दृश्य-2
(ओसिप आउ ख़्लिस्ताकोव)
ख़्लिस्ताकोव
- हले, ई ले । (छज्जेदार टोपी आउ छड़ी दे हइ ।) ओह, त फेर से तूँ हमर बिछौना पर लोटपोट
कइलँऽ ?
ओसिप
- हमरा लोटपोट करे के की जरूरत हइ ? की वास्तव में हम बिछौना नयँ देखलिए ह की ?
ख़्लिस्ताकोव
- झूठ बोलऽ हँ, लोटपोट कर रहलँऽ हल । देख, पूरा ओझराल-पोझराल हइ ।
ओसिप
- लेकिन एकरा से हमरा की लेना-देना ? की वास्तव में हमरा नयँ मालूम, कि बिछौना के की
मतलब होवऽ हइ ? हमरा गोड़ हकइ; हम खड़ी रह सकऽ हिअइ । काहे लगी हमरा अपने के बिछौना चाही
?
ख़्लिस्ताकोव
- (कमरा में चहलकदमी करऽ हइ ।) जरी देख तो, थैली में तमाकू हइ की ?
ओसिप
- हुआँ काहाँ से होतइ तमाकू ? अपने तो चौठा रोज एकरा अंतिम-अंतिम तक पी गेलथिन हल ।
ख़्लिस्ताकोव
- (चहलकदमी करऽ हइ आउ कइएक तरह से अपन होंठ भिंच्चऽ हइ; आखिरकार उच्च आउ दृढ़ स्वर में
बोलऽ हइ ।) जरी सुन ... ए ओसिप !
ओसिप
- जी, की चाही ?
ख़्लिस्ताकोव
- (उच्च, लेकिन ओतना दृढ़ स्वर में नयँ ।) तूँ ओन्ने जो ।
ओसिप
- कन्ने ?
ख़्लिस्ताकोव
- (न दृढ़ आउ न उच्च स्वर में, बहुत कुछ निवेदन के रूप में) निच्चे, बुफ़े में ... हुआँ
कह देहीं ... हमरा लगी खाना भेज देवे लगी ।
ओसिप
- बिलकुल नयँ, हम तो जाय लगी नयँ चाहऽ हूँ ।
ख़्लिस्ताकोव
- तूँ अइसन हिम्मत कइसे करऽ हीं, बेवकूफ !
ओसिप
- अइसीं; सब कुछ बराबर हइ, हम जइवो करबइ, त एकरा से कुछ फयदा नयँ होतइ । सराय के मालिक
कह देलके ह, कि अब आउ खाना नयँ देतइ ।
ख़्लिस्ताकोव
- नयँ देवे के ऊ हिम्मत कइसे करऽ हइ ? कइसन बकवास हइ !
ओसिप
- आउ ऊ तो हियाँ तक बोलऽ हइ, हम तो मेयर के पास जइबउ; ई तेसरा सप्ताह आ चुकलो ह, जबकि
तोर मालिक बिल नयँ चुकावऽ हउ । बोलऽ हइ, तूँ आउ तोर मालिक चालबाज हकँऽ, आउ तोर मालिक
- धोखेबाज । बोलऽ हइ, हमन्हीं तो अइसनकन धोखेबाज आउ नीच लोग के देखलिए ह ।
ख़्लिस्ताकोव
- आउ तोरा खुशी होवऽ हउ, जानवर कहीं के, ई सब कुछ हमरा सुनावे में ।
ओसिप
- बोलऽ हइ, अइसे तो कोय भी अइतइ, अराम से जम जइतइ, करजा में पड़ जइतइ, आउ बाद में ओकरा
दूर हाँकना भी मोसकिल होतइ । बोलऽ हइ, हम मजाक नयँ करबउ, हम सीधे शिकायत लेके जइबउ,
ताकि ऊ थाना में आउ फेर जेल में जाय ।
ख़्लिस्ताकोव
- अच्छऽ, अच्छऽ, बेवकूफ, बहुत हो गेलउ ! जो, जो आउ ओकरा कह देहीं । कइसन अशिष्ट जीव
हइ !
ओसिप
- हाँ, बेहतर हम खुद सराय के मालिक के अपने भिर बोलाके लावऽ हिअइ ।
ख़्लिस्ताकोव
- सराय के मालिक के की काम ? तूँ दौड़के जो आउ कह दे ।
ओसिप
- जी, अच्छऽ, श्रीमान ...
ख़्लिस्ताकोव
- अच्छऽ, जो, भाड़ में जो ! सराय के मलिकवे के बोलाव । (ओसिप चल जा हइ ।)
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