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Saturday, June 10, 2017

विश्वप्रसिद्ध रूसी नाटक "इंस्पेक्टर" ; अंक-4 ; दृश्य-8

दृश्य-8
(ख़्लिस्ताकोव अकेला)
ख़्लिस्ताकोव - हियाँ कइएक अधिकारी आउ सरकारी कर्मचारी हइ । लेकिन हमरा लगऽ हइ, कि ओकन्हीं हमरा सरकारी अदमी समझते जा हइ । पक्का हम कल्हे ओकन्हीं के आँख में धूल झोंकलिअइ । कइसन बेवकूफ लोग हइ ! ई सब के बारे हम पितिरबुर्ग में त्र्यापिचकिन के लिखके बतइबइ - ऊ आलेख (articles) लिक्खऽ हइ - त ओकरा ओकन्हीं के भंडा फोड़े देल जाय । ए ओसिप, हमरा कागज आउ कलम दे !
(ओसिप दरवाजा से अंदर हुलकऽ हइ, आउ बोलऽ हइ - "अभी लइलिअइ ।")
आउ अगर त्र्यापिचकिन के दाँत में कोय पड़ जाय - त ओकरा खुद के बचावे के चाही - व्यंग्यात्मक शब्द लगी अपन बापो के नयँ छोड़ऽ हइ, आउ पैसा से भी प्यार करऽ हइ । लेकिन ई अधिकारी आउ कर्मचारी निम्मन लोग हइ; ई ओकन्हीं के पक्ष से निम्मन लक्षण हइ कि ओकन्हीं हमरा उधार देते गेलइ । जरी गिनके तो देख लिअइ, कि हमरा पास केतना पैसा हइ । ई हइ जज के तरफ से तीन सो रूबल; ई पोस्टमास्टर से तीन सो, छो सो, सात सो, आठ सो ... कइसन गंदा नोट हइ ! आठ सो, नो सो ... ओहो ! एक हजार के उपरे हइ ... अच्छऽ, अब, कप्तान अब हमरा से पंगा ले ! देखल जाय, कि केऽ केकरा मात दे हइ !



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