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Monday, November 21, 2011

77. सगर रात दीया जरे मगही कार्यक्रम


21 Nov 2011, 09:35 pm

वारिसलीगंज (नवादा), निज प्रतिनिधि : मगही भाषा के विकास में समस्या तथा समाधान विषय पर परिचर्चा एवं मगही कविता पाठ के साथ 'सगर रात दीया जरे' कार्यक्रम संपन्न हो गया। कवियों ने एक स्वर से वर्तमान सरकार की मुखिया नीतीश कुमार से मगही भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूचि में शामिल करने की मांग करने का प्रस्ताव लिया। इंटर विद्यालय सौर में आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता मगही अकादमी के अध्यक्ष उदय शंकर शर्मा ने की। जबकि संचालन मगही रचनाकार नागेन्द्र शर्मा उर्फ बंधू बाबू ने किया। मौके पर कवियों ने हास्य व्यंग्य से पूर्ण एक से बढ़कर एक कविता सुना लोगों को लोट-पोट कर दिया। इस दौरान कवि परमानंद ने
'हे पीपर के पेड़ बता दे कहिया आवत पिया, हम तरसो ही ई सावन में, जब-जब बदरा बरसे। साजन बिनु श्रृंगार ने शोभे, जियरा धक-धक धड़के कविता सुना लोगों के सामने एक पति वियोगी नायका का चित्रण किया। जबकि कवि अंजेश ने कहा कि 'घर में हे मोबाइल, बड़का मलाल हो, भविष्य बिगाड़े के बड़का मिसाल हो' सवे सुख चैन छीन लेलक ई मोबाइलवा, अमेरिका और बिहार के दूरी कम कइलकै ई मोवइलवा' इस प्रकार के कविता सुनकर श्रोता रात भर झूमते रहे। कार्यक्रम का संयोजन कवि मिथलेश एवं सौर ग्रामीण सह भाजपा नेता विपीन सिंह ने संयुक्त रुप से किया। मौके पर डा. भरत शर्मा समेत मगही कवियत्री प्रो. शोभा कुमारी, चन्द्रावती चंदन, डा. शंभू, जयप्रकाश, वयोवृद्ध कवि सह मगही कोकिल परमेश्वरी, अधिवक्ता विनोद प्रसाद सिंह, कृष्ण कुमार भटठा, शिवेन्द्र सिंह शंभू समेत दर्जनों कवियों ने कविता पाठ कर रात भर श्रोताओं की तालियां बटोरी।



1 comment:

चंदन कुमार मिश्र said...

आयोजन सफल रहा। संविधान की अनुसूची का सवाल तो कई भाषाओं के लिए है। लेकिन सरकान गूंगी/बहरी बनी हुई है।