मगही के अधिकार की लड़ाई में सहयोग करेंगे : रामाश्रय
Mar 06, 10:20 pm
वारिसलीगंज(नवादा): स्वामी सहजानंद सरस्वती की मूर्ति अनावरण समारोह में बुधवार को मगही भाषा के अधिकार की लड़ाई का मुद्दा छाया रहा। अनावरण के बाद सभा को सम्बोधित करते हुए राज्य सरकार के मंत्री रामाश्रय प्रसाद सिंह ने कहा कि समाज में स्थान बना चुके लोग मगही बोलने में संकोच नहीं करें। जब आप मगही का प्रयोग स्वयं करेंगे तभी इसे संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग का औचित्य सिद्ध हो सकेगा।
इस अवसर पर मगही को समृद्ध बनाने व इसकी रचनाओं के संग्रह में महत्वपूर्ण योगदान के लिए उन्होंने पत्रकार व मगही रचनाकार रामरतन सिंह रत्नाकर की भी प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि श्रीसिंह एकेडमी के सदस्य होने के वाजिब हकदार हैं। उन्होंने कहा कि मगही को संविधान की आठवीं अनुसूची में स्थान दिलवाने की लड़ाई हो या भाषा के विकास के लिये रचनाओं का प्रकाशन, श्री रत्नाकर का काफी योगदान रहा है। वहीं मंत्री की सभा को श्री रत्नाकर द्वारा हिन्दी में सम्बोधन पर मंत्री जी ने चुटकी लेते हुए कहा कि रत्नाकर जी, तू जब मगही में बोलो हो तबे ज्यादे अच्छा लगो हो। इस अवसर पर श्रीसिंह ने कहा कि इस भाषा के विकास के लिए वे सहयोग करने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि इस भाषा में अच्छी रचना करने वाले साहित्यकारों को सम्मानित किया जाना चाहिए।
इस अवसर पर मगही को समृद्ध बनाने व इसकी रचनाओं के संग्रह में महत्वपूर्ण योगदान के लिए उन्होंने पत्रकार व मगही रचनाकार रामरतन सिंह रत्नाकर की भी प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि श्रीसिंह एकेडमी के सदस्य होने के वाजिब हकदार हैं। उन्होंने कहा कि मगही को संविधान की आठवीं अनुसूची में स्थान दिलवाने की लड़ाई हो या भाषा के विकास के लिये रचनाओं का प्रकाशन, श्री रत्नाकर का काफी योगदान रहा है। वहीं मंत्री की सभा को श्री रत्नाकर द्वारा हिन्दी में सम्बोधन पर मंत्री जी ने चुटकी लेते हुए कहा कि रत्नाकर जी, तू जब मगही में बोलो हो तबे ज्यादे अच्छा लगो हो। इस अवसर पर श्रीसिंह ने कहा कि इस भाषा के विकास के लिए वे सहयोग करने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि इस भाषा में अच्छी रचना करने वाले साहित्यकारों को सम्मानित किया जाना चाहिए।
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