विजेट आपके ब्लॉग पर

Monday, November 04, 2019

पितिरबुर्ग से मास्को के यात्रा ; अध्याय 18. तरझोक - भाग 3


ऊ समय लगी ई नयका अध्यादेश देखके, हम पावऽ हिअइ कि एकर मुख्य प्रवृत्ति हलइ प्रतिषेध के, ताकि जर्मन भाषा में मुद्रण कम होवइ, अथवा दोसर शब्द में, ताकि आम जनता हमेशे अज्ञानी रहइ। लैटिन भाषा में लिक्खल रचना पर, लगऽ हइ, सेंसर नञ् लगावल गेलइ। काहेकि ऊ लोग, जे लैटिन भाषा में दक्ष हलइ, लगऽ हइ, अइसन अशुद्धि के विरुद्ध पहिलहीं से बच्चल हलइ जे पहुँच के बाहर हलइ, आउ जे कुछ पढ़ऽ हलइ, ऊ सब कुछ निम्मन से आउ ठीक-ठीक समझऽ हलइ।(*) [*326] आउ ई तरह से पुरोहित लोग चाहऽ हलइ कि खाली ओकर सत्ता के अनुयायी लोग प्रबुद्ध (enlightened) होवे, कि लोग विज्ञान के उद्गम भगमान से माने, जे ओकन्हीं के समझ से उपरे हइ, आउ एकरा स्पर्श करे के साहस नञ् करे। आउ ई तरह से जेकर आविष्कार सत्य आउ प्रबोध (enlightenment) के अत्यन्त सीमित लोग के बीच बान्हे लगी कइल गेलइ, जेकर आविष्कार अपन शक्ति पर हीं विश्वास नञ् करे वला सत्ता कइल गेलइ, जेकर आविष्कार अज्ञान आउ अंधेरा बरकरार रक्खे लगी कइल गेलइ, आझकल के विज्ञान आउ दर्शन के जमाना में, जबकि विवेक अपन रस्ता में आवल असंगत अन्धविश्वास के झाड़ देलकइ, जबकि सत्य सो गुना चमकऽ हइ, जादे आउ जादे, जबकि ज्ञान के प्रकाशस्रोत समाज के दूर-दूर तक के शाखा तक फैल रहले ह, जबकि सब सरकार द्वारा अज्ञानता के उन्मूलन लगी आउ सत्य हेतु विवेक लगी अबाधित मार्ग खोले लगी प्रयास कइल जा रहले ह; एगो काँपते सत्ता के ई लज्जास्पद मठीय आविष्कार अभी सगरो स्वीकार कइल जा हइ, जे गहरा जड़ पकड़ चुकले ह आउ जेकरा गलती के विरुद्ध लाभदायक सुरक्षा मानल जा हइ। [*327] ऐ पागलो! ध्यान रक्खऽ, तोहन्हीं सत्य के असत्यता के सहारा देवे के प्रयास कर रहलऽ ह, तोहन्हीं गलती (error) से लोग के प्रबोधन देवे लगी चाह रहलऽ ह। सावधान, कहीं अन्धकार फेर से जन्म नञ् ले ले। तोरा की फयदा होतो जब अज्ञानी लोग पर शासन करते जइबहो, बल्कि बेहतर कहल जाय, असभ्य लोग पर, जे शिक्षा के अभाव में प्रकृति के अज्ञान में, चाहे बेहतर कहल जाय, स्वाभाविक सरलता में, अज्ञानी नञ् रहते अइलइ, बल्कि प्रबोधन के तरफ कदम बढ़ा लेला के बाद, ओकन्हीं के प्रगति करे से रोक लेवल गेलइ आउ अन्धेरा दने वापिस हाँक देवल गेलइ? एकरा में तोरा अपने आप में संघर्ष करे में कीऽ फयदा होवऽ हको, जबकि दहिना हाथ से रोपल के बामा हाथ से उखाड़ऽ हकहो? पुरोहितगिरी के ई बात पर खुशी मनइते देखहो। तोहन्हीं ओकर गुलाम हो चुकलऽ ह। अन्हेरा फैलावऽ आउ खुद पर बेड़ी के अनुभव करऽ, अगर हमेशे लगी धार्मिक अन्धविश्वास के बेड़ी नञ्, त राजनैतिक अन्धविश्वास के, जे हलाँकि ओतना हास्यास्पद नञ् हइ, लेकिन ओतने घातक हइ।
(*) एकरा अइसन अनुमति से तुलना कइल जा सकऽ हइ जेकरा से विदेशी भाषा के हर प्रकार के पुस्तक रक्खल जा सकऽ हइ आउ ओइसने पुस्तक के अप्पन भाषा में रक्खे के प्रतिषेध हइ। [लेखक रादिषेव के टिप्पणी]
[*328] लेकिन समाज लगी ई किस्मत के बात हइ कि पुस्तक मुद्रण के तोहन्हीं अपन क्षेत्र से निष्कासित नञ् कइलहो ह। जइसे कोय पेड़ शाश्वत वसन्त में लगावल जा हइ, त ओकर हरियाली कभी नञ् जा हइ, ओइसीं पुस्तक मुद्रण के औजार के काम करे से रोकल जा सकऽ हइ, लेकिन बरबाद नञ्। पोप लोग, प्रेस के स्वतंत्रता के कारण अपन सत्ता में उत्पन्न खतरा समझके, सेंसर-कार्य खातिर अध्यादेश जारी करे में देरी नञ् करते गेलइ; आउ ई प्रावधान बाद में रोम में जल्दीए होल परिषद् में एगो सामान्य कानून के रूप ले लेलकइ। चर्च के तिबेरिउस (Tiberius), पोप अलेक्ज़ेंडर VI, पोप लोग में से पहिला, सेंसर-कार्य संबंधी अध्यादेश (Bull) सन् 1501 में[1] जारी कइलकइ। खुद हर तरह के बुराई में झुक्कल, क्रिश्चियन धर्म के विशुद्धता के चिंता करे में नञ् लजइलइ। लेकिन सत्ता कब शरम से लाल होले ह! अपन अध्यादेश (bull)ऊ शैतान के विरुद्ध शिकायत पर शुरू करऽ हइ, जे गोहूम में घास के बुआई करऽ हइ, आउ कहऽ हइ –
"ई जानके कि उल्लिखित कला के माध्यम से, संसार के विभिन्न क्षेत्र में [*329] कइएक पुस्तक आउ रचना, विशेष करके कलोन (Cologne), माइन्ट्स, ट्रियर, माग्डेबुर्ग में मुद्रित, में विभिन्न प्रकार के अशुद्धि हइ आउ क्रिश्चियन धर्म के उपदेश के विरुद्ध घातक आउ शत्रुतापूर्ण हइ, आउ अभियो कुछ जगह में मुद्रित कइल जा रहले ह, आउ बिन कोय देरी के ई घृणास्पद बुराई के समाप्त करे खातिर, (जइसन कि हम पुरोहित कार्यालय से करे लगी बाध्य हिअइ[2],) आदेश दे हिअइ कि उल्लिखित कला के हरेक आउ सब्भे मास्टर आउ ओकर अधीन लोग के, आउ ऊ सब के, जे उपर्युक्त क्षेत्र में मुद्रण कार्य से संबंध रक्खऽ हइ, बहिष्कार आउ आर्थिक दंड देल जाय, जेकर निश्चय आउ संग्रह हमर आदरणीय बन्धु लोग करथिन, कलोन, माइन्ट्स, ट्रियर आउ माग्डेबुर्ग के आर्कबिशप चाहे उनकर क्षेत्र के प्रतिनिधि, धर्मप्रचारक चैंबर के पक्ष में (in favor of the Apostolic Chamber); धर्मप्रचारक अधिकार (Apostolic power) के हैसियत से उपर्युक्त आर्कबिशप चाहे उनकर प्रतिनिधि के बिना रिपोर्ट कइले, कोय पुस्तक, रचना अथवा लेखन के मुद्रण करे चाहे मुद्रण करे लगी देवे के कड़ाईपूर्वक प्रतिषेध करऽ हिअइ, [*330] आउ बिना उनकर विशिष्ट आउ निःशुल्क आवेदन के साथ अनुमति के; आउ उनके अंतःकरण पर भार दे हइ कि एकर पहिले के उनकन्हीं अइसन अनुमति दे हथिन, उनकन्हीं मुद्रण हेतु निश्चित कइल प्रस्तुत रचना के जाँच करथिन, चाहे विद्वान आउ ऑर्थोडोक्स लोग के जाँचे के आदेश देथिन, आउ उचित सतर्कता बरतथिन कि कुच्छो ऑर्थोडोक्स विश्वास के विरुद्ध, नास्तिक आउ  प्रलोभन पैदा करे वला रचना नञ् मुद्रित होवइ।" आउ एकर पहिले कि पुस्तक आउ अधिक हानि पहुँचावे, आदेश देल गेलइ कि पुस्तक से संबंधित सब्भे रजिस्टर के जाँच कइल जाय, आउ ऊ सब मुद्रित पुस्तक, जेकरा में कैथोलिक धर्म के विरुद्ध कुच्छो रहे, ओकरा जला देल जाय।
ओ! तोहन्हीं सब सेंसर के संस्थापक, आद रखते जा, कि तोहन्हीं के तुलना पोप अलेक्ज़ेंडर VI से कइल जा सकऽ हको आउ शर्मिंदा होवे पड़तो।
सन् 1515 में लातेरान परिषद् (Lateran Council) सेंसर के संबंध में अध्यादेश जारी कइलकइ कि बिन पुरोहित-वर्ग (clergy) के अनुमोदन के कोय भी पुस्तक मुद्रित नञ् कइल जइतइ[3]
[*331] पूर्वोक्त से हम देखलिअइ कि सेंसर के आविष्कार पुरोहित-वर्ग (clergy) द्वारा कइल गेलइ, आउ खाली ओकरे लगी ई विशेषाधिकार हलइ। बहिष्कार आउ आर्थिक दंड के साथ सचमुच ऊ जमाना में ओकरा लगी ई भयंकर प्रतीत होवऽ होतइ, जे ई अध्यादेश के उल्लंघन करऽ होतइ। लेकिन लूथर के द्वारा पोप के अधिकार (power) के निराकरण, रोमन चर्च से विभिन्न प्रकार के पाप-स्वीकारोक्ति (confessions) के पृथक्करण, कइएक सत्ता के बीच तीस वर्ष तक जारी युद्ध के चर्चा, कइएक पुस्तक पैदा कइलकइ, जे सेंसर के बिन सामान्य मुहर के प्रकाशित होलइ। लेकिन सगरो प्रकाशन पर सेंसर-कार्य के अधिकार पुरोहित-वर्ग हथिया लेलके हल; आउ जब 1650 में फ्रांस में सिविल सेंसर स्थापित कइल गेलइ, तब पेरिस यूनिवर्सिटी के ईश्वरपरक संकाय (Theological Faculty)  नयका स्थापना के विरोध कइलकइ, ई आधार पर कि दू सो साल से ऊ, ई अधिकार के लाभ उठा रहले ह।[4]
[*332] इंग्लैंड में पुस्तक मुद्रण के शुरुआत के तुरते बाद (*) सेंसर स्थापित कर देल गेलइ[5]। नक्षत्र सदन (Star Chamber), जे इंग्लैंड में स्पेन में धर्माधिकरण (Inquisition), चाहे रूस में गुप्त चांसलरी[6] (Secret Chancellery) के अपेक्षा अपन जमाना में कम भयंकर नञ् हलइ, मुद्रक आउ प्रेस के संख्या निश्चित कइलकइ; सेंसर स्थापित कइलकइ, जेकर अनुमति के बेगर कुच्छो मुद्रित नञ् कइल जा सकऽ हलइ। सरकार के बारे लिक्खे वला के विरुद्ध एकर अत्याचार के संख्या अनगिनत हलइ, आउ एकर इतिहास ओकरा से भरल हइ। आउ ओहे से, अगर इंग्लैंड में पुरोहिती अंधविश्वास (clerical superstition) बुद्धि पर सेंसर के भारी बोझ लादे में अशक्त हलइ, त ई राजनैतिक अंधविश्वास द्वारा लादल गेलइ। लेकिन दुन्नु के ई बात के ध्यान हलइ कि अपन सत्ता (शक्ति) सुरक्षित रहे, कि प्रबोध (Enlightenment) के आँख [*333] हमेशे सम्मोहन के कुहासा से ढँक्कल रहे, आउ बुद्धि के जगह पर हिंसा के राज रहे।
(*) विलियम कैक्स्टन (William Caxton) , लंदन के एगो व्यापारी, एडवर्ड VI के शासनकाल के दौरान सन् 1474 में मुद्रणालय (छापाखाना) चालू कइलकइ। अंग्रेजी में मुद्रित पहिला पुस्तक हलइ "The Game and Playe of Chesse" (शतरंज के खेल), जे फ्रेंच से अनुवाद कइल हलइ। दोसर हलइ लॉर्ड रिवर्स द्वारा अनूदित "The Dictes or Sayengis of the Philosophres" (दार्शनिक लोग के सूक्ति आउ शब्द के संग्रह)।[7] [लेखक रादिषेव के टिप्पणी]
स्ट्राफ़ोर्ड के अर्ल (Earl of Strafford) के मौत के बाद नक्षत्र सदन (Star Chamber) मिट गेलइ; लेकिन न तो एकर समापन आउ न कोर्ट द्वारा चार्ल्स प्रथम के दंड, इंग्लैंड में प्रेस के स्वतंत्रता स्थापित कर सकलइ।[8] दीर्घ संसद्[9] (Long Parliament) एकर विरोध में पूर्व अध्यादेश सब के नवीनीकरण कर देलकइ।  चार्ल्स II आउ जेम्स II[10] के शासनकाल के दौरान, ई सब के फेर से नवीनीकरण कइल गेलइ। क्रांति के बादो सन् 1692 में ई विधान (legislation) के पुष्टि कइल गेलइ, लेकिन खाली दू साल लगी[11]। सन् 1694 में समाप्ति के बाद, इंग्लैंड में प्रेस के स्वतंत्रता स्थापित हो गेलइ, आउ सेंसर अपन अन्तिम साँस लेके मर गेलइ।(*)
(*) डेनमार्क में प्रेस के स्वतंत्रता क्षणिक हलइ। डेनमार्क के समर्पित वोल्टायर (Voltaire) के छंद ई अवसर पर एगो साक्षी रह गेलइ कि कोय चतुर विधान (wise legislation) के जल्दीबाजी में प्रशंसा भी नञ् करे के चाही।[12] [लेखक रादिषेव के टिप्पणी]
[*334] अमेरिका के राज्य अपन सर्वप्रथम कानून के अंतर्गत प्रेस के स्वतंत्रता के प्रावधान कइलकइ, जे नागरिक लोग के स्वतंत्रता के गारंटी देलकइ।[13] पेनसिल्वानिया राज्य अपन संविधान, भाग 1, "A DECLARATION OF THE RIGHTS OF THE INHABITANTS OF THE COMMONWEALTH, OR STATE OF PENNSYLVANIA" (संयुक्त राज्य, अथवा पेनसिल्वानिया राज्य के निवासी लोग के अधिकार के घोषणा) के अंतर्गत, अनुच्छेद 12 में कहऽ हइ - "That the people have a right to freedom of speech, and of writing, and publishing their sentiments; therefore the freedom of the press ought not to be restrained" (लोग के विचार के अभिव्यक्ति, लेखन आउ अपन भावना के प्रकाशन के स्वतंत्रता हइ; ओहे से प्रेस के स्वतंत्रता के नियंत्रित नञ् कइल जाय के चाही।). भाग 2, "Plan or Frame of Government for the Commonwealth or State of Pennsylvania"[14] (संयुक्त राज्य अथवा पेनसिल्वानिया राज्य लगी सरकार के प्लान या फ्रेम), अनुच्छेद 35 में, "The printing presses shall be free to every person who undertakes to examine the proceedings of the legislature, or any part of government" (मुद्रण प्रेस ऊ प्रत्येक व्यक्ति लगी मुक्त होतइ, जे विधायिका, या सरकार के कोय भाग के कार्यवाही में जाँच-पड़ताल के काम अपन हाथ में ले हइ।). "A Project of a form of Government for the State of Pennsylvania, printed in order to put the inhabitants in a position to communicate their remarks (July 1776)" (पेनसिल्वानिया राज्य लगी सरकार के प्रकार के परियोजना, मुद्रित रूप में ताकि हियाँ के निवासी के अपन टीका-टिप्पणी के सूचित करे में सुविधा होवे, दिनांक जुलाई 1776),  अनुच्छेद 35 मेंः "The freedom of the press shall be open to every person who undertakes to examine the proceedings of the legislature; and the General Assembly shall not attaint it by any act. No printer shall be reprehensible for having published remarks, censures, or observations on the proceedings of the General Assembly, on any part of the Government, on any public affair, or on the conduct of any officer, in so far as they refer only to the exercise of his functions." (प्रेस के स्वतंत्रता ऊ प्रत्येक व्यक्ति लगी मुक्त होतइ, जे विधायिका, या सरकार के कोय भाग के [*335] कार्यवाही में जाँच-पड़ताल के काम अपन हाथ में लेतइ। कोय भी मुद्रक के ओकरा द्वारा प्रकाशित कोय टिप्पणी या निन्दा के कारण, सार्वजनिक सभा के कार्यवाही पर, सरकार के कइसनो भाग पर, कोय सार्वजनिक मामला पर, चाहे कोय अफसर के आचरण पर टिप्पणी कइला के कारण कोर्ट में नञ् घसीटल जा सकऽ हइ, जब ई खाली ओकर कर्तव्य के निष्पादन से संबंध रक्खे।) डेलावारे राज्य, अधिकार के घोषणा में, अनुच्छेद 23 में कहऽ हइ - "That the liberty of the press ought to be inviolably preserved."[15] (कि प्रेस के स्वतंत्रता के बिन कोय उल्लंघन के सुरक्षित रक्खे के चाही।) मैरिलैंड राज्य, अनुच्छेद 38 में, ठीक एहे शब्द के प्रयोग करऽ हइ।[16] वर्जिनिया राज्य, अनुच्छेद 14 में[17], ई शब्द कहऽ हइ - "That the freedom of the press is the greatest bulwark of liberty."[18] (कि प्रेस के स्वतंत्रता, राज्य के स्वतंत्रता के सबसे बड़गर सुरक्षा हइ।)
सन् 1789 के फ्रांसीसी क्रान्ति तक, पुस्तक मुद्रण के कहीं भी ओतना उत्पीड़न नञ् कइल गेले हल, जेतना कि [*336] ई राज्य में। सो आँख वला आर्गुस (Argus) , सो भुजा वला ब्रिआरेउस[19] (Briareus), पेरिस पुलिस लेखन आउ लेखक के विरुद्ध अपन धौंस जमावऽ हलइ। बास्तिल (Bastille) के कारागार में ऊ सब अभागल तड़पऽ हलइ, जे मंत्री लोग के लालच आउ लंपटता के विरुद्ध आलोचना करे के साहस करते गेले हल। अगर फ्रेंच भाषा यूरोप में ओतना अधिक प्रचलित आउ सर्वसाधारण नञ् होते हल, त सेंसर के चाभुक के अधीन कराह रहल फ्रांस, विचार में ओइसन महानता नञ् प्राप्त कर पइते हल जेतना एकर लेखक सब प्रदर्शित कइलकइ। लेकिन फ्रेंच भाषा के व्यापक प्रयोग हालैंड, इंग्लैंड, स्विटज़रलैंड आउ जर्मनी में मुद्रणालय (printing presses) के स्थापना के प्रोत्साहन देलकइ, आउ जे कुछ फ्रांस में प्रकाशित करे के साहस नञ् कइल जा हलइ, मुक्त रूप से दोसर-दोसर जगह पर प्रकाशित कइल गेलइ। ओहे से जे बाहुबल अपन मांसपेशी के शेखी बघारऽ हलइ, ऊ हास्यास्पद आउ अहानिकर हलइ; ओहे से क्रोध से फेनाऽ रहल जबड़ा खाली रह गेलइ, आउ कठोर शब्द ओकरा से निगलल नञ् जा पा रहला से फिसलके बाहर निकस रहले हल।
[*337] लेकिन मानवीय बुद्धि के असंगति (inconsistency) पर अचरज करहो। आझकल, जबकि फ्रांस में सब कोय स्वतंत्रता के समर्थन करऽ हइ, जबकि अव्यवस्था आउ अराजकता, संभावना के अधिकतम सीमा तक पहुँच गेले , फ्रांस में सेंसर के समाप्त नञ् कइल गेले ह। आउ हलाँकि सब कुछ हुआँ परी बिन कोय बाधा के मुद्रित होवऽ हइ, लेकिन गुप्त रूप से। हमन्हीं हाल में पढ़लिए ह - फ्रेंच लोग अपन भाग्य पर फूट-फूटके रोए, आउ ओकन्हीं साथे मानवता! - हमन्हीं हाल में पढ़लिए ह कि राष्ट्र परिषद् (National Assembly), पहिले के राजा नियन हीं निरंकुशतापूर्वक व्यवहार करते, एगो मुद्रित पुस्तक के बलपूर्वक हथिया लेलकइ आउ एकर रचनाकार के कोर्ट में घसीटके दे देलकइ, ई कारण से कि ऊ राष्ट्र परिषद् के विरोध में लिक्खे के साहस कइलके हल।[20] लाफ़ायेत (Lafayette) ई फैसला (दंडादेश) के निष्पादक (executor) हलइ। ऐ फ्रांस! तूँ अभियो बास्तिल के रसातल (abysses) के नगीच चक्कर लगा रहलऽ हँ!
जर्मनी में मुद्रणालय के विस्तार, ओकर औजार के प्राधिकारी लोग (authorities) से रक्षा कइलकइ, आउ ओकन्हीं के विवेक आउ प्रबोध (reason and enlightenment) के विरुद्ध [*338] रोष निकासे से वंचित कर देलकइ। छोटगर जर्मन राज्य, हलाँकि प्रेस के स्वतंत्रता में बाधा डाले के प्रयास करऽ हइ, लेकिन बेकार। वेख्रलिन के हलाँकि प्रतिशोधी शक्ति द्वारा कारागार में डाल देल गेलइ, लेकिन धूसर राक्षस (Gray Monster) सबके हाथ में रहलइ।[21]  स्वर्गीय फ्रेड्रिक II, प्रशिया (Prussia) के राजा, अपन क्षेत्र में प्रेस के लगभग स्वतंत्र कर देलके हल; कोय विशिष्ट विधान (legislation) के माध्यम से नञ्, बल्कि एगो मूक अनुमति आउ अपन सोचे के तरीका से। काहे लगी अचरज कइल जाय कि ऊ सेंसर के समाप्त नञ् कइलकइ? ऊ निरंकुश शासक हलइ, जेकर सबसे प्रिय सर्वशक्तिमत्ता हलइ। लेकिन अपन हँसी पर नियंत्रण रक्खऽ। ओकरा मालुम हलइ कि ओकर प्रकाशित उकाज़ (अध्यादेश) सब के केकरो तो संग्रह करके मुद्रित करे के इरादा हलइ। एकरो लगी ऊ दू सेंसर, अथवा अधिक सही तरह से कहल जाय तो, परिशोधक (expurgators), नियुक्त कइलकइ।[22] ऐ शासक! ऐ सर्वशक्तिमान! तोरा खुद अप्पन मांसपेशी (muscles) पर विश्वास नञ् हउ! तोरा खुद अप्पन दोषारोपण से डर लगऽ हउ, डरऽ हँ कि तोर जीभ तोरा कहीं लजा नञ् देउ, [*339] कि तोर हाथ कहीं तोरे कान नञ् ऐंठ देउ! लेकिन ई निरंकुश सेंसर कइसन भलाई कर सकऽ हलइ? भलाई नञ्, बल्कि बुराई। ओकन्हीं भावी पीढ़ी के नजर से कइसनो मूर्खतापूर्ण विधान (legislation) के छिपइलकइ, जेकरा शासक भावी निर्णय लगी छोड़े में लजा हलइ; जेकरा प्रकाशित रखला से सत्ता लगी एगो लगाम के काम कर सकऽ हलइ आउ कुच्छो गलत काम करे के साहस नञ् कर सकऽ हलइ। सम्राट् जोसेफ़ II प्रबोध के बाधा के आंशिक रूप से नष्ट कर देलकइ, जे मारिया टेरेसा के शासनकाल में आस्ट्रिया के उत्तराधिकार में प्राप्त शासित प्रदेश में विवेक के दबाके रखलके हल; लेकिन ऊ खुद से पूर्वाग्रह के भार के उतार नञ् पइलकइ आउ सेंसर से संबंधित बहुत लमगर अध्यादेश प्रकाशित कइलकइ।[23] अगर ओकरा ई बात लगी प्रशंसा कइल जाय के चाही कि अपन निर्णय के आलोचना करे, चाहे अपन आचरण में खामी निकासे, आउ अइसन आलोचना के प्रकाशित करे पर प्रतिषेध नञ् कइलके हल; तइयो ओकरा पर ई बात के दोष देवे के चाही कि विचार के अभिव्यक्ति के स्वतंत्रता पर लगाम तो लगइलके हल। केतना असान हइ [*340] एकरा बुराई में प्रयोग करे के! ... (*) लेकिन एकरा में अचरज करे के कीऽ बात हइ? अभियो ओहे कहबइ, जइसन कि पहिलहीं कहलिए ह - ऊ सम्राट् हलइ। बताहो तो, अगर सम्राट् के सिर में नञ्, त केक्कर सिर में जादे असंगति (inconsistencies) हो सकऽ हइ?
(*) नवीनतम समाचार में हम पढ़ऽ हिअइ कि जोसेफ़ II के उत्तराधिकारी के, सेंसर के कमीशन के पुनःस्थापित करे के इरादा हइ, जेकरा ओकर पूर्वज द्वारा समाप्त कर देल गेले हल। [लेखक रादिषेव के टिप्पणी]
रूस में ... सेंसर के रूस में कीऽ होलइ, कोय दोसर समय में जान जइबहो। लेकिन अभी तो डाकगाड़ी के घोड़वन पर बिन कोय सेंसर के भार लादले, हम शीघ्रतापूर्वक अपन यात्रा पर रवाना हो गेलिअइ।



[1] R., by a typographical error, says "1507". Rodrigo Lenzuoli Borgia, 1431-1503, was Pope Alexander VI, 1492-1503. His bull, Inter multiplices, of June 1, 1501, is published in Peter de Roo, Material for a History of Pope Alexander VI, His Relatives, and His Time, 5 vols. (New York, 1924), III, 467-470. The bull as found in de Roo is hereafter cited as Inter multiplices.
[2] मूल लैटिन पाठ के रादिषेव द्वारा ई अंश (ut ex commisso desuper pastorali officio tenemur: Inter multiplices, p.468) छोड़ देवल गेले ह।
[3] Sacrorum Conciliorum, XXXII (Paris, 1902), 912C-913D. See also:  The Fifth Lateran Council and Preventive Censorship of Printed Books, Annali della Scuola Normale Superiore di Pisa. Classe di Lettere e Filosofia, Serie 5, Vol. 2, No. 1, Censura, riscrittura, restauro (2010), pp. 67-104 (38 pages) – available on jstor.
[4] दिनांक 7 सितंबर 1650 के सिविल सेंसर-कार्य के स्थापना संबंधी अध्यादेश के आंशिक पाठ हियाँ मुद्रित हइः Edmond Werdet, Histoire du livre en France (Paris, 1861), II, 196-201.
[5] The legal basis for the Court of Star Chamber was the Act of 3 Hen. VII, c. 1 (1487), Statutes of the Realm, II, 109ff. The full text of a Star Chamber decree of June 23, 1585, regulating printing in the ways described by R., is printed in John Strype, The Life and Acts of John Whitgift, D.D., 3 vols. (Oxford, 1822), III, 160-165. Blackstone, Commentaries, IV (1769), 152, note a, gives all the information (except on Caxton and Strafford) that R. does on censorship and freedom of the press in England, much of it in language very similar to R.’s.
[6] Secret Chancellery, a government department which arose out of Peter the Great’s attempts to root out corruption. Formally established in 1718, it was most active during the reign of Empress Anna, 1730-1740. It made extensive use of informers, more than one of whom later admitted that he had falsely accused innocent people in hopes of being rewarded. It was abolished by Emperor Peter III in 1762.
[7] विलियम ब्लेड्स (William Blades) अपन पुस्तक "The Biography and Typography of William Caxton, England’s First Printer", द्वितीय संस्करण (न्यूयॉर्क, 1882), पृ॰169-171, में कहऽ हइ कि शायद अंग्रेजी भाषा में पहिला मुद्रित पुस्तक हलइ "The Recuyell of the Historyes of Troye", Bruges (Flanders) में मुद्रित, शायद सन् 1474 में। पृ॰173-178 में ब्लेड्स कहऽ हइ कि कैक्स्टन द्वारा Le Jeu d’Echecs of Jean de Vignay से अनूदित "The Game and Playe of Chesse" आउ Bruges में लगभग 1475-1476 में मुद्रित, शायद अंग्रेजी में मुद्रित दोसरा पुस्तक हलइ। Anthony Woodville, second Earl Rivers, द्वारा अनूदित "The Dictes or Sayengis of the Philosophres" के वास्तविक तारीख हइ, Westminster, 1477 (दे॰ Blades, पृ॰ 188-191)।
[8] Thomas Wentworth, Earl of Strafford, was executed after the passage of an Act of Attainder against him, 16 Car. I, c. 38 (1640), Statutes of the Realm, V, pp.177-178. The Court of Star Chamber was abolished by the Act of 16 Car. I, c. 10 (1640), ibid., p.110. The King was executed on January 30, 1649.
[9] The Long Parliament was an English Parliament which lasted from 1640 until 1660. The Long Parliament received its name from the fact that, by Act of Parliament, it stipulated it could be dissolved only with agreement of the members; and, those members did not agree to its dissolution until 16 March 1660, after the English Civil War and near the close of the Interregnum. The Interregnum was the period between the execution of Charles I on 30 January 1649 and the arrival of his son Charles II in London, 11 years later, on 29 May 1660 which marked the start of the Restoration.
[10] R., by a typographical error, says “James I.” The two Acts are 14 Car. II, c. 33 (1662), Statutes of the Realm, V, 428; and 1 Jac. II, c. 17 (1685), ibid., VI, 19-20. [Yakob = Jacob = James]
[11] 4 Gul. & Mar., c. 24 (1692), ibid., p. 418.
[12] प्रेस के सेंसर-कार्य के डेनमार्क में King Christian VII के अधीन सन् 1770 में समाप्त कर देल गेलइ। क्रिश्चियन के समर्पित वोल्टायर के छंद (कविता) 1771 में लिक्खल गेलइ। सन् 1772 में डैनिश सरकार प्रेस के स्वतंत्रता के फेर से सीमित करे लगलइ।
[13] R.’s source on freedom of the press in America is almost certainly “Recueil des lois constitutives des colonies angloises [sic], confédérées sous la dénomination d’États-Unis de l’Amérique-Septentrionale”, comp. and trans. Regnier (Philadelphia and Paris, 1778). Hereafter cited as Recueil. Here, following Recueil, p.69. Its English translation, “The Federal and State Constitutions ... of .... the United States of America”, compiled, and ed. Francis Newton Thorpe, 7 vols. (Washington, 1909). Hereafter cited as Thorpe. The reference here is to Vol.V, 3083.
[14] Recueil, pp. 115-116. Thorpe, V, 3090.
[15] Recueil, p. 159. "The Constitutions of the Several Independent States of America", ed. William Jackson (London, 1783), p. 216.
[16] Recueil, p. 206. Thorpe, III, 1690.
[17] Radishchev, following Recueil, pp. 270-271, makes it section 14. It is actually section 12 of the Virginia declaration. Cf. the next note.
[18] This actually is R.’s effective condensation of the original: “That the freedom of the press is one of the great bulwarks of liberty, and can never be restrained but by despotic governments.” Thorpe, VII, 3814. Recueil, pp. 270-271.
[19] आर्गुस, ग्रीक मिथक में, हेरा (Hera) द्वारा इयो (Io) पर नजर रक्खे लगी भेजल गेले हल, जेकरा से ज़ीयस (Zeus) प्रेम करऽ हलइ। लेकिन ज़ीयस भेजलकइ हर्मिस (Hermes) के, जे एतना निम्मन बाँसुरी बजावऽ हलइ कि ऊ आर्गुस के नीन में पाड़ देलकइ। ब्रिआरेउस ओकरा लगी भगमान के नाम हलइ जेकरा अदमी लोग एगियोन (Aegaeon) के नाम से जानऽ हलइ। एगियोन, जेकरा सो भुजा आउ पचास सिर हलइ, अपन भाय लोग के साथ मिलके टाइटन लोग से युद्ध कइलकइ आउ ज़ीयस के देवता लोग के राजा बन्ने में सहायता कइलकइ।
[20] Jean Paul Marat (1743-1793) edited a paper, L'Ami du Peuple, in which he frequently criticized the National Assembly. This paper was paged continuously from number to number, and appeared in book form. Marat was arrested in December 1789, and tried in a court known as the Comité des Recherches. The Marquis de Lafayette, as commander of the National Guard, took part in his cross-examination. See Louis R. Gottschalk, Jean Paul Marat (New York, 1927), p. 60.
[21] Wilhelm Ludwig Wekhrlin (1739-1792) was editor of a magazine, Das graue Ungeheuer (The Gray Monster). In 1787 he was arrested by the government of Oettingen-Wallerstein for publishing a satire which was considered lese majesty against the Holy Roman Emperor Joseph II.
[22] See Thomas Carlyle, History of Freidrich II. of Prussia, called Frederick the Great, 8 vols. (New York, 1905), III, 278ff. (book XI, ch. I).
[23] Joseph II (1741-1790), Austrian emperor, heir to Maria Teresa (1717-1780), introduced freedom of the press but later re-implanted censorship. See Ignaz Beidtel, Geschichte der österreichischen Staatsverwaltung 1740-1848, 2 vols. (Innsbruck, 1896-1898), I, 206ff., for a full discussion of Joseph II’s law of June 11, 1781; and see I, 443ff., on the law of his successor, Leopold II, September 1, 1790. Hermann Gnau, Die Zensur unter Joseph II (Strassburg and Leipzig, 1911), pp. 235-267, gives the partial text of Joseph II’s law.

No comments: