विजेट आपके ब्लॉग पर

Tuesday, November 10, 2015

अपराध आउ दंड - भाग – 6 ; अध्याय – 8



अपराध आउ दंड

भाग – 6

अध्याय – 8

जब ऊ सोनिया के घर में प्रवेश कइलकइ, त अन्हेरा होवे लगले हल । दिन भर सोनिया बड़ी बेचैनी से ओकर राह देख रहले हल । ऊ दुन्या के साथे ओकर राह देख रहले हल । ऊ सुबहे में ओकरा हीं आ गेले हल, स्विद्रिगाइलोव के कल्हे वला बात के आद करके, कि सोनिया "एकरा बारे जानऽ हइ" । हम दुन्नु औरतियन के बातचीत आउ आँसू के विस्तार से वर्णन नयँ करबइ, आउ न ई बात के, कि ओकन्हीं बीच केतना घनिष्ठ संबंध हो गेलइ । दुन्या के ई मोलकात से, कम से कम, एगो आश्वासन मिललइ, कि ओकर भैया अकेल्ले नयँ रहता - ओकरा हीं, सोनिया हीं, ऊ पहिले अपन अपराध-स्वीकृति के साथ अइला हल; ओकरा में उनका एगो इंसान मिललइ, जब ऊ एगो इंसान के जरूरत महसूस कर रहला हल; ओहे उनकर पीछू जइतइ, जाहाँ उनका उनकर किस्मत भेजतइ । ऊ पुछवो नयँ कइलके हल, लेकिन जानऽ हलइ, कि अइसीं होतइ । ऊ सोनिया तरफ आदर के साथ भी देखलकइ आउ शुरू-शुरू में अइसन आदर भाव के कारण, जइसन ऊ ओकरा से व्यवहार कइलकइ, ओकरा लगभग अटपटा महसूस होलइ । सोनिया लगभग कन्ने-कन्ने नियन हो गेले हल - ऊ, एकर विपरीत, खुद के दुन्या तरफ आँख उठाके देखे के लायक भी नयँ समझऽ हलइ । दुन्या के ऊ सुंदर चित्र, जब ऊ रस्कोलनिकोव के हियाँ पहिला मोलकात के दौरान एतना ध्यान आउ आदर के साथ झुकके ओकरा स्वागत कइलके हल, तहिया से हमेशे लगी ओकर आत्मा में ओकर जिनगी के सबसे सुंदर आउ अप्राप्य दृश्य के रूप में अंकित हो गेले हल ।

दुनेच्का आखिरकार बरदास नयँ कर पइलकइ, आउ सोनिया के छोड़के, इंतजार करे लगी अपन भाय के फ्लैट में चल गेलइ; ओकरा लगातार अइसन लग रहले हल, कि ऊ सबसे पहिले हुएँ अइता । अकेल्ले रह गेला पर, सोनिया के तुरतम्मे ई बात के डर सतावे लगलइ, कि शायद, वास्तव में ऊ आत्महत्या करके खुद के समाप्त कर लेता । आउ एहे बात के डर दुन्या के भी हलइ । लेकिन ओकन्हीं दुन्नु पूरे दिन एक दोसरा के सब तरह के तर्क के सहारे लगातार आश्वस्त करते रहलइ, कि अइसन नयँ हो सकऽ हइ, आउ जब तक दुन्नु साथ-साथ रहलइ, दुन्नु अधिक निश्चिंत रहलइ । आउ अब जइसीं एक दोसरा से अलगे होते गेलइ, ऊ दुन्नु खाली एहे एक बात के बारे सोचे लगते गेलइ । सोनिया के ई बात आद अइते रहलइ, कि कइसे कल्हे स्विद्रिगाइलोव ओकरा कहलके हल, कि रस्कोलनिकोव के पास दुइए रस्ता हइ - व्लादिमिरका [1] चाहे ... ऊ, एकरा अलावे, ओकर अहंकार, घमंड, स्वाभिमान आउ अविश्वास के बारे जानऽ हलइ । "की खाली अशक्तहृदयता आउ मौत के भय ही उनका जीवित रख सकऽ हइ ?" निराशा में आखिरकार ऊ सोचलकइ । एहे दौरान, अब सूरज डूब रहले हल । ऊ उदास होके खिड़की भिर खड़ी हलइ आउ एकटक ओकरा से बहरसी देखते रहलइ - लेकिन खिड़की के बाहर खाली पड़ोस के घर के सादा, बिन चुनेटल (whitewashed) देवाले देखाय दे रहले हल । आखिरकार, जब ओकरा ऊ अभागल के मौत के लगभग पूरा अकीन हो चलले हल - कि ऊ कमरा में प्रवेश कइलकइ ।

ओकर छाती से खुशी के चीख निकस गेलइ । लेकिन, ओकर चेहरा के एकटक देखला पर, ऊ अचानक पीयर पड़ गेलइ ।
"लऽ, हम आ गेलियो !" रस्कोलनिकोव मुसकइते बोललइ, "हम तोहर क्रॉस खातिर अइलियो ह, सोनिया । तूँहीं खुद्दे तो हमरा चौराहा पर भेज रहलहो हल; त अब की हो गेलो, जब बात असलियत पर आ गेलो, आउ तूँ डर गेलऽ ?"

सोनिया ओकरा अचरज से देखलकइ । ई तान (स्वर) ओकरा विचित्र प्रतीत होलइ; ओकर शरीर से एगो शीत लहर दौड़ गेलइ, लेकिन एक मिनट में ऊ अंदाज लगा लेलकइ, कि ई तान आउ शब्द सब देखावा हलइ । ऊ ओकरा से कइसूँ कोना तरफ देखते बात कर रहले हल, आउ सीधे ओकर चेहरा तरफ देखे से बच रहले हल ।

"तूँ देखऽ हो, सोनिया, हम ई नतीजा पर पहुँचलिए ह, कि शायद, ई हमरा लगी जादे फायदेमंद होतइ । हियाँ एगो बात हइ ... खैर, ई एगो लमगर कहानी हइ, आउ एकर चर्चा करे से कोय फयदा नयँ । जानऽ हो, हमरा खाली कउची से चिढ़ बरऽ हइ ? हमरा झुंझलाहट ई बात से होवऽ हइ, कि ई सब्भे बेवकूफ, जंगली कुरूप चेहरा तुरते हमरा घेर लेतइ, हमरा तरफ सीधे अपन आँख से घूरतइ, अपन बेवकूफी भरल सवाल करतइ, जेकर हमरा जवाब देवे पड़तइ - हमरा पर अँगुरी उठइते जइतइ ... उफ़ ! जानऽ हो, हम पोरफ़िरी बिजुन नयँ जा रहलिए ह; हम ओकरा से तंग आ चुकलूँ हँ । बेहतर एहे होत, कि हम अपन दोस्त लेफ़्टेनेंट पोरोख़ (शाब्दिक अर्थ 'बारूद') के पास चल जाऊँ, कइसन चकरा जइतइ ऊ हमरा देखके ! ई एक प्रकार के सनसनी पैदा कर देतइ! लेकिन हमरा अपन माथा जरी शांत रक्खे पड़त; एन्ने हाल में हम बहुत चिड़चिड़ा हो चुकलूँ हँ । की तोहरा विश्वास होतो - हम अभी बहिन तरफ लगभग मुक्का उसाह देलिए हल, ई लगी, कि ऊ अंतिम तुरी हमरा तरफ देखे लगी मुड़ गेले हल । अइसन सूअरपन वला हालत हइ ! ओह, हम काहाँ तक पहुँच गेलूँ हँ ! खैर, की होलइ, क्रॉस काहाँ हको ?"

लग रहले हल कि ऊ अपन होश में नयँ हइ । ऊ जगह पर एक्को मिनट तक स्थिर नयँ रह पा रहले हल, एक्को विषय पर अपन ध्यान केंद्रित नयँ कर पा रहले हल; ओकर विचार सब एक से दोसरा तरफ फलांग लगा रहले हल, ऊ ऊटपटांग बात कर रहले हल; ओकर हाथ जरी थरथरा रहले हल ।

सोनिया चुपचाप दराज से दू गो क्रॉस निकसलकइ, एगो साइप्रेस लकड़ी के आउ दोसरा तामा (ताँबा) के, खुद्दे क्रॉस कइलकइ, फेर ओकरा पर क्रॉस कइलकइ आउ ओकर छाती पर साइप्रेस क्रॉस पेन्हा देलकइ ।

"मतलब, ई संकेत हइ, कि हम अपने क्रॉस धारण कर रहलिए ह, हे-हे ! आउ सही हइ, हम अभी तक कम मुसीबत झेललिए ह ! साइप्रेस, मतलब साधारण लोग खातिर; तामा - ई लिज़ावेता के, खुद तूँ धारण करऽ हो - हमरा देखा सकऽ हो ? त ऊ ओकरा धारण कइले हलइ ... ऊ क्षण ? हम दूगो अइसन क्रॉस के बारे जानऽ हिअइ - एगो चानी के आउ दोसर एगो छोटगर प्रतिमा । तखने हम ऊ दुन्नु क्रॉस के ऊ बुढ़िया के छाती पर बिग देलिए हल । दरअसल, प्रसंगवश, ओहे क्रॉस अब हमरा पेन्हे के चाही हल ... लेकिन ई सब हम बकवास करब करऽ हिअइ, असली बात के भूल रहलिए ह; हम कइसूँ अन्यमनस्क होल हिअइ ! ... देखऽ, सोनिया - हम असल में ई लगी अइलियो हल, कि तोहरा पहिले से बता दियो, ताकि तोहरा मालूम हो जाय ... बस, एतने बात हको ... हम खाली एहे लगी अइलियो हल । (हूँ, हम हलाँकि सोच रहलियो हल, कि आउ कुछ कहबो ।) तूँ तो खुद्दे चाहऽ हलहो, कि हम चल जइअइ, अच्छऽ त हम जेल में रहबो, आउ तोहर कामना पूरा हो जइतो; लेकिन तूँ कन्नब काहे लगी करऽ हो ? आउ तूँहूँ ? बन करऽ, बहुत हो गेलो; ओह, ई सब हमरा लगी केतना असह्य हके !"

लेकिन भावना ओकरा में उत्पन्न होलइ; सोनिया तरफ देखते ओकर दिल बइठ गेलइ । "ई, ई काहे लगी ?" ऊ मने-मन सोचलकइ, "हम ओक्कर के हकिअइ ? ऊ काहे लगी कन्नऽ हइ; ऊ बिदाई खातिर, हमर माय चाहे दुन्या नियन हमरा काहे लगी तैयार करब करऽ हइ ? ऊ हमर दाय (दाई, धाय, परिचारिका) होतइ !"

"क्रॉस करऽ, कम से कम एक तुरी तो प्रार्थना कर ल", कँपते आउ सहमल अवाज में सोनिया अनुरोध कइलकइ ।
"ओह, काहे नयँ, जेतना तुरी तूँ कहऽ ! आउ साफ दिल से, सोनिया, साफ दिल से ..."
ओकरा लेकिन कुछ आउ कहे के मन हलइ ।
ऊ कइएक तुरी क्रॉस कइलकइ । सोनिया अपन शाल उठा लेलकइ आउ अपन सिर पर डाल लेलकइ । ई हरियर द्रा-द-दाम शाल हलइ, शायद बिलकुल ओहे, जेकरा बारे तखने रस्कोलनिकोव से मरमेलादोव चर्चा कइलके हल [2], "पारिवारिक शाल" । रस्कोलनिकोव के एकरा बारे विचार कौंधलइ, लेकिन ऊ पुछलकइ नयँ । वास्तव में, ऊ खुद महसूस करे लगले हल, कि ऊ भयंकर रूप से अन्यमनस्क आउ कइसूँ घिनौना तरह से परेशान हइ । एकरा चलते ऊ भयभीत हो गेलइ । ओकरा अचानक एहो बात अचरज में डाल देलकइ, कि सोनिया ओकरा साथ जाय लगी चाहऽ हइ ।

"तोरा की हो गेलो ह ! तूँ काहाँ जा रहलहो ह ? तूँ हिएँ रहऽ, हिएँ रहऽ ! हम अकेल्ले जइबइ", अशक्तहृदय झुंझलाहट में, आउ लगभग गोस्सा में दरवाजा तरफ बढ़लइ । "आउ हियाँ पूरा जुलूस काहे लगी !" बाहर जइते ऊ बड़बड़इलइ । सोनिया कमरा के बीच खड़ी रह गेलइ । ऊ सोनिया से बिदाई तक नयँ लेलकइ, ऊ ओकरा भूल चुकले हल; एगो कटु आउ विद्रोही शक्का ओकर आत्मा में खौल रहले हल ।

"की ई ठीक हइ, की ई सब सही हइ ?" ज़ीना से निच्चे उतरते बखत ऊ फेर से सोचलकइ, "की अब रुक जाना संभव नयँ हइ, आउ फेर सब कुछ बदल देना ... आउ नयँ जाना ?"

लेकिन तइयो ऊ जा रहले हल । ऊ अचानक आखिर महसूस कइलकइ, कि अब खुद के सवाल करे से कोय फयदा नयँ । बाहर निकसके सड़क पर गेला पर, ओकरा आद पड़लइ, कि ऊ सोनिया से बिदाई नयँ लेलके हल, कि ऊ कमरा के बिच्चे रह गेले हल, अपन हरियरका शाल में, ओकर चिल्लाहट से ऊ हिल्ले के साहस भी नयँ कइलके हल, आउ ऊ एक क्षण लगी रुक गेलइ । ओहे क्षण अचानक एगो विचार स्पष्ट रूप से ओकर दिमाग में अइलइ - जइसे आखिर ओकर दिमाग में आघात करे लगी प्रतीक्षा में हलइ । "त फेर काहे लगी, फेर काहे लगी अभी ओकरा भिर अइलिए हल ? हम ओकरा कहलिअइ - काम से; त कउन काम से ? बिलकुल कउनो तरह के काम तो नयँ हलइ ! त की ओकरा बतावे खातिर, कि हम जा रहलियो ह ? त एकरा से की होलइ ? की जरूरत हलइ ! की हम ओकरा प्यार करऽ हिअइ ? बिलकुल नयँ, बिलकुल नयँ ! अइकी हम ओकरा अभी कुत्ती नियन भगा देलिअइ । त की हमरा वास्तव में ओकरा से क्रॉस के जरूरत हलइ ? ओह, हम केतना गिर गेलूँ हँ ! नयँ - हमरा ओकर आँसू के जरूरत हलइ, हमरा ओकरा भयभीत होते देखे के जरूरत हलइ, ई देखे के, कि कइसे ओकर दिल में दरद होवऽ हइ आउ दुखी होवऽ हइ ! सहारा लेवे खातिर कोय तो चीज के जरूरत हलइ, ताकि कुछ मोहलत मिल सकइ, कोय इंसान के देख सकिअइ ! आउ हम अइसन भरोसा करे के साहस कइलिअइ, अपना बारे अइसन सपनाय के, हम कंगाल, तुच्छ, नीच, कमीना !"

ऊ नहर के किनारे-किनारे जा रहले हल, आउ ओकरा जाय के थोड़हीं दूर रह गेले हल । लेकिन पुल भिर पहुँचके ऊ एक पल रुक गेलइ, आउ अचानक पुल पर एक तरफ मुड़लइ आउ पुआल मंडी चल गेलइ ।

ऊ बड़ी उत्सुकता से दहिने आउ बामे देख रहले हल, हरेक चीज के बड़ी ध्यान से देख रहले हल, लेकिन ऊ कउनो चीज पर अपन ध्यान केंद्रित नयँ कर पा रहले हल; हर चीज ओकर पकड़ से निकस जा हलइ । "अइकी एक सप्ताह में, चाहे एक महिन्ना में, हमरा जेल के ई सब में से कोय गाड़ी में एहे पुल से होके ले जाल जइतइ, तखने हम ई नहर के कइसे देखबइ ? की हम एकरा आद कर पइबइ ?" ओकर दिमाग में कौंधलइ । "अइकी ई साइनबोर्ड, तखने हम एहे अक्षर सब के कइसे पढ़बइ ? हियाँ पर लिक्खल हइ - 'कम्पनी', त अइकी ई 'क' के, अक्षर 'क' के, आद करे के चाही, आउ ओकरा तरफ एक महिन्ना में देखिअइ, एहे अक्षर 'क' के - त तखने हम एकरा कइसे देखबइ ? तखने हम कीऽ महसूस करबइ आउ सोचबइ ? ... हे भगमान, ऊ बखत ई सब कुछ केतना तुच्छ लगतइ, ई सब हमर वर्तमान ... चिंता ! वास्तव में, ई सब कुछ, दिलचस्प होवे के चाही ... अपने आप में ... (हा-हा-हा ! हम कउची के बारे सोचब करऽ हिअइ !) हम तो एगो बुतरू नियन व्यवहार कर रहलूँ हँ, हम तो खुद के सामने शेखी बघार रहलूँ हँ; हम लज्जित काहे लगी हकूँ ? उफ़, लोग कइसे धक्का मारऽ हइ ! अइकी ई मोटू - शायद जर्मन हइ - जे हमरा धक्का देलकइ - अच्छऽ, ओकरा मालूम हइ, कि ऊ केकरा धक्का देलकइ ? एगो औरत अपन बुतरू के साथ भीख माँग रहले ह, अजीब बात हइ, कि ऊ हमरा खुद से जादे भाग्यशाली समझऽ हइ । एकरा से की होलइ, हम ओकरा कुछ दिलग्गी लगी दे दिअइ । अरे, पाँच कोपेक के सिक्का जेभी में बच गेले ह, काहाँ से ? हाँ, हाँ, ... ले ले, माय !"

"भगमान तोहर रक्षा करे !" भिखारिन के करुण स्वर सुनाय देलकइ ।
ऊ पुआल मंडी में घुसलइ । ओकरा लोग के साथ भेंट हो जाना खराब, बहुत खराब लगऽ हलइ, लेकिन ऊ ठीक हुएँ जा हलइ, जाहाँ जादे लोग देखाय दे हलइ । ऊ अकेल्ले रहे लगी दुनियाँ के सब कुछ दे देते हल; लेकिन ऊ खुद महसूस करऽ हलइ, कि ऊ एक्को मिनट अकेल्ले नयँ रह पइतइ । भीड़ में एगो पीयल अदमी हंगामा मचइले हलइ - ऊ नच्चे के पूरा कोशिश कर रहले हल, लेकिन हर तुरी ऊ ढनमनाके गिर जा हलइ ।  ओकरा लोग चारो बगली से घेरले खड़ी हलइ । रस्कोलनिकोव भीड़ के चीरते आगू गेलइ, कुछ मिनट तक ऊ पियक्कड़ तरफ देखते रहलइ आउ अचानक जरी सुनी ठहाका लगाके हँस देलकइ । एक्के मिनट बाद ऊ ओकरा बारे भूल चुकले हल, ऊ ओकरा देखाय नयँ देब करऽ हलइ, हलाँकि ओकर नजर ओकरा पर हलइ । आखिरकार ऊ ओज्जा से हट गेलइ, ओकरा एहो आद नयँ हलइ, कि ऊ काहाँ परी हकइ; लेकिन जब ऊ चौक के बीच में पहुँचलइ, त ओकरा साथ अचानक एगो हलचल होलइ, एगो संवेदना ओकरा अचानक दबोच लेलकइ, ओकरा बिलकुल वश में कर लेलकइ - शरीर आउ मन दुन्नु से ।

ओकरा अचानक सोनिया के शब्द आद पड़ गेलइ - "चौराहा पर चल जा, लोग के आगू झुक जा, धरती के चूम ल, काहेकि तूँ ओकरो सामने पाप कइलऽ ह, आउ पूरे संसार के चिल्लाके बतावऽ - 'हम हत्यारा हकिअइ !' [3] ओकरा ई बात आद अइला पर ओकर पूरा शरीर थरथराय लगलइ । आउ ई पूरे समय के, लेकिन खास करके पिछलौका कुछ घंटा के, हताश विषाद आउ चिंता ओकरा एतना हद तक दबा देलकइ, कि ऊ ई शुद्ध, नयका, संपूर्ण संवेदना के संभावना में लीन हो गेलइ । ई (संवेदना) ओकरा अचानक एक प्रकार के दौरा के रूप में अइलइ - एगो चिनगारी से ओकर आत्मा में आग सुलग गेलइ, आउ अचानक, आग नियन, ओकर समुच्चे शरीर में धधक गेलइ । सब कुछ एक्के तुरी ओकरा में कोमल हो गेलइ, आउ लोर ढरक पड़लइ । जाहाँ ऊ खड़ी हलइ, हुएँ ऊ जमीन पर गिर पड़लइ ...

ऊ चौक के बीच में टेहुना के बल बइठ गेलइ, जमीन तक झुक गेलइ आउ ई गंदा-संदा जमीन के चूम लेलकइ, आनंद आउ प्रसन्नता से । ऊ उठ गेलइ आउ दोसरा तुरी नमन कइलकइ ।
"अरे, पीयल हकइ !" ओकर बगल के एगो लड़का बोललइ ।
ठहाका सुनाय पड़लइ ।
"ई येरूशलम जा रहले ह, भाय लोग, अपन बुतरून आउ मातृभूमि से बिदाई ले रहले ह, आउ समुच्चे दुनियाँ के नमन कर रहले ह, राजधानी शहर सांक्त-पितिरबुर्ग आउ ओकर मट्टी के चूम रहले ह", कोय पीयल व्यापारी बात आगू बढ़इलकइ ।
"अभियो नौजवान छोकरा हइ !" तेसरा बीच में बोललइ ।
"कोय कुलीन घराना से हकइ !" कोय गंभीर स्वर में बोललइ ।
"आझकल कहल नयँ जा सकऽ हइ, केऽ कुलीन घराना के हइ, केऽ नयँ ।"

ई सब उद्गार आउ टिप्पणी रस्कोलनिकोव के नियंत्रित कर देलकइ, आउ ओकर जीभ से "हम हत्या कइलिअइ" शब्द जे निकसहीं वला हलइ, ओकरे में दम तोड़ देलकइ । लेकिन ऊ ई सब उद्गार के शांति से सहन कर लेलकइ, आउ पीछू बिन मुड़ले, सीधे बगल के गल्ली से थाना दने प्रस्थान कर गेलइ ।

रस्ता में ओकरा सामने एगो छाया (apparition) कौंधलइ, लेकिन ऊ ओकरा चलते अचंभित नयँ होलइ; ओकरा पहिलहीं से आभास हो रहले हल, कि अइसीं होतइ । ऊ बखत, जखने ऊ पुआल मंडी में जमीन के दोबारा नमन कइलके हल, त बामा तरफ मुड़ला पर, खुद से कोय पचास कदम पर, ऊ सोनिया के देखलके हल। ऊ चौक पर के कइएक काष्ठ बैरक (barrack) में से एगो के पीछू में छिप्पल हलइ, मतलब, ऊ ओकर पूरे दुखमय जुलूस में साथ देलके हल ! रस्कोलनिकोव ई क्षण एक्के तुरी हमेशे लगी महसूस कर लेलकइ आउ समझ गेलइ, कि सोनिया अब ओकरा साथ हमेशे साथ-साथ जइतइ, चाहे ई दुनियाँ के अंतिम छोर काहे नयँ होवे, चाहे जाहाँ कहीं किस्मत ओकरा काहे नयँ ले जाय । ओकर पूरा दिल मसोस उठलइ ... लेकिन - ऊ अब निर्णायक जगह पर पहुँच चुकले हल ...

ऊ काफी उत्साह के साथ प्रांगण में घुस गेलइ । ओकरा उपरे चढ़के तेसरा मंजिल पर जाय के हलइ । "अभी लगी तो आउ चढ़े के हइ", ऊ सोचलकइ । साधारणतः ओकरा लग रहले हल, कि निर्णायक घड़ी तो अभियो दूर हइ, अभियो बहुत समय बाकी हइ, बहुत कुछ के बारे अभी फेर से सोचल जा सकऽ हइ ।

फेर से ओहे कूड़ा-कचरा, चक्करदार ज़ीना पर ओहे अंडा के छिलका सब, फेर ओहे फ्लैट सब के दरवाजा सब पूरा खुल्लल, फेर ओहे सब भनसाघर, जेकरा से निकसते धुआँ आउ दुर्गंध । रस्कोलनिकोव तहिया से हियाँ नयँ अइले हल । ओकर गोड़ सुन्न पड़ रहले हल आउ जवाब दे रहले हल, लेकिन ऊ चलते रहलइ । ऊ एक क्षण लगी रुक गेलइ, ताकि दम ले सकइ, खुद के सँभाल ले सकइ, आउ एगो मानव के रूप में  प्रवेश कर सकइ । "लेकिन काहे ? काहे लगी ?" अपन गति के महसूस करके ऊ अचानक सोचलकइ । "अगर हमरा ई प्याला पीहीं के हइ, त की सब कुछ बराबर नयँ हइ ? जेतने खराब, ओतने बेहतर ।" एहे क्षण ओकर कल्पना में इल्या पित्रोविच पोरोख़ के आकृति कौंधलइ । "की वास्तव में हमरा ओकरा पास जाय के चाही ? की आउ कोय दोसरा के पास बिलकुल नयँ ? की निकोदिम फ़ोमिच के पास बिलकुल नयँ ? कि अभी मुड़के खुद पुलिस चीफ़ के पास चलल जाय, उनकर फ्लैट पर ? कम से कम, सब कुछ घरेलू तरीका से काम बन जात ... नयँ, नयँ ! पोरोख़ (बारूद) के पास, पोरोख़ के पास ! अगर पीने हइ, त सब कुछ एक्के तुरी काहे नयँ पीयल जाय ..."

सुन्न होल आउ लगभग अचेतन स्थिति में, ऊ थाना के दरवाजा खोललकइ । अबरी ओकरा में बहुत कम लोग हलइ, कोय दरबान आउ, आउ कोय साधारण अदमी । चौकीदार अपन ओट से हुलऽकियो के नयँ देखलकइ । रस्कोलनिकोव अगला कमरा में चल गेलइ । "शायद अभियो संभव हइ कि कुछ नयँ बोलूँ", ओकर दिमाग में कौंधलइ । हियाँ क्लर्क में से कोय एगो व्यक्ति, असैनिक (civilian) जैकेट पेन्हले, डेस्क पर कुछ लिक्खे के तैयारी कर रहले हल । कोना में एगो आउ क्लर्क बइठे जा रहले हल । ज़म्योतोव नयँ हलइ । आउ निकोदिम फ़ोमिच भी वस्तुतः नयँ हलइ ।
"कोय नयँ हइ की ?" डेस्क भिर वला व्यक्ति के संबोधित करके रस्कोलनिकोव पुछलकइ ।
"अपने के केऽ चाही ?"
"आ-हा ! न कुछ सुनाय देलकइ, न कुछ देखाय देलकइ, लेकिन रूसी आत्मा ... ई परीकथा में कइसे हइ ... भूल गेलूँ ! न-म-स्ते !" अचानक एगो जानल-पछानल अवाज जोर से अइलइ ।

रस्कोलनिकोव थरथरा गेलइ । ओकरा सामने पोरोख़ खड़ी हलइ, ऊ अचानक तेसरा कमरा में से बहरसी अइलइ । "ई तो बिलकुल किस्मत हइ", रस्कोलनिकोव सोचलकइ, "ऊ काहे लगी हियाँ हइ ?"
"हमन्हीं हीं ? कउन काम से ?" इल्या पित्रोविच उँचगर अवाज में बोललइ । (ऊ बहुत उत्तम आउ कुछ उत्तेजित अवस्था में मालूम पड़ऽ हलइ ।)
"अगर कोय काम हइ, त जरी जल्दी अइलथिन हँ । हम खुद संयोग से हियाँ हिअइ ... लेकिन, हम कोय भी मदत कर सकऽ हिअइ । हम अपने के सामने स्वीकार करऽ हिअइ ... अपने के … ? अपने के की नाम … ? माफ करथिन..."
"रस्कोलनिकोव ।"
"हाँ, हाँ, रस्कोलनिकोव ! की अपने वास्तव में मान लेलथिन कि हम अपने के भूल गेलिअइ ! अपने, किरपा करके, अइसन नयँ समझथिन ... रोदियोन रो... रो... रोदियोनिच, एहे नाम न हइ ?"
"रोदियोन रोमानिच ।"

"अरे, हाँ-हाँ ! रोदियोन रोमानिच, रोदियोन रोमानिच ! हम एहे सोच रहलिए हल । हम अपने के बारे बहुत कुछ जाँच-पड़ताल कर चुकलिए ह । हम, अपने के सामने स्वीकार करऽ हकिअइ, तहिया से तहे दिल से संतप्त हलिअइ, कि हम तखने अपने के साथ ओतना ... बाद में हमरा समझावल गेलइ, हमरा मालूम पड़लइ, कि नवयुवक साहित्यकार आउ विद्वान भी हथिन ... आउ, अइसन कहल जाय, पहिला कदम ... हे भगमान ! आउ साहित्यकार आउ विद्वान सब में से केऽ नयँ पहिले तुरी मौलिक कदम उठइलके होत ! हम आउ हमर घरवली - दुन्नु साहित्य के आदर करऽ हिअइ, आउ घरवली तो भावावेश के हद तक ! ... साहित्य आउ कला के ! अगर खाली कुलीन घराना के होवे, त बाकी सब कुछ प्रतिभा, विद्या, बुद्धि, आउ मेधा से प्राप्त कइल जा सकऽ हइ ! हैट - मसलन, हैट की हइ ? हैट तो मालपूआ हइ, जेकरा हम त्सिमरमान [4] के हियाँ से खरीद सकऽ हिअइ; लेकिन हैट के अंदर जे सुरक्षित रक्खल जा हइ आउ जे हैट से ढँक्कल रहऽ हइ, ओकरा तो हम नयँ खरीद सकऽ हिअइ जी ! ... हम स्वीकार करऽ हिअइ, हम अपने के हियाँ आके सब कुछ समझावे लगी चाहऽ हलिअइ, लेकिन सोचलिअइ, कि शायद अपने ... लेकिन हम नयँ पुछबइ - अपने के वास्तव में कुछ जरूरत हइ ? लोग के कहना हइ, कि अपने के रिश्तेदार अइते गेलथिन हँ ?"

"हाँ, माय आउ बहिन ।"
"हमरा अपने के बहिन से भी भेंट करे के सम्मान आउ सौभाग्य मिल चुकले ह - एगो शिक्षित आउ सुंदर व्यक्ति । स्वीकार करऽ हिअइ, हमरा अफसोस हइ, कि तहिया हमन्हीं दुन्नु के बीच ओतना झड़प हो गेलइ । एगो विचित्र घटना ! आउ कि हम अपने के तहिया, अपने के मूर्छा के कारण से, कुछ अइसन नजर से देखलिअइ - जे सब कुछ बाद में निम्मन से समझ में आ गेलइ ! निर्दयता आउ कट्टरता ! हम अपने के नराजगी समझऽ हिअइ । शायद, अपने के परिवार के आवे से अपने फ्लैट बदल रहलथिन हँ ?"

"न-नयँ, हम खाली अइसीं ... हम ई पुच्छे लगी अइलिअइ ... हम सोचलिअइ, कि हमरा हियाँ ज़म्योतोव से भेंट होतइ ।"

"ओह, हाँ ! अपने दुन्नु के बीच दोस्ती हो गेले हल; सुनलिए हल जी । खैर, ज़म्योतोव तो हमन्हीं हियाँ नयँ हइ - अपने जरी देर कर देलथिन । जी हाँ, अलिक्सांद्र ग्रिगोरयेविच के हमन्हीं खो देलिअइ (अर्थात् अभी हियाँ नयँ काम करऽ हइ) । कल्हे से ऊ अनुपस्थित हइ; ऊ कहीं अलगे चल गेलइ ... आउ जइते-जइते, सबके साथ झगड़ो कइलकइ ... ओहो अशिष्टतापूर्वक ... छिछोरा लड़का, एकरा से जादे कुछ नयँ; ओकरा से कुछ आशा भी कइल जा सकऽ हलइ; खैर, हमन्हीं के होनहार नवयुवक सब के बाते छोड़ देल जाय ! सुनलिअइ, कि कोय परीक्षा में बइठे लगी चाहऽ हइ, लेकिन हमन्हीं हीं तो खाली बस गप-सड़क्का आउ शेखी चल्लऽ हइ, आउ परीक्षा अइसीं समाप्त हो जइतइ । जाहिर हइ, कि अइसन कुछ नयँ हइ, मसलन, अपने चाहे हुआँ मिस्टर रज़ुमिख़िन, अपने के दोस्त के साथ ! अपने के जीवन-वृत्ति (career) - विद्वान के वृत्ति हइ, आउ अपने के कइसनो विफलता के चलते हिम्मत नयँ टुटतइ! अपने लगी, जिनगी के ई सब सौन्दर्य, कहल जा सकऽ हइ, nihil est [निहिल एस्त (लैटिन) - कुछ नयँ हइ], तपस्वी, मठवासी (monk), संन्यासी ! ... अपने लगी पुस्तक, कान के पीछू कलम, विद्वत्तापूर्ण शोधकार्य - हिएँ तो अपने के आत्मा उड़ान भरऽ हइ ! हम खुद्दे जरी-मनी ... अपने लिविंगस्टोन के यात्रा-वृत्तांत [5] पढ़लथिन हँ ?"
"नयँ ।"
"लेकिन हम पढ़लिए ह । आझकल, लेकिन, बहुत जादे निषेधवादी (nihilists) लोग फैल गेते गेले ह; खैर, ई बात समझल जा सकऽ हइ; आझकल के जमाना कइसन हइ, हम अपने के पुच्छऽ हिअइ ? लेकिन, हम अपने के साथ ... वस्तुतः अपने कहीं निषेधवादी तो नयँ हथिन न ! खुल्लल दिल से उत्तर देथिन, खुल्लल दिल से !"
"न-नयँ ..."
"नयँ, देखथिन, अपने हमरा साथ खुलके बात कर सकऽ हथिन, संकोच नयँ करथिन, जइसन कि अकेल्ले में अपने आप से ! एक चीज हइ नौकरी, दोसर चीज हइ ... अपने सोचलथिन, हम कहे लगी चहलिअइ – दोस्ती; नयँ जी, अंदाज नयँ लगा पइलथिन ! दोस्ती नयँ, बल्कि एगो नागरिक आउ मानव के भावना, मानवता के भावना आउ सर्वोच्च (सर्वशक्तिमान) लगी प्रेम । हम सरकारी व्यक्ति हो सकऽ हिअइ, आउ ड्यूटी पर, लेकिन अपने आप में हमेशे एगो नागरिक आउ मानव के रूप में अनुभव करना कर्तव्य समझे के चाही आउ एकरा लगी उत्तरदायी होवे के चाही ... अइकी अपने ज़म्योतोव के उल्लेख करे के किरपा कइलथिन । ज़म्योतोव ! ऊ जइता आउ कोय बदनाम अड्डा में फ्रेंच शैली के कोय हंगामा खड़ी कर देता, एक गिलास शैम्पेन चाहे दोन शराब (Don wine) पर - त अइसन हका अपने के ज़म्योतोव ! जबकि हम शायद, अइसे कहल जाय, कर्तव्यनिष्ठा से आउ उच्च भावना से जल रहलिए ह, आउ एकरा अलावे हमरा हैसियत, पदवी हइ आउ ओहदा पर हिअइ ! हम शादी-शुदा आउ बाल-बुतरू वला हिअइ । एगो नागरिक आउ मानव के कर्तव्य निबाहऽ हिअइ, आउ ऊ केऽ हइ, पूछ सकऽ हिअइ ? हम अपने के सामने विचार रख रहलिए ह, एगो अइसन व्यक्ति के सामने, जेकर भावना शिक्षा से निखारल हइ । अइकी आउ दाई लोग (midwives) के संख्या एन्ने बड़ी तेजी से बढ़ रहले ह ।"

रस्कोलनिकोव प्रश्नात्मक दृष्टि से अपन त्योरी चढ़इलकइ । स्पष्टतया अभी टेबुल भिर से खाना खाके उठके आवल इल्या पित्रोविच के शब्द ओकरा सामने अधिकतर खोखला अवाज नियन खटखटाब आउ निकसब करऽ हलइ । लेकिन तइयो आंशिक रूप से कुछ तो ओकरा समझ में आ रहले हल; ऊ प्रश्नात्मक दृष्टि से ओकरा तरफ देख रहले हल आउ ऊ समझ नयँ पा रहले हल, कि ई सब कउची से अंत होतइ ।

"हम ई छोटगर केश वली नौजवान औरतियन के बारे बात कर रहलिए ह", बातूनी इल्या पित्रोविच बात जारी रखलकइ, "हम खुद्दे ओकन्हीं के दाई नाम रखलिए ह आउ हमरा अइसन नाम बिलकुल संतोषजनक लगऽ हइ । हे ! हे ! अकादमी में सरकके चल जइते जा हइ, आउ शरीर-रचना के अध्ययन करऽ हइ; अब हमरा बताथिन, अगर हम बेमार पड़ जा हिअइ, त की हम अपन इलाज करावे लगी अइसन लड़की के बोलइबइ ? हे ! हे !" [6]

इल्या पित्रोविच ठहाका लगाके हँसलइ, अपन मजाक भरल बात पर पूरे तरह से प्रसन्न होके ।
"मान लेल जाय, कि ई शिक्षा लगी अत्यधिक पिपासा हइ; लेकिन एक तुरी शिक्षित हो गेलइ, कि ई काफी हइ । ओकर दुरुपयोग काहे लगी कइल जाय ? भद्र लोग के काहे लगी अपमानित कइल जाय, जइसन कि हरामजादा ज़म्योतोव करऽ हइ ? ऊ हमरा काहे लगी अपमानित कइलकइ, हम अपने के पुच्छऽ हिअइ ? आउ अइकी केतना आत्महत्या के घटना बढ़ गेले ह - एतना कि अपने एकर कल्पनो नयँ कर सकऽ हथिन । ई सब लोग अपन आखिरी कौड़ी तक फूँक देते जा हइ आउ फेर खुद के परान हत ले हइ । लड़कियन, लड़कन, बुढ़वन ... अइकी आझे सुबह में, हाले में ई शहर में पधारल, कोय साहब के बारे रिपोर्ट मिललइ । नील पावलिच, ओ नील पावलिच ! की नाम हलइ ऊ साहब के, जिनका बारे अभी रिपोर्ट मिलले हल, कि ऊ पितिरबुर्ग के उपनगरीय (suburb) क्षेत्र में खुद के गोली मार लेलका ?"

"स्विद्रिगाइलोव", दोसर कमरा से कोय भर्राल अवाज में आउ विरक्त भाव से जवाब देलकइ ।
रस्कोलनिकोव चौंक पड़लइ ।
"स्विद्रिगाइलोव ! स्विद्रिगाइलोव आत्महत्या कर लेलका !" ऊ चिल्लइलइ ।
"की ! अपने स्विद्रिगाइलोव के जानऽ हथिन ?"
"हाँ ... जानऽ हिअइ ... ऊ हाले में अइला हल ..."

"हाँ, सही बात हइ, हाले अइला हल, अपन पत्नी खो देलका, एगो दुश्चरित्र व्यक्ति, आउ अचानक खुद के गोली मार लेलका, आउ अइसन शरमनाक हालत में, कि कल्पना नयँ कइल जा सकऽ हइ ... अपन खुद के नोटबुक में कुछ शब्द लिख छोड़लका हल, कि ऊ अपन होशो-हवाश में मर रहला ह आउ उनकर मौत लगी केकरो पर दोषारोपण नयँ करे के निवेदन करऽ हका । कहल जा हइ, कि इनका पास बहुत पइसा हलइ । अपने के उनका बारे कइसे मालूम ?"

"हम ... जानऽ हलिअइ ... हमर बहिन उनकर परिवार में गवर्नेस के काम करऽ हलइ ..."
"वाह, वाह, वाह ... हाँ, तो अपने हमन्हीं के, मतलब, उनका बारे सूचना दे सकऽ हथिन । आउ अपने के कोय शक्का नयँ हलइ ?"
"हम कल्हे उनका देखलिए हल ... ऊ ... शराब पी रहला हल ... हमरा कुछ नयँ मालूम हलइ ।"

रस्कोलनिकोव के अइसन महसूस होलइ, कि ओकरा पर जइसे कुछ तो गिरलइ आउ ओकरा दबा देलकइ ।
"अपने फेर से, लगऽ हइ, पीयर पड़ गेलथिन । हमरा हियाँ अइसन घुटन भरल जगह हइ ..."
"जी हाँ, हमरा जाय के समय हो गेलइ", रस्कोलनिकोव बड़बड़इलइ, "माफ करथिन, हम अपने के तकलीफ देलिअइ ..."
"ओह, नयँ जी, जेतना तुरी मन होवइ, आथिन ! अपने से मिलके खुशी होलइ, आउ हमरा ई कहते खुशी हइ ..."
इल्या पित्रोविच अपन हाथ मिलावे खातिर बढ़इलकइ ।
"हम खाली चाहऽ हलिअइ ... हम ज़म्योतोव से मिल्ले लगी अइलिए हल ..."
"हम समझऽ हिअइ, समझऽ हिअइ, आउ हमरा खुशी होलइ अपने से मिलके ।"
"हमरा ... बहुत खुशी हइ ... जी, फेर भेंट होतइ ..." रस्कोलनिकोव मुसकइलइ ।

ऊ बहरसी निकस गेलइ; ऊ लड़खड़ा रहले हल । ओकर सिर चकरा रहले हल । ओकरा ई अनुभव नयँ हो रहले हल, कि ऊ गोड़ के बल खड़ी हइ । ऊ दहिना हाथ से देवाल के सहारा लेके ज़ीना से निच्चे उतर रहले हल । ओकरा आभास होलइ, कि कोय तो दरबान, अपन हाथ में रजिस्टर लेले, ओकरा धक्का दे देलकइ, जब ऊ ओकरा भिर से गुजरते उपरे थाना तरफ जा रहले हल; कि निचला मंजिल पर कोय तो एगो छोटगर कुत्ता जोर-जोर से लगातार भूँक रहले हल, कि कोय औरत ओकरा पर बेलन फेंकके मालकइ आउ चिल्लाय लगलइ । ऊ निच्चे उतरलइ आउ बहरसी प्रांगण में अइलइ । हियाँ प्रांगण में, फाटक से थोड़हीं दूर पर, पीयर, पूरा स्तब्ध होल, सोनिया खड़ी हलइ आउ वहशी-वहशी ढंग से ओकरा तरफ देख रहले हल । ऊ सोनिया के सामने खड़ी हो गेलइ। ओकर (सोनिया के) चेहरा पर कुछ तो दर्दनाक आउ संतप्त भावना उभरल हलइ, कुछ तो निराशा भरल। ऊ (सोनिया) अपन दुन्नु हाथ उपरे उठा लेलकइ । एगो भद्दा, हताश मुसकान ओकर (रस्कोलनिकोव के) होंठ पर उभर अइलइ । ऊ थोड़े देर खड़ी रहलइ, हलके से मुसकइलइ आउ उपरे तरफ मुड़ गेलइ, फेर से थाना तरफ ।

इल्या पित्रोविच बइठल हलइ आउ कुछ कागज उलट-पुलटके देख रहले हल । ओकरा सामने ओहे अदमी खड़ी हलइ, जे अभी-अभी रस्कोलनिकोव के, ज़ीना से उपरे जइते बखत, धक्का दे देलके हल ।
"अ-रे ! अपने फेर से ? कुछ चीज छूट गेलइ ? ... लेकिन बात की हइ ?"
रस्कोलनिकोव, पीयर पड़ल होंठ आउ निर्निमेष दृष्टि के साथ, ओकर नगीच गेलइ, ठीक टेबुल तक पहुँच गेलइ, ओकरा पर अपन हाथ टिका देलकइ, कुछ कहे लगी चहलकइ, लेकिन नयँ कह पइलकइ; खाली असंगत अवाज सुनाय पड़लइ ।
"अपने के तबीयत ठीक नयँ हइ, कुरसी ! अइकी, कुरसी पर बइठ जाथिन, बइठथिन ! पानी !"
रस्कोलनिकोव धम से कुरसी पर बइठ गेलइ, लेकिन बहुत अप्रिय तरह से अचंभित इल्या पित्रोविच के चेहरा पर से ऊ अपन नजर नयँ हटा रहले हल । एक मिनट तक दुन्नु एक दोसरा के देखते रहलइ आउ प्रतीक्षा करते रहलइ । पानी अइलइ ।
"हमहीं ...", रस्कोलनिकोव बात शुरू करे के प्रयास कइलकइ ।
"थोड़े सन पानी पी लेथिन ।"
रस्कोलनिकोव हथवा से पनिया के हटा देलकइ आउ कोमल स्वर में, रुक-रुकके, लेकिन स्पष्ट रूप से बोललइ -
"हमहीं तहिया सरकारी अफसर के विधवा बुढ़िया आउ ओकर बहिन लिज़ावेता के कुल्हाड़ी से हत्या कर देलिए हल आउ लूट लेलिए हल ।"
इल्या पित्रोविच अपन मुँह खोल देलकइ । सगरो से लोग दौड़ पड़लइ ।
रस्कोलनिकोव अपन बयान दोहरइलकइ । . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .



सूची            पिछला                     अगला



No comments: