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Tuesday, April 28, 2020

भूदासत्व से मुक्ति तक - अध्याय 12


12. हमर वोरोनेझ (हाई स्कूल) के सीट
हम वोरोनेझ में पुरनका फ्लैट में पहुँचलिअइ, बिन पैसा-कौड़ी के, पिताजी के हियाँ से पत्र के साथ, जेकर माध्यम से गृहस्वामी से हमरा स्वीकार करे के निवेदन कइलथिन हल आउ थोड़हीं समय में उनका सब चुकावे के वचन देलथिन हल, जे हमरा रहे-सहे में खर्चा होतइ। कलिना दविदोविच क्लिषारेव के त्योरी चढ़ गेलइ, लेकिन, उदार आउ विश्वासी, हमरा बिछावन खातिर एक कोना देवे लगी आउ अपना साथ भोजन करे लगी टेबुल भिर बैठावे लगी सहमत हो गेलथिन।
जिमनैसियम में हमर दाखला, जइसन कि प्रत्याशा कइल जा हलइ, नञ् होलइ। भीरुता हमरा निदेशक के साथ अनुनय-विनयकर्ता के रूप में भेंट करे से रोक रहले हल, आउ ओकरो में अइसन पोशाक में, जेकरा में, जइसन कि कहावत हइ, कभियो स्वागत नञ् कइल जा हइ। रिवाज भी एहे माँग करऽ हलइ कि निदेशक के पास खाली हाथ नञ् हाजिर होवे के चाही, लेकिन हम कउन उपहार ले जा सकऽ हलिअइ? ई तरह, हम दिन प्रतिदिन उनका हीं भेंट के स्थगित करते जा हलिअइ। आउ हियाँ परी एक अन्य माध्यम से पता चललइ कि हमर हितैषी लोग में से कोय तो हमरा तरफ से निदेशक से मिल्ले के प्रयास कइलके हल आउ विफलता हाथ लगले हल। आखिर हम निराश हो गेलिअइ।
उदास होल हम लड़कन, अपन पूर्व सहपाठी, तरफ देखऽ हलिअइ, जे अब हाई स्कूल के छात्र हलइ, आउ शान से मार्च करते जिमनैसियम जा हलइ, अपन काँख में नयका पुस्तक दबइले। हमरा ओकन्हीं भाग्य द्वारा एतना हद तक अनुग्रह-प्राप्त प्रतीत होवऽ हलइ, कि हमर दृष्टि में उच्चतम जीव हलइ, आउ द्वर्यास्कयऽ स्ट्रीट पर के छोटका पियरका घर, जाहाँ जिमनैसियम हलइ, हमरा लगी राजमहल प्रतीत होवऽ हलइ जेकर दरवाजा सब खाली हमरा लगी कसके बंद कइल हलइ।
[*65] हम घर के कोना में बैठऽ हलिअइ, स्कूल के नोटबुक के पन्ना पलटते आउ पहिलहीं नियन उत्कट अभिलाषा के साथ सब मुद्रित पुस्तक के पढ़ऽ हलिअइ, जे हमरा हाथ लगऽ हलइ। हमरा पास पुस्तक के कमी नञ् हलइ। ओकर सप्लाय हमर एगो नयका दोस्त करऽ हलइ, जे हियाँ हमरा मिललइ। हलइ हमर गृहस्वामी के दमाद, संगीत के शिक्षक, मिख़ाइल ग्रिगोर्येविच अख़तिर्स्की।
छोटगर, दुब्बर-पातर, पीयर चेहरा वला व्यक्ति, अपन बचपन प्रचंड उल्लास के साथ गुजरलके हल, लेकिन शादी के बाद स्थिर रूप से बस गेले हल। ओकर बेडौल आकृति ओकर बुद्धि आउ शिक्षा के मामले में गलत छाप प्रस्तुत करऽ हलइ - दुन्नु में से कोय विलक्षण नञ् हलइ। एकरा अलावे, ऊ वोरोनेझ में संगीत के उत्कृष्ट शिक्षक के रूप में प्रसिद्ध हलइ, आउ खुद वायलिन आउ पियानो निम्मन से बजावऽ हलइ।
कइएक सन्दूक पुस्तक के मालिक होला के कारण ओकरा पास हमरा लगी विशेष रूप से आकर्षक बल हलइ - खास करके ई वजह से कि ऊ हमर उत्सुकता में दिलचस्पी लेके हमरा बिन कोय बाधा के ऊ सब के उलट-पलट के देखे लगी अनुमति देलकइ। साधारणतः ऊ हमरा साथ रहऽ हलइ, आउ अपन शक्ति आउ संभावना के अनुसार, हमर भाग्य में कइसनो विलक्षण बदलाव के प्रतीक्षा में समय काटे में सहायता करऽ हलइ। अकसर ऊ हमर कोना पर नजर डालऽ हलइ, बिछौना पर बैठऽ हलइ, आउ पाइप पीते, जेकरा ऊ कभी खुद से अलगे नञ् करऽ हलइ, बहुत देर तक हमरा से गपशप करते रहऽ हलइ।
ओकर पत्नी, क्लिषारेव के बेटी, नताल्या कलिनिश्ना, जे रूप में भी काफी साधारण हलइ, पुस्तक के प्रति बुद्धि आउ लगाव रक्खऽ हलइ। ऊ बहुत सारा पुस्तक पढ़लके हल - विशेष करके उपन्यास - आउ शायद पढ़े के रुचि खातिर ऊ परिष्कार (refinement) आउ बौद्धिक परिपक्वता के ऋणी हलइ। ई कहना काफी होतइ कि खुद के प्रति मजबूती आउ दृढ़ता से अख़तिर्स्की के बान्हे रक्खे में सफल होलइ, एगो अइसन व्यक्ति के, जेकर मन बहुत चंचल हलइ, जेकरा पर अंतिम क्षण तक अपन हितकारी प्रभाव डललकइ।
लगभग हमेशे गंभीर, ऊ खुद के अलगे रहऽ हलइ आउ अपन मंडली के महिला लोग से जरी कुछ नाक-भौं सिकोड़ले रहऽ हलइ, आउ सब के अपेक्षा अपन पति के संगत के जादे पसीन करऽ हलइ। आउ दोसरा कोय एतना सारा ढेर के ढेर उपन्यास पढ़ल भ्रमित हो जइते हल; लेकिन ऊ उपन्यास सब के विष के  स्वाद बिन कोय प्रभाव के लेलके हल - त ई सब एगो नयका प्रमाण दे हइ कि हम सब के नैतिक आउ बौद्धिक विकास में मुख्य भूमिका ऊ खमीर (yeast) के हइ, जे हम सब में प्रकृति डालऽ हइ। बाह्य परिस्थिति के प्रभाव - गौण हइ आउ हम सब के स्वाभाविक योग्यता आउ प्रवृत्ति के अधीन हइ।
दिन, सप्ताह, महिन्ना गुजर गेलइ - हमर परिस्थिति में परिवर्तन नञ् होलइ। हम अपन सनक आउ संयोग के कृपा पर छोड़ल रहलिअइ, पिताजी से बहुत समय से अभियो तक कोय पत्र नञ् प्राप्त होले हल। हमरा खाली एतने मालुम हलइ कि ऊ दन्त्सेव्का, आउ सामान्य रूप से बोगुचार जिला के छोड़के ओस्त्रोगोझ्स्क में बस गेलथिन हल। गृहस्वामी, स्पष्टतः, बिन कोय किराया के हमरा रक्खे में दिक्कत महसूस कर रहलथिन हल। हमर पोशाक फट-फूट गेले हल, जुत्ता पेन्हे लायक नञ् रह गेले हल। जिमनैसियम (हाई स्कूल) के मिठगर सपना से आखिर दूर होके घर जाय पड़लइ।
लेकिन सो विर्स्ता, ओहो जाड़ा में, बिन पैसा के, बिन जुत्ता के आउ बिन फ़र-कोट के कइसे यात्रा कइल जाय? अख़तिर्स्की हमर सहायता लगी सामने अइलइ। ऊ हमरा भेड़ के खाल के एगो पुरनका कोट, फ़ेल्ट-बूट, गोल फ़र-टोपी आउ साढ़े पाँच रूबल देलकइ। एकरा खातिर हम अपन बिस्तर के ओकर अधीन कर देलिअइ।
[*66] ई तरह से लैस होके, हम साहसपूर्वक यात्रा पर निकस जाय लगी तैयारी कर सकलिअइ। रह गेलइ खाली खोजे के एगो कोचवान के, लेकिन ऊ जल्दीए मिल गेलइ। ओस्त्रोगोझ्स्क जा रहले हल एगो कृषक, जे अढ़ाय रूबल में हमरा हुआँ तक ले जाय लगी सहमत हो गेलइ।


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