नए परिसर में आईं भाषा अकादमियाँ
हिन्दुस्तान दैनिक, पटना संस्करण, 2 जून 2010, पृष्ठ 2.
पटना । उच्च शिक्षा उप-निदेशक दीपक कुमार सिंह ने बताया कि शास्त्रीनगर स्थित नए आबंटित क्वार्टरों में सभी अकादमियाँ शिफ्ट हो गई हैं । मैथिली, मगही, दक्षिण भारतीय भाषा संस्थान और भोजपुरी तथा बांग्ला अकादमियाँ तो पहले ही नए परिसर में पहुँच गई हैं, बुधवार की सुबह संस्कृत अकादमी का सामान आ जाएगा । उधर नाम नहीं छापने की शर्त पर कई अकादमियों के कर्मियों ने कहा कि तीन बेड रूम वाले कर्मचारी क्वार्टर में अकादमियों को एडजस्ट करने में दिक्कत हो रही है । खुद उपनिदेशक ने माना कि जगह छोटा पड़ने से मैथिली अकादमी का सारा सामान नए आवास में नहीं लाया जा सका है । (हि॰ब्यू॰)
भाषा अकादमियों में कामकाज ठप
मुख्यमंत्री के यहाँ तीन महीने से अटकी है अकादमियों की फाइल
हिन्दुस्तान दैनिक, पटना संस्करण, 2 जून 2010, पृष्ठ 2.
हिन्दुस्तान ब्यूरो
पटना । राज्य के छह भाषा अकादमियों के कामकाज कार्यसमिति नहीं होने की वजह से ठप है । मानव संसाधन विकास विभाग ने कार्यसमिति गठन के लिए तीन माह पहले ही प्रस्ताव बनाकर स्वीकृति के लिए मुख्यमंत्री के पास भेजा था । पर फाइल अब भी वहीं अटकी है । इस बीच अकादमियों के बार-बार अनुरोध पर मानव संसाधन विकास विभाग ने मुख्यमंत्री सचिवालय को तीन दिनों पहले फिर रिमाइंडर भेजा है ।
विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक एच॰आर॰डी॰ ने अपने प्रस्ताव में मैथिली, भोजपुरी, मगही, बांग्ला, संस्कृत अकादमियों और दक्षिण भारतीय भाषा संस्थान के लिए अलग-अलग तदर्थ कार्यसमिति गठित करने का प्रस्ताव बनाया था ताकि हर अकादमी अपने विकास और दैनिक कार्यों, प्रकाशन तथा अन्य जरूरी पहलुओं पर फैसला ले सके । हर अकादमी की कार्यसमिति में उस भाषा के छह से सात चर्चित लोगों को शामिल करने की चेष्टा की गई है । सभी मिलाकर करीब 42 नाम इन कार्यसमितियों के लिए प्रस्तावित हैं । हालाँकि उच्च शिक्षा विभाग ने मुख्यमंत्री सचिवालय से फाइल वापसी नहीं होने को लेकर वैकल्पिक समिति के गठन पर भी एक विचार बना लिया है । इसके मुताबिक सभी अकादमियों के निदेशकों को मिलाकर एक समिति बनाई जाएगी और जिस अकादमी से संबंधित मामला आएगा उसके निदेशक बैठक की अध्यक्षता करेंगे और उनकी अगुअई में सभी सदस्य निर्णय लेंगे । पर दूसरे प्रस्ताव को फिलहाल विभाग ने ठंडे बस्ते में डाल दिया है । उच्च शिक्षा विभाग अभी मुख्यमंत्री के यहाँ से अकादमियों की कार्यसमिति के प्रस्ताव के लौटने का इंतजार कर रहा है ।
विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक एच॰आर॰डी॰ ने अपने प्रस्ताव में मैथिली, भोजपुरी, मगही, बांग्ला, संस्कृत अकादमियों और दक्षिण भारतीय भाषा संस्थान के लिए अलग-अलग तदर्थ कार्यसमिति गठित करने का प्रस्ताव बनाया था ताकि हर अकादमी अपने विकास और दैनिक कार्यों, प्रकाशन तथा अन्य जरूरी पहलुओं पर फैसला ले सके । हर अकादमी की कार्यसमिति में उस भाषा के छह से सात चर्चित लोगों को शामिल करने की चेष्टा की गई है । सभी मिलाकर करीब 42 नाम इन कार्यसमितियों के लिए प्रस्तावित हैं । हालाँकि उच्च शिक्षा विभाग ने मुख्यमंत्री सचिवालय से फाइल वापसी नहीं होने को लेकर वैकल्पिक समिति के गठन पर भी एक विचार बना लिया है । इसके मुताबिक सभी अकादमियों के निदेशकों को मिलाकर एक समिति बनाई जाएगी और जिस अकादमी से संबंधित मामला आएगा उसके निदेशक बैठक की अध्यक्षता करेंगे और उनकी अगुअई में सभी सदस्य निर्णय लेंगे । पर दूसरे प्रस्ताव को फिलहाल विभाग ने ठंडे बस्ते में डाल दिया है । उच्च शिक्षा विभाग अभी मुख्यमंत्री के यहाँ से अकादमियों की कार्यसमिति के प्रस्ताव के लौटने का इंतजार कर रहा है ।
1 comment:
नमस्कार ! आप बहुत अच्छा काम कर रहे हैं.चकित कर देहलीन्ही ,कभियो हम्मर दुआरिया भी आये के चाहि.
जय मगध राज जय मगही
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