कालापानी
(साइबेरिया में जेल के जिनगी)
भाग-2; अध्याय-9: पलायन
हमन्हीं
के मेजर के बदली के तुरते बाद हमन्हीं के जेल में कायापलट हो गेलइ । कठोर श्रम समाप्त
कर देल गेलइ आउ एकर बदले रूसी अनुशासनात्मक कंपनी के आधार पर मिलिट्री विभाग के अनुशासनात्मक
कंपनी के स्थापना कइल गेलइ । एकर मतलब हलइ, कि कातोर्गा के द्वितीय वर्ग के निर्वासित
हमन्हीं के जेल में अब नयँ भेजल जा हलइ । अब ई समय से खाली बस मिलिट्री विभाग के कैदी
लोग के रक्खल जाय लगी शुरू होलइ, मतलब, अइसन लोग के, जेकरा सिविल अधिकार से वंचित नयँ
कइल जा हलइ, बाकी सब्भे सैनिक नियन ओइसने सैनिक के, जेकरा अल्प अवधि लगी दंड सुनावल
रहऽ हलइ (अधिकतम छो साल तक) आउ जेल से मुक्ति के बाद फेर से अपन बटालियन में जवान
(सामान्य सैनिक, प्राइवेट) के रूप में योगदान करे वला हलइ, जइसन कि जेल में आवे के
पहिले हलइ । लेकिन, दोसरा तुरी अपराध करके जेल में वापिस आवे वला के, पहिलहीं नियन,
बीस साल लगी दंडित कइल जा हलइ । हमन्हीं हीं, लेकिन, ई बदलाव के पहिलहूँ मिलिट्री वर्ग के कैदी के विभाग हलइ, लेकिन ओकन्हीं हमन्हीं साथ
रहऽ हलइ, काहेकि ओकन्हीं लगी अलगे कोय जगह नयँ हलइ । अब तो समुच्चा जेल ई मिलिट्री
वर्ग के हो गेलइ । जाहिर हइ, पहिलौका कातोर्गा कैदी, असली सिविल कातोर्गा कैदी, जे
अपन सब अधिकार से वंचित, आउ जेकर निरार पर दागल छाप, आधा सिर मूँड़ल हलइ, ओकन्हीं अपन
अवधि पूरा करे तक जेल में रहलइ; नयका कैदी नयँ आवऽ हलइ, आउ रह गेल लोग धीरे-धीरे अपन
अवधि पूरा करके चल गेते गेलइ, आउ फलस्वरूप दस साल के बाद हमन्हीं के जेल में एक्को
कैदी नयँ रहलइ । विशेष विभाग भी जेल में रह गेलइ, आउ समय-समय पर अभियो मिलिट्री विभाग
के गंभीर अपराधी लोग के हियाँ भेजल जा हलइ, जब तक कि साइबेरिया में सबसे कठोर श्रम
वला काम के स्थापना नयँ होलइ । ई तरह, हमन्हीं लगी जिनगी असल में पहिलहीं नियन चलते
रहलइ - ओहे रहन-सहन, ओहे काम-काज, आउ लगभग ओहे नियम-कानून, खाली प्रशासन बदल गेलइ आउ
अधिक जटिल हो गेलइ । एगो स्टाफ-अफसर के नियुक्ति होलइ, कंपनी कमांडर आउ एकरा अलावे,
चार अधीनस्थ अफसर (subalterns), जे बारी-बारी से जेल में ड्यूटी पर रहऽ हलइ । अपंग
सैनिक के भी रखना समाप्त कर देल गेलइ; ओकन्हीं के स्थान पर बारह सर्जेंट आउ एगो क्वाटर
मास्टर (भंडारी) स्थापित कइल गेलइ । दस-दस गो के समूह बनावल गेलइ, खास कैदिए लोग में
से कार्पोरल नियुक्त कइल गेलइ, जाहिर हइ, खाली नाममात्र लगी, आउ निस्संदेह अकीम अकीमिच
तुरतम्मे कार्पोरल बन गेलइ । ई पूरा संस्थापन (establishment ) सब्भे रैंक (पद) आउ
कैदी के साथ पूरा जेल पहिलहीं नियन एगो उच्चपदस्थ प्राधिकारी के रूप में कमाण्डेंट
के अधीन विभाग में रह गेलइ । बस एहे एतना होलइ । जाहिर हइ, कैदी शुरू-शुरू में बहुत
उत्तेजित होलइ, नयकन प्राधिकारी के बारे चर्चा करते गेलइ, अंदाज लगइते गेलइ आउ समझे
के कोशिश कइलकइ; लेकिन जब देखते गेलइ, कि असल में सब कुछ पहिलहीं नियन रह गेलइ, त तुरतम्मे
शांत हो गेते गेलइ, आउ हमन्हीं के जिनगी पुरनके ढंग से चल्ले लगलइ । लेकिन मुख्य बात
ई हइ, कि सब कोय के पहिलौका मेजर से मुक्ति मिल गेले हल; सब कोय मानूँ चैन के साँस
लेलकइ आउ उत्साहित हो गेलइ । भयभीत मुद्रा लुप्त हो गेलइ; हरेक कोय अब जानऽ हलइ, कि
गरज पड़ला पर प्राधिकारी के साथ साफ-साफ बतियाऽ सकऽ हलइ, कि दोषी के बदले निर्दोष के
दंडित खाली गलती से ही कइल जा सकऽ हलइ । वोदका (दारू) भी हमन्हीं हीं पहिलहीं नियन
ठीक ओइसीं आउ ओहे आधार पर बेचल जा हलइ, ई बात के बावजूद कि पहिलौका अपंग सैनिक के स्थान
पर सर्जेंट के रक्खल गेले हल । ई सर्जेंट अधिकांश में सदाचारी आउ समझदार निकसलइ, जे
अपन स्थिति समझऽ हलइ । ओकन्हीं में से कुछ, लेकिन, शुरू-शुरू में अकड़ देखइलकइ, आउ वस्तुतः
अनुभव नयँ रहला के चलते, कैदी लोग से सैनिक नियन व्यवहार करे के सोचलकइ । लेकिन जल्दीए
ई लोग के समझ में आ गेलइ, कि बात की हइ । दोसर लोग के, जे बहुत देर तक नयँ समझ पइलकइ,
खुद कैदी लोग मामला के सार समझइलकइ । कुछ काफी तीक्ष्ण मुठभेड़ होवइ - मसलन, (कैदी लोग)
सर्जेंट के फुसलाके दारू पिला देइ आउ ओकर बाद ओकरा बतावइ, जाहिर हइ, अपन मित्रमंडली
नियन, कि ऊ ओकन्हीं साथ पिलकइ, आउ फलस्वरूप ... आउ अंत अइसन होलइ, कि सर्जेंट लोग भावशून्य
होके देखइ, चाहे बेहतर कहल जाय, नयँ देखे के ढोंग करइ, जब ब्लैडर के ब्लैडर वोदका तस्करी
करके लावल आउ बेचल जाय । एतने नयँ - पहिलौकन अपंग सैनिक नियन, ओकन्हीं बजार जाय आउ
कैदी लगी कलाची, बीफ़ आउ बाकी सब कुछ लावइ, मतलब ऊ सब कुछ करइ, जे बिन कोय बड़गो लाज-शरम
के कइल जा सकइ । काहे लगी ई सब बदलाव कइल गेलइ, काहे लगी अनुशासनात्मक कंपनी स्थापित
कइल गेलइ, हमरा नयँ मालूम । ई सब हमर जेल के अंतिम साल (years) में होलइ । लेकिन ई
नयका नियम-कानून के अंतर्गत हमरा अभियो दू साल आउ गुजारे के भाग्य में लिक्खल हलइ
...
की
जेल में ई सारी जिनगी, हमर सब्भे साल के वर्णन करहीं के चाही ? हम तो अइसन नयँ सोचऽ
हिअइ । अगर क्रम से, लगातार बिन कुच्छो छोड़ले, सब कुछ, जे घटलइ आउ हम देखलिअइ आउ ई
सब साल के दौरान अनुभव कइलिअइ, त जाहिर हइ, अभी तक जेतना लिक्खल गेलइ ओकर अपेक्षा आउ
तीन-चार गुना जादे अध्याय लिख सकऽ हिअइ । लेकिन अइसन वर्णन नयँ चाहतहूँ आखिरकार बहुत
नीरस हो जइतइ । सब साहसिक कार्य बस एक्के रस (तान) में बाहर अइतइ, खास करके अगर पाठक,
जे कुछ अध्याय लिक्खल जा चुकले ह, ओकरा से दोसरा दर्जा के जेल के जिनगी के बारे, बल्कि
कुछ तो, संतोषजनक धारणा बना चुकला ह । हमन्हीं के समुच्चे जेल आउ ई पूरे अवधि के दौरान
रहके जे कुछ हम अनुभव कइलिअइ, ओकरा एक सुस्पष्ट आउ सजीव (graphic and vivid) चित्र
प्रस्तुत करे के हमर इच्छा हलइ । ई लक्ष्य हम उपलब्ध कर पइलिअइ कि नयँ, हमरा मालूम
नयँ । आउ आंशिक रूप से एकरा बारे हमरा निर्णय करे के भी नयँ हइ । लेकिन हम आश्वस्त
(convinced) हिअइ, कि हियाँ पर हम समाप्त कर सकऽ हिअइ । एकरा अलावे, हम खुद्दे कभी-कभी
अइसन स्मृति से ऊब जा हूँ । आउ मोसकिल से हम सब कुछ आद कर सकऽ हकूँ । बाद के साल कइसूँ
हमर स्मृति से लुप्त हो गेलइ । कइएक परिस्थिति, हम एकरा बारे आश्वस्त हिअइ, कि हम बिलकुल
भूल गेलिए ह । हमरा आद हइ, मसलन, कि सब ई साल, जे असल में एक दोसरा से एतना एक नियन
हइ, सुस्त रूप से, अवसादपूर्वक, गुजर गेलइ । आद हइ, कि ई लमगर, ऊबाऊ दिन एतना एकरस
(monotonous) हलइ, जइसे बारिस के बाद छत से बून-बून टपकइत पानी । आद हइ, कि बस खाली
पुनरुद्धार, नवीकरण, नयका जिनगी के भावपूर्ण कामना हमरा प्रतीक्षा आउ आशा करे के शक्ति
दे हलइ । आउ हम आखिरकार खुद पर काबू पा लेलिअइ - हम प्रतीक्षा कइलिअइ, हम हरेक दिन
के गिनलिअइ, आउ ई बात के बावजूद, कि ऊ एक हजार रह गेले हल, एक-एक करके हम खुशी से गिनती
कइलिअइ, गुजारके अलविदा कइलिअइ, ओकरा दफन कइलिअइ आउ दोसरा दिन अइला पर खुश होलिअइ,
कि अब हजार दिन नयँ रह गेल ह, बल्कि नो सो निनानबे । आद हइ, कि ई पूरे अवधि के दौरान,
सैकड़ो साथी रहला के बावजूद, हम भयंकर एकाकीपन में हलिअइ, आउ आखिरकार हमरा ई एकाकीपन
से प्यार हो गेलइ । मानसिक रूप से अकेला, हम अपन पिछलौका पूरे जिनगी पर पुनर्विचार
कइलिअइ, अंतिम छोटगर से छोटगर विवरण के हद तक गेलिअइ, अपन अतीत पर गंभीरतापूर्वक विचार
कइलिअइ, निर्विवाद रूप से आउ कठोरतापूर्वक खुद के आकलन कइलिअइ आउ कभी-कभी अपन भाग्य
पर ई बात लगी नितराऽ हलिअइ, कि ऊ हमरा एकाकीपन भेजलक, जेकरा बेगर हम खुद के आकलन, आउ
अपन पहिलौका जिनगी पर ई कठोर पुनर्विचार नयँ कर पइतिए हल । आउ कइसन आशा के साथ हमर
दिल तखने धड़कऽ हलइ ! हम सोचलिअइ, हम निर्णय कइलिअइ, हम संकल्प कइलिअइ, कि अब भावी जिनगी
में ऊ गलती, ऊ पतन नयँ होतइ, जे पहिले हलइ । हम पूरे भविष्य खातिर कार्यक्रम के रूपरेखा
बनइलिअइ आउ कठोरता के साथ एकर अनुसार चल्ले के निर्णय कइलिअइ । हमरा में अंधविश्वास
पैदा होलइ, कि हम ई सब के पूरा करबइ आउ पूरा कर सकऽ हिअइ ... हम इंतजार कइलिअइ, हम
जल्दी से जल्दी अजादी के कामना कइलिअइ; हम खुद के फेर से जाँचे लगी चहलिअइ, नयका संघर्ष
में । कभी-कभी उत्तेजक अधीरता हमरा पर हावी हो जाय ... लेकिन ऊ बखत के हमरा अपन आत्मा
के स्थिति के बारे आद अइला पर कष्ट होवऽ हइ । वास्तव में, ई सब खाली हमरे से संबंध
रक्खऽ हइ ... लेकिन हम ई कारण से ई लिखलिअइ, कि हमरा लगऽ हइ, कि हरेक कोय ई बात के
समझ जइतइ, काहेकि हरेक के साथ अइसने घट सकऽ हइ, अगर ऊ अपन पुष्पमय यौवन आउ शक्ति के
अवस्था में कुछ अवधि लगी जेल के चक्कर में फँस जा हइ ।
लेकिन
एकरा में की हइ ! ... बेहतर कुछ आउ बात कहिअइ, ताकि बहुत अचानक समाप्ति नयँ होबइ ।
हमर
दिमाग में अइलइ, कि, शायद, कोय पूछ सकऽ हइ - की वास्तव में जेल से केकरो पलायन करना
असंभव हलइ आउ ई कइएक साल के पूरे अवधि में हमन्हीं हीं कोय नयँ पलायन कइलकइ ? हम पहिलहीं
लिख चुकलिए ह, कि कैदी, जे जेल में दू-तीन साल गुजार चुकले ह, ई गुजारल साल के महत्त्व
देवे लगऽ हइ, आउ जाने-अनजाने ई निर्णय पर पहुँचऽ हइ, कि बेहतर एहे होतइ कि बिन कोय
हरक्कत के, बिन कोय खतरा उठइले, बाकी अवधि के जेल में गुजार लेल जाय आउ आखिरकार कानूनी
तौर पे आवासन (settlement) पर जेल से बाहर जाल जाय ।
लेकिन
अइसन हिसाब-किताब के बात खाली ओइसन कैदी के दिमाग में घुस्सऽ हइ, जेकरा लमगर अवधि लगी
नयँ भेजल गेले ह । लमगर अवधि वला प्रेषित कैदी, शायद, जोखिम उठावे लगी तैयार हो जा
हइ ... लेकिन हमन्हीं हीं कइसूँ अइसन घटना नयँ होवऽ हलइ । मालूम नयँ, लोग बहुत जादे
डरऽ हलइ, कि पहरा खास करके सख्त हलइ, मिलिट्री, कि हमन्हीं के शहरी इलाका कइएक तरह
से अनुकूल नयँ हलइ (स्तेप पर, खुल्लल) - कहना मोसकिल हइ । हमरा लगऽ हइ, ई सब्भे कारण
के अपन-अपन असर हलइ । असल में, हमन्हीं हीं से पलायन करना जरी मोसकिल हलइ । आउ तइयो
हमरा हुआँ रहते अइसन एक घटना घटलइ - दूगो जोखिम उठइलकइ, आउ ओहो सबसे महत्त्वपूर्ण अपराधी
लोग में से भी ...
मेजर
के बदली के बाद आ-व (ऊ, जे ओकरा लगी जेल में गुप्तचर के काम करऽ हलइ) बिलकुल अकेला
हो गेलइ, बिन संरक्षण के । ऊ अभियो बहुत कम उमर के नौजवान हलइ, लेकिन ओकर चरित्र समय
के साथ मजबूत आउ स्थापित होते गेलइ । सामान्य रूप से ई एगो साहसी, दृढ़संकल्प आउ बहुत
चलाक अदमी भी हलइ । ऊ बल्कि गुप्तचरी के काम आउ तरह-तरह के भूमिगत (underground) तरीका
से अपन धंधा जारी रखते हल, अगर ओकरा स्वतंत्रता देल जइते हल, लेकिन पहिले नियन ऊ अभी
ओतना बेवकूफी आउ अदूरदर्शिता से नयँ पकड़इते हल, आउ अपन बेवकूफी के चलते कठोर श्रम के
दंड भुगतलकइ । हमन्हीं हीं ऊ आंशिक रूप से नकली पासपोर्ट बनवावे के धंधा करऽ हलइ ।
लेकिन हम दृढ़तापूर्वक नयँ बोलऽ हिअइ । अइसन बात हम कैदी लोग से सुनलिए हल । लोग बोलते
जा हलइ, कि ऊ अइसन तरह के काम करऽ हलइ, तभियो जबकि ऊ मेजर के हियाँ भनसाघर जा हलइ,
आउ जाहिर हइ, आउ एकरा से यथाशक्ति पइसा बना ले हलइ । एक शब्द में, ऊ, लगऽ हइ, अपन किस्मत
बदले लगी सब कुछ कर सकऽ हलइ । हमरा ओकर आत्मा के समझे के अवसर मिललइ - ओकर सनक घृणाजनक
धृष्टता के हद तक, सबसे भावशून्य उपहास के हद तक पहुँच गेले हल आउ अदम्य घृणा उत्पन्न
करऽ हलइ । हमरा लगऽ हइ, कि अगर ओकरा एक श्कालिक (गिलास) दारू पीए के बहुत मन करते हल
आउ अगर केकरो गला रेतले बेगर कउनो दोसर तरीका से श्कालिक प्राप्त करना संभव नयँ होते
हल, त ऊ पक्का गला रेत देते हल, अगर खाली एकरा एकांत में करना संभव होते हल, ताकि कोय
एकरा बारे जान नयँ सकइ । जेल में ऊ गणना करना सिखलके हल । एहे अदमी के तरफ विशेष विभाग
के कैदी कुलिकोव के ध्यान आकृष्ट होलइ ।
कुलिकोव
के बारे हम पहिलहीं उल्लेख कर चुकलिए ह । अदमी ऊ अभी नौजवान नयँ हलइ, लेकिन जोशीला,
जीवनशक्तिसंपन्न, शक्तिशाली, असाधारण आउ कइएक तरह के क्षमता वला हलइ । ओकरा में शक्ति
हलइ, आउ ओकरा अभियो जीए के इच्छा हलइ; अइसन लोग के बहुत जादे बुढ़ारी तक जीए के मन करऽ
हइ । आउ अगर हम ई बात के अचरज करे लगतिए हल, कि हमन्हीं हीं लोग काहे नयँ पलायन करऽ
हइ, त, जाहिर हइ, हमरा सबसे पहिले कुलिकोव पर अचरज होते हल । लेकिन कुलिकोव मन ठान
लेलकइ । ओकन्हीं दुन्नु में से केक्कर केकरा पर अधिक प्रभाव हलइ - आ-व के कुलिकोव पर,
कि कुलिकोव के आ-व पर ? - हमरा मालूम नयँ, लेकिन दुन्नु एक दोसरा के योग्य हलइ आउ ई
काम लगी परस्पर उचित लोग हलइ । ओकन्हीं दोस्त बन गेलइ । हमरा लगऽ हइ, कि कुलिकोव के
आशा रहऽ हलइ, कि आ-व पासपोर्ट तैयार करतइ । आ-व उच्चकुलीन वर्ग से हलइ, निम्मन समाज
से - ई पृष्ठभूमि भावी साहसिक कार्य में कोय विविधता के पूर्वलक्षण हलइ, खाली बस रूस
वापिस पहुँच जाय । केऽ जानऽ हइ, ओकन्हीं कइसे तैयारी करते गेलइ आउ कइसन-कइसन ओकन्हीं
के आशा हलइ; लेकिन, ई पक्का हलइ, कि ओकन्हीं के आशा सामान्य रूटीन साइबेरिया के अवारापन
से कहीं पृथक् हलइ। कुलिकोव एगो जन्मजात अभिनेता हलइ, जिनगी में से कइएक आउ तरह-तरह
के भूमिका चुन सकऽ हलइ; बहुत कुछ आशा कर सकऽ हलइ, कम से कम विविधता के आधार पर । अइसन
लोग खातिर जेल के दमनकारी होवे के चाही हल । ओकन्हीं पलायन करे के निश्चय कइलकइ ।
लेकिन
बिन मार्गरक्षी के पलायन करना असंभव हलइ । खुद के साथ मार्गरक्षी के मिला लेवे खातिर
ओकरा मनाना आवश्यक हलइ । किला में अवस्थित बटालियन में से एक में एगो पोलिस्तानी काम
करऽ हलइ - ऊर्जावान अदमी, आउ शायद, बेहतर किस्मत के लायक, वइसगर हो चुकल, दुस्साहसी,
गंभीर । युवावस्था में, साइबेरिया में सेवा करे लगी अइला के तुरते बाद, अपन मातृभूमि
के प्रति गहरा आसक्ति के चलते पलायन कर गेलइ । ओकरा पकड़ लेल गेलइ, दंडित कइल गेलइ आउ
दू साल लगी अनुशासनात्मक कंपनी में रक्खल गेलइ । जब ओकरा फेर सैनिक के रूप में वापिस
भेजल गेलइ, त ऊ सोच-विचारके अपन राय बदल लेलकइ आउ अपन पूरा जोर लगाके उत्साहपूर्वक
काम करे लगलइ । ओकर उत्कृष्ट सेवा के चलते ओकरा कारपोरल बना देल गेलइ। ई महत्त्वाकांक्षी
आउ आत्म-विश्वासी अदमी हलइ आउ अपन योग्यता जानऽ हलइ । ऊ अपन योग्यता जानहीं वला नियन
देखाय दे हलइ, आउ बोलऽ हलइ । कइएक साल में मार्गरक्षी के बीच ओकरा से कइएक तुरी हम
मिललिअइ । हमरा कुछ तो ओकरा बारे पोलिस्तानी लोग भी बतइलकइ । हमरा लगलइ, कि ओकरा में
पहिलौका (गृहासक्ति के चलते) अवसाद एगो गुप्त, अंधा आउ शाश्वत घृणा में बदल गेलइ ।
ई अदमी सब कुछ के साहस कर सकऽ हलइ, आउ ओकरा साथी के रूप में चुन्ने में कुलिकोव के
कोय गलतफहमी नयँ होले हल । ओकर उपनाम (पारिवारिक नाम) कोलर हलइ । ओकन्हीं तैयारी कइलकइ
आउ दिन निश्चित कइलकइ । ई घटना जून महिन्ना, झरक वला दिन में घटलइ । जलवायु ई शहर में
काफी नियमित हइ; ग्रीष्मकाल में मौसम स्थिर रहऽ हइ, गरम - आउ एहे अवारा लोग लगी अनुकूल
होवऽ हइ । जाहिर हइ, ओकन्हीं सीधे किला से पलायन नयँ कर सकऽ हलइ - पूरा शहर उँचगर जगह
पर अवस्थित आउ चारो दने से खुल्लल हइ । चारो दने काफी दूर भूभाग में कोय जंगल नयँ हइ
। (जेल के पोशाक) बदलके सामान्य पोशाक में होवे के जरूरत हलइ, आउ एकरा लगी पहिले उपनगरीय
क्षेत्र (outskirts) में पहुँचे के चाही हल, जाहाँ परी कुलिकोव के बहुत लम्मा समय से
अड्डा हलइ । मालूम नयँ, उपनगरीय क्षेत्र में ओकर दोस्त लोग पूरा गुप्त रूप में हलइ
कि नयँ । ई माने पड़ऽ हइ, कि हलइ, हलाँकि बाद में, मोकदमा के बखत, ई बिलकुल साफ नयँ
होलइ । ई साल उपनगरीय क्षेत्र के एक कोना में अभी-अभी अपन पेशा चालू कइलके हल एगो नौजवान
आउ बहुत सुंदर, वानका-तानका उपनाम (nickname) के एगो लड़की, जे बड़गो आशा देलइलके हल
आउ आंशिक रूप से ओकरा बाद में पूरा भी कइलके हल । ओकरा "आग" कहके भी पुकारल
जा हलइ । लगऽ हइ, ओहो हियाँ परी कुछ भूमिका अदा कइलके हल । कुलिकोव पूरे साल तक ओकरा
पर पइसा पानी नियन बहाके खुद के बरबाद कर लेलके हल । हमन्हीं के नौजवान (अर्थात् कुलिकोव
आउ आ-व) सुबह में हाजिरी लगी निकसलइ आउ चलाकी से अइसन प्रबंध कइल गेलइ, कि ओकन्हीं
के कैदी शिलकिन के साथ भेजल गेलइ, जे एगो स्टोव बनावे वला आउ पुताई करे वला
(plasterer) हलइ, खाली पड़ल बटालियन बैरक के पुताई करे खातिर, जेकरा में से सैनिक लोग
बहुत पहिलहीं कैंप लगी निकस चुकले हल । आ-व आउ कुलिकोव ओकरा साथ भारवाहक के रूप में
गेलइ । कोलर एगो मार्गरक्षी के रूप में हलइ, आउ चूँकि तीन कैदी लगी दू मार्गरक्षी के
जरूरत हलइ, त कोलर के, एगो पुरनका सैनिक आउ कारपोरल के रूप में, असानी से एगो नौजवान
रंगरूट के साथ सौंपल गेलइ कि ऊ ओकरा प्रशिक्षण आउ मार्गरक्षी के कर्तव्य सिखावइ । मतलब,
हमन्हीं के दुन्नु भगोड़ा के कोलर पर बहुत अधिक प्रभाव हलइ आउ ऊ ओकन्हीं पर विश्वास
करऽ हलइ, जब कइएक साल के आउ हाल के सफल सेवा के बाद, ऊ, बुद्धिमान, हट्ठा-कट्ठा, आउ
होशियार अदमी, ओकन्हीं के अनुकरण करे लगी निश्चय कर लेलकइ ।
ओकन्हीं
बैरक में अइलइ । सुबह के छो बज रहले हल । ओकन्हीं के छोड़के, आउ कोय नयँ हलइ । एक घंटा
काम कइला के बाद, कुलिकोव आउ आ-व शिलकिन के कहलकइ, कि ओकन्हीं कारखाना (workshop) जा
रहले ह, पहिला, केकरो से भेंट करे लगी, आउ दोसरा, संयोगवश कोय तो हथियार के लावे लगी,
जे ऊ बखत नयँ हलइ । शिलकिन के साथ चलाकी से व्यवहार करे के जरूरत हलइ, , मतलब यथासंभव
अधिक से अधिक स्वाभाविक रूप से । ऊ मास्को निवासी हलइ, पेशा से स्टोव निर्माता, मास्को
शिल्पी में से, धूर्त, चलाक, बुद्धिमान, अल्पभाषी । बाहर से बहुत दुब्बर-पातर आउ मरियल
। ऊ जिनगी भर वेस्टकोट आउ ड्रेसिंग गाउन में घूमते हल, मास्को फैशन में, लेकिन किस्मत
कछ आउ कर देलकइ, आउ लम्मा भ्रमण के बाद ऊ हमन्हीं हीं हमेशे लगी विशेष विभाग में फँस
गेलइ, मतलब सबसे भयंकर मिलिट्री अपराधी वर्ग
में । ऊ अइसन पेशा काहे लगी अर्जित कइलकइ, हमरा मालूम नयँ; लेकिन ओकरा में कइसनो विशेष
अप्रसन्नता कभियो नयँ देखे में अइलइ; ऊ शांति से आउ स्थिरतापूर्वक व्यवहार करऽ हलइ;
कभी-कभी खाली मोची नियन पीके मस्त (drunk like a cobbler, अर्थात् बहुत अधिक पीके धुत्त)
हो जा हलइ, लेकिन अइसनो हालत में ओकर व्यवहार निम्मन होवऽ हलइ । रहस्य में, जाहिर हइ,
ऊ नयँ हलइ, आउ ओकर आँख तेज हलइ । कहे के जरूरत नयँ हइ, कि कुलिकोव ओकरा दने आँख से
इशारा कइलकइ, कि ओकन्हीं दारू लगी जा रहले ह, जे कारखाना में कल्हिंएँ से नुकाके रक्खल
हइ। ई बात शिलकिन के स्पर्श कर गेलइ; बिन कोय शक्का के ऊ ओकन्हीं से अलगे हो गेलइ आउ
रंगरूट के साथ अकेल्ले रह गेलइ, आउ कुलिकोव, आ-व आउ कोलर उपनगरीय क्षेत्र दने रवाना
हो गेलइ ।
आधा
घंटा गुजर गेलइ; अनुपस्थित लोग वापिस नयँ अइलइ, आउ अचानक, खियाल अइला पर, शिलकिन सोचे
लगलइ । ई अदमी तामा के नली से होके गुजरले हल (अर्थात् जिनगी में सुख-दुख देखलके हल)
। ऊ आद करे लगलइ - कुलिकोव कइसूँ खास मूड में हलइ । आ-व दू तुरी मानूँ ओकरा साथ फुसफुसाके
बात कइलके हल, कम से कम कुलिकोव ओकरा दने दू तुरी आँख से इशारा कइलके हल, ऊ एकरा देखलके
हल; अभी ओकरा सब कुछ आद पड़ऽ हइ । कोलर में
भी कुछ तो नोटिस कइल जा हलइ - कम से कम, जब ऊ ओकन्हीं साथ दूर जा रहले हल, त ऊ रंगरूट
के कुछ तो निर्देश देवे लगलइ, कि कइसे ओकर अनुपस्थिति में ओकरा कइसे व्यवहार करे के
चाही, आउ ई कइसूँ बिलकुल स्वाभाविक नयँ हलइ, कम से कम कोलर से । एक शब्द में, जेतना
जादे शिलकिन आद करइ, ओतने ओकर शक्का बढ़ल जाय । आउ ई दौरान समय तो गुजर रहले हल, ओकन्हीं
वापिस नयँ अइलइ, आउ ओकर बेचैनी हद तक पहुँच गेलइ । ओकरा बहुत निम्मन से समझ में आवऽ
हलइ, कि ई मामला में ऊ केतना जोखिम उठइलके हल - प्राधिकारी के शक्का ओकरा पर हो सकऽ
हलइ । ओकन्हीं सोच सकला हल, कि ऊ जान-बूझके साथी लोग के जाय देलकइ, आपसी सहमति के अनुसार,
आउ अगर ऊ कुलिकोव आउ आ-व के गायब होवे के रिपोर्ट देवे में देरी करतइ, त ई शक्का आउ
जादे संभाव्य हो जइतइ । अब कुच्छो समय व्यर्थ करे के नयँ हलइ । हिएँ परी ओकरा आद पड़लइ,
कि हाल में कुलिकोव आउ आ-व कइसूँ विशेष करके आपस में नगीच हलइ, अकसर फुसफुसाके बात
करऽ हलइ, अकसर बैरक के पिछुआनी में जा हलइ, सबके नजर से दूर । ओकरा आद पड़लइ, कि तखने
ऊ कुछ तो ओकन्हीं बारे सोच लेलके हल ... ऊ अपन मार्गरक्षी दने जिज्ञासा के दृष्टि से
देखलकइ - ऊ उबासी ले रहले हल, अपन राइफल पर झुकके, आउ बिलकुल निर्दोष रूप से अँगुरी
से अपन नाक साफ कर रहले हल, ओहे से शिलकिन अपन विचार से ओकरा अवगत नयँ करइलकइ, आउ खाली
ओकरा कहलकइ, कि ओकर पीछू-पीछू इंजीनियरी कारखाना में अनुसरण करे । कारखाना में पुच्छे
के चाही हल, कि हियाँ ओकन्हीं अइले हल कि नयँ ? लेकिन प्रतीत होलइ, कि हुआँ ओकन्हीं
के कोय नयँ देखलके हल । शिलकिन के सब शक्का दूर हो गेलइ - "अगर ओकन्हीं खाली पीए
लगी जइते हल आउ उपनगरीय क्षेत्र में रंगरेली मनइते हल, जइसन कि कभी-कभी कुलिकोव करऽ
हलइ", शिलकिन सोच रहले हल, "त एहो बात हियाँ संभव नयँ हो सकऽ हलइ । ओकन्हीं
ओकरा बताके तो जइते हल, काहेकि एकरा में ओकरा कुछ छिपावे लायक नयँ हलइ ।" शिलकिन
काम छोड़ देलकइ, आउ बैरक में बिन रुकले, सीधे जेल चल गेलइ ।
लगभग
नो बज रहले हल, जब ऊ वरिष्ठ सर्जेंट (chief sergeant) के सामने हाजिर होलइ आउ बतइलकइ
कि बात की हइ । वरिष्ठ सर्जेंट भयभीत हो गेलइ आउ शुरू-शुरू में तो विश्वासो करे लगी
नयँ चहलकइ । जाहिर हइ, शिलकिन भी ओकरा ई सब कुछ अंदाजे आउ शक्के के रूप में बतइलकइ
। वरिष्ठ सर्जेंट सीधे मेजर भिर दौड़ल गेलइ । मेजर अविलंब कमाण्डेंट के हियाँ । पनरह
मिनट के बाद सब जरूरी कदम उठा लेल गेलइ । खुद गवर्नर-जेनरल तक रिपोर्ट कइल गेलइ । अपराधी
महत्त्वपूर्ण हलइ, आउ ओकरा चलते पितिरबुर्ग से कठोरतम फटकार मिल सकऽ हलइ । बात सही
होवइ चाहे नयँ, लेकिन आ-व के एगो राजनैतिक अपराधी मानल जा हलइ; कुलिकोव विशेष विभाग
के हलइ, मतलब, महा-अपराधी (archcriminal), आउ ओकरो में मिलिट्री वला । अभी तक अइसन
कोय उदाहरण नयँ हलइ, कि विशेष विभाग से कोय पलायन कर गेलइ । संयोगवश, ई आद पड़लइ, कि
नियम के अनुसार विशेष विभाग के हरेक अपराधी पर काम के दौरान दूगो मार्गरक्षी (convoys)
रहतइ, चाहे कम से कम हरेक पर एगो । ई नियम के पालन नयँ कइल गेले हल । एकर मतलब, निष्कर्ष
निकसलइ, कि मामला अप्रिय हलइ । सब्भे वोलस्त (जिला के ठीक निचला प्रशासनिक विभाग) में
विशेष दूत भेजल गेलइ, सब्भे अड़ोस-पड़ोस के जगहा में, भगोड़ा लोग के बारे सूचित करे लगी
आउ सगरो ओकन्हीं के हुलिया छोड़े लगी । कज़ाक लोग के ओकन्हीं के पीछा करे लगी, आउ पकड़े
लगी भेजल गेलइ; पड़ोस के जिला आउ प्रांत के भी पत्र भेजल गेलइ ... एक शब्द में, ओकन्हीं
आतंकित हो गेले हल ।
एहे
दौरान हमन्हीं हीं जेल में दोसरे तरह के उत्तेजना चालू हो गेलइ । कैदी लोग जब काम से
वापिस अइते गेलइ, त तुरतम्मे जान गेते गेलइ कि मामला की हइ । समाचार सगरो पसर चुकले
हल । सब कोय ई समाचार के एक प्रकार के असाधारण, गुप्त प्रसन्नता के साथ स्वागत कइलकइ
। सब कोय के कइसूँ दिल उछल रहले हल ... एकरा अलावे, ई घटना
जेल के नीरस जिनगी के भंग कर देलके हल आउ बाँबी के खोद देलके हल - पलायन, आउ अइसन पलायन,
कइसूँ सब्भे आत्मा में गहराई से प्रतिध्वनित होवऽ हलइ आउ ओकरा में दीर्घकाल से भुल्लल
तार के छेड़ देलके हल; कुछ तो आशा आउ साहस के रूप में, अपन किस्मत बदले के संभावना सबके
दिल में हलचल कर रहले हल । "लोग तो पलायन कर गेलइ - त काहे नयँ ... ?" आउ
हरेक कोय के ई विचार से साहस जग उट्ठऽ हलइ आउ दोसरा सब के चुनौती भरल नजर से देखऽ हलइ
। कम से कम सब कोय अचानक एक प्रकार से घमंडी हो गेलइ आउ सर्जेंट तरफ जरी ऐंठके देखे
लगलइ । जाहिर हइ, जेल में तुरतम्मे प्राधिकारी झपट पड़लइ । खुद कमांडर भी पहुँचलइ ।
हमन्हीं के लोग के हिम्मत बढ़ गेलइ आउ विश्वास के साथ देखऽ हलइ, कुछ घृणा के साथ भी
आउ एक प्रकार के मौन, कठोर गंभीरता के साथ, मानूँ कह रहल होवे - "हमन्हीं मामला
सलटा सकऽ हिअइ" । ई बतावे के जरूरत नयँ हइ, कि हमन्हीं हीं तुरतम्मे लोग प्राधिकारी
के सामान्य भेंट के बारे में अंदाज लगा लेलके हल । एहो भाँप गेले हल, कि निस्संदेह
खोजबीन होतइ, आउ सब कुछ पहिलहीं से नुका देवल गेलइ । ओकन्हीं जानऽ हलइ, कि प्राधिकारी
अइसन हालत में घटना हो गेला के बाद हमेशे बुद्धिमान हो जा हइ । अइसीं होलइ - बड़गो हलचल
होलइ; सब कुछ उलट-पुलटके देखल गेलइ, सब कुछ खोजल गेलइ, आउ - कहे के जरूरत नयँ, कि कुच्छो
नयँ मिललइ । दुपहर के भोजन के बाद कैदी लोग के प्रबलित (reinforced) मार्गरक्षी के
साथ भेजल गेलइ । साँझ के गार्ड लोग जेल में मिनट-मिनट हुलके लगी आवऽ हलइ; सामान्य तौर
के अपेक्षा अतिरिक्त हाजिरी लेल जा हलइ; ई दौरान सामान्य तौर के तुलना में गिनती करे
में दोगना गलती होवऽ हलइ । एकरा चलते फेर से भाग-दौड़ हो जा हलइ - सबके हाँकके प्रांगण
में ले जाल जा हलइ आउ फेर से गिनती कइल जा हलइ । बाद में फेर से बैरक में गिनती कइल
जा हलइ ... एक शब्द में, बहुत हलचल होवऽ हलइ । लेकिन कैदी लोग एकर बिलकुल परवाह नयँ
कइलकइ । ओकन्हीं सब्भे अत्यंत स्वतंत्र देखाय दे हलइ, आउ जइसन कि हमेशे अइसन हालत में
होवऽ हइ, ई पूरे शाम असामान्य रूप से शिष्ट व्यवहार करते गेलइ, मानूँ कहे लगी चाह रहल
होवे - "कइसनो मामला में कोय दोष निकासना असंभव हइ" । ई बतावे के जरूरत नयँ,
कि प्राधिकारी सोचऽ हलइ - "की भगोड़ा लोगन के अभिषंगी (सहापराधी) जेल में नयँ रह
गेलइ ?" - आउ कैदी लोग के मामले में (गार्ड सबके) अपन आँख आउ कान खुल्लल रक्खे
के औडर देलकइ । लेकिन कैदी लोग खाली हँस्सऽ हलइ । "की ई मामला अइसन हइ, कि पीठ
पीछू अभिषंगी के छोड़ देल जाय !" "अइसन काम चौआ (पंजा) के बल कइल जा हइ, आउ
कोय दोसरा तरह से नयँ ।" "आउ की कुलिकोव अइसन अदमी हइ, की आ-व अइसन अदमी
हइ, कि अइसन मामला में कोय सुराग छोड़तइ ? बड़ी कुशलता से ई सब कइल गेलइ, सीयल-नुकावल
तरीका से (अर्थात् केकरो बिन कोय भान होवे देले) । ई लोग तामा के नली से गुजरल हइ
(अर्थात् जिनगी में सुख-दुख अनुभव कइल हइ); ताला लग्गल दरवाजा से भी होके निकस जाय
वला !" एक शब्द में, कुलिकोव आउ आ-व के यश बढ़ गेलइ; सब कोय के ओकरा पर गर्व हलइ
। ओकन्हीं के लगऽ हलइ, कि ओकन्हीं के ई साहसिक कार्य कैदी लोग के बहुत दूर तक के पीढ़ी
तक आद कइल जइतइ, आउ जेल से अधिक दिन देखतइ ।
"ओस्ताद
लोग !" कुछ लोग बोलइ ।
"अइकी
लोग सोचऽ हलइ, कि हमन्हीं हीं कोय पलायन नयँ करतइ । लेकिन पलायन तो कर गेलइ !
..." - दोसर लोग बात आगू बोलइ ।
"निकस
भागलइ !" तेसरा बोलइ, खोजी नजर से आउ कुछ रोब से चारो दने देखते । "लेकिन
भागलइ केऽ ? ... कोय तोरा नियन की ?"
कोय
दोसर अवसर पर ऊ कैदी, जेकरा अइसन शब्द से संबोधित कइल गेले हल, चुनौती पर पक्का जवाब
देते हल आउ अपन प्रतिष्ठा बचइते हल । लेकिन अभी ऊ विनयपूर्वक चुप रह गेलइ । "वस्तुतः,
सब कोय कुलिकोव आउ आ-व जइसन नयँ हइ; पहिले खुद के साबित करके देखाहीं ..."
"आउ
हमन्हीं काहे लगी, भाय लोग, वस्तुतः हियाँ जी रहलिए ह ?" विनयपूर्वक भनसाघर के
खिड़की बिजुन बइठल, चौठा चुप्पी के तोड़ऽ हइ, एक प्रकार के दुर्बल, लेकिन अंदर से आत्मसंतुष्ट
भावना से कुछ संगीतमय वाणी में बोलते आउ हथेली पर गाल के टिकइले । "हमन्हीं हियाँ
काहे लगी हिअइ ? हमन्हीं जिंदा रहलो पर - अदमी
नयँ, आउ मरलो पर - मरल नयँ । ए-एह !"
"ई
मामला बश्माक (जुत्ता) नयँ हइ । गोड़ से उतार नयँ सकऽ हीं । की ?"
"हाँ,
अइकी कुलिकोव तो हइ ...", बीच में एगो गरममिजाज, नौजवान आउ अनाड़ी छोकड़ा बोललइ
।
"कुलिकोव
!" तुरतम्मे ई बात के पकड़ ले हइ, नफरत से ऊ अनाड़ी छोकड़ा दने कनखियाके देखते ।
"कुलिकोव ! ..."
ओकर
कहे के मतलब हइ - "की कुलिकोव बहुत हइ ?"
"आउ
आ-व तो, भाय लोग, तेज हइ, ओह, तेज !"
"की
! ई तो कुलिकोव के अपन अँगुरी पर नचा देतइ । छल्ला (rings) के कोय ओर-छोर नयँ होवऽ
हइ !"
"आउ
ओकन्हीं अभी दूर चल गेले होत की, भाय लोग, हम जाने लगी चाहऽ हिअइ ..."
आउ
तुरतम्मे बातचीत मुड़ गेलइ ई बात पर, कि ओकन्हीं दूर चल गेले होत की ? आउ कउन तरफ गेते
गेलइ ? आउ काहाँ जाना ओकन्हीं लगी बेहतर होतइ ? आउ कउन वोलस्त जादे नगीच होतइ ? अइसन
लोग हलइ, जेकन्हीं के आसपास के क्षेत्र के बारे जनकारी हलइ । ओकन्हीं के सब्भे उत्सुकतापूर्वक
सुन्नऽ हलइ । पड़ोस के गाँव सब के वाशिंदा लोग के बारे बतइलकइ आउ फैसला कइल गेलइ कि
ई सब लोग विश्वास के लायक नयँ हइ । ओकन्हीं शहर के नगीच रहे वला हलइ, अनुभवी लोग; कैदी
लोग के साथ रियायत नयँ बरततइ, पकड़ लेतइ आउ सौंप देते जइतइ ।
"हियाँ
के मुझिक लोग तो बदमाश हइ, भाय लोग । ओ-ओ-ओफ मुझिक !"
"अविश्वासी
मुझिक !"
"साइबेरिया
के लोग नमकीन कान वला [1] होवऽ हइ । बच के रहे के, मार डालतउ ।"
"अच्छऽ,
लेकिन हमन्हीं के लोग तो ..."
"कहे
के जरूरत नयँ, निर्भर करऽ हइ कि केकर भाग्य साथ दे हइ । आउ हमन्हीं के ओइसन लोग तो
नयँ हइ ।"
"आउ
अइकी नयँ मरबइ, त सुन लेबइ ।"
"आउ
तूँ की सोच रहलहीं हल ? पकड़ लेते जइतइ ?"
"हमरा
सोचना हइ, कि जिनगी भर में पकड़ नयँ पइतइ !" एगो गरमाहा अदमी टेबुल पर मुक्का मारते
बोलऽ हइ।
"हूँ
। ई तो निर्भर हइ ई बात पर कि ऊँट कउन करवट बइठऽ हइ ।"
"आउ,
भाय लोग, हम तो ई सोचऽ हिअइ", स्कुरातोव बात पकड़के बोलऽ हइ, "अगर हम अवारा
रहतिए हल, त हमरा जिनगी भर नयँ पकड़ पइते हल !"
"तोरा
!"
ठहाका
शुरू हो जा हइ, दोसर लोग अइसन मुँह बनावऽ हइ, कि सुन्ने लगी नयँ चाहऽ हइ । लेकिन स्कुरातोव
तब तक उत्तेजित हो उठले हल ।
"जिनगी
भर नयँ पकड़ पइतइ !" ऊ जोश के साथ बोलऽ हइ । "हम, भाय लोग, अकसर अपना बारे
ई सोचऽ हिअइ आउ खुद अपना पर अचरज करऽ हिअइ - लगऽ हइ, अइकी हम कोय दरार में घुस जइतिए
हल, आउ हमरा पकड़ नयँ पइते हल ।"
"शायद
भुक्खल बरदास नयँ होतो हल, आउ मुझिक के पास रोटी लगी चल जइतँऽ हल ।"
सामान्य
(General) ठहाका ।
"रोटी
लगी ? बकवास !"
"लेकिन
तूँ जीभ काहे लगी चला रहलहीं हँ ? तूँ चाचा वास्या के साथ मिलके गाय के मौत देलहीं
* [* अर्थात्, कोय अदमी चाहे औरत के जान मार देलकइ, ई शक्का के चलते कि ऊ जनवरवा के
कर देलके हल, जेकरा चलते जनवरवा मर गेलइ । हमन्हीं हीं अइसन एगो हत्यारा हलइ । (लेखक
दस्तयेव्स्की के टिप्पणी)], ओहे से हियाँ अइलहीं ।
ठहाका
आउ तेज हो जा हइ । गंभीर लोग आउ जादे क्रुद्ध देखाय दे हइ ।
"ई
तो बकवास हइ !" स्कुरातोव चिल्ला हइ, "ई मिकित्का हलइ जे हमरा बारे झूठ बोललइ,
आउ हमरो बारे नयँ, बल्कि वास्का के बारे, आउ हमहूँ एकरा में घसटा गेलिअइ । हम मास्कोवासी
हिअइ आउ बचपन से हमरा अवारापन के अनुभव हइ । हमरा, जब गिरजादान (sexton) पढ़े लगी सिखावऽ
हलइ, त हमर कान ऐंठइ - हमरा पीछू दोहराव, 'हे भगमान, हमरा पर कृपा करऽ, काहेकि तूँ
महान कृपालु हकऽ', इत्यादि ... आउ हम ओकरा पीछू दोहरइअइ - 'हमरा पर कृपा करके थाना
ले चलऽ', इत्यादि ... आउ बचपने से अइसीं व्यवहार करे लगलिअइ ।"
सब
कोय फेर से ठहाका लगइलकइ । लेकिन स्कुरातोव के एहे जरूरत हलइ । ऊ नयँ बेवकूफी नयँ कर
सकऽ हलइ । जल्दीए लोग ओकरा छोड़ देलकइ आउ फेर से गंभीर बातचीत करे लगलइ । चर्चा में
भाग लेवे वला अधिक वृद्ध आउ जानकार लोग हलइ । कम उमर आउ शांत लोग खाली खुशी मना रहले
हल, ओकन्हीं दने तकते, आउ सुन्ने लगी अपन सिर आगू मुँहें कइले हलइ; बड़का भनसाघर में
भीड़ जमा हो गेलइ; जाहिर हइ, हुआँ सर्जेंट लोग नयँ हलइ । ओकन्हीं के सामने कोय कुच्छो
नयँ बात करते हल । खास करके खुश लोग में हम नोटिस कइलिअइ एगो मामेत्का नाम के तातार
के, जे छोटगर कद के, आउ उँचगर गंडास्थि (cheekbones), अत्यंत हास्यजनक आकृति वला हलइ
। ऊ लगभग रूसी नयँ बोलऽ हलइ आउ लगभग कुच्छो नयँ समझऽ हलइ, जे दोसर लोग बात करऽ हलइ,
लेकिन, हुएँ, भीड़ के पीछू में से अपन सिर आगू मुँहें कइले हलइ, आउ सुन रहले हल, खुशी
से सुन रहले हल ।
"की,
मामेत्का, याक्शी * ?" दोसरा सब से अस्वीकृत कइल आउ कुछ नयँ करे लायक रहे से स्कुरातोव
ओकरा संबोधित कइलकइ । [* याक्शी (तातार) =
ठीक ?]
"याक्शी
! ओह, याक्शी !" पूरा अनुप्राणित (animated) होके मामेत्का बड़बड़इलइ, अपन हास्यजनक
सिर स्कुरातोव दने हिलइते, "याक्शी !"
"ओकन्हीं
पकड़इतइ नयँ न ? योक * ?" [* योक (तातार) = नयँ]
"योक,
योक !" आउ मामेत्का फेर से बड़बड़इलइ, अबरी अपन हाथ लहरइते ।
"मतलब,
तूँ झूठ बोललहीं, आउ हमरा समझ में नयँ अइलइ, ई बात हइ की ?"
"हाँ,
हाँ, याक्शी !" सिर हिलइते मामेत्का बोललइ । "अच्छऽ, याक्शी !"
आउ
स्कुरातोव, ओकर टोपिया पर अँगुरिया से हलका प्रहार करके आउ ओकरा ओकर अँखिया के निच्चे
घींचके, भनसाघर से बहुत प्रसन्न मुद्रा में बाहर निकस गेलइ, मामेत्का के एक प्रकार
से अचंभित छोड़के ।
पूरा
सप्ताह जेल में कड़ाई जारी रहलइ, आउ साथ-साथ पड़ोस के क्षेत्र में तीव्र रूप से पीछा
आउ खोज । हमरा मालूम नयँ, कइसे, लेकिन प्राधिकारी के जेल के बाहर के दाँव
(manoeuvres) के बारे कैदी लोग के तुरतम्मे आउ बारीकी से समाचार मिल जा हलइ । पहिलौका
कुछ दिन तक सब समाचार भगोड़ा लोग के पक्ष में हलइ - कोय अता-पता नयँ, गायब हो गेते गेले
हल, बस । हमन्हीं के लोग खाली हँस्सऽ हलइ । भगोड़ा के किस्मत के बारे हरेक बेचैनी गायब
हो गेले हल । "कुच्छो नयँ मिलतइ, कोय नयँ पकड़इतइ !" हमन्हीं हीं कैदी लोग
आत्मसंतुष्टि के साथ बोलऽ हलइ ।
"कुच्छो
नयँ (रह गेलइ); (बन्हूक के) गोली (नियन चल गेलइ) !"
"अलविदा,
भयभीत मत हो, जल्दीए वापिस अइबउ !"
हमन्हीं
हीं लोग के मालूम हलइ, कि सब पड़ोसी कृषक लोग गोड़ पटक रहले हल, सब शंकालु जगह, समुच्चा
जंगल, सब दर्रा (ravines) पर नजर रखले हलइ ।
"बकवास",
हमन्हीं के लोग हँसते बोलऽ हलइ, "ओकन्हीं हीं, पक्का, अइसन अदमी हइ, जेकरा हीं
ओकन्हीं अभी रह रहले ह ।"
"निस्संदेह
हइ !" दोसर लोग बोलऽ हलइ, "ई अइसन लोग नयँ हइ; सब कुछ पहिलहीं से तैयारी
कइल हलइ ।"
अंदाज-अटकल
में लोग आउ आगू गेलइ - बोले लगलइ, कि भगोड़ा अब तक, शायद, उपनगरीय क्षेत्र में बइठल
हइ, कहीं तहखाना में इंतजार कर रहले ह, जब तक कि ई "हाशंका" शांत नयँ हो
जाय आउ केश नयँ बढ़ जाय । आधा साल, एक साल रहतइ, आउ फेन चल जइतइ ... एक शब्द में, सब
कोय मानसिक रूप से एक प्रकार के रोमांटिक मूड में भी हलइ । तब अचानक, पलायन करे के
आठ दिन बाद, एगो अफवाह फैललइ, कि सुराग मिल गेले ह । जाहिर हइ, अनर्गल अफवाह के तुरतम्मे
नफरत के साथ अस्वीकृत कर देल गेलइ । लेकिन ओहे साँझ के अफवाह के पुष्टि हो गेलइ । कैदी
लोग बेचैन होवे लगलइ । दोसरा दिन सुबहे पूरे शहर में ई बात होवे लगलइ, कि पकड़ाइयो गेले
ह आउ वापिस लावल जा रहले ह । दुपहर के भोजन के बाद आउ विस्तृत सूचना मिललइ – सत्तर
विर्स्ता के दूरी पर पकड़इलइ, फलना-फलना गाँव में । आखिरकार पक्का समाचार मिललइ । वरिष्ठ
सर्जेंट (chief sergeant), मेजर के हियाँ से लौटला पर, निश्चित रूप से घोषित कइलकइ,
कि साँझ तक ओकन्हीं के सीधे जेल के कोर-द-गार्द (गार्ड-हाउस) में लावल जइतइ । अब शक्का
करना असंभव हलइ । ई समाचार कैदी लोग के दिमाग पर कइसन छाप छोड़लकइ - एकर वर्णन करना
मोसकिल हइ । शुरू-शुरू मानूँ सब कोय नराज हो गेलइ, बाद में उदास हो गेलइ । फेर एक प्रकार
के व्यंग्य के प्रवृत्ति देखाय देवे लगलइ । लोग हँस्से लगलइ, लेकिन अभी पकड़े वला पर
नयँ, बल्कि पकड़ाय वला पर, शुरू-शुरू कुछ लोग, बाद में लगभग सब्भे, सिवाय कुछ गंभीर
आउ दृढ़संकल्प, स्वतंत्र रूप से सोचे वला आउ जेकरा व्यंग्य धोखा में नयँ डाल सकऽ हलइ
। ओकन्हीं नफरत से मंदबुद्धि के सामान्य लोग पर देखऽ हलइ आउ खुद चुप रह गेलइ ।
एक
शब्द में, जेतना हद तक पहिले कुलिकोव आउ आ-व के उपरे उठा देते गेले हल, ओतने ओकन्हीं
के अब निच्चे गिरा देते गेलइ, खुशी से भी अपमानित करऽ हलइ । मानूँ ओकन्हीं (कुलिकोव
आउ आ-व) सब्भे के कइसूँ नराज कइलके हल । लोग घृणास्पद मुद्रा में बतइते जा हलइ, कि
ओकन्हीं के बहुत भूख लग गेले हल, कि ओकन्हीं के भूख बरदास नयँ होलइ आउ किसान लोग से
रोटी माँगे लगी गाँव चल गेलइ । अवारा लोग लगी ई हद दर्जा के अपमान हलइ । लेकिन, ई कहानी
सच नयँ हलइ । भगोड़ा लोग के सुराग लग गेले हल; ओकन्हीं जंगल में नुक्कल हलइ; जंगल के
चारो दने से लोग घेर लेलके हल । ओकन्हीं, ई देखके, कि बच्चे के कोय संभावना नयँ हके,
आत्मसमर्पण कर देलकइ । ओकन्हीं के आउ कुछ करे लायक नयँ रह गेले हल । लेकिन जब ओकन्हीं
के सँझिया तक वास्तव में सशस्त्र पुलिस (gendarmes) द्वारा हाथ-गोड़ बान्हके लावल गेलइ,
पूरा जेल देखे लगी छरदेवाली दने उमड़ पड़लइ, कि ओकन्हीं साथ की कइल जइतइ । जाहिर हइ,
ओकन्हीं के कुछ नयँ देखाय देलकइ, सिवाय कोर-द-गार्द (गार्ड-हाउस) के पास मेजर आउ कमांडर
के घोड़ागाड़ी के । भगोड़ा लोग के गुप्त रूप से रक्खल गेलइ, जंजीर में जकड़ देल गेलइ आउ
दोसर दिन मोकदमा चलावल गेलइ । कैदी लोग के व्यंग्य आउ घृणा जल्दीए खुद्दे बन हो गेलइ
। लोग के मामला के बारे जनकारी आउ अधिक विस्तार से मिललइ, जनलकइ, कि आउ कुछ कइल नयँ
जा सकऽ हलइ, सिवाय आत्मसमर्पण के, आउ सब कोय उत्सुकतापूर्वक मोकदमा के प्रक्रिया
(course of the trial) पर ध्यान देवे लगलइ ।
"हजार
फटका लगावल जइतइ", कुछ लोग बोललइ ।
"हजार
काहाँ !", दोसर लोग बोललइ, "सीधे पीट-पीटके मार डालतइ । आ-व के, शायद, एक
हजार, लेकिन ओकरा तो पीट-पीटके मारिए देतइ, काहेकि, हमर भाय, ऊ विशेष विभाग से हइ ।"
लेकिन
अंदाज नयँ लगा पइते गेलइ । आ-व के खाली पाँच हजार (फटका के दंड सुनावल गेलइ); ओकर पहिले
के संतोषजनक व्यवहार के ध्यान में रक्खल गेलइ आउ ई ओकर पहिला हरक्कत हलइ । कुलिकोव
के, लगऽ हइ, डेढ़ हजार फटका के दंड सुनावल गेलइ । दंड देवे में यथेष्ट दया बरतल गेलइ
। समझदार लोग नियन, ओकन्हीं कोर्ट के सामने केकरो नयँ फँसइलकइ, साफ-साफ बोललइ, ठीक-ठीक,
बतइलकइ, कि सीधे किला से भागले हल, कहूँ बीच में बिन रुकले । सबसे जादे तरस हमरा कोलर
पर अइलइ - ऊ सब कुछ खो देलकइ, अपन अंतिम आशा, सबसे जादे फटका खइलकइ, शायद दू हजार,
आउ कहीं तो कैदी के रूप में भेजल गेलइ, खाली हमन्हीं के जेल में नयँ । आ-व के हलके
से दंड देल गेलइ, तरस खाके; एकरा में डाक्टर लोग मदत कइलकइ । लेकिन ऊ शेखी बघारे लगलइ
आउ अस्पताल में जोर-जोर से बोललइ, कि अब तो ऊ सब कुछ अजमइतइ, सब कुछ लगी तैयार हइ आउ
ई तो ऊ आउ नयँ करतइ (अर्थात् कुछ आउ साहसिक कार्य करतइ) । कुलिकोव हमेशे नियन व्यवहार
करऽ हलइ, मतलब गंभीरतापूर्वक, शिष्टता से, आउ दंड भुगत के जेल में वापिस अइला पर, अइसे
देखाय दे हलइ, मानूँ ऊ कभियो पलायन नयँ कइलके हल । लेकिन कैदी लोग ओकरा तरफ अइसे नयँ
देखऽ हलइ - ई बात के बावजूद कि कुलिकोव हमेशे आउ सगरो खुद के सम्हार सकऽ हलइ, कैदी
लोग कइसूँ हार्दिक रूप से ओकरा आदर करना छोड़ देलकइ, कइसूँ ओकरा साथ बराबर के हैसियत
से व्यवहार करे लगलइ । एक शब्द में, ई पलायन से कुलिकोव के यश बहुत फीका पड़ गेलइ ।
लोग के बीच सफलता के एतना महत्त्व होवऽ हइ ...
No comments:
Post a Comment