अंक -1
मेयर के घर में
एक कमरा
दृश्य-1
(मेयर, अनुदान
संस्था के न्यासी, स्कूल इंस्पेक्टर, जज, पुलिस चीफ़, डाक्टर, दूगो सिपाही ।)
मेयर
- महानुभावो ! हम अपने सब के एगो बहुत खराब समाचार सुनावे लगी आमंत्रित कइलिए ह - हमन्हीं
हीं एगो इंस्पेक्टर आवे वला हइ ।
आम्मोस
फ़्योदोरोविच (जज) - कइसन इंस्पेक्टर ?
अरतेमी
फ़िलिप्पोविच (न्यासी) - कइसन इंस्पेक्टर ?
मेयर
- पितिरबुर्ग से इंस्पेक्टर, छद्मवेष में । आउ एकरा अलावे, गुप्त निर्देश के साथ ।
जज
- अरे बाप !
न्यासी
- अइकी पहिलहीं से तरद्दुद काफी नयँ हलइ, आउ ई बला !
लूका
लूकिच (स्कूल इंस्पेक्टर) - हे भगमान ! आउ ओकरो में गुप्त निर्देश के साथ !
मेयर
- हमरा मानूँ पूर्वाभास हलइ । आझ हमरा रातो भर एक प्रकार के दू गो चूहा सपना में अइलइ
। सच में, अइसन हम कभियो नयँ देखलूँ हल - कार-कार, असाधारण साइज के ! अइलइ, सुँघलकइ
- आउ सीधे निकस गेलइ । त अइकी हम अपने सब के पत्र पढ़बइ, जे हमरा अंद्रेय इवानोविच च्मिख़ोव
से मिललइ, जेकरा अपने, अरतेमी फ़िलिप्पोविच, जानऽ हथिन । त अइकी ऊ लिक्खऽ हइ -
"प्रिय मित्र, हमर पुत्र के धर्मपिता आउ उपकर्ता (तेजी से नजर दौड़इते, धीमे स्वर
में बड़बड़ा हका) ... आउ तोरा सूचित करऽ हियो" । ओह ! अइकी - "हम जल्दीबाजी
में, दोसर बात के अलावे, तोरा सूचित करऽ हियो, कि निर्देश के साथ एगो अफसर पूरा प्रांत
आउ विशेष करके हमन्हीं के जिला के निरीक्षण
खातिर अइलो ह (अपन अँगुरी काफी उपरे उठावऽ हइ) । हमरा ई बारे अत्यंत विश्वसनीय लोग
से मालूम पड़लो, हलाँकि ऊ खुद के निजी (प्राइवेट) व्यक्ति के रूप में प्रस्तुत करऽ हइ
। चूँकि हमरा मालूम हको, कि हरेक कोय नियन, तोरो छोटगर-मोटगर पाप करे के आदत पड़ल हको,
काहेकि तूँ बुद्धिमान व्यक्ति हकहो आउ जे कुछ हाथ में आवऽ हको ओकरा अइसीं जाय नयँ दे
हकहो ... " (रुकके) खैर, हियाँ सब लोग तो अपनहीं होते जा हिअइ ... "त हम
तोरा सवधानी बरते के सलाह दे हकियो, काहेकि ऊ कभी भी टपक पड़ सकऽ हको, अगर खाली ऊ अभी
तक नयँ पहुँचलो ह आउ कहीं पर छद्मवेष में नयँ रह रहलो ह ... कल्हे हम ... " खैर, हियाँ
परी पारिवारिक मामला हइ - " ... बहिन आन्ना किरिलोव्ना हमन्हीं हीं अपन पति के
साथ अइलो ह; इवान किरोलोविच बहुत मोटाऽ गेलो ह आउ हमेशे वायलिन बजइते रहऽ हको
..." - इत्यादि, इत्यादि । त अइसन हकइ परिस्थिति !
जज
- हाँ, परिस्थिति तो अइसन हइ ... असाधारण, बस असाधारण । कुछ तो निष्प्रोजन नयँ हइ ।
स्कूल
इंस्पेक्टर - लेकिन, अंतोन अन्तोनोविच, काहे लगी, काहे लगी ई सब कुछ ? काहे लगी हमन्हीं
हीं इंस्पेक्टर ?
मेयर
- काहे लगी ! लगऽ हइ, किस्मत के बात हइ ! (उच्छ्वास लेके) अभी तक, भगमान के किरपा से,
दोसर-दोसर शहर में चुपके-चोरी गेते गेले हल; आउ अब हमन्हीं के पारी अइले ह ।
जज
- हमरा लगऽ हइ, अन्तोन अन्तोनोविच, कि हियाँ परी कोय गूढ़ आउ बड़गो राजनीतिक कारण हइ
। एकर मतलब अइकी ई हइ - रूस ... हाँ ... युद्ध करे लगी चाहऽ हइ, आउ मंत्रालय तो, देखवे
करऽ हथिन, एगो अफसर भेजलके ह, ई जाने लगी कि
कहीं कोय गद्दारी तो नयँ हकइ ।
मेयर
- ओह, काहाँ पहुँच गेलथिन ! आउ खुद के बुद्धिमान व्यक्ति समझऽ हथिन ! जिला स्तर के
शहर में गद्दारी! की हइ ई, कोय सरहदी शहर ? हियाँ से तो बल्कि तीन साल तक घोड़ा पर सवार
होके काहे नयँ जाहो, कउनो विदेश तक नयँ पहुँच सकभो ।
जज
- नयँ, हम अपने के कहऽ हिअइ, अपने ओतना ... अपने नयँ ... प्राधिकारी के नजर तेज होवऽ
हइ - ई सच हइ कि ऊ दूर हथिन, लेकिन अपन मोछ पर ताव दे हथिन (अर्थात् कुच्छो उनकर नजर
से बचके निकस नयँ पावऽ हइ) ।
मेयर
- ताव दे हथिन चाहे नयँ दे हथिन, लेकिन हम तो अपने सब के, भद्रजन, आगाह कर देलिअइ ।
ध्यान रखथिन । अपन विभाग में तो हम कुछ निर्देश दे देलिए ह, आउ अपनहूँ सब के अइसीं
करे के सलाह दे हिअइ। खास करके अपने के, अरतेमी फ़िलिप्पोविच ! निस्संदेह, आगंतुक अधिकारी
सबसे पहिले अपने के अधीनस्थ अनुदान वला संस्था सब के निरीक्षण करता - आउ ओहे से अपने
अइसन व्यवस्था करथिन कि सब कुछ उचित होवइ - टोपी साफ-सुथरा होवे के चाही, आउ रोगी सब
एन्ने-ओन्ने घूमते लोहार नियन नयँ देखाय देइ, जइसन कि अकसर ओकन्हीं अपन घर पर नियन
चक्कर मारते रहऽ हइ ।
अनुदान
संस्था न्यासी - अच्छऽ, कोय बात नयँ हइ । ओकन्हीं सब के साफ-सुथरा टोपी पेन्हा देवल
जा सकऽ हइ ।
मेयर
- सही, आउ हरेक बेड (बिछावन) पर लैटिन चाहे दोसर भाषा में कुछ लिक्खल भी जाय के चाही
... ई तो अपनहीं के विभाग के नियम के अनुसार हइ, क्रिस्तियान इवानोविच - हरेक रोग लगी
- कब केऽ बेमार पड़लइ, कउन दिन आउ तारीख के ... ई निम्मन बात नयँ हइ, कि अपने हीं के
रोगी सब एतना कड़गर (strong) तमाकू पीते जा हइ, कि अंदर घुसतहीं अदमी हमेशे छींकते-छींकते
परेशान हो जा हइ । आउ ई बेहतर होवइ, कि अइसन लोग कमती रहइ - नयँ तो तुरते ई बात लगी
खराब देखभाल चाहे डाक्टर के अक्षमता के आरोप लगा देल जइतइ ।
अनुदान
संस्था न्यासी - ओह, चिकित्सा के मामले में क्रिस्तियान इवानोविच आउ हम अपन कदम उठइलिए
ह - प्रकृति के जेतना नगीच होवे, ओतने बेहतर - हम सब महँगा दवाय के इस्तेमाल नयँ करते
जा हिअइ । अदमी सीधा-सादा प्राणी हइ - अगर मरे के रहऽ हइ, त मर जा हइ; अगर चंगा होवे
के रहऽ हइ, त चंगा हो जा हइ । आउ क्रिस्तियान इवानोविच के तो ओकन्हीं के समझाना बहुत
मोसकिल होतइ - उनका तो रूसी के एक्को शब्द नयँ मालूम ।
(क्रिस्तियान
इवानोविच आंशिक रूप से "इ" आउ कुछ "ये" से मिलता-जुलता अवाज निकासऽ
हइ) इये, इये !
मेयर
- हम अपनहूँ के सलाह देवे लगी चाहबइ, आम्मोस फ़्योदोरोविच, कि अपन ऑफिस पर ध्यान देथिन
। हुआँ परी ड्योढ़ी में, जाहाँ अकसर याचिकाकर्ता लोग अइते जा हइ, पहरेदार सब घरेलू हंस
पाल रखते गेले ह, चूजा सहित, जे अइसीं गोड़वा भिर चक्कर मारते रहऽ हइ । निस्संदेह, ई
मुर्गी-पालन नियन घरेलू व्यवस्था हरेक कोय लगी प्रशंसनीय हइ, आउ पहरेदार के ई काम काहे
नयँ करे के चाही ? खाली, जानवे करऽ हथिन, कि अइसन जगह पर ई शोभा नयँ दे हइ ... ई बात
हम पहिलहीं अपने के बतावे लगी चाहऽ हलिअइ, लेकिन कइसूँ भूल जा हलिअइ ।
जज
- अइकी हम ऊ सब के आझे भनसाघर में ले जाय के औडर दे दे हिअइ । अगर चाहऽ हथिन, त दुपहर
के भोजन पर आ जाथिन ।
मेयर
- एकरा अलावे, ई खराब बात हइ, कि नजर के सामनहीं सब कचरा सूखते रहऽ हइ, आउ फाइल के
अलमारी के ठीक उपरे अपने के शिकारी हंटर लटकल रहऽ हइ । हम जानऽ हिअइ, कि अपने शिकार
करना पसीन करऽ हथिन, लेकिन अभी लगी तो एकरा हटा देना बेहतर हइ, आउ जइसीं इंस्पेक्टर
चल जाय, त ओकरा हुआँ पर फेर टाँग दे सकऽ हथिन । ओइसीं अपने के सरकारी वकील ... निस्संदेह,
ऊ जानकार व्यक्ति हइ, लेकिन ओकरा से अइसन गंध आवऽ हइ, मानूँ ऊ अभिए मद्यनिर्माणशाला
(शराब के करखाना) से बहरसी अइले ह - एहो ठीक बात नयँ हइ । हम बहुत पहिलहीं अपने के
एकरा बारे बतावे लगी चाहऽ हलिअइ, लेकिन हमरा आद नयँ, कि कउन काम में हमर ध्यान आकृष्ट
हो गेलइ । एकर इलाज हइ, अगर वास्तव में ओकर कहे के मोताबिक ई ओकर नैसर्गिक गंध हइ
- त ओकरा पियाज, चाहे लस्सुन खाय के सलाह दे सकऽ हथिन, चाहे अइसने आउ कुछ । ई हालत
में क्रिस्तियान इवानोविच कइएक तरह के उपचार में मदत कर सकऽ हका ।
क्रिस्तियान इवानोविच
ओहे अवाज करऽ हइ ।
जज
- नयँ, एकरा से छुटकारा पाना असंभव हइ । ऊ कहऽ हइ, कि बचपन में धाय ओकरा चोट पहुँचइलके
हल, आउ तभिए से ओकरा से जरी वोदका के गंध आवऽ हइ ।
मेयर
- खैर, हम अइसीं अपने के बतइलिअइ । जाहाँ तक आंतरिक दिशानिर्देश के मामला हइ, आउ ई
बात के, जेकरा अपन पत्र में अन्द्रेय इवानोविच छोटगर-मोटगर पाप बतावऽ हइ, हम कुछ नयँ
कह सकऽ हिअइ । आउ ई कहना विचित्र हइ - अइसन कोय व्यक्ति नयँ हइ, जे कइसनो पाप नयँ कइलके
होत । अइसन तो खुद भगमाने के बनावल हइ, आउ वोल्तायर [2] के अनुयायी व्यर्थ में एकर
विरुद्ध बोलते जा हइ ।
जज
- छोटगर-मोटगर पाप से अपने के कीऽ मतलब हइ, अन्तोन अन्तोनोविच ? छोटगर-मोटगर पाप तरह-तरह
के होवऽ हइ । हम सबके सामने कहऽ हिअइ, कि हम घूस ले हिअइ, लेकिन कइसन घूस ? बोरज़्वा
[3] पिल्ला। ई बिलकुल अलग मामला हइ ।
मेयर
- खैर, पिल्ला होवइ, चाहे आउ कुछ दोसर चीज - तइयो ई सब घूस हइ ।
जज
- ओह, नयँ, अन्तोन अन्तोनोविच । आउ अइकी, मसलन, अगर केकरो फ़रकोट पाँच सो रूबल के हइ,
आउ ओकर पत्नी लगी शाल ...
मेयर
- अच्छऽ, लेकिन ओकरा से कीऽ, कि अपने बोरज़्वा पिल्ला घूस में ले हथिन ? लेकिन अपने
भगमान में विश्वास नयँ करऽ हथिन; अपने गिरजाघर कभी नयँ जा हथिन; लेकिन हम कम से कम
अपन विश्वास में दृढ़ हिअइ आउ हरेक एतवार के गिरजाघर जा हिअइ । आउ अपने ... ओह, हम अपने
के जानऽ हिअइ - अगर अपने विश्व के सृष्टि के बारे बोले लगऽ हथिन, त रोंगटा खड़ी हो जा
हइ ।
जज
- एकर निष्कर्ष पर हम खुद अपन बुद्धि से पहुँचलिअइ ।
मेयर
- खैर, कुछ हालत में जादे बुद्धि लगाना बत्तर होवऽ हइ, बनिस्पत कि बिलकुल बुद्धि नयँ
लगावल जाय। लेकिन, हम अइसीं जिला कोर्ट के उल्लेख कइलिअइ; लेकिन सच कहल जाय तो मोसकिल
से कोय कभी हुआँ हुलकतइ; ई अइसन वांछनीय जगह हइ, भगमान खुद एकर संरक्षण करऽ हथिन ।
आउ अपने के, लूका लूकिच, शिक्षा संस्थान के इंस्पेक्टर होवे के नाते शिक्षक लोग के
मामले में विशेष ध्यान देवे के चाही । ओकन्हीं निस्संदेह विद्वान आउ कइएक तरह के कॉलेज
से शिक्षा प्राप्त कइले हका, लेकिन ओकन्हीं के व्यवहार बहुत विचित्र हइ, जे स्वाभाविक
रूप से ओकन्हीं के शैक्षणिक उपाधि के अभिन्न अंग हइ । ओकन्हीं में से एगो, मसलन, अइकी
ई, जेकर चेहरा मोटगर हइ ... ओकर पारिवारिक नाम हमरा आद नयँ - जब क्लास में आवऽ हइ,
त बिन मुँह बनइले नयँ रह सकऽ हइ । अइकी अइसे (मुँह बनावऽ हका), आउ फेर टाई के निच्चे
हाथ से अपन दाढ़ी सहलावे लगऽ हइ । निस्संदेह, अगर विद्यार्थी सब के सामने अइसन मुख-विकृति
करइ, त कोय बात नयँ - शायद हुआँ अइसे करना जरूरी होवइ, एकरा बारे हम निर्णय नयँ कर
सकऽ हिअइ; लेकिन अपने खुद बताथिन, कि अगर ऊ अइसे आगंतुक के सामने करइ - त ई बहुत खराब
लग सकऽ हइ - मिस्टर इंस्पेक्टर चाहे आउ कोय एकरा खुद पर इंगित समझ सकऽ हइ । ई तो शैताने
के मालूम, कि एकर की नतीजा हो सकऽ हइ ।
लूका
लूकिच (स्कूल इंस्पेक्टर) - वस्तुतः ओकरा साथ हम की कर सकऽ हिअइ ? हम कइएक तुरी ओकरा
कह चुकलिए ह । अइकी कुछ दिन पहिले, जब कुलीन वर्ग के मार्शल क्लास में अइलथिन, त ऊ
अइसन मुँह बनइलकइ, जइसन हम अभी तक कभियो नयँ देखलिए हल । ऊ तो साफ नीयत से अइसन कइलकइ,
लेकिन हमरा बात सुन्ने पड़लइ - युवक वर्ग के दिमाग में स्वतंत्र सोच काहे लगी भर देल
जा हइ ?
मेयर
- अइसीं हमरा अपने के इतिहास विभाग के शिक्षक के बारे उल्लेख करे के चाही । ऊ विद्वान
मस्तिष्क (learned mind) हइ - ई स्पष्ट हइ, आउ ओकरा पास सूचना के भंडार हइ, लेकिन ऊ
अइसन गरमजोशी के साथ व्याख्या करऽ हइ, कि ऊ खुद के भूल जा हइ । एक तुरी हम ओकर व्याख्यान
सुनलिअइ - जब तक ऊ असीरिया आउ बेबिलोन के बारे बोलते रहलइ, सब कुछ ठीक हलइ; लेकिन जइसीं
मकदूनिया के अलिक्सांद्र (अर्थात् सिकंदर महान) के चर्चा उठइलकइ, त हम अपने के बता
नयँ सकऽ हिअइ, कि ओकरा की हो गेलइ । हम सोचलिअइ, हे भगमान ! कहीं आग तो नयँ लग गेलइ
! ऊ मंच से दौड़के गेलइ, एगो कुरसी पकड़लकइ आउ पूरा ताकत लगाके फर्श पर पटकके तोड़-ताड़
देलकइ । निस्संदेह, मकदूनिया के अलिक्सांद्र एगो हीरो हलइ, लेकिन एकरा लगी कुरसी तोड़े
के की जरूरत हइ ? ई तो सराकरी कोष के हानि हइ ।
स्कूल
इंस्पेक्टर - हाँ, ऊ जोशीला हइ ! हम ओकरा ई बात पर कइएक तुरी ध्यान आकृष्ट कर चुकलिए
ह ... ऊ बोलऽ हइ - "चाहे जे कहथिन, ज्ञान खातिर हम जिनगी के भी परवाह नयँ करबइ
।"
मेयर
- हाँ, ई तो विधि के अनिर्वचनीय विधान हइ - बुद्धिमान व्यक्ति या तो पियक्कड़ होवऽ हइ,
चाहे मुँह अइसन बनावऽ हइ, जे बरदास के बाहर हो जा हइ ।
स्कूल
इंस्पेक्टर - शिक्षा विभाग में सेवा करे खातिर भगमान नयँ लावे ! सब कुछ से डर लगतो
- हर कोय टाँग अड़ावऽ हइ, हर कोय के अइसन देखावे के मन करऽ हइ कि ओहो बुद्धिमान व्यक्ति
हइ ।
मेयर
- ई सब से तो कोय हर्ज नयँ हइ - लेकिन ई अभिशप्त छद्मवेष ! अचानक टपक पड़तइ -
"अहा, त अपने सब हियाँ हकहो, प्यारे बच्चो !" कहतइ, "आउ तोहन्हीं में
से जज के हकहो ?" - "ल्यापकिन-त्यापकिन ।" - "ल्यापकिन-त्यापकिन
के हियाँ परी लाव ! आउ अनुदान संस्था के न्यासी केऽ ?" - "ज़िमल्यानिका ।"
- "ज़िमल्यानिका के हियाँ परी लाव !" एहे तो खराब बात हइ !
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