पितिरबुर्ग से मास्को के यात्रा
(1790)
मूल रूसी लेखक - अलिक्सान्द्र निकोलायेविच
रादिषेव (1749-1802)
मगही अनुवाद - नारायण प्रसाद
प्रसिद्ध
रूसी लेखक अलिक्सान्द्र निकोलायेविच रादिषेव के रचना के मगही अनुवाद के प्लान बहुत
पहिले से हलइ। ऐतिहासिक रूप से रूसी गद्य साहित्य के पहिलौका रचना "पितिरबुर्ग
से मास्को के यात्रा" हइ, जेकर चर्चा रूसी साहित्य के इतिहास विषय में हरेक पुस्तक
में कइल जा हइ। ई पुस्तक के अनुवाद सब्भे प्रमुख यूरोपियन भाषा में कइल जा चुकले ह,
हलाँकि एकर हिन्दी अनुवाद अभी तक नञ् प्रकाशित होले ह।
"पितिरबुर्ग
से मास्को के यात्रा" के रचना तब होले हल, जब आधुनिक गद्य रूसी साहित्यिक भाषा
स्थिर नञ् होले हल। आधुनिक गद्य रूसी साहित्यिक भाषा लगभग सन् 1830 ई॰ से शुरू होवऽ
हइ जेकर प्रवर्तक प्रसिद्ध रूसी लेखक अलिक्सान्द्र पुश्किन (1799-1837) हलथिन ।
ई
पुस्तक के भाषा पुराना होवे से बिन विस्तृत टीका-टिप्पणी के ठीक से समझ में नञ् आवऽ
हइ। हमरा पास मूल 1790 के संस्करण हइ आउ एकर विद्वत्तापूर्ण संस्करण (1992) भी। साथ-साथ
एकर अंगरेजी अनुवाद, फ्रेंच अनुवाद, इटैलियन अनुवाद, स्पैनिश अनुवाद भी।
"पितिरबुर्ग
से मास्को के यात्रा" पुस्तक के मई 1790 में प्रकाशित होला के तुरन्त बाद एकरा
पर प्रतिबन्ध लगा देवल गेलइ। ई पुस्तक के जेतना प्रति मिल सकलइ, ऊ सब्भे के जला देवल
गेलइ । अभी रूस में कुल 12 प्रति वर्तमान हइ, जेकरा में पुश्किन के पास से प्राप्त
एक प्रति भी हइ ।
रूस
में 98 वरिस बाद सन् 1888 में पितिरबुर्ग से एकर खालील 100 प्रति प्रकाशित होलइ । बिन
कोय बाधा के रूस में सन् 1905 से हीं एकर प्रकाशन आउ वितरण आरम्भ होलइ।
ई
पुस्तक में ऊ ज़ारशाही जमाना के सामाजिक आउ राजनैतिक परिस्थिति के वर्णन हइ, विशेष रूप
से भूदासत्व (serfdom)के आलोचना कइल गेले ह आउ एकरा लगी प्रशासन के उत्तरदायी मानल
गेले ह । भूदासत्व के उन्मूलन 71 वर्ष बाद सन् 1861 में ज़ार के अध्यादेश से कइल गेलइ।
रादिषेव
प्रकाशन के पहिले सेंसर से अनुमति लेलथिन हल। सेंसर हेड ई सोचके बिन पढ़लहीं अनुमति
दे देलकइ कि ई पुस्तक में दुन्नु राजधानी के बीच के सामान्य यात्रा वृत्तान्ते तो होतइ
। प्रकाशित पुस्तक में लेखक के नाम नञ् हलइ, प्रिंटिंग प्रेस के नाम के कोय उल्लेख
नञ् हलइ।
ई
पुस्तक के राजधानी में सनसनी पैदा करे में अधिक समय नञ् लगलइ । कइएक लोग तो एकरा कुच्छे
घंटा पढ़े के वास्ते उँचगर कीमत देवे लगी तैयार हलइ। लेकिन साम्राज्ञी, कैथेरिन महान
(Catherine the Great, 1729-1796) के एकर जनकारी एक महिन्ना बादे मिललइ, जे ऊ बखत त्सार्स्कए
सेलो में हला। कुछ पन्ना पढ़े के बादे ऊ लेखक के बारे टिप्पणी कइलका - "ई तो पुगाचोव
से भी जादे खतरनाक उपद्रवी हकइ ।" इमिल्यान पुगाचोव (1742-1775) प्रसिद्ध रूसी
कृषक आन्दोलन (1773-1775) के नेता हलइ, जे पूरे साम्राज्य के हिलाके रख देलके हल। सन्
1775 में ओकरा पकड़के फाँसी पर लटका देवल गेलइ। ...
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