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Friday, July 21, 2017

रूसी उपन्यास - "कप्तान के बिटिया" ; अध्याय-3

अध्याय - 3
किला
हमन्हीं तो छोट्टे गो किला में रहऽ हिअइ,
रोटी खा हिअइ आउ पानी पीयऽ हिअइ;
आउ जइसीं निर्दय शत्रु
अइतइ हमन्हीं हीं पाई छिन्ने लगी,
देबइ मेहमान सब के रंगरेली मनावे लगी -
बोजबइ तोप में छर्रा ।
- सैनिक गीत
पुराना जमाना के लोग, हमर प्रिय महोदय ।
- नादान [21]

बेलागोर्स्क किला ओरेनबुर्ग से चालीस विर्स्ता दूर हलइ । रस्ता याइक नदी के लगभग खड़ा ढलान वला तट के किनारे-किनारे जा हलइ । नदी के पानी अभियो जमके बरफ नयँ होले हल, आउ ओकर धूसर (leaden) लहर, उज्जर बरफ से आच्छादित एकरस (monotonous) दुन्नु तट के बीच, एगो उदास कार झलक दे रहले हल । तट के दुन्नु तरफ दूर तक किर्गिज़ स्तेप फैलल हलइ । हम विचारमग्न हो गेलिअइ, अधिकांश विचार उदासी भरल हलइ । गैरिसन (किला के रक्षक सेना) के जिनगी में हमरा लगी बहुत कम आकर्षण हलइ । हम अपन भावी अधिकारी कप्तान मिरोनोव के बारे कल्पना करे के प्रयास कइलिअइ, आउ ओकर सख्त, गोस्सैल बूढ़ा के चित्र उभरलइ, जेकरा अपन फौजी सेवा के अलावे कुछ नयँ मालुम हइ, आउ जे हमर हरेक छोटगर-छोटगर बात पर हमरा रोटी आउ पानी पर गिरफ्तार करे लगी तैयार हइ । एहे दौरान अन्हार होवे लगलइ । हमन्हीं काफी तेजी से जाब करऽ हलिअइ ।
"की किला दूर हइ ?" हम अपन कोचवान के पुछलिअइ ।
"दूर नयँ हइ", ऊ उत्तर देलकइ । "अउकी देखाइयो देब करऽ हइ ।"
हम चारो तरफ नजर दौड़इलिअइ, ई आशा करते कि हम भयानक-भयानक कंगूरा, मीनार आउ परकोटा (ramparts) देखबइ; लेकिन कुछ नयँ देखाय देलकइ, सिवाय लकड़ी के लट्ठा से घेरल एगो छोट्टे गो गाँव के । एक तरफ बरफ से अर्द्ध-आच्छादित पोवार के तीन-चार उँचगर-उँचगर ढेरी हलइ; दोसरा दने एगो पवनचक्की, जेकर बेजान बास्ट पंख (bast sails/vanes) निच्चे लटकल हलइ ।
"किला काहाँ परी हइ ?" हम अचरज से पुछलिअइ ।
"अउकी ऊ हइ" - छोटका गम्मा दने इशारा करते कोचवान उत्तर देलकइ, आउ एहे शब्द के साथ हमन्हीं ओकरा में गाड़ी से प्रवेश करते गेलिअइ । फाटक भिर हम ढलवाँ लोहा (cast iron) के एगो पुरनका तोप देखलिअइ; गल्ली सब सकेत आउ टेढ़ा-मेढ़ा हलइ; लकड़ी के बन्नल घर सब कम उँचगर आउ अधिकतर पोवार के छत वला हलइ । हम कमांडर के हियाँ चल्ले के आदेश देलिअइ, आउ एक मिनट के बाद किबित्का एगो लकड़ी के घर के सामने रुकलइ, जे एगो उँचगर जगह पर बनावल हलइ आउ लकड़िए के बन्नल एगो गिरजाघर (चर्च) के पास हलइ ।
हमरा से भेंट करे लगी कोय नयँ अइलइ । हम ड्योढ़ी में गेलिअइ आउ प्रवेश-कक्ष के दरवाजा खोललिअइ । एगो बूढ़ा अपंग सैनिक, टेबुल पर बैठल, हरियर रंग के वरदी के  केहुनी पर एगो नीला पेउँद लगाब करऽ हलइ। हम ओकरा अपन आवे के सूचना देवे के आदेश देलिअइ ।
"अंदर चल जा, बबुआ", अपंग सैनिक उत्तर देलकइ, "हमर लोग घरे पर हथुन ।"
हम एगो छोटगर साफ-सुथरा कमरा में प्रवेश कइलिअइ, जे पुराना ढंग से सजावल हलइ ।
कोना में रैक हलइ जेकरा पर बरतन सब धइल हलइ; देवाल पर काँच आउ फ्रेम में जड़ल अफसर के डिप्लोमा टँग्गल हलइ; एकर आसपास काठ ब्लॉक चित्र शोभा दे रहले हल, जेकरा में क्यूस्त्रिन आउ ओचाकोव पर कब्जा [22] के, दुलहन के चयन आउ बिलाय के दफन के भी, वर्णन हलइ । खिड़की भिर एगो बुढ़िया बैठल हलइ, जे सिर पर ओढ़नी के साथ रूईदार जैकेट में हलइ । ऊ धागा के लुंडी उघार रहले हल, जेकरा अफसर के वरदी में एगो काना बूढ़ा अपन हाथ बढ़ाके पकड़ले हलइ ।
"अपने के की चाही, बबुआ ?" अपन काम जारी रखते ऊ पुछलकइ ।
हम जवाब देलिअइ कि फौजी सेवा में अइलिअए ह आउ कप्तान महोदय के अपन ड्यूटी रिपोर्ट करे खातिर हाजिर होलिए ह, आउ ई शब्द के साथ हम काना बूढ़ा दने मुखातिब होलिअइ, ओकरा कमांडर समझते; लेकिन घर के मालकिन हमर तैयार कइल बात के बीच में टोक देलकइ ।
"इवान कुज़मिच घर पर नयँ हथुन", ऊ कहलकइ, "ऊ फ़ादर गेरासिम के हियाँ गेलथुन हँ; लेकिन एरा से कोय हर्ज नयँ, बबुआ, हम उनकर पत्नी हियो । तोहर स्वागत हको । बैठ जा, बबुआ ।"
ऊ अपन नौकरानी लड़की के बोलइलथिन आउ ओकरा सर्जेंट के बोलावे के आदेश देलथिन । बुढ़उ उत्सुकतापूर्वक अपन एक्के गो आँख से हमरा दने निहार रहले हल ।
"की हम पुच्छे के धृष्टता कर सकऽ हिअइ", ऊ कहलकइ, "कि अपने कउन रेजिमेंट में सेवा में हलथिन ?"
हम ओकर उत्सुकता के शांत कर देलिअइ ।
"आउ ई पुच्छे के धृष्टता कर सकऽ हिअइ", ऊ बात जारी रखलकइ, "कि अपने गार्ड सेना से गैरिसन (किला के रक्षक सेना) में काहे लगी आ गेलथिन ?"
हम उत्तर देलिअइ कि ई हमर वरिष्ठ अधिकारी के इच्छा हलइ ।
"शायद, कोय अइसन हरक्कत करे के चलते, जे गार्ड सेना के अफसर के शोभा नयँ दे हइ", अथक प्रश्नकर्ता बात जारी रखलकइ ।
"बहुत बकवास हो गेलो", ओकरा कप्तान के पत्नी बोललथिन, "तूँ देखऽ हो कि नौजवान सफर के मारे थक्कल हथिन; ऊ तोरा से बात करे के मूड में नयँ हथिन ... (हाथ आउ सीधा रक्खऽ ...) । आउ तूँ, हमर बबुआ", हमरा दने मुड़के बात जारी रखलथिन, "ई बात से दुखी मत होवऽ कि तोहरा हमर ई सूनसान इलाका में भेज देवल गेलो ह । तूँ न तो पहिला हकहो, आउ न आखिरी । एकर अभ्यस्त हो जइबहो त पसीन पड़े लगतो । श्वाब्रिन अलिक्सेय इवानिच के एगो अदमी के हत्या के जुर्म में हियाँ हमन्हीं हीं तबादला होल पचमा साल चल रहले ह । भगमान जाने, कइसन पाप ओकर दिमाग में घुस गेलइ; देखहो, एगो लेफ़्टेनेंट के साथ शहर के बाहर गेलइ, आउ अपन साथ में तलवार लेते गेलइ, आउ एक दोसरा के घोंपे लगी चालू कर देते गेलइ; लेकिन अलिक्सेय इवानिच तलवार घोंपके लेफ़्टेनेंट के मार देलकइ, आउ ओकरो में दू-दू गो गोवाह के सामने ! की कइल जा सकऽ हइ ? केकरो साथ अइसन अनहोनी हो सकऽ हइ ।"
तखनिएँ सर्जेंट अंदर अइलइ, जे एगो चुस्त-तन्दुरुस्त नवयुवक हलइ ।
"माक्सीमिच !" ओकरा कप्तान के पत्नी बोललथिन । "ई अफसर खातिर एगो क्वार्टर खोज देहीं, आउ हाँ, जरी साफ-सुथरा ।"
"जी, वसिलीसा इगोरोव्ना", सर्जेंट जवाब देलकइ । "की महोदय के इवान पोलिझायेव के हियाँ ठहरावल जा सकऽ हइ ?"
"अरे नयँ, माक्सीमिच", कप्तान के पत्नी कहलथिन, "पोलिझायेव के हियाँ अइसीं बहुत भीड़-भाड़ हइ; हम ओकर बुतरू के सहधर्ममाता हिअइ आउ ओकरा आद हइ कि हमन्हीं ओकर वरिष्ठ (superiors) हिअइ । अफसर महोदय के लेके जाहीं ... तोहर की नाम आउ पैतृक नाम हको, हमर बबुआ ? प्योत्र अन्द्रेइच ? ... प्योत्र अन्द्रेइच के सिम्योन कुज़ोव के हियाँ लेके जाहीं । ऊ, शैतान, अपन घोड़वा के हमर साग-सब्जी के बाग (kitchen garden) में छोड़ देलके हल । खैर, की, माक्सीमिच, सब कुछ ठीक तो हइ ?"
"भगमान के किरपा से सब कुछ ठीक हइ", कज़ाक उत्तर देलकइ, "खाली कार्पोरल प्रोख़ोरोव के एक बेसिन गरम पानी खातिर स्नानगृह में उस्तीन्या नेगुलीना के साथ झगड़ा हो गेलइ ।
"इवान इग्नातिच !" कप्तान के पत्नी अपंग बुढ़उ से कहलथिन । "प्रोख़ोरोव आउ उस्तीन्या के बीच छानबीन करहीं कि केऽ सही हइ आउ केऽ दोषी । लेकिन दुन्नु के दंड देहीं । अच्छऽ, माक्सीमिच, काम में लग जो, भगमान तोर भला करे । प्योत्र अन्द्रेइच, माक्सीमिच तोहरा अपन क्वार्टर में ले जइतो ।"
हम सिर झुकाके अभिवादन कइलिअइ आउ निकस गेलिअइ । सर्जेंट हमरा नदी के उँचगर किनारा पर बन्नल लकड़ी के एगो घर में ले गेलइ, जे किला के एकदम अंतिम छोर पर हलइ । ई घर के आधा हिस्सा में सिम्योन कुज़ोव के परिवार रहऽ हलइ, दोसरा हिस्सा हमरा देल गेलइ । ई एगो काफी साफ-सुथरा कमरा हलइ जेकरा एगो विभाजक-दीवार (partition) से दू हिस्सा में विभाजित कइल हलइ । सावेलिच ओकरा में सब समान सरियावे लगलइ; हम सकेत खिड़की से बहरसी के नजारा देखे लगलिअइ । हमर सामने उदास स्तेप फैलल हलइ । एक तरफ लकड़ी के बन्नल छोटगर-छोटगर घर हलइ; गल्ली में कइएक मुरगी घुम्मब करऽ हलइ । एगो बुढ़िया ड्योढ़ी पर खड़ी एगो कठौता लेले सुअरियन के बोलाब करऽ हलइ, जे दोस्ताना ढंग से खूँ-खूँ करके जवाब दे रहले हल । त अइकी अइसन जगह में हमरा किस्मत में अपन जवानी गुजारे के बद्दल हलइ ! अवसाद (depression) हमरा पर हावी हो गेलइ; हम खिड़की बिजुन से हट गेलिअइ आउ रात के बिन भोजन कइले सुत्ते लगी पड़ गेलिअइ, सावेलिच के नसीहत के बावजूद, जे दुख के साथ दोहराब करऽ हलइ - "हे भगमान ! कुच्छो खाय लगी नयँ चाहऽ हइ ! अगर बुतरू बेमार पड़ जाय, त मालकिन हमरा की कहथिन ?"
अगले दिन सुबह में हम अभी पोशाक पेन्हिए रहलिए हल कि दरवाजा खुललइ आउ हमर कमरा में नटगर कद के एगो नवयुवक अफसर प्रवेश कइलकइ, जेकर चेहरा सामर आउ बिलकुल कुरूप, लेकिन अत्यंत सजीव हलइ । "हमरा माफ करथिन", ऊ हमरा से फ्रेंच में बोललइ, "कि हम बिन औपचारिकता के अपने से परिचित होवे लगी आ गेलिअइ ।" कल्हे हमरा अपने के आगमन के सूचना मिललइ; कोय इंसान के चेहरा देखे के इच्छा आखिर हमरा पर एतना हावी हो गेलइ कि हमरा से रहल नयँ गेलइ । अपने ई सब समझ जइथिन, जब हियाँ परी आउ कुछ समय तक रहथिन ।"
हम अंदाज लगइलिअइ कि ई ओहे अफसर होतइ, जेकरा द्वंद्वयुद्ध के चलते गार्ड-सेना से निकास देल गेले हल। हमन्हीं तुरतम्मे परिचित हो गेते गेलिअइ । श्वाब्रिन मूर्ख व्यक्ति बिलकुल नयँ हलइ । ओकर बातचीत तीक्ष्ण आउ रोचक हलइ । ऊ बड़ी खुशी से कमांडर के परिवार के वर्णन कइलकइ, ऊ समाज आउ इलाका के जाहाँ परी हमरा भाग्य ले अइले हल । हम खुल्लल दिल से हँस रहलिए हल, जब ओहे अपंग हमर कमरा में दाखिल होलइ, जे कमांडर के प्रवेश-कक्ष में वरदी के मरम्मत करब करऽ हलइ आउ वसिलीसा इगोरोव्ना के तरफ से हमरा भोजन पर आमंत्रित कइलकइ । श्वाब्रिन स्वेच्छा से हमरा साथ अइलइ ।
कमांडर के घर भिर पहुँचते बखत हमन्हीं के एगो छोटका मैदान में लमगर केश वलन आउ तिकोना टोपी पेन्हले कोय बीस वृद्ध अपंग देखाय देलकइ । ओकन्हीं सावधान मुद्रा में कतार में लग्गल हलइ । ओकन्हीं के सामने कमांडर खड़ी हलथिन, जे साहसी आउ लमगर कद के एगो वृद्ध हलथिन, जे टोप लगइले आउ चीन से आयातित ऊनी ड्रेसिंग गाउन पेन्हले हलथिन । हमन्हीं के देखके ऊ हमन्हीं दने अइलथिन, हमरा से कुछ मधुर शब्द में बात कइलथिन आउ फेर से कवायद करावे लगलथिन । हमन्ही सब कवायद देखे लगी रुकहीं वला हलिअइ; लेकिन खुद हमन्हीं के पीछू आ जाय के वचन देते ऊ हमन्हीं के वसिलीसा इगोरोव्ना भिर जाय लगी कहलथिन । "आउ हियाँ परी", ऊ आगू बोललथिन, "अपने सब के देखे लायक कुछ नयँ हइ ।"
वसिलीसा इगोरोव्ना हमन्हीं के बड़ी सहजता आउ प्रसन्नता से स्वागत कइलथिन आउ हमरा साथ अइसन व्यवहार कइलथिन मानूँ हमरा एक अरसा से जानऽ हथिन । अपंग सैनिक आउ पलाश्का (नौकरानी) टेबुल पर खाय-पीए के समान लगाब करऽ हलइ ।
"की बात हइ कि हमर इवान कुज़मिच आझ कवायद में एतना जादे खो गेला ह !" कमांडर के पत्नी बोललथिन। "पलाश्का, मालिक के जरी भोजन पर बोलाके लाव । आउ माशा ('मारिया' के ऊनार्थक) काहाँ परी हइ ?"
तखनिएँ लगभग अठारह साल के एगो लड़की अंदर अइलइ, गोल चेहरा, गुलाबी गाल, हलका भूरा रंग के बाल, कान के पीछू निम्मन से कंघी कइल, जे (कान) शरम से लाल होल हलइ । पहला नजर में हमरा ऊ बहुत जादे पसीन नयँ पड़लइ । हम ओकरा दने पूर्वाग्रह से देखलिअइ - श्वाब्रिन ई माशा, कप्तान के बेटी, के बिलकुल बुद्धू लड़की के रूप में हमरा सामने चित्रित कइलके हल । मारिया इवानोव्ना कोना में बैठल सिलाय करे लगलइ ।
एहे दौरान पतकोबी के शोरबा परसल गेलइ । वसिलीसा इगोरोव्ना अपन पति के नयँ देखके दोबारा पलाश्का के बोलावे लगी भेजलथिन । "मालिक के कहीं — अतिथि लोग इंतजार करब करऽ हथिन, पतकोबी के शोरबा सेराब करऽ हइ; हे भगमान, कवायद कहीं भाग नयँ जइतइ; चिल्लाय के समय मिल जइतइ ।"
कप्तान जल्दीए हाजिर होलथिन, काना बुढ़उ के साथ । "ई की हइ, हमर प्यारे ?" उनका पत्नी बोललथिन । "भोजन कब के परोसल जा चुकले ह, आउ तोहर पते नयँ हको ।"
"सुनऽ वसिलीसा इगोरोव्ना", इवान कुज़मिच उत्तर देलथिन, "हम अपन ड्यूटी में व्यस्त हलिअइ - सैनिक लोग के शिक्षा देब करऽ हलिअइ ।"
"बहुत हो गेलो !" कप्तान के पत्नी एतराज कइलथिन । "ई खाली कहे के बात हइ कि सैनिक लोग के शिक्षा दे हो - ओकन्हीं कभी नयँ सीखते जा हइ, आउ न तो तोरा एकरा बारे लेशमात्र समझ में आवऽ हको । ई कहीं बेहतर होतो हल कि घर में बैठके भगमान के प्रार्थना करतऽ हल । प्रिय अतिथिगण, टेबुल भिर अइते जाथिन।"
हमन्हीं भोजन पर बैठ गेते गेलिअइ । वसिलीसा इगोरोव्ना एक्को मिनट चुप नयँ रहलथिन आउ हमरा पर प्रश्न के झड़ी लगा देलथिन — केऽ हमर माता-पिता हथिन, की उनकन्हीं अभी जीवित हथिन, काहाँ रहऽ हथिन आउ उनकन्हीं के केतना संपत्ति हइ ? ई सुनके कि हमर पिताजी के पास तीन सो भूदास (बंधुआ मजूर) किसान हइ, ऊ बोल उठलथिन - "सच ! मतलब दुनियाँ में धनाढ्य लोग हथिन ! लेकिन हमन्हीं पास तो, हमर बबुआ, एक्के गो नौकरानी लड़की हइ, आउ भगमान के किरपा से नीके-सुखे रहऽ हिअइ । एक्के गो विपत्ति हइ - माशा, जे शादी लायक हो गेले ह, लेकिन ओकरा पास दहेज लगी कीऽ हइ ? एगो कंघी, आउ एगो बढ़नी, आउ एगो आल्तिन (तीन कोपेक के सिक्का) नगद पैसा (भगमान हमरा क्षमा करथिन !), जेकरा से स्नानगृह जाल जा सकऽ हइ । निम्मन बात होतइ, अगर कोय भला अदमी मिल जइतइ; नयँ तो जिनगी भर कुँआरी बैठल रहत ।"
हम मारिया इवानोव्ना दने तकलिअइ; ऊ शरम से बिलकुल लाल हो गेले हल आउ लोरो ओकर प्लेट में ढुलक पड़ले हल । हमरा ओकरा पर तरस अइलइ, आउ हम बातचीत के विषय बदले में शीघ्रता कइलिअइ ।
"हम सुनलिअइ", हम काफी अप्रासंगिक रूप में कहलिअइ, "कि अपने के किला पर बश्कीर लोग हमला करे के जुगाड़ में हइ ।"
"केकरा से, बबुआ, ई बात सुन्ने के किरपा कइलहो ?" इवान कुज़मिच पुछलथिन ।
"ओरेनबुर्ग में लोग कहते गेलइ", हम उत्तर देलिअइ ।
"बकवास हइ !" कमांडर बोललथिन । "हमन्हीं तो एक अरसा से कुच्छो नयँ सुनलिअइ । बश्कीर लोग भयभीत हइ, आउ किर्गिज़ लोग के सबक सिखा देवल गेले ह । शायद हमन्हीं से पंगा नयँ लेते जइतइ; आउ अगर पंगा लेतइ, त हम अइसन धमकी देबइ कि दस बरिस तक चूँ नयँ करते जइतइ ।"
"आउ अपने के अइसन खतरा भरल किला में रहे में", कप्तान के पत्नी के संबोधित करते हम बात जारी रखलिअइ, "भय तो नयँ लगऽ हइ न ?"
"आदत हो गेले ह, हमर बबुआ", ऊ उत्तर देलथिन । "लगभग बीस बरिस हो चुकले ह जब हमन्हीं के रेजिमेंट से हियाँ तबादला कर देल गेले हल, आउ भगमान जाने हम ई अभिशप्त काफिर लोग से केतना डरऽ हलिअइ! जइसीं हमरा ओकन्हीं के बन-बिलाड़ के टोपी पर नजर पड़इ, आउ ओकन्हीं के चिल्लाहट सुनाय देइ, त विश्वास करहो, बबुआ हमर, कि दिल के हद्दस से जइसे हम मर जइअइ ! लेकिन अब हम अइसन अभ्यस्त हो गेलिए ह कि हम जगह से हिलवो नयँ करऽ हिअइ, अगर कोय आके कहऽ हइ कि दुष्ट लोग किला के आसपास घूम-फिर रहले ह ।"
"वसिलीसा इगोरोव्ना एगो डीड़ (साहसी) महिला हथिन", श्वाब्रिन शान से टिप्पणी कइलकइ । "इवान कुज़मिच एकर गोवाही दे सकऽ हथिन ।"
"हाँ, सुन्नऽ हो", इवान कुज़मिच बोललथिन, "ई औरत कायर नयँ हथिन ।"
"आउ मारिया इवानोव्ना ?" हम पुछलिअइ, "अपनहीं नियन डीड़ हथिन ?"
"माशा आउ डीड़ ?" ओकर माय उत्तर देलथिन । "नयँ, माशा तो डरपोक हइ । अभियो तक राइफल से गोली चल्ले के अवाज नयँ सुन सकऽ हइ - ओकर पूरा देह काँपे लगऽ हइ । आउ दू साल पहिले इवान कुज़मिच के हमर नामकरण के दिन की सुझलइ कि हमन्हीं के तोप से सलामी देलवा देलथिन, त ई हमर बुतरू भय से आतंकित होके मरते-मरते बच्चल । तहिया से ई अभिशप्त तोप से कभी फ़ायर नयँ करते जा हिअइ ।"
हम सब टेबुल भिर से उठते गेलिअइ । कप्तान अपन पत्नी के साथ सुत्ते चल गेलथिन; आउ हम श्वाब्रिन हीं चल गेलिअइ, जेकरा साथ पूरा शाम बितइलिअइ ।

  
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