[*410] पेश्की
केतनो जल्दी अपन
यात्रा समाप्त करे लगी हम काहे नञ् चाहलूँ, लेकिन तइयो जइसन कि कहावत हइ, भूख अपन
भाय नञ् हइ, हमरा इज़्बा (लकड़ी के बन्नल झोपड़ी) में जाय पड़ल; आउ जब तक हमरा फेर
से ragù, fricassee, pate, आउ दोसर-दोसर तरह के आविष्कृत गरिष्ठ फ्रेंच भोजन नञ् मिल
जाय, हमरा पुरनका भुन्नल बीफ़ खाके काम चलावे पड़ल, जेकरा हम साथ में रिज़र्व में रखले
हलूँ। अबकी बार कहीं अधिक खराब भोजन करके, बनिस्पत कि कइएक कर्नल, (हम जेनरल के बात
नञ् करऽ हिअइ) दूर-दराज के अभियान में करते जा हथिन, हम प्रशंसात्मक सामान्य प्रथा
के अनुसार, हमरा लगी तैयार कइल गेल कॉफी, जे अफ्रीकी दास लोग के पसेना के फल हलइ, कप
में उँड़ेललूँ, आउ अपन इच्छा (भूख) के संतुष्ट कइलूँ। हमरा सामने चीनी (शक्कर) देखके,
रोटी लगी लोई बना रहल मालकिन, ई बोयार (जागीरदार) के भोजन के टुकड़ा माँगे लगी [*411] अपन छोटका बेटवा के भेजलकइ। "बोयार लगी काहे?",
हम ओकरा कहलिअइ, बच्चल अपन चीनी के बुतरुआ के देते; "कीऽ तूँहूँ एकर इस्तेमाल
नञ् कर सकऽ हो?"
"ई कारण
से बोयार लगी हइ कि हमन्हीं के पास एकरा खरीदे के पैसा नञ्, आउ बोयार लोग एकरा इस्तेमाल
करते जा हथिन काहेकि खुद्दे एकरा लगी पैसा अर्जित नञ् करे पड़ऽ हइ। ई बात सही हइ कि
हमन्हीं के कारिन्दा (steward) जब मास्को जा
हइ, त ऊ एकरा खरीदऽ हइ, लेकिन ओहो हमन्हीं के आँसू से भुगतान करऽ हइ।"
"कीऽ तूँ
सोचऽ हो कि जे कोय चीनी के इस्तेमाल करऽ हइ, ऊ तोहन्हीं के कन्ने लगी लचार कर दे हइ?"
"सब नञ्;
लेकिन सब्भे कुलीन महाशय। कीऽ तूँ अपन कृषक लोग के आँसू नञ् पीयऽ हो, जब ओकन्हीं के
ओइसने रोटी खाय पड़ऽ हइ, जइसन कि हमन्हीं खा हिअइ?" एतना कहके ऊ ओकर रोटी में कउची-कउची
रहऽ हइ, से हमरा देखइलकइ। एकरा में तीन चौठाई चोकर हलइ आउ एक चौठाई बिन चालल आटा। "आउ
एकरो लगी भगमान के किरपा माने के चाही, काहेकि इमसाल फसल मर गेलइ। हमन्हीं के कइएक
पड़ोसी के तो हालत आउ खराब हइ। तोहन्हीं बोयार लोग के कीऽ फयदा होवऽ हको कि तोहन्हीं
चीनी खइते जा हो आउ हमन्हीं भुक्खल मरऽ हिअइ? [*412]
बुतरुअन मर रहले ह आउ मर रहले ह जमनकनो। लेकिन कीऽ कइल जा सकऽ हइ, फिकिर करऽ, फिकिर
करऽ, आउ ओहे करऽ जे मालिक के हुकुम होवऽ हको।" आउ ऊ रोटी के चुल्हा पर रक्खे लगलइ।
न तो क्रोध में आउ न रोष में, बल्कि आत्मा में दुख के गहरा अनुभव के साथ प्रकट कइल
ई तिरस्कार, हमर हृदय के उदासी से भर देलकइ। हम पहिले तुरी ध्यान से कृषक लोग के झोपड़ी
के अरतन-बरतन सहित पूरे व्यवस्था के देखलिअइ। पहिले तुरी हम अपन हृदय के ओकरा दने मोड़लिअइ,
जेकरा पर अभी तक खाली सतही तौर पर स्पर्श कइलके हल। चारो देवाल के उपरौका आधा हिस्सा,
आउ पूरा के पूरा भीतरी छत (ceiling) , कारिख से
आच्छादित हलइ; फर्श दरार से भरल, कम से कम एक विर्शोक मोटा परत के धूरी से आच्छादित;
चूल्हा बिन चिमनी के, लेकिन ठंढी से बेहतर सुरक्षा, आउ जाड़ा रहे चाहे गरमी, हरेक सुबह
में इज़्बा के भरे वला धुआँ; खिड़की पर लगावल काच दुपहर में भी अंदर में धुँधला प्रकाश
आवे दे हलइ; दू-तीन बरतन (ऊ झोपड़ी भाग्यशाली हइ, अगर ऊ सब में से एक्को गो में हरेक
दिन पनगर पतकोबी के शोरबा रहे!)। [*413] प्लेट
के नाम पर लकड़ी के कटोरा आउ मग; कुल्हाड़ी से काटल एगो टेबुल, जेकरा उत्सव के दिन खुरचके
समतल कर देल जा हइ। एगो नाद, सूअर आउ बछड़ा के खिलावे-पिलावे लगी, अगर कोय रहे तो; ओकन्हिंएँ
साथ सुतते जा हइ, ओहे हावा के निगलते, जेकरा में एगो जल रहल मोमबत्ती, लगऽ हइ, कुहासा
के बीच चाहे परदा के पीछू हइ। किस्मत से एगो टब हइ, क्वास से भरल, जे सिरका नियन लगऽ
हइ, आउ प्रांगण में स्नानघर हइ, जेकरा में अगर कोय भाफ-स्नान नञ् करऽ हइ, त हुँआ परी
जानवर सुत्तऽ हइ। सन के बुन्नल कमीज, प्रकृति के देल जुत्ता, ओनूच्का (पैताबा नियन
गोड़ में पेन्हे वला कपड़ा) आउ छाल के जुत्ता बाहर जाय खातिर। त ई मानल जा हइ देहात के
प्रचुरता, शक्ति, ताकत; लेकिन हिएँ परी देखाय दे हइ कमजोरी, कमी आउ कानून के दुरुपयोग,
आउ अइसन कहल जाय कि ओकर रूक्ष पार्श्व (rough
side)।
हियाँ परी देखाय दे हइ कुलीन वर्ग के लालच, लूटपाट, हमन्हीं के अत्याचार आउ गरीब लोग
के असुरक्षा के स्थिति। लालची जानवर, अतोषणीय (insatiable) जोंक, हम सब
कउची कृषक लगी छोड़ऽ हिअइ? ऊ जे हम [*414] ओकन्हीं
से छीन नञ् सकऽ हिअइ - हावा। हाँ, खाली हावा। ओकन्हीं हीं से अकसर नञ् खाली जमीन के
उपहार, रोटी आउ पानी, छीन ले हिअइ, बल्कि प्रकाश भी। कानून ओकन्हीं के जिनगी छिन्ने
के मनाही करऽ हइ। लेकिन वस्तुतः जे पल भर में होवे। ओकन्हीं हीं से चरणबद्ध क्रम से
एकरा लेवे के केतना तरीका हइ! एक तरफ से लगभग पूरा ताकत; दोसरा तरफ से असुरक्षित दुर्बलता।
काहेकि जमींदार हइ कृषक के संबंध में एगो विधिनिर्माता (legislator), जज, अपन खुद के निर्णय के निष्पादक (executor of his own judgments), आउ अगर ओकर मन करे, तो वादी
(मुद्दई, plaintiff ), जेकर विरुद्ध
प्रतिवादी (defendant) कुच्छो बोले
के साहस नञ् कर सकऽ हइ। ई बेड़ी में जकड़ल के किस्मत हइ, कालकोठरी में डालल कैदी के किस्मत
हइ, ई पालो (जुआ) में एगो बैल के किस्मत हइ ...
क्रूर जमींदार!
अपन अधीन किसान लोग के बाल-बुतरू दने देखहीं। ऊ सब लगभग नंगा हइ। काहे? कीऽ तूँ ओकन्हीं
के माय-बाप के, जे रोगग्रस्त आउ शोक में हलइ, अपन खेत के सब्भे काम के अलावे, लगान
नञ् थोप देलहीं? कीऽ तूँहीं नञ् [*415] निर्धारित
करऽ हीं अभियो तक नञ् बुन्नल कपड़ा के खुद इस्तेमाल करे लगी? तोर कउन काम के हउ बदबूदार
चिथड़ा, जेकरा ऐयाशी के आदी तोर हाथ स्पर्श करे से घिनाऽ हउ? मोसकिल से ऊ तोर नौकर के
जानवर के रगड़के साफ करे के काम अइतउ। तूँ ओहो जामा कर ले हीं, जेकर तोरा जरूरत नञ्
रहऽ हउ, ई बात के बावजूद कि तोर किसान लोग के प्रत्यक्ष नंगापन तोरा लगी अभियोग होतउ।
अगर हियाँ परी तोरा पर कोय जज नहियों हउ, तइयो ऊ जज के सामने, जे व्यक्तिप्रेम नञ्
जानऽ हइ, जे तोरा कभी निम्मन गाइड देलको हल - अंतःकरण, लेकिन जेकरा तोर दुराचारी बुद्धि
अपन निवास स्थान से कब के तोर हृदय से निकास बाहर कइलकउ। लेकिन मन में ई नञ् सोचिहँऽ
कि तूँ सजा से बच जइमँऽ। तोर सब्भे क्रिया-कलाप के प्रति बिन झपकी के हमेशे सजग रहके
देखे वला ई पहरेदार तोरा अचानक अकेल्ले में धर लेतउ, आउ तूँ ओकर देल सजा के अनुभव करम्हीं।
ओह! काश ऊ सब तोरा लगी आउ तोर प्रजा लगी कोय काम के होबउ! ... ओह! काश मानव अकसर अपन
आत्मा में झाँकके देखे, अपन कठोर जज, अंतःकरण, के सामने अपन [*416] करनी के स्वीकार करे! ओकर गरजइत ध्वनि से एगो सुदृढ़
स्तम्भ में परिवर्तित होल ऊ गुप्त दुष्कर्म नञ् कर सकतइ; तब विरले होतइ विध्वंस, विनाश
... आदि, आदि, आदि।
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