइठ गेलइ आउ प्रार्थना के रूप में अपन हाथ जोड़ लेलकइ, हमरा दने देखते ।

हमन्हीं दोसरे साँझ से काम में लग गेते गेलिअइ । हमरा पास नवविधान (New Testament) के रूसी अनुवाद हलइ - एकमात्र पुस्तक, जेकरा पर जेल में प्रतिबंध नयँ हलइ । बिन कोय वर्णमाला के, एक्के पुस्तक के आधार पर, अली कुछ सप्ताह में उत्तम ढंग से पढ़े लगी सीख लेलकइ । तीन महिन्ना में ऊ पुस्तकीय भाषा बिलकुल समझे लगलइ । ऊ गरमजोशी के साथ आउ उत्साह से सिक्खऽ हलइ ।
एक दिन हमन्हीं दुन्नु (ईसा मसीह के) पर्वत-प्रवचन [2] पूरा पढ़ गेते गेलिअइ । हम नोटिस कइलिअइ, कि ओकरा में कुछ जगह पर ऊ मानूँ विशेष भावना के साथ पढ़ रहले ह । हम ओकरा पुछलिअइ, कि जे कुछ ऊ पढ़ रहले ह, की ओकरा पसीन पड़ऽ हइ ।
ऊ तेजी से हमरा दने देखलकइ, आउ ओकर चेहरा पर रंगत आ गेलइ ।
"ओ हाँ !", ऊ जवाब देलकइ, "हाँ, ईसा एगो पवित्र पैगंबर हलथिन, ईसा भगमान के वचन बोलऽ हलथिन । केतना निम्मन हइ !"
"तोरा सबसे निम्मन कउची लगऽ हउ ?"
"जाहाँ ऊ बोलऽ हथिन - 'क्षमा कर, प्रेम कर, दोसर के दिल के मत दुखाव आउ अपन दुश्मनो से प्रेम कर ।' [3] आह, ऊ केतना निम्मन बोलऽ हथिन !"

ऊ अपन भइवन तरफ मुड़लइ, जे हमन्हीं के बातचीत सुन रहते गेले हल, आउ गरमजोशी के साथ ओकन्हीं साथ कुछ तो बोले लगलइ । ओकन्हीं देर तक आउ गंभीरतापूर्वक आपस में बोलते रहलइ आउ स्वीकारात्मक ढंग से सिर हिलइते रहलइ । फेर उच्च अनुकूल प्रवृत्ति के साथ, अर्थात् विशुद्ध मुस्लिम मुसकान के साथ (जे हम एतना पसीन करऽ हिअइ आउ विशेष रूप से ई मुसकान के अहमियत के पसीन करऽ हिअइ), हमरा तरफ मुड़लइ आउ पुष्टि कइलकइ, कि ईसा भगमान के एगो पैगंबर हलथिन, कि ऊ महान चमत्कार कइलथिन; कि ऊ मट्टी के पक्षी बनइलथिन, ओकरा तरफ फूँक मालथिन, आउ ऊ उड़ गेलइ ... कि ई बात ओकन्हीं के किताब में लिक्खल हइ । ई बोलते बखत, ओकन्हीं पूरा तरह से निश्चिंत हलइ, कि ईसा के प्रशंसा करके ओकन्हीं हमरा बड़गो खुशी देतइ, आउ अली तो ई बात से पूरा खुश हलइ, कि ओकर भइवन फैसला कर लेते गेले हल आउ चाहऽ हलइ कि हमरा अइसन खुशी मिल्लइ ।

लेखन काम भी अत्यधिक सफल होलइ । अली कागज मँगवइलकइ (आउ हमर पइसा से ऊ खरीदे नयँ देलकइ), कलम, स्याही आउ कोय दू महिन्ना में ऊ उत्तम रीति से लिक्खे लगी सीख लेलकइ । एकरा से ओकर भइवनो के हैरत हो गेलइ । ओकन्हीं के शान आउ खुशी के कोय हद नयँ रहलइ । ओकन्हीं के समझ में नयँ आ रहले हल, कि हमरा लगी कृतज्ञता कइसे व्यक्त करइ । काम के दौरान, अगर हमन्हीं के साथ में काम करे के अवसर मिल्लइ, त ओकन्हीं लगातार हमरा मदत करते जा हलइ आउ एकरा ओकन्हीं अपन सौभाग्य समझऽ हलइ । हमरा तो अली के बारे बतावे के जरूरत नयँ । ऊ हमरा मानऽ हलइ, शायद, ओइसीं, जइसे अपन भइवन के । हम ऊ दिन कभियो नयँ भुलइबइ, जब ऊ जेल से छुटलइ । ऊ हमरा बैरक के पीछू ले गेलइ आउ हमर कन्हा से लिपट गेलइ आउ कन्ने लगलइ । पहिले कभियो ऊ हमरा चुंबन नयँ लेलके हल आउ न कनले हल । "तूँ हमरा लगी एतना कइलऽ, एतना कइलऽ", ऊ बोललइ, "कि हमर मइयो-बाउ हमरा लगी एतना नयँ कर पइता हल - तूँ हमरा अदमी बनइलइ, भगमान तोरा एकर बदला देथुन, आउ हम तोरा कभियो नयँ भुलइबो ..."
अभी काहाँ, काहाँ होत हमर प्यारा, दुलारा, दुलारा अली ! ...

चेर्केस (Circassians) के अलावे, हमन्हीं के बैरक में पोलिस्तानी लोग के एगो पूरा दल हलइ, जे बिलकुल अलग-थलग परिवार हलइ, आउ लगभग दोसर कैदी लोग से हिल्लऽ-मिल्लऽ नयँ हलइ । हम पहिलहीं उल्लेख कर चुकलिए ह, कि अपन एकाकीपन के कारण, रूसी कैदी के प्रति अपन घृणा के कारण, ओकन्हीं, सब कोय के घृणा के पात्र हलइ । ई सब क्लांत, रोगी शख्स हलइ; कुल मिलाके छो अदमी । ओकन्हीं में से कुछ शिक्षित हलइ; ओकन्हीं के बारे हम विशेष रूप से विस्तार से बाद में वर्णन करबइ । ओकन्हिंएँ हियाँ से, हम अपन जेल के जिनगी के बाद के साल में, कुछ पुस्तक प्राप्त करऽ हलिअइ । पहिला पुस्तक, जे हम पूरा पढ़ गेलिअइ, हमरा पर गहरा, विचित्र, आउ विशेष प्रभाव डललकइ । ई सब प्रभाव के बारे हम कभी विशेष रूप से उल्लेख करबइ। हमरा लगी ओकन्हीं बहुत दिलचस्प हलइ, आउ हमरा ई बात के पक्का विश्वास हइ, कि कइएक लोग लगी ओकन्हीं बिलकुल अबोधगम्य रहतइ । बिन अनुभव कइले, कुछ चीज के मामले में अपन राय देना संभव नयँ । एक बात कहबइ - कि मानसिक कष्ट सब्भे शारीरिक यातना से अधिक कष्टकारी होवऽ हइ । सामान्य लोग, सश्रम कारावास में आवे वला, खुद के अपन समाज (माहौल) में पावऽ हइ, हियाँ तक कि शायद, आउ अधिक विकसित में । ऊ वस्तुतः बहुत कुछ खो दे हइ - मातृभूमि, परिवार, सब कुछ, लेकिन माहौल ओहे रहऽ हइ । ओइसन शिक्षित व्यक्ति, जेकरा कानूनन सामान्य व्यक्ति जइसन दंड मिल्लऽ हइ, अकसर ओकरा से कहीं अधिक खोवऽ हइ । ओकरा अपन सब जरूरत, सब्भे आदत के गला घोंट देवे पड़ऽ हइ; ओकरा अइसन माहौल में रहे पड़ऽ हइ, जे ओकरा लगी काफी नयँ होवऽ हइ, ओकरा भिन्न हावा में साँस लेवे पड़ऽ हइ ... ऊ - पानी में से बालू पर काढ़ल मछली नियन होवऽ हइ । आउ अकसर, कानून के नजर में समझल जाल सब लगी समान दंड, ओकरा लगी दस गुना कष्टकारी होवऽ हइ । ई सत्य हइ ... अगर मामला खाली भौतिक सुख के आदत से भी संबंधित समझल जाय, जेकर बलिदान देवे पड़ऽ हइ ।

लेकिन पोलिस्तानी सब के एगो खास पूरा दल हलइ । ओकन्हीं कुल सात गो हलइ, आउ ओकन्हीं एक साथ हलइ। हमन्हीं के बैरक के सब्भे कैदी में से ओकन्हीं खाली एगो यहूदी के पसीन करऽ हलइ, आउ शायद खाली ई वजह से, कि ऊ ओकन्हीं के मनोरंजन करऽ हलइ । लेकिन हमन्हीं के यहूदी के दोसरो कैदी सब पसीन करऽ हलइ, हलाँकि निश्चित रूप से बिन कोय अपवाद के सब कोय ओकरा पर हँस्सऽ हलइ । हमन्हीं बीच ओहे एगो यहूदी हलइ, आउ अभियो ओकरा बारे आद पड़ला पर हमरा हँस्सी बर जा हइ । हरेक तुरी, जब कभी हम ओकरा तरफ देखऽ हलिअइ, हमरा हमेशे रूसी लेखक गोगल के उपन्यास "तरास बुल्बा" के पात्र यहूदी यांकेल के आद पड़ जा हलइ, जे कपड़ा बदलके रात में अपन यहूदी पत्नी के साथ-साथ एक प्रकार के अलमारी (cupboard) में सुत्ते के तैयारी करऽ हलइ, त ऊ बिलकुल चूजा (chicken) नियन लगऽ हलइ । इसाय फ़ोमिच, हमन्हीं के यहूदी, बिलकुल पंख नोचल मुर्गी जइसन लगऽ हलइ, ठीक ओतने मिलते-जुलते, जइसन दू गो पानी के बून आपस में एक जइसन लगऽ हइ । ई अदमी वइसगर हो चुकले हल, उमर लगभग पचास साल, नटगर कद आउ दुर्बल काठी के, धूर्त आउ साथे-साथ पक्का मूरख । ऊ ढीठ आउ घमंडी आउ साथे-साथ कायर हलइ । ओकर पूरे देह पर झुर्री पड़ल हलइ, आउ ओकर निरार आउ गाल पर छाप लगल हलइ, जे ओकरा लगी गरगज (टिकठी, फाँसी के तख्ता, scaffold) लगी निश्चय के प्रतीक हलइ । हमरा कइसूँ समझ में नयँ अइलइ, कि ऊ कइसे साठ फटका (कोड़ा के मार) सहन कर लेलके हल । ऊ हत्या के अभियोग पर अइले हल । ऊ एगो रसीद नुकाके रखले हलइ, जे ओकरा टिकठी के ठीक बाद यहूदी लोग के मदद से एगो डाक्टर से मिलले हल । ई रसीद के मोताबिक, ओइसन मलहम प्राप्त कइल जा सकऽ हलइ, जेकरा से दू सप्ताह में सब तरह के छाप (दाग) निकल जा सकले हल । ऊ जेल में एकर प्रयोग करे के हिम्मत नयँ कइलकइ आउ अपन बीस साल के दंड के अवधि पूरा करे के इंतजार कर रहले हल, जेकर बाद, साइबेरिया में आवासन (settling) पर बाहर निकसला पर, पक्का ई रसीद के प्रयोग करे के इरादा कइले हलइ । "नयँ तो शादी करना असंभव होत", एक तुरी हमरा ऊ बतइलकइ, "आउ हम पक्का शादी करे लगी चाहऽ हूँ ।" हमन्हीं दुन्नु बड़गर दोस्त हलिअइ । ऊ हमेशे अत्युत्तम मनोदशा में रहऽ हलइ । जेल में ओकर जिनगी सहज हलइ; ऊ पेशा से जौहरी हलइ, ओकरा शहर से काम बहुत मिलते रहऽ हलइ, जाहाँ कोय जौहरी नयँ हलइ, आउ ई तरह ऊ कठोर श्रम से बच जा हलइ । जाहिर हइ, कि साथे-साथ ऊ सूदखोर हलइ आउ सूद पर आउ गिरवी पर समुच्चे जेल के कैदी सब के पइसा दे हलइ । ऊ हमरा से पहिले अइले हल, आउ एक पोलिस्तानी ओकर जेल में आगमन के बारे विस्तार से बतइलकइ । ई बहुत मनोरंजक कहानी हइ, जे हम बाद में कहबइ; इसाय फ़ोमिच के बारे हम एक तुरी से जादहीं चर्चा करबइ ।

बाकी लोग हमन्हीं के बैरक में हलइ - चार गो प्राचीन आस्था वला (Old Believers), बुजुर्ग आउ धर्मग्रंथ के गहरा अध्ययन कइले, जेकन्हीं बीच एगो बुजुर्ग स्तारोदुब्ये बस्ती से हलइ; दू-तीन गो लघु रूसी (Little Russians) अर्थात् यूक्रेनी (Ukrainians), उदास लोग; एगो नौजवान कैदी, दुब्बर-पातर चेहरा वला, तेइस बरिस के, जे आठ लोग के हत्या कर चुकले हल; नकली सिक्का बनावे वला के एक दल, जे हमन्हीं के समुच्चे बैरक के मन बहलावऽ हलइ; आउ आखिर, कुछ उदास आउ खिन्न व्यक्तित्व, सिर मूँड़ल आउ बदसूरत,  अल्पभाषी आउ ईर्ष्यालु, अपन चारो बगली सबके नाक-भौं सिकोड़ले नफरत के नजर से देखे वला, आउ आगू कइएक बरिस तक ओइसीं देखे, त्योरी चढ़ावे, चुप रहे आउ नफरत करे के इरादा कइले - अपन कठोर सश्रम कारावास के पूरे अवधि तक । ई सब कुछ हमर नयका जिनगी के ऊ पहिला, आनंदहीन साँझ में हमरा सामने खाली कौंधले हल - कौंधले हल धुआँ आउ दीपक के कारिख के बीच, गारी-गल्लम आउ अनिर्वचनीय (inexpressible) निर्लज्जता के बीच, बदबूदार हावा में, बेड़ी के झनझनाहट में, अभिशप्त आउ निर्लज्ज ठहाका के बीच । हम खाली पटरा पर पड़ गेलूँ, अपन पोशाक के सिर के निच्चे रखके (अभियो हमरा हीं तकिया नयँ हल), भेड़ के खाल के कोट से देह झाँक लेलूँ, लेकिन देर रात तक नीन नयँ आल, हलाँकि ई पहिला दिन के सब दैत्याकार आउ अप्रत्याशित प्रभाव से हम पूरा थक्कल-माँदल आउ चूर-चूर होल हलूँ । लेकिन हमर नयका जिनगी अभी शुरू हो रहल हल । बहुत कुछ अभियो हमरा आगू इंतजार कर रहल हल, जेकरा बारे हम कभी सोचवो नयँ कइलूँ हल, जेकर हम पहिले से अंदाजो नयँ लगा पइलूँ हल ...


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