मूल रूसी - अन्तोन
चेखव (1860-1904) मगही अनुवाद - नारायण प्रसाद
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दुखी
लोग अहंकारी, विद्वेषी, अन्यायी, क्रूर आउ एक दोसरा के समझे में मूरख से कम क्षमता वला होवऽ हका । दुख लोग के एक दोसरा के नगीच नयँ लावऽ हइ,
बल्कि दूर ले जा हइ,
आउ ओइसनो हालत में,
जाहाँ ई लगतइ कि एक्के प्रकार से दुखी लोग के एक दोसरा
से जुड़े के चाही, लेकिन एकर उलटा, सन्तुष्टि के वातावरण के अपेक्षा बहुत जादे अन्याय आउ क्रूरता देखल जा हइ ।
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नो आउ दस बजे के बीच में अन्हार सितम्बर के एक साँझ, जिला डाक्टर किरिलोव के छो बरस के एकलौता बेटा अन्द्रेय रोहिणी
(डिफथिरिया) के बेमारी से मर गेलइ । जइसहीं डाक्टर के घरवली अपन टेहुना के बल अपन मृत बालक के शय्या
के पास बइठला आउ ऊ निराशा के पहिला झटका से विह्वल होला, ओइसहीं प्रवेशद्वार पर घंटी के तेज अवाज गूँजल ।
डिफथिरिया के कारण सब्भे नौकर-चाकर के भोरहीं घर से बाहर भेज
देवल गेले हल । किरिलोव जइसन हला,
बिना फ्रॉक कोट पेन्हले, बिन बोताम लगल कुरता में, अपन भिंग्गल चेहरा
आउ कार्बोलिक से मैल होल हाथ के बिना धोले-धाले, खुद्दे दरवाजा खोले
लगी गेला । प्रवेशद्वार पर अन्हेरा
हलइ, आउ जे अदमी प्रवेश कइलकइ ओकरा बारे खाली एतने
पता चललइ कि ऊ मध्यम कद के हलइ,
उज्जर गुलबन्द, आउ बड़गर आउ बहुत अधिक पीयर चेहरा, एतना पीयर कि लगऽ हलइ कि ई चेहरा के उपस्थिति से द्वार आउ जादे
प्रकाशमान हो गेलइ ...
"डागडर साहेब घरे पर हथिन ?" आगन्तुक तेजी से पुछलकइ ।
"हम घरे पर हकियो", किरिलोव उत्तर देलका । "की काम हलो ?"
"ओ, अपने हथिन ? बड़ी खुशी होलइ !" आगन्तुक बोललइ आउ अन्हरवे
में डागडर साहेब के हथवा टोवे लगलइ, मिलला पर एकरा अपना
हथवा में जकड़ लेलकइ । "बहुत, बहुत खुशी होलइ ! हमन्हीं
परिचित हकिअइ ! ... हमर नाम हकइ - अबोगिन । अपने से भेंट करे के अवसर हमरा गरमी में
ग्नुचेव के घर पे मिलले हल । बड़ी खुशी के बात हइ कि अपने घरवा पर मिल गेलथिन । ... भगमान के नाम पे हमरा साथ अभिये चल्ले से इनकार
नयँ करथिन ... हमर घरवली भयंकर रूप से बेमार हइ ... आउ गाड़ी हमरा साथे हइ ... ।"
अवाज आउ ओकर देह के अंग के गति से अइसन लग रहले हल कि ऊ बड़ी उत्तेजित अवस्था में हलइ । घर में आग लग गेला पर, चाहे पागल
कुत्ता के चलते आतंकित होल जइसन ऊ मोसकिल से अपन तेज साँस के रोक पा रहले हल, आउ कम्पित स्वर में तेजी से बात कर रहले हल, आउ ओकर अवाज में एक प्रकार के वास्तविक निष्कपटता, बुतरू नियन सीधापन झलक रहले हल । भयभीत आउ हक्का-बक्का होल बाकी
लोग जइसने ऊ संक्षेप में बात कर रहले हल, टुट्टल-फुट्टल शब्द
में, आउ बहुत सारा फालतू शब्द के प्रयोग करब करऽ
हलइ, जे वर्तमान काम खातिर बिलकुल असंगत हलइ ।
"हमरा ई डर लग रहल हल कि अपने से कहीं भेंट नयँ हो पावे", ऊ बात जारी रखलकइ । "गाड़ी से हियाँ पहुँचे
तक हम बहुत चिन्तित हलूँ ... पोशाक धारण कर लेथिन आउ चलथिन, भगमान के नाम पर ... ई बात कुछ ई तरह घटलइ
। हमर घर पे आल पापचिंस्की, अलिक्सान्द्र सिमिनोविच, जेकरा अपने जानऽ हथिन ... हमन्हीं गपशप कइलिअइ
... फेर चाय पीये ल बइठ गेलिअइ; अचानक घरवली चीख पड़लइ, अपन छाती के कसके दबइले हलइ आउ अपन कुरसी
पर गिर गेलइ । हमन्हीं ओकरा बिछौना पर ले गेलिअइ आउ ... हम द्रव अमोनिया से ओकर कनपट्टी
के रगड़लिअइ, आउ पानी छिड़कलिअइ
... लेकिन ऊ बिलकुल मरल जइसन पड़ल रहलइ ... हमरा आशंका हइ कि ई नाड़ी-अर्बुद (aneurysm –
ऐन्यूरिज़्म, यानी धमनी
के दीवार या भित्ति के अत्यधिक सूजन) के मामला हइ ... चलवे करथिन ... ओकर बाऊ भी एहे
बेमारी से गुजर गेलथिन हल ... ।"
किरिलोव चुपचाप सुन रहला हल, मानूँ उनका रूसी भाषा
समझ में नयँ आ रहले हल ।
जब अबोगिन फेर से पपचिन्स्की आउ अपन घरवली के बाऊ के उल्लेख
कइलकइ आउ अन्हरवा में उनकर हथवा टोवे लगलइ, तब डागडर अपन सिर हिलइलका
आउ हरेक शब्द के लम्बा स्वर में खींचते विरक्त भाव से बोलला - "क्षमा करऽ, हम नयँ चल सकऽ हियो ... करीब पाँचे मिनट पहिले ... हमर बेटा मर गेल ... ।"
"सचमुच ?" अबोगिन फुसफुसाल, एक डेग पाछू हटते । "हे भगमान ! हम कइसन
अशुभ घड़ी में हियाँ अइलूँ ! ई तो आश्चर्यजनक रूप से अशुभ दिन हइ ... आश्चर्यजनक रूप
से ! कइसन संयोग के बात ... कइसन दुर्भाग्य !"
अबोगिन दरवाजा के हैंडिल धइले सिर निच्चे करके सोच में डूब गेल
। ऊ वास्तव में किंकर्तव्यविमूढ़ हो गेल । ओकरा ई नयँ समझ में आ रहल हल कि की कइल जाय
- चल जाय कि डागडर के विनती करना चालू रक्खल जाय ।
"सुनथिन", नम्रतापूर्वक ऊ बोलल, किरिलोव के कलाई पकड़के, "हम अपने के परिस्थिति बहुत अच्छा तरह से समझऽ हिअइ ! भगमान गोवाह
हथुन, हमरा शरम आवऽ हइ कि
हम अपने के अइसन घड़ी में ध्यान आकृष्ट करे के कोरसिस कर रहलिए ह, लेकिन हम की करूँ ? अपनहीं बताथिन, हम केकरा भिर जाऊँ ? अपने के छोड़के आउ कोय दोसर डागडर हियाँ नयँ
हथिन । भगमान के नाम पर चलथिन ! हम अपना खातिर नयँ विनती कर रहलिए ह ... बेमार हम नयँ
हकिअइ !"
खामोशी छा गेलइ । किरिलोव अबोगिन के तरफ पीठ कर लेलका, थोड़े देर खड़ी रहला आउ फेर धीरे-धीरे ड्योढ़ी से चलके स्वागत-कक्ष
में अइला । उनकर डगमगात यांत्रिक चाल से आउ ऊ ध्यान से जेकरा से ऊ स्वागत-कक्ष में
रोएँदार लैंपशेड के सीधा कइलका आउ मेज पे पड़ल मोटगर किताब तरफ नजर डललका, ई समझल जा सकऽ हलइ कि उनका ई घड़ी में कोय इरादा चाहे इच्छा नयँ
हलइ, ऊ कुछ नयँ सोच रहला हल, आउ शायद उनका एहो आद नयँ हलइ कि उनकर ड्योढ़ी पे कोय अनजान अदमी
खड़ी हकइ । गोधूलि-वेला आउ स्वागत-कक्ष
के शांति, शायद, उनकर सोचे के शक्ति
क्षीण कर देलके हल । स्वागत-कक्ष से अपन अध्ययन-कक्ष में जइते बखत ऊ अपन दहिना गोड़
जरूरत से जादहीं ऊपर उठा रहला हल,
हथवा से चौकठ के बाजू
ढूँढ़ रहला हल, आउ साथे-साथ उनकर समुच्चे शरीर में एक प्रकार
के असमंजस अनुभव हो रहले हल,
जइसे ऊ कोय आउ के घर
में हका, चाहे जिनगी में पहिले तुरी जादे पी लेलका
ह आउ अभी किंकर्तव्यविमूढ़ता के साथ नयका संवेदना के आत्मसमर्पित कर देलका ह । अध्ययन-कक्ष के एक देवाल पर पुस्तक के कपाट
से होके प्रकाश के एक धारी हलइ;
साथ-साथ स्वागत-कक्ष
से लगले शयन-कक्ष के आधा खुला दरवाजा से कार्बोलिक आउ इथर के भारी दमघोंटू गन्ध आ रहले
हल ... डागडर टेबुल के सामने के कुरसी पे झटाक से बइठ गेला; एक मिनट लगी निद्रालु अवस्था में प्रकाशित पुस्तक तरफ देखलका, फेर उठ गेला आउ शयन-कक्ष में चल गेला ।
हियाँ शयन-कक्ष में घोर सन्नाटा छाल हलइ । छोटगर से छोटगर चीज
अभी तुरते के गुजरल आन्ही के अर्थपूर्ण अभिव्यक्ति कर रहले हल, आउ थकावट के । आउ सब कुछ शांत हलइ । एगो स्टूल पर बोतल, बक्सा आउ बरतन के भीड़-भाड़ में एगो मोमबत्ती आउ दराजदार अलमारी
पर के एगो बड़गर लैंप समुच्चे भित्तर के प्रकाशित कर रहले हल । खिड़किया के ठीक पास वला
बिस्तर पर एगो बुतरू पड़ल हलइ जेकर आँख खुल्लल हलइ आउ चेहरा पे अचरज के अभिव्यक्ति हलइ
। ऊ हलचल नयँ कर रहले
हल, लेकिन ओकर खुल्लल आँख हरेक पल आउ फीका पड़
रहले हल आउ ओकर खोपड़ी के अन्दर धँस्सल जा हलइ । बहियाँ के ओकर धड़ पे रखके आउ चेहरवा के बिछावन
के सिलवट में छिपाके बिछावन के सामने टेहुना टेकले हलइ मइया । बुतरुए नियर ऊ हलचल नयँ
कर रहल हल, लेकिन केतना सजीव गति अनुभव कर रहले हल ओकर
देहिया आउ हथवा के झुरियन सब ! ऊ बिछावन पर झुक्कल हल, अपन पूरा भार देके
आउ व्यग्रतापूर्वक,
मानूँ ओकरा डर लगल
हल कि कहीं ऊ शांत आउ अरामदायक मुद्रा नयँ भंग हो जाय जे ओकरा अपन थक्कल शरीर लगी मिल
गेले हल । कम्बल, पोशाक,
कटोरा, फर्श पर जाहाँ-ताहाँ गिरल पानी, जाहाँ-ताहाँ फेंकल ब्रश आउ चम्मच, नींबू पानी के उज्जर बोतल, दमघोंटू आउ भारी हावा
भी - ई सब कुछ बिलकुल स्तम्भित हलइ आउ सन्नाटा में डुब्बल लगब करऽ हलइ ।
डागडर अपन पत्नी के पास रुकला, अपन फुलपैंट के जेभी में हाथ घुसइलका आउ अपन सिर के एक तरफ झुकाके
बेटा पर नजर टिकइलका । ऊनकर चेहरा से (विषम परिस्थिति होतहूँ) समत्व व्यक्त हो रहले
हल, खाली उनकर दढ़िया पर के चमक रहल बून से ई स्पष्ट
होवऽ हलइ कि कुछ समय पहिले ऊ कन रहला हल । ऊ विकर्षक बीभत्सा, जेकरा बारे सोचल जा
हइ जब कोय मर जा हइ,
शयन-कक्ष में नयँ हलइ
। सामान्य भावशून्यता में,
माय के मुद्रा में, डागडर के चेहरा के समत्व में कुछ तो आकर्षक आउ हृदयस्पर्शी हलइ, बिलकुल ऊ सूक्ष्म, मानव शोक के दुर्ग्राह्य
सौन्दर्य, जेकरा तुरंत न समझल जा सकऽ हइ आउ न जेकर वर्णन
कइल जा सकऽ हइ, जेकरा शायद खाली संगीते अभिव्यक्त कर सकऽ
हइ । अमंगल शान्ति में भी
सौन्दर्य के अनुभव हो रहले हल;
किरिलोव आउ उनकर पत्नी
चुपचाप हला, रोदन नयँ कर रहला हल, मानूँ क्षति के गम्भीरता के सिवाय, उनकन्हीं के अपन परिस्थिति के सम्पूर्ण प्रगीतत्व (lyricism) के बोध हलइ - जइसे कब के उनकर जवानी गुजर चुकले हल, ओइसहीं अब ई बच्चा के साथे भविष्य में बच्चा प्राप्त करे के
अधिकार हमेशे लगी अनन्त में चल गेलइ ! डागडर के उमर 44 बरस,
उनकर केश उज्जर हो
गेले हल आउ देखे में बूढ़ा लगऽ हला;
उनकर दुबराल आउ रोगियाही
पत्नी के उमर 35 बरस । अन्द्रेय खाली एकलौते बेटा नयँ हलइ, बल्कि अन्तिम भी ।
अपन पत्नी के विपरीत डागडर साहेब अइसन वर्ग के लोग से सम्बन्धित
हला जे आत्मिक कष्ट के समय में हलचल पसीन करऽ हकइ । अपन पत्नी के पास करीब पाँच मिनट
ठहरके ऊ अपन दहिना गोड़ उच्चा उठइले अपन बेडरूम से निकलके एगो छोट्टे गो भित्तर में
चल गेला, जेकर आधा हिस्सा एगो बड़का गो आउ चौड़गर सोफा
छेकले हलइ । हुआँ से भनसा घर में गेला । स्टोव आउ रसोइया के बिछौना के पास कुछ देर
घुमते रहला, फेर झुकला आउ एगो छोटका दरवज्जा से निकलके
ड्योढ़ी में अइला ।
हुआँ ऊ फेर से उज्जर गुलबन्द आउ पीयर चेहरा देखलका ।
- "आखिर तो !" अबोगिन
उच्छ्वास लेलक, दरवज्जा के हैंडिल पकड़ले । "त किरपा
करके चलल जाय !"
डागडर के अचरज होल, ओकरा तरफ नजर फेरलका
आउ आद कइलका ...
- "सुन्नऽ, तोहरा हम पहिलहीं कह देलियो हल कि हम नयँ जा सकऽ हकियो
!" ऊ आउ थोड़े सजीवता से बोलला । "केतना अजीब बात हइ !"
- "डागडर साहेब, हम पत्थल नयँ हकिअइ, अपने के परिस्थिति के हम अच्छा से समझऽ हिअइ
... अपने के साथ सहानुभूति हकइ !" विनयपूर्वक अबोगिन बोलल, अपन गुलबन्द पर हाथ धरके । "लेकिन हम
अपना खातिर नयँ विनती कर रहलिए ह ... हमर पत्नी मरल जा रहल ह ! अगर ई चीख सुनथिन हल, ओकर चेहरा देखथिन हल, तब हमर हठ के समझ पइथिन हल ! हे भगमान, आ हम सोच रहलिए हल कि अपने कपड़ा पेन्हे गेलथिन
ह ! डागडर साहेब, समय बहुत कीमती हइ
! चलथिन, हम मिन्नत करऽ हिअइ
!"
"हम ... नयँ ... चल सकऽ ... हियो !" डागडर किरिलोव रुक-रुक
के बोलला आउ अपन डेग ड्राइंग रूम में बढ़इलका ।
अबोगिन ओकर पाछू-पाछू गेल आउ उनकर बाँह धर लेलक ।
"अपने के बड़गो शोक हइ, ई बात हम समझऽ हिअइ । लेकिन हम अपने के दाँत के दरद के इलाज
करे ल नयँ विनती कर रहलिए ह, आउ न डाक्टरी परामर्श
खातिर, बल्कि एगो मानव जीवन
बचावे खातिर !" एगो भिखारी नियर ऊ घिघिया रहल हल । "ई जीवन सब्भे व्यक्तिगत
शोक से उपरे हइ ! हम साहस करे खातिर विनती कर रहलिए ह, वीरता देखावे खातिर ! मानव-प्रेम के नाम पर
!"
"मानव-प्रेम - ई दू छोर के बीच के डंटा हइ !" किरिलोव झल्लाके
बोलला । "ओहे मानव-प्रेम के नाम पर हम तोहरा से विनती करऽ हियो कि हमरा बाहर मत
ले जा । आउ ई कइसन अजीब बात हइ, हे भगमान ! हम मोसकिल
से अपन पैर पे खड़ा होवे लायक हकूँ, आउ तूँ मानव-प्रेम
के नाम पर डेराऽ रहलऽ ह ! हम कहूँ जाय के काबिल नयँ हकियो ... कोय हालत में हम नयँ
जा सकऽ हकियो । आ हम अपन पत्नी के केकरा पर छोड़के जइबइ ? नयँ, नयँ ... "
किरिलोव पेंटब्रश से अपन हाथ हिलइलका आउ पाछू हट गेला ।
"आउ ... आउ हमरा निवेदन नयँ करऽ !" ऊ भय के स्वर में बात
आगू बढ़इलका । "क्षमा करऽ ... कानून के धारा 13 के अनुसार ई हमर कर्तव्य हइ आउ तोहर अधिकार हइ हमर कालर पकड़के
घसीट के ले जाय के ... अगर चाहऽ ह त घसीटके ले चलऽ, लेकिन ... हम जाय के हालत में नयँ हकियो ... हम बातो करे के
हालत में नयँ हकियो ... हमरा माफ करऽ ।"
"ओइसन स्वर में बात करना व्यर्थ हइ डागडर साहेब !" अबोगिन
बोलल, फेर से डागडर के बाँह
धरके । "कानून के धारा 13 से हमरा की मतलब !
अपने के इच्छा के विरुद्ध अपने पर जबरदस्ती करना हमर कोय अधिकार नयँ हइ । चाहऽ हथिन
- त चलथिन, नयँ चाहऽ हथिन - भगमान
मालिक ! लेकिन हम अपने के इच्छा के अपील नयँ कर रहलिए ह, बल्कि अपने के भावना के । जवान औरत मरल जाब
करऽ हइ ! अब अपने बताथिन, अपने के बेटा गुजर
गेलइ, त अपने के छोड़के आउ
केकरा हमर तकलीफ समझ में अइतइ ?"
चिंता के कारण अबोगिन के स्वर में कंपन हलइ; ई कंपन आउ स्वर में शब्द के अपेक्षा अधिक विश्वसनीयता हलइ ।
अबोगिन में निष्कपटता हलइ,
लेकिन ई बात स्पष्ट
हलइ कि जे कुछ शब्द के प्रयोग ऊ कर रहले हल ओकरा में आडम्बर हलइ, हृदयहीनता हलइ, असंगत रूप से आलंकारिक
हलइ आउ मानूँ डागडर के घर आउ कहीं मरब कर रहल औरत के वातावरण लगी भी अपमानजनक हलइ । ई ऊ खुद्दे अनुभव कर रहल हल, आउ ओहे से ई डर से कि बात कहीं स्पष्ट नयँ हो पावे, हर तरह से ऊ प्रयास कर रहल हल कि अपन स्वर में कोमलता आउ नरमी
बन्नल रहे, ताकि शब्द से काम नयँ चले त स्वर (टोन) के
निष्कपटता से काम हो जाय । साधारणतः
बोले के शैली केतनो सुन्दर आउ गम्भीर होवे, ई खाली साधारण
व्यक्ति पर ही प्रभावकारी होवऽ हइ, लेकिन ओइसन
व्यक्ति के हमेशे सन्तुष्ट नयँ कर सकऽ हइ जे सुखी चाहे दुखी होवऽ हइ । ओहे से सुख चाहे दुख लगी सबसे निम्मन
अभिव्यक्ति हइ मौन । प्रेमी-प्रेमिका
एक दोसरा के बेहतर समझऽ हका जब ऊ मौन रहऽ हका, आ कबर पर
प्रयोग कइल जोशीला भावुक अभिव्यक्ति खाली बाहरी लोग के स्पर्श करऽ हइ, मृतक के विधवा आउ बुतरुअन के तो
ऊ खाली भावशून्य आउ ओछा लगऽ हइ ।
किरिलोव चुप्पी साधले खड़ी हला । जब अबोगिन आउ कुछ शब्द डागडर
के उच्च जीवन-लक्ष्य,
आत्म-बलिदान आदि के
बारे में बोललइ, त डागडर रूखाई से बोलला - "दूर जाय के
हइ ?"
"एहे कोय 13-14 विर्स्ता (1
विर्स्ता = 1.067 कि.मी. = 3500
फुट)। हमरा पास बहुत
उत्तम घोड़ा हइ, डागडर साहेब ! हम वचन दे हिअइ कि अपने के
हुआँ से वापस हियाँ एक घंटा में पहुँचा देबइ । बस एक्के घंटा ! ई अन्तिम शब्द डागडर
पर ओकर मानव-प्रेम के अपील चाहे डागडर के जीवन-लक्ष्य के अपेक्षा अधिक प्रभाव डललकइ
। ऊ सोचलका आउ उच्छ्वास लेके बोलला -
"ठीक हइ,
चलल जाय !"
ऊ तेजी से उचित डेग भरते अपन अध्ययन-कक्ष में गेला आउ थोड़हीं
देर में लम्मा फ्रॉक-कोट में वापस अइला । एकरा से खुश होल अबोगिन उनकर आसपास जरी ठुमकते
चाल में आगे-पीछे अपन पैर रखते उनका ओवरकोट पेन्हे में मदत कइलकइ आउ उनका साथे घर से
बाहर निकल पड़लइ ।
घरवा के बाहर अन्हेरा हलइ, लेकिन ड्योढ़ी के अपेक्षा
कुछ जादे साफ देखाय दे हलइ । अन्हरवा में डागडर के लमछड़ कुबड़ेदार आकृति, लमगर आउ पतरगर दाढ़ी, आउ वक्र नासिका साफ
झलकब करऽ हलइ । अबोगिन के पीयर चेहरा
के साथ-साथ अब ओकर बड़गर सिर आउ छोटगर छात्र-टोपी, जे सिर के चोटी के
मोसकिल से ढँकले हलइ,
अब देखाय दे हलइ ।
गुलबन्द खाली आगू में उज्जर देखाय देब करऽ हलइ, पाछे में ऊ लमगर केश
के चलते छिप्पल हलइ ।
"विश्वास करथिन, हम अपने के उदारता के समझ सकऽ हिअइ", अबोगिन बोलल, डागडर के गाड़ी में बइठइते । “हमन्हीं हुआँ
तुरन्ते पहुँच जइबइ । आउ तू लूका, हमर दोस्त, जरी जेतना तेजी से हो सकइ ओतना तेजी से किरपा
करके गाड़ी चला !”
कोचवान तेजी से ड्राइव कर रहल हल । शुरू में अस्पष्ट बिल्डिंग
के कतार हलइ, जे अस्पताल के प्रांगण के समानान्तर हलइ ।
सगरो अन्हेरा हलइ, खाली कोय खिड़की से एगो तेज रोशनी छरदेवाली
से होके दूर के प्रांगण में पड़ रहले हल, आउ अस्पताल के बिल्डिंग
के ऊपरी मंजिल के तीन खिड़की आसपास के अपेक्षा थोड़ा धुँधला लग रहले हल । फेर गाड़ी गढ़गर छाया में घुसलइ । हियाँ छत्रक
(मशरूम) के आर्द्रता के गन्ध आब करऽ हलइ आउ पेड़ सब के सरसराहट सुनाय दे रहले हल । कौअन
गाड़ी के शोर से जग गेलइ आउ पतवन के बीच ओकन्हीं के हलचल चालू हो गेलइ, डर से करुण चीख निकसे लगलइ, मानूँ जानऽ हलइ कि
डागडर के बेटा मर गेलइ आउ अबोगिन के घरवली बेमार हइ । फेर दृष्टिगोचर होलइ दोसर-दोसर पेड़, झाड़ी;
फेर तलाब अइलइ जेकरा
पर बड़गो कार छाया हलइ - आउ अब गाड़ी सरकते एगो चिक्कन समतल जमीन पे अइलइ । कौअन के चीख
अब दूर अइला पर धीमा पड़ गेले हल आउ जल्दीए बिलकुल शान्त हो गेलइ ।
किरिलोव आउ अबोगिन लगभग समुच्चे रस्ता चुप्पी साधले रहला । खाली
एक तुरी अबोगिन उच्छ्वास लेलकइ आउ बड़बड़इलइ - "कइसन दुखदायी परिस्थिति हइ ! कभियो अपन नजदीकी
के एतना जादे नयँ प्यार करे के चाही कि ओकरा खोवे के खतरा उठावे पड़े ।"
आउ जब गाड़ी धीरे से एगो नद्दी के पार कर रहले हल, किरिलोव अचानक चिहुँक उठला, शायद पनिया के छपाका
से भयभीत हो गेला आउ हलचल कइलका ।
"सुनऽ, हमरा जाय द ", दुखी मन से ऊ बोलला । "हम तोहरा पास
बाद में अइबो । हमरा खाली सहायक के अपन घरवली के पास भेजे के हके । जानवे करऽ हकहो
कि ऊ अकेल्ले हकइ !"
अबोगिन चुप रहल । गाड़ी एद्धिर-ओद्धिर झुकते आउ पथलवा पर से टकरइते
बलुआही किनारा पार कइलक आउ फेर सरकते आगे बढ़ल । चिन्तामग्न किरिलोव झूल रहला हल आउ
अपन चारो तरफ नजर डाल रहला हल । पीछे में तरिंगन के धुँधला प्रकाश में रोड नजर आ रहल
हल आउ नदी किनारे के भिसा (willows)
अन्हार में गायब हो
रहल हल । दहिना तरफ मैदान हलइ, ठीक असमान जइसन समतल आउ सीमाहीन । दूर में जाहाँ-ताहाँ, शायद पांस दलदल (peatbog) पर, धुँधला बत्ती जल रहले हल । बामा तरफ, रस्ता के समानान्तर, छोटगर-छोटगर पत्तेदार
झाड़ी वला पहाड़ी हलइ,
आउ पहाड़ी के उपरे गतिहीन
बड़का गो लाल अर्द्ध-चन्द्रमा हलइ,
जे जरी कुहा से ढँक्कल
आउ थोड़े सन बादल से घिरल हलइ । लगऽ हलइ कि ई बादल ओकरा चारो तरफ से देख रहले हल आउ
रखवाली करब करऽ हलइ कि कहीं ऊ भाग नयँ जाय । समुच्चे प्रकृति निराशा आउ दरद अनुभव कर रहले
हल - पृथ्वी एगो बरबाद औरत के तरह,
जे अन्हार भित्तर में
अकेल्ले बइठल हइ आउ बित्तल बात के बिसरे के प्रयास कर रहले ह, जेकरा वसन्त आउ ग्रीष्म के आद सता रहल ह आउ उदासीनतापूर्वक अवश्यंभावी
शीत ऋतु के प्रतीक्षा कर रहल ह । कनहूँ देखऽ, सगरो प्रकृति प्रतीत
हो रहल हल एगो अन्हार,
सीमाहीन गहिड़ा आउ ठंढगर
गड्ढा, जेकरा से न तो किरिलोव, न अबोगिन आउ न लाल अर्द्ध-चन्द्र बच सकऽ हलइ ...
गाड़ी गन्तव्य (मंजिल) के जेतने नजीक आ रहल हल, अबोगिन ओतने जादे अधीर हो रहल हल । ऊ हलचल करते रहल, उपरे उछलते रहल, आगे कोचवान के कन्हा
तरफ देखते रहल । आउ जब अन्त में गाड़ी प्रवेशद्वार के पास अइलइ, जे सुन्दर तरह से धारीदार पटचित्र से सजावल हलइ, आउ जब ऊ दोसरा मंजिल के प्रकाशित खिड़की तरफ नजर डललकइ, तब ओकर साँस के कंपन साफ सुनाय दे रहले हल ।
"अगर कुछ होत त ... हम नयँ बच्चम", डागडर के साथ ड्राइंग रूम में जइते-जइते आउ
चिंता में अपन हाथ रगड़ते ऊ बोलल । "लेकिन कुछ हलचल नयँ सुनाय दे हइ, मतलब अभी तक सब कुछ ठीक हइ ।" शान्त
वातावरण में ध्यान से सुनके ऊ आगे बोलल ।
ड्योढ़ी में कोय अवाज चाहे पैर के आहट नयँ सुनाय दे रहले हल, समुच्चे घर सुत्तल हलइ, हलाँकि तेज रोशनी हलइ
। अब तो डागडर आउ अबोगिन,
जे अब तक अन्हेरे में
हला, एक दोसरा के अच्छा से देख सकऽ हला । डागडर
साहेब उँचगर हला, आउ जरी कुबड़गर, गंदा-संदा पोशाक पेन्हले आउ चेहरा कुरूप । हब्शी (नेग्रो) के
नियर उनकर मोटगर ठोर अरुचिकर रूप से रूखगर आउ कठोर, चील्ह नियन वक्राकार
नाक आउ दुर्बल तटस्थ आँख (दृष्टि) । उनकर बिखरल बाल, धँस्सल कनपट्टी, समय से पहिले उज्जर होल लमगर आउ सँकरा दाढ़ी, जेकरा से होके ठुड्डी देखाय देब करऽ हलइ, पीयर-उज्जर रंग के त्वचा, आउ लापरवाह एवं फूहड़
चाल-चलन - ई सब कुछ स्पष्ट सूचित कर रहले हल उनकर गरीबी में गुजारल दिन के, दुर्भाग्य के, जिनगी आउ लोग से ऊबाहट
के । उनकर दुब्बर-पातर देह देखके ई विश्वास नयँ होवऽ हल कि ई व्यक्ति के पत्नी हइ, कि ई बुतरू खातिर रो भी सकऽ हइ । लेकिन अबोगिन के रूप-रंग तो कुछ आउ सूचित
कर रहले हल । ऊ मोटगर,
चकइठगर, गोरा,
बड़गर सिर वला, बड़गो लेकिन कोमल नाक-नक्शा, सुन्दर ढंग से पोशाक
पेन्हले, बिलकुल आधुनिक फैशन वला हलइ । ओकर गाड़ी, पास-पास में बोताम
लगल फ्रॉक-कोट, ओकर बाल आउ चेहरा से ओकर कुछ उदारता आउ शेरदिली
झलक रहल हल । ऊ अपन सिर सीधा करके आउ अपन सीना तानके चल रहल हल, बोली भारी लेकिन मनोहर हल, आउ अपन गुलबन्द उतारे
चाहे सिर के केश सँवारे के तौर-तरीका में परिष्कृत आउ लगभग स्त्री-सुलभ लालित्य हलइ
। हियाँ तक कि पीलापन आउ बाल-सुलभ भय, जेकरा से पोशाक उतारते
सीढ़ी पर से उपरे तरफ देखलकइ,
न तो ओकर चाल-चलन में
कोय बदलाव लइलकइ, न तो कोय प्रकार के कमी लइलकइ ओकर तगड़ापन, सेहत आउ सीधापन में, जे ओकर व्यक्तित्व
प्रकट कर रहले हल ।
"कोय देखाय नयँ दे हके आउ कुच्छो सुनाय नयँ पड़ऽ हके", सिड़हिया पर से जइते-जइते ऊ बोल उठल, "कुछ हलचल नयँ । भगवान भला करे !"
ऊ ड्योढ़ी से होके डागडर साहेब के स्वागत-कक्ष में ले गेल, जाहाँ पे एगो कार पियानो हलइ आउ उज्जर टोप
में झाड़-फानूस लटकल हलइ । हियाँ से दुन्नू ऊ एगो छोटगर, बहुत आरामदेह आउ सुन्दर अतिथिशाला में गेते
गेला, जे मनोहर गुलाबी धुँधलेदार
रोशनी से भरल हलइ ।
"डागडर साहेब, हियाँ जरी बइठथिन", अबोगिन बोललइ, "हम ... तुरन्ते आवऽ हिअइ । हम जाके जरी देखऽ
हिअइ आउ सूचित करऽ हिअइ ।"
डॉक्टर किरिलोव एकसरे रह गेला । अतिथिशाला
के सुख-साधन, मनोहर धुँधलेदार रोशनी आउ खुद के अजनबी के
अनजान घर में उपस्थिति,
जे एक प्रकार के साहसिक
कार्य हलइ, ऊपरी तौर से उनका पर कोय प्रभाव नयँ डललकइ
। ऊ अराम कुरसी पर बइठल
हला आउ कार्बोलिक से जरल अपन हाथ तरफ देख रहला हल । ऊ कनझटके से तीव्र लाल लैंप-शेड
के तरफ देखलका, फेर मन्द्र वायलिन के खोल तरफ, आउ ऊ तरफ नजर फेरते, जद्धिर घड़ी टिक्-टिक्
करब करऽ हलइ, उनका भेड़िया के बजूका देखाय देलकइ, ओइसने हट्ठा-कट्ठा मोटगर जइसन कि खुद अबोगिन हलइ ।
सन्नाटा छाल हलइ ... कहीं तो दूर में पड़ोस के कोय कोठरी में
जोर से चीखलइ - "आह !",
काच के दरवाजा के झनझनाहट
सुनाय देलकइ, शायद अलमारी के, आउ फेन सन्नाटा छा गेलइ । पाँच मिनट के करीब इंतजार कइला के
बाद किरिलोव अपन हाथ के तरफ देखना बन कर देलका आउ नजर ऊ दरवाजा तरफ कइलका, जेद्धिर अबोगिन अदृश्य हो गेले हल ।
दरवाजा के चौकठ भीर अबोगिन खड़ी हलइ, लेकिन ऊ नयँ,
जे निकल के गेले हल
। तगड़ापन के भाव आउ परिष्कृत लालित्य ओकरा पर से, ओकर चेहरा आउ हाथ से
गायब हो गेले हल, ओकर भंगिमा विकृत हो गेले हल - या तो भय से
या कष्टदायी शारीरिक पीड़ा के चलते ...
ओकर नाक,
ठोर, मोंछ,
सब्भे नाक-नक्शा में
हलचल हो रहले हल, लग रहले हल जइसे ओकर चेहरवा पर से ऊ सब जबरन
अलगे होवे ल चाह रहले हल,
ओकर अँखिया तो लगऽ
हलइ कि जइसे दरद से हँस रहले ह ...
अबोगिन भारी आउ लमगर डेग बढ़इलकइ आउ अतिथिशाला के बीच में आ गेलइ, आगे तरफ झुकलइ, आह भरलकइ आउ मुक्का
उसहलकइ ।
"हमरा धोखा देलक
!" ऊ चिल्लाल,
'धोखा' पर जोर देते । “धोखा देलक ! चल गेल ! बेमार पड़ गेल आउ हमरा डागडर
बोलवे लगी भेज देलक ताकि ऊ ई विदूषक (जोकर) पापचिंस्की के साथ भाग जाय ! हे भगमान
!”
अबोगिन भारी कदम से डागडर तरफ गेल, उनकर चेहरा तरफ अपन गोर कोमल मुट्ठी बढ़इलक आउ ओकरा हिलइते ऊ
चिल्लाना जारी रखलक -
"चल गेल !! धोखा देलक
! हूँ, की लगी अइसन झूठ ?! हे भगमान ! हे भगमान ! काहे लगी ई गन्दा, (ताश के) पत्ताचोर के चाल, ई शैतानी, साँप के खेल ? हम ओकरा की कइलूँ हल
? चल गेल !"
ओकर आँख में आँसू भर आल । ऊ अपन एक गोड़ पर मुड़ गेल आउ अतिथिशाला
में शतपथ करे लगल । अब अपन छोटका फ्रॉक-कोट में, अपन फैशनदार तंग फुलपैंट
में, जेकरा में गोड़ ओकर शरीर के मोताबिक जरी दुब्बर
लग रहले हल, अपन बड़गर सिर आउ लमगर केश से ऊ बिलकुल शेर
नियर लग रहले हल । डागडर के भावशून्य चेहरा पे उत्सुकता झलके लगलइ । ऊ उठला आउ अबोगिन
तरफ ध्यान से देखे लगला ।
"माफ करथिन, रोगी कन्ने हकइ ?" ऊ पुछलका ।
"रोगी ! रोगी !" अबोगिन चिल्लाल, हँसते, फेन रोते आउ अभियो अपन मुक्का चलइते । "ई रोगी नयँ, बल्कि घिनौना औरत ! नीच ! चरित्रहीन ! शायद
शैतानो एकरा से जादे घिनौना नयँ सोच सकले होत ! हमरा पठा देलक ताकि ऊ ई जोकड़वा के साथे
भाग जाय, एगो मूरख जोकड़ के साथ, अल्फोंस (भड़ुआ) के साथ ! हे भगमान ! ऊ मर
काहे नयँ गेलइ ! हमरा बरदास नयँ होवऽ हके ! हमर बरदास के बाहर हके !"
डागडर सीधा खड़ी होला । उनकर आँख मुलमुला रहले हल, आँसू से भर गेले हल, पतरगर दाढ़ी जबड़ा के
साथे-साथ दहिने-बामे हिल रहले हल ।
"जरी हमरा पुच्छे के अनुमति देथिन, ई सब की हइ ?" उत्सुकता से नजर फेरते ऊ पुछलका । "हमर
बुतरू मर गेल, पूरे घर में एकसरे
हमर घरवली शोक में हके ... हम मोसकिल से अपन गोड़ पर खड़ी हो सकऽ हूँ, तीन रात तक सो नयँ पइलूँ ... आउ ई हम की देखऽ
ही ? हमरा से जबरदस्ती एगो
ओछा तमाशा में पार्ट अदा करावल जा रहल ह, नकली चीज के भूमिका अदा करे पड़ रहल ह ! नयँ ... हमरा समझ में
नयँ आ रहल ह !"
अबोगिन एक मुक्का के ढीला कर देलकइ, मचोरल एगो नोट फर्श पर फेंक देलकइ आउ एकरा रौंद देलकइ, मानूँ ई एगो कीड़ा होवे जेकरा ऊ मसल देवे ल चाहऽ हल ।
"आउ हमहूँ नयँ देखलूँ ... न समझलूँ !" ऊ अपन दाँत पीसते
बोलल, अपन चेहरा के पास मुक्का
घुमइते आउ अइसन अभिव्यक्ति के साथ, मानूँ कोय ओकर घट्ठा
रौंद देलक ह । "हमरा ध्यान में नयँ आल कि ऊ रोज दिन आवऽ हके, हमरा ध्यान नयँ गेल कि आझो ऊ एगो पर्दावला
(चारो तरफ से ढँक्कल) गाड़ी में आल ह ! पर्दावला गाड़ी में काहे लगी ? आउ हम नयँ देखलूँ ! गुम्बद नियर पर्दा
!"
"नयँ ... समझ में नयँ आवऽ हके !" डागडर बड़बड़इला ।
"ई सब की हकइ ! ई व्यक्तित्व पर भद्दा मजाक हइ, मानवीय वेदना पर उपहास हइ ! ई तो अइसन बात हइ जेकरा पर विश्वास
नयँ होवऽ हइ ... जिनगी में पहिले तुरी देख रहलूँ हँ !"
जरी अचरज में पड़ल अदमी, जेकरा अभी-अभी समझ
में आल ह कि हमरा बहुत अपमानित कइल गेल ह, डागडर कन्हा उचकइलका, अपन बाँह फइलइलका आउ ई नयँ जानते कि की बोलूँ, की करूँ,
थक के चूर होल जइसे
अराम कुरसी पर झट से पड़ गेला ।
"अगर तूँ हमरा से अब प्यार नयँ करऽ हँ, कोय दोसरा के प्यार करे लगलऽ हँ, त ई तोर मर्जी, लेकिन धोखा काहे लगी, ई ओछा धोखादायक खेल काहे ल ?", अबोगिन रोनी अवाज में बोलल । "कउन उद्देश्य
से ? काहे लगी ? हम तोरा की कइलिअउ ? सुनथिन डागडर साहेब ।" ऊ गरम अवाज में
कहलक, किरिलोव के पास जाके
। “अपने अनजाने में हमर दुर्भाग्य के गवाह हथिन, आउ हम अपने से सच छिपावे के कोशिश नयँ करबइ । हम कसम खा हिअइ
कि हम ई औरत के प्यार करऽ हलिअइ, दिल से प्यार करऽ हलिअइ, एगो दास नियन ! ओकरा लगी हम सब कुछ न्योछावर कर देलूँ - अपन
रिश्तेदार सब से झगड़ा कइलूँ,
अपन नौकरी आउ संगीत
छोड़ देलूँ, हम ओकरा अइसनो बात लगी माफ कर देलूँ जेकरा
लगी हम अपन मइयो-बहिन के माफ नयँ करतूँ हल ... हम एक्को तुरी ओकरा टेढ़ नजर से नयँ देखलूँ
... कोय शिकायत के मौका नयँ देलूँ ! ई धोखा काहे लगी ? हम प्यार के कोय माँग नयँ करऽ ही, लेकिन अइसन घृणास्पद धोखेबाजी काहे लगी ? नयँ प्यार करऽ हँ, त सीधे कह दे, ईमानदारी से,
खास करके तब जबकि तोरा
ई विषय पर हमर दृष्टिकोण मालूम हउ ...”
आँख में आँसू के साथ आउ समुच्चे शरीर से काँपते अबोगिन डागडर
के सामने ईमानदारी से अपन दिल के बात रख देलकइ । अपन दुन्नु हाथ के दिल पर दबाके ऊ
भावावेश में बात कइलकइ,
बिना कोय हिचक के अपन
पारिवारिक रहस्य खोलके रख देलकइ,
आउ मानूँ ऊ खुश हलइ
कि आखिर तो ई सब रहस्य ओकर पेट से बाहर निकल गेलइ । अगर ऊ ई तरह से एक घंटा, दू घंटा,
बात करते हल आउ अपन
दिल खोल देते हल, तो निस्सन्देह ऊ आउ बेहतर अनुभव करते हल । कउन जाने, अगर डागडर ओकरा सुनता
हल आउ एगो दोस्त नियन ओकरा साथ सहानुभूति देखइता हल, ऊ शायद, जइसन कि अकसर होवऽ हइ, बिना कोय विरोध के
अपन शोक के भुला जइता हल,
बिना कोय अनाप-शनाप, बेकार के बात कइले ... लेकिन होल कुछ आउ । जब अबोगिन बोल रहले हल, अपमानित महसूस कइल डागडर स्पष्ट रूप से बदल रहला हल । उनकर चेहरा
पर के विरक्तता आउ आश्चर्य धीरे-धीरे कड़वा नराजगी, रोष आउ गोस्सा के अभिव्यक्ति
में परिवर्तित हो गेलइ । उनकर चेहरा के नाक-नक्शा
आउ रूक्ष, निर्दय आउ अप्रिय हो गेलइ । जब अबोगिन उनकर अँखिया के सामने नन (मठवासिनी)
के जइसन एगो युवती के सुन्दर लेकिन शुष्क आउ अभिव्यक्तिहीन चेहरा वला फोटू देखइलकइ
आउ पुछलकइ कि, की ई चेहरवा के देखके कोय अन्दाज लगा सकऽ
हइ कि ई धोखा दे सकऽ हइ,
डागडर अचानक उछल पड़ला, उनकर आँख चमक उठलइ आउ ऊ हरेक शब्द के रूक्ष स्वर में स्पष्ट
रूप से उच्चारित करते बोलला –
"ई सब हमरा काहे लगी बता रहलथिन हँ ? हम ई सब सुन्ने ल नयँ चाहऽ हूँ ! नयँ चाहऽ
हूँ !" ऊ चीख पड़ला आउ टेबुल पर मुक्का से प्रहार कइलका । "हमरा अपने के अभद्र
रहस्य नयँ चाही, भाड़ में जाय ई सब रहस्य
! ई सब अनाप-शनाप हमरा मत सुनावऽ ! कि अपने के लग रहले ह कि हम अभी तक कम अपमानित होलिए
ह ? कि हम एगो दास हकिअइ
कि केतनहूँ हमरा अपमानित कइल जा सकऽ हइ ? अइसन बात हइ की ?"
अबोगिन किरिलोव के सामने से थोड़े पीछे हट गेलइ आउ अचरज से उनका
तरफ एकटक देखे लगलइ ।
"हमरा हियाँ पर काहे
लगी लइलथिन ?",
डागडर आगे बोलला, उनकर दाढ़ी में कम्पन हो रहले हल, "अगर पइसा से आन्हर होके शादी रचावऽ
हथिन, जादे पइसा के चलते दुख झेलऽ हथिन आउ अइसन
तमाशा देखावऽ हथिन,
त एकरा बीच हम काहाँ
आवऽ हिअइ ? हमरा अपने के रोमांस से की लेना-देना हकइ
? हमरा शान्ति से रहे देथिन ! अपन कुलीन जमींदारी निभइते रहथिन, मानवीय विचार के प्रदर्शन करते रहथिन, बजइते रहथिन (डागडर टेढ़ नजर से वायलिन के खोल तरफ देखलका) -
बजइते रहथिन दोहरा मन्द्र (double
bass) आउ तुरही (trombone), खस्सी मुर्गा (capon) जइसे मोटइते रहथिन, लेकिन केकरो व्यक्तिगत
मान-मर्यादा पर कीचड़ उछाले के साहस नयँ करथिन ! अगर एकर आदर नयँ कर सकऽ हथिन, त कम से कम अपन ध्यान एकरा से अलगे रखथिन !"
"माफ करथिन, ई सब के कीऽ मतलब हइ
?" अबोगिन पुछलकइ, ओकर चेहरा लाल हो गेलइ ।
"एकर मतलब हइ कि ई तरह लोग से खेलवाड़ करना नीचता आउ कमीनापन हइ
! हम डॉक्टर हिअइ, अपने डॉक्टर आउ सामान्य
कार्मिक लोग के, जेकन्हीं से इत्र आउ
वेश्यागीरी के गंध नयँ आवऽ हइ, अपन दास आउ अशिष्ट
समझऽ हथिन । ठीक हइ, जइसे समझे के मन हइ
समझथिन, लेकिन अपने के कोय
अधिकार नयँ देलके ह कि एगो शोक-संतप्त अदमी के नाटक के पात्र बना देथिन !"
"अपने अइसन बात बोले के दुस्साहस कइसे कर सकऽ हथिन ?" अबोगिन धीरे से पुछलकइ, ओकर चेहरा फेर उछले लगलइ आउ अबरी गोस्सा साफ
झलकब करऽ हलइ ।
"नयँ, ई जानके भी कि हम शोकग्रस्त
हिअइ, तइयो साहस कइसे कइलथिन
अपने हमरा हियाँ लाके ई सब ओछापन सुनावे खातिर ?" डॉक्टर चिल्लइला आउ फेनो टेबुल पर मुक्का से प्रहार कइलका ।
"दोसर के दुख के मजाक उड़ावे के केऽ अपने के अधिकार देलकइ ?"
"अपने पगला गेलथिन ह !" अबोगिन चिल्लइलइ । "ई उदारपना
नयँ हइ ! हम खुद्दे बहुत दुखी हकूँ आउ ... आउ ... ।"
"दुखी", घृणा भरल मुसकान के
साथ डॉक्टर बोलला । "अइसन शब्द मुँह से नयँ निकालथिन, एकरा से अपने के कोय संबंध नयँ हइ । निखट्टू
(लोफर) लोग, जेकरा वचनपत्र (promissory
note) पर कर्ज नयँ मिल पावऽ
हइ, ओहो खुद के दुखी कहऽ
हइ । खस्सी मुर्गा, जेकरा फालतू वसा (fat) खिलावल जा हइ, ओहो दुखी हइ । निखट्टू लोग !"
"महाशय, अपने भूल रहलथिन ह
!" अबोगिन चीख पड़लइ । "अइसन बोली पर ... पिटाई होवऽ हइ ! समझलथिन ?"
अबोगिन जल्दीबाजी में बगल के पाकिट में हाथ डालके टोलकइ, हुआँ से कुछ नोट निकललकइ आउ दू नोट लेके टेबुलवा पर फेंक देलकइ
।
"अपने के हमरा हीं भेंट देवे के फीस !" ऊ अपन नथुना फुलइते
बोललइ । "अपने के फीस के भुगतान कर देल गेलइ !"
"हमरा पइसा देवे के साहस नयँ करथिन !" डॉक्टर चिल्लइला आउ
टेबुल पर के नोट के झटक के फर्श पर फेंक देलथिन । "अपमान
के भुगतान पइसा से नयँ कइल जा सकऽ हइ !"
अबोगिन आउ डॉक्टर एक दोसरा के आमने-सामने खड़ी हला आउ गोस्सा
में एक दोसरा के प्रति अनुचित अपमानजनक बात सुनाना जारी रखले हला । लगऽ हइ कि जिनगी
में कभियो, उन्मादो में, उनकन्हीं ओतना अनुचित, क्रूर आउ अनर्गल बात
नयँ बोलला हल । दुन्नु में दुखियन के अहंवाद तीव्र रूप में प्रकट हो रहले हल । दुखी लोग अहंवादी (अहंकारी), विद्वेषी, अन्यायी, क्रूर आउ एक दोसरा के समझे में
मूरख से कम क्षमता वला होवऽ हका । दुख लोग के एक दोसरा के नगीच नयँ लावऽ हइ, बल्कि दूर ले जा हइ, आउ ओइसनो हालत में, जाहाँ ई लगतइ कि एक्के प्रकार से
दुखी लोग के एक दोसरा से जुड़े के चाही, लेकिन एकर
उलटा, सन्तुष्टि के वातावरण के अपेक्षा
बहुत जादे अन्याय आउ क्रूरता देखल जा हइ ।
"हमरा घर भेजे के अनुमति देथिन !" उच्छ्वास लेते डॉक्टर
चिल्लइला ।
अबोगिन जोर से घंटी बजइलक । जब ओकर जवाब में कोय नयँ आल त ऊ
फेनो घंटी बजइलक आउ गोस्सा से घंटी के फर्श पर फेंक देलक, जे दरी पर ढब से गिरलइ आउ मानूँ मौत के ठीक पहले कराह नियन अवाज
कइलकइ । एगो नौकर अइलइ ।
"काहाँ छिप्पल हलँऽ, शैतान के बच्चे ?!" अप्पन मुक्का देखइते ओकरा पर मलिकवा टूट पड़लइ । "अभी तूँ
काहाँ हलँऽ ? जो आउ बताव कि ई महाशय
लगी कल्यास्का बग्घी [1],
आउ हमरा लगी करेता
बग्घी [2] तैयार कइल जाय ! ठहर !" ऊ चिल्लाल, जब नौकर जाय लगी मुड़लइ
। "कल एक्को गो विश्वासघाती हमर घर में नयँ चाही ! सब्भे बाहर ! सब नयका नौकर
के बहाली ! नीच कहीं के !"
गाड़ी के इंतजार में अबोगिन आउ डॉक्टर चुप्पी साधले रहला । अबोगिन
के तगड़ापन के भाव आउ परिष्कृत लालित्य वापस आ गेलइ । ऊ अतिथिशाला में शतपथ करे लगलइ, शान से अपन सिर हिलावे लगलइ आउ स्पष्ट रूप से कुछ तो सोचब करऽ
हलइ । ओकर गोस्सा अभी तक
शांत नयँ होले हल, लेकिन ऊ अइसन देखावे के कोशिश कइलक मानूँ
ऊ अपन दुश्मन के नयँ देख रहल ह ... डॉक्टर खड़ी रहला, टेबुल के एक किनारे
में एक हाथ से सहारा लेले,
आउ अबोगिन तरफ अइसन
गहरा, जरी निर्लज्ज आउ बीभत्स घृणा से देख रहला
हल, जइसे खाली शोक आउ विपत्ति देख सकऽ हइ, जब अपना सामने समृद्धता आउ रमणीयता देखाय दे हइ । जब कुछ देर के बाद डॉक्टर कल्यास्का में बइठके
रवाना हो गेला, तइयो उनकर आँख में घृणा के दृष्टि बरकरार
रहलइ । अन्हेरा हो गेले हल,
एक घंटा पहिले जेतना
अन्हेरा हलइ ओकरा से बहुत जादे । लाल अर्द्धचन्द्र पहाड़ी के पीछू डूब गेले हल, आउ जे बादल ओकर रखवाली कर रहले हल ऊ अब तरिंगन के आसपास कार-कार
खण्ड के रूप में देखाय देब करऽ हलइ । लाल बत्ती वला करेता बग्घी रोड पर खड़खड़ाय लगलइ
आउ डॉक्टर के गाड़ी के आगे निकल गेलइ । ई अबोगिन जा रहले हल विरोध करे लगी, अनर्गल काम करे लगी ...
समुच्चे रस्ता डॉक्टर सोच रहला हल अपन पत्नी के बारे नयँ आउ
न अपन मृत पुत्र अन्द्रेय के बारे,
बल्कि अबोगिन के बारे
आउ ऊ लोग के बारे, जे ऊ घर में रहऽ हला, जेकरा ऊ अभी-अभी पीछू छोड़लका । उनकर विचार अनुचित आउ अमानवीय रूप से क्रूर
हलइ । ऊ अबोगिन आउ ओकर घरवली पर दोषारोपण लगा रहला हल, साथे-साथ पापचिंस्की आउ ऊ सब लोग पर जे गुलाबी अर्द्धप्रकाश
में रहऽ हलइ आउ जेकरा से इत्र के गंध आवऽ हलइ, आउ समुच्चे रस्ता ओकन्हीं
पर घृणा के विचार कइलका आउ एतना हद तक नफरत कइलका जब तक कि उनकर दिल में दरद नयँ पैदा
हो गेलइ । आउ उनकर मन में अइसन लोग के बारे एगो दृढ़ धारणा बन गेलइ ।
समय गुजर जइतइ, आउ किरिलोव के शोक
भी खतम हो जइतइ, लेकिन ई धारणा, जे अनुचित आउ मानवीय हृदय हेतु अयोग्य हकइ, जाय वला नयँ आउ डॉक्टर के दिमाग में कब्र में जाय तक रहतइ ।
प्रथम प्रकाशित – 1887
नोटः
[1] कल्यास्का = चार पहिया वला घोड़ागाड़ी, जेकर उपरे में मोड़ेवला कमानीदार ढक्कन होवऽ
हइ जेकरा से उपरी हिस्सा खुल्लल चाहे ढँक्कल रक्खल जा सकऽ हइ ।
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