अपराध आउ दंड
उपन्यासकार
के संक्षिप्त परिचय
महान
रूसी रचनाकार फ्योदोर मिख़ाइलोविच
दोस्तोयेव्स्की (उच्चारित "फ़्योदर मिख़ाय-लविच दस्तऽयेव्स्की" ( )) के नाम इटैलियन लेखक दान्ते,
अंग्रेजी लेखक शेक्सपियर, स्पैनिश लेखक सेर्वान्तेस आउ जर्मन लेखक गेटे (Goethe, उच्चारित
"ग्योटऽ") के साथ लेल जा हइ । उनकर जन्म 11 नवम्बर 1821 के एगो मध्यम वर्ग के परिवार
में मास्को में होले हल, जाहाँ उनकर पिता एगो बहुत कम सुविधा वला क्षेत्र में गरीब
लोग खातिर बनावल एगो अस्पताल में काम करऽ हला । ई मानल जा हइ कि ई क्षेत्र में उनकर
पालन-पोषण के प्रभाव दस्तयेव्स्की पर बहुत पड़लइ । उनकर मइया मातदिल आउ धार्मिक विचार
के हलथिन, जिनकर मौत (27 सितम्बर 1837) तपेदिक (टीबी) से फ्योदर के सोलहे बरस के उमर
में हो गेलइ । उनकर बाप के मौत (16 जून
1839) दू साल बाद हो गेलइ, नौकरवने हत्या कर देलकइ, काहेकि नौकरवन के साथ ऊ क्रूरता
से पेश आवऽ हला; ऊ बखत दस्तयेव्स्की पितिरबुर्ग में सैन्य-इंजीनियरी के पढ़ाय कर रहला
हल ।
सन्
1843 में इंजीनियरी के पढ़ाय पूरा कइलका, लेकिन इंजीनियर बनलो पर बचपन से पढ़े में रुचि
रहे के कारण, सेना में एक साल नौकरी कइला के बाद नौकरी छोड़ देलका आउ साहित्य क्षेत्र
के ही अपन पेशा चुन लेलका । सन् 1844 से साहित्य रचना चालू कर देलका आउ अगले साल उनकर
पहिला लघु उपन्यास “Бедные Люди” अर्थात् "गरीब लोग" (1845) प्रकाशित होलइ
[हिन्दी में "दरिद्र नारायण" (1984) शीर्षक से प्रकाशित], जेकर काफी स्वागत
होलइ ।
पेत्राशेव्स्की
मंडली में सम्मिलित होवे के चलते 23 अप्रैल 1849 के उनका गिरफ्तार कर लेल गेलइ आउ मौत
के सजा मिललइ । ई मंडली एगो उदार आदर्शवादी लोगन के गुप्त दल हलइ, जे साहित्यिक चर्चा
समूह के रूप में भी काम करऽ हलइ । दिनांक 22 दिसम्बर 1849 के उनका गोली से उड़ा देवल
जाय के कुछ पल पहिलहीं त्सार निकोलाय प्रथम के अनुकंपा से उनका मौत के सजा के बदल के
दस बरस के निर्वास (exile) के सजा मिललइ, जेकरा में चार बरस (1850-1854) लगी साइबेरिया
के ओम्स्क में कठोर श्रम के कारावास, आउ कारावास के ठीक बाद, कज़ाख्स्तान के सिमीप्लातिंस्क
शहर में सतमा लाइन बटालियन के साइबेरियाई अर्मी कोर में, सेना के अनिवार्य सेवा के
बाद ऊ 1859 में पितिरबुर्ग वापिस अइला ।
पितिरबुर्ग
के सेंट पीटर आउ सेंट पॉल किला में 1849 में कैदी अवस्था में ही ऊ लघु उपन्यास
"Маленький Герой" अर्थात् "छोटकुन्ना हीरो" लिखलका जे 1857 में
एगो जर्नल में प्रकाशित होलइ । निर्वास के दौरान सिमीप्लातिंस्क में 7 फरवरी 1857 के
29 वर्षीय विधवा मारिया द्मित्रियेव्ना इसायेवा के साथ विवाह होलइ । साइबेरिया के कठोर
श्रम के कारावास के अनुभव पर आधारित उनकर प्रथम स्तरीय रचना "Записки из Мёртвого
Дома" अर्थात् "मुर्दाघर के चिट्ठा" (1860), आउ फेन “Униженные
и оскорблённые”
अर्थात् “अपमानित आउ तिरस्कृत” (1861) प्रकाशित होलइ ।
दस्तयेव्सकी
7 जून 1862 के पहिले तुरी अकेल्ले विदेश यात्रा शुरू कइलका आउ जर्मनी, बेल्जियम, फ्रांस,
इंग्लैंड के भ्रमण कइलका, आउ बाद में निकोलाय स्त्राखोव के साथ स्विटज़रलैंड, इटली गेला
। ई विदेश यात्रा के दौरान यूरोप के बारे में अपन अवलोकन पर आधारित विचार के
"Зимние заметки о летних впечатлениях" अर्थात् "ग्रीष्मकालीन छाप
पर शरत्कालीन टिप्पणी" (1863) में 53 पृष्ठ के एक आठ अध्याय के लेख में अभिव्यक्त
कइलका, जे खुद दस्तयेव्स्की द्वारा सम्पादित मासिक पत्रिका व्रेम्या (समय) के मार्च
आउ अप्रैल अंक में प्रकाशित होलइ । अगस्त से अक्टूबर 1863 में ऊ पच्छिमी यूरोप के दोसरा
तुरी यात्रा कइलका । ऊ अपन प्रेयसी पोलिना सुस्लोवा से पेरिस में भेंट कइलका आउ वीसबाडेन
आउ बाडेन-बाडेन में जूआ में अपन करीब-करीब सब्भे पइसा गमा देलका । ई हालत में होटल
के बिल चुकावे में भी असमर्थ होला पर कइएक दिन सुबह-शाम खाली चाय पीके रहला । पोलिना
अपने तकलीफ झेलके कुछ पइसा के मदत कइलकइ ।
अगला
बरस 1864 उनका लगी बड़गो विपत्ति लेके अइलइ -
15 अप्रैल के घरवली मारिया आउ जुलाई में बड़ भाय मिख़ाइल के मौत हो गेलइ, भाय
के परिवार के भरण-पोषण के भार भी उनके पर आ गेलइ आउ ऊ करजा के बोझ से लद गेला । पोलिना सुस्लोवा उनकर विवाह के प्रस्ताव ठुकरा देलकइ,
आउ जूआ के माध्यम से पइसा अर्जित करे के चक्कर में ऊ आउ करजा के दलदल में फँस गेला
। महाजन सब के हमेशे उनकर पीछू पड़ल रहे से आउ करीब 43,000 रूबल के भारी करजा के दबाव
से मुक्ति पावे खातिर अपन जेभी में मात्र 175 रूबल लेके सन् 1865 में फेर विदेश भाग
गेला । करजा के साथ-साथ एगो आउ दबाव हलइ - पुस्तक विक्रेता फ्योदोर स्तेलोव्स्की के
साथ एगो ठीका, जेकर अनुसार दस्तयेव्सकी के 1 नवम्बर 1866 तक एगो नयका उपन्यास तैयार
करके देवे के चाही, नयँ तो वर्तमान आउ भावी उनकर सब्भे रचना के मालिकाना हक ऊ पुस्तक
विक्रेता के हो जइतइ ।
ऊ
1866 के सितम्बर महिन्ना में वापस पितिरबुर्ग अइला । अब तक ऊ "अपराध आउ दंड"
उपन्यास लिक्खे में व्यस्त रहला हल, जेकर पहिला दू भाग जनवरी आउ फरवरी में छप चुकले
हल । स्तेलोव्स्की के देल वचन के मोताबिक जूआ के लत पर आधारित एगो लघु उपन्यास
"जुआड़ी" लिक्खे लगी अभी ऊ शुरुओ नयँ कइलका हल । दस्तयेव्स्की के एगो मित्र
मिल्युकोव उनका एगो सेक्रेटरी रक्खे के सलाह देलका । दस्तयेव्स्की पितिरबुर्ग के एगो
स्टेनोग्राफर पावेल ओलखिन के संपर्क कइलका, जे ऊ अपन शिष्या आन्ना ग्रिगोरयेव्ना स्नित्किना
के अनुशंसा (recommend) कइलकइ । ओकर शॉर्टहैंड के मदत से दस्तयेव्स्की "जुआड़ी"
के केवल 26 दिन में तैयार करके 30 अक्टूबर के स्तेलोव्स्की के सामने प्रस्तुत कर देलका
।
त
ई तरह 1864 से दस्तयेव्स्की के व्यक्तिगत विपत्ति (पत्नी मारिया आउ बड़ भाय के मौत,
जूआ के लत) के दौरान उनकर कुछ उच्च स्तरीय रचना प्रकाशित
होलइ - "Записки из Подполья" अर्थात् "भूमिगत चिट्ठा"
(1864), “Игрок” अर्थात्
"जुआड़ी" (1866), “Преступлéние и наказáние” अर्थात् "अपराध आउ दंड"
(1866) । दू भाग में लिक्खल "भूमिगत चिट्ठा" के दोसरा भाग मई 1864 में पूरा
कइल गेले हल, जेकर प्रकाशन मारिया के मौत के दू महिन्ना बाद होलइ । कइएक लोग ई रचना
के पहिला अस्तित्ववादी उपन्यास मानऽ हथिन ।
15
फरवरी 1867 के 46 वर्षीय दस्तयेव्स्की अपन 19 वर्षीय सेक्रेटरी आन्ना स्नित्किना से
विवाह कइलका आउ 14 अप्रैल के हनीमून खातिर जर्मनी चल गेला । ऊ स्तरीय रचना के प्रकाशन
जारी रखलका, जइसे “Идио́т”
अर्थात् "मूर्ख" (1868) । सन् 1871 में वापिस रूस अइला अउ अपन लेखन जारी
रखलका । रूस वापिस अइला के बाद उनकर मुख्य रचना में हइ – “Бесы” अर्थात् "दानव" अथवा
"भूत" (1872), “Подросток”
अर्थात् "किशोर" (1875), आउ “Братья Карамазовы”
अर्थात् "करामाज़ोव-बन्धु" (1880) । कइएक लोग द्वारा उत्कृष्ट रचना मानल जाय
वला "करामाज़ोव-बन्धु" के पूरा कइला के कुच्छे महिन्ना बाद 9 फरवरी 1881 के
पितिर्बुर्गे में दस्तयेव्स्की के निधन हो गेलइ । "अपराध आउ दंड" के मूल
रूसी पाठ के कुल 418 पृष्ठ के तुलना में सन् 1976 में प्रकाशित "करामाज़ोव-बन्धु"
के मूल रूसी पाठ कुल 695 पृष्ठ के हकइ ।
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