01 Sep 2011, 07:51 pm
जमशेदपुर, जागरण कार्यालय : भोजपुरी, मैथिली व मगही को राज्य की द्वितीय राजभाषा का दर्जा नहीं दिये जाने को लेकर विरोधके स्वर मुखर होने लगे हैं। गुरुवार को भोजपुरिया बयार की बैठक में दीपक कुमार ने कहा कि झारखंड सरकार की ओर से 11 जनजातीय भाषाओं को द्वितीय राजभाषा का दर्जा दिया जाना सराहनीय है, लेकिन भोजपुरी, मैथिली व मगही भाषा-भाषियों के साथ अन्याय किया गया है। बैठक की अध्यक्षता करते हुए बेयार के राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेश कुमार ने सरकार को चेताते हुए कहा कि समय रहते न्याय नहीं हुआ तो बेयार के लोग सड़कों पर उतरेंगे।
मुख्यमंत्री को सौंपा ज्ञापन
अखिल विश्व भोजपुरी विकास मंच के संयोजक प्रदीप सिंह के नेतृत्व में मुख्यमंत्री को सौंपे गए पत्र में कहा गया है कि दो सितंबर को विधानसभा में आने वाले प्रस्तावित बिल में भोजपुरी को शामिल नहीं किया गया तो सरकार के खिलाफ में मोर्चा खोला जाएगा। प्रदीप के साथ मिथिलेश श्रीवास्तव, शशिभूषण मिश्रा, रंजन दुबे, जगदीश मिश्रा, राजेश रसिक, ललित पांडेय, शंभु सिंह, नरेन्द्र कुमार, उषा सिंह, पंचानन सिंह आदि शामिल थे। उधर, जुगसलाई कार्यालय में राष्ट्रीय भोजपुरी मंच की बैठक में भी भोजपुरी, मैथिली व मगही को राज्य की द्वितीय राजभाषा बनाने की मांग की गई। संस्थान के महासचिव कवलेश्वर पांडेय ने इसके लिए सभी संगठनों को एकजुट होकर आंदोलन के लिए तैयार रहने का आह्वान किया। वहीं अन्तरराष्ट्रीय मैथिली परिषद की ओर से झारखंड विधानसभा अध्यक्ष को पत्र प्रेषित कर मैथिली भाषा के साथ न्याय करते हुए इसे द्वितीय राजभाषा का दर्जा दिये जाने की मांग की गयी है।
बाद में कैबिनेट ने संताली और बांग्ला को द्वितीय राजभाषा का दर्जा देने पर सहमति जताई थी। मंगलवार को कैबिनेट ने उर्दू को छोड़ अन्य सभी 11 भाषाओं को विधेयक के रूप में विधानसभा में दो अगस्त को पेश करने संबंधी प्रारूप पर भी मंजूरी दे दी।
जिन भाषाओं को द्वितीय राजभाषा का दर्जा दिए जाने का प्रस्ताव कैबिनेट ने मंजूर किया है, उनमें संताली, मुंडारी, हो, खरिया, कुड़ुख (उरांव), नागपुरी, कुरमाली, खोरठा, पंचपरगनिया, उड़िया और बांग्ला शामिल हैं। कैबिनेट ने विधानसभा के इसी मानसून सत्र में इस विधेयक को पेश करने का भी फैसला किया है।
11 और भाषाएं बनीं द्वितीय राजभाषा
31 August 2011
रांची : राज्य मंत्रिपरिषद ने मंगलवार को बांग्ला, ओड़िया और नौ क्षेत्रीय जनजातीय भाषाओं संताली, मुंडारी, हो, खड़िया, कुड़ुख (उरांव), कुरमाली, खोरठा, नागपुरी, पंचपरगनिया को द्वितीय राजभाषा का दरजा देने का फैसला किया.
इससे संबंधित विधेयक दो सितंबर को विधानसभा में पेश किया जायेगा. उर्दू पहले से ही राज्य का द्वितीय राजभाषा है. अब कुल12 भाषाओं को यह दरजा प्राप्त होगा.
9 जनजातीय भाषाएं बनी द्वितीय राजभाषा
Source: भास्कर न्यूज | Last Updated 03:18(31/08/11)
रांची। राज्य मंत्रिपरिषद ने मंगलवार को झारखंड की सभी नौ जनजातीय भाषाओं को द्वितीय राजभाषा का दर्जा दिए जाने के प्रस्ताव पर मंजूरी दे दी। सबसे पहले राज्य सरकार ने उर्दू को द्वितीय राजभाषा का दर्जा दिया था।
बाद में कैबिनेट ने संताली और बांग्ला को द्वितीय राजभाषा का दर्जा देने पर सहमति जताई थी। मंगलवार को कैबिनेट ने उर्दू को छोड़ अन्य सभी 11 भाषाओं को विधेयक के रूप में विधानसभा में दो अगस्त को पेश करने संबंधी प्रारूप पर भी मंजूरी दे दी।
जिन भाषाओं को द्वितीय राजभाषा का दर्जा दिए जाने का प्रस्ताव कैबिनेट ने मंजूर किया है, उनमें संताली, मुंडारी, हो, खरिया, कुड़ुख (उरांव), नागपुरी, कुरमाली, खोरठा, पंचपरगनिया, उड़िया और बांग्ला शामिल हैं। कैबिनेट ने विधानसभा के इसी मानसून सत्र में इस विधेयक को पेश करने का भी फैसला किया है।
No comments:
Post a Comment