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Thursday, October 30, 2014

अपराध आउ दंड - भाग – 1 ; अध्याय – 3





अपराध आउ दंड

भाग – 1

अध्याय – 3

दोसरा दिन ऊ लेट से उठलइ, काहेकि ओकर नीन बीच-बीच में टूट गेले हल, लेकिन नीन से ओकरा ताजगी नयँ अइले हल । उठला पर ऊ कड़वाहट, चिड़चिड़ापन, गोस्सा अनुभव कइलकइ आउ घृणा से अपन कमरा के देखलकइ । ई बहुत छोट्टे गो कमरा हलइ, लम्बाई में कोय छे कदम के, जेकर हालत बहुत दयनीय हलइ, देवाल पर के पियरका, धूरी भरल कागज सगरो से निकसब करऽ हलइ, आउ छत एतना कम उँचगर हलइ कि जरिक्को सन उँचगर अदमी के ओकरा में डर लगऽ हलइ, आउ हमेशे लगऽ हलइ कि अइकी अब मथवा छत से टकरा जइतइ । कमरे के मोताबिक फर्नीचर हलइ - तीन गो पुरनका कुरसी हलइ, जेकर हालत ठीक नयँ हलइ, कोना में पेंट कइल एगो टेबुल, जेकरा पर कुछ नोटबुक आउ किताब पड़ल हलइ; खाली एहे बात से कि ऊ सब पर एतना धूरी लगल हलइ, ई साफ हलइ कि बहुत लम्बा अरसा से कोय हाथ नयँ लगइलके हल; आउ आखिर, एगो भद्दा बड़गर सोफा, जे लगभग समुच्चे देवाल आउ समुच्चे कमरा के आधा चौड़ाई के छेंकले हलइ, आउ कभी छींट के कपड़ा से सजावल हलइ, लेकिन अभी तो तार-तार होल हलइ आउ रस्कोलनिकोव के बिछौना के काम आवऽ हलइ । अकसर ऊ ओकरा पर जइसे रहऽ हलइ, ओइसीं सुत जा हलइ, मतलब बिना कपड़ा बदले, बिना बेड-शीट के, खुद के अपन पुरनका फट्टल-फुट्टल, छात्र वला ओवरकोट [1] आउ अपन सिर एगो छोट्टे गो तकिया पर रखके, जेकर निच्चे सब तरह के कपड़ा रख ले हलइ - चाहे ऊ साफ-सुथरा रहे, चाहे मैल-कुचैल आउ फट्टल-फुट्टल, ताकि सिरहाना जरी उँचगर हो जाय । सोफा के सामने एगो छोटगर टेबुल हलइ ।

एतना जादे निच्चे गिर जाना आउ बेढंगा तरह से रहना मोसकिल हलइ; लेकिन वर्तमान दिमागी हालत में रस्कोलनिकोव लगी ई ठीक-ठाक लगऽ हलइ । ऊ पक्का तौर पे अपना के बाकी सब से अलगे कर लेलके हल, जइसे कछुआ अपन खोल में सिमट जा हइ, हियाँ तक कि ऊ नौकरानी जे ओकर सेवा-टहल करऽ हलइ आउ कभी-कभार ओकर कोठरियो में हुलक ले हलइ, ओकर दिमाग में चिढ़ आउ खलबली पैदा कर दे हलइ । अइसन कुछ सनकी के हो जा हइ जे कोय एक्के चीज पर बहुत जादे अपन ध्यान केंद्रित करले रहऽ हइ । मकान-मालकिन ओकरा हीं दू सप्ताह पहिलहीं से खाना भेजे ल बन कर देलके हल, लेकिन ओकर दिमाग में अभी तक नयँ अइले हल कि ओकरा से जाके बात करे, हलाँकि ओकरा खाना बिन खइलहीं रहे पड़ जा हलइ । नस्तास्या, जे खाना बनवऽ हलइ आउ मालकिन के अकेली नौकरानी हलइ, एक तरह से खुश हलइ अइसन मनोदशा वला किरायेदार से आउ ओकर कमरा के ठीक-ठाक रखना आउ झाड़ू-बुहारू देना बिलकुल बन कर देलके हल; हाँ, खाली सप्ताह में एका तुरी भूले-भटके बढ़नी लेके आ जा हलइ । आउ ओहे अभी ओकरा जगइलकइ ।

"उठऽ, बहुत हो गेलो सुत्तल !" ऊ ओकरा पर चिल्लइलइ, "नो से उपरे हो गेलो । हम तोरा खातिर चाय लइलियो ह; चाय-वाय चाही की नयँ ? लगऽ हको कि एकदम दुबराल हकऽ ?!"
किरायेदार आँख खोललकइ, चौंक गेलइ आउ नस्तास्या के पछनलकइ ।
"चाय तो मकान-मालकिन हीं से अइले ह न ?" ऊ पुछलकइ, धीरे-धीरे आउ बेमार नियन सूरत बनइले सोफा पर उठके बइठ गेलइ ।
"मालकिन के तरफ से ! हइ !"

ऊ ओकरा सामने अपन खुद के चाय के दरकल केतली रख देलकइ, जेकरा में पतरा चाय हलइ, आउ साथ में शक्कर के दू गो पीयर टुकड़ो रखलकइ ।
"ई ले, नस्तास्या", ऊ बोललइ, अपन धोकड़ी टटोलते (ऊ कपड़ा पेन्हलहीं सुत गेले हल) आउ तामा के एक मुट्ठी रेजकी निकसलकइ, "किरपा करके जो, आउ हमरा लगी पावरोटी रोल खरीदके ला दे । आउ हाँ, सॉसेज (sausage) के दोकान से थोड़े सन सॉसेज भी ले लीहँऽ, जरी सस्ता वला ।"
"रोल तो अभीये ला देबो, लेकिन सॉसेज के बदले बन्दगोभी के शोरबा (सूप) नयँ पसीन करबऽ ? ई बहुत अच्छा शोरबा हको, कल्हूँए के बनावल । कल्हूँए तोहरा लगी बचाके रखलियो हल, लेकिन तूँ देरी से घर अइलऽ हल । बहुत अच्छा बन्दगोभी के शोरबा हको ।"

जब शोरबा लावल गेलइ आउ ऊ पीए लगी चालू कइलकइ, नस्तास्या ओकरा नगीच सोफा पर बइठ गेलइ आउ बकबक करे लगलइ । ऊ एगो देहाती औरत हलइ आउ बहुत बातूनी हलइ ।

"प्रसकोव्या पावलोव्ना तोहरा बारे पुलिस के शिकायत करे ल चाहऽ हथुन", ऊ बोललइ ।
ओकर भृकुटि तन गेलइ ।
"पुलिस के ? उनखा की चाही ?"
"किराया नयँ चुकावऽ हकहो आउ कमरा भी खाली नयँ करऽ हो । ई साफ हइ कि उनखा की चाही ।"
"ए ! शैतान तक अभी पहुँच नयँ होले ह !", ऊ बड़बड़इलइ, दाँत पीसते, "नयँ, ई हमरा लगी अभी ... समय उचित नयँ हके ... ऊ बेवकूफ हइ", ऊ जोर से बात आगे बढ़इलकइ । "आझ हम ओकरा भिर जइबइ, बात करबइ ।"
"ऊ बेवकूफ तो हइए हथिन, ओइसीं, जइसे हम; लेकिन तूँ तो बुद्धिमान हकऽ, तइयो बोरा नियन पड़ल हकऽ, तोरा कोय काम-धंधा काहे नयँ देखल जा हको ? तोर कहना हको कि पहिले बुतरुअन के पढ़वे लगी जा हलहो, लेकिन अभी काहे नयँ कुछ करऽ हो ?"
"हम कर तो रहलिए ह ...", रस्कोलनिकोव अनिच्छा से आउ जरी रूखा स्वर में बोललइ ।
"की करऽ हो ?"
"काम ..."
"कइसन काम ?"
"सोच रहलिए ह", ऊ कुछ पल चुप रहला के बाद गंभीरतापूर्वक उत्तर देलकइ ।

नस्तास्या के अइसीं हँस्सी फूट पड़लइ । ऊ हँसोड़ हलइ आउ, जब कुछ हँसावे वला मजेदार बात होवे, त ऊ कोय अवाज निकासले हँस पड़ऽ हलइ, ओकर सारा देह डोले आउ हिल्ले लगऽ हलइ, तब तक जब तक कि खुद थकके रुक नयँ जाय ।
"आउ ई सोच से बहुत पइसा कमइलऽ ?" आखिर ऊ कइसूँ बोल पइलइ ।
"बिना बूट के हम बुतरुअन के पढ़वे नयँ जा सकऽ ही ।  हम अइसन काम पे थुक्कऽ ही ।"
"लेकिन कुआँ में तो नयँ थुक्कऽ ।" [2]
"बुतरुअन खातिर कुछ तामा के सिक्का थमा देते जा हइ । कुछ कोपेक लेके की करम ?" नयँ चाहतहूँ ऊ आगे बोललइ, मानूँ ऊ अपनहीं विचार के जवाब दे रहल होवे ।
"त तूँ कि चाहऽ हो कि कुबेर के पूरा खजाना मिल जाय ?"
ऊ चौंकके ओकरा तरफ देखलकइ ।
"हाँ, कुबेर के पूरा खजाना", कुछ पल रुकके ऊ दृढ़तापूर्वक उत्तर देलकइ ।
"अरे नयँ, थोड़ा-थोड़ा करके । तूँ तो हमरा डेराब करऽ ह; अइसीं हम बहुत डर गेलूँ हँ । रोल लावे जाऊँ कि नयँ ?"
"तोर मर्जी ।"
"अरे, हम तो भुलिए गेलियो ! कल्हे तोर एगो चिट्ठी अइलो हल, जब तूँ घरवा पर नयँ हलऽ ।"
"चिट्ठी ! हमर ! केकरा हीं से ?"
"केकरा हीं से, ई हमरा तो नयँ मालूम । डाकपिन के हम अपन जेभी से तीन कोपेक देलियो हल । हमरा ई पइसा वापिस करबहो न ?"
"त ला न, भगमान खातिर, ला !" ऊ बहुत उत्तेजित होके चीख पड़लइ, "हे भगमान !"

एक मिनट के बाद चिट्ठी अइलइ । त इ हलइ - मइया हीं से, आर॰ प्रान्त से । एकरा हथवा में लेते बखत ओकर चेहरा पीयर पड़ गेलइ । लम्मा अरसा से ओकरा कोय चिट्ठी नयँ मिलले हल; लेकिन अभी आउ कोय बात हलइ जेकरा चलते ओकर दिल धड़के लगलइ ।

"नस्तास्या, हियाँ से चल जो, भगमान खातिर; ई हकउ तोर तीन कोपेक, खाली, भगमान खातिर, जल्दी से हियाँ से चल जो !"

चिट्ठी ओकर हथवा में हिल्लब करऽ हलइ; ऊ ओकरा सामने एकरा खोले ल नयँ चाहऽ हलइ - ऊ ई चिट्ठी के साथ एकान्त चाहऽ हलइ । नस्तास्या बाहर चल गेलइ, त ऊ तेजी से ओकरा अपन होंठ भिर लइलकइ आउ चूम लेलकइ; बाद में ऊ पता के लिखावट पर देर तक एकटक देखते रहलइ, छोटगर-छोटगर आउ तिरछा अक्षर के, ओकर परिचित आउ प्यारा, ई लिखावट ओकर मइया के हलइ, जे ओकरा कभी पढ़े-लिखे लगी सिखइलके हल । ऊ चिट्ठी खोले में हिचकिचा रहले हल; शायद ओकरा कोय बात के डर लग रहले हल । आखिर खोललकइ - चिठिया लमगर हलइ, आउ मोटगर, भार में दू लोट [3]; एगो नोटबुक के दू पन्ना बिलकुल छोट्टे-छोट्टे अक्षर में लिक्खल ।  

"प्रिय हमर रोद्या", ओकर मइया लिखलके हल, "हमरा तोरा से चिट्ठी के जरिये बात कइला दू महिन्ना से उपरहीं हो गेलो ह, जेकरा चलते हमरो तकलीफ हो रहलो हल आउ रात के नीन नयँ आवऽ हलउ, सोचते रहऽ हलिअउ । लेकिन, हमरा विश्वास हउ कि तूँ हमर ई अनिच्छा वला चुप्पी खातिर हमरा दोष नयँ देमँऽ । तोरा मालूम हउ कि हम तोरा केतना प्यार करऽ हिअउ; तूहीं तो हमन्हीं, मतलब हम आउ दुन्या, खातिर एगो मुनरी (मुँदरी, एकलौता) हकँऽ, तूहीं हमन्हीं के सब कुछ हकँऽ, सब आशा, विश्वास हमर । हमरा पर की गुजरल, जब हमरा मालूम होल कि कुछ महिन्ना पहिले तूँ यूनिवर्सिटी (विश्वविद्यालय) छोड़ देलँऽ, काहेकि तोरा पास गुजारा खातिर कुछ नयँ हलउ, आउ तोर टीसनी आउ गुजारा के दोसरो साधन समाप्त हो गेलो हल ! हम अपन वार्षिक एक सो बीस रूबल के पेंशन से तोरा कइसे मदत कर सकऽ हलिअउ ? पनरह रूबल जे तोरा चार महिन्ना पहिले भेजलियो हल, ऊ हम, जइसन कि तोरा खुद्दे मालूम हकउ, एहे पेंशन के गिरवी रखके हियाँ के लोकल व्यापारी अफ़नासी इवानोविच वाख़रूशिन से उधार लेलियो हल । ऊ निम्मन अदमी हकइ आउ तोर बाऊ के दोस्तो हलउ । लेकिन, ओकरा अपन पेंशन वसूल करे के अधिकार दे देला के बाद, हमरा इंतजार करे पड़लउ, जब तक कि कर्जा चुक नयँ जाय, आउ ठीक अभिये चुक पइलो ह, ओहे से हम अभी तक तोरा कुछ नयँ भेज पइलिअउ । लेकिन अब भगमान के दया से, लगऽ हउ कि हम आउ कुछ भेज सकऽ हिअउ, आउ एक तरह से हमन्हीं के अब अपन भाग्य के सराहे के चाही, जेकरा बारे हम तुरते तोरा बतावे जा रहलियो ह । आउ, पहिला बात, तू अंदाजो लगा सकऽ हँ कि नयँ, हमर प्रिय रोद्या, कि तोर बहिन डेढ़ महिन्ना से हमरे साथ रह रहलो ह, आउ अब आगे से हमन्हीं के अलगे नयँ होवे पड़त । भगमान के दया से ओकर सब कष्ट दूर हो गेलो ह, लेकिन तोरा सब कुछ सिलसिलेबार तरीका से बतइबउ, ताकि तोरा ई पता चल जाव कि ई सब कइसे होलइ, आउ जेकरा अभी तक हमन्हीं तोरा से छिपइले हलिअउ । जब तूँ दू महिन्ना पहिले हमरा लिखलँऽ हल कि तूँ केकरो से सुनलँऽ कि दुन्या के स्विद्रिगाइलोव परिवार के घर में अशिष्ट व्यवहार के चलते बहुत कष्ट झेले पड़ रहले ह, आउ हमरा सब कुछ बतावे लगी कहलँऽ हल, त हम ऊ बखत तोरा की जवाब देतियो हल ? अगर हम तोरा सब कुछ सच-सच लिख देतियो हल, त हमरा ई मालूम हके कि तूँ सब कुछ छोड़-छाड़के, अगर जरूरत पड़तो हल त पैदलो, हमन्हीं के पास आ जइतँऽ हल, काहेकि हम तोर स्वभाव आउ भावना जानऽ हिअउ, आउ अपन बहिन के अपमानित होवे नयँ देतँऽ हल । हमहूँ खुद निराश हो चुकलूँ हल, लेकिन कइले की जा सकऽ हल ? हमरा खुद्दे ऊ बखत सब सच नयँ मालूम हल । सबसे दिक्कत वला बात ई हलइ कि दुनेच्का (दुन्या) जब परसाल उनकर घर में गवर्नेस (बाल-बुतरुन के सँभाले वली) के काम लेलको हल, त ऊ पूरे सो रूबल पेशगी (अग्रिम) ई शर्त पर लेलको हल कि हरेक महिन्ना ओकर वेतन से कुछ काट लेल जइतइ, आउ ओहे चलते, जब तक कर्जा चुक नयँ जाय, तब तक नौकरी छोड़ना संभव नयँ हलइ । आउ ई रकम (अब सब कुछ बता सकऽ हिअउ, हमर करेजा के टुकड़ा रोद्या) ऊ खास तौर पे तोरा साठ रूबल भेजे खातिर लेलको हल, जेकर ऊ बखत तोरा एतना जरूरत हलउ आउ जे तोरा परसाल हमन्हीं तरफ से मिललो हल । हम सब तोरा ऊ बखत धोखा में रखलिअउ, लिखलिअउ कि ई रकम दुनेच्का (दुन्या) के पहिले के बचत कइल पइसा में से भेजल जा रहलो ह, लेकिन अइसन बात नयँ हलइ, परन्तु अभी सब कुछ सच-सच बता रहलियो ह, काहेकि भगमान के दया से अब अचानक सब कुछ बदलके हालत बेहतर हो गेलो ह, आउ एहो बात लगी कि तोरा मालूम पड़उ कि दुन्या तोरा केतना प्यार करऽ हउ आउ ओकर दिल केतना बड़ा हकइ । वास्तव में, मिस्टर स्विद्रिगाइलोव शुरू-शुरू में ओकरा साथ बहुत रूखा व्यवहार करऽ हला आउ खाय के टेबुल के पास ओकरा बारे कइएक तरह के अपमानजनक आउ उपहासजनक बात करते रहऽ हला ... लेकिन ई सब दर्दनाक विस्तार में हम जाय ल नयँ चाहऽ हिअउ, ताकि तोरा खाली-पीली चिंता-फिकिर नयँ होबउ, जबकि ऊ सब बात अब खतम हो चुकलो ह । संक्षेप में, मि॰ स्विद्रिगाइलोव के घरवली मार्फा पित्रोव्ना आउ परिवार के बाकी सब के अच्छा आउ उदार व्यवहार के बावजूद, दुनेच्का (दुन्या) के बहुत कठिनाई झेले पड़लइ, खास करके जब मि॰ स्विद्रिगाइलोव अपन पुरनका फौजी आदत के चलते बाकुस [4] के प्रभाव में रहऽ हला । लेकिन बाद में असलियत की निकसलइ ? की तोरा विश्वास होतउ कि ई पागल अदमी के बहुत पहिलहीं से दुन्या के तरफ लगाव हो गेले हल, लेकिन ई सब कुछ ऊ रूखापन आउ तिरस्कार के रवैया अपनाके ओकरा पर परदा डालले रहल । शायद ओकरा खुद्दे शरम लगऽ हलइ आउ कुछ अजीब अनुभव होवऽ हलइ, खुद के बहुत उमरगर आउ एगो परिवार के बाप समझके, अइसन बेवकूफी भरल आशा रखके, आ ओहे से ऊ अनिच्छा से दुन्या पर अपन गोस्सा निकालऽ हलइ । आ एहो हो सकऽ हइ कि अपन व्यवहार में रूखाई आउ उपहास के जरिये ऊ दोसरा से सच्चाई के छिपावे ल चाहऽ हलइ । लेकिन आखिर ऊ अपना के काबू में नयँ रख पइलकइ आउ ओकर हिम्मत अइसन बढ़ गेलइ कि ऊ दुन्या के सामने खुल्लल आउ नीच प्रस्ताव रख देलकइ, ओकरा भिर कइएक तरह के पुरस्कार के वादा कइलकइ आउ ओकरो से बढ़के ई कहलकइ कि ऊ सब कुछ त्याग देतइ आउ ओकरा साथ दोसर गाँव चल जइतइ, चाहे विदेश । तूँ अंदाज लगा सकऽ हँ कि ओकरा केतना सब कुछ झेले पड़लइ ! ओकरा लगी नौकरी छोड़ देना असंभव हलइ, खाली कर्जा के चलते नयँ, बल्कि मार्फा पित्रोव्ना के भावना पर भी विचार करके, जेकरा अचानक शक हो जइते हल, आउ बाद में, एकरा चलते परिवार में फूट के कारण हो जइते हल । आउ दुनेच्का के भी बड़ी बदनामी होते हल; एकरा से बच्चे के कोय रस्ता नयँ रहते हल । आउ कइएक कारण हलइ, जेकरा चलते दुन्या के ई मनहूस घर से छे महिन्ना से पहिले कइसहूँ पिंड छोड़ावे के कोय आशा नयँ हलइ । वास्तव में तूँ तो दुन्या के जानवे करऽ हँ, कि ऊ केतना बुद्धिमान आउ कइसन इरादा के पक्का स्वभाव के हकइ । दुनेच्का बहुत कुछ बरदास कर सकऽ हइ आउ कठिन से कठिन परिस्थिति में भी खुद में एतना उदारता खोज ले हइ कि अपन पक्का इरादा के भूल नयँ सकइ । ऊ हमरो सब कुछ नयँ लिखलको हल, ताकि हम कहीं घबरा नयँ जाऊँ, लेकिन हमन्हीं दुन्नु के बीच समाचार के आदान-प्रदान अकसर होते रहऽ हलइ । ई घटना के अंत तो बिलकुल अप्रत्याशित ढंग से हो गेलइ । मार्फा पित्रोव्ना संजोग से अपन पति के दुनेच्का के साथ बाग में आरजू-मिन्नत करते सुन लेलकइ, आउ सब कुछ के गलत मतलब निकालके सब कुछ के मामले में दुन्या पर इल्जाम लगा देलकइ, ई सोचके कि ओहे सब कुछ के जड़ हकइ । ओकन्हीं दुन्नु के बीच हुएँ बाग में अजीब तमाशा होलइ - मार्फा पित्रोव्ना दुन्या पर प्रहारो कइलकइ, कुछ सुनहूँ ल नयँ चाहऽ हलइ, आउ खुद्दे घंटा भर चिल्लइते रहलइ, आउ आखिर तुरते दुन्या के हमरा हीं शहर में पठा देवे के हुकुम दे देलकइ, एगो सधारण किसान के गाड़ी में, जेकरा में ओकर सब समान फेंक देवल गेलइ - कपड़ा, पोशाक, जे जइसे मिललइ बिलकुल ओइसहीं, बिना बान्हले-छान्हले । ओहे समय हहाके पानी बरसे लगलइ, आउ अपमानित आउ कलंकित दुन्या के एगो किसान के साथ खुल्ले गाड़ी में पूरा सतरह विर्स्ता [5] जाय पड़लइ । अब तूहीं सोच कि तोरा की जवाब देतियो हल चिट्ठी में, जे तोरा हीं से दू महिन्ना पहिले मिललो हल, आउ हम कउन चीज के बारे लिखतियो हल ? हम खुद निराश हलूँ; हमरा तोरा सच लिखे के हिम्मत नयँ हलउ, काहेकि तूँ बहुत दुखी होतँऽ हल, तोरा गोस्सा अइतो हल आउ परेशान हो जइतँऽ हल, लेकिन तूँ करिए की सकतँऽ हल ? शायद तूँ खुद के बरबाद कर लेतँऽ हल, आउ दुनेच्का भी हमरा माना करते रहऽ हलउ; आ ऊ बखत हमरा दिल में अइसन शोक हलउ कि हम चिट्ठी में अइसीं कुछ अंट-संट आउ कुच्छो चीज के बारे लिखके भर नयँ दे सकऽ हलिअउ । पूरा महिन्ना सउँसे शहर में ई कांड के खुसुर-फुसुर चलते रहलउ, आउ बात हियाँ तक बढ़ गेलउ कि हमरा आउ दुन्या के चर्च (गिरिजाघर) जाना मोसकिल हो गेलउ, काहेकि लोग तिरस्कार से देखऽ हल आउ कानाफूसी करऽ हल आउ ई मामले में हमन्हीं के सामने खुलके भी बोल दे हल । सब्भे जान-पछान के लोग हमरा से कतराय लगला हल, सब कोय नमस्ते करे लगी भी बन कर देलकइ, आउ हमरा पक्का पता चल गेल कि व्यापारी के विक्रेता आउ कुछ क्लर्क हमर घर के गेट के अलकतरा से पोतके हमरा अपमानित करे ल चाहऽ हलइ [6], जेकरा चलते मकान-मालकिन माँग करे लगलइ कि हमन्हीं फ्लैट खाली कर देऊँ । ई सब के कारण मार्फा पित्रोव्ना हलइ, जे सब घर जाके दुन्या पर इल्जाम लगावे आउ कीचड़ उछाले में सफल हो गेलइ । ऊ हियाँ के सब कोय से परिचित हकइ आउ ई महिन्ना हरदम शहर अइते रहऽ हलइ, आउ चूँकि ऊ जरी बातूनी हकइ आउ अपन पारिवारिक मामला के बारे बतियाय में ओकरा अच्छा लगऽ हइ, आ खास करके अपन पति के बारे सबके आउ हरेक के शिकायत करे में, जे बिलकुल खराब बात हइ, त ई तरह से ऊ सब खिस्सा थोड़हीं समय में फैला देलकइ, खाली शहरे में नयँ, बल्कि पूरा जिला भर में । हम तो बेमार पड़ गेलूँ, लेकिन दुनेच्का हमरा से जादे मजबूत दिल के हइ, आउ काश, तूँ देख पइतँऽ हल कि ऊ केतना सब कुछ बरदास कइलकइ आउ हमरा तसल्ली देते रहलइ आउ प्रोत्साहित करते रहलइ ! ऊ तो फरिश्ता हइ ! भगमान के किरपा से हमन्हीं के तकलीफ कमती हो गेल : मिस्टर स्विद्रिगाइलोव सोच विचारके अपन नीयत बदल लेलकइ आउ ओकरा पछतावा होलइ, आउ शायद दुन्या पर तरस खाके, ऊ मार्फा पित्रोव्ना के सामने दुनेच्का के पूरा निर्दोष होवे के पूरा आउ पक्का सबूत रख देलकइ, एगो चिट्ठी के रूप में, जे मार्फा पित्रोव्ना के ओकन्हीं के बाग में साथ-साथ देखे के पहिलहीं दुन्या के लचारी में ओक्कर नाम से लिक्खे आउ भेजे पड़ले हल । ई चिट्ठी के जरिये दुन्या निजी तौर पे सफाई आउ चोरी-छिपे मिल्ले से इनकार कर देलके हल, जेकरा लगी ऊ जिद कइले हलइ । दुन्या के चल गेला के बाद ई चिट्ठी मिस्टर स्विद्रिगाइलोव के हथवे में रह गेले हल । ई चिट्ठी में ऊ बहुत जोशीला ढंग से आउ पूरा गोस्सा के साथ धिक्कार देलके हल, मार्फा पित्रोव्ना के साथ ओकर नीच व्यवहार खातिर, आउ ओकरा आद दिलइलके हल कि ऊ एगो बाप आउ परिवार के प्रधान हइ, आउ आखिर में, ऊ बतइलके हल कि ओकरा तरफ से एगो पहिलहीं से दुखी आउ बेबस लड़की के सताना आउ दुखी करना केतना नीच हरक्कत हकइ । संक्षेप में, प्रिय रोद्या, ई चिट्ठी एतना नेकी से, आउ दिल के छू लेवे वला ढंग से लिक्खल हलइ, कि एकरा पढ़ते बखत हम रो पड़लूँ, आउ अभियो तक हम बिना आँख में लोर लइले नयँ पढ़ सकऽ हूँ । एकरा अलावे, नौकरवन के गवाही भी आखिर दुन्या के सफाई में सहायक होलइ, आउ जेतना कि मिस्टर स्विद्रिगाइलोव खुद समझऽ हलइ, ओकर अपेक्षा जे बहुत कुछ जादहीं देखलके आउ जानऽ हलइ, जइसन कि अकसर होवऽ हइ । मार्फा पित्रोव्ना तो बिलकुल दंग हो गेलइ आउ जइसन कि ऊ खुद हमन्हीं सामने स्वीकार कइलकइ, ऊ "फेर से विपत्तिग्रस्त" हो गेलइ, लेकिन साथे-साथ दुन्या के निर्दोष होवे के पूरा विश्वास हो गेलइ, आउ दोसरे दिन, एतवार के सीधे गिरजाघर जाके घुटना टेकके आँख में आँसू भरके माता मेरी के सामने प्रार्थना कइलकइ कि ई नयका परीक्षा के झेले के आउ अपन कर्तव्य निभावे के शक्ति दे । तब गिरजाघर से सीधे, केकरों हीं बिना ठहरले, हमन्हीं भिर अइलइ, हनन्हीं के सब कुछ बतइलकइ, जोर से रो पड़लइ, आउ पूरा पछतावा के साथ ऊ दुन्या के गले लगइलकइ आउ ओकरा से माफी मँगलकइ । ओहे सुबह, बिना देरी कइले, हमन्हीं भिर से शहर में आउ सगरो, सबके घर गेलइ, आउ बहुत प्रशंसा भरल शब्द में आउ आँसू बहइते, दुन्या के निर्दोष होवे के बात आउ ओकर भावना आउ व्यवहार के श्रेष्ठता के बखान कइलकइ । एकरो से बढ़के, ऊ मिस्टर स्विद्रिगाइलोव के नाम दुन्या के हाथ के लिक्खल चिट्ठी सबके देखइलकइ आउ जोर-जोर से पढ़के सुनइलकइ, हियाँ तक कि ओकर नकल बनावे के भी अनुमति दे देलकइ (जे हमर विचार से अति हकइ) । ई तरह से शहर के सबके घर जाय में ओकरा कइएक दिन गाड़ी से चक्कर मारे पड़लइ, काहेकि कुछ लोग ई बात के बुरा मान गेलइ कि दोसरा के हियाँ पहिले काहे चल गेलइ । आउ ई तरह से पारी बान्हल गेलइ, जेकरा से हरेक घर में पहिलहीं से इंतजार होवे लगलइ आउ सब्भे के मालूम रहइ कि फलना-फलना दिन के मार्फा पित्रोव्ना फलना-फलना घर में चिट्ठी पढ़े वली हकइ, आउ हरेक तुरी पढ़े के बखत अइसनो लोग जमा हो जइते जा हलइ, जे पारी के अनुसार कइएक तुरी चिट्ठी पढ़ते सुन चुकले हल, अप्पन घर में चाहे दोसर परिचित सब के घर में । हमर विचार में, बहुत कुछ, बहुत जादहीं कुछ एकरा में अइसन होलइ जेकर बिलकुल जरूरत नयँ हलइ; लेकिन मार्फा पित्रोव्ना के स्वभावे अइसन हकइ । खैर, ऊ दुनेच्का के इज्जत फेर से पूरा तरह से बरकरार कर देलकइ, आउ ई सब कांड के, पूरा बदनामी के, कभी नयँ मिटे वला कलंक लग गेलइ ओकर पति पर, मुख्य अपराधी के रूप में, जेकरा चलते हमरा ओकरा पर तरस भी आवऽ हइ; ई दीवाना पर बहुत सख्ती से पेश आल गेलइ । एकर परिणाम ई होलइ कि दुन्या के कइएक घर से टीसनी पढ़ावे के निमंत्रण मिललइ, लेकिन ऊ इनकार कर देलकइ । सामान्य रूप से, अचानक सब कोय ओकरा से विशेष आदर के साथ व्यवहार करे लगलइ । ई सब बात के चलते मुख्य रूप से ऊ अप्रत्याशित घटना होलइ, जेकरा से अब, कहल जा सकऽ हइ कि, हमन्हीं के पूरा भाग्ये बदल रहले ह । ई जान ले, प्रिय रोद्या, कि दुन्या के साथ एगो अदमी शादी करे ल चाहऽ हइ आउ ऊ ओकरा अपन सहमति भी दे देलके ह, जेकरा बारे हम तोरा तुरते बतावे जा रहलियो ह । आउ हलाँकि ई सब तोर राय लेले बिना कइल गेलो ह, लेकिन आशा हउ कि तूँ न हमरा से, न अपन बहिनी से शिकायत करमँऽ, काहेकि खुद्दे ई बाते से देखमँऽ कि तोर इंतजार करना आउ तोर जवाब पहुँचे तक मामला के स्थगित रखना हमन्हीं लगी असंभव हलउ । आउ तूँ, खुद्दे हियाँ रहले बिना, सब कुछ के बारे ठीक से फैसला भी नयँ कर सकतँऽ हल ।  ई सब होलइ अइसे । ई प्योत्र पित्रोविच लुझिन कोर्ट काउंसिलर [7] के पद पर हथिन, आउ दूर के रिश्तेदार मार्फा पित्रोव्ना के, जे ई जोड़ी मिलावे में योगदान देलका । बात एकरा से शुरू होलइ, कि उनकर जरिये से ऊ हमन्हीं से परिचित होवे के अपन इच्छा जाहिर कइलका, उनकर अच्छा से खातिर कइल गेलइ, कॉफी पिलका, आउ दोसरहीं दिन चिट्ठी भेज देलका, जेकरा में ऊ बहुत आदरपूर्वक अपन प्रस्ताव जाहिर कइलका आउ त्वरित आउ पक्का जवाब के प्रार्थना कइलका । ऊ कामकाजी आउ व्यस्त अदमी हका, आउ अभी पितिरबुर्ग लौट जाय के जल्दी में हका, से से हरेक मिनट उनका लगी कीमती हकइ । निस्संदेह हमन्हीं के शुरू-शुरू में बहुत अचरज होलइ, काहेकि ई सब कुछ बहुत जल्दीबाजी में आउ अप्रत्याशित ढंग से होलइ । ऊ सारा दिन हमन्हीं एक साथ सोच-विचार करते गेलिअइ । ऊ विश्वसनीय आउ खाता-पीता अदमी हथिन, दू-दू सरकारी ओहदा पर काम करऽ हथिन आउ खुद के उनकर संपत्ति हकइ । ई सच हकइ कि उनकर उमर पैतालीस बरस के हइ, लेकिन उनकर सूरत-शकल काफी निम्मन हइ आउ अभियो औरतियन के आकर्षक लग सकऽ हथिन, आउ साधारणतः ऊ बहुत गंभीर आउ सभ्य लगऽ हथिन, लेकिन जरी उदास आउ मानूँ अभिमानी । लेकिन हो सकऽ हइ कि प्रथमदृष्ट्या ऊ अइसन लगऽ हथिन । आउ हाँ, प्रिय रोद्या, हम तोरा अगाह करऽ हिअउ कि जब तोरा उनका से पितिरबुर्ग में मोलकात होतउ, जे बहुत जल्दीए होवे वला हउ, त उनका देखतहीं अगर उनका में कोय चीज अच्छा नयँ लगउ, त बहुत जल्दीबाजी आउ जोश में उनका बारे कुछ राय नयँ बनइहँऽ, जइसन कि तोर सुभाव हउ । हम तोरा ई पहिले से बता रहलियो ह कि खुदा-न-खास्ते कहीं अइसन हो जाय, हलाँकि हमरा विश्वास हउ कि तोरा पर उनकर अच्छे असर पड़तउ । आउ एकरा अलावे, कउनो अदमी के समझे खातिर ई जरूरी हइ कि ओकरा बारे धीरे-धीरे आउ सवधानी से सोच-विचार कइल जाय, ताकि गलतफहमी आउ पूर्वाग्रह के शिकार नयँ होल जाय, जेकरा बाद में सुधारना आउ दूर करना कठिन हइ । आउ प्योत्र पित्रोविच, कम से कम कइएक लक्षण से बिलकुल भला अदमी लगऽ हथिन । पहिलहीं मोलकात में ऊ हमन्हीं के बतइलथिन कि ऊ व्यवहारिक (प्रैक्टिकल) व्यक्ति हका, लेकिन जइसन कि ऊ खुद्दे हमन्हीं के बतइलथिन, कइएक बात में ऊ "आझकल के उभरते पीढ़ी के विचारधारा" से सहमत हका आउ सब्भे पूर्वाग्रह के विरोधी हका । आउ बहुत कुछ बोललथिन, काहेकि ऊ जरी अभिमानी लगऽ हथिन आउ उनका जरी लगऽ हइ कि उनकर बात सुनल जाय, लेकिन ई ओइसन कोय बुराई नयँ हइ । हमरा तो जरूर कमती समझ में आल, लेकिन दुन्या हमरा समझइलकउ कि हलाँकि ऊ अदमी कमती पढ़ल-लिखल हका, लेकिन ऊ बुद्धिमान हका आउ देखे में अच्छा सुभाव के लगऽ हका । तोरा अपन बहिनी के सुभाव मालूम हकउ, रोद्या । ऊ अपन इरादा के पक्की, समझदार, धीरज वली आउ उदार हृदय वली लड़की हकइ, हलाँकि ओकर दिल भावुक हइ, जइसन कि ओकरा में हम अच्छा से भाँपलूँ हँ । ई सच हइ कि कोय विशेष प्रेम न एकरा तरफ से हइ, आउ न उनका तरफ से, लेकिन दुन्या, एगो समझदार लड़की के अलावे साथे-साथ उदार दिल के जीव हइ, फरिश्ता के तरह, आउ ऊ अपन कर्तव्य समझतइ कि अपन पति के खुश रक्खे, आउ ओहो अपना तरफ से ओकर खुशी के ध्यान रखथिन, आउ ई अन्तिम बिन्दु पे फिलहाल तो शंका करे के कोय बड़गर कारण नयँ दिखऽ हइ, हलाँकि ई माने पड़तइ कि सब मामला जरी जल्दीबाजी में तय कइल गेले ह । एकर अलावे ऊ एगो बहुत समझदार अदमी हथिन, आउ पक्का बात हइ कि ऊ खुद देखथिन कि दुन्या जेतने जादे उनका हीं सुखी रहतइ ओतने जादे उनकर खुद के दाम्पत्य जीवन खुशहाल रहे के भरोसा होतइ । आउ जाहाँ तक अस्थिर स्वभाव, कुछ पुरनका आदत आउ कुछ विचार में मतभेद के सवाल हकइ (जे सुखी से सुखी दाम्पत्य जीवन में भी होवे करऽ हइ), त ई मामले में दुनेच्का खुद्दे हमरा बतइलकइ कि ओकरा खुद पर भरोसा हकइ, एकरा बारे में चिंता करे के कोय बात नयँ हइ, आउ ऊ बहुत कुछ झेल सकऽ हइ, बशर्ते आगे के संबंध ईमानदारी आउ सच्चाई पर आधारित रहे । उदाहरण के तौर पे, ऊ शुरू-शुरू में कुछ कठोर नियन लगलथिन, लेकिन अइसन एहो कारण से हो सकऽ हइ कि ऊ निष्कपट आउ खुला विचार के अदमी हथिन, आउ दरअसल एहे बात हइयो हइ । उदाहरण के तौर पे, उनकर दोसरा तुरी भेंट के बखत, जबकि उनका दुन्या के सहमति मिल चुकले हल, बातचीत के दौरान बतइलथिन कि दुन्या से परिचय होवे के पहिलहीं ऊ अपन मन में ठान लेलथिन हल कि ऊ कोय अइसन ईमानदार लड़की से बिना कोय दहेज के शादी करथिन, जे मुसीबत झेलल रहे, काहेकि, जइसन कि ऊ समझइलथिन, पति के कइसहूँ अपन पत्नी के आभारी नयँ होवे के चाही, अगर पत्नी अपन पति के अपन उपकारी समझे । आउ हमरा कहना हउ कि हम जइसे लिखलियो ह ओकरा अपेक्षा ऊ ई बात आउ कुछ नरमी से आउ मधुर स्वर में व्यक्त कइलथिन हल, काहेकि हम उनकर असली वक्तव्य के भूल गेलियो ह, आउ खाली हमरा ओकर अर्थ आद हकउ, आउ एकरा अलावे ऊ जे कुछ बोललथिन ऊ पहिले से सोचल-विचारल नयँ हलइ, बल्कि बातचीत के दौरान सहज भाव से उनकर मुँह से निकल गेलइ, ओहे से ऊ बाद में एकरा सुधारे के आउ अधिक मधुर बनावे के कोशिश कइलथिन; लेकिन हमरा तो कइसूँ ई जरी तीक्ष्ण लगलइ, आउ हम दुन्या के ई बात बतइलिअइ । लेकिन दुन्या चिढ़के हमरा जवाब देलकइ कि "कथनी अभी करनी नयँ हकइ", आउ ई बात वास्तव में सही हकइ । अपन फैसला करे के पहिले दुनेच्का रात भर नयँ सो पइलकइ, आउ ई समझके कि हम सुत गेलिए ह, ऊ बिस्तर से उठलइ आउ कमरा में शतपथ करे लगलइ (आगे-पीछे चक्कर लगइते रहलइ); आखिर ऊ प्रतिमा के सामने टेहुना टेकके बइठ गेलइ आउ देर तक तन्मय होके प्रार्थना कइलकइ आउ सुबह में हमरा सुनइलकइ कि ऊ फैसला कर लेलके ह । हम पहिलहीं बता चुकलियो ह कि प्योत्र पित्रोविच अब पितिरबुर्ग खातिर रवाना होवे वला हथिन । हुआँ उनकर बड़गर-बड़गर कारोबार हकइ, आउ ऊ पितिरबुर्ग में एगो सार्वजनिक वकील के कार्यालय खोले ल चाहऽ हथिन । ऊ लम्मा समय से कइएक तरह के नालिश आउ मोकदमा के कार्यवाही में लगल हथिन, आउ हालहीं में एगो बड़गर मोकदमा जीत चुकलथिन हँ । पितिरबुर्ग में उनका एहो बात लगी होवे के चाही, काहेकि सीनेट [8] के सामने उनकर एगो बड़गर मोकदमा के सुनवाई हकइ । ई तरह से, प्यारे रोद्या, ऊ तोरो लगी बहुत काम आ सकऽ हथुन, सब्भे कुछ में, आउ हम आउ दुन्या दुन्नु तय कइलियो ह कि तूँ, आझे से भी, निश्चय ही अपन भविष्य के जीविका शुरू कर सकऽ हँ, आउ समझ सकऽ हँ कि तोर किस्मत तय आउ पक्का हो चुकलो ह । काश, अइसन हो जाय ! एकरा से एतना फयदा होत कि एकरा आउ कुछ दोसर चीज नयँ, बल्कि सर्वशक्तिमान के हमन्हीं लगी सीधा वरदान समझल जा सकऽ हइ । दुन्या भी एहे सपना देखब करऽ हइ । हमन्हीं तो एकरा बारे प्योत्र पित्रोविच के भी कुछ शब्द बतावे के जोखिम उठा लेलिए ह । ऊ सवधानीपूर्वक अपन मत व्यक्त कइलका आउ कहलका कि वास्तव में चूँकि सेक्रेटरी बेगर तो काम चलऽ हइ नयँ, त स्वभाविक रूप से कहल जा सकऽ हइ कि अजनबी के अपेक्षा अपन रिश्तेदार के तनखाह (वेतन) देना बेहतर होतइ, अगर खाली ऊ काम के योग्य होवे (मानूँ तोरा योग्य होवे में कोय शक हो सकऽ हइ !), लेकिन ऊ शंका जरूर जाहिर कइलथिन कि यूनिवर्सिटी में अध्ययन से हो सकऽ हउ कि तोरा छुटिए नयँ मिलउ कि उनकर दफ्तर के काम खातिर समय निकाल पइमहीं । अभी खातिर तो बात हिएँ पर खतम हो गेलइ, लेकिन दुन्या तो एकरा छोड़के अब आउ कुछ नयँ सोचऽ हइ । अब तो ओकरा कुछ दिन पहिलहीं से मानूँ एक प्रकार के जुनून सवार हइ आउ एगो पूरा प्लान बना लेलके ह, कि आखिर चलके प्योत्र पित्रोविच के मोकदमा वला काम में तूँ उनकर खाली एगो सहयोगी ही नयँ, बल्कि साझीदारो बन जायँ, खास करके ई कारण से कि तूँ खुद्दे विधि संकाय (the faculty of law) के छात्र हकँऽ । हम तो, रोद्या, ओकरा से बिलकुल सहमत हकिअउ आउ ओकर सब्भे प्लान आउ उमीद में साथ हकिअउ, ई सब के पूरा होवे के पूरा संभावना देखके । आउ प्योत्र पित्रोविच के टाल-मटोल के बावजूद, जे अभी स्वभाविक हइ, (काहेकि ऊ अभी तक तोरा नयँ जानऽ हथुन), दुन्या के पक्का विश्वास हकइ, कि ऊ अपन होवे वला पति पर अपन अच्छा असर के बल पर सब कुछ पा लेतइ, आउ एकरा में ओकरा पक्का विश्वास हइ । जाहिर हइ कि हमन्हीं एतना सवधानी तो बरतवे कइलिए ह कि प्योत्र पित्रोविच से अपन ई दूर वला सपना सब के बारे कुछ नयँ कहलिए ह, खास करके ई बारे कि तूँ उनकर साझीदार (पार्टनर) बनम्हीं । ऊ एगो व्यवहारिक (प्रैक्टिकल) अदमी हका, आउ शायद कोय उत्साह नयँ देखइता, काहेकि ई सब उनका लगी खाली सपना लगइ । ओइसहीं, न तो दुन्या, आउ न हमहीं उनका से आधो शब्द बोललिअइ, अपन पक्का आशा के बारे, कि ऊ पइसा से हमन्हीं के मदत करथिन, जब तक तूँ यूनिवर्सिटी में हकहीं; हमन्हीं सबसे पहिले तो ई सोचके नयँ कहलिअइ, कि ई सब कुछ बाद में अपने आप हो जइतइ, आउ ऊ हमन्हीं के बिना कुछ कहले, ऊ खुद्दे असानी से प्रस्ताव रखथिन (भला ऊ दुनेच्का के एतना-सन बात के टालिए कइसे सकऽ हथिन !), खास करके ई बात से कि तूँ खुद दफ्तर में उनकर दहिना हाथ बन सकऽ हँ, आउ ई मदत कोय खैरात में नयँ मिलतउ, बल्कि ई तोर अर्जित तनखाह के रूप में होतउ । ई तरह दुनेच्का बंदोबस्त करे लगी चाहऽ हइ, आउ हम ओकरा से बिलकुल सहमत हिअइ । आउ नयँ बतावे के दोसर कारण ई हइ कि हम खास करके चाहऽ हलिअइ कि हमन्हीं के अब अगला मोलकात के बखत हम तोरा उनका सामने बराबर के हैसियत से पेश करिअउ । जब दुन्या उनका से तोरा बारे बड़ी जोश के साथ बात कइलकउ, त ऊ जवाब देलथिन कि कउनो अदमी के बारे कोय राय कायम करे कि पहिले ओकरा खुद करीब से देखे के जरूरत होवऽ हइ, आउ खुद ऊ तोरा से जान-पछान हो गेला के बाद तोरा बारे अपन राय कायम करथुन । जानऽ हँ, हमर अनमोल रोद्या, कुछ विचार के अधार पर हमरा लगऽ हके (लेकिन प्योत्र पित्रोविच से ई बात के कुछ लेना-देना नयँ हइ, बल्कि अइसीं हमर अप्पन व्यक्तिगत मामला हइ, आउ शायद बुढ़ारियो के सनक होवइ), हमरा लगऽ हके कि शायद हमरा लगी बेहतर होवत, अगर हम उनकन्हीं के शादी के बाद अकेल्ले रहम, जइसे कि अभी रहऽ हूँ, आउ उनकन्हीं के साथ नयँ । हमरा पूरा विश्वास हके कि ऊ एतना उदारता आउ विनम्रता देखइता, कि खुद्दे हमरा बोलइता आउ बेटी से हमरा आगे दूर नयँ रहे के सुझाव देता, आउ अभी तक ऊ कुछ नयँ बोलला ह, त जाहिर हइ, कि बिन बोललहूँ ई मानल बात समझल जा हइ; लेकिन हम इनकार कर देम । हम जिनगी में कइएक तुरी देखलूँ हँ, कि पति सब के दिल में सास के मामले में सहज नयँ महसूस होवऽ हइ, लेकिन हम खाली एहे नयँ चाहऽ हूँ कि हमरा चलते केकरो तनिक्को सन तकलीफ नयँ होवे, बल्कि हम खुद्दे पूरा तरह से अजाद रहूँ, जब तक कि हमरा अपन रोटी के एगो टुकरी मिलते रहे आउ तोरा आउ दुनेच्का जइसन औलाद रहे । अगर संभव होल त तोहन्हीं दुनहूँ के आसपास हम बस जाम, काहेकि, रोद्या, सबसे बड़गर खुशखबरी तो हम चिट्ठी के आखिरी हिस्सा लगी बचा के रखलियो ह - ई जान ले, हमर प्यारे दोस्त, कि शायद बहुत जल्दीए फेर से एकट्ठा होते जाम आउ लगभग तीन साल के जुदाई के बाद हम तीनों गले-गले मिल्लम ! ई तो पक्का तौर पे तय हो गेलो ह कि हम आउ दुन्या पितिरबुर्ग जा रहलियो ह, ठीक कब, ई तो हमरा मालूम नयँ, लेकिन, कइसूँ जल्दीए, बहुत जल्दीए, हो सकऽ हइ कि एक्को सप्ताह में । सब कुछ प्योत्र पित्रोविच पर निर्भर हइ, जे जइसीं पितिरबुर्ग में सब कुछ देखके पता लगा लेता त हमन्हीं के तुरते बतइता । ऊ कोय हिसाब से चाहऽ हथिन, कि विवाह के रस्म जल्दी से जल्दी निपटा लेल जाय, आउ अगर संभव होवे त शादी एहे मांसभक्षणकाल [9] में हो जाय, आउ समय के कमी से संभव नयँ हो पाबइ, त देवी के उपवास [10] के तुरते बाद । ओह, तोरा करेजा से लगाके हमरा केतना खुशी होत ! तोरा मिल्ले के खुशी में दुन्या केतना उत्तेजित हकउ, आउ एक तुरी हमरा मजाक में बतइलको हल, कि खाली एहो एक बात लगी हम प्योत्र पित्रोविच से शादी कर लिअइ । ऊ तो एगो फरिश्ता हउ ! ऊ अब हमर ई चिट्ठी में आउ कुछ नयँ लिक्खे वली हकउ, लेकिन हमरा एतना लिक्खे लगी कह देलको ह कि ओकरा तोरा से एतना सारा बात करे के हइ, एतना जादे, कि ओकर हाथ अभी कलम उठावे में साथ नयँ दे रहले ह, काहेकि कुछहीं लाइन में ऊ कुच्छो नयँ बता पइतइ, बल्कि आउ खाली जी बेचैन हो जइतइ; लेकिन ऊ कहलको ह कि ओकरा तरफ से हम तोरा कसके आलिंगन कर लिअउ आउ अनगिनत चुम्बन भेज दिअउ । लेकिन, हलाँकि हमन्हीं शायद व्यक्तिगत रूप से बहुत जल्दीए मिल्ले लगी अइते जइबउ, तइयो तोरा एक-दू दिन में पइसा पठइबउ, जादे से जादे जेतना हमरा से बन पइतउ ओतना । अब जबकि सबके मालूम हो गेले ह कि दुनेच्का के शादी प्योत्र पित्रोविच से होवे जा रहले ह, त हमर साख अचानक बढ़ गेल, आउ ई हम पक्का जानऽ ही कि अफ़नासी इवानोविच हमरा अब, पेंशन के जमानत पर, पचतरो रूबल लगी भरोसा कर लेतइ, ताकि हम तोरा पचीस चाहे तीसो रूबल भेज सकऽ हिअउ । हम आउ जादहूँ भेज देतियो हल, लेकिन हमरा रस्ता के खरचा के चिंता हकउ; आउ हलाँकि प्योत्र पित्रोविच एतना अच्छा हलथिन कि हमन्हीं के रजधानी के यात्रा के खरचा के कुछ हिस्सा अपने उप्पर ले लेलथिन हँ, मतलब ई कि हमन्हीं के समान आउ बड़का सन्दूक (कइसूँ अपन जान-पछान के लोग से) अपन खरचा से पहुँचवावे के जिमेवारी खुद लेलथिन हँ, लेकिन तइयो हमन्हीं के पितिरबुर्ग पहुँचे खातिर कुछ खरचा के इंतजाम तो करे के चाही, कम से कम पहिला कुछ दिन खातिर, अइसन नयँ होवे के चाही कि हमन्हीं के पास एगो अद्धी भी नयँ रहे । लेकिन दुनेच्का आउ हम दुन्नु मिलके ठीक-ठीक खरचा जोड़ लेलिए ह, आउ ई मालूम पड़लइ कि रस्ता के खरचा थोड़हीं सन होतइ । हमन्हीं के हियाँ से रेल्वे तक कुल नब्बे विर्स्ता के दूरी हइ, आउ हमन्हीं पहिलहीं कइसूँ एगो जान-पछान के किसान ड्राइवर से बात कर लेलिए ह; आउ हुआँ से दुनेच्का आउ हम अराम से तेसरा दरजा में सफर कर सकबइ । ओहे से शायद हम तोरा पचीस नयँ, बल्कि निश्चित रूप से तीस रूबल भेज सकबउ । लेकिन अब काफी हो गेलउ; लिखके दू पन्ना पूरा भर गेलउ, आउ एकरा में कोय जगह नयँ बचलो ह; अपन पूरा रामकहानी; लेकिन ई बीच होवो तो बहुत कुछ कइलो ह ! आउ अब, हमर अनमोल रोद्या, नगीच भविस में मोलकात के पहिले तक तोरा करेजा से लगावऽ हिअउ आउ माय के अशीर्वाद दे हिअउ । अपन बहिन दुन्या से प्यार करिहँऽ, रोद्या; ओकरा ओइसहीं प्यार करिहँऽ, जइसे ऊ तोरा प्यार करऽ हउ, आ ई जान ले कि ऊ तोरा बेइंतहा प्यार करऽ हउ, ऊ तोरा खुद से भी बढ़के प्यार करऽ हउ । ऊ फरिश्ता हउ, आउ तूँ रोद्या, तूँ हमन्हीं लगी सब कुछ हकँऽ - हमर सब उमीद आउ सब भरोसा । तूँ सुखी रहमँऽ, त हमन्हीं सुखी रहम । तूँ भगमान के प्रार्थना तो करँऽ हँ न, रोद्या, पहिले नियन आउ हमर विधाता आउ त्राता के दया पर तूँ विश्वास तो करँऽ हँ न ? हमरा डर लगल रहऽ हउ कि कहीं तोर दिल में आझकल के नास्तिकता के फैशन तो घर नयँ कर गेलउ ? अगर अइसन बात हकउ, त हम तोरा लगी प्रार्थना करबउ । आद कर, प्यारे, कि कइसे तूँ जब बुतरू हलँऽ, आउ तोर बाऊ जित्ते हलथुन, त हमर टेहुना पे बइठ के तोतरा-तोतराके प्रार्थना करते रहऽ हलँऽ आउ कइसे ऊ बखत हमन्हीं खुशहाल हलूँ ! अलविदा, भलुक आउ बेहतर, अगला मिलन तक ! तोरा करेजा से चिपकावऽ हिअउ आउ ढेर सारा चुम्बन ।
मरते दम तक तोर
पुलख़ेरिया रस्कोलनिकोवा ।”


चिट्ठी पढ़ते बखत लगभग शुरुए से रस्कोलनिकोव के चेहरा लोर से भींगल रहलइ; लेकिन जब ऊ पढ़के खतम कइलकइ त ओकर चेहरा पीयर, ऐंठन से विकृत हो गेले हल, आउ ओकर ठोर पर भारी, चिड़चिड़ा आउ द्वेषपूर्ण मुस्कान हलइ । ऊ पातर लेकिन कसके फिट होल आउ फट्टल-पुरान अपन तकिया पर अपन सिर रख लेलकइ, आउ सोचते रहलइ, देर तक सोचते रहलइ । ओकर दिल जोर-जोर से धड़क रहले हल, आउ ओकर दिमाग में विचार के तूफान मचल हलइ । आखिर ई पीयर छोटगर कमरा में, जे एगो अनवारी चाहे सन्दूक नियन हलइ, ओकरा घुटन आउ जकड़न महसूस होवे लगलइ । ओकर आँख आउ दिमाग खुला जगह लगी तड़प उठलइ । ऊ हैट लेलकइ आउ निकस पड़लइ, अबरी ओकरा ज़ीना पर केकरो से भेंट हो जाय के डर बिलकुल नयँ हलइ; एकरा बारे ऊ भूल चुकले हल । ऊ व॰ चौक से होके वसिलेव्स्की टापू [11] के तरफ के रस्ता पकड़लकइ, अइसन जल्दी में जा रहले हल मानूँ ओकरा कोय काम के वास्ते जाय के हलइ, लेकिन अपन आदत के मोताबिक, रस्ता पर बिन ध्यान देले, अपने बारे फुसफुसइते, आउ सुनाय पड़े लायक अवाज में अपने आप से कुछ बतिअइते, जेकरा से आवे-जाय वला लोग के बहुत अचरज होवऽ हलइ । कइएक लोग तो ओकरा पीयल समझ रहले हल ।



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