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Saturday, December 19, 2020

प्रबंध काव्य: सोनपरी - सर्ग 6

 प्रबंध काव्य: सोनपरी - सर्ग 6 

रचताहर:    लालमणि विक्रान्त 

 

छठा सर्ग - नव निर्माण 

 

गाँव के पश्चिम हलइ

एगो बड़गो आहर

किलोमीटर-भर लमहर

बरसात मौसम में नदियन के 

पानी से बनल समुन्दर -सन।

एकरे पानी से धनखेती के पटवन।

आहर के अलंग किनारे

कइलन सुबोध पौधा रोपण।

सागवान के पेड़ के।

 

पेड़ हजारों गेल लगावल

ई हल सुबोध के पहिला काम।

समझो त पर्यावरण ला

हल सुबोध के ई पैगाम।

 

सोनपरी हर दिन भोरे

इहे तरफ घूमे आबइ हली।

देख-देख के सागवान के

मन में जागइ हल सपना।

एक दिन त सभे पेड़ ई

आसमान के छूअइत होत।

बनत गाँव के सम्पत्ति भी

अर्थ तंत्र भी होत मजबूत।

अइलइ एक विचार कि 

गाँव के गर सभे लोग 

अप्पन घर आगे अउ खेतन में

लगबथ पेड़ सागवान के।

एक तीर से दू शिकार के

हो जइतन साकार कहावत।

 

कहलन सोनपरी सुबोध से

अप्पन गाँव में पौधा रोपण के

वृहद रूप अपनाबो अब।

अप्पन गाँव के लोगन के

पौधारोपण के महिमा समझाबो अब।

पौधशाला निर्माण करो।

मुफ्त में बाँटो पौधा सभे के।

बड़गो होतइ काम तू समझो।

दुनिया-भर में नाम होतइ।

प्रकृति भी अभिराम होतइ।

 

एकर बाद गलियन में पसरल

नाली के पानी पर ध्यान।

नाली के निर्माण करइ से

होतइ तब एकर समाधान।

लगल सुबोध अउ कमेटी के लोगन

होबइ लगलो नाली निर्माण।

गलियन के भी दिन पलटल

बढ़ल गाँव गली के शान।

 

सड़क के भी त हाल हल खस्ता 

बकि काम भी इहो जरुरी।

आवागमन ला हल ई त

बकि बनल मजबूरी।

मिलल एम0 एल0 ए0 साहब से जाके

अप्पन संकट इहां बतइलन

कहलन एम0एल0ए0 साहब

कि तोहर गाँव से वोट मिलइ नञ

इहे से ई हको निनान।

हमरो पर गर ध्यान दहो त

दिक्कत के होतइ समाधान।

 

कहलन सुबोध सच कहला तू

एक हाथ से बजे न ताली।

अब बदलल विचार हमनी के

धोखा अइसन अब नञ होतइ।

सड़क गाँव ला बहुत जरूरी 

सड़क बनइ पर दहो धेयान।

बकि सड़क बनबो अइसन

सड़क होबइ हम्मर मजबूत।

कहलन ठहरो करब जोगार।

नञ बस हे हम्मर अधिकार।

 

दू महीना बीतइत -बीतइत

शुरू जरूर होतइ ई काम।

गाँव के सड़क बनत जरूरे

रखबइ हम एकरा पर ध्यान।

दू महीना बीतल भी नञ कि

शुरू होलइ सड़क निर्माण।

गाँव के लोग खुशी से झूमल

बढ़ल गाँव में सभे के शान।

 

सड़क के उद्घाटन भी होलइ

एम0एल0ए0 कइलन उद्घाटन।

आज मंच पर सोनपरी भी

कइलन सोआगत के भाषण।

कहलन हम्मर मगही भाषा के

जे कोय भी करतन सपोट 

हम्मर पंचायत के लोगन 

देतन उनकरा जरूरे वोट।

काम करइ वाला के जीत

रोक सकइ के बोलो मीत।

हम्मर मगही भाषा के इतिहास 

केकरो से नञ हे कमजोर।

अउर साहित्य भंडार भी भरल

जोर लगाबो सभे पुरजोर।

मगध राज के भाषा मगही 

चन्द्रगुप्त चाणक्य के भाषा।

गौतम बुद्ध भगवान के भाषा।

सराहपा हथ कवि पुरनका 

कइलन मगही के गुणगान।

बकि मगह के लोग हथ काहे

अबतक सूतल चद्दर तान।

 

एम0 एल0 ए0 साहब कहलन

लोकसभा लोक संस्कृति 

अउर मातृभूमि के कल्याण।

जे कोय करतन अइसन काम

उनकरा आस पुरइतन भगवान।

हमरो त विचार अइसने हे

अप्पन लोकभाषा मगही ला

हम रहबइ हरदम तैयार।

मगही चढ़इ उत्थान शिखर पर

हमरा हइ दिल से स्वीकार।

लगबइ लगल लोग जयकारा

एम0 एल0 ए0 साहेब जिन्दाबाद।

मुखिया सुबोध भी जयकारा में 

जन -गण -मन के देलन साथ।

भाषण भोजन माला अर्पण

होबइत रहल सभे कुछ साथ।

विदा लेलन एम0एल0ए0 साहेब

मुखिया सुबोध से मिलाके हाथ।

 

गुलेटन काका आज मुँह खोललन

कहलन बहुत होबइ हल घोटाला।

बात -बात में इहाँ घोटाला 

जनता हित के काम न होबइ।

अइसने हाल रहल हल अबतक 

बदलल युग बदलल विचार अब।

अब उहे हे हम्मर गाँव।

चारों तरफ एकर चरचा हे।

बकि कृषि प्रधान गांव हे

खेती तरफ भी ध्यान देबइ के।

खेतन में बिजली के लाइन

नञ होलइ हे आज तलक भी।

अइसन होबइ त सालों-भर

खेतन में हरियाली होबइ।

गाँव हम्मर खुशहाल होतइ तब।

 

सोनपरी के हइ कहनाम

शुरू होबइ अब इहो काम।

गौ पालन पर होबइ ध्यान त

गाय के गोबर बनतइ खाद।

गाय दूध के बहुत लाभ हे

कृषि संस्कृति के हइ प्राण।

होतइ दूर गरीबी गाँव के

सभे संकट से होतइ निदान।

 

कहलन तब सुबोध मुखिया जी

सहे-सहे सभे होके रहतइ।

खुलतइ गाँव में बैंक के ब्रांच भी

मिलतइ लोगन के लोन एकरा से

खेती संगे गौ पालन भी

मच्छली पालन पर भी ध्यान।

 

कत्ते कहऊँ हम पाँच बच्छर में 

सभे संकट हो जात बिरान।

इसकुल हइ सरकारी बकि

होबे लगल इहऊँ पढ़ाय।

हास्पीटल में भी अब त

मिलइ लगलो सभे के दबाय।

रसे-रसे सभे कुछ सुधरत अब

सभे काम पर हे हम्मर ध्यान।

 

गाँव विकास कमेटी के 

कान्हा पर भी हे एकर भार।

गाँव के लोगन से मिलजुल के

सभे समस्या से होतइ ओबार।

गाँव के सभे समस्या के

करइ के हइ हमारा छू मंतर।

सभे के मिलत इहाँ अब इज्जत

कोय तरह के नञ रहतइ अंतर।

गाँधी बाबा के राम राज के

अप्पन गाँव में लाबइ के हे।

कोय काम कठिन न होबइ

दुनिया के देखलाबइ के हे।

सभे हथ सुखी हमहूँ सुखी ही

अइसने भाव अपनाबइ के हे।

गाँव के लोगन के जिनगी में 

गंगा धार बहाबइ के हे।

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