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Monday, August 26, 2019

पितिरबुर्ग से मास्को के यात्रा ; अध्याय 13. वलदाई


[*204]                                                 वलदाई
नयका ई छोटका शहर, कहल जा हइ, सम्राट् अलिक्सेय मिख़ाइलोविच के शासनकाल में पॉलिश युद्धबन्दी लोग द्वारा बसावल गेले हल।[1] ई शहर एकर वासी के आउ विशेष रूप से अविवाहित औरतियन के कामुक प्रवृत्ति लगी प्रसिद्ध हइ।
केऽ वलदाई नञ् गेले ह, केऽ नञ् जानऽ हइ वलदाई के बरानका[2] आउ वलदाई के पावडर लगाके लाल होल छोकड़ियन के? ढीठ आउ बेशरम वलदाई के छोकड़ियन हरेक यात्री के रोक ले हइ, आउ यात्री के कामुकता जगावे के प्रयास करऽ हइ, अपन कौमार्य के कीमत पर ओकर उदारता के लाभ उठावे लगी। शहर के दर्जा प्राप्त कर लेल ई गाम के निवासी के नैतिकता के दोसर शहर के निवासी के नैतिकता से तुलना करते बखत सोचभो कि ई (शहर) सबसे जादे पुराना हइ आउ लम्पटता [*205] एकर प्राचीनता के एकमात्र अवशेष हइ। लेकिन सो साल से कुच्छे अधिक समय पहिले ई शहर बसावल गेले हल, त कल्पना कइल जा सकऽ हइ, एकर पहिलौकन निवासी लोग केतना लम्पट रहले होत।
बान्या[3] हमेशे प्रेम महोत्सव के स्थान रहले ह आउ अभियो हइ। यात्री अपन ठहराव खातिर सेवापरायण बुढ़िया या युवक के साथ तय करके प्रांगण (सहन) में रुक जा हइ, जाहाँ परी ओकरा सार्वत्रिक पूजनीय लादा[4] के खातिर नैवेद्य लावे के इरादा हइ। रात हो गेलइ। बान्या ओकरा लगी तैयार हइ। यात्री अपन कपड़ा उतारऽ हइ, बान्या में जा हइ, जाहाँ परी ओकरा से स्वागत करऽ हइ मालकिन, अगर ऊ युवती हइ, चाहे ओकर बेटी, ओकर नजदीकी रिश्तेदार, या पड़ोसी लड़की। ओकन्हीं ओकर थक्कल देह के अंग के रगड़ऽ हइ; देह पर के धूरी वगैरह धोवऽ हइ। अइसन ओकन्हीं अपन देह पर के कपड़ा उतारके करते जा हइ, ओकरा में कामुकता के अग्नि प्रज्वलित करऽ हइ, आउ ऊ अपन रात हुएँ गुजारऽ हइ, अपन पैसा, सेहत आउ यात्रा के कीमती समय बरबाद करके। लोग के कहना हइ कि अइसनो होले ह कि लापरवाह आउ प्यार [*206] आउ शराब में मग्न यात्री के ई कामुक राक्षसी हत्या कर देलकइ ताकि ओकर सब्भे पैसा कौड़ी हथिया ले। हमरा मालुम नञ्, ई सही हइ कि नञ्, लेकिन वलदाई के लड़कियन के ढिठाई कमती हो गेले ह। आउ हलाँकि ओकन्हीं अभियो यात्री के इच्छा के संतुष्ट करे से इनकार नञ् करऽ हइ, लेकिन ओकन्हीं में पहिलौका ढिठाई नञ् देखाय दे हइ।
वलदाई झील, जेकरा पर ई शहर बस्सल हइ, कहानी में प्रसिद्ध रहतइ, ऊ मठवासी (monk) के चलते जे अपन प्रेमिका के प्यार में अपन जीवन के बलिदान कर देलकइ। शहर से लगभग डेढ़ विर्स्ता दूरी पर, झील के बीच में, एगो टापू पर, ईबेरियन मठ हइ, जेकर स्थापना प्रसिद्ध निकोन[5] प्राधिधर्माध्यक्ष (Patriarch) द्वारा कइल गेले हल। ई मठ के एगो मठवासी वलदाई अइला पर ई शहर के एगो वासी के लड़की से प्यार में पड़ गेलइ। जल्दीए ओकन्हीं के प्यार पारस्परिक (mutual) हो गेलइ, जल्दीए ओकन्हीं एकरा पूरा करे के प्रयास करते गेलइ। एक दिन प्रेम के आनन्द में, [*207] ओकन्हीं एकर प्रयास में खुद के रोक नञ् पइलकइ। लेकिन ओकन्हीं के परिस्थिति एकरा लगी बाधा हलइ। प्रेमी के अकसर अपन मठ से बाहर जाना नञ् होवऽ हलइ; प्रेमिका के अपन प्रेमी के मठ के कक्ष में भेंट देना संभव नञ् हलइ। लेकिन ओकन्हीं के प्यार सब बाधा पर विजय पा लेलकइ; प्यार में पागल मठवासी ई ओकरा एगो निर्भय व्यक्ति बना देलकइ, आउ ओकरा लगभग अलौकिक शक्ति दे देलकइ। ई नयका लेआन्द्रो[6] (Leandro) रोज दिन अपन प्रेमिका के आलिंगन के आनन्द लेवे लगी, जइसीं रात पूरे आकाश के अपन काला चादर से ढँक लेय, अपन कक्ष से चुपके से निकसइ  आउ अपन चोगा उतारके, झील के पैरके सामने के तट पर जाय, जाहाँ परी ओकरा अपन प्रेमिका के आलिंगन स्वागत करइ। बान्या आउ ओकरा में प्यार के आनन्द ओकरा लगी तैयार रहऽ हलइ; आउ ऊ ओकरा में झील के पैरके पार करे में खतरा आउ कठिनाई के बारे भूल जाय, आउ ई भय के भी कि अगर ओकर अनुपस्थिति लोग के मालुम हो जाय। सुबह होवे के कुछ घंटा पहिले ऊ अपन कक्ष में वापिस आ जाय। [*208] ई तरह से अइसन खतरनाक तैराकी अभियान में ऊ लमगर अवधि गुजारऽ हलइ, दिन के एकांत के उकताहट के, रात के आनन्द से क्षतिपूर्ति कर ले हलइ। लेकिन भाग्य ओकर प्रेम के साहसिक कार्य के अंत कर देलकइ। एक रात जब ई निडर प्रेमी अपन प्रेमिका के दर्शन खातिर लहर के बीच प्रस्थान कइलकइ, त अचानक ओकर विपरीत दिशा में हावा उठलइ जब ऊ आधा रस्ता में हलइ। ओकर पूरा शक्ति क्रोधित लहर के सामना करे लगी काफी नञ् हलइ। व्यर्थ में ऊ अपन मांसपेशी पर जोर डालके थक गेलइ; व्यर्थ में ऊ अपन अवाज उँचगर कइलकइ ताकि खतरा में ओकर अवाज सुनाय दे। तट पर पहुँचना असंभव समझके ऊ अपन मठ वापिस लौटे के इरादा कर लेलकइ, ताकि अनुकूल हावा में ओकरा लगी पहुँचना आसान होतइ। लेकिन मोसकिल से ऊ वापिस मुड़ले हल कि लहर ओकर थक्कल मांसपेशी पर काबू पा लेलकइ आउ ओकरा निच्चे डुबा देलकइ। सुबह में ओकर देह दूर के तट पर पावल गेलइ। अगर हम एकरा पर कविता लिखतिए हल [*209] , त हम पाठक खातिर ओकर प्रेमिका के निराशा प्रस्तुत करतिए हल। लेकिन ई हियाँ परी फालतू होतइ। हर कोय जानऽ हइ कि प्रेमिका के, बल्कि पहिले पल में, अपन प्रेमी के मौत जानके कष्ट होतइ। हमरा एहो नञ् मालुम, कि ई नयकी हेरो झील में कूदके जान दे देलकइ कि नञ्; चाहे अगला रात में यात्री लगी फेर बान्या गरम कइलकइ कि नञ्। प्रेम के वर्षवृत्तान्त कहऽ हइ कि वलदाई के सुन्दरी प्रेम में नञ् मरऽ हलइ ... सिवाय अस्पताल में। वलदाई के रिवाज नगीच के डाक स्टेशन, ज़िम्नोगोर्ये, में भी फैल गेले ह। हियों परी यात्री के ओइसने स्वागत कइल जा हइ, जइसे वलदाई में। सबसे पहिले तोहरा नजर अइतो बरानका लेले पावडर लगाके सज्जल-धज्जल छोकड़ियन। लेकिन चूँकि हमर जवानी के दिन गुजर चुकल ह, हम शीघ्रतापूर्वक वलदाई आउ ज़िम्नोगोर्ये के पेंट कइल साइरन से दूर चल गेलिअइ।



[1] अलिक्सेय मिख़ाइलोविच (1629-1676), रूस के सम्राट् (1645-1676), पोलैंड के विरुद्ध 1654-1667 ई॰ के बीच युद्ध जारी रखलथिन हल। वलदाई के शहर के दर्जा 1772 में मिललइ।
[2] बरानका - वलयाकार (ring-shaped) मालपुआ।
[3] बान्या - भाफ स्नानघर। विस्तृत विवरण खातिर दे॰ (1) A.G. Cross, The Russian Banya in the Descriptions of Foreign Travellers and the Depictions of Foreign and Russian Artists, in "Oxford Slavonic Papers", 1991, XXIV, pp.34-59. (2) G. Kabakova and A. Stroev, Les voyageurs aux bains russes, in “Revue des études slaves”, 1997 (4), pp. 505-518.
[4] लादा - प्रेम, विवाह आउ सुख के स्लाविक देवी।
[5] निकोन (लगभग 1610-1681); मास्को के प्राधिधर्माध्यक्ष (1652-1666); इबेरियन मठ के स्थापना 1653 में कइलकइ। एकर नाम के व्युत्पत्ति इवेरिया से हइ, जे रूसी जॉर्जिया के पुरनका नाम हलइ।
[6] रादिषेव शायद अलेक्ज़ेंड्रिया स्रोत के लेआन्द्रो आउ हेरो (Leandro and Hero) से संबंध जोड़ऽ हथिन। लेआन्द्रो, आबिदोस के एगो जवान, आउ हेरो, सेस्तोस में एफ़्रोडाइट के कुमारी पुरोहित, एक दोसरा के प्रेम में पड़ गेला हल। लेआन्द्रो हेलेस्पोन्तो जलडमरूमध्य (strait) के रोज रात में पैरके अपन प्रेमिका से मिल्ले लगी जा हलइ, जे मार्गदर्शक के रूप में आग जलाके रक्खऽ हलइ। एक रात लेआन्द्रो जलडमरूमध्य पैरके पार करे में डूबके मर गेलइ। ओकरा अगला सुबह देखके हेरो समुद्र में छलाँग लगाके जान दे देलकइ।

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