कालापानी
(साइबेरिया में जेल के जिनगी)
भाग-1; अध्याय-5: पहिला महिन्ना (1)
जेल
में हमर आगमन के तीन दिन के बाद हमरा काम पर बाहर जाय के औडर मिललइ । काम के ई पहिला
दिन हमरा लगी बहुत अविस्मरणीय हइ, हलाँकि एकरा जारी रहे के दौरान हमरा साथ कुछ असामान्य
नयँ होलइ, कम से कम सब कुछ पर विचार कइला पर आउ एकर अलावे भी कि हमर परिस्थिति असामान्य
हलइ । लेकिन एहो हमर पहिलौका राय में से एक हलइ, आउ हम अभियो उत्सुकता से सब कुछ तरफ
प्रेक्षण जारी रखलिअइ । ई सब्भे पहिलौका तीन दिन हमरा बहुत अधिक कष्टमय अनुभव के साथ
गुजरल । "त ई हमर यात्रा के अंत हके - हम जेल में हकूँ !" हम पल-पल अपने
आपके दोहरावऽ हलूँ - "त ई हमर कइएक, लम्मा साल के शरणस्थल (anchorage) हके, हमर
कोना, जेकरा में हम एतना अविश्वास आउ एतना पीड़ादायक अनुभव के साथ प्रवेश कर रहलूँ हँ
..." आउ केऽ जानऽ हइ ? शायद - जब कइएक साल के बाद, एकरा छोड़े पड़तइ - त हमरा एकरा
बारे खेद होवइ ! ..." - हम आगू बिन कोय मर-मिलावट के ऊ विषादपूर्ण आनंदात्मक अनुभव
व्यक्त करऽ हलिअइ, जेकरा लगी कोय कभी-कभार जानबूझके अपन घाव के स्पर्श करे के जरूरत
के हद तक जा हइ, मानूँ अपन पीड़ा में खुशी अनुभव करे लगी चाहऽ हइ, मानूँ कष्ट के पूर्ण
विशालता के बोध में वास्तविक आनंद होवऽ हइ । समय के साथ ई कोना के छोड़े खातिर खेद प्रकट
करे के विचार हमरा पर बहुत भयंकर प्रभाव डललकइ - तब हमरा आशंको होवे लगले हल, कि केतना
दैत्याकार हद तक अदमी कोय नयका माहौल में आदी हो जा सकऽ हइ । लेकिन ई अभियो भावी समय
के बात हलइ, आउ अभी खातिर तो हमर चारो बगली सब कुछ द्वेषपूर्ण आउ भयंकर हलइ - हलाँकि
सब कुछ तो नयँ, लेकिन, जाहिर हइ, अइसन हमरा प्रतीत होलइ । ई वहशी उत्सुकता, जेकरा से
हमर नयकन साथी-कैदी लोग हमरा निहारऽ हलइ, अचानक ओकन्हीं के संगति में आ गेल कुलीन घराना
के नयका सदस्य के साथ वर्धित (intensified) कठोरता, जे कभी-कभी लगभग नफरत तक पहुँच
जा हलइ - ई सब कुछ हमरा एतना यातना दे हलइ, कि हम खुद जल्दी से जल्दी काम चाह रहलिए
हल, ताकि यथाशीघ्र हम अपन सब कष्ट के एक्के तुरी जान आउ समझ लिअइ, आउ बाकी सब नियन
जीए लगी शुरू कर दिअइ, यथाशीघ्र सब के साथ एक्के पटरी पर आ जइअइ । जाहिर हइ, तखने हम
बहुत कुछ नोटिस नयँ कर पइलिअइ आउ न ओकरा पर शंका कर पइलिअइ, जे हमर नाक के निच्चे
(अर्थात् हमर सामने) हलइ - शत्रुवत् आउ मित्रवत् व्यवहार में अभियो अंतर करे के अंदाज
नयँ मिल पइले हल । लेकिन, कुछ मिलनसार आउ प्यार भरल चेहरा, जेकरा से हमरा ई तीन दिन
के अंतर्गत भेंट होलइ, अभी लगी हमरा अत्यधिक हौसला बढ़इलकइ । हमरा साथ सबसे अधिक प्रेम
भरल आउ मित्रवत् व्यवहार करे वला हलइ अकीम अकीमिच । बाकी कैदी के बीच उदास आउ घृणापूर्ण
चेहरा में हम कुछ दयालु आउ प्रसन्न लोग के भी नयँ नोटिस नयँ कर सकलिअइ । "सगरो
खराब लोग पावल जा हइ, आउ खराब लोग के बीच निमनो अदमी रहऽ हइ", स्वयं के सांत्वना
के साथ हम शीघ्रता में सोचलिअइ, "आउ केऽ जानऽ हइ ? ई लोग, शायद, बिलकुल ओतना हद
तक बत्तर नयँ हइ, बनिस्बत बाकी लोग के, जे हुआँ जेल के बाहर रह गेले ह ।" हम सोचलिअइ
आउ खुद्दे अपन विचार पर सिर हिलइलिअइ, आउ साथे-साथ - हे भगमान ! - काश हम खाली तखने
जनतिए हल, केतना हद तक ई विचार सच हलइ !
अइकी,
मसलन, हियाँ एगो अदमी हलइ, जेकरा हम खाली बहुत-बहुत साल बाद पूरा तरह से जान पइलिअइ,
हलाँकि ऊ हमरा साथ हलइ आउ लगातार हमरा भिर लगभग हमर जेल के जिनगी के पूरे अवधि तक रहलइ
। ई हलइ कैदी सुशिलोव । जइसीं हम अभी ऊ कैदी लोग के बारे बोले लगी शुरू कइलिअइ, जे
दोसरा से बत्तर नयँ हलइ, त तुरतम्मे अनजाने में हमरा ओकर आद आ गेलइ । ऊ हमर सेवा करऽ
हलइ । हमरा हीं आउ दोसरो सेवक हलइ । अकीम अकीमिच शुरुए से, पहिलौके दिन से, कैदी लोग
के बीच एगो के अनुशंसा करऽ हलइ - ओसिप के, ई कहते, कि तीस कोपेक प्रति महिन्ने के हिसाब
से ऊ हमर रोज के विशेष खाना तैयार करके देतइ, अगर हमरा सरकारी खाना ओतना खराब लगऽ हइ
आउ अगर हम खुद के खाना लगी साधन जुटा सकऽ हिअइ । ओसिप ऊ चार रसोइया में से एक हलइ,
जेकन्हीं के हमन्हीं के दू भनसाघर में कैदी लोग द्वारा नियुक्त कइल गेले हल, हलाँकि
पूरा ई ओकन्हीं के इच्छा पर निर्भर करऽ हलइ, कि अइसन नियुक्ति के स्वीकार करइ चाहे
नयँ; आउ स्वीकार कइलो के बाद बिहाने होले चाहे तो फेर से अस्वीकार कर सकऽ हलइ । रसोइया
लोग काम पर नयँ जा हलइ, आउ ओकन्हीं के ड्यूटी रहऽ हलइ रोटी सेंके आउ बंदागोभी के शोरबा
(सूप) तैयार करे के । ओकन्हीं के हमन्हीं हीं "पोवर" (पुरुष रसोइया) नयँ
कहल जा हलइ, बल्कि "स्त्र्यापका" (स्त्री रसोइया), लेकिन ओकन्हीं तरफ घृणा
के भाव से नयँ, खास करके ई बात से कि भनसाघर के काम लगी बुद्धिमान आउ यथासंभव ईमानदार
लोग के चुन्नल जा हलइ, बल्कि अइसीं, प्यार भरल मजाक में, जेकरा से हमन्हीं के रसोइया
के कुच्छो बुरा नयँ लगऽ हलइ । ओसिप के लगभग हमेशे चुन्नल जा हलइ, आउ लगभग कुछ साल लगातार
"स्त्र्यापका" के काम करते रहलइ आउ खाली कभी-कभार थोड़े समय लगी इनकार करऽ
हलइ, जब ऊ बहुत बोर हो जाय, आउ साथे-साथ ओकरा दारू के तस्करी (smuggling) करे के इच्छा
करे लगइ । ऊ विरल निष्ठा (ईमानदारी) आउ विनम्रता वला अदमी हलइ, हलाँकि ऊ हियाँ तस्करी
के कारण अइले हल । ई ओहे तस्कर हलइ, उँचगर, हट्ठा-कट्ठा अदमी, जेकरा बारे हम पहिलहीं
बता चुकलिए ह [1]; सब तरह से कायर, खास करके फटका (बेंत के मार) के मामले में, मिलनसार,
सीधा-सादा, सब के साथ नम्र, केकरो साथ कभी लड़ाय-झगड़ा नयँ कइलके हल, लेकिन जे तस्करी
करे में अपन सनक के चलते, अपन कायरता के बावजूद, दारू के तस्करी करे से बाज नयँ आवऽ
हलइ। दोसर रसोइया के साथ-साथ ओहो दारू के धंधा करऽ हलइ, हलाँकि वस्तुतः ओतना पैमाना
पर नयँ, जेतना मसलन, गाज़िन करऽ हलइ, काहेकि ओकरा बहुत जोखिम उठावे के साहस नयँ हलइ
। ई ओसिप के साथ हम हमेशे अच्छा से रहऽ हलिअइ । जाहाँ तक खुद के खाना जुटावे के साधन
के संबंध हइ, त एकर बहुत कम जरूरत हलइ । हम कोय गलती नयँ करऽ हिअइ, अगर हम कहिअइ, कि
हमरा फी महिन्ने चानी के एक रूबल में खाना हो जा हलइ, जाहिर हइ, पावरोटी के अलावे,
जे कि सरकारी हलइ, आउ कभी-कभी बंदागोभी के शोरबा, अगर हम बहुत भुक्खल रहऽ हलूँ, एकर
बावजूद कि हमरा ई अच्छा नयँ लगऽ हले, जे लेकिन बाद में लगभग बिलकुल ठीक हो गेल (अर्थात्
ई शोरबा देखके हम पहिले जे मुँह फोकरावऽ हलिअइ, ऊ बाद में जाके ठीक लगे लगलइ) । साधारणतः
हम रोजाना एक पौंड बीफ़ खरदऽ हलिअइ । आउ जाड़ा में हमन्हीं हीं (एक पौंड) बीफ़ के कीमत
एक अद्धी (आधा कोपेक) हलइ । बीफ़ खातिर कोय अपंग पूर्वसैनिक बजार जा हलइ, जे हमन्हीं
हीं हरेक बैरक में एगो रहऽ हलइ, व्यवस्था कायम रक्खे खातिर, जे खुद्दे अपन मन से कैदी
लगी रोज दिन बजार जाय के भार (ड्यूटी) ले लेलके हल आउ एकरा लगी लगभग कोय पारिश्रमिक
नयँ ले हलइ, वास्तव में कहल जाय, त कुछ नयँ के स्थान पर नगण्य । ओकन्हीं अइसन अपन खुद
के शांति लगी करऽ हलइ, नयँ तो जेल में जिनगी गुजारना असंभव (बहुत कष्टकर) हो जइते हल
। ई तरह, ओकन्हीं तमाकू, सिल्लीदार चाय (bar tea), बीफ़, कलाच, आदि आदि, लावऽ हलइ, एगो
दारू खाली छोड़के । ओकन्हीं के दारू लावे लगी नयँ कहल जा हलइ, हलाँकि कभी-कभार एकरो
से सत्कार कइल जा हलइ । ओसिप हमरा लगी कइएक साल तक हमेशे ओहे एक्के टुकड़ा बीफ़ के झौंसऽ
हलइ । आउ कइसे झौंसल जा हलइ - ई अलगहीं सवाल हइ, ई कोय मामला नयँ हलइ । मुख्य बात हइ,
कि हम ओसिप के साथ कइएक साल तक लगभग दुइयो शब्द नयँ कह पइलिए हल । कइएक तुरी हम ओकरा
साथ बात करे लगी शुरू कइलिअइ, लेकिन ऊ कइसूँ बातचीत करे में सक्षम नयँ होवऽ हलइ - मुसकाय,
चाहे "हाँ" या "नयँ" में जवाब देइ, बस । जनम से सात साल के (बुतरू
नियन) ई हर्क्यूलस के देखहूँ में विचित्र लगऽ हलइ ।
लेकिन
ओसिप के अलावे, हमरा मदत करे वला लोग में सुशिलोव भी हलइ । हम न तो ओकरा बोलइलिअइ आउ
न खोजलिअइ । ऊ कइसूँ खुद्दे हमरा खोजलकइ आउ हमरा से लगाव कर लेलकइ; हमरा एहो आद नयँ,
कि कब आउ कइसे ई हो गेलइ । ऊ हमर कपड़ा-लत्ता धोवे लगलइ । बैरक सब के पीछू में ई काम
लगी जानबूझके एगो बड़गो गड्ढा बनावल हलइ, जेकरा में धोवन आदि के गंदा पानी फेंकल जा
सकऽ हलइ । एहे गड्ढा के उपरे, सरकारी नाद सब में, कैदी लोग के कपड़ा-लत्ता धोवल जा हलइ
। एकरा अलावे, हमरा खुश करे लगी, सुशिलोव हजारो विभिन्न तरह के काम खोज लेलके हल -
हमर चाय के केतली रख देइ, छोटगर-छोटगर काम लगी दौड़-धूप करइ, कुछ तो हमरा लगी खोजइ,
हमर जैकेट के रफू करावे लगी ले जाय, महिन्ना में चार तुरी हमर बूट के पालिश कराके लावइ;
ई सब कुछ ऊ दिल लगाके आउ अधीरता से करइ, मानूँ भगमान जाने कइसन ओकर मस्तिष्क में ई
सब कर्तव्य के भावना घर कर गेले हल - एक शब्द में, ऊ अपन भाग्य के बिलकुल हमर भाग्य
से जोड़ देलके हल आउ हमर सब काम के भार ऊ अपन उपरे ले लेलके हल । ऊ कभियो नयँ बोललइ,
मसलन, "अपने के पास एतना कमीज हइ, अपने के जैकेट फट्टल हइ" आदि, बल्कि हमेशे,
"हमन्हीं के पास एतना कमीज हइ, हमन्हीं के जैकेट फट्टल हइ" । ऊ अइसीं हमर
आँख में आँख डालके देखइ, आउ लगऽ हइ, कि ऊ एकरा अपन पूरे जिनगी के मुख्य उद्देश्य समझ
लेलके हल । पेशा, या, जइसन कि कैदी लोग बोलते जा हइ, हस्तशिल्प, ओकरा पास कुछ नयँ हलइ,
आउ लगऽ हइ, खाली हमरे हीं से ओकरा पइसा मिल्लऽ हलइ । हम ओकरा, जेतना हो सकऽ हलइ, ओतना
चुकावऽ हलिअइ, मतलब कुछ अद्धी (आधा कोपेक) में, आउ ऊ हमेशे चुपचाप संतुष्ट रह जा हलइ
। ओकरा केकरो सेवा करे से नयँ रहल जाय, आउ लगऽ हलइ, खास करके हमरा चुनलके हल, काहेकि
पारिश्रमिक देवे में हम दोसर लोग के अपेक्षा अधिक शिष्ट आउ ईमानदार हलिअइ । ऊ ओइसन
लोग में हलइ, जे कभियो धनी नयँ हो सकऽ हलइ आउ अपन जिनगी बेहतर नयँ कर सकऽ हलइ, आउ हमन्हीं
हीं मयदान के ताश के खेलाड़ी लोग खातिर संतरी के काम करऽ हलइ, सारी रात गलियारा में
ठंढी में खड़ी रहके पहरा दे हलइ, प्रांगण में मेजर के संयोगवश आवे के हरेक अवाज के ध्यान
से सुनते, आउ एकरा खातिर लगभग रात भर के पहरा के बदले चानी के पाँच कोपेक ले हलइ, आउ
कहीं गलती हो जाय त सब कुछ खो दे हलइ आउ पीठ पर फटका खाके एकर नतीजा भुगते परऽ हलइ
। ओकन्हीं के बारे हम पहिलहीं बता चुकलिए ह [2] । अइसनकन लोग के विशेषता हइ - हमेशे
लगी अपन व्यक्तित्व के नष्ट कर देना, सगरो आउ लगभग सबके सामने, आउ सामान्य कामकाज में
दोसरो दर्जा के भूमिका नयँ अदा करना, बल्कि तेसरा दर्जा के भूमिका । ई सब कुछ ओकन्हीं
के अइसीं स्वाभाविक रूप से होवऽ हइ । सुशिलोव एगो बहुत दयनीय व्यक्ति हलइ, पूरे तरह
से विनम्र आउ दीन, दलित भी, हलाँकि हमन्हीं हीं कोय ओकरा नयँ पिटलके हल, बल्कि अइसीं
स्वाभाविक रूप से दलित । हमरा ओकरा पर हमेशे कोय कारणवश तरस आवऽ हलइ । हम ओकरा तरफ
बिन अइसन भावना के निहारियो नयँ सकऽ हलिअइ; लेकिन तरस काहे लगी - हम खुद्दे जवाब नयँ
दे सकऽ हलिअइ । हम ओकरा साथ बातोचीत नयँ कर पावऽ हलिअइ; ओहो बातचीत नयँ कर पावऽ हलइ,
आउ स्पष्टतः ओकरा लगी ई एगो बड़गो भार हलइ, आउ ऊ खाली तखने सजीव हो उट्ठइ, जब हम बातचीत
समाप्त करे खातिर, कोय काम करे लगी दे दिअइ, ओकरा कहिअइ चल जाय लगी, कहूँ दौड़ल जाय
लगी । हमरा आखिरकार एहो विश्वास हो गेलइ, कि अइसे करे से ओकरा खुशी मिल्लऽ हलइ । ऊ
न उँचगर कद के हलइ, न नटगर; (देखे में) न निम्मन, न खराब; न मूरख, न बुद्धिमान; न नौजवान,
न बुड्ढा; थोड़ा-थोड़ा चेचक के दाग, आउ आंशिक रूप से सुनहरा केश वला । ओकरा बारे कुछ
पक्का निश्चित रूप से नयँ कहल जा सकऽ हलइ । खाली एतने - ऊ, जइसन हमरा लगऽ हइ आउ जाहाँ
तक हम अंदाज लगा पइलइ, ओहे कंपनी के हलइ, जेकरा में सिरोत्किन हलइ, आउ एकरा से संबंधित
हलइ खाली दलित आउ सीधा-सादा होवे के कारण । कैदी लोग ओकरा पर कभी-कभी हँस्सऽ हलइ, मुख्य
रूप से, ई लगी, कि ऊ साइबेरिया के रस्ता में अदला-बदली कर लेलके हल, आउ ओहो एगो लाल
कमीज आउ एगो चानी के रूबल पर । एतना सुनी नगण्य कीमत पर, जेकरा पर ऊ खुद के बेच देलके
हल, कैदी लोग हँस्सऽ हलइ । अदला-बदली करे के मतलब हइ - केकरो साथ नाम के अदला-बदली
कर लेना, आउ परिणामस्वरूप संगत (corresponding) दंड के भी । ई तथ्य केतनो विचित्र लगइ,
लेकिन ई बात सच हइ, आउ हमर समय में साइबेरिया के रस्ता में भेजल जाय वला कैदी लोग के
बीच ई प्रथा पूरे जोर में अस्तित्व में हलइ, किंवदंती से पवित्र कइल (अर्थात् एगो परंपरा
बन गेले हल) आउ निश्चित औपचारिकता से परिभाषित हलइ । शुरू-शुरू में हमरा कइसूँ विश्वास
नयँ हो पावऽ हलइ, हलाँकि आखिरकार खुद अपन आँख से देख लेला पर विश्वास करे पड़लइ ।
अइकी
अइसे ई काम कइल जा हइ । मसलन, कैदी के दल साइबेरिया रवाना कइल जा हइ । हर तरह के लोग
जा हइ - कठोर सश्रम कारावास में, फैक्ट्री में, आउ आवासन (settlement) में; सब साथे
जा हइ । कहीं परी रस्ता में, मसलन पेर्म गुबेर्निया (प्रांत) में, पठावल अभियुक्त लोग
में से कोय तो दोसरा के साथ अदला-बदली करे लगी चाहऽ हइ । मसलन, कोय मिख़ाइलोव, हत्यारा
चाहे कोय दोसरा गंभीर अपराध के कारण से, कइएक साल लगी कठोर सश्रम कारावास पर जाय के
अपना लगी फायदेमंद नयँ समझऽ हइ । मान लेल जाय, कि ऊ अदमी चलाँक हइ, अनुभवी, मामला से
परिचित हइ; त ऊ ओहे दल में कउनो अइसन व्यक्ति के खोजऽ हइ, जे जरी सीधगर, जरी दलित,
जरी कम से कम पलटके जवाब देवे वला होवइ आउ जेकरा लगी अपेक्षाकृत कमती दंड निर्धारित
कइल गेले ह - कोय फैक्ट्री में कुछ साल लगी, चाहे आवासन पर, चाहे कठोर सश्रम कारावास
लगी भी, लेकिन अपेक्षाकृत कम अवधि लगी । आखिरकार खोज ले हइ सुशिलोव के । सुशिलोव एगो
भूदास (serf) लोग में से हइ आउ बस खाली आवासन लगी भेजल गेले ह । ऊ डेढ़ हजार विर्स्ता
पैदल यात्रा कर चुकले ह, जाहिर हइ, बिन एक्को कोपेक पइसा के, काहेकि सुशिलोव के पास
कभियो एक्को कोपेक नयँ रह सकऽ हइ - चलते-चलते मरियल, थकके चूर होल हइ, खाली सरकारी
खाद्य सामग्री पर, रस्ता चलते बिन एक्को कोर निम्मन खाना के, एक्के सरकारी वरदी में,
खाली दयनीय तामा के अद्धी लगी सबके सेवा-टहल करते । मिख़ाइलोव सुशिलोव से बातचीत करे
लगी शुरू कर दे हइ, ओकरा से हिल्लऽ-मिल्लऽ हइ, दोस्ती भी कर ले हइ, आउ आखिरकार, कोय
चरण पर ओकरा दारू पिलावऽ हइ । आखिरकार, ओकरा सामने प्रस्ताव रक्खऽ हइ - की ऊ अदला-बदली
करे लगी चाहऽ हइ ? "हम", ऊ बोलऽ हइ, "मिखाइलोव हिअउ", आउ ई आउ
ऊ बतावऽ हइ, "कातोर्गा (कठोर सश्रम कारावास) में जा रहलियो ह, अइसे कातोर्गा जइसन
नयँ, बल्कि कोय "विशेष विभाग" में । हलाँकि ई कातोर्गे हउ, लेकिन विशेष,
मतलब आउ बेहतर होवे के चाही । "विशेष विभाग" के बारे, एकर अस्तित्व के समय,
प्राधिकारी वर्ग में से भी सब लोग नयँ जानऽ हलइ, बल्कि, मसलन, चाहे ऊ (अधिकारी) पितिरबुर्गे
में काहे नयँ होवे । ई एतना एकांत आउ विशेष कोना होवऽ हलइ, साइबेरिया के सुदूर कोना
में, आउ एतना कम अबादी वला (हमर समय में ओकरा में सत्तर लोग तक हलइ), कि एकर पतो लगाना
कठिन हलइ । हम बाद मे अइसन लोग से भेंट कइलिअइ, जे साइबेरिया में सेवा कर चुकले ह आउ
साइबेरिया के बारे जानऽ हइ, लेकिन जे खाली हमरा से पहिले तुरी ई "विशेष विभाग"
के अस्तित्व के बारे सुनलकइ । दंड-संहिता (penal code) में एकरा बारे खाली छो लाइन
कहल गेले ह - "फलना-फलना जेल में विशेष विभाग स्थापित कइल जइतइ, सबसे खतरनाक अपराधी
खातिर, जब तक कि साइबेरिया में सबसे कठोर सश्रम कारावास नयँ खुल जाय" । ई
"विभाग" के खुद कैदी लोग के भी नयँ मालूम हलइ - कि ई (विभाग) स्थायी हइ,
कि कुछ अवधि लगी (अस्थायी) ? अवधि के कोय उल्लेख नयँ हलइ, कहल हलइ - जब तक कि सबसे
कठोर सश्रम कारावास नयँ खुल जाय, बस; मतलब, "आजीवन कारावास" । ई कोय अचरज
के बात नयँ हइ, कि न तो सुशिलोव, न तो ई दल के कोय एकरा बारे जानऽ हलइ, बिन खुद प्रेषित
मिख़ाइलोव के अपवाद के, जे वस्तुतः खाली विशेष विभाग के बारे अंदाज लगा सकऽ हलइ, अपन
बहुत खतरनाक अपराध के ध्यान में रखके, जेकरा लगी ओकरा तीन या चार हजार (विर्स्ता के
पैदल रस्ता) से गुजरे पड़ले हल । परिणामस्वरूप, ओकरा तो निम्मन जगह पर नयँ भेजल जा रहले
ह । सुशिलोव तो आवासन पर जा रहले हल; एकरा से अच्छा की होते हल ? "की अदला-बदली
करे लगी नयँ चाहँऽ हँ ?" नीसा में धुत्त, सीधा-सादा दिल के अदमी, प्यार भरल व्यवहार
से मिख़ाइलोव के प्रति कृतज्ञता से परिपूर्ण,
सुशिलोव इनकार नयँ कर सकऽ हइ । एकरा अलावे ऊ दल में हीं सुन चुकले हल, कि अदला-बदली
संभव हइ, कि दोसरा लोग तो अदला-बदली करवे करऽ हइ, परिणामस्वरूप, हियाँ कुच्छो तो असाधारण
आउ अनसुन्नल नयँ हकइ । दुन्नु के बीच समझौता हो जा हइ । निर्लज्ज मिख़ाइलोव, सुशिलोव
के असाधारण सीधापन के नजायज फयदा उठाके, ओकर नाम एगो लाल कमीज आउ एगो रूबल पर खरीद
ले हइ, जे ऊ ओकरा हुएँ परी गोवाह सब के सामने दे दे हइ । दोसरा दिन सुशिलोव पीयल नयँ
हइ, लेकिन ओकरा फेर से पिलावल जा हइ, आउ इनकार करना खराब बात हइ - प्राप्त कइल चानी
के रूबल के ऊ पीके फूँक दे हइ, आउ ललका कमीजियो थोड़े देरी के बाद । अगर नयँ चाहऽ हँ,
त पइसा वापिस दे दे । आउ सुशिलोव चानी के पूरा रूबल काहाँ से लावइ ? आउ नयँ देतइ, त
अर्तेल (कैदी सब के जत्था, कंपनी, गैंग) ओकरा देवे लगी लचार कर देतइ - ई मामला में
अर्तेल में कड़ाई बरतल जा हइ । एकरा अलावे, अगर वचन देलहीं, त निभाहीं - आउ ई बात पर
अर्तेल अड़ जइतइ । नयँ तो चिबा जइतइ । पिटाई करतइ शायद, चाहे सीधे मार देतइ, कम से कम
डरइतइ तो जरूर ।
वास्तव
में, अगर अर्तेल एक्को तुरी अइसन मामला में रियायत कर देइ, त नाम बदले के रिवाजे खतम
हो जाय । अगर वचन दे देला के बाद इनकार करना संभव होवइ आउ पइसा ले लेलो पर कइल समझौता
के तोड़ देल जाय, त बाद में केऽ वचन के पूरा करतइ ? एक शब्द में - हियाँ अर्तेल के,
सब के मामला हइ, आउ ओहे से ई मामला में पार्टी (अर्तेल) बहुत कठोर होवऽ हइ । आखिरकार
सुशिलोव देखऽ हइ, कि ऊ अब अपन वचन से मुकर नयँ सकऽ हइ, आउ पूरे तरह से सहमत हो जा हइ
। समुच्चे पार्टी के घोषित कर देल जा हइ; आउ हुआँ आउ केकरो उपहार आउ दारू से मुँह बन
कर देल जा हइ, अगर जरूरी होवऽ हइ । कइसूँ, जाहिर हइ, सब के की फरक पड़ऽ हइ - मिख़ाइलोव
भाड़ में जा हइ, कि सुशिलोव ? लेकिन दारू तो पी लेल गेलइ; अतिथि-सत्कार कर देल गेलइ
- परिणामस्वरूप, ओकन्हिंयों तरफ से मुँह बन । पहिलौके स्टेज पर, मसलन, हाजिरी लेल जा
हइ; मिख़ाइलोव तक पहुँचऽ हइ - "मिख़ाइलोव !" सुशिलोव चिल्ला हइ - हम ! "सुशिलोव !" मिख़ाइलोव चिल्ला
हइ - "हम -", आउ आगे रवाना हो
गेते गेलइ । कोय एकरा बारे अब आउ कुछ आगू नयँ बोलऽ हइ । तोबोल्स्क में अभियुक्त लोग
के छँटनी (sorting) कइल जा हइ । "मिख़ाइलोव" के आवासन में, आउ "सुशिलोव"
के अतिरिक्त मार्गरक्षी के अंतर्गत विशेष विभाग में ले जाल जा हइ । आगू अब कोय विरोध
संभव नयँ; आउ वास्तव में एकरा साबित कइसे कइल जाय ? अइसन मामला केतना साल तक चलतइ
? आउ एकरा से की नतीजा निकलतइ ? आउ काहाँ हइ आखिर गोवाह सब ? अगर होवो करतइ, त ओकन्हीं
इनकार कर देतइ । त नतीजा ई ठहरऽ हइ, कि सुशिलोव चानी के एगो रूबल आउ एगो लाल कमीज लगी
"विशेष विभाग" में आ गेलइ ।
कैदी
लोग सुशिलोव पर हँस्सऽ हलइ - ई बात पर नयँ, कि ऊ अदला-बदली कइलके हल (हलाँकि अदला-बदली
में हलका काम के बदले कठोर काम लेवे वला के प्रति सामान्यतः घृणा अनुभव कइल जा हइ,
जइसन कि हरेक फँस्सल मूरख के प्रति कइल जा हइ), बल्कि ई बात से, कि ऊ खाली एगो लाल
कमीज आउ चानी के एगो रूबल लेलकइ - बहुत तुच्छ रकम । सामान्यतः अदला-बदली, एकरा अलावे
अपेक्षाकृत विचार कइला पर, बड़गो रकम पर कइल जा हइ । लेलो जाल जा हइ कुछ दस रूबल (अर्थात्
बीस-तीस रूबल, चाहे एकरो से जादे) के अधार पर । लेकिन सुशिलोव एतना सीधा-सादा, व्यक्तित्वहीन
आउ सबके नजर में क्षुद्र, कि ओकरा पर हँसियो नयँ आ सकऽ हलइ ।
सुशिलोव
के साथ हम बहुत लम्मा समय तक रहलिअइ, कइएक साल तक । धीरे-धीरे ओकरा हमरा साथ अत्यधिक
लगाव हो गेलइ; हम ई नोटिस करे वगैर नयँ रह सकलिअइ, एतना हद तक कि हम ओकर आदी हो गेलिअइ
। लेकिन एक दिन - एकरा लगी हम खुद के कभियो माफ नयँ कर सकबइ - ऊ हमर कोय कहना नयँ पूरा
कइलकइ, आउ एकरा अलावे अभी-अभी ऊ हमरा हीं से पइसा लेलके हल, आउ हम ओकरा से कहे में
क्रूरता कइलिअइ - "हूँ, त ई बात हइ, सुशिलोव, पइसा तो तूँ लेबऽ, आउ काम तो नयँ
करबऽ" । सुशिलोव चुप रहलइ, हमर काम लगी दौड़ल गेलइ, लेकिन अचानक कोय बात से उदास
हो गेलइ । दू दिन गुजर गेलइ । हम सोचलिअइ - "अइसन नयँ हो सकऽ हइ, कि हमर बोली
के चलते ओकर अइसन दशा हइ" । हम जानऽ हलिअइ, कि एक कैदी, अंतोन वसिल्येव, लगातार
कोय तुच्छ कर्जा लगी ओकरा से तगादा कर रहले हल । "शायद, ओकरा पास पइसा नयँ हइ,
लेकिन ऊ हमरा से माँगे में डरऽ हइ" । तेसरा दिन हम ओकरा से बोलऽ हिअइ -
"सुशिलोव, तूँ, लगऽ हको, हमरा से पइसा लगी निवेदन करे लगी चाहऽ हलहो, अंतोन वसिल्येव
के चुकावे खातिर ? ई लऽ ।" हम तखने पटरा पर बइठल हलिअइ; सुशिलोव हमरा सामने खड़ी
हलइ । ऊ, लगऽ हइ, कि बहुत विस्मित हो गेलइ, कि हम खुद ओकरा पइसा देलिअइ, खुद ओकर कठिन
परिस्थिति के खियाल रखलिअइ, खास करके ई बात से, कि हाल में, ओकर विचार से, पहिलहीं
ऊ हमरा हीं से बहुत जादे ले लेलके हल, ओहे से ई आशा करे के हिम्मत नयँ जुटइलकइ, कि
हम आउ ओकरा देबइ । ऊ पइसा तरफ देखलकइ, फेर हमरा दने, अचानक मुड़लइ आउ बहरसी चल गेलइ
। ई सब से हम अचरज में पड़ गेलिअइ । हम ओकर पीछू गेलिअइ आउ ओकरा हम बैरक के पीछू में
पइलिअइ । ऊ जेल के छरदेवाली बिजुन ओकरा दने मुँह कइले खड़ी हलइ, अपन सिर नबइले आउ अपन
हाथ ओकरा (छरदेवाली) से टिकइले । "सुशिलोव, तोरा की हो गेलो ह ?" हम ओकरा
पुछलिअइ । ऊ हमरा दने नयँ तकलकइ, आउ हम, अत्यधिक विस्मय से, नोटिस कइलिअइ, कि ऊ रोवे-रोवे
पर आ गेलइ - "अपने, अलिक्सांद्र पित्रोविच ... सोचऽ हथिन", ऊ गद्गद् स्वर
में बोलना शुरू कइलकइ आउ बगल तरफ देखे के कोशिश करते - "कि हम अपने के ... पइसा
लगी ... लेकिन हम ... हम ... ए-एह !" हियाँ परी ऊ फेर से अपन मुँह छरदेवाली तरफ
कर लेलकइ, ओकर निरारो ओकरा से टकरा गेलइ - आउ सुबके लगलइ ! ... पहिले तुरी हम जेल में
एगो अदमी के कनते देखलूँ । हम बड़ी प्रयास करके ओकरा सांत्वना देलिअइ, आउ हलाँकि ऊ तब
से, अगर ई संभव होवइ, आउ अधिक दिल से हमर सेवा करे आउ "हमरा प्रेक्षण करे"
लगलइ, लेकिन कुछ लगभग अगोचर लक्षण से हम नोटिस कइलिअइ, कि ओकर दिल कभियो हमर ऊ फटकार
लगी हमरा माफ नयँ कर सकलइ । तइयो दोसर लोग ओकर उपहास करवे करऽ हलइ, हरेक अनुकूल परिस्थिति
में ओकरा पर फिकरा कस्सऽ हलइ, कभी-कभी ओकरा सड़ल-सड़ल गारी दे हलइ - लेकिन ऊ ओकन्हीं
साथ ठीक से मित्रतापूर्वक रहऽ हलइ आउ कभियो बुरा नयँ मानऽ हलइ । हाँ, अदमी के समझना
बहुत मोसकिल काम हइ, परिचय होला के लम्मा अरसा के बादो !
ओहे
से पहिला नजर में कातोर्गा (कठोर सश्रम कारावास) ओइसन असली रूप में हमरा नयँ देखाय
देलकइ, जइसन कि बाद में देखाय देलकइ । ओहे से हम कहलिअइ, कि अगर हम, सब कुछ ओइसन उत्कट
केंद्रित ध्यान से भी देखतिए हल, तइयो हम बहुत कुछ भाँप नयँ सकतिए हल, जे हमर खुद नाक
के निच्चे हलइ । ई स्वाभाविक हलइ, कि शुरू-शुरू में बड़गर, अत्यंत विशिष्ट घटना से हम
आश्चर्यचकित हो गेलिअइ, लेकिन ऊ सब के, शायद, हमरा समझे में गलती होलइ आउ जे खाली हमर
मस्तिष्क में एगो भारी, निराशाजनक रूप से दुखद छाप छोड़लकइ । ई बात के समझे में हमरा
बहुत सहायता मिललइ हमर आ-व से भेंट होवे से, जेहो एगो कैदी हलइ, जे जेल में हमरा से
कुछ समय पहिले अइले हल, आउ जे कातोर्गा में हमर आगमन के बाद, पहिले कुछ दिन में हमर
मस्तिष्क में विशेष कष्टकारी छाप छोड़लके हल । हम, लेकिन, जेल में आवे के पहिलहीं से
जानऽ हलिअइ, कि हमर भेंट आ-व से होतइ । हमरा लगी ऊ पहिलौका कष्टकारी समय के जहरीला
बना देलकइ आउ हमर आत्मिक यातना के बढ़ा देलकइ । ओकरा बारे हम मौन नयँ साध सकऽ हिअइ ।
ई
हलइ ओहे घृणास्पद उदाहरण, जेतना हद तक एगो अदमी गिर सकऽ हइ आउ नीच हो सकऽ हइ आउ बिन
कोय कठिनाई आउ पछतावा के कउनो हद तक अपन हरेक नैतिक भावना के अपने आप में गला घोंट
दे सकऽ हइ । आ-व एगो नौजवान हलइ, कुलीन घराना से, जेकरा बारे हम पहिलहीं आंशिक रूप
से उल्लेख कर चुकलिए ह [3], ई बतइते, कि ऊ हमन्हीं के मेजर के सब कुछ रिपोर्ट कर दे
हलइ, जे कुछ जेल में होवऽ हइ, आउ अर्दली फ़ेदका के साथ ओकर दोस्ती हलइ । अइकी हइ ओकर
संक्षिप्त कहानी - कहीं अपन पढ़ाय पूरा करे में विफल होल आउ मास्को में रिश्तेदार सब
से झगड़ा-उगड़ा करके, जे ओकर चाल-चलन से डर गेते गेले हल, ऊ पितिरबुर्ग पहुँचलइ, आउ पइसा
प्राप्त करे लगी, एगो घटिया किसिम के मुखबिर (informer) के काम करे के निश्चय कइलकइ,
मतलब अपन अत्यंत रूक्ष आउ लंपट सुख के अपन अतोषणीय पिपासा के तत्काल तृप्ति हेतु दस
लोग के खून के बेचे के निश्चय कइलकइ, जेकरा लगी ऊ, पितिरबुर्ग, ओकर मिठाई के दोकान
आउ मिशान्स्काया स्ट्रीट पर के बदनाम अड्डा सब से प्रलोभन में आवल, एतना हद तक लालच
कइलकइ, कि बुद्धिमान अदमी होतहूँ, पागल आउ निरर्थक काम के जोखिम उठइलकइ । ओकर भंडा
जल्दीए फूट गेलइ; ऊ (पुलिस के देल) अपन सूचना में निर्दोष लोग के फँसा देलके हल, दोसर
लोग के धोखा देलके हल, आउ एकरा चलते ओकरा साइबेरिया भेज देवल गेलइ, हमन्हीं के जेल
में, दस साल खातिर । ऊ अभियो बहुत तरुण हलइ, जिनगी तो ओकरा लगी अभी-अभी शुरू होले हल
। अइसन लगते हल, कि ओकर भाग्य में अइसन परिवर्तन ओकरा प्रभावित करतइ, कोय प्रकार के
प्रतिरोध पर ओकर स्वभाव प्रेरित करतइ, कोय प्रकार के बिलकुल कायाकल्प होतइ । लेकिन
ऊ बिन कोय जरिक्को सुनी संकोच के, बिन कोय जरिक्को सुनी नफरत के, अपन नयका किस्मत के
स्वीकार कर लेलकइ; ओकरा सामने नैतिक रूप से क्रोधावेश में नयँ अइलइ, ओकरा कोय भय नयँ
होलइ, सिवाय खाली वस्तुतः काम करे के अनिवार्यता से, आउ मिठाई के दोकान सब से आउ मिशान्स्काया
स्ट्रीट पर के तीन गो बदनाम अड्डा से अलगे होवे के मलाल के । ओकरा एहो लगलइ, कि ओकरा
कठोर सश्रम कारावास के अभियुक्त के पद मिलला से ओकरा तो खाली आउ बड़गर नीचता आउ गंदा
काम करे लगी छूट दे देल गेलइ । "अभियुक्त तो आखिर अभियुक्ते रहतइ; अगर अभियुक्त
हइ, त एकर मतलब होलइ, नीच हरक्कत कर सकऽ हइ, आउ एकरा में शरम के कोय बात नयँ ।"
शाब्दिक रूप से ई ओकर विचार हलइ । हम ई घृणित जीव के बारे एगो दैत्यावतार के रूप में
आद करऽ हिअइ । हम कुछ साल तक हत्यारा, लंपट आउ पक्का बदमाश लोग के बीच रहलिअइ, लेकिन
स्वीकारात्मक रूप से बोलऽ हिअइ, कि अइसन पूर्णतः नैतिक पतन, अइसन निश्चयात्मक लंपटता
आउ अइसन निर्लज्ज नीचता, जे हम आ-व में देखलिअइ, ऊ कभियो आउ अपन जिनगी में नयँ देखलिअइ
। हमन्हीं हीं एगो पितृहंता हलइ, कुलीन घराना से; हम पहिलहीं ओकर उल्लेख कर चुकलिए
ह [4]; कि कइएक विशेषता आउ तथ्य के आधार पर हम कायल हो गेलिअइ, कि ओहो आ-व के अपेक्षा
अधिक भलमानुस आउ दयालु हलइ । हमर नजर में, हमर जेल के जिनगी के पूरे अवधि के दौरान,
दाँत आउ पेट वला आउ अत्यंत रूक्ष अतृप्त पिपासा, अत्यंत वहशी शारीरिक सुख लगी, आ-व
खाली एगो मांस के टुकड़ा हलइ, आउ ई सब अत्यंत छोटगर आउ अत्यंत सनकी सुख के संतुष्टि
लगी ऊ अत्यंत नृशंस तरीका से हत्या करे में सक्षम हलइ, गला रेत सकऽ हलइ, एक शब्द में,
सब कुछ कर सकऽ हलइ, खाली (ई अपराध के) नतीजा पानी में छिप्पल रह सकइ । हम एकरा बढ़ा-चढ़ाके
नयँ बोल रहलिए ह; हम आ-व के निम्मन से जानऽ हलिअइ । ई अइसन उदाहरण हलइ, जेकरा में मानव
के शारीरिक पक्ष कइसनो हद तक जा सकऽ हलइ, जे आंतरिक रूप से कइसनो मानदंड से, कइसनो
नियम-कानून से नियंत्रित नयँ हइ । आउ हमरा ओकर हमेशे के व्यंग्यात्मक मुसकान देखे में
केतना घिनौना लगऽ हलइ ! ई एगो राक्षस हलइ, एगो नैतिक क्वाज़िमोदो [5] । ओकरा में जोड़
देहो, कि ऊ चलाँक आउ बुद्धिमान, सुंदर, कुछ पढ़लो-लिक्खल हलइ, ओकरा में क्षमता हलइ ।
नयँ, समाज में अइसन अदमी से बेहतर हइ आग, बेहतर हइ महामारी ! हम पहिलहीं उल्लेख कर
चुकलिए ह, कि जेल में हमेशे एतना नीच हरक्कत होवऽ हलइ, कि गुप्तचरी आउ चुगलखोरी फल-फूल
रहले हल आउ कैदी लोग एकरा चलते गोस्सा नयँ करते जा हलइ [6] । एकर विपरीत, आ-व के साथ
ओकन्हीं बहुत मित्रवत् व्यवहार करऽ हलइ आउ हमन्हीं के अपेक्षा ओकरा साथ जादे पटरी रहऽ
हलइ । हमन्हीं के पीयल मेजर के कृपापात्र रहे से ओकन्हीं के नजर में ओकर महत्त्व आउ
रोब हलइ । एकरा अलावे, ऊ मेजर के विश्वास देला देलके हल, कि ऊ चित्र बना सकऽ हइ (कैदी
लोग के ऊ विश्वास देला देलके हल, कि गारद सेना (the Guards) में ऊ लेफ़्टेनेंट रह चुकले
हल), आउ ऊ (मेजर) माँग कइलकइ, कि ओकरा काम पर ओकर घर पर भेजल जाय, जाहिर हइ, मेजर के
चित्र बनावे खातिर । हिएँ परी ओकरा मेजर के अर्दली फ़ेदका से दोस्ती हो गेलइ, जेकर अपन
मालिक पर असाधारण प्रभाव हलइ, आउ परिणामस्वरूप, जेल में सब कोय आउ सब कुछ पर । मेजरे
के जरूरत के मोताबिक आ-व हमन्हीं पर गुप्तचरी करऽ हलइ, आउ ऊ (मेजर) नीसा में धुत्त,
जब ओकर गाल पर चमेटा लगवऽ हलइ, त ओकरे गुप्तचर आउ चुगलखोर कहके डाँटऽ-फटकारऽ हलइ ।
अइसन होवऽ हलइ, आउ बहुत अकसर, कि मेजर पिटाय कइला के बाद कुरसी पर बइठ जाय आउ आ-व के
चित्र बनावे के काम जारी रक्खे के औडर दे देइ । हमन्हीं के मेजर, लगऽ हइ, वास्तव में
विश्वास करऽ हलइ, कि आ-व नामी कलाकार हइ, लगभग ब्र्यूलोव (Bryulov) जइसन, जेकरा बारे
ओहो सुनलके हल, लेकिन तइयो ऊ ओकरा चमेटा मारे के सही समझऽ हलइ, काहेकि, ओकर कहना हलइ,
कि अभी तूँ भले ओहे कलाकार हीं, लेकिन एगो कैदी हकहीं, आउ बल्कि एक तुरी मानियो लेल
जाय कि तूँ ब्र्यूलोव हकहीं, तइयो हम तोर चीफ़ हकिअउ, मतलब, जे चाहबउ, ऊ तोरा साथ करबउ
। एकरा अलावे, ऊ आ-व के अपन बूट निकासे लगी बाध्य करइ आउ शयनकक्ष से विभिन्न तरह के
बरतन के गंदा पानी खाली करवावइ, आउ तइयो लम्मा अरसा तक ई विचार ओकर दिमाग से नयँ गेलइ,
कि आ-व एगो महान कलाकार हइ । चित्र बनावे के काम बिन कोय अंत के विलंबित होते गेलइ,
लगभग एक साल । आखिरकार, मेजर अंदाज लगा लेलकइ, कि ओकरा धोखा देल जा रहले ह, आउ पूरा
तरह से विश्वस्त हो गेला पर, कि चित्र के काम कभी खतम नयँ होतइ, बल्कि एकर विपरीत,
दिन पर दिन ओकर चेहरा से भिन्नतर आउ भिन्नतर होते जा रहले ह, त गोसाऽ गेलइ, ओकर पिटाय
कइलकइ आउ दंड के रूप में काला काम (कठोर श्रम) लगी जेल भेज देलकइ । आ-व के स्पष्टतः
एकरा बारे पछतावा होलइ, आउ ओकरा बहुत कष्ट होलइ, ई सब के समाप्त हो गेला से - निठल्ला
दिन, मेजर के टेबुल पर के चाट, दोस्त फ़ेदका के संगत आउ सब्भे मौज-मस्ती, जे ओकन्हीं
दुन्नु मेजर के भनसाघर में आविष्कार करते रहऽ हलइ । कम से कम मेजर आ-व के दूर हट गेला
के बाद एम॰ के सतावे लगी बन कर देलकइ, जे एगो कैदी हलइ, आउ जेकर विरुद्ध आ-व लगातार
ओकर कान भरते रहऽ हलइ, आउ अइकी ई कारण से - आ-व के जेल में आगमन के समय एम॰ अकेल्ले
हलइ । ऊ बहुत बोर होवऽ हलइ; दोसर कैदी लोग के साथ ओकर कुछ समान (common) नयँ हलइ, ओकन्हीं
तरफ ऊ भय आउ घृणा से देखऽ हलइ, ओकन्हीं में ऊ कुच्छो देख नयँ पावऽ हलइ, जे ओकरा ओकन्हीं
साथ संगति आउ सामंजस्य स्थापित कर सकइ, आउ ओकन्हीं साथ हिल-मिलके नयँ रहऽ हलइ । ओकन्हीं
ओकरा साथ ओइसने घृणा के दृष्टि से देखऽ हलइ । साधारणतः एम॰ जइसन लोग के स्थिति जेल
में भयंकर होवऽ हइ । ऊ कारण, जेकरा चलते आ-व जेल में पड़ गेलइ, एम॰ के मालूम नयँ हलइ
। एकर विपरीत, आ-व, ई अंदाज लगाके, कि केकरा से ओकरा पाला पड़ले ह, तुरतम्मे ओकरा विश्वास
देला देलकइ, कि ऊ बिलकुल चुगलखोरी के विपरीत काम लगी निर्वासित कइल गेले ह, लगभग ओहे
लगी, जेकरा चलते एम॰ के निर्वासित कइल गेले
हल । ऊ (एम॰) ओकर देखभाल कइलकइ, जेल के पहिले कुछ दिन के दौरान ओकरा सांत्वना देलकइ,
ई सोचके कि ओकरा बहुत जादे तकलीफ होतइ, ओकरा अपन अंतिम कोपेक तक दे देलकइ, ओकरा खिलइलकइ,
सबसे आवश्यक समान ओकरा साथ साझा कइलकइ । लेकिन आ-व तुरते ओकरा से घृणा करे लगलइ, ई
बात से, कि ऊ निम्मन अदमी हलइ, ई कारण से कि ऊ हरेक नीचता के भयंकर ढंग से देखऽ हलइ,
बिलकुल ई कारण से, कि ऊ बिलकुल ओकरा नियन नयँ हलइ, आउ ऊ सब कुछ, जे एम॰ अपन पहिलौका
बातचीत में ओकरा जेल आउ मेजर के बारे बतइलके हल, ऊ जल्दीबाजी करके पहिलहीं मौका पर
जाके मेजर के रिपोर्ट कर देलकइ । मेजर एकरा खातिर भयंकर रूप से एम॰ से घृणा करे आउ
सतावे लगलइ, आउ अगर जेल के कमांडेंट के प्रभाव नयँ होते हल, त ऊ ओकरा लगी विपत्ति खड़ी
कर देते हल । आ-व तो, नयँ खाली नयँ सकुचाय, जब बाद में एम॰ ओकर नीचता के बारे जान गेलइ,
बल्कि ओकरा से मिल्ले लगी भी पसीन करइ आउ ओकरा तरफ व्यंग्यपूर्वक देखवो करइ । स्पष्टतया
एकरा से ओकरा खुशी मिल्लइ । खुद एम॰ हमरा एकरा बारे कइएक तुरी इशारा कइलकइ । ई नीच
जानवर बाद में एगो कैदी आउ मार्गरक्षी के साथ भाग गेलइ, लेकिन ई पलायन के बारे हम बाद
में चर्चा करबइ । ऊ शुरू-शुरू में हमरा भिर खुशामद करते-करते हमर दिल में बस जाय के
कोशिश कइलकइ, सोचलकइ, कि हम ओकर कहानी नयँ सुनलिए होत । हम ई बात दोहरावऽ हिअइ, कि
जेल के हमर पहिलौका दिन के आउ जादे दयनीय बनाके ऊ जहरीला बना देलक । हम ऊ भयानक कमीनापन
आउ नीचता से आतंकित हो गेलिअइ, जेकरा में हमरा फेंक देल गेले हल, जेकर बीच हम अपने
के पइलिअइ । हम सोचलिअइ, कि हियाँ परी सब कुछ में ओइसने कमीनापन आउ नीचता हइ । लेकिन
हमरा गलतफहमी हलइ - हम सब कुछ के निर्णय आ-व के आधार पर करऽ हलिअइ ।
ई
तीन दिन तक हम उदास, जेल में एन्ने-ओन्ने घूमते रहलिअइ, अपन पटरा पर पड़ल रहलिअइ, अकीम
अकीमिच द्वारा निर्दिष्ट (अनुशंसित) कइल एगो विश्वसनीय कैदी के हम सरकार तरफ से देल
गेल कपड़ा के कमीज सीए लगी दे देलिअइ, जाहिर हइ, भुगतान पर (हरेक कमीज लगी कुछ अद्धी
के हिसाब से), अकीम अकीमिच के आग्रहपूर्ण सलाह के अनुसार हम अपना लगी तहदार गद्दी
(folding mattress) ले लेलिअइ (फेल्ट के बन्नल, आउ उपरे से कपड़ा से सीके ढँक्कल), अत्यधिक
पतरा, मालपूआ नियन, आउ एगो तकिया, ऊन से भरल, जे बिन अभ्यस्त अदमी लगी भयंकर रूप से
कड़ा हलइ । अकीम अकीमिच ई सब चीज के प्रबंध करे खातिर बहुत दौड़-धूप कइलकइ आउ खुद ओकरा
में सहयोग कलकइ, त्यागल पतलून आउ जैकेट के दोसर कैदी लोग से हमर खरदल आउ जामा कइल,
पुरनका सरकारी कपड़ा के चिथड़ा से अपन हाथ से एगो रजाई सी देलकइ । सरकारी कपड़ा, जेकर
अवधि समाप्त हो जा हलइ, ऊ सब कैदी के संपत्ति हो जा हलइ; ऊ सब के तुरतम्मे हुएँ जेल
में बेच देल जा हलइ, आउ कोय कपड़ा केतनो पुराना होके फट-फूट काहे नयँ जाय, तइयो हमेशे
ई आशा रहऽ हलइ कि हाथ से अलगे होवे पर कुछ न कुछ एकर कीमत मिलतइ । ई सब से शुरू-शुरू
में हमरा बहुत अचरज होवऽ हलइ । सामान्य रूप से ई हमरा जनता (कृषक वर्ग) के साथ पहिले
तुरी के संपर्क के अवसर हलइ । हम खुद ओइसने एगो सीधा-सादा सामान्य अदमी हो गेलिअइ,
ओइसने एगो अभियुक्त, जइसन की ओकन्हीं होते जा हलइ । ओकन्हीं के आदत, अवधारणा, विचार,
रिवाज मानूँ हमरो हो गेलइ, कम से कम औपचारिक रूप से, कानूनी तौर पर, हलाँकि ऊ सब के
हम वस्तुतः साझा नयँ करऽ हलिअइ । हम आश्चर्यचकित हो गेलिअइ आउ संकोच में पड़ गेलिअइ,
जइसे हम पहिले ई सब के बारे कुछ नयँ शक्का कइलिए हल आउ कुछ नयँ सुनलिए हल, हलाँकि हम
जानऽ हलिअइ आउ सुन चुकलिए हल । लेकिन सच्चाई, खाली जनकारी आउ अफवाह के अपेक्षा, मस्तिष्क
पर बिलकुल दोसरे छाप छोड़ऽ हइ । की हम, मसलन, पहिले कभियो शक्का कर सकऽ हलिअइ, कि अइसन
चीज, अइसन पुरनकन उतरन के भी (कुछ कीमत के) चीज समझल जा सकऽ हइ ? आउ अइकी ई सब चिथड़ा
से अपना लगी एगो रजाई बनइलिअइ ! कल्पनो करना मोसकिल हलइ, कि कैदी सब लगी निर्धारित
कइल पोशाक (वरदी) लगी कइसन तरह के कपड़ा के प्रयोग कइल जा होतइ । देखे में ई मानूँ वस्तुतः
सैनिक वरदी नियन मोटगर कपड़ा से मेल खा हलइ; लेकिन जरी सुनी पेन्हलऽ नयँ, कि ई एक तरह
से (मछली के) जाल नियन हो जा हलइ आउ बीभत्स ढंग से फट-फूट जा हलइ । लेकिन ई वरदी के
एक साल के अवधि तक चल्ले के आशा कइल जा हलइ, लेकिन एतना अवधि तक चल पाना मोसकिल हलइ
। कैदी काम करऽ हइ, भारी बोझ ढोवऽ हइ; कपड़ा छिज जा हइ आउ जल्दीए फट-फूट जा हइ । भेड़
के खाल के कोट तीन साल लगी देल जा हलइ आउ साधारणतः ई अवधि तक काम चलावल जा हलइ - पोशाक
के रूप में, रजाई के रूप में आउ बिस्तर (bedding) के रूप में । लेकिन भेड़ के खाल के
कोट टिकाऊ होवऽ हइ, हलाँकि तेसरा बरिस के अंत में, मतलब प्रत्याशित अवधि के बाद, केकरो
देह पर ई देखना विरल घटना नयँ होवऽ हलइ, कि कोट में सामान्य कपड़ा के पेउँद लगल हइ ।
बहुत फट्टल-चिट्टल रहला के बावजूद, निश्चित अवधि के अंत में, चानी के चालीस कोपेक में
बिक्कऽ हलइ । कुछ कोट तो, निम्मन से संजोगल रहला पर, छो चाहे सातो ग्रिव्ना (1 ग्रिव्ना
= 10 कोपेक) में बिक्कऽ हलइ, आउ जेल में तो ई एगो बड़गो रकम हलइ ।
पइसा
के तो - हम एकरा बारे पहिलहीं उल्लेख कर चुकलिए ह - जेल में बड़गो महत्त्व हलइ, शक्ति
हलइ [7] । पक्का तरह से कहल जा सकऽ हलइ, कि ऊ कैदी, जेकरा पास जेल में पइसा हलइ, दस
गुना कमती तकलीफ झेलऽ हलइ, बनिस्बत ऊ कैदी के, जेकरा पास कुछ नयँ रहऽ हलइ, हलाँकि परवर्ती
(latter) के भी सब कुछ सरकारी समान मुहय्या करावल जा हलइ, त लगऽ हइ, कि ओकरा पइसा काहे
लगी चाही ? - जइसन कि प्राधिकारी लोग (authorities) के तर्क हलइ । तइयो हम फेर से दोहरावऽ
हिअइ, कि अगर कैदी लोग के अपन पइसा रक्खे के हरेक संभावना से बिलकुल वंचित कर देल जइते
हल, त ओकन्हीं खयँ तो पागल हो जइते हल, खयँ तो मक्खी नियन मर जइते हल (ई बात के बावजूद,
कि ओकन्हीं के जरूरत के सब समान मुहय्या करावल जा हलइ), चाहे आखिरकार, अनसुन्नल हिंसा
पर उतर जइते हल - कुछ लोग तो बोरियत के कारण, त दोसर लोग जल्दी से जल्दी मौत के दंड
से दंडित हो जाय लगी आउ समाप्त हो जाय लगी चाहते हल, चाहे कइसूँ "भाग्य बदले लगी"
(तकनीकी अभिव्यक्ति) । अगर कैदी, खून पसेना बहाके अपन अर्जित कोपेक के, चाहे एकरा पावे
लगी असाधारण धूर्तता, साथ-साथ अकसर चोरी आउ धोखेबाजी कइलके होत, आउ तइयो बिन सोचले-समझले,
एगो बुतरू नियन अनर्थक रूप से ओकरा खरच करऽ हइ, त एकरा से बिलकुल ई साबित नयँ होवऽ
हइ, कि ऊ ओकर कीमत नयँ समझऽ हइ, हलाँकि प्रथमदृष्ट्या अइसन प्रतीत होवइ । कैदी ऐंठन
(spasm) के हद तक, विवेक के धुँधला हो जाय के हद तक, पइसा के लालची होवऽ हइ, आउ अगर
ऊ वास्तव में ओकरा, चेली (खपची) नियन, फेंक दे हइ, जब ऊ रंगरेली मनावऽ हइ, त ऊ ई कारण
से फेंकऽ हइ, कि ऊ पइसा के आउ जादे महत्त्व समझऽ हइ । कैदी लगी पइसा से बढ़के की हइ
? अजादी चाहे कम से कम अजादी लगी कइसनो सपना । आउ कैदी लोग बड़गो स्वप्नदर्शी होवऽ हइ
। एकरा बारे हम कुछ तो बाद में चर्चा करबइ, लेकिन प्रसंगवश - की ई बात पर विश्वास कइल
जइतइ, कि हम अइसन बीसबरसा जेल के अभियुक्त लोग के देखलिए ह, जे हमरा खुद्दे बोलले हल,
बहुत शांतिपूर्वक, मसलन, अइसन बात - "अइकी जरी इंतजार करहो, भगमान के दया से,
ई अवधि के समाप्त करबइ, आउ तब ... ।" "कैदी" शब्दे के अर्थ होवऽ हइ
- बिन अपन इच्छा वला अदमी; लेकिन, पइसा खरच करे बखत, ऊ अपन इच्छा के अनुसार व्यवहार
करऽ हइ । कइसनो (निरार आदि पर के दागल) छाप, बेड़ी आउ जेल के घृणास्पद स्तंभ, जे ओकरा
भगमान के दुनियाँ से छिपावऽ हइ आउ ओकरा जंगली जानवर नियर पिंजड़ा में बन कर दे हइ, ऊ
दारू मँगा सकऽ हइ, मतलब जेकर सख्त मनाही हइ, ओइसन मौज-मस्ती कर सकऽ हइ, औरतबाजी कर
सकऽ हइ, कभी-कभी (हलाँकि हमेशे नयँ) अपन सबसे नगीच अफसर सब के, अपंग पूर्वसैनिक के, आउ सर्जेंट के भी मुट्ठी भी
गरम कर सकऽ हइ, जे ई बात के अंगुरी के बीच से देखतइ (अर्थात् उपेक्षा कर देतइ), कि
ऊ (कैदी) कानून आउ अनुशासन के भंग कर रहले ह; आउ मोल-जोल के अलावे, ओकन्हीं पर शेखी
बघारतइ, आउ कैदी शेखी बघारना भयंकर रूप से पसीन करऽ हइ, मतलब अपन साथी लोग के सामने
ढोंग करना आउ बल्कि तात्कालिक रूप से खुद के आश्वस्त करना, कि जेतना प्रतीत होवऽ हइ,
ओकरा से अपेक्षाकृत ओकरा पास कहीं अधिक स्वतंत्रता आउ शक्ति हइ - एक शब्द में, गप हाँक
सकऽ हइ, हंगामा कर सकऽ हइ, केकरो निम्मन से डाँट-फटकार कर सकऽ हइ आउ ओकरा साबित कर
सकऽ हइ, कि ऊ ई सब कुछ कर सकऽ हइ, कि ई सब कुछ "हम्मर हाथ में" हइ, मतलब
स्वयं के ई बारे आश्वस्त कर सकऽ हइ, जेकरा बारे कोय गरीब अदमी के सोचनो असंभव हइ ।
प्रसंगवश, शायद एहे कारण हो सकऽ हइ, कि कैदी लोग में, नीसा में नयँ रहलो पर, साहस,
शेखी, आउ अपन व्यक्तित्व के हास्यजनक आउ अत्यधिक सरल (naive) महिमागान के सामान्य प्रवृत्ति
देखल जा हइ, चाहे ई महिमागान काल्पनिक हीं होवइ । आखिर, ई सब रंगरेली में खुद के जोखिम
हइ - मतलब, ई सब कुछ में, बल्कि कोय तरह के तो जिनगी के साया (आभास) हइ, बल्कि स्वतंत्रता
के दूर के साया हइ । आउ स्वतंत्रता खातिर कउची नयँ दे देल जा सकऽ हइ ? कउन करोड़पति,
अगर ओकर गला में फाँसी के फंदा होवइ, हावा के एक साँस लगी अपन सब करोड़ नयँ दे देतइ
?
कभी-कभी
जेल के प्राधिकारी आश्चर्यचकित हो जा हइ, कि कोय कैदी कइएक साल तक शांति से एगो उदाहरण
बनके रहलइ, ओकर प्रशंसनीय आचरण के चलते ओकरा बैरक के मॉनीटर बना देल गेलइ, आउ अचानक
कोय कारण के - मानूँ ओकरा में शैतान घुस गेलइ - ऊ नटखट हो गेलइ, रंगरेली करे लगलइ,
हंगामा करे लगलइ, आउ कभी-कभी सीधे गंभीर अपराध कर बइठलइ - खयँ तो खुल्ला तौर पे उँचगर
प्राधिकारी के मुँह के सामने अपमानित कर बइठलइ, खयँ तो केकरो हत्या कर देलकइ, चाहे
बलात्कार कइलकइ, आदि आदि । लोग ओकरा तरफ देखऽ हइ आउ अचरज करऽ हइ । आउ शायद ई अचानक
विस्फोट के पूरा कारण ऊ व्यक्ति में, जेकरा से सबसे कम प्रत्याशित हलइ, खाली व्यक्तित्व
के अवसादमय, ऐंठनदार (spasmodic) अभिव्यक्ति हइ, अपने आप में अचेतन विषाद हइ, खुद के,
अपन कुचलल व्यक्तित्व के व्यक्त करे के प्रबल इच्छा हइ, जे अचानक प्रकट होलइ आउ द्वेष
के हद तक, क्रोध के हद तक, विवेक के धुँधलाहट तक, मिरगी के दौरा तक, ऐंठन (spasm) तक
पहुँच गेलइ । ई तरह, शायद, जिंदा ताबूत में दफनावल आउ ओकरा में जाग गेला पर, ओकर ढक्कन
पर हाथ से प्रहार करऽ हइ आउ ओकरा हटावे के प्रयास करऽ हइ, हलाँकि, जाहिर हइ, विवेक
ओकरा विश्वास देलइतइ, कि ओकर सब प्रयास विफल रहतइ । लेकिन एहे तो बात हइ, कि हियाँ
परी विवेक के प्रश्न नयँ हइ - हियाँ परी ऐंठन (spasm) हइ । एहो ध्यान में रक्खल जाय,
कि कैदी में व्यक्तित्व के हरेक ऐच्छिक अभिव्यक्ति के अपराध समझल जा हइ; आउ अइसन हालत
में, ओकरा लगी स्वाभाविक रूप से, सब कुछ बराबर हइ, कि कउची बड़गर अपराध हइ, कउची छोटगर
। अगर रंगरेली करे के हइ - त रंगरेली करे के हइ, अगर जोखिम लेवे के हइ - त सब कुछ के
जोखिम लेवे के हइ, बल्कि हत्यो के काहे नयँ होवइ । आउ खाली शुरू करे के बात हइ (अर्थात्
पहिलौके कदम उठावे में कठिनाई हइ) - बाद में अदमी नीसा में धुत्त हो जइतइ, त ओकरा रोकलो
नयँ जा सकऽ हइ ! लेकिन बाद में हर तरह से ई बेहतर होतइ कि ओकरा अइसन हालत में पहुँचे
नयँ देल जाय । ई सब लगी अधिक बेफिक्री के बात होतइ ।
हाँ;
लेकिन ई कइल कइसे जाय ?
No comments:
Post a Comment