विजेट आपके ब्लॉग पर

Monday, December 20, 2010

46. मगही साहित्य के सूर्य थे मथुरा प्रसाद नवीन

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/bihar/4_4_7048671_1.html
मगही साहित्य के सूर्य थे नवीन
18 Dec 2010, 08:28 pm
बड़हिया (लखीसराय), संसू. : शनिवार को स्थानीय निरीक्षण भवन में मगही के कबीर बड़हिया निवासी मथुरा प्रसाद नवीन की नौवीं पुण्यतिथि के अवसर पर साहित्य सर्जना परिषद के तत्वावधान में स्थानीय स्तर का कवि सम्मेलन सह विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। कवि सम्मेलन की अध्यक्षता बीएनएम कालेज के पूर्व प्राचार्य डा. सत्येन्द्र अरूण ने की जबकि मंच संचालन पूर्व नगर भाजपा अध्यक्ष रामप्रवेश कुमार ने किया। कवि सम्मेलन का उद्घाटन क्षेत्रीय विधायक विजय कुमार सिन्हा ने दीप प्रज्जवलित करके किया। कवि सम्मेलन में उपस्थित लोगों को संबोधित करते पूर्व एडीएम अवधेश नारायण सिंह ने कहा कि नवीन जी में दैवीय शक्ति थी। उनकी कविता स्वत: स्फूर्त हुआ करती थी। मौलिकता ही उनकी पहचान थी। उन्होंने तत्कालीन परिस्थिति के आधार पर अनेक कविताएं लिखी। सहित्यकार डा. सत्येन्द्र अरूण नें मथुरा प्रसाद नवीन जी को मगही साहित्य का सूर्य बताते हुए कहा कि नवीन जी ग्रामीण समस्याओं पर हमला बोलते हुए हमर गांव हो आला बबुआ हमर गांव हो आला, बेटा हो बंदूक उठइले बाप जपो हो माला..आदि कविता के माध्यम से प्रकाश डाला था। इस अवसर पर राममूरत कुमार, डा. रामानंद सिंह, महिला महाविद्यालय के प्राचार्य डा. मुरलीधर सिंह, अरूण कुमार सिंह, विभूति सिंह, सागर सिंह, सुरेन्द्र प्रसाद सिंह, शंकर कुमार, डा. शिवदानी सिंह, संजय कुमार सिंह आदि उपस्थित थे।

No comments: