[*341] मेदनए
"मैदान
में एगो बलूत के गाछ हलइ, मैदान में घना बलूत हलइ, ओ ल्यूली, ल्यूली, ल्यूली, ल्यूली"
... "जवान औरतियन आउ लड़कियन के गायक-दल - गा रहले ह - जरी आउ नगीच चलल जाय",
हम खुद से कहलिअइ, अपन मित्र के पावल दस्तावेज (कागज) के पलटते। लेकिन हम निच्चे लिखल
मजमून पढ़लिअइ। हम गायक-दल तक नञ् पहुँच पइलिअइ। शोक हमर कान के बन्द कर देलकइ, आउ सरलहृदय
मौज-मस्ती के प्रसन्न अवाज हमर हृदय के अंतस्तल में नञ् प्रवेश कर पइलकइ। ओ हमर मित्र![1] तूँ
अभी कहीं भी रहऽ, ध्यान से सुन्नऽ आउ निर्णय करऽ।
"हरेक
सप्ताह दू तुरी समुच्चा रूसी साम्राज्य के सूचना देल जा हइ कि एन॰एन॰ चाहे बी॰बी॰
(अलना चाहे फलना) या तो भुगतान करे के स्थिति में नञ् हइ, चाहे भुगतान करे लगी नञ्
चाहे हइ, जेकर ऊ कर्जदार हइ, चाहे ऊ लेलके हल, चाहे जेकर ओकरा हीं से तगादा कइल जा
हइ। कर्जा लेल पैसा या तो जुआ में हार गेलइ, यात्रा में खरच कर देलकइ, गुलछर्रा उड़इलकइ,
खा गेलइ, पी गेलइ, आदि-आदि ... चाहे केकरो दे देल गेलइ, आग में चाहे पानी में बरबाद
हो गेलइ, या एन॰एन॰ चाहे बी॰बी॰ (अलना चाहे फलना) [*342]
कोय आउ कारण से करजा में फँस गेलइ चाहे वसूली (उगाही) में पड़ गेलइ। ई कारण रहे चाहे
ऊ, ओहे कहानी वेदोमोस्ती[2] में
प्रकाशित कइल जा हइ। ई अइसन तरह के रहऽ हइ - "आ...झ रात के दस बजे, जिला कोर्ट,
चाहे म्यूनिसिपल मजिस्ट्रेट, के आदेशानुसार, सार्वजनिक निलामी द्वारा सेवानिवृत्त कप्तान
ग॰ के ... अचल सम्पत्ति बेचल जइतइ, वार्ड संख्या ... में स्थित घर ... एकरे साथ-साथ
छो ठो आत्मा, औरत आउ मरद मिलाके; बिक्री ओहे घर में होतइ। दिलचस्पी लेवे वलन निलामी
के पहिलहीं जाँच कर ले सकऽ हका।"
सस्ता
लगी हमेशे कइएक इच्छुक रहऽ हइ। बिक्री के दिन आउ घंटा आ चुकले ह। खरीदार जामा हो रहते
गेले ह। ऊ हॉल में जाहाँ ई होवे वला हइ, बिक्री लगी निर्णय सुनावल लोग मौजूद हइ।
75 साल के बुढ़उ एल्म के लकड़ी के छड़ी के सहारे खड़ी हइ, ई जाने लगी उत्सुक हइ कि भाग्य
ओकरा केक्कर हाथ में देतइ, केऽ ओकर आँख बन्द करतइ। ऊ अपन मालिक के पिता के साथ, फ़ील्ड
मार्शल म्यूनिख़[3]
द्वारा [*343] संचालित, क्रिमिया अभियान (Crimean Campaign) में शामिल हलइ; फ़्रांकफ़ुर्ट के लड़ाई[4] में
ऊ अपन घायल मालिक के मोरचा (front) से अपन कन्हा
पर ढोके ले गेले हल। घर वापिस अइला पर ऊ अपन छोटका मालिक के रखवाला (देखभाल करे वला)
बन गेले हल। बचपन में, ऊ ओकरा डुब्बे से बचइलके हल, नद्दी में ओकरा पीछू कूदके, जेकरा
में नाव से यात्रा करते बखत ई गिर गेले हल, आउ अपन जिनगी के खतरा में डालके ओकरा बचा
लेलके हल। जवानी में ओकरा मुचलका देके ओकरा जेल से छोड़इलके हल, जाहाँ परी ओकरा कर्जा
के चलते डाल देल गेले हल, जब ऊ गार्ड में नॉन-कमिशंड अफसर हलइ। ओकर ऊरवली, 80 साल के
बुढ़िया, अपन छोटका मालिक के माय के धाय (wet-nurse) रहले हल; बाद
में ओकर देखभाल करे वली नर्स हो गेलइ, आउ घर के देखभाल कइलकइ, ऊ पल तक जब ओकरा ई निलामी
में लावल गेलइ। अपन सेवा के संपूर्ण अवधि में, अपन मालिक के कोय चीज के बरबादी नञ्
कइलके हल, कभियो अपन व्यक्तिगत लाभ के बारे नञ् सोचलके हल, आउ अगर कभी-कभार ओकन्हीं
लगी झुँझलाय के मौको दे हलइ त अपन सहजहृदयता से। चालीस साल के औरतिया एगो मसोमात हइ,
अपन छोटका मालिक के धाय। आउ आझ तक ऊ अभियो ओकरा लगी कुछ स्नेह भाव [*344] अनुभव करऽ हइ। ओकर खून ओकर छोटका मालिक के नस में
दौड़ऽ हइ। ऊ ओकर दोसर माय हइ, आउ ओकर छोटका मालिक अपन जिनगी खातिर अपन प्राकृतिक माय
से कहीं जादे ओकर ऋणी हइ। ओकर माय ओकरा गर्भ में धारण कइलके हल अपन मौज-मस्ती में,
आउ ओकर बचपन में देखभाल करे के कोय फिकिर नञ् कइलके हल। ओकर धाय आउ नर्स ओकर पालन-पोषण
कइलके हल। ओकन्हीं ओकरा से बेटा नियन अलगे होब करऽ हइ। अठारह साल के लड़की ओकर बेटी
हइ आउ बुढ़वा-बुढ़िया के पोती। भयंकर जंगली जानवर, राक्षस, जालिम! ओकरा दने जरी देखहीं,
ओकर लाल गाल तरफ देखहीं, ओकर सुन्दर आँख से बह रहल आँसू तरफ देखहीं। कीऽ तूँहीं नञ्
हलहीं, जे ओकर निर्दोषता के फुसलाहट आउ प्रतिज्ञा से फँसा नञ् पइला पर, आउ न ओकर दृढ़ता
के धमकी आउ दंड से हिला पइला पर, आखिर धोखेबाजी पर उतर अइलहीं, अपन कमीनापन के साथी
के साथ शादी करवाके, आउ ओकर नाम से तूँ मौज-मस्ती कइलहीं, जे ऊ तोरा साथ बाँटे से इनकार
कर देलकउ? ऊ तोर धोखेबाजी के समझ गेलउ। ओकर बियाहल भतार ओकर बिस्तर के स्पर्श नञ् कइलकइ
आउ तूँ जब अपन हवस के पूरा कर नञ् पइलहीं, [*345]
त बल के प्रयोग कइलहीं। चार-चार गुंडा, तोर अनुचर (henchmen), ओकर हाथ-गोड़
पकड़ले - लेकिन एकर अन्त तक नञ् जाल जाय। ओकर भौं पर शोक हइ, आँख पर निराशा। ऊ एगो फोहवा
के लेले हइ, धोखा चाहे बलात्कार के दयनीय फल, लेकिन अपन लम्पट बाप के सजीव मूर्ति।
ओकरा पैदा कइला के बाद, ऊ ओकर बाप के वहशीपन के भूल गेलइ, आउ हृदय ओकरा लगी दुलार के
अनुभव करे लगलइ। अब ऊ डरऽ हइ कि कहीं ओकर बापे नियन आउ केकरो से पाला नञ् पड़ जाय। फोहवा
... तोर बेटा बर्बर, तोर खून। कि सोचऽ हीं कि जाहाँ परी चर्च सर्विस नञ् हइ, हुआँ परी
कोय फर्ज नञ् हइ? कि सोचऽ हीं कि तोर औडर पर भाड़ा पर लेल भगमान के शब्द के उद्घोषक
द्वारा देल आशीर्वाद ओकन्हीं के बन्धन के दृढ़ कर देलकइ? कि सोचऽ हीं कि भगमान के मंदिर
में जबरदस्ती से करवावल शादी के शादी कहल जा सकऽ हइ? सर्वशक्तिमान जबरदस्ती से नफरत
करऽ हइ, ओकरा दिल के कामना से खुशी होवऽ हइ। खाली ओहे निष्पाप होवऽ हइ। ओह! हमन्हीं
बीच केतना व्यभिचार आउ दुराचार [*346] आनन्द
के पिता आउ शोक पर सांत्वनादाता के नाम पर कइल जा हइ, उनकर साक्षी के उपस्थिति में,
जे अपन पदवी के योग्य नञ् हइ! आउ पचीस साल के छोकड़ा, ओकर बियाहल पति, अपन मालिक के
साथी आउ विश्वासी हइ। वहशीपन आउ बदला ओकर आँख में हइ। अपन मालिक लगी जे कुछ कइलकइ ओकरा
लगी पछता हइ। ओकर जेभी में चाकू हइ; ऊ एकरा कसके पकड़ऽ हइ; ओकर विचार के अंदाज लगाना
मोसकिल नञ् हइ ... निष्फल उत्साह। तूँ दोसरे के हाथ में पड़मँऽ। तोर मालिक के हाथ, हमेशे
अपन दास के सिर पर रहला से, तोर गरदन के अपन हरेक खुशी तरफ मोड़ देतउ। भूख, कनकन्नी,
गरमी, दंड, सब कुछ तोर विरुद्ध होतउ। निम्मन विचार तोर दिमाग के बाहर हउ। तोरा मालुम
नञ् कि मरल कइसे जाय। तूँ झुक जइमँऽ आउ अंतःकरण से दास होमँऽ, जइसे के जायदाद के हकँऽ।
आउ अगर तूँ विरोध करे लगी चाहवो कइलँऽ, त काल कोठरी में बेड़ी से जकड़ल मरमँऽ। तोहन्हीं
बीच कोय जज नञ् हउ। तोरा सतावे वला खुद तोरा दंड नञ् देतउ। ऊ तोरा पर दोषारोपण करतउ।
ऊ तोरा दे देतउ [*347] शहर के न्यायालय में।
न्याय! जाहाँ परी अभियुक्त के खुद के सफाई देवे के लगभग कोय संभावना नञ् हइ! अब आगू
बढ़ल जाय दोसर अभागल लोग के पास से गुजरते, जेकन्हीं के बिक्री लगी लावल गेले ह।
मोसकिल
से भयंकर हथौड़ा स्थूल धमाका से निच्चे गिरलइ कि चारो अभागल[5] अपन-अपन
भाग्य जान गेलइ - आँसू, विलाप, कराहट समुच्चे भीड़ के कान में प्रवेश कइलकइ। सबसे कठोर
हृदय वला लोग भी मर्माहत हो गेते गेलइ। पत्थल दिल! अइसन निष्फल सहानुभूति काहे लगी?
ऐ क्वेकर[6]
(Quakers)! अगर हमन्हीं के तोहन्हीं नियन आत्मा रहते हल, त हमन्हीं चन्दा जामा करके
ई अभगलन के खरीदके स्वतंत्र कर देतिए हल। कइएक साल एक दोसरा के आलिंगन में रहला के
बाद, ई अभागल ई घृणास्पद बिक्री के कारण वियोग के वेदना अनुभव करते जइतइ। लेकिन अगर
कानून, चाहे बेहतर कहल जाय, बर्बर रिवाज, काहेकि कानून में अइसन नञ् लिक्खल हइ, मानवता
के अइसन घृणा के अनुमति दे हइ, त ई बुतरू के बेचे के तोर कीऽ अधिकार हउ? ऊ जारज (अवैध)
बुतरू हइ। कानून [*348] ओकरा आजाद कर दे हइ।
रुकऽ, हम सूचक (informer) होबो; हम ओकरा
मुक्त करबो। काश, ओकरा साथे दोसर लोग के भी बचा सकतियो हल! ऐ किस्मत! काहे तूँ अपन
बँटवारा करे में हमरा अपमानित कइलँऽ? आझ तोर मधुर दृष्टि के स्वाद लेवे लगी तरसऽ हिअउ,
पहिले तुरी हम धन खातिर लालसा करे लगलियो ह। हमर दिल में एतना कष्ट होल कि भीड़ से तेजी
से निकसके आउ ऊ अभागल के अपन बटुआ से आखरी ग्रिव्ना (दस कोपेक के सिक्का) निकासके देके
हम दौड़ पड़लिअइ। सीढ़ी (staircase) पर हमरा एगो
अजनबी से भेंट होलइ, जे हमर दोस्त हला।
"तोरा
की होलो? तूँ कन रहलऽ ह!"
"लौट
जा", हम उनका कहलिअइ, "अइसन शरमनाक दृश्य के साक्षी नञ् बन्नऽ। तूँ कभी अपन
देश के दूर-दराज के बस्ती में करिया दास लोग के बेचे के बर्बर रिवाज के निन्दा करऽ
हलऽ; लौट जा", हम बात दोहरइलिअइ, "हमन्ही के ग्रहण (अन्हेरा) के साक्षी नञ्
बन्नऽ, नञ् तो कहीं अपन साथी नागरिक लोग के साथ हमन्हीं के रीति-रिवाज के बारे बातचीत
के दौरान हमन्हीं के शरमनाक बात के रिपोर्ट करे पड़ो।"
"हमरा
एकरा पर विश्वास नञ् होवऽ हके", [*349]
हमर दोस्त हमरा कहलका, "असम्भव हइ कि जाहाँ परी हरेक कोय के अपन मन मोताबिक सोचे
आउ विश्वास करे के अनुमति हइ, हुआँ अइसन शरमनाक रिवाज हो सकऽ हइ।"
"चकित
नञ् होवऽ", हम उनका कहलिअइ, "धार्मिक स्वतंत्रता के स्थापना खाली पोप आउ
मठवासी लोग के नराज करऽ हइ, आउ ओकन्हिंओं अपनहीं लगी भेड़ प्राप्त करे लगी चाहतइ, बनिस्पत
यिशु के भेड़ के झुंड में के। लेकिन कृषक वर्ग के स्वतंत्रता, जइसन कि कहल जा हइ, जायदाद
के अधिकार से वंचित करऽ हइ। लेकिन ऊ सब, जे स्वतंत्रता के समर्थक हइ, बड़गर पैतृक जायदाद
के मालिक हइ, आउ ओकन्हीं के सम्मति से कोय स्वतंत्रता के आशा नञ् करे के चाही, बल्कि
दासता के भारी-भरकम बोझ से हीं।"
[1] मित्र अलिक्सान्द्र मिख़ाइलोविच
कुतुज़ोव, जिनका ई "यात्रा" समर्पित हइ, जे ऊ बखत बेर्लिन में हलथिन। जे कुछ
आगू देल गेले ह, ऊ भविष्य के परियोजना के लेखक के नोट हइ।
[2] रूस में ऊ बखत कुल्लम दुइए अखबार,
पितिरबुर्ग से सांक्त-पितिरबुर्ग्स्किए वेदोमोस्ती आउ मास्को से मस्कोव्स्किए
वेदोमोस्ती, सप्ताह में दू तुरी प्रकाशित होवऽ हलइ, जेकरा में भूदास (serfs) के
बिक्री के विज्ञापन भी रहऽ हलइ।
[3] फ़ील्ड मार्शल बुर्ख़ार्द क्रिस्टोफ़
फ़ॉन म्यूनिख़ (1683-1767), रूसी-तुर्क युद्ध (1735-1739) में रूसी सेना के कमांडर, सन्
1736 में क्रिमिया पर आक्रमण के नेतृत्व कइलकइ आउ तुर्क के सहायक क्रिमिया के तातार
लोग के पराजित कइलकइ।
[4] ओडेर नदी के किनारे बस्सल फ्रांकफुर्ट
से 4 कि.मी. दूर कुनेर्सडोर्फ़ के लड़ाई में, 12 अगस्त 1759 के, काउंट प्योत्र सिम्योनोविच
साल्तिकोव के अधीन रूसी लोग आउ बारोन एर्न्स्ट गिडेओन फ़ॉन लूडोन के अधीन आस्ट्रियन
लोग फ्रेड्रिक महान के अधीन प्रुशियन लोग के पराजित कर देते गेलइ। फ्रेड्रिक के ई बहुत
बुरी तरह के हार रूसी द्वारा 1760 में बेर्लिन पर कब्जा संभव कर देलकइ।
[5] उत्तेजना में रादिषेव के पृ॰
[*342] पर के "छो" अब
"चार" हो गेलइ।
[6] क्वेकर (Quakers)- एगो धार्मिक संप्रदाय हलइ जेकर
स्थापना इंग्लैंड में एगो गरीब जुलाहा के बेटा आउ जुत्ता बनावे वला नौसिखिया, जॉर्ज
फ़ॉक्स (1624-1691) कइलके हल। जब ऊ बीस साल के हलइ त ऊ अपन पेशा छोड़ देलकइ, आउ चमड़ा
के पोशाक पेन्हके गाम-गाम, शहर-शहर में समानता आउ भ्रातृत्व के उपदेश देवे लगलइ। ऊ
पारम्परिक धार्मिक रीति-रिवाज के विरोध कइलकइ।
रेनाल (Raynal ) अपन पुस्तक "A
Philosophical and Political History of the Settlements and Trade of the
Europeans in the East and West Indies"
(मूल फ्रेंच, 9 खंड में, अंग्रेजी अनुवाद, J. Justamond, 5 खंड में) के अध्याय 3, पुस्तक
XVIII में क्वेकर सम्प्रदाय के उत्पत्ति के उत्साहपूर्वक वर्णन करऽ हइ आउ जॉर्ज फ़ॉक्स
के प्रबल अनुयायी विलियम पेन (1644-1718) , के बहुत प्रशंसा कइलकइ, जे उत्तरी अमेरिकन
कोलोनी के संस्थापक हलइ आउ जेकरे नाम पर पेनसिल्वानिया नाम रक्खल गेलइ। एहे पुस्तक
के अध्याय 33 में रेनाल एगो अइसन घटना के वर्णन करऽ हइ जेकरा में एगो क्वेकर वक्ता
के भाषण से प्रेरित होके क्वेकर अनुयायी लोग अपन अधीन नीग्रो (हब्शी) दास सब के मुक्त
कर दे हइ। (फ्रेंच 1780, खंड 9, पृ॰186-188; अंग्रेजी, 1777, खंड 5, पृ॰346-348) रेनाल
लिक्खऽ हइ - "क्वेकर लोग हाल में अइसन उदाहरण प्रस्तुत कइलके ह जे धर्म आउ मानवता
के इतिहास में एगो युग के निर्माण करतइ। ..." (फ्रेंच, खंड 9, पृ॰186; अंग्रेजी,
खंड 5, पृ॰346)
केऽ जानऽ हइ, हो सकऽ हइ कि रादिषेव भी आशा कइलथिन
होत कि अइसन भावुक भाषण, रूसी सामन्ती लोग के, आउ सबसे पहिले "दयालु आउ मानवप्रेमी
राजतन्त्रवादी" के, आश्वस्त कर देतइ कि रूसी दास लोग के स्वतंत्र कर देल जाय!
(बार्स्कोव, पृ॰471)
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