http://in.jagran.yahoo.com/news/local/bihar/4_4_6466752.html
04 Jun 2010, 07:21 pm
औरंगाबाद: समाहरणालय पर शुक्रवार को मांगों को ले प्रगतिशील मगही समाज ने धरना दिया। रणविजय सिंह की अध्यक्षता में सम्पन्न धरना को बाल स्वरूप सिंह, अधिवक्ता मंतोष कुमार, रामप्रीत प्रसाद, राजेन्द्र पाठक, विनय कुमार गुप्ता, जुदागिर शर्मा, अधिवक्ता देवेन्द्र पाण्डेय, सरयू ठाकुर ने संबोधित किया। सभी ने कहा कि वर्ष 2000 के पहले पूरे उत्तर भारत में मगही भाषा के तहत कामकाज होता था। विदेशी पर्यटकों को भी मगध साम्राज्य में आने के दौरान अपने साथ मगही जानने वाला दुभाषिया को रखना पड़ता था। 2500 वर्ष पहले गौतम बुद्ध ने भी मगध के अंदर व बाहर अपने धर्म प्रचार के लिए मगही (पाली) में प्रचार-प्रसार किए थे। विश्व प्रसिद्ध नालंदा विश्वविद्यालय में सभी पढ़ाई मगही भाषा में कराया जाता था। आज मगध में ही मगही भाषा का प्रयोग नहीं किया जा रहा है। वक्ताओं ने मगही भाषा को संविधान के आठवीं अनुसूची में शामिल करने, सरकारी व गैर सरकारी कार्यालयों में मगही भाषा में कार्य कराने, शैक्षणिक संस्थानों में मगही भाषा के तहत पढ़ाई-लिखाई कराने, मगध क्षेत्र में रेलवे के उद्घोषण, दूरदर्शन, आकाशवाणी में मगही भाषा से प्रसारण कराने की मांग की। उपरोक्त मांगों को अमल में लाने के लिए समाज के द्वारा मुख्यमंत्री के नाम जिला पदाधिकारी को ज्ञापन सौंपा गया है। वक्ताओं ने कहा कि मगही भाषा गौरवशाली रहा है और आगे भी गौरवशाली तभी रहेगा, जब हम सभी मगध क्षेत्र के रहने वाले मगही भाषा का प्रयोग करेंगे। कहा कि आज भी मगही भाषा समाज के लिए प्रासंगिक है। धरना का संचालन बालस्वरूप सिंह ने किया। समाज से जुड़े कई लोग धरना में शामिल हुए।
04 Jun 2010, 07:21 pm
औरंगाबाद: समाहरणालय पर शुक्रवार को मांगों को ले प्रगतिशील मगही समाज ने धरना दिया। रणविजय सिंह की अध्यक्षता में सम्पन्न धरना को बाल स्वरूप सिंह, अधिवक्ता मंतोष कुमार, रामप्रीत प्रसाद, राजेन्द्र पाठक, विनय कुमार गुप्ता, जुदागिर शर्मा, अधिवक्ता देवेन्द्र पाण्डेय, सरयू ठाकुर ने संबोधित किया। सभी ने कहा कि वर्ष 2000 के पहले पूरे उत्तर भारत में मगही भाषा के तहत कामकाज होता था। विदेशी पर्यटकों को भी मगध साम्राज्य में आने के दौरान अपने साथ मगही जानने वाला दुभाषिया को रखना पड़ता था। 2500 वर्ष पहले गौतम बुद्ध ने भी मगध के अंदर व बाहर अपने धर्म प्रचार के लिए मगही (पाली) में प्रचार-प्रसार किए थे। विश्व प्रसिद्ध नालंदा विश्वविद्यालय में सभी पढ़ाई मगही भाषा में कराया जाता था। आज मगध में ही मगही भाषा का प्रयोग नहीं किया जा रहा है। वक्ताओं ने मगही भाषा को संविधान के आठवीं अनुसूची में शामिल करने, सरकारी व गैर सरकारी कार्यालयों में मगही भाषा में कार्य कराने, शैक्षणिक संस्थानों में मगही भाषा के तहत पढ़ाई-लिखाई कराने, मगध क्षेत्र में रेलवे के उद्घोषण, दूरदर्शन, आकाशवाणी में मगही भाषा से प्रसारण कराने की मांग की। उपरोक्त मांगों को अमल में लाने के लिए समाज के द्वारा मुख्यमंत्री के नाम जिला पदाधिकारी को ज्ञापन सौंपा गया है। वक्ताओं ने कहा कि मगही भाषा गौरवशाली रहा है और आगे भी गौरवशाली तभी रहेगा, जब हम सभी मगध क्षेत्र के रहने वाले मगही भाषा का प्रयोग करेंगे। कहा कि आज भी मगही भाषा समाज के लिए प्रासंगिक है। धरना का संचालन बालस्वरूप सिंह ने किया। समाज से जुड़े कई लोग धरना में शामिल हुए।
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