अन्तिम
दृश्य
(ओहे सब आउ सशस्त्र
सिपाही)
सशस्त्र
सिपाही - (प्रवेश करके घोषणा करऽ हइ) सम्राट्
के आज्ञानुसार पितिरबुर्ग से आवल अधिकारी अपने सब के खुद के हियाँ अभिए उपस्थित होवे
के आदेश देलथिन हँ । ऊ सराय में ठहरल हथिन ।
(ई घोषित शब्द, सब के वज्राघात नियन स्तब्ध
कर दे हइ । आश्चर्य के चीख महिला लोग के मुख से समवेत स्वर में निकस जा हइ; पूरा समूह
अचानक अपन मुद्रा बदलके पत्थल नियन निश्चेष्ट हो जा हइ ।)
मूक
दृश्य
[मेयर बिच्चे में खंभा नियन खड़ी, बाँह
पूरा फैलल आउ सिर पीछू दने झुक्कल । उनकर दहिना बाँह दने उनकर पत्नी आउ बेटी, समुच्चा
देह उनका दने झुक्कल; ओकन्हीं के पीछू में प्रश्नात्मक मुद्रा में दर्शक लोग तरफ मुँह
कइले पोस्टमास्टर; ओकरा पीछू बिलकुल निर्दोष तरीका से किंकर्त्तव्यविमूढ़ मुद्रा में
(स्कूल इंस्पेक्टर) लुका लुकीच; ओकरा पीछू मंच के आखिरी छोर पर तीन महिला अतिथि, एक
दोसरा दने झुक्कल आउ सीधे मेयर परिवार के तरफ संकेत करते, चेहरा के अत्यंत व्यंग्यात्मक
मुद्रा में । मेयर के बामा दने - (अनुदान संस्था के न्यासी) ज़िम्ल्यानिका, अपन सिर
जरी झुकइले, मानूँ कोय बात चुपके से सुन्ने के कोशिश में; ओकरा पीछू हाथ फैलइले जज, लगभग जमीन तक चुक्को-मुक्को बैठल, आउ होंठ हिलइते,
मानूँ सीटी बजावे चाहे ई कहे लगी चाह रहल होवे - "अइकी मम्मा (दादी), तोरा लगी
सेंट जॉर्ज के दिन (अर्थात् छुट्टी / त्योहार के दिन) हको !" ओकर पीछू में दर्शक
दने मुँह कइले कोरोब्किन, मेयर तरफ व्यंग्यात्मक संकेत के साथ एक आँख मिचकइते; ओकर
पीछू मंच के आखिरी छोर पर बोबचिन्स्की आउ दोबचिन्स्की, एक दोसरा तरफ बाँह बढ़इले, मुँह
बइले आउ एक दोसरा दने आँख फाड़के देखते । दोसर अतिथिगण खाली खंभा नियन खड़ी । लगभग डेढ़
मिनट तक स्तंभित दल अइसने मुद्रा बनइले रहऽ हइ । परदा गिर जा हइ ।]
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समाप्त –
नाटक
लिखना समाप्त - 4 दिसंबर 1835
प्रथम
मंचन - 19 अप्रैल 1836, अलिक्सांद्रिन्सकी थियेटर, पितिरबुर्ग
प्रथम
प्रकाशित - 1836
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