विजेट आपके ब्लॉग पर

Monday, September 18, 2017

रूसी उपन्यास - "कप्तान के बिटिया" ; परिशिष्ट - परित्यक्त अध्याय

परिशिष्ट
परित्यक्त अध्याय *
[* ई अध्याय के उपन्यास "कप्तान के बिटिया" के प्रकाशन हेतु अंतिम रूपांतर में शामिल नयँ कइल गेले हल आउ रफ़ पांडुलिपि में हीं एकरा सुरक्षित रक्खल गेले हल, जाहाँ खुद पुश्किन एकरा "परित्यक्त अध्याय" के नाम देलथिन हँ । ई अध्याय के पाठ में ग्रिनेव के बुलानिन नाम देल हइ, आउ ज़ूरिन के ग्रिनेव । - मूल रूसी पाठ के संपादक के टिप्पणी ।
ई अध्याय मूल अध्याय-13 के बाद चाहे एकरे विस्तार होते हल । लेकिन हम ई दुन्नु नाम के उपन्यास में अन्यत्र प्रयुक्त रूप में हीं रखलिए ह ताकि पाठक के कोय भ्रम नयँ होवे । - अनुवादक. ]
हम सब वोल्गा के तट के नगीच पहुँच रहलिए हल; हमन्हीं के पलटन ** गाँव में प्रवेश कइलकइ आउ हिएँ रात गुजारे लगी ठहर गेलइ । गाँव के मुखिया हमरा बतइलकइ कि नदी के दोसरा तट दने के सब्भे गाँव विद्रोह कर देते गेले ह, कि पुगाचोव के गिरोह सगरो घूम रहले ह । ई समाचार हमरा बहुत चिंतित कर देलकइ । हम सब के अगले दिन सुबह में नदी पार करे के हलइ । अधीरता हमरा पर हावी हो गेलइ । पिताजी के गाँव नदी के ऊ तट से तीस विर्स्ता के दूरी पर हलइ । हम पुछलिअइ कि कोय नाविक मिल सकऽ हइ कि नयँ । सब्भे किसान लोग मछुआरा हलइ; नाव बहुत सारा हलइ । हम ज़ूरिन के पास गेलिअइ आउ ओकरा अपन इरादा बतइलिअइ । "सावधान", ऊ हमरा कहलकइ । "अकेल्ले जाना खतरनाक हको । सुबह होवे के इंतजार करऽ । हम सब सबसे पहिले पार करते जइबइ आउ कोय जरूरत नयँ पड़ जाय, ओहे से सुरक्षा के खियाल से, पचास हुस्सार के साथे लेके तोहर पिताजी के हियाँ जइते जइबइ ।"
हम अप्पन बात पर अड़ल रहलिअइ । नाव तैयार हलइ । हम ओकरा में दू गो नाविक के साथ बैठ गेलिअइ । ओकन्हीं नाव खोललकइ आउ जोर-जोर से चप्पू (डाँड़) चलावे लगलइ ।  
आकाश निर्मल हलइ । चान चमक रहले हल । मौसम शांत हलइ - वोल्गा नदी समरूप गति से आउ शांतिपूर्वक बह रहले हल । नाव लयदार ढंग से हिलते-डुलते कार लहर पर तेजी से जा रहले हल । हम कल्पना के स्वप्न में खो गेलिअइ । लगभग आधा घंटा गुजर गेलइ । हम सब नदी के बिच्चे में पहुँच चुकलिए हल ... अचानक नाविक आपस में खुसुर-फुसुर करे लगलइ । "की बात हइ ?" सँभलके हम पुछलिअइ । "मालुम नयँ, भगमान जाने", दुन्नु नाविक एक्के तरफ देखते जवाब देलकइ । हमर नजर ओहे दिशा में टिक गेलइ, आउ गोधूलि वेला के धुँधला प्रकाश में हम वोल्गा के अनुप्रवाह में (downstream) कुछ तो बहके अइते देखलिअइ । ई अनजान चीज नगीच आब करऽ हलइ । हम नाविक के रुकके ओकरा पास आवे तक इंतजार करे लगी कहलिअइ । चान बादर में छुप गेलइ । बहते आ रहल साया आउ अधिक अस्पष्ट हो गेलइ । ऊ हमरा से बहुत नगीच आ गेलइ, आउ तइयो हम ओकरा अभियो पछान नयँ पा रहलिए हल । "ई की हो सकऽ हइ ?" नाविक बोलते गेलइ । "ई न तो पाल हइ आउ न मस्तूल ..." अचानक चान बादर से बहरसी निकस गेलइ आउ एगो भयानक दृश्य उभरलइ । हमन्हीं तरफ बहके बेड़ा (raft) पर चढ़ावल एगो टिकठी (gallows) आब करऽ हलइ, जेकर अर्गला (cross-beam) पर तीन गो लाश लटकल हलइ । एगो विकृत उत्सुकता (morbid curiosity) हमरा पर हावी हो गेलइ । हम फाँसी पर लटकावल लोग के चेहरा पर एक नजर डाले लगी चहलिअइ । हमर औडर देला पर नाविक नाव के अँकुसी (boat-hook) से बेड़ा के पकड़ लेलकइ, हमर नाव दहलाल टिकठी से टकरा गेलइ । हम उछलके बेड़ा पर चल गेलिअइ आउ खुद के भयंकर स्तंभ के बीच पइलिअइ । चमकीला चान अभागल लोग के विकृत चेहरा के प्रकाशित कर रहले हल । ओकन्हीं में से एगो हलइ बूढ़ा चुवाश, दोसरा एगो (फैक्टरी में काम करे वला) रूसी किसान, बरियार आउ  स्वस्थ  करीब  बीस साल के छोकरा । लेकिन तेसरा पर नजर गेला पर हमरा जोर के आघात लगलइ आउ दुख से चीख नयँ रोक सकलिअइ - ई वानका हलइ, हमर बेचारा वानका, जे अपन बेवकूफी से पुगाचोव के साथ हो गेले हल । ओकन्हीं के उपरे एगो कार तख्ता ठोंक देल गेले हल, जेकरा पर बड़गो उज्जर अक्षर में लिक्खल हलइ - "चोर आउ विद्रोही" । नाविक भावशून्य दृष्टि से देखब करऽ हलइ आउ बेड़ा के अँकुसी से थामले हमर प्रतीक्षा करब करऽ हलइ । हम फेर से नाव में बैठ गेलिअइ । बेड़ा नदी में निच्चे बहते चल गेलइ । टिकठी बहुत देर तक अन्हरवा में कार देखाय देते रहलइ । आखिरकार ऊ गायब हो गेलइ, आउ हमर नाव एगो उँचगर आउ खड़ा तट पर लग गेलइ ...
हम नाविक के उदारतापूर्वक पैसा देलिअइ । ओकन्हीं में से एगो हमरा घाट के निकटवर्ती गाँव के मुखिया के पास ले गेलइ । हम ओकरा साथ इज़्बा (लकड़ी के बन्नल झोपड़ी) में प्रवेश कइलिअइ । मुखिया, ई सुनके कि हमरा घोड़ा चाही, हमरा साथ काफी रुखाई से पेश अइलइ, लेकिन हमर गाइड ओकरा धीरे से कुछ शब्द कहलकइ, आउ ओकर कठोरता तुरतम्मे खिदमतगारी में बदल गेलइ । एक मिनट में त्रोयका तैयार हो गेलइ, हम गाड़ी में बैठ गेलिअइ आउ (कोचवान के) अपन गाँव ले जाय लगी औडर देलिअइ ।
हम सुत्तल गाँव सब से होके बड़गर सड़क पर तेजी से जाब करऽ हलिअइ । हमरा एक्के डर हलइ - कहीं रस्ते में नयँ रोक लेल जइअइ । अगर वोल्गा पर रात के समय (बेड़ा पर के टिकठी पर लटकल लाश से होल) हमर भेंट विद्रोही लोग के उपस्थिति प्रमाणित करऽ हलइ, त एकर साथे-साथ सरकार के तरफ से एहे दृढ़ विरोध के भी प्रमाण हलइ । कइसनो हालत में हमरा पास पुगाचोव के देल अनुमति-पत्र (पास) हलइ आउ कर्नल ज़ूरिन के आदेश-पत्र भी । लेकिन केकरो से भेंट नयँ होलइ, आउ सुबह होते-होते हमरा नदी आउ देवदारु वृक्ष के उपवन (fir copse) नजर अइलइ, जेकर पीछू हमर गाँव हलइ । कोचवान घोड़वन पर चाबुक के प्रहार कइलकइ, आउ पनरह मिनट के बाद हम ** गाँव में प्रवेश कइलिअइ ।
हवेली गाँव के दोसरा छोर पर हलइ । घोड़वन बेतहाशा दौड़ल जाब करऽ हलइ । अचानक गाँव के गल्ली के बिच्चे में कोचवान रास खींचके ओकन्हीं के रोके लगलइ । "की बात हइ ?" हम अधीरतापूर्वक पुछलिअइ । "मार्ग-बाधा (barrier), मालिक", अपन क्रोधोन्मत्त घोड़वन के मोसकिल से रोकते कोचवान उत्तर देलकइ । वास्तव में हमरा एगो मार्ग-बाधा आउ लाठी लेले संतरी पर नजर पड़लइ । मुझीक हमरा भिर अइलइ आउ अपन टोपी उतारके हमर पासपोर्ट के बारे पुछलकइ ।
"की मतलब हइ एकर ?" हम ओकरा पुछलिअइ, "हियाँ परी मार्ग-बाधा काहे लगी हइ ? केकर पहरेदारी करब करऽ हीं ?"
"अइसन बात हइ, श्रीमान, कि हमन्हीं विद्रोह कर रहलिए ह", अपन सिर खुजलइते ऊ जवाब देलकइ ।
"आउ तोहर मालिक लोग काहाँ हथुन ?" अपन बैठ रहल दिल के साथ हम पुछलिअइ ...
"हमर मालिक लोग काहाँ हथिन ?" मुझीक दोहरइलकइ । "हमर मालिक लोग अन्न-भंडार (बखार) में हथिन।"
"बखार में कइसे ?"
"बात ई हइ कि ज़ेम्स्त्वा (zemstvo - स्थानीय स्वशासन) के मुखिया, अन्द्र्यूख़ा, उनकन्हीं के बेड़ी में डाल देलके ह - आउ पिता-सम्राट् के हियाँ ले जाय लगी चाहऽ हइ ।"
"हे भगमान ! ई बाधा के उपरे उठा, बेवकूफ । मुँह बइले की खड़ी हकँऽ ?"
संतरी जरी आसकत देखइलकइ । हम गाड़ी से उछलके निच्चे आ गेलिअइ, ओकर कान ऐंठ देलिअइ (माफी चाहऽ हिअइ) - आउ खुद मार्ग के बाधा उठा देलिअइ । मुझीक किंकर्तव्यविमूढ़ होल बुद्धू नियन टुकुर-टुकुर हमरा दने देखते रह गेलइ । हम फेर से गाड़ी में बैठ गेलिअइ आउ कोचवान के हवेली चल्ले लगी औडर देलिअइ । बखार प्रांगण में हलइ । ताला लगल दरवाजा भिर दू गो मुझीक ओइसीं लाठी लेले खड़ी हलइ । गाड़ी सीधे ओकन्हीं के सामने रुकलइ । हम उछलके सीधे ओकन्हीं भिर गेलिअइ । "दरवाजा खोल !" हम ओकन्हीं के कहलिअइ । शायद हमर मुखमुद्रा भयंकर हलइ । कम से कम लाठी फेंकके तो ओकन्हीं भाग गेते गेलइ । हम ताला आउ दरवाजा तोड़े के प्रयास कइलिअइ, लेकिन दरवाजा बलूत (oak) के लकड़ी के हलइ आउ विशाल ताला अडिग हलइ । एहे पल एगो हट्ठा-कट्ठा जवान मुझीक नौकर लोग के इज़्बा से बहरसी अइलइ आउ ऐंठके हमरा पुछलकइ कि हम हंगामा करे के साहस कइसे करऽ हिअइ ।
"काहाँ हइ अन्द्र्यूश्का - ज़ेम्स्त्वा के मुखिया", हम ओकरा चिल्लाके पुछलिअइ । "ओकरा हमरा भिर भेज ।"
"हम खुद्दे अन्द्रेय अफ़ानास्येविच हिअइ, कोय अन्द्र्यूश्का नयँ", अभिमान से अपन दुन्नु बाँह कमर पर रखले (akimbo) हमरा उत्तर देलकइ । "की चाही ?"
जवाब देवे के बदले हम ओकर कालर पकड़ लेलिअइ, आउ ओकरा बखार के दरवाजा भिर घसीटले लाके ओकरा खोले लगी कहलिअइ । ज़ेम्स्त्वा के मुखिया अड़ल रहलइ, लेकिन पैतृक दंड ओकरो पर असर कइलकइ। ऊ चाभी निकसलकइ आउ बखार के दरवाजा खोल देलकइ । हम दहलीज से होके तेजी से अंदर गेलिअइ आउ अन्हार कोना में, छत में काटल एगो सकेत भुड़की से आ रहल हलका रोशनी में, माता-पिता पर हमर नजर पड़लइ । उनकर हाथ बान्हल हलइ, आउ गोड़ में बेड़ी डालल हलइ । हम उनका गले लगावे लगी लपकलिअइ आउ एक्को शब्द हमर मुँह से नयँ निकस पइलइ । दुन्नु हमरा दने अचरज से देखे लगलथिन - सैनिक जीवन के तीन बरिस हमरा एतना बदल देलके हल कि हमरा ऊ पछान नयँ पइते गेलथिन । माय आह भरलकइ आउ अश्रु बहावे लगलइ ।
अचानक हमरा एगो जानल-पछानल मधुर स्वर सुनाय देलकइ । "प्योत्र अन्द्रेइच ! ई अपने हथिन !" हम तो स्तब्ध रह गेलिअइ ... चारो दने नजर डललिअइ त देखऽ हिअइ कि दोसरा कोना में मारिया इवानोव्ना भी ओइसीं बान्हल हइ ।
पिताजी चुपचाप हमरा दने तक रहलथिन हल, उनका खुद पर विश्वास नयँ हो रहले हल । खुशी उनकर चेहरा पर चमक रहले हल । हम उनकर रस्सी के गाँठ तलवार से काटे लगी शीघ्रता कइलिअइ ।
"निम्मन स्वास्थ्य, निम्मन स्वास्थ्य, पित्रुशा", हमरा छाती से चिपकइले पिताजी बोललथिन, "भगमान के किरपा से तोरा देखे तक जीवित रहलिअउ ... "
"पित्रुशा, हमर दोस्त", माय बोललइ । "भगमान तोरा हियाँ ले अइलथुन ! तूँ ठीक-ठाक तो हकँऽ ?"
हम उनका ई जेल से बाहर करे लगी शीघ्रता कइलिअइ, लेकिन दरवाजा भिर अइला पर एकरा फेर से बंद पइलिअइ । "अन्द्र्यूश्का", हम चिल्लइलिअइ, "खोल !"
"कइसूँ नयँ", दरवाजा के पीछू से ज़ेम्स्त्वा के मुखिया उत्तर देलकइ । "हिएँ बैठल रह । अइकी हम तोरा हंगामा करे आउ सरकारी कर्मचारी सब के कालर पकड़के घसीटे के सबक सिखावऽ हिअउ !"
हम ई आशा से बखार के जाँच करे लगलिअइ कि कहीं से बाहर निकसे के कोय उपाय हइ कि नयँ ।
"बेकार कोशिश मत कर", पिताजी हमरा कहलथिन, "हम अइसन मालिक नयँ हिअइ कि हमर बखार में चोर लगी कोय छेद होतइ जेकरा से ऊ अंदर आउ बाहर जा सकइ ।
माय, जे हमरा प्रकट होवे पर पल भर लगी खुश हो गेले हल, अब निराश हो गेलइ, ई देखके कि पूरे परिवार के मौत के हमरो हिस्सा बँटावे पड़तइ ।  लेकिन हम ऊ बखत से कुछ जादहीं शांत हलिअइ जब उनका साथे-साथ हमरा मारिया इवानोव्ना के भी साथ मिललइ । हमरा पास एगो तलवार आउ दू गो पिस्तौल हलइ - हम अभियो नाकाबंदी के सामना कर सकऽ हलिअइ । ज़ूरिन के शाम तक ठीक समय पर पहुँच जाय के संभावना हलइ आउ तब हमन्हीं के मुक्त कर लेवे के भी । हम ई सब कुछ अपन माता-पिता के बतइलिअइ आउ माय के शांत करे में सफल हो गेलिअइ । उनकन्हीं मिलन के खुशी में पूरा डूब गेलथिन ।
"अच्छऽ, प्योत्र", हमरा पिताजी कहलथिन, "तूँ बहुत शरारत कर चुकलँऽ हँ आउ हम तोरा से बहुत नराज हलिअउ । लेकिन पुरनका बात के आद करे से की फयदा । आशा करऽ हिअउ कि अब तूँ सुधर गेलँऽ हँ आउ समझदार हो गेलँऽ हँ । हम जानऽ हिअउ कि तूँ एगो ईमानदार अफसर के शोभा देवे लायक सैनिक सेवा कइलँऽ हँ । धन्यवाद । हमरा, ई बुजुर्ग के, तसल्ली देलँऽ । अगर मुक्ति लगी हमरा तोर आभारी रहे पड़तउ त हमर जीवन दोगना मधुर हो जात ।"
हम अश्रु के साथ उनकर हाथ के चुमलिअइ आउ मारिया इवानोव्ना दने देखलिअइ, जे हमर उपस्थिति से एतना खुश होले हल कि ऊ बिलकुल सुखी आउ शांत प्रतीत हो रहले हल ।
लगभग दुपहर के हमन्हीं के असाधारण शोर-गुल आउ चीख सुनाय पड़लइ । "एकर की मतलब हइ", पिताजी कहलथिन, "कहीं तोर कर्नल तो नयँ पहुँच गेलथुन ?" - "असंभव", हम जवाब देलिअइ । "ऊ शाम के पहिले नयँ पहुँचथिन ।" शोरगुल बढ़ते जा रहले हल । खतरा के घंटी बजावल जा रहले हल । प्रांगण (अहाता) में घुड़सवार लोग घोड़ा दौड़ाब करऽ हलइ; तखनिएँ देवाल में काटल सकेत भुड़की से सावेलिच अपन पक्कल केश वला सिर घुसइलकइ, आउ हमर बेचारा प्राथमिक शिक्षक दयनीय स्वर में बोललइ – "अन्द्रेय पित्रोविच, अवदोत्या वसील्येव्ना, हमर प्यारे प्योत्र अन्द्रेइच, दुलारी मारिया इवानोव्ना, मुसीबत ! दुष्ट लोग गाँव में घुस गेते गेलइ । आउ जानऽ हो, प्योत्र अन्द्रेइच, केऽ ओकन्हीं के लइलके ह ? श्बाब्रिन, अलिक्सेय इवानिच, ओकरा शैतान पकड़इ !" ई घृणित नाम सुनके मारिया इवानोव्ना अपन हाथ झटक लेलकइ आउ बुत बन्नल रह गेलइ।
"सुन", हम सावेलिच के कहलिअइ, "केकरो घोड़ा से * घाट पर जाके हुस्सार पलटन से मिल्ले लगी भेज; आउ हमन्हीं के खतरनाक परिस्थिति के बारे कर्नल के सूचित करे लगी कह दे ।"
"लेकिन केकरा भेजल जाय, छोटे मालिक ! सब लड़कन विद्रोह कइले हइ, आउ सब्भे घोड़वन के हथियाऽ लेते गेले ह ! हे भगमान ! अइकी प्रांगण में पहुँच गेते गेलइ - आउ सब्भे बखार भिर आब करऽ हइ ।"
तखनिएँ दरवाजा के पीछू कइएक अवाज सुनाय पड़लइ । हम चुपचाप माय आउ मारिया इवानोव्ना के दूर कोना में चल जाय के इशारा कइलिअइ, अपन तलवार निकास लेलिअइ आउ ठीक दरवाजा भिर देवाल से सटके ओठंग गेलिअइ । पिताजी पिस्तौल ले लेलथिन, दुन्नु के घोड़ा चढ़ा लेलथिन आउ हमर बगल में खड़ी हो गेलथिन । ताला में चाभी लगावे के अवाज अइलइ, दरवाजा खुललइ, आउ ज़ेम्स्त्वा के मुखिया के सिर प्रकट होलइ । हम ओकरा पर तलवार के प्रहार कइलिअइ, आउ ऊ गिर पड़लइ जेकरा से प्रवेश बाधित हो गेलइ । तखनिएँ पिताजी दरवाजा से होके पिस्तौल से फ़ायर कर देलथिन । हमन्हीं के घेरे वलन के भीड़ गरिअइते भाग गेलइ । हम घायल के दहलीज से घसीटके अंदर कर लेलिअइ आउ अंदर से घड़का लगा लेलिअइ । प्रांगण हथियार से लैस लोग से भरल हलइ । ओकन्हीं बीच हम श्वाब्रिन के पछान लेलिअइ ।
"डरते नयँ जा", हम औरतियन के कहलिअइ, "अभियो आशा हइ । आउ अपने, पिताजी, अब आउ फ़ायर नयँ करथिन । अंतिम गोली बचावे के चाही ।"
माय चुपचाप भगमान के प्रार्थना कर रहले हल, मारिया इवानोव्ना ओकरे भिर हलइ आउ देवदूतीय शांति के साथ हमन्हीं के भाग्य के निर्णय के प्रतीक्षा कर रहले हल ।
दरवाजा के पीछू से धमकी, गारी आउ शाप सुनाय देब करऽ हलइ । पहिला दुस्साहस करके अंदर आवे वला के तलवार से काट डाले लगी हम अपन जगह पर खड़ी हलिअइ । अचानक दुष्ट लोग चुप हो गेते गेलइ । हमरा नाम लेके पुकारते श्वाब्रिन के अवाज सुनाय पड़लइ ।
"हम हियाँ हिअउ, तोरा की चाही ?"
"आत्म-समर्पण कर दे, ग्रिनेव, विरोध करना बेकार हउ । अपन बुढ़वन पर तरस खो । जिद कइला से तूँ खुद के बचा नयँ पइमँऽ । हम तोहन्हीं तक पहुँच जइबउ !"
"कोशिश करके देख ले, गद्दार !"
"न तो खुद हम बेकार में अंदर अइबउ, आउ न अपन लोग के जान खतरा में डालबउ । हम तो बखार में आग लगा देवे के औडर देबउ आउ तब देखबउ कि तूँ की करऽ हीं, बेलागोर्स्क के दोन किख़ोते (Don Quixote) । अब तो दुपहर के भोजन के समय हो गेलउ । अभी लगी बैठ, आउ फुरसत में सोच । फेर भेंट होतइ, मारिया इवानोव्ना, अपने के सामने क्षमा नयँ माँगबइ - अपने के, शायद, अन्हरवा में अपन सूरमा के साथ ऊब महसूस नयँ होब करऽ होतइ ।"
श्वाब्रिन चल गेलइ आउ बखार भिर संतरी छोड़ गेलइ । हमन्हीं चुप रहलिअइ । हमन्हीं में से हरेक कोय खुद में विचारमग्न हलइ, अपन विचार दोसरा के सूचित करे के हिम्मत नयँ कर रहले हल । हम ऊ सब कुछ के कल्पना करब करऽ हलिअइ, जे क्रूर श्वाब्रिन हमन्हीं पर कर सके के स्थिति में हलइ । खुद के बारे हम लगभग कुछ नयँ चिंता कर रहलिए हल । की हम स्वीकार करिअइ ? अपन माता-पिता के भाग्य हमरा ओतना आतंकित नयँ कर रहले हल, जेतना मारिया इवानोव्ना के भाग्य । हम जानऽ हलिअइ कि माय के किसान आउ घर के नौकर-चाकर आदर करऽ हलइ, पिताजी भी, अपन कड़ाई के बावजूद, प्रिय हलथिन, काहेकि ऊ न्यायप्रिय हलथिन आउ अपन अधीनस्थ लोग के वास्तविक आवश्यकता के बारे जानऽ हलथिन । ओकन्हीं के विद्रोह एगो भ्रांति हलइ, क्षणिक नशा, न कि ओकन्हीं के क्रोध के अभिव्यक्ति । हियाँ परी दया संभव हलइ । लेकिन मारिया इवानोव्ना ? कइसन भाग्य ओकरा लगी ई दुराचारी आउ निर्लज्ज अदमी तैयार कइलके हल ? हम तो ई भयंकर विचार पर स्थिर रहे के हिम्मत नयँ कर पा रहलिए हल आउ भगमान हमरा क्षमा करे, हम ओकरा क्रूर शत्रु के हाथ में दोबारा देखे के अपेक्षा ओकरा पहिलहीं मार देवे लगी खुद के तैयार कर लेलिअइ ।
लगभग एक घंटा गुजर गेलइ । गाँव में नशा में धुत्त लोग के गीत सुनाय देब करऽ हलइ । हमन्हीं के संतरी लोग के ओकन्हीं से ईर्ष्या होवऽ हलइ, आउ हमन्हीं पर झुँझलइते हमन्हीं के कोस रहले हल आउ यातना आउ मौत से आतंकित करे के प्रयास करब करऽ हलइ । हमन्हीं श्वाब्रिन के धमकी के नतीजा के इंतजार कर रहलिए हल । आखिरकार प्रांगण में बड़गो चहल-पहल होवे लगलइ, आउ हमन्हीं के फेर से श्वाब्रिन के अवाज सुनाय देलकइ ।
"त तोहन्हीं सब सोच-विचार कर लेते गेलऽ ? की स्वेच्छा से खुद के हमर हाथ में हवाले करबऽ ?"
ओकरा कोय उत्तर नयँ देलकइ । थोड़े देर इंतजार कइला के बाद, श्वाब्रिन पोवार लावे लगी औडर देलकइ । कुछ मिनट के बाद आग भड़क उठलइ आउ अन्हार बखार प्रकाशित हो गेलइ आउ दहलीज के सूराक के निच्चे से धुआँ निकसे लगलइ । तब मारिया इवानोव्ना हमरा भिर अइलइ आउ हमर हाथ अपन हाथ में लेके धीरे से कहलकइ –
"बहुत हो गेलइ, प्योत्र अन्द्रेइच ! हमरा खातिर खुद के आउ माता-पिता के प्राण नयँ लेथिन । हमरा बाहर जाय देथिन । श्वाब्रिन हमर बात मान लेतइ ।"
"कउनो हालत में नयँ", हम गोस्सा में चीख उठलिअइ । "अपने जानऽ हथिन कि अपने के साथ की होवे वला हइ ?"
"बेइजती से हम जिंदा नयँ बच पइबइ", ऊ शांतिपूर्वक उत्तर देलकइ । "लेकिन, हो सकऽ हइ, कि हम अपन मुक्तिदाता आउ ऊ परिवार के बचा पइअइ, जे एतना उदारता से हमरा जइसन बेचारी अनाथ के शरण देलकइ। अलविदा, अन्द्रेय पित्रोविच । अलविदा, अवदोत्या वसील्येव्ना । अपने हमरा लगी उपकारकर्ता से कहीं अधिक हलथिन । हमरा आशीर्वाद देथिन । अपने के भी अलविदा, प्योत्र अन्द्रेइच । ई बात लगी आश्वस्त रहथिन, कि ... कि ..." हियाँ परी ऊ रो पड़लइ ... आउ अपन चेहरा हाथ से ढँक लेलकइ ... हम तो मानूँ पगलाऽ गेलिअइ । माय रो रहले हल ।
"बहुत बकवास हो गेलो, मारिया इवानोव्ना", हमर पिताजी बोललथिन । "केऽ तोरा अकेल्ले ऊ डाकू लोग भिर जाय देतो ! हियाँ परी चुपचाप बैठल रहऽ । अगर मरे के होतइ, त सब कोय साथे मरते जइबइ । सुनऽ तो, हुआँ परी आउ की बोलते जा हइ ?"
"की आत्म-समर्पण करे जा रहलऽ ह ?" श्वाब्रिन चीख रहले हल । "देखऽ हो ? पाँच मिनट के बाद तोहन्हीं के जराके राख कर देल जइतो ।"
"आत्म-समर्पण नयँ करते जइबउ, दुष्ट !" पिताजी ओकरा दृढ़ स्वर में कहलथिन । पिताजी के झुर्री से भरल चेहरा पर अद्भुत साहस के सजीवता हलइ, आँख उज्जर भौंह के निच्चे से भयंकर रूप से चमक रहले हल । आउ हमरा दने मुड़के कहलथिन - "अब समय हो गेलो ह !"
ऊ दरवाजा खोल देलथिन । आग के ज्वाला अंदर तरफ लपकलइ आउ शहतीर सब पर पहुँच गेलइ, जेकर दरार सब में सुक्खल काई गँस्सल हलइ । पिताजी पिस्तौल से फ़ायर कर देलथिन आउ "सब कोय हमरा पीछू!" चिल्लइते दहकइत दहलीज पार कर गेलथिन । हम माय आउ मारिया इवानोव्ना के हाथ पकड़ लेलिअइ आउ ओकन्हीं के तेजी से खुल्लल हावा में ले अइलिअइ । दहलीज पर श्वाब्रिन पड़ल हलइ, जे हमर पिताजी के कमजोर हाथ से फ़ायर कइला पर घायल हो गेले हल; हमन्हीं के अप्रत्याशित धावा से भाग खड़ी होल डाकू लोग के भीड़ तुरते साहस जुटा लेलकइ आउ हमन्हीं के घेरे लगलइ । हम तलवार के आउ कइएक वार करे में सफल हो गेलिअइ, लेकिन ठीक निशाना साधल एगो फेंकल अइँटा सीधे हमर छाती पर आके लगलइ । हम गिर पड़लिअइ आउ मिनट भर तक बेहोश रहलिअइ । होश में अइला पर हम खून से रंगल घास पर श्वाब्रिन के देखलिअइ, आउ ओकर सामने हमर पूरा परिवार हलइ । हमरा बाँह के सहारा देल हलइ । किसान, कज़ाक आउ बश्कीर लोग के भीड़ हमन्हीं के घेरले हलइ । श्वाब्रिन के चेहरा भयंकर रूप से पीयर पड़ल हलइ । एक हाथ से ऊ अपन घायल बगल के दाबले हलइ । ओकर चेहरा पीड़ा आउ क्रोध चित्रित कर रहले हल । ऊ धीरे-धीरे सिर उठइलकइ, हमरा दने तकलकइ आउ क्षीण एवं अस्पष्ट स्वर में बोललइ - "एकरा फाँसी दे दे  ... आउ सब के ... खाली ओकरा (ऊ लड़की के) छोड़के ..."
तुरते दुष्ट लोग के भीड़ हमन्हीं के घेर लेते गेलइ आउ चीखते घींचके फाटक दने ले गेलइ । लेकिन अचानक ओकन्हीं हमन्हीं के छोड़ देते गेलइ आउ तितर-बितर हो गेलइ; फाटक के अंदर घोड़ा पर सवार ज़ूरिन प्रवेश कइलकइ आउ ओकर पीछू-पीछू नंगा तलवार लेले पूरा अश्वारोही पलटन ।
****************        ****************        
विद्रोही लोग चारो दने बिखर गेलइ; हुस्सार सब ओकन्हीं के पीछा कइलकइ, तलवार से काट गिरइलकइ आउ कैद कर लेते गेलइ । ज़ूरिन घोड़वा पर से उछलके निच्चे उतर गेलइ, पिताजी आउ माताजी के अभिवादन कइलकइ आउ हमरा साथ जोर से हाथ मिलइलकइ । "संयोगवश हम ठीक समय पर पहुँच गेलिअइ", ऊ हमन्हीं के कहलकइ । "ओह ! त ई हको तोर मंगेतर ।" मारिया इवानोव्ना के चेहरा कान तक लाल हो गेलइ । पिताजी ओकरा पास अइलथिन आउ हलाँकि द्रवीभूत होल, तइयो शांत मुद्रा में ओकरा धन्यवाद देलथिन । माय ओकरा गले लगा लेलकइ, आउ देवदूत-मुक्तिदाता कहके पुकरलकइ । "अपने के हमर घर में स्वागत हइ", पिताजी ओकरा कहलथिन आउ ओकरा हमन्हीं के घर दने लइलथिन ।
श्वाब्रिन भिर से होके गुजरते बखत ज़ूरिन रुक गेलइ । "ई केऽ हइ ?" घायल दने देखते ऊ पुछलकइ । "ई खुद नेता हइ, गिरोह के सरदार", पुराना फौजी हिअइ अइसन प्रकट करते जरी गर्व के साथ पिताजी उत्तर देलथिन, "भगमान जवान दुष्ट के दंड देवे आउ हमर बेटा के खून के बदला लेवे में हमर कमजोर हाथ के ई मदत कइलथिन।"
"ई श्वाब्रिन हइ", हम ज़ूरिन के बतइलिअइ ।
"श्वाब्रिन ! बहुत खुशी के बात हइ । हुस्सार लोग ! पकड़ लेते जा ओकरा ! आउ हमन्हीं के डाक्टर के कह दऽ कि ओकर घाव में मरहम-पट्टी कर देल जाय आउ आँख के तारा नियन ओकर देखभाल कइल जाय । श्वाब्रिन के कज़ान के गुप्त आयोग के सामने अनिवार्य रूप से प्रस्तुत कइल जाय के चाही । ई मुख्य अपराधी लोग में से एक हइ, आउ एकर गोवाही महत्त्वपूर्ण होवे के चाही ।"
श्वाब्रिन क्लांत आँख खोललकइ । ओकर चेहरा पर शारीरिक पीड़ा के अलावे आउ कुछ चित्रित नयँ हो रहले हल । हुस्सार लोग ओकरा बरसाती (रेनकोट) पर ढोके ले गेते गेलइ ।
हमन्हीं सब कमरा में प्रवेश कइलिअइ। अपन बचपन के बरिस आद करते आउ काँपते अपन चारो तरफ देख रहलिए हल । घर में कुछ नयँ बदलले हल, सब कुछ पहिलौके जगह पर हलइ । श्वाब्रिन एकरा लुट्टे नयँ देलके हल, अपन असीम पतन में भी अनादरणीय धनलोलुपता के प्रति स्वाभाविक घृणा बरकरार रखले हलइ । नौकर-चाकर लोग प्रवेश-कक्ष में प्रकट होते गेलइ । ओकन्हीं विद्रोह में भाग नयँ लेते गेले हल आउ हमन्हीं के मुक्ति से तहे दिल से खुशी मनइलकइ । सावेलिच विजयोल्लास में हलइ । ई बात जाने के चाही कि डाकू लोग के आक्रमण से पैदा होल घबराहट के बखत, ऊ अस्तबल में दौड़ल गेलइ, जाहाँ परी श्वाब्रिन के घोड़वा हलइ, ओकरा पर जीन कसलकइ, धीरे से ओकरा बाहर निकसलकइ आउ भगदड़ के अनुकूल वातावरण के चलते अगोचर रूप से घाट दने सरपट दौड़इते ले गेलइ । ओकरा रेजिमेंट से भेंट होलइ, जे वोल्गा के ई पार हो चुकल अराम कर रहले हल । ज़ूरिन ओकरा से हमन्हीं के बारे खतरा जानके सवार होवे आउ कूच करे के आदेश देलकइ, सरपट कूच करे के - आउ भगमान के किरपा से सरपट घोड़ा दौड़इते ठीक समय पर पहुँच गेते गेलइ।
ज़ूरिन ई बात के जिद कइलकइ कि ज़ेम्स्त्वा के मुखिया के सिर शराबखाना भिर कुछ घंटा तक खंभा पर टाँगके प्रदर्शित कइल जाय ।
हुस्सार सब कइएक लोग के बंदी बनाके अनुधावन (पीछा, pursuit) से वापिस आ गेते गेलइ । ओकन्हीं के ओहे बखार में ताला लगाके बंद कर देल गेलइ, जेकरा में हमन्हीं अपन स्मरणीय घेराबंदी के सामना करते गेलिए हल ।
हम सब में से हरेक कोय अपन-अपन कमरा में गेते गेलिअइ । वृद्ध लोग के अराम के जरूरत हलइ । रात भर सुत नयँ पावे के चलते हम पलंग पर पड़ गेलिअइ आउ गहरा नीन सुत गेलिअइ । ज़ूरिन अपन आदेश देवे लगी चल गेलइ ।
शाम में हमन्हीं अतिथि-कक्ष (ड्राइंग रूम) में समोवार बिजुन एकत्र होते गेलिअइ, आउ गुजर गेल खतरा के बारे खुशी-खुशी बातचीत करते रहलिअइ । मारिया इवानोव्ना चाय ढार रहले हल, हम ओकर बगल में बैठलिअइ आउ पूरा तरह से ओकरे में खो गेलिअइ ।
हमर माता-पिता, लगऽ हलइ, हमन्हीं के संबंध के स्नेहशीलता के अनुकूल भाव से देखऽ हलथिन । अभी तक ई शाम हमर स्मृतिपटल पर सजीव हइ । हम खुश हलिअइ, बिलकुल खुश, लेकिन मानव के अभागल जिनगी में की अइसन क्षण बहुत होवऽ हइ ?
दोसरा दिन पिताजी के सूचित कइल गेलइ कि किसान सब अपन गलती स्वीकार करे खातिर हवेली के प्रांगण में अइते गेले ह । पिताजी बहरसी ड्योढ़ी पर ओकन्हीं भिर अइलथिन । उनका अइतहीं मुझीक सब टेहुना के बल पड़ गेते गेलइ ।
"त बेवकूफो", ऊ ओकन्हीं से कहलथिन, "की सोचके विद्रोह करे के सोचते गेलहीं हल ?"
"दोषी हिअइ, मालिक", समवेत स्वर में ओकन्हीं उत्तर देलकइ ।
"एहे तो बात हइ, दोषी । शरारत करते जा हइ, आउ खुद्दे खुश नयँ होवऽ हइ । हम तोहन्हीं के ई खुशी लगी माफ करऽ हिअउ कि भगमान हमरा बेटा प्योत्र अन्द्रेयेविच से मिला देलका । खैर, पश्चात्ताप करे वला सिर के तलवार नयँ काटऽ हइ । दोषी ! निस्संदेह, दोषी हकहीं । भगमान निम्मन मौसम देलथिन हँ, सुक्खल घास काटके लावे के समय हो चुकले ह; आउ तोहन्हीं, बेवकूफ, पूरे तीन दिन तक की करते गेलहीं ? बराहिल ! हरेक अदमी के घास काटे खातिर भेज दे; आउ ई बात के ध्यान रख, लाल केश वला शैतान, कि संत इल्या के दिन तक सब घास टाल में समटाय जाय के चाही । जइते जो ।"
मुझीक सब झुकके अभिवादन कइलकइ आउ बेगारी करे लगी अइसे चल गेते गेलइ मानूँ कुछ होवे नयँ कइले हल । श्वाब्रिन के घाव घातक साबित नयँ होलइ । ओकरा गार्ड के अधीन कज़ान भेज देल गेलइ । हम खिड़की से ओकरा घोड़ा-गाड़ी में पाड़ल जाय जइते देखलिअइ । हमन्हीं के परस्पर नजर मिललइ, ऊ अपन मूड़ी गोत लेलकइ, आउ हम जल्दी से खिड़की भिर से दूर हट गेलिअइ । हमरा अइसन देखाय देवे से डर लगऽ हलइ कि दुश्मन के दुख आउ अपमान से हमरा खुशी होब करऽ हइ ।
ज़ूरिन के आउ आगू जाय के हलइ । अपन ई इच्छा के बावजूद कि हम कुछ दिन आउ परिवार के साथ रहूँ, हम ओकरा साथ जाय के निर्णय कइलिअइ । कूच करे के पूर्वसंध्या पर हम अपन माता-पिता के पास अइलिअइ आउ ऊ जमाना के रस्म के अनुसार उनकर गोड़ लगलिअइ आउ मारिया इवानोव्ना के साथ शादी करे लगी उनका आशीर्वाद देवे के अनुरोध कइलिअइ । बुजुर्ग लोग हमरा उठइलथिन आउ खुशी के अश्रु के साथ अपन सहमति व्यक्त कइलथिन । हम उनकर सामने पीयर होल आउ काँपते मारिया इवानोव्ना के लइलिअइ । हमन्हीं दुन्नु के आशीर्वाद देलथिन ... तखने हम की अनुभव कइलिअइ, एकर वर्णन करे के प्रयास नयँ करबइ । जे कोय हमरा नियन स्थिति से गुजरले होत, ऊ एकरा बेगर हमरा समझ जइतइ; आउ जे नयँ गुजरलइ, ओकरा पर हम खाली तरस खा सकऽ हिअइ आउ परामर्श दे सकऽ हिअइ कि जब तक अभियो समय हको, प्यार कर लऽ आउ माता-पिता से आशीर्वाद ले लऽ ।
दोसरा दिन रेजिमेंट (कूच करे लगी) तैयार हो गेलइ । ज़ूरिन हमर परिवार से विदा लेलकइ । हम सब्भे ई बात से आश्वस्त हलिअइ कि सैनिक कार्रवाई जल्दीए समाप्त हो जइतइ; एक महिन्ना में हम पति बन्ने के आशा कर रहलिए हल । मारिया इवानोव्ना, हमरा से विदा होते बखत, सबके सामने हमरा चुमलकइ । हम घोड़ा पर सवार हो गेलिअइ । सावेलिच फेर से हमर पीछू-पीछू अइलइ - आउ रेजिमेंट रवाना हो गेलइ ।
देर तक हम दूर से गाँव के घर दने तकते रहलिअइ, जेकरा हम फेर से छोड़के जाब करऽ हलिअइ । उदासी भरल पूर्वाभास हमरा चिंतित कर रहले हल । कोय तो हमर कान में फुसफुसाब करऽ हलइ कि हमर सब्भे दुर्भाग्य के अभी तक अंत नयँ होले हल । हमर दिल कोय नयका तूफान महसूस कर रहले हल । हम हमन्हीं के अभियान आउ पुगाचोव युद्ध के अंत के वर्णन करे के प्रयास नयँ करबइ । हमन्हीं पुगाचोव द्वारा तबाह कइल गाँव सब से गुजरलिअइ, आउ अनिच्छापूर्वक अभागल लोग से ऊ सब छीन लेलिअइ, जे ओकन्हीं के पास डाकू लोग छोड़ देलके हल ।
ओकन्हीं के मालुम नयँ हलइ कि केक्कर आदेश के पालन कइल जाय । शासन सगरो समाप्त हो गेले हल । जमींदार लोग जंगल में नुक गेते गेले हल । डाकू के गिरोह सगरो लूट-मार मचा रहले हल । अलग-अलग पलटन के अफसर, जेकन्हीं के ऊ बखत अस्त्रख़ान तरफ भाग रहल पुगाचोव के पीछा करे लगी भेजल गेले हल, मनमाना ढंग से दोषी आउ निर्दोष लोग के दंड देब करऽ हलइ ... जाहाँ कहीं आग भड़कल हलइ, ऊ सब इलाका के स्थिति भयंकर हलइ । भगमान नयँ करे कि अइसन विवेकहीन आउ क्रूर रूसी विद्रोह देखे पड़े । ऊ सब, जे हमन्हीं हीं असंभव क्रांति के प्लान बनइते जा हइ, खयँ तो नवयुवक हइ आउ हमन्हीं के जनता के नयँ जानऽ हइ, खयँ कठोर दिल वला हइ, जेकन्हीं लगी दोसर के सिर के कीमत एक चौथाई कोपेक हइ, आउ खुद के गरदन कोपेक भर के ।
इ(वान) इ(वानोविच) मिख़ेल्सोन द्वारा पीछा कइल जा रहल पुगाचोव भाग रहले हल । जल्दीए हमन्हीं के ओकर संपूर्ण हार के बारे पता चललइ । आखिरकार ज़ूरिन के अपन जेनरल से नकली सम्राट् के बंदी बना लेवल जाय के सूचना मिललइ, आउ एकरे साथ रुक जाय के आदेश भी । आखिरकार हमरा घर जाना संभव हो गेलइ । हम हर्षावेश में हलिअइ; लेकिन एगो विचित्र भावना हमर खुशी पर पानी फेर रहले हल ।
****************        ****************        

सूची               पिछला             अध्याय-1

No comments: