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Friday, April 14, 2017

विश्वप्रसिद्ध रूसी नाटक "इंस्पेक्टर" ; अंक-2 ; दृश्य-1

अंक -2
[सराय में एगो छोटगर कमरा । बिछौना, टेबुल, सूटकेस, खाली बोतल, जुत्ता (बूट), कपड़ा के ब्रश, इत्यादि]।
दृश्य-1
ओसिप अपन मालिक के बिछौना पर पड़ल हइ ।
ओसिप - (स्वगत) भाड़ में जाय, हमरा एतना जोर से भूख लगल हके आउ पेट में एतना शोरगुल हो रहल ह, मानूँ पूरा पलटन तूरही बजावे लगी चालू कर देलकइ । आउ अइकी, बस, हमन्हीं घरवो तक नयँ पहुँच पइबइ! की करे लगी औडर दे हो ? पितिरबुर्ग से प्रस्थान कइला ई दोसरा महिन्ना चालू हो गेलइ ! प्रियवर रस्ता में पैसा पानी नियन बहा देलका, अब अपन टाँग के बीच दुम दबइले बइठल हका आउ टस से मस नयँ होवऽ हका। काफी होते हल, आउ बहुत काफी होते हल पूरे यात्रा के खरचा लगी; लेकिन नयँ, देख, हरेक शहर में खुद के ठाट-बाट देखावे के चाही ! (ओकर नकल करऽ हइ ।) "ए, ओसिप, जो निम्मन कमरा देख, आउ सबसे निम्मन खाना के औडर दे - हम खराब खाना नयँ खा सकऽ हकूँ, हमरा निम्मन खाना चाही ।" वास्तव में निम्मन होते हल अगर ऊ कोय योग्य व्यक्ति होते हल, लेकिन ऊ तो खाली एगो साधारण किरानी हइ ! राहगीर लोग के साथ दोस्ती करऽ हइ, आउ फेर ताश के जुआ में लग जा हइ - आउ अइकी हार गेलऽ ! ओह, अइसन जिनगी से तो ऊब गेलूँ हँ ! सच में, गाँव में तो एकरा से बेहतर होवऽ हइ - अइसन तड़क-भड़क नयँ रहऽ हइ, लेकिन तरद्दुद कम हइ; बस शादी कर ले, आउ सारी जिनगी पलाती (रूसी - सुत्ते लगी चौड़गर पटरा, जे झोपड़ी में छत के निच्चे, स्टोव आउ सामने के देवाल के बिच्चे में करीब छो-सात फुट ऊँचाई पर बन्नल रहऽ हइ) बिजुन बैठल रहके पकौड़ी खइते रह । खैर, केऽ बहस करऽ हइ - वास्तव में, अगर सच कहल जाय, त पितिरबुर्ग में रहना सबसे निम्मन हइ । खाली पैसा रहलइ, कि जीवन परिष्कृत आउ राजनैतिक होवऽ हइ - ठेटर (थियेटर), कुतवन तोरा लगी नचतो, आउ ऊ सब कुछ जे तूँ चाहभो । सब बातचीत परिष्कृत भाषा में होवऽ हइ, जे वास्तव में खाली कुलीन वर्ग खातिर इस्तेमाल कइल जा हइ; जब श्शूकिन बजार जइबहो - त बेपारी लोग तोरा सामने चिल्लइतो - "हुजूर !" फेरी नाव में कोय सरकारी अफसर के साथ बैठभो । कोय साथ में चाही - त कोय दोकान में चल जा; हुआँ तोरा कोय पदकधारी सैनिक सैन्य जीवन के बारे बतइतो आउ ई बतइतो कि असमान में हरेक तरिंगन के कीऽ मतलब होवऽ हइ, मतलब मानूँ सब कुछ अपन हथेली पर नजर अइतो । कभी बुजुर्ग अफसर के घरवली घूमते नजर आ जइतो; कभी परिचारिका अइसे हुलकतो ... उफ, उफ, उफ ! (मुसकाऽ हइ आउ सिर हिलावऽ हइ ।) भाड़ में जाय, कइसन शानदार शिष्टाचार होवऽ हइ ! कभियो अपशब्द सुनाय नयँ देतो, सब कोय तोरा "अपने" कहके संबोधित करतो । चलते-चलते थक गेलऽ - गाड़ी किराया पर ले लऽ आउ लाट साहब नियन बैठ जा, आउ अगर ओरा किराया नयँ चुकावे लगी चाहऽ ह - कोय बात नयँ; हरेक घर के पिछला दरवाजा होवऽ हइ, आउ तूँ हुआँ से अइसे घसक जा, कि कोय शैतान तोरा ढूँढ़ नयँ पइतो । हाँ, एक बात खराब हइ - कभी भरदम खा ले ह, लेकिन दोसरा तुरी भूख से लगभग पेट जल्ले लगऽ हको, मसलन, जइसे अभी । आउ ई सब के दोषी ऊ हइ । ओरा साथ की कर सकऽ हो ? बाप कुछ पैसा भेजऽ हइ, ताकि ओकर खरचा-बरचा से भी कुछ बच जाय - लेकिन काहाँ ! ... मौज-मस्ती लगी निकस जा हइ; गाड़ी में घुम्मऽ हइ, रोज दिन हमरा कहऽ हइ 'जो, ठेटर के टिकट लेके आ', आउ हुआँ एक सप्ताह के बाद, देखहो - ऊ हमरा कबाड़ी बजार में अपन नयका टेलकोट बेचे लगी भेजऽ हइ । कभी-कभी तो अपन कमीज तक जुआ में हार जा हइ, हियाँ तक कि ओकर देह पर खाली पुरनका जैकेट आउ टॉपकोट (टेहुना के उपरे तक वला कोट) बच जा हइ ... हे भगमान, ई बात सच हइ ! आउ केतना निम्मन अंगरेजी बनात (broadcloth)! ओकर खाली टेलकोट (tailcoat) डेढ़ सो रूबल के होतइ, आउ बजार में ओकरा खाली बीस रूबल में बेच देतइ; आउ पतलून के बारे तो कुछ कहने नयँ हइ - ऊ तो औने-पौने दाम में चल जइतइ । आउ काहे ? - ऊ ई लगी, कि ऊ काम पर ध्यान नयँ दे हइ - काम पर जाय के बदले, ऊ राजपथ (avenue) में घुम्मे लगी जा हइ, आउ ताश के जुआ खेलऽ हइ । ओह, काश वृद्ध मालिक के खाली ई बात के पता होते हल ! ऊ एहो नयँ देखतो, कि तूँ चिनोवनिक (सरकारी अफसर) हकहो, आउ तोहर शर्ट-टेल (कमीज में कमर के निचला, सामान्यतः वक्राकार, हिस्सा) के उपरे करके अइसे तोहरा थमा देतो, कि तूँ चार दिन तक अपन पिछुआ के खुजलइते रहबऽ । अगर तोरा (सरकारी) सेवा करे के हको, त सेवा करहो । अइकी अभी सराय के मालिक कहलकइ, जब तक पहिलौका बिल नयँ चुकइबऽ, तब तक नयँ (आउ कुछ खाय लगी मिलतो); अच्छऽ, अगर नयँ चुकइअइ त ? (उच्छ्वास ले हइ ।) आह, भगमान, कइसनो कैबेज सूप (बंदागोभी के शोरबा) भी तो मिल्लत हल ! अइसन लगऽ हके, कि अभी तो पूरा संसार के खा जाऊँ । कोय दरवाजा खटखटाब करऽ हइ; पक्का, ई ओहे आब करऽ होतइ । (जल्दी-जल्दी बिछौना पर से उतर जा हइ ।)

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