कालापानी
(साइबेरिया में जेल के जिनगी)
भाग-2; अध्याय-1: अस्पताल (1)
उत्सव
(छुट्टी) के तुरते बाद हम बेमार पड़ गेलिअइ आउ हमरा हमन्हीं के मिलिट्री अस्पताल भेज
देवल गेलइ । ई किला से आधा विर्स्ता (= 532 मीटर) अलगे हलइ । ई एगो लमगर एकमंजिला बिल्डिंग
हलइ, पीयर पेंट कइल। गरमी में, जब मरम्मत के काम कइल जा हलइ, त एकरा में बहुत अधिक
गेरू के प्रयोग कइल जा हलइ । अस्पताल के बड़गर प्रांगण में दफ्तर, चिकित्सा प्राधिकारी
लगी घर आउ दोसर-दोसर उपयोगी बिल्डिंग हलइ । मुख्य भाग में खाली रोगी सब के वार्ड हलइ
। वार्ड कइएक हलइ, लेकिन कैदी लगी कुल्लम दुइए गो हलइ, हमेशे बहुत कोंचकल, लेकिन विशेष
करके गरमी में, ओहे से बिछावन के अकसर घसकाके नगीच-नगीच रक्खे पड़ऽ हलइ । हमन्हीं के
वार्ड हर तरह के "अभागल लोग" से भरल रहऽ हलइ । हुआँ हमन्हीं के लोग जा हलइ,
तरह-तरह के मिलिट्री के अभियुक्त लोग जा हलइ, जेकन्हीं के तरह-तरह के गार्ड के अधीन
रक्खल जा हलइ, दंड के निर्णय सुनावल, दंड के निर्णय के प्रतीक्षा में आउ एक जेल से
दोसरा जेल में प्रेषित लोग; कुछ लोग एगो विचित्र संस्था सुधार कंपनी से जा हलइ, जेकरा
में भेजल जा हलइ - बटालियन के कोय अपराध के अभियुक्त आउ कम विश्वसनीय सैनिक के अपन
आचरण में सुधार लगी, जाहाँ से लगभग दू साल चाहे अधिक के बाद साधारणतः ओकन्हीं अइसन
छँट्टल बदमाश के रूप में बाहर आवऽ हलइ, जइसन से विरले भेंट होवऽ हइ ।
हमन्हीं
हीं के बेमार पड़ल कैदी साधारणतः सुबह में अपन बेमारी के बारे अपन सर्जेंट के रिपोर्ट
करऽ हलइ । ओकन्हीं के नाम के प्रविष्टि तुरतम्मे रजिस्टर में नोट कर लेल जा हलइ आउ
ई रजिस्टर के साथ रोगी के मार्गरक्षी के साथ बटालियन अस्पताल में भेजल जा हलइ । हुआँ
डाक्टर, किला में के सब्भे मिलिट्री कमांड से आवल, सब्भे रोगी के प्रारंभिक जाँच करऽ
हलइ, आउ जेकरा वास्तव में रोगी पावऽ हलइ, ओकरा अस्पताल भेज दे हलइ । हमर नाम रजिस्टर
में नोट कइल गेलइ, आउ एक आउ दू बजे के बीच, जब हमन्हीं हीं के सब लोग के भोजन के बाद
के काम पर रवाना कर देल गेलइ, त हम अस्पताल चल देलिअइ । बेमार कैदी साधारणतः अपन साथ
यथाशक्ति पइसा आउ पावरोटी लेके जा हलइ, काहेकि ऊ दिन अस्पताल में कोय हिस्सा के आशा
नयँ कर सकऽ हलइ, आउ छोटगर चुरूट, खैनी के थैली, चकमक (flint) आउ स्टील (आग सुलगावे
खातिर) । ई अंतिम समान सब सवधानी से बूट में नुकावल जा हलइ । हमन्हीं कैदी के रहन-सहन
के मामले में हमरा लगी अभियो ई नयका, अनजान परिवर्तन लगी हम अस्पताल के छरदेवाली के
अंदर बिन कोय उत्सुकता के नयँ घुसलिअइ ।
दिन
गरम, बादर छाल आउ उदास हलइ - ओइसनका दिन में से एक, जब अस्पताल जइसन संस्था विशेष व्यस्त,
अवसादमय आउ बेदिल सूरत धारण कर ले हइ । हमन्हीं अनुरक्षक (convoy) के साथ स्वागत-कक्ष
में प्रवेश कइलिअइ, जाहाँ तामा के दूगो स्नान कंडाल (bathtubs) हलइ आउ जाहाँ पहिलहीं
से अनुरक्षक के अधीन दूगो अभियुक्त रोगी प्रतीक्षा कर रहले हल । फ़ेल्डशर
[Feldscher (जर्मन)- डिप्लोमाधारी सहायक सर्जन] प्रवेश कइलकइ, अराम से आउ प्रभुत्व
के साथ हमन्हीं के देखलकइ आउ जादहीं अराम से (lazily ) ड्यूटी पर के डाक्टर के रिपोर्ट
करे लगी रवाना होलइ । ऊ (डाक्टर) तुरतहीं अइलइ; जाँच कइलकइ, बहुत प्रेम से बात कइलकइ
आउ हमन्हीं के "बेमारी के सूची" देलकइ, जेकरा में हमन्हीं के नाम लिक्खल
हलइ । आगू के बेमारी के वर्णन, दवाय आउ पथ्य के नुसखा (prescription) आदि के काम निवासी
डाक्टर (resident doctor) पर छोड़ देल गेले हल, जे कैदी वार्ड के प्रभारी हलइ । हम पहिलहूँ
सुन चुकलिए हल, कि कैदी लोग अपन डाक्टर के प्रशंसा करते नयँ थक्कऽ हइ । "उनकन्हीं
पिताजी से भी बढ़के हका !" हमर प्रश्न पर ओकन्हीं उत्तर देलकइ, जब हम अस्पताल लगी
रवाना हो रहलिए हल । एहे दौरान हमन्हीं कपड़ा बदललिअइ । जे पोशाक आउ बस्तर में हमन्हीं
अइलिए हल, हमन्हीं हीं से ले लेल गेलइ आउ हमन्हीं के अस्पताल के बस्तर पेन्हावल गेलइ,
आउ एकरा अलावे, हमन्हीं के लमगर पैताबा, चप्पल, टोपी आउ मोटगर कपड़ा के गाढ़ा भूरा रंग
के ड्रेसिंग-गाउन देल गेलइ, जेकर या तो सूती कपड़ा से, या तो कोय तरह के प्लास्टर से
अस्तर कइल हलइ । एक शब्द में, ड्रेसिंग-गाउन बहुत जादे हद तक गंदा हलइ; लेकिन एकर मूल्यांकन
पूरा तरह से हम जगह पर पहुँचले पर कर पइलिअइ (अर्थात् केतना गंदा हलइ ई हम अपन बिछौना
पर पहुँचले पर पूरा तरह से समझ पइलिअइ) । फेर हमन्हीं के कैदी वार्ड में ले जाल गेलइ,
जे एगो लमगर गलियारा (corridor) के अंत में अवस्थित हलइ, आउ उँचगर आउ साफ-सुथरा हलइ
। बाहर से सफाई सगरो बहुत संतोषजनक हलइ; ऊ सब कुछ जे पहिले नजर में देखाय पड़लइ, चमकऽ
हलइ । लेकिन, ई हमरा अपन जेल के तुलना में ओइसन लगले होत । दू अभियुक्त बामा दने के
वार्ड में गेलइ, हम दहिना दने के । लोहा के सिटकिनी लग्गल दरवाजा बिजुन राइफल के साथ
एगो संतरी खड़ी हलइ, आउ ओकर बगल में सहायक संतरी । एगो जुनियर सर्जेंट (अस्पताल गार्ड
में से) हमरा अंदर जाय के औडर देलकइ, आउ हम खुद के एगो लमगर आउ सकेत कमरा में पइलिअइ,
जेकरा में लमइए दुन्नु दने के देवाल से सटले बिछौना लगल हलइ, संख्या में करीब बाइस
गो, जेकरा में से तीन-चार गो अभियो खाली हलइ । बिछौना लकड़ी के हलइ, हरियर पेंट कइल,
जेकरा से रूस में सब्भे आउ हरेक कोय निम्मन से परिचित हइ - ठीक ओहे बिछौना, जे मानूँ
पूर्वनिर्धारित रूप से कइसूँ बिन ऊड़िस के नयँ हो सकऽ हइ । हमरा ऊ तरफ के कोना में रक्खल
गेलइ, जाहाँ परी खिड़की हलइ ।
जइसन
कि हम पहिलहीं उल्लेख कर चुकलिए ह, कि हियाँ परी हमन्हीं के जेल के कैदी लोग भी हलइ
। ओकन्हीं में से कुछ लोग हमरा पहिलहीं से जानऽ हलइ चाहे कम से कम पहिलहीं देखलके हल
। बहुत जादे संख्या अभियुक्त लोग के आउ सुधार कंपनी में से हलइ । जादे गंभीर रूप से
बेमार, मतलब जे बिछौना पर से उठ नयँ सकऽ हलइ, अइसन लोग के संख्या जादे नयँ हलइ । आउ
दोसरकन, जे जरी-मनी बेमार चाहे चंगा होवे-होवे वला हलइ, या तो बिछौना पर बइठल हलइ,
या कमरे में आगू-पीछू चक्कर लगा रहले हल, जाहाँ दुन्नु कतार के बिछौना के बीच कुछ जगह
हलइ, जाहाँ चहलकदमी कइल जा सकऽ हलइ । वार्ड में अस्पताल के अत्यधिक दमघोंटू गन्ह हलइ
। कमरा के हावा तरह-तरह के दवाय के अप्रिय भाफ आउ गन्ह से प्रदूषित हलइ, ई बात के बावजूद,
कि लगभग दिन भर कोना में स्टोव जलते रहऽ हलइ । हमर बिछौना पर धारीदार बेडशीट हलइ ।
हम एकरा हटा देलिअइ । बेडशीट के निच्चे बनाती (flannel) कंबल हलइ, जेकरा में सूती कपड़ा
आउ बहुत शंकनीय स्वच्छता वला मोटगर कपड़ा से अस्तर कइल हलइ । बिछावन के बगल में एगो
छोटकुन्ना टेबुल हलइ, जेकरा पर एगो मग आउ टिन के प्याली हलइ । ई सब कुछ शिष्टाचार हेतु
हमरा देल गेल तौलिया से ढँक्कल हलइ । टेबुल के निच्चे एगो दराज हलइ - हुआँ परी पिये
वला चाय के चायदानी, क्वास के जग आदि रख सकऽ हलइ; लेकिन रोगी लोग के बीच बहुत कमहीं
लोग चाय पीये वला हलइ । चुरूट आउ तमाकू के थैली, जे लगभग हरेक के पास हलइ, तपेदिक के
रोगियो के पास, बिछौना के निच्चे नुकावल रहऽ हलइ । डाक्टर आउ प्रशासन में से दोसर लोग
लगभग कभियो ऊ सब के जाँच नयँ करते जा हलइ, आउ कभी केकरो चुरूट के साथ पकड़ियो ले हलइ,
त अइसन देखावा करऽ हलइ, कि ओकन्हीं नयँ नोटिस करऽ हइ । लेकिन, रोगी लोग लगभग हमेशे
सवधान रहते जा हलइ आउ धूम्रपान करे लगी स्टोव के पास जा हलइ । खाली रतिए के बिछौना
पर धूम्रपान करऽ हलइ; लेकिन रात के जाँच करे लगी कोय दौरा पर नयँ आवऽ हलइ, सिवाय कभी-कभी
अस्पताल गार्ड के प्रभारी अफसर के ।
अभी
तक हम कभियो कोय अस्पताल में नयँ भरती होलूँ हल; ओहे से पूरा वातावरण हमरा लगी बिलकुल
नावा हले । हम नोटिस कइलिअइ, कि हम कुछ उत्सुकता पैदा कर रहलिए ह । हमरा बारे ओकन्हीं
पहिलहीं सुन चुकले हल आउ हमरा दने बहुत अशिष्टाचार से तक रहले हल, हियाँ तक कि कुछ
अभिमान के झलक (shade) के साथ, जइसन कि कोय स्कूल में नयका विद्यार्थी दने चाहे कोय
सरकारी दफ्तर में कोय आवेदक दने तकते जा हइ । हमर दहिना बगली एगो अभियुक्त पड़ल हलइ,
एगो क्लर्क जे एगो सेवा-निवृत्त कप्तान के अवैध बेटा हलइ। ओकरा पर नकली पइसा बनावे
के अभियोग हलइ आउ एक साल से अस्पताल में हलइ, शायद कउनो बेमारी के चलते नयँ, बल्कि
डाक्टर सब के ई आश्वस्त करके, कि ओकरा नाड़ी-अर्बुद (aneurysm) हइ । ऊ अपन उद्देश्य
के प्राप्ति कर चुकले हल - कठोर श्रम आउ शारीरिक दंड से बच गेले हल, आउ एक साल बाद
ओकरा ते-क [1] भेजल गेलइ, कहीं पर ओकरा अस्पताल में भरती करे लगी । ऊ मोटा-ताजा, नाटा
आउ गठीला, लगभग अठाइस साल के लड़का हलइ, बड़गो धूर्त आउ विधिज्ञ (legalist), बहुत तेज,
अत्यंत मनमौजी आउ आत्मविश्वासी छोकरा, बेमारी के हद तक आत्मप्रेमी, अत्यंत गंभीर रूप
से खुद पर विश्वस्त, कि ऊ संसार में सबसे ईमानदार आउ सत्यनिष्ठ व्यक्ति हइ आउ कोय मामले
में दोषी नयँ हइ, आउ हमेशे लगी ऊ ई विश्वास पर अटल रहलइ । ऊ हमरा से पहिले बात कइलकइ,
उत्सुकता से हमरा से पूछताछ करे लगलइ आउ काफी विस्तार से हमरा अस्पताल के बाहरी नियम-कानून
के बारे बतइलकइ । स्वाभाविक रूप से, सबसे पहिले हमरा ऊ बतइलकइ, कि ऊ कप्तान के बेटा
हइ । ओकरा देखे में कुलीन (nobleman) लगे के अत्यंत मन करऽ हलइ, चाहे कम से कम
"शरीफ घराना" से । ठीक ओकर पीछू हमरा भिर एगो सुधार कंपनी से एगो रोगी अइलइ
आउ हमरा विश्वास देलावे लगलइ, कि पहिले के निर्वासित कइएक कुलीन लोग के बारे ऊ जानऽ
हइ, ओकन्हीं के नाम आउ वंशनाम (पितृनाम) सहित्ते बतइते । ई पक्कल केश वला एगो सैनिक
हलइ; ओकर चेहरा पर लिक्खल हलइ, कि ऊ सब कुछ झूठ बोलब करऽ हइ । ओकर नाम चिकुनोव हलइ
। ऊ स्पष्ट रूप से हमर चापलूसी कर रहले हल, शायद ई शक्का करते कि हमरा पास पइसा हइ
। हमरा पास चाय आउ चीनी के पैकेट देखके, ऊ तुरते अपन सेवा के प्रस्ताव रखलकइ - हमरा
लगी चायदानी के इंतजाम करे आउ चाय बनावे के । काम पर अस्पताल गेल, जेल के कैदी लोग
में से केकरो हीं से, एम-त्सकी हमरा दोसरा दिन चायदानी भेजे के वचन देलके हल । लेकिन
चिकुनोव सब काम के निपटा ले हलइ । ऊ कोय प्रकार के केतली खोजके लावइ, प्याली भी, पानी
उबालइ, चाय तैयार करइ - एक शब्द में, ऊ असाधारण उत्साह से सेवा करइ, जेकरा चलते ऊ एक
रोगी में अपने आप कुछ जहरीला व्यंग्य पैदा कइलकइ । ई रोगी तपेदिक से पीड़ित हलइ, जे
हमर सामने पड़ल हलइ, जेकर पारिवारिक नाम हलइ उस्त्यान्त्सेव, एगो अभियुक्त, ठीक ओहे,
जे दंड से भयभीत होके, एक जग दारू पी लेलके हल, जेकरा में बहुत जादे तमाकू डालल हलइ,
जेकरा से ओकरा तपेदिक धर लेलके हल; ओकरा बारे हम पहिलहीं कइसूँ बता चुकलिए ह । अब तक
ऊ चुपचाप पड़ल रहले हल आउ मोसकिल से साँस ले पावऽ हलइ, हमरा दने एकटक आउ गंभीरतापूर्वक
तकते आउ चिकुनोव दने क्रोध से देखते । असाधारण, पित्तदोष गंभीरता ओकर क्रोध के एक प्रकार
के हास्यजनक झलक प्रदान कर रहले हल । आखिरकार ओकरा बरदास नयँ होलइ -
"हूँ,
बंधुआ मजूर ! मालिक के खोज लेलकइ !" ऊ रुक-रुकके आउ कमजोरी से हँफते अवाज में
बोललइ । ऊ अपन जिनगी के अंतिम कुछ दिन के मेहमान हलइ ।
चिकुनोव
ओकरा क्रोध से संबोधित कइलकइ -
"केऽ
हइ बंधुआ मजूर ?" उस्त्यान्त्सेव तरफ नफरत से तकते ऊ बोललइ ।
"तूँ
बंधुआ मजूर !" ऊ अइसन स्वयं आश्वस्त तान में उत्तर देलकइ, मानूँ ओकरा चिकुनोव
के डाँट-फटकार करे के पूरा अधिकार हलइ आउ ई उद्देश्य लगी ओकरा नियुक्त कइल गेले हल
।
"हम
बंधुआ मजूर हिअइ ?"
"हाँ,
तूँहीं हकहीं । सुनथिन, भद्र जन, नयँ विश्वास करऽ हइ ! अचरज करऽ हइ !"
"त
तोरा एकरा से की ! देखहीं, ऊ अकेल्ले हथिन, मानूँ बिन हाथ के । ई सबके मालूम हइ, कि
उनका बिन नौकर के काम नयँ चल्लऽ हइ । हम काहे नयँ उनकर सेवा करिअइ, तूँ झबरा थुथुना
वला विदूषक !"
"आउ
ई झबरा थुथुना वला केऽ हइ ?"
"तूँ झबरा थुथुना वला हकहीं ।"
"हम
झबरा थुथुना वला हिअइ ?"
"हाँ,
तूँहीं !"
"आउ
तूँ बड़ी सुरतगर हीं ? अगर हम झबरा थुथुना वला हिअइ ... त तूँ कौआ के अंडा नियन चेहरा
वला हकँऽ।"
"झबरा
थुथुने वला हकँऽ ! भगमान तो वास्तव में तोरा पहिलहीं मार देलको ह, अब पड़ जो आउ मर
! नयँ, सब कुछ में टाँग अड़इतइ ! हूँ, काहे लगी टाँग अड़ावऽ हीं ?"
"काहे
लगी ! नयँ, बेहतर हम बूट के सिर झुकइबइ, लेकिन छाल के जुत्ता के नयँ । हमर बाऊजी कभी
नयँ झुकला आउ न हमरा झुक्के लगी कहलका । हम ... हम .."
ऊ
बात आगू जारी रक्खे लगी चाहऽ हलइ, लेकिन भयंकर रूप से कइएक मिनट तक खोंखते रहलइ, खून
के उलटी करते । तुरतहीं थकान के ठंढा पसेना ओकर सँकरा निरार पर चुहचुहा गेलइ । खोंखी
ओकरा बाधित कर रहले हल, नयँ तो ऊ लगातार बोलना जारी रखते हल; ओकर आँख से लग रहले हल,
कि ओकरा आउ केतना झगड़े के मन कर रहले हल; लेकिन कमजोरी के वजह से खाली हाथ लहरावऽ हलइ
... ओहे से चिकुनोव आखिरकार ओकरा बारे भूल गेलइ ।
हम
महसूस कइलिअइ, कि तपेदिकग्रस्त के क्रोध हमरा पर अधिक निर्दिष्ट हलइ, बनिस्बत चिकुनोव
पर । चिकुनोव के सेवा करे के इच्छा आउ ओकरा से एगो कोपेक कमाय के बात पर कोय नयँ ओकरा
पर गोस्सा कर सकऽ हलइ, चाहे ओकरा विशेष घृणा से देख सकऽ हलइ । हरेक कोय समझऽ हलइ, कि
ऊ खाली पइसा लगी करऽ हइ । अइसन मामला में सामान्य जनता ओतना संवेदनशील (touchy) बिलकुल
नयँ होवऽ हइ आउ मामला के निम्मन से समझ सकऽ हइ । उस्त्यान्त्सेव के नयँ पसीन हलिअइ
असली में हम, ओकरा नयँ पसीन हलइ हमर चाय, कि आउ बेड़ियो में रहते, मालिक नियन, मानूँ
हमरा नौकर बेगर काम नयँ चल सकऽ हलइ, हलाँकि हम बिलकुल न तो केकरो नौकर के रूप में काम
करे लगी कहलिए हल आउ न हम कोय नौकर चाहऽ हलिअइ । असल में, हम हमेशे सब कुछ खुद्दे करे
लगी चाहऽ हलिअइ, आउ खास करके चाहवो करऽ हलिअइ, कि हम खुद के बारे अइसन कोय छाप नयँ
छोड़िअइ, कि हम कामचोर आउ सुकवार (नाजुक) हिअइ, आउ रईसी जिनगी जीयऽ हिअइ । ई हमरा लगी
कुछ गौरव के बात भी हलइ, अगर ई बात के उल्लेख करे पड़इ तो । लेकिन अइकी - आउ हमरा वास्तव
में समझ में नयँ आवऽ हइ, कि अइसन काहे हमेशे होवऽ हलइ - तइयो हम भिन्न-भिन्न परिचर
आउ नौकर के कभियो "नयँ" नयँ कह सकलिअइ, जे खुद्दे हमरा से चिपक जा हलइ आउ
आखिर हमरा बिलकुल वश में कर ले हलइ, अइसन कि ओकन्हीं वास्तव में हमर मालिक हो जा हलइ,
आउ हम ओकन्हीं के नौकर; लेकिन बाहर से अपने आप अइसन लगऽ हलइ, कि हम वास्तव में मालिक
हिअइ, नौकर के बेगर हमर काम नयँ चल सकऽ हइ आउ रईसी जिनगी जीयऽ हिअइ । वास्तव में ई
हमरा लगी बहुत खेद के बात हलइ । लेकिन उस्त्यान्त्सेव क्षयरोगी आउ चिड़चिड़ा व्यक्ति
हलइ । दोसरकन रोगी सब भावशून्य मुद्रा अपनावऽ हलइ, हियाँ तक कि कुछ अभिमान के झलक के
साथ भी । हमरा आद पड़ऽ हइ, सब कोय एगो विशेष परिस्थिति के साथ व्यस्त हलइ - कैदी सब
के बातचीत से हमरा मालूम चललइ, कि ओहे साँझ के एगो अभियुक्त के लावल जइतइ, जेकरा अभी
डंडा से दंड देल जा रहले ह । कैदी लोग नयका अदमी के कुछ उत्सुकतापूर्वक प्रतीक्षा कर
रहले हल । लेकिन बतावल जा रहले हल, कि दंड हलका होतइ - खाली पाँच सो फटका ।
धीरे-धीरे
हम चारो तरफ के जायजा लेलिअइ । जाहाँ तक हम देख सकऽ हलिअइ, जे वास्तव में रोगी हलइ,
ऊ हियाँ परी अधिकतर लोग स्कर्वी आउ आँख के रोग से पीड़ित हलइ - जे ऊ क्षेत्र के स्थानीय
रोग हलइ । वार्ड में अइसन कइएक लोग हलइ । दोसर वास्तविक बेमार लोग बोखार, कइएक तरह
के घाव आउ छाती के रोग से ग्रस्त हलइ । हियाँ ओइसन बात नयँ हलइ, जइसन कि दोसरकन वार्ड
में, हियाँ परी सब तरह के रोग के जौर कइल हलइ, यौनरोग भी । हम उल्लेख कइलिअइ - वास्तविक
रोगी, काहेकि आवल लोग में कुछ अइसनो हलइ, जेकरा कोय प्रकार के रोग नयँ हलइ, जे खाली
"अराम करे लगी" अइले हल । डाक्टर अइसनकन के इच्छापूर्वक भरती कर ले हलइ,
सहानुभूति के कारण, विशेष करके जब कइएक बेड खाली रहऽ हलइ । गार्ड हाउस आउ जेल में कैद
होके रहना अस्पताल के अपेक्षा एतना हद तक खराब होवऽ हलइ, कि कइएक कैदी खुशी-खुशी हियाँ
पड़ जाय लगी आवऽ हलइ, ई बात के बावजूद कि हियाँ के हावा दमघोंटू हलइ आउ वार्ड में ताला
लगल रहऽ हलइ । बेड पर पड़के रहे वला आउ साधारणतः अस्पताल के रहन-सहन के विशेष प्रेमी
भी हलइ; अधिकतर लेकिन ओकन्हीं सुधार कंपनी से रहऽ हलइ । हम उत्सुकतापूर्वक अपन नयकन
सथीवन के अध्ययन कइलिअइ, लेकिन आद पड़ऽ हइ, हमरा विशेष उत्सुकता पैदा होलइ एगो पर, जे
मरणासन्न हलइ आउ हमन्हीं के जेल से हलइ, जेहो क्षयरोगी हलइ आउ अंतिम कुछ दिन के मेहमान
हलइ, जे उस्त्यान्त्सेव के बेड के ठीक बाद पड़ल हलइ, आउ ई तरह, लगभग हमर सामनहीं हलइ
। ओकर नाम मिख़ाइलोव हलइ; दू सप्ताह पहिले हम ओकरा जेल में देखलिए हल । ऊ बहुत पहिलहीं
से बेमार हलइ, आउ बहुत पहिलहीं ओकरा इलाज खातिर आवे के चाही हल; लेकिन ऊ कोय प्रकार
के दृढ़संकल्प आउ बिलकुल अनावश्यक धैर्य के साथ खुद के नियंत्रित रखलके हल, हिम्मत नयँ
हरलकइ आउ खाली छुट्टी (उत्सव) के बखत ऊ अस्पताल गेले हल, भयंकर क्षयरोग से मरे खातिर;
मानूँ ऊ अदमी जल रहले हल । अभी ओकर बदलल चेहरा देखके हम दंग रह गेलिअइ - ऊ चेहरा, जे
हम जेल में प्रवेश कइला पर पहिले तुरी देखलिए हल; तहिया ऊ (चेहरा) हमर नजर में कइसूँ
अइले हल । ओकर बगली में सुधार कंपनी से एगो सैनिक पड़ल हलइ, एगो बूढ़ा हो चुकल अदमी,
भयंकर आउ घिनौना फूहड़ ... लेकिन हमरा सब्भे रोगी के वर्णन करे के उद्देश्य नयँ हइ
... हमरा अभी ई बुढ़उ के बारे खाली ई कारण से आद आ गेलइ, कि ऊ तखनियो हमर दिमाग पर कुछ
छाप छोड़लके हल आउ एक मिनट में हमरा संतोषजनक ढंग से कैदी वार्ड के बारे पूर्ण जानकारी
देवे में सफल हो गेले हल । ई बुढ़उ के, हमरा आद पड़ऽ हइ, कि तखने बहुत जोर के सर्दी हलइ
। ऊ हमेशे छींकते रहऽ हलइ आउ बाद में पूरे सप्ताह नीनियो में छींकते रहलइ, कइसूँ दौरा
के रूप में, पाँच-छो छींक एक तुरी में, हर तुरी नियमित ढंग से बोलते - "हे भगमान,
कइसन दंड हमरा देलऽ !" ऊ पल ऊ बिछौना पर बइठल हलइ आउ लालच से कागज के पुरिया से
नाक में सुँघनी ठूँसते रहइ ताकि ऊ आउ जोर से आउ जादे नियमित रूप से छींक सकइ । ऊ एगो
सूती रूमाल में छिंक्कऽ हलइ, जे ओकर खुद के, धारीदार हलइ, आउ सो तुरी धोवल जा चुकले
हल आउ अत्यधिक फीका (बेरंग) पड़ चुकले हल, आउ एकरा चलते ओकर छोटकुन्ना नाक में विशेष
तरह के झुर्री पड़ गेले हल, अनगिनती छोटगर-छोटगर झुर्री, आउ लार भरल लाल जबड़ा के बीच
पुरनका काला पड़ल दाँत देखाय दे हलइ । छींकना खतम कइला पर, ऊ तुरतम्मे रूमाल खोलइ, ध्यानपूर्वक
ओकरा में बहुत अधिक जामा होल कफ के जाँच करइ, आउ जल्दीए से एकरा जेल द्वारा देल भूरा
रंग के ड्रेसिंग-गाउन में पोंछ लेइ, ताकि पूरा
कफ ड्रेसिंग-गाउन पर रह जाय, आउ रूमाल खाली वस्तुतः जरी गीलगर रह जाय । अइसन ऊ पूरा
सप्ताह करते रहलइ । अस्पताल के ड्रेसिंग-गाउन के नुकसान पर, ओकर ई श्रमसाध्य, कंजूस
नियन अपन रूमाल के संरक्षण, रोगी लोग के तरफ से कोय विरोध नयँ पैदा करऽ हलइ, हलाँकि
ओकन्हिंएँ में से केकरो ओकर बाद में एकरे पेन्हे पड़ सकऽ हलइ । लेकिन हमन्हीं के सामान्य
जनता विचित्रता के हद तक नाक-भौं सिकोड़े वला आउ नफरत करे वला नयँ । हम तो ऊ पल चौंक
गेलिअइ, आउ हम तुरतम्मे घृणा आउ उत्सुकता से अनिच्छापूर्वक अभी-अभी अपन पेन्हल ड्रेसिंग-गाउन
जाँचे लगलिअइ । हियाँ परी हमरा समझ में अइलइ, कि ई बहुत पहिलहीं अपन जोरदार गन्ह से
हमर ध्यान आकृष्ट करऽ हलइ; अब तक ई हमरा पर गरम हो चुकले हल आउ लगातार अधिकाधिक जोरदार दुर्गंध आवऽ हलइ - दवाय,
प्लास्टर, आउ जइसन कि हमरा लगऽ हलइ, कोय पीप के, जे कोय अचरज के बात नयँ हलइ, काहेकि
स्मरणातीत काल से ई रोगी लोग के कन्हा से अलगे नयँ होले हल । शायद पीठ पर के एकर अस्तर
कभी धोवल गेले हल; लेकिन निश्चित रूप से हमरा मालूम नयँ । लेकिन वर्तमान काल में सब
तरह के संभव अप्रिय रस, लोशन, बिंधल स्पेनी मक्खी (pierced Spanish flies) से निष्कासित
तरल पदार्थ इत्यादि से ई अस्तर संतृप्त हो चुकले हल । एकरा अलावे कैदी वार्ड में बहुत
अकसर तुरंत के डंडा के फटका खाल आउ घायल पीठ के साथ आवऽ हलइ; ओकन्हीं के इलाज लोशन
से कइल जा हलइ, आउ तब भिंगल कमीज पर सीधे अस्पताल के ड्रेसिंग-गाउन पेन्हा देवल जा
हलइ, जेकरा चलते कइसूँ नयँ खराब नयँ हो सकऽ हलइ - त सब कुछ जे एकरा पर गिरऽ हलइ, ऊ
एकरे पर रह जा हलइ । आउ जेल के हम अपन पूरे अवधि के दौरान, ई पूरे कइएक साल तक, जइसीं
हमरा अस्पताल जाय पड़इ (आउ अकसर हम जा हलिअइ), हम हरेक तुरी डरते-डरते अस्पताल के ड्रेसिंग-गाउन
पेन्हिअइ । खास करके कभी-कभी हमरा ई ड्रेसिंग-गाउन में चिल्लड़ मिल्लइ, बड़गो आउ काफी
मोटगर । कैदी लोग खुशी-खुशी ओकरा मार देइ, ओहे से जब कैदी के मोटगर आउ भद्दा नोह तर
मारल जानवर 'पुट' हो जाय, त शिकारी के चेहरा पर से निर्णय कइल जा सकऽ हलइ कि ओकरा केतना
हद तक खुशी मिलले होत । हमन्हीं हीं ऊड़िस के भी बहुत अधिक नापसंद करते जा हलइ आउ अइसनो
होवऽ हलइ कि कोय लमगर नीरस जाड़ा के रात समुच्चा वार्ड ओकरा बिलकुल समाप्त कर देवे लगी
उठ खड़ी होवऽ हलइ । आउ हलाँकि वार्ड में, भारी दुर्गंध के सिवाय, बाहर से यथासंभव साफ-सुथरा
हलइ, लेकिन अंदरूनी, अइसन कहल जाय, कि अस्तर के सफाई के हमन्हीं हीं कोय इतराके देखावे
लायक चीज नयँ हलइ । कैदी लोग एकर अभ्यस्त हो चुकले हल आउ मानियो चुकले हल, कि एकर कोय
इलाज नयँ हइ, आउ नियम-कानून भी खास सफाई के मामले में सहायक नयँ हलइ । लेकिन नियम के
बारे हम बाद में चर्चा करबइ ...
जइसीं
हमरा चिकुनोव चाय देलकइ (संयोगवश कहल जाय तो, वार्ड के पानी में बनाके, जे एक दिन में
एक्के तुरी लावल जा हलइ आउ हमन्हीं के वातावरण में बिलकुल तुरतम्मे खराब हो जा हलइ),
कुछ शोर के साथ दरवाजा खुललइ, आउ प्रबलित अनुरक्षक (reinforced convoy) के साथ अभी-अभी
डंडा के फटका से दंडित एगो सैनिक के अंदर लावल गेलइ । ई पहिला तुरी हलइ, जब हम एगो
दंडित के देखलिअइ । बाद में ओकन्हीं के अकसर लावल जा हलइ, कुछ के तो ढोके भी लावल जा
हलइ (बहुत जादे फटका खाल सब के), आउ हरेक तुरी रोगी सब के ई बड़गो मनोरंजन के बात होवऽ
हलइ । हमन्हीं हीं अइसनका के अकसर चेहरा पर अत्यंत कठोर मुद्रा के साथ स्वागत कइल जा
हलइ आउ एक प्रकार के कुछ अस्वाभाविक गंभीरता के साथ भी । लेकिन, स्वागत निर्भर करऽ
हलइ अपराध के महत्त्व के दर्जा पर, आउ परिणामस्वरूप दंड के परिमाण पर भी । बहुत दर्दनाक
रूप से पिटाई कइल, आउ प्रतिष्ठा के अनुसार, बड़गर अपराधी के अधिक आदर आउ अधिक ध्यान
देल जा हलइ, बनिस्बत कोय भगोड़ा रंगरूट के, मसलन, अइकी ऊ जेकरा अभी-अभी लावल गेलइ ।
लेकिन न तो ओकरा में आउ न दोसरा हालत में कोय विशेष सहानुभूति, कउनो तरह के विशेष चिड़चिड़ाहट
वला टिप्पणी कइल जा हलइ । चुपचाप अभागल के मदत करते जा हलइ आउ ओकर देखभाल करते जा हलइ,
खास करके जब ओकरा बिन मदत के काम नयँ चल पावऽ हलइ । फ़ेल्डशर (Feldcsher) के पहिलहीं
खुद्दे मालूम रहऽ हलइ, कि पिट्टल अदमी के अनुभवी आउ दक्ष हाथ में देल जा रहले ह । साधारणतः
मदत हलइ ठंढका पानी में भिंगल बेडशीट आउ कमीज के अकसर आउ जरूरी बदलाव, जेकरा से घायल
पीठ के ढँक्कल जा हलइ, खास करके अगर दंडित के खुद्दे अपन देखभाल करे के ताकत नयँ रहऽ
हलइ; आउ एकरा अलावे, सवधानी से आउ दक्षतापूर्वक घाव में से खोंचाहा टुँगना बाहर निकासे
में, जे पीठ पर डंडा के टूट गेला से अकसर ओकरा पर रह जा हइ । ई अंतिम काम रोगी लगी
बहुत कष्टकारी होवऽ हइ । लेकिन सामान्यतः दर्द के सहन करे में दंडित लोग के असाधारण
आत्मसंयम (stoicism) हमरा हमेशे अचंभित करऽ हलइ । हम ओकन्हीं में से कइएक लोग के देखलिए
ह, कभी-कभी बहुत जादहीं पिटाय कइल, आउ ओकन्हीं में से लगभग एक्को गो नयँ करहलकइ ! खाली
चेहरा जइसे पूरा-पूरा बदल जा हइ, पीयर पड़ जा हइ; आँख में जलन होवऽ हइ; दृष्टि अन्यमनस्क,
अशांत; होंठ कँप्पऽ हइ, ओहे से गरीब लोग ओकन्हीं के जान-बूझके दँत्ती काट ले हइ, कभी-कभी
लगभग खून बहे के हद तक ।
अंदर
प्रविष्ट होल सैनिक कोय तेइस साल के छोकरा हलइ, बरियार, हट्ठा-कट्ठा, सुंदर चेहरा,
सुडौल, सामर । लेकिन ओकर पीठ पर बुरा तरह से पिटाय कइल गेले हल । कमर तक के उपरौला
देह नंगा हलइ; ओकर कन्हा पर भिंगल चादर डालल हलइ, जेकरा से ऊ बोखार लगल जइसन पूरे देह
से काँप रहले हल, आउ करीब डेढ़ घंटा तक वार्ड में आगू-पीछू चहलकदमी करते रहलइ । हम ओकर
चेहरा पर नजर डललिअइ - लगलइ, ऊ ई पल कुच्छो नयँ सोचब करऽ हलइ, विचित्र आउ वहशी नियन
देख रहले हल, उड़ते नजर से, जेकरा स्पष्टतः कउनो चीज पर ध्यान से देखना भारी हलइ । हमरा
लगलइ, कि ऊ एकटक हमर चाय दने देख रहले हल । चाय गरम हलइ; कप से भाफ निकस रहले हल, आउ
बेचारा ढंढक से ठिठुर आउ काँप रहले हल, दाँत ओकर बज रहले हल । हम ओकरा चाय पीए लगी
आमंत्रित कइलिअइ । ऊ चुपचाप आउ अचानक हमरा दने मुड़लइ, कप लेलकइ, खड़ी-खड़ी पी गेलइ आउ
बिन चीनी के, बड़ी जल्दी-जल्दी आउ कइसूँ खास करके हमरा दने नजर बचावे के प्रयास कइलकइ
। पूरा पीके, ऊ चुपचाप कप रख देलकइ आउ हमरा दने बिन सिर हिलइले, वार्ड में आगू-पीछू
चहलकदमी फेर से चालू करे लगी चल गेलइ । लेकिन न ओकर मुँह से एक्को शब्द निकसलइ, न ओकर
सिर हिललइ ! जाहाँ तक कैदी लोग के संबंध हइ, त ओकन्हीं सब्भे शुरू-शुरू में कोय कारणवश
कइसनो बातचीत करे से ऊ दंडित रंगरूट से बच्चे लगी चहलकइ; एकर विपरीत, शुरू में ओकरा
मदत करके, ओकन्हीं मानूँ खुद्दे बाद में ओकरा पर कोय ध्यान नयँ देवे के प्रयास कर रहले
हल, शायद यथासंभव ओकरा जादे शांति से रहे देवे लगी आउ ओकरा कइसनो प्रकार के प्रश्न
आउ "सहानुभूति" से परेशान नयँ करे लगी चाहते, जेकरा से, लगऽ हइ, ऊ बिलकुल
संतुष्ट हलइ ।
ई
दौरान अँधेरा छा गेलइ, दीया-बत्ती जल गेलइ । कुछ कैदी के पास, मालूम पड़लइ, खुद के बत्तीदान
हलइ, लेकिन जादे लोग के पास नयँ । आखिरकार, डाक्टर के संध्याकालीन भेंट के बाद, गार्ड
के सर्जेंट प्रवेश कइलकइ, सब्भे रोगी के गिनती कइलकइ, आउ वार्ड में ताला लगा देल गेलइ,
पहिलहीं एकरा में एगो रात्रि टब अंदर लइला पर ... हमरा ई जानके अचरज होलइ, कि ई टब
हियाँ रात भर रहऽ हइ, जबकि एगो असली शौचालय हिएँ गलियारा (कॉरिडोर) में हलइ, बस दरवाजा
भिर से दुइए डेग दूर । लेकिन अइसन स्थापित नियम हलइ । दिन में कैदी के वार्ड से बाहर
जाय के अनुमति देल जा हलइ, लेकिन एक मिनट से जादे नयँ; रात के लेकिन कइसनो हालत में
नयँ । कैदी वार्ड सामान्य वार्ड नियन नयँ हलइ, आउ रोगी कैदी के भी बेमारी के दौरान
दंड सहे पड़ऽ हलइ । पहिले तुरी केऽ ई नियम स्थापित कइलकइ - हमरा मालूम नयँ; हमरा खाली
एहे मालूम हइ, कि अइसन कोय वास्तविक नियम नयँ हलइ आउ औपचारिकता के पूरा व्यर्थ सार
कभियो आउ पूरा तरह से अभिव्यक्त नयँ कइल गेलइ, जइसन कि, मसलन, ई मामला में । ई नियम,
जाहिर हइ, डाक्टर तरफ से नयँ अइले हल । हम ई बात दोहरावऽ हिअइ - कैदी लोग अपन डाक्टर
के प्रशंसा करते नयँ अघा हलइ, ओकन्हीं के पिता समान मानऽ हलइ, ओकन्हीं के आदर करऽ हलइ
। हरेक कोय ओकन्हीं से अपना लगी दया देखऽ हलइ, निम्मन शब्द सुन्नऽ हलइ; आउ कैदी, सब
लोग से त्यागल, एकरा महत्त्व दे हलइ, काहेकि ई निम्मन शब्द आउ ई दया के निष्कपटता आउ
सच्चाई ओकरा देखाय दे हलइ । ई नहिंयों हो सकऽ हलइ; डाक्टर लोग से कोय नयँ सवाल करते
हल, अगर ओकन्हीं दोसरा तरह से आचरण करते हल, मतलब, अधिक रुखाई से आउ अमानवीय ढंग से
- परिणामस्वरूप, ओकन्हीं वास्तविक मानवप्रेम के आधार पर दयालु हलइ । आउ, जाहिर हइ,
ओकन्हीं समझऽ हलइ, कि रोगी के, ऊ चाहे जे रहइ, कैदी रहइ चाहे नयँ रहइ, ओहे जरूरत हइ,
मसलन, ताजा हावा, जइसन कि हरेक दोसर रोगी के, उच्चतम रैंक वला के भी । दोसर वार्ड में
रोगी, मसलन, चंगा हो रहल लोग, अजादी से गलियारा में घूम-फिर सकऽ हलइ, जेकरा से खुद
लगी बड़गो कसरत हो जा हलइ, ताजा हावा साँस ले सकऽ हलइ, जे ओतना प्रदूषित नयँ हलइ, जेतना
कि वार्ड के अंदर के हावा, जे दमघोंटू हलइ आउ हमेशे आवश्यक रूप से दमघोंटू भाफ से भरल
रहऽ हलइ । आउ अभी ई कल्पना करना भयंकर आउ घृणास्पद हइ, कि हमन्हीं हीं ओकरा बेगर भी
पहिलहीं से प्रदूषित हावा रतिया के केतना प्रदूषित हो गेले होत, जब ई टब अंदर लावल
गेलइ, वार्ड के गरम तापमान आउ कुछ विशिष्ट रोग पर विचार कइला पर, जेकरा चलते बाहर गेले
बेगर काम चलाना असंभव हलइ । अगर हम कहलिअइ, कि कैदी के बेमारी के दौरान भी अपन दंड
भुगते पड़ऽ हलइ, त जाहिर हइ, हमर कहे के, न ई मतलब हलइ आउ न हइ, कि अइसन नियम खाली दंड
देवे लगी बनावल गेले हल । जाहिर हइ, ई हमरा तरफ से एगो अनर्थक तोहमत होते हल । रोगी
के दंड देना बेकार हइ । आउ अगर अइसन हइ, त ई बात जाहिर हइ, कि शायद कोय कठोर आउ सख्त जरूरत प्राधिकारी लोग के अइसन हानिकारक
परिणाम वला कदम उठावे लगी मजबूर कर देलके होत । कइसन (जरूरत) ? लेकिन अइकी एहे तो खेद
के बात हइ, कि अइसन उठावल कदम के जरूरत के बल्कि तनिक्को सुनी कोय दोसर कारण से व्याख्या
देल नयँ जा सकऽ हइ, आउ एकरा अलावे, कइएक दोसर कदम, एतना हद तक दुर्बोध हइ, कि नयँ खाली
व्याख्या देना, बल्कि ओकर व्याख्या के बारे अंदाज लगाना भी असंभव हइ । अइसन बेकार निर्दयता
के कइसे समझावल जाय ? त की अपने के अइसन लगऽ हइ, कि जान-बूझके बेमार होवे के ढोंग करते
कैदी अस्पताल में आवऽ हइ, डाक्टर के धोखा दे
हइ, रात के शौचालय जा हइ, आउ अन्हेरा के सहारा लेके, जेल से भाग जा हइ ? गंभीरतापूर्वक
अइसन तर्क के पूरे असंगति के सिद्ध करना असंभव हइ । कद्धिर भागके जइतइ ? कइसे भागतइ?
कउची में (कउन बस्तर में) भागतइ ? दिन में एक तुरी में एक्के गो के बाहर जाय देल जा
हइ; अइसीं रतियो के कइल जा सकऽ हइ । दरवाजा भिर लोड कइल राइफल के साथ संतरी खड़ी रहऽ
हइ । शौचालय शाब्दिक रूप से संतरी भिर से दू डेग पर हइ, लेकिन, ई बात के बावजूद, रोगी
के साथ में एगो सहायक संतरी जा हइ आउ पूरे समय तक ओकरा पर से नजर नयँ हटावऽ हइ । हुआँ
खाली एक्के खिड़की हइ, जाड़ा के अनुसार दू फ्रेम वला आउ लोहा के छड़ (रेलिंग) के साथ ।
प्रांगण में खिड़की के निचहीं, कैदी वार्ड के खिड़की बिजुन, रातो भर संतरी चहलकदमी करते
रहऽ हइ । खिड़की से बाहर जाय लगी, फ्रेम आउ छड़ के तोड़े के चाही । केऽ अइसन करे देतइ?
लेकिन मान लेल जाय, कि ऊ सहायक संतरी के पहिलहीं मार दे हइ, ई तरह से कि ऊ न चिल्लाय
पावइ आउ न ओकरा कोय सुन पावइ । लेकिन, ई बेतुकापन के मानियो लेल जाय, तइयो खिड़की आउ
छड़ तो तोड़हीं पड़तइ । ई नोट कइल जाय, कि हिएँ परी संतरी के बगली में वार्ड के गार्ड
लोग सुत्तऽ हइ, आउ दसे डेग दूर, दोसरका कैदी वार्ड भिर, एगो दोसर संतरी राइफल के साथ
खड़ी रहऽ हइ, जेकर बगल में एगो दोसर सहायक संतरी आउ दोसर-दोसर गार्ड सब । आउ जाड़ा में
ऊ कद्धिर भागके जइतइ - पेताबा, चप्पल, अस्पताल के ड्रेसिंग-गाउन आउ टोपी में ? आउ अइसन
बात हइ, अगर एतना कम खतरा हइ (मतलब, असल में बिलकुल कुछ नयँ) - त रोगी पर काहे लगी
एतना गंभीर भार, शायद ओकर जिनगी के अंतिम कुछ दिन आउ घड़ी में; रोगी पर, जेकरा लगी ताजा
हावा आउ जादे जरूरी होवऽ हइ, बनिस्बत स्वस्थ लोग के ? काहे लगी ? हमरा कभियो ई बात
समझ में नयँ अइलइ ...
लेकिन
अगर एक तुरी पूछ देल गेलइ - "काहे लगी ?", आउ चूँकि प्रसंगवश एकर चर्चा हो
गेलइ, त हमरा अभी एगो आउ हैरानी के बात आद आवे बेगर नयँ रहऽ हइ, जे केतना साल तक रहस्यमय
तथ्य के रूप में हमरा सामने चिपकल रहलइ, जेकरो उत्तर हम कइसहूँ खोज नयँ पइलिअइ । एकर
पहिले के हम अपन वर्णन जारी रखिअइ, एकरा बारे हमरा बल्कि कुच्छो शब्द कहे बेगर नयँ
रहल जा हइ । हम बेड़ी के बारे बोलऽ हिअइ, जेकरा से कठोर श्रम से दंडित के कइसनो बेमारी
बचा नयँ सकऽ हइ । हियाँ तक कि क्षयरोगी भी हमर नजर के सामने बेड़ी में मरऽ हलइ । आउ
तइयो सब्भे एकर अभ्यस्त हो गेते गेलइ, सब कोय एकरा एगो स्थापित तथ्य मान लेलके हल,
एगो अकाट्य तथ्य । शायदे कोय एकरा बारे सोचऽ हलइ, काहेकि डाक्टर में से भी केकरो दिमाग
में नयँ अइलइ, एतना साल के दौरान, प्राधिकारी के पास निवेदन नयँ कइलकइ कि गंभीर रूप
से बेमार कैदी के बेड़ी से मुक्त कर देल जाय, खास करके क्षयरोग में । मान लेल जाय, कि
बेड़ी खुद में केतना भारी हइ, ई भगमाने जानऽ हइ । ओकर भार आठ से बारह पौंड तक होवऽ हइ
। दस पौंड ढोना एगो स्वस्थ अदमी लगी भार के काम नयँ हइ । हमरा कहल गेलइ, लेकिन, कि
बेड़ी से कुछ साल के बाद गोड़ सुक्खे लगऽ हइ । हमरा मालूम नयँ, कि ई सच बात हइ, हलाँकि
हियाँ कुछ तो संभावना हइ । भार, बल्कि थोड़हीं सही, बल्कि दसे पौंड, हमेशे लगी गोड़ से
लगाके रक्खल, तइयो अस्वाभाविक रूप से अंग के भार बढ़ा दे हइ आउ लम्मा अवधि के बाद कोय
हानिकारक प्रभाव डाल सकऽ हइ ... लेकिन मान लेल जाय, कि स्वस्थ अदमी लगी कुच्छो नयँ
होतइ । त की अइसने बात रोगियो लगी लागू होतइ ? मान लेल जाय, कि सामान्य रोगी लगी कोय
बात नयँ हइ । लेकिन की एहे बात हइ, हम दोहरावऽ हिअइ, गंभीर रूप से बेमार लोग खातिर,
की एहे बात हइ, हम दोहरावऽ हिअइ, क्षयरोगी लगी, जेकर ओकरो बेगर हाथ-गोड़ सूख जा हइ,
ओहे से हरेक पोवार (पुआल) भी ओकरा लगी भारी होवऽ हइ ? आउ सचमुच, अगर चिकित्सा प्राधिकारी
बल्कि खाली क्षयरोगी लगी राहत प्राप्त कर लेते हल, त एहो एगो वास्तविक आउ महान परोपकार
होते हल । मान लेल जाय, कोय कहतइ, कि कैदी दुर्जन होवऽ हइ आउ परोपकार के योग्य नयँ
हइ; लेकिन की वास्तव में ओकर दंड के बढ़ावे के चाही, जेकरा पहिलहीं भगमान के अँगुरी
छू देलके ह ? आउ ई विश्वास नयँ कइल जा सकऽ हइ, कि ई खाली दंड लगी कइल जा हइ । क्षयरोगी
के कानूनन शारीरिक दंड से मुक्ति दे देल जा हइ । परिणामस्वरूप, हियाँ फेर कोय तो रहस्य
हइ, एगो मुख्य कदम, बचाव खातिर सवधानी । लेकिन कउन प्रकार के ? - समझना असंभव हइ ।
वस्तुतः एकरा में भय के कोय बात नयँ हइ, कि एगो क्षयरोगी भाग जइतइ । केकर (कउन क्षयरोगी
के) दिमाग में अइतइ, खास करके उच्च सीमा तक विकसित रोग पर विचार कइला पर ? क्षयरोगी
होवे के ढोंग करना आउ भाग जाय लगी डाक्टर के झाँसा देना - असंभव हइ । ई ओइसन बेमारी
नयँ हइ; एकरा पहिले नजर में भाँपल जा सकऽ हइ । आउ प्रसंगवश कहल जा सकऽ हइ - की वास्तव
में अदमी के गोड़ में बेड़ी डालल जा हइ खाली ई लगी, कि ऊ कहीं भाग नयँ जाय चाहे ओकरा
भागे में दिक्कत होबइ ? बिलकुल नयँ । बेड़ी - खाली एक प्रकार के अवमानना हइ, लज्जा आउ
भार हइ, शारीरिक आउ नैतिक । कम से कम अइसन समझल जा हइ । ऊ केकरो कभियो भागे में बाधा
नयँ डाल सकऽ हइ । सबसे अनाड़ी, सबसे अकुशल कैदी ओकरा बिन बड़गो मेहनत के बड़ी जल्दी से
रेत दे सकऽ हइ चाहे पत्थल से कीलक (रिवेट) पर प्रहार करके तोड़ दे सकऽ हइ । गोड़ के बेड़ी
निश्चित रूप से कइसनो चीज से सवधान नयँ कर सकऽ हइ; आउ अगर अइसन बात हइ, अगर एकरा कठोर
श्रम के फैसला कइल अभियुक्त के खाली दंड देवे खातिर पेन्हावल जा हइ, त हमरा फेर पूछना
हइ - की वास्तव में मरणासन्न अदमी के दंड देल जा हइ ?
आउ
अइकी अब, जब हम ई लिख रहलिए ह, हमरा एकदम सजीव रूप से आद आवऽ हइ एगो मरणासन्न, क्षयरोगी,
ठीक ओहे मिख़ाइलोव, जे लगभग हमर सामने पड़ल हलइ, उस्त्यान्त्सेव से जरिक्के सन दूर, आउ
जे मर गेलइ, हमरा आद पड़ऽ हइ, वार्ड में हमरा पहुँचे के चौठा दिन । शायद हम अभी क्षयरोगी
के बारे चर्चा करे लगलिअइ, अनजाने में ऊ छाप आउ ऊ विचार दोहरइते, जे तखने हमर दिमाग
में ई मौत के चलते अइलइ । खास मिख़ाइलोव के,
लेकिन, हम बहुत कम जानऽ हलिअइ । ई अभियो बिलकुल तरुण हलइ, कोय पचीस साल के, एकरा से
जादे के नयँ, आउ उँचगर, दुब्बर-पातर आउ बाहर से देखे में अत्यंत मनोहर । ऊ विशेष विभाग
में रहऽ हलइ आउ विचित्र हद तक अल्पभाषी हलइ, हमेशे कइसूँ शांत, कइसूँ शांत रूप से उदास
। मानूँ ऊ जेल में "मुरझा रहले हल" । कम से कम अइसीं ओकरा बारे कैदी लोग
बाद में अभिव्यक्त करते गेलइ, जेकन्हीं बीच ऊ अपना बारे निम्मन आदगारी छोड़ गेले हल
। हमरा खाली आद पड़ऽ हइ, कि ओकर आँख बहुत सुंदर हलइ, आउ सचमुच, हमरा मालूम नयँ, कि काहे
ऊ हमरा ओतना स्पष्ट रूप से आद आवऽ हइ । ऊ अपराह्न में करीब तीन बजे मर गेलइ, जब पाला
पड़ रहले हल आउ दिन साफ हलइ । आद पड़ऽ हइ, सूरज तेज तिरछा किरण से हमन्हीं के वार्ड के
हरियर तुषाराच्छन्न खिड़की के काँच के बेध रहले हल । सूरज के किरण के धार पूरा-पूरा
ऊ अभागल पर उमड़ रहले हल । जब ऊ मरलइ त बेहोश हलइ आउ लगातार कइएक घंटा तक मौत के दुख
झेललकइ । सुबहे से ओकर आँख ओकरा भिर आवे वला के पछान नयँ पा रहले हल । लोग ओकरा राहत
देवे लगी चाहऽ हलइ, देखलकइ, कि ओकरा बहुत कष्ट हो रहले हल; ऊ मोसकिल से गहरा आउ घरघराहट के साथ साँस लेब करऽ
हलइ; ओकर छाती उँचगर उठ रहले हल, मानूँ ओकरा काफी हावा नयँ मिल रहले हल । ऊ अपन देह
पर से कंबल फेंक देलकइ, अपन पूरा पोशाक, आउ आखिरकार, अपन कमीज के नोंचे लगलइ - एहो
ओकरा भारी लग रहले हल । ओकरा लोग मदत करते गेलइ आउ कमीज हटा देलकइ । ओकर लमगर-लमगर
देह के देखे में भयंकर लगऽ हलइ, ओकर हाथ-गोड़ सूखके हड्डी हो गेले हल, पेट सिकुड़ल हलइ,
छाती बाहर निकसल, आउ पसली सब साफ-साफ कंकाल नियन देखाय दे हलइ । ओकर पूरे शरीर पर खाली
लकड़ी के एगो क्रॉस के साथ-साथ एगो छोटगर थैली आउ बेड़ी हलइ, जेकरा से, लगऽ हइ, ऊ अब
अपन सुक्खल गोड़ के पार करके मुक्त कर सकऽ हलइ । ओकर मौत के आधा घंटा पहिले हमन्हीं
हीं के सब लोग शांत हो गेलइ, बातचीत लगभग फुसफुसाहट के साथ करे लगलइ । जे एन्ने-ओन्ने
जा हलइ - ऊ अपन डेग के अश्रवनीय ढंग से (inaudibly) बढ़ावऽ हलइ । आपस में कम बातचीत
करऽ हलइ, असंबंधित चीज के बारे, कभी-कभार खाली मर रहल अदमी पर नजर डाल ले हलइ, जेकर
घरघराहट लगातार बढ़ते जा रहले हल । आखिरकार ऊ एन्ने-ओन्ने फिर रहल आउ अस्थिर हाथ से
छाती पर के अपन थैली टटोलके धर लेलकइ आउ अपन देह पर से नोचके अलगे करे लगलइ, मानूँ
ओहो ओकरा लगी एगो भार हलइ, ओकरा बेचैन कर रहले हल, ओकरा दबा रहले हल। ऊ थैली भी हटा
देल गेलइ । करीब दस मिनट बाद ऊ मर गेलइ । दरवाजा पर दस्तक देल गेलइ गार्ड के जनकारी
लगी । पहरेदार अंदर अइलइ, जड़ भाव से मृतक के तरफ देखलकइ आउ फ़ेल्डशर हियाँ रवाना हो
गेलइ । फ़ेल्डशर, जे एगो नौजवान आउ दयालु व्यक्ति हलइ, कुछ अनावश्यक रूप से अपन बाह्य
रंग-ढंग से व्यस्त मालूम पड़ऽ हलइ, लेकिन जे काफी मनोहर हलइ, जल्दीए पधारलइ; तेज कदम
भरते, शांत होल वार्ड में जोर के ठप-ठप अवाज करते, मृतक भिर अइलइ आउ एक प्रकार के विशेष
निश्चिंत मुद्रा में, जे मानूँ ई घटना लगी जान-बूझके सोचल-समझल हलइ, ओकर नब्ज पकड़लकइ,
जाँच कइलकइ, हाथ लहरइलकइ आउ बाहर निकस गेलइ । गार्ड के तुरंत सूचित कइल गेलइ - अपराधी
महत्त्वपूर्ण हलइ, विशेष विभाग के; ओकर मौत के भी विशेष समारोह के साथ मान्यता देवे
के चाही हल । गार्ड के इंतजार के दौरान कैदी में से कोय तो शांत अवाज में अपन विचार
अभिव्यक्त कइलकइ, कि मृतक के आँख बन कर देना खराब बात नयँ होतइ । एगो दोसर कोय ध्यान
से ओकर बात सुनलकइ, चुपचाप मृतक भिर गेलइ आउ ओकर आँख बन कर देलकइ । ओज्जी परी तकिया
पर पड़ल क्रॉस देखलकइ, ओकरा लेलकइ, देखलकइ आउ चुपचाप ओकरा मिख़ाइलोव के गियारी में पेन्हा
देलकइ; पेन्हइलकइ आउ खुद क्रॉस कइलकइ । ई दौरान मृतक के चेहरा अकड़ रहले हल; ओकरा पर
सूरज के किरण पड़ रहले हल; मुँह आधा खुल्लल हलइ, जबड़ा से चिपकल उज्जर नौजवान दाँत के
दू कतार पतरा होंठ के अंदर से कौंध रहले हल । आखिरकार गार्ड के सर्जेंट अंदर अइलइ,
एगो खड्ग आउ हेल्मेट में, जेकर पीछू-पीछू दूगो गार्ड हलइ । ऊ पास अइलइ, लगातार अपन
कदम के धीमा करते, शांत होल सगरो से अपना दने तकते देखके कैदी लोग के भौंचक होल देखते
। मृतक से एक कदम दूर तक पहुँचला पर, मानूँ भयभीत होल, स्तब्ध होके ठहर गेलइ । बिलकुल
लंगटे, सुक्खल लाश, खाली बेड़ी में, ओकरा अचंभित कर देलकइ, आउ ऊ अचानक हेल्मेट के ठुड्डी
वला पट्टा हटइलकइ, हेल्मेट निकसलकइ, जेकर जरूरत नयँ हलइ, आउ बड़गो क्रॉस कइलकइ । ऊ कठोर
चेहरा, पक्कल केश वला पूर्वसैनिक हलइ । आद पड़ऽ हइ, एहे पल हियाँ परी चिकुनोव खड़ी हलइ,
सेहो पक्कल केश वला बूढ़ा हलइ । पूरे समय तक ऊ चुपचाप आउ एकटक सर्जेंट के चेहरा निहारते
रहलइ, आउ एक प्रकार के विचित्र ध्यान से ओकर हरेक हाव-भाव के अध्ययन कर रहले हल । लेकिन
दुन्नु के आँख चार होलइ, आउ अचानक चिकुनोव के कोय कारणवश निचला होंठ कँप्पे लगलइ ।
ऊ कइसूँ एकरा विकृत कइलकइ, अपन दाँत निपोरलकइ आउ तेजी से, मानूँ अनजाने में मृतक के
मामले में सर्जेंट तरफ अपन सिर हिलाके बोललइ –
"ओकरो
वास्तव में माय हलइ !" आउ हुआँ से सीधे चल गेलइ ।
आद
पड़ऽ हइ, ई शब्द हमरा मानूँ दिल के बिंध देलकइ ... आउ काहे लगी ऊ अइसन बोललइ, आउ कइसे
ओकर दिमाग में ई अइलइ ? लेकिन अइकी लाश के उठावे लगते गेलइ, बिछौना के साथ-साथ उठइते
गेलइ; पुआल कर-कर कइलकइ, बेड़ी सामान्य सन्नाटा के बीच फर्श पर खनखनइलइ ... ऊ सब के
उठा लेल गेलइ ।
लाश
के ले जाल गेलइ । अचानक सब कोय जोर-जोर से बतियाय लगलइ । सुनाय दे रहले हल, कि कइसे
सर्जेंट, जे पहिलहीं गलियारा में हलइ, केकरो लोहार के बोलावे लगी भेजलकइ । मृतक के
बेड़ी हटावे के हलइ ...
लेकिन हम
विषय से विचलित हो गेलिअइ ...
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