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Tuesday, November 10, 2015

अपराध आउ दंड - उपसंहार ; अध्याय – 1



अपराध आउ दंड

उपसंहार

अध्याय – 1

साइबेरिया । एगो सुनसान चौड़गर नद्दी के किनारे एगो शहर हइ, रूस के एगो प्रशासन केंद्र; शहर में एगो किला हइ, किला में एगो जेल हइ । [1] ऊ जेल में, नो महिन्ना से बंद, दोसर दर्जा के निर्वासित कैदी [2] हइ - रोदियोन रस्कोलनिकोव । ओकर कइल अपराध के समय से लगभग डेढ़ बरिस गुजर चुकले ह ।

ओकर केस के अदालती कार्रवाई, बिन कोय बड़गर कठिनाई के, चललइ । अपराधी दृढ़तापूर्वक, सही-सही आउ स्पष्ट रूप से अपन बयान पर कायम रहलइ, बिन परिस्थिति के उलझइले, बिन ओकरा अपन हित में हलका कइले, बिन तथ्य सब के विकृत कइले, बिन सूक्ष्मतम विवरण के भूलले । ऊ आखिरी छोटगर से छोटगर बात के साथ हत्या के पूरा प्रक्रिया (process) बतइलकइ - गिरवी रक्खल वस्तु (धातु के पट्टी लगल लकड़ी के टुकड़ा) के रहस्य समझइलकइ, जे हत्या कइल बुढ़िया के हाथ में पावल गेले हल [3]; ई बात के विस्तार से बतइलकइ, कि ऊ मकतूल (कत्ल होल बुढ़िया) के हियाँ से कुंजी कइसे लेलकइ, ई कुंजियन के वर्णन कइलकइ, संदूक के विवरण देलकइ आउ कउची-कउची से ई भरल हलइ; आउ एकरा में पड़ल कुछ खास चीज के गिनतियो कइलकइ; लिज़ावेता के हत्या के पहेली समझइलकइ; बतइलकइ, कि कइसे कोख़ अइलइ आउ दरवाजा पर दस्तक देलकइ, आउ ओकर पीछू छात्र अइलइ, आउ ओकन्हीं दुन्नु के बीच होल बातचीत के दोहरइलकइ; कइसे ऊ, अपराधी, ज़ीना से उतरके भागलइ आउ मिकोल्का (निकोलाय) आउ मित्का (द्मित्री) के चीख सुनलकइ; कइसे ऊ खाली होल फ्लैट में छिप गेलइ, घर अइलइ [4]; आउ अंत में वोज़नेसेन्स्की राजपथ (avenue) पर के प्रांगण में पत्थल के देखइलकइ, जेकर निच्चे समान आउ बटुआ (पर्स) मिललइ [5] । एक शब्द में, मामला बिलकुल साफ हो गेलइ । अन्वेषक (छान-बीन करे वाला) आउ जज लोग बहुत अचंभित होते गेलइ, प्रसंगवश, ई बात से, कि ऊ बटुआ आउ समान पत्थल के निच्चे छिपा देलके हल, बिन ऊ सब के कोय इस्तेमाल कइले, आउ सबसे जादे ई बात से, कि नयँ खाली ऊ सब समान के विवरण ओकरा नयँ आद हलइ, खास करके जेकरा ऊ लेके गेले हल, बल्कि ओकर संख्या के मामलो में गलती कइलकइ । वस्तुतः, ई परिस्थिति, कि ऊ एक्को तुरी बटुआ नयँ खोललके हल आउ एहो नयँ जानऽ हलइ कि ओकरा में ठीक-ठीक केतना पइसा हइ, अविश्वसनीय लगऽ हलइ (बटुआ में कुल चानी के तीन सो सतरह रूबल आउ तीन गो बीस कोपेक के सिक्का हलइ; पत्थल के निच्चे लम्मा समय तक रहे से कुछ उपरे वला, सबसे बड़गर, नोट बहुत जादे खराब हो चुकले हल) । ऊ लोग बहुत समय ले लेते गेलइ ई पता करे के कोशिश में - काहे लगी अभियुक्त खाली ई एगो बात लगी झूठ बोलतइ, जबकि आउ सब मामला में स्वेच्छा आउ सच्चाई से सब कुछ स्वीकार करऽ हइ ? आखिरकार, कुछ लोग (विशेष रूप से मनोवैज्ञानिक लोग में से) ई संभावना के स्वीकार कइलकइ, कि असल में ऊ बटुआ खोलके देखवे नयँ कइलके होत, ओहे से ई नयँ जानऽ हलइ, कि ओकरा में की हलइ, आउ बिन जानलहीं अइसीं लाके पत्थल के निच्चे रख देलके होत, लेकिन एकरे से ओकन्हीं ई निष्कर्ष निकालते गेलइ, कि ई अपराध तात्कालिक पागलपन के दौरान के अतिरिक्त, कोय आउ दोसरा हालत में नयँ हो सकऽ हलइ, अइसन कहल जाय, बिन कोय अंतिम उद्देश्य आउ निजी लाभ के हिसाब कइले, हत्या आउ लूट के रोगजन्य एकोन्माद (morbid monomania) के अवस्था में । ई, संयोगवश, तात्कालिक पागलपन के अद्यतन फैशनदार सिद्धांत से मेल खा हलइ, जे हमन्हीं के समय में (आझकल) कुछ प्रकार के अपराधी लोग पर अकसर लागू करे के प्रयास कइल जा हइ । एकरा अलावे, रस्कोलनिकोव के दीर्घकालीन रोगभ्रमी (hypochondriac) मानसिक स्थिति के कइएक साक्षी के द्वारा ठीक-ठीक सत्यापित कइल गेलइ - डॉक्टर ज़ोसिमोव, ओकर पहिलौकन दोस्त लोग, मकान-मालकिन आउ नौकरानी के द्वारा । ई सब कुछ प्रबल रूप से ई निष्कर्ष में सहायता कइलकइ, कि रस्कोलनिकोव कोय साधारण हत्यारा, डाकू आउ लुटेरा नियन बिलकुल नयँ हइ, बल्कि हियाँ बात कुछ आउ हइ । ई विचार के समर्थक लोग के बहुत झुंझलाहट होलइ, कि अपराधी खुद के बचावे लगी खुद्दे लगभग कोय प्रयास नयँ कइलकइ; अंतिम प्रश्न पर - ठीक कउची ओकरा हत्या करे लगी प्रवृत्त कइलकइ आउ कउची ओकरा डाका डाले लगी प्रेरित कइलकइ, ऊ बहुत स्पष्ट रूप से उत्तर देलकइ, बहुत अशिष्ट सटीकता (crudest exactitude) के साथ, कि ई सब कुछ के कारण हलइ - ओकर दयनीय स्थिति, ओकर दरिद्रता आउ विवशता, कम से कम तीन हजार रूबल के मदत से अपन जीवन-वृत्ति (career) के पहिला चरण के सुदृढ़ करे के इच्छा, आउ ई न्यूनतम राशि मकतूल के हियाँ से मिल जाय के ओकरा आशा हलइ । ऊ हत्या करे के निर्णय अपन विवेकहीन आउ अशक्तहृदय स्वभाव के कारण कइलके हल, आउ एकरा अलावे, मुसीबत आउ विफलता से तंग आ जाय के कारण । आउ ई प्रश्न पर कि ठीक कउची ओकरा आके अपन अपराध स्वीकार करे लगी प्रेरित कइलकइ, ऊ सीधे उत्तर देलकइ, कि हार्दिक पछतावा के कारण । ई सब कुछ लगभग भद्दा हलइ ...

लेकिन कइल अपराध के ध्यान में रखते, जेतना दंड के आशा कइल जा सकऽ हलइ, ओकरा से अधिक कृपापूर्ण प्रतीत होलइ, आउ शायद ठीक ई कारण से, कि अपराधी नयँ केवल खुद के निर्दोष नयँ सिद्ध करे लगी चहलके हल, बल्कि खुद के अधिक दोषी ठहरावे के अपन इच्छा प्रकट कइलके हल । ई मामला के सब्भे विचित्र आउ विशिष्ट परिस्थिति के ध्यान में रक्खल गेले हल । अपराध कइल जाय के पहिले अपराधी के रोगग्रस्त आउ दरिद्र परिस्थिति में लेश मात्र के संदेह के जगह नयँ हलइ । ई बात पर, कि ऊ चोरावल समान के उपयोग नयँ कइलके हल, आंशिक रूप से पश्चात्ताप के जागृत भावना के कारण बतावल गेलइ, आउ आंशिक रूप से अपराध करे के समय ओकर मानसिक क्षमता के स्वस्थ दशा में बिलकुल नयँ होना । लिज़ावेता के आकस्मिक हत्या के परिस्थिति भी ई अंतिम अनुमान के पुष्टि के उदाहरण प्रस्तुत कइलकइ - एगो अदमी दू-दू हत्या करऽ हइ आउ साथे-साथ ई भूल जा हइ, कि दरवाजा खुल्लल हइ ! आखिरकार, ओकर अपन दोष के स्वीकृति, ठीक ओहे समय, जबकि धर्मोन्मादी (निकोलाय) के मिथ्या आत्म-दोषारोपण के चलते मामला असाधारण रूप से उलझ गेले हल, आउ एकरा अलावे, जबकि असली अपराधी के विरुद्ध नयँ केवल कोय स्पष्ट सबूत नयँ हलइ, बल्कि कोय शक्को नयँ हलइ (पोरफ़िरी पित्रोविच अपन वचन पूरा तरह से निभइलके हल) - ई सब कुछ आखिरकार अभियुक्त के दंड के कमती करे में योगदान कइलकइ ।

एकरा अलावे, कुछ दोसर-दोसर परिस्थिति भी अप्रत्याशित रूप से सामने आ गेलइ, जे अभियुक्त के अनुकूल हलइ । भूतपूर्व छात्र रज़ुमिख़िन कहीं से तो खोदके सूचना प्राप्त कइलकइ आउ प्रमाण प्रस्तुत कइलकइ, कि अपराधी रस्कोलनिकोव, विश्वविद्यालय में रहते, विश्विद्यालय के एगो निर्धन आउ तपेदिक से ग्रस्त अपन सहपाठी के अपन अंतिम साधन से मदत कइलके हल आउ लगभग आधा साल तक ओकर खरचा उठइलके हल । जब ऊ मर गेलइ, तब मृत साथी के जीवित वृद्ध आउ दुर्बल पिता के देखभाल कइलकइ (ओकर सहपाठी अपन पिता के देखभाल अपन परिश्रम से लगभग तेरह बरिस के उमर से करते अइले हल), आखिर ई वृद्ध के अस्पताल में भरती कर देलकइ, आउ जब ओहो मर गेलइ, त ओकरा दफनइवो कइलकइ । ई सब सूचना रस्कोलनिकोव के भाग्य के निर्णय में कुछ अनुकूल प्रभाव डललकइ । खुद ओकर भूतपूर्व मकान-मालकिन, रस्कोलनिकोव के मृत मंगेतर के माय, आउ विधवा ज़ारनित्सिना, गोवाही देलकइ, कि जब ओकन्हीं दोसर घर में, पंचकोनिया के पास, रहते जा हलइ, तब रस्कोलनिकोव अग्निकांड के बखत, रात में, एगो पहिलहीं जल रहल फ्लैट में से दूगो छोटकुन्ना बुतरून के बाहर निकसलके हल, आउ ई दौरान खुद जल गेले हल । ई तथ्य के सवधानी से पूरा खोजबीन कइल गेलइ आउ कइएक गोवाह के माध्यम से सत्यापित कइल गेलइ । एक शब्द में, परिणाम ई होलइ, कि अपराधी के खुद अपराध स्वीकार करे, आउ ओकर दोष के कुछ शमनकारी परिस्थिति के ध्यान में रखके, खाली कुल्लम आठ बरिस के अवधि के, अपराधी के दोसरा दर्जा के सश्रम कारावास के दंड सुनावल गेलइ । मोकदमा के सुनवाई के शुरुए में रस्कोलनिकोव के माय बेमार पड़ गेला । मुकदमा के सुनवाई के दौरान भर खातिर, दुन्या आउ रज़ुमिख़िन के उनका पितिरबुर्ग से बाहर ले जाना संभव हो गेलइ । रज़ुमिख़िन रेलवे लाइन पर अवस्थित, आउ पितिरबुर्ग से थोड़हीं दूर, एगो शहर के चुनलके हल, ताकि ऊ मोकदमा के पूरा कार्रवाई पर नजर रख सकइ आउ साथे-साथ यथासंभव जेतना तुरी हो सकइ ओतना तुरी, अवदोत्या रोमानोव्ना से मिल-जुल सकइ । पुलख़ेरिया अलिक्सांद्रोव्ना के बेमारी कुछ विचित्र तरह के, आउ स्नायु से संबंधित हलइ, जेकर साथ-साथ कुछ तो पागलपन जइसन भी हलइ, अगर बिलकुल नयँ, त कम से कम आंशिक रूप से । जब दुन्या आखिर तुरी मिलके वापिस लौटलइ, तखने अपन माय के बिलकुल बेमार पइलकइ, बोखार आउ सरसाम में । ओहे शाम के ऊ रज़ुमिख़िन से मिलके तय कर लेलके हल, कि भाय के बारे कुछ सवाल कइला पर, माय के ठीक-ठीक की जवाब देल जाय, आउ ओकरा साथ मिलके माय खातिर एगो पूरा कहानी गढ़ लेलके हल, रस्कोलनिकोव के कुछ निजी मुहिम पर रूस से दूर विदेश जाय के, जेकरा से आखिर ओकरा पइसा आउ यश मिलतइ । लेकिन ओकन्हीं के अचरज होलइ, कि न तो तखने आउ न बादे में कभी ई सब के बारे खुद पुलख़ेरिया अलिक्सांद्रोव्ना कुछ पुछलका । एकर विपरीत, बेटा के आकस्मिक प्रस्थान के बारे उनकर खुद के एगो पूरा कहानी हलइ; ऊ आँख में आँसू भरके बतइलका, कि कइसे ऊ उनका भिर विदाई लेवे लगी अइले हल; आउ ई दौरान संकेत में बतइलका, कि खाली एगो उनके कइएक गो बहुत महत्त्वपूर्ण आउ रहस्यपूर्ण परिस्थिति के जनकारी हइ, कि रोद्या के कइएक गो बहुत शक्तिशाली दुश्मन हइ, से-से ओकरा छिपके भी रहे पड़ रहले ह । जाहाँ तक ओकर भविष्य के जीवन-वृत्ति के प्रश्न हइ, त उनका एहो निर्विवाद आउ उज्ज्वल प्रतीत होलइ, जब कुछ प्रतिकूल परिस्थिति समाप्त हो जइतइ; रज़ुमिख़िन के अकीन देलइलका, कि उनकर बेटा समय के साथ राजनेता बनतइ, जइसन कि ओकर लेख आउ उज्ज्वल साहित्यिक प्रतिभा से प्रमाणित होवऽ हइ । ऊ लगातार ई लेख पढ़ते रहऽ हला, कभी-कभी तो जोर-जोर से भी पढ़ऽ हला, आउ एकरे साथ लगभग सुत जा हला, लेकिन तइयो, अभी रोद्या ठीक-ठीक कज्जा हइ, लगभग अइसन प्रश्न नयँ करऽ हला, ई बात के बावजूद, कि उनका साथ लोग खुल्लल तौर पे चर्चा करे से कतराऽ हलइ - आउ खाली एहे बात के चलते उनका शक्का पैदा  हो सकऽ हलइ । आखिरकार, कुछ बात के मामले में पुलख़ेरिया अलिक्सांद्रोव्ना के ई विचित्र मौन से लोग भयभीत होवे लगलइ । ऊ, मसलन, ई बात पर कोय शिकायत नयँ करऽ हला, कि ओकरा हीं से कोय चिट्ठी नयँ आवऽ हइ, जबकि पहिले, अपन छोटका शहर में रहते बखत, ऊ खाली एक्के आशा आउ एक्के प्रत्याशा में जीयऽ हला कि जल्दी से जल्दी उनका अपन प्रिय बेटा के हियाँ से चिट्ठी मिलतइ । ई अंतिम परिस्थिति बहुत अबोधगम्य (inexplicable) हलइ आउ जेकरा चलते दुन्या बहुत परेशान हलइ; ओकर दिमाग में ई विचार अइते रहऽ हलइ, कि माय के शायद कुछ तो अपन बेटा के भाग्य के मामले में भयानक बात के आशंका हइ आउ ओकरा बारे पुच्छे से डरऽ हइ, कि कहीं आउ कुछ जादहीं भयंकर सुन्ने लगी नयँ मिल जाय । कउनो हालत में, दुन्या के साफ देखाय दे हलइ, कि पुलख़ेरिया अलिक्सांद्रोव्ना स्वस्थ दिमागी हालत में नयँ हका ।

लेकिन एक-दू तुरी अइसन होवइ, कि ऊ खुद्दे बातचीत के अइसन मोड़ दे देथिन, कि ई बात के उल्लेख कइले बिना कि रोद्या अभी ठीक-ठीक काहाँ परी हइ, उनका जवाब देना मोसकिल हो जाय; आउ जब जवाब जाने-अनजाने असंतोषजनक आउ शंकास्पद होहीं जाय के पड़इ, तब ऊ अचानक अत्यधिक दुखी, उदास, आउ चुप हो जाथिन, आउ अइसन हालत लम्मा समय तक चल्लइ । दुन्या आखिरकार देखलकइ, कि झूठ बोलना आउ कहानी गढ़ना मोसकिल हइ, आउ ई अंतिम निष्कर्ष पर पहुँचलइ, कि बेहतर एहे होत कि कुछ बात के मामले में चुप रहल जाय; लेकिन ई बात अधिकाधिक स्पष्ट होल जा हलइ, प्रत्यक्षता के हद तक, कि बेचारी माय के संदेह हो जाय कि बात कुछ तो भयंकर हइ । दुन्या के, प्रसंगवश, अपन भाय के बात आद पड़लइ, कि स्विद्रिगाइलोव के साथ ओकर दृश्य (होल घटना) के बाद, रस्कोलनिकोव के आखिरी निर्णायक घड़ी के ठीक पहिले वला दिन, रतिया में माय ओकर बड़बड़ाहट सुन रहला हल - त कीऽ, तहिया ऊ कुछ सुन लेलका हल ? अकसर, कभी-कभी कइएक दिन आउ कइएक सप्ताहो तक, दुखी आउ उदास मौन आउ शब्दहीन आँसू के बाद, ऊ बेमार औरत में कइसूँ हिस्टीरिया जइसन सजीवता आ जा हलइ आउ ऊ अचानक जोर-जोर से बोले लगी चालू कर दे हला, लगभग बिन रुकले, अपन बेटा के बारे, अपन आशा के बारे, भविष्य के बारे ... उनकर कपोल-कल्पना कभी-कभी बहुत विचित्र होवऽ हलइ । उनका खुश रक्खे के कोशिश कइल जा हलइ, उनकर हाँ में हाँ मिलावल जा हलइ (ऊ खुद्दे, शायद, अच्छा से समझऽ हला, कि उनकर खाली हाँ में हाँ मिलावल जा रहले ह आउ खाली खुश रक्खे के कोशिश कइल जा रहले ह), लेकिन तइयो ऊ बोलते रहऽ हला ...

अपराधी के अपराध स्वीकार कर लेला के पाँच महिन्ना बाद ओकर फैसला अइलइ । रज़ुमिख़िन ओकरा साथ जेल में भेंट करऽ हलइ, जब खाली ओकरा लगी संभव होवऽ हलइ । सोनियो । आखिरकार बिछुड़े के घड़ी आ गेलइ; दुन्या अपन भाय के कसम खइलकइ, कि ई बिछुड़न हमेशे लगी नयँ हकइ; रज़ुमिख़िन भी । रज़ुमिख़िन के तरुण आउ जोशीला दिमाग में, अगला तीन-चार बरिस में, यथासंभव, कम से कम भावी माली हालत के बुनियाद डाल देवे के, आउ कम से कम कुछ पइसा बचा लेवे आउ साइबेरिया चल जाय के दृढ़तापूर्वक एगो प्लान बइठ गेले हल, जाहाँ के मट्टी हर तरह से बहुत उपजाऊ हइ, लेकिन मजदूर, लोग आउ पूँजी के कमी हइ; हुआँ ठीक ओहे शहर में बस जाल जाय, जाहाँ रोद्या होतइ, आउ ... सब्भे मिलके एगो नया जिनगी शुरू कइल जाय । बिछुड़ते बखत, सब कोय रो पड़लइ । रस्कोलनिकोव सबसे आखिरी दिन में बहुत विचामग्न रहे लगले हल, मइया के बारे बहुत पूछताछ करे लगले हल, लगातार उनका बारे चिंता करते रहऽ हलइ । उनका बारे ऊ बहुत दुखी रहऽ हलइ, जेकरा चलते दुन्या परेशान हो गेलइ । माय के बेमार हालत के बारे विस्तृत जनकारी मिल गेला पर ऊ बहुत उदास हो गेलइ । सोनिया के साथ तो ऊ कोय कारणवश पूरे समय तक विशेष रूप से मूक बन्नल रहलइ । सोनिया, स्विद्रिगाइलोव द्वारा देल पइसा के मदत से, बहुत पहिलहीं तैयारी कर लेलके हल, आउ कैदी सब के ऊ टोली के साथ जाय लगी तैयार हलइ, जेकरा में ओहो (रस्कोलनिकोव भी) भेजल जाय वला हलइ । ओकरा आउ रस्कोलनिकोव के बीच एकरा बारे कभियो एक्को शब्द के उल्लेख नयँ कइल गेले हल; लेकिन दुन्नु के मालूम हलइ, कि एहे बात होतइ । ठीक अंतिम बिदाई के बखत, जब ओकर बहिन आउ रज़ुमिख़िन ओकरा बड़ी उत्साह भरल आश्वासन देते गेले हल, कि ओकन्हीं सब्भे के भविष्य सुखमय होतइ, जब ऊ जेल से बाहर निकसतइ, त ऊ विचित्र तरह से मुसका देलके हल, आउ भविष्यवाणी कइलकइ, कि माय के रोगग्रस्त स्थिति जल्दीए शोक में अंत होतइ । ऊ आउ सोनिया आखिर रवाना हो गेते गेलइ ।

दू महिन्ना के बाद दुनेच्का रज़ुमिख़िन से शादी कर लेलकइ । शादी उदास वातावरण में आउ बिन कोय धूमधाम के होलइ । लेकिन आमंत्रित लोग में पोरफ़िरी पित्रोविच आउ ज़ोसिमोव भी हलइ । ई पूरे अवधि में रज़ुमिख़िन एगो दृढ़संकल्प व्यक्ति के मुद्रा धारण कइले रहलइ । दुन्या आँख मूनके विश्वास कइलकइ, कि ऊ (रज़ुमुख़िन) अपन सब्भे इरादा के पूरा करता, आउ ओकरा पर विशवास के अलावा कुछ कर नयँ सकऽ हलइ - ई व्यक्ति में दृढ़संकल्प देखाय दे हलइ । एकरा अलावे, ऊ अपन पढ़ाय पूरा करे खातिर फेर से विश्वविद्यालय के व्याख्यान (लेक्चर) सुन्ने लगलइ । ओकन्हीं दुन्नु लगातार भविष्य के योजना (प्लान) बनइते रहऽ हलइ; दुन्नु दृढ़संकल्प के साथ पाँच बरिस के बाद साइबेरिया में बस जाय के इरादा कर रहले हल । तब तक खातिर ओकन्हीं के हुआँ सोनिया पर उमीद बन्हल हलइ ...

पुलख़ेरिया अलिक्सांद्रोव्ना खुशी से रज़ुमिख़िन के साथ अपन बेटी के शादी पर आशीर्वाद देलका; लेकिन ई शादी के बाद ऊ मानूँ जादे उदास आउ चिंतित रहे लगला । उनका कुछ खुशी के पल देवे खातिर, रज़ुमिख़िन संयोगवश उनका, ऊ छात्र आउ ओकर अपाहिज पिता के तथ्य से, अवगत करइलकइ, आउ ई बात के बारे कि रोद्या परसाल दूगो बुतरून के आग के चलते मौत से बचावे के दौरान खुद्दे जल गेले हल आउ बेमार भी पड़ गेले हल । ई दुन्नु सूचना, अइसूँ अस्तव्यस्त होल बुद्धि वली, पुलख़ेरिया अलिक्सांद्रोव्ना के लगभग हर्षोन्माद के स्थिति में पहुँचा देलकइ । ऊ लगातार एकरा बारे बोलते रहऽ हला, हियाँ तक कि गल्ली-सड़को पर बातचीत चालू कर दे हला (हलाँकि दुन्या हमेशे उनका साथ रहऽ हलइ) । सार्वजनिक घोड़ागाड़ी (करेता) में, दोकान में, कोय श्रोता मिल गेला पर, ऊ बातचीत शुरू कर दे हला - अपन बेटा के बारे, ओकर लेख के बारे, कइसे ऊ एगो छात्र के मदत कइलके हल, आग से (बुतरून के बचावे में) कइसे जल गेले हल, इत्यादि इत्यादि । दुनेच्का के समझ में नयँ आ रहले हल, कि उनका कइसे रोकल जाय । अइसन हर्षोन्माद आउ रोगजन्य मनोदशा के खतरा के अलावे, एगो आउ मुसीबत के खतरा हो सकऽ हलइ, अगर चल रहल मोकदमा से संबंधित रस्कोलनिकोव के नाम कहीं केकरो आद पड़ जाय आउ ऊ एकरा बारे कहीं उल्लेख नयँ कर देय ।  पुलख़ेरिया अलिक्सांद्रोव्ना आग से बचावल दुन्नु बुतरून के माय के पता मालूम कर लेलका हल आउ ओकरा से भेंट करे लगी उतारू हला । अंततः उनकर चिंता चरम शिखर तक पहुँच गेलइ । ऊ कभी अचानक कन्ने लगथिन, अकसर बेमार पड़ जाथिन, आउ बोखार में बड़बड़ाय लगथिन । एक तुरी, सुबह में, ऊ सीधे एलान कइलका, कि उनकर हिसाब से रोद्या के अब जल्दीए आवे के चाही, कि उनका आद पड़ऽ हइ, कि कइसे ऊ उनका से बिदा होते बखत, खुद बतइलके हल, कि ठीक नो महिन्ना के बाद ओकर वापिस आवे के उमीद कइल जा सकऽ हइ । ऊ फ्लैट के पूरा सफाई आउ ओकरा स्वागत करे के तैयारी करे लगला, ओकरा लगी निश्चित कइल कमरा (अपन खुद वला) के सजावे, फ़र्नीचर साफ करे, धोवे आउ नयका परदा लगावे, इत्यादि करे लगला । दुन्या चिंतित हलइ, लेकिन चुप रहलइ आउ अपन भाय के स्वागत में उनका कमरा सजावे में मदतो करे लगलइ । अनवरत कपोल-कल्पना में, आनंदप्रद स्वप्न आउ आँसू में कष्टप्रद दिन बितइला के बाद, रात में ऊ बेमार पड़ गेला आउ सुबह में बोखार आउ सरसाम में हला । मस्तिष्क ज्वर प्रकाश में अइलइ । दू सप्ताह में ऊ मर गेला । सरसाम में उनकर मुँह से अइसन-अइसन शब्द निकस रहले हल, जेकरा से ई निष्कर्ष निकसऽ हलइ, कि उनका अपन बेटा के भयंकर भाग्य के बारे ओकरा अपेक्षा बहुत जादहीं शक्का हलइ, जेतना लोग सोच रहले हल ।

रस्कोलनिकोव के लम्मा समय तक अपन माय के मौत के बारे पता नयँ चललइ, हलाँकि ओकरा साइबेरिया में बसावे के बिलकुल शुरुए से पितिरबुर्ग से पत्राचार स्थापित हो चुकले हल । एकर प्रबंध सोनिया के माध्यम से होले हल, जे नियमित रूप से हरेक मिहिन्ने रज़ुमिख़िन के नाम से पत्र लिखके पितिरबुर्ग भेजऽ हलइ आउ नियमित रूप से हरेक महिन्ने पितिरबुर्ग से ओकरा पत्र मिल जा हलइ । सोनिया के पत्र पहिले दुन्या आउ रज़ुमिख़िन के कइसूँ नीरस आउ असंतोषप्रद लगऽ हलइ; लेकिन अंत में ऊ दुन्नु के समझ में अइलइ, कि एकरा से आउ बेहतर लिखना असंभव हलइ, काहेकि परिणामस्वरूप ई सब पत्र में तइयो ओकर अभागल भाय के भाग्य के बारे सबसे संपूर्ण आउ ठीक-ठीक प्रस्तुति प्राप्त होवऽ हलइ । सोनिया के पत्र, सबसे साधारण वास्तविकता से भरल रहऽ हलइ, आउ ओकरा में रस्कोलनिकोव के सश्रम कारावास के जिनगी के सब्भे परिस्थिति के सबसे सहज आउ स्पष्ट वर्णन रहऽ हलइ । हियाँ अप्पन कोय उमीद के चर्चा नयँ होवऽ हलइ, आउ न भविष्य के कोय अनुमान, न अप्पन भावना के कोय वर्णन । रस्कोलनिकोव के मनोदशा आउ साधारणतः ओकर सब आंतरिक जीवन के वर्णन करे के प्रयास के स्थान पर खाली तथ्य रहऽ हलइ, अर्थात् ओकर खुद के बोलल शब्द, ओकर स्वास्थ्य के दशा के विस्तृत सूचना, फलना-फलना बखत भेंट होला पर ऊ की चहलकइ, कउची के बारे ओकरा पुछलकइ, ओकरा कउन काम करे लगी सौंपलकइ, इत्यादि । ई सब सूचना अत्यधिक विस्तार से भेजल जा हलइ । अंत में अभागल भाय के चित्र अपने आप उभरके आ जा हलइ, ठीक-ठीक आउ स्पष्ट देखाय दे हलइ; हियाँ कोय गलती नयँ हो सकऽ हलइ, काहेकि सब कुछ पक्का तथ्य रहऽ हलइ ।

लेकिन ई सब सूचना से दुन्या आउ ओकर पति के बहुत कम खुशी मिल्लऽ हलइ, खास करके शुरू-शुरू में । सोनिया लगातार सूचित करऽ हलइ, कि ऊ हमेशे उदास रहऽ हका, गुमसुम रहऽ हका आउ समाचार में लगभग कोय दिलचस्पी नयँ ले हका, जे प्राप्त होल पत्र से ऊ उनका हरेक तुरी बतावऽ हइ; कि ऊ कभी-कभार अपन माय के बारे पुच्छऽ हका; आउ जब ऊ (सोनिया) ई देखके, कि ऊ (रस्कोलनिकोव) सच्चाई के बारे अंदाज लगाना शुरू कर देलका ह, तब उनका आखिर उनकर माय के मौत के बारे बता देलकइ, त ओकरा ई बात से अचरज होलइ, कि माय के मौत के खबर मिललो पर उनका पर कोय बहुत जादे असर नयँ होलइ, कम से कम बाहर से ओकरा तो अइसीं लगलइ । एकरा अलावे ऊ सूचित कइलके हल, कि ई बात के बावजूद कि ऊ उपरे-उपरे तो एतना अपने आप में विचारमग्न रहऽ हला आउ मानूँ सब लोग से अपने आपके अलग-थलग कर लेलका हल - उनकर अपन नयका जिनगी के मामले में उनकर मनोवृत्ति बहुत सीधा आउ सरल रहऽ हलइ; कि ऊ स्पष्ट रूप से अपन स्थिति के समझऽ हका, नगीच भविष्य में कुच्छो बेहतर के प्रत्याशा नयँ करऽ हका, उनका कउनो प्रकार के अविवेकपूर्ण आशा नयँ हइ (जे उनकर स्थिति में एतना स्वाभाविक हइ) आउ अपन नयका वातावरण के बीच उनका कोय बात के अचरज नयँ होवऽ हइ, जबकि नयका वातावरण में आउ कइसनो पहिलौका में मोसकिल से कोय समानता हइ । ऊ सूचित कइलकइ, कि उनकर स्वास्थ्य संतोषजनक हइ । ऊ काम पर जा हका, जेकरा से न तो जी चुरावऽ हका आउ न जेकरा अपने से माँगके अपने ऊपर थोपऽ हका । खाना के मामले में लगभग विरक्त हका, लेकिन खानो कइसन रहऽ हइ, एतवार आउ छुट्टी के दिन छोड़के, बाकी दिन एतना खराब रहऽ हइ, कि आखिर ऊ अपन मन से ओकरा हीं से, यानी सोनिया से, कुछ पइसा स्वीकार कइलका हल, ताकि ऊ रोज दिन खुद अपना लगी चाय बना ले सकथिन; आउ बाकी मामले में ओकरा फिकिर नयँ करे के निवेदन कइलका, ई समझइते कि उनका बारे ई सब चिंता-फिकिर करे से उनका खाली झुंझलाहट होवऽ हइ । आउ आगू सोनिया सूचित कइलके हल, कि जेल में उनका सबके साथे रहे लगी जगह देल गेले हल; ऊ बैरक के अंदर जाके तो नयँ देखलके हल, लेकिन ई निष्कर्ष निकासऽ हइ, कि हुआँ खचाखच भरल होतइ, बदसूरत आउ अस्वास्थ्यप्रद (unhealthy); कि ऊ लकड़ी के तख्ता पर फेल्ट (felt) बिछाके सुत्तऽ हका, आउ अपना लगी दोसर कुच्छो इंतजाम करे लगी नयँ चाहऽ हका । लेकिन ऊ एतना तकलीफ आउ तंगी के हालत में कोय पहिले से बनावल योजना  चाहे इरादा के अनुसार बिलकुल नयँ रहऽ हका, बल्कि बस अपन भाग्य के मामले में लापरवाही आउ बाहरी विरक्ति (outward indifference) से । सोनिया सीधे लिखलके हल, कि ऊ, खास करके शुरू में, ओकर भेंट करे लगी आवे में नयँ खाली कोय दिलचस्पी नयँ ले हला, बल्कि ओकरा पर लगभग झुंझलाइयो उट्ठऽ हला, बात करे लगी नयँ चाहऽ हला आउ ओकरा से रुखाई से पेश आवऽ हला, लेकिन अंत में ई भेंट-मोलकात उनका लगी एगो आदत हो गेलइ आउ लगभग एगो जरूरतो, से-से ऊ उदासो हो गेला, जब ऊ कुछ दिन तक बेमार हलइ आउ उनका से मिल्ले लगी नयँ आ पइलइ ।

ऊ रस्कोलनिकोव से छुट्टी के दिन जेल के गेट पर, चाहे गार्ड-रूम में भेंट करऽ हइ, जाहाँ पर ओकरा सोनिया भिर कुछ मिनट खातिर लावल जा हइ; काम के दिन काम के जगह पर, जाहाँ सोनिया ओकरा भिर जा हइ - कारखाना में, अइँटा के भट्ठा भिर, चाहे ईरतिश नद्दी के किनारे शेड में । अपना बारे सोनिया जनकारी देलके हल, कि ओकरा शहर में कुछ लोग से परिचय आउ संरक्षण भी प्राप्त करे में सफलता मिल गेले हल; कि ऊ सिलाय के काम करऽ हइ, आउ चूँकि शहर में पोशाक के सिलाय करे वला लगभग नयँ हइ, त कइएक घर में ओकरा बेगर कामो नयँ चल्लऽ हलइ; खाली ऊ ई नयँ उल्लेख कइलके हल, कि ओकर माध्यम से रस्कोलनिकोव के भी अधिकारीगण से संरक्षण मिल गेले हल, कि ओकरा कम मेहनत वला काम देल जा हलइ, इत्यादि । आखिरकार समाचार अइलइ (दुन्या ओकर हाल के पत्र सब से कुछ विशेष चिंता आउ भय नोटिस कइलके हल), कि ऊ सबसे अलग-थलग रहऽ हइ, कि जेल में अभियुक्त सब ओकरा पसीन नयँ करऽ हलइ; कि ऊ दिन-दिन भर मौन रहऽ हइ आउ बहुत पीयर हो गेले ह । अचानक, अंतिम पत्र में, सोनिया लिखलकइ, कि ऊ बहुत गंभीर रूप से बेमार पड़ गेला ह आउ अस्पताल में हका, कैदी लोग के वार्ड में ...

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