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Monday, November 25, 2019

पितिरबुर्ग से मास्को के यात्रा ; अध्याय 23. क्लीन


[*401]                                     क्लीन
"एगो शहर हलइ रोम, जाहाँ राजकुमार यूफ़ेमिउस (Euphemius) रहऽ हलइ" ... लोकगीत गइते, जेकर नाम हइ "अलिक्सेय बोझी चेलावेक[1] (अलिक्सेय देव मानुस)", एगो अंधा बूढ़ा हलइ, डाक स्टेशन के गेट बिजुन बैठल, जे अधिकांश बुतरुअन आउ युवा लोग से घिेरल हलइ। चानी नियन देखाय दे रहल ओकर सिर, बन्द आँख, आउ ओकर चेहरा पर शान्त भाव, ओकरा देखे वला के गायक के प्रति आदर के भाव उत्पन्न करऽ हलइ। ओकर गीत हलाँकि कलाहीन हलइ, लेकिन ओकर मधुर बोली ओकर श्रोतागण के हृदय के स्पर्श करऽ हलइ, जे प्रकृति के प्रति अधिक ध्यान देवे वला हलइ, बनिस्पत मास्को आउ पितिरबुर्ग के वाशिंदा लोग के, जेकर कान अभ्यस्त हइ सुन्ने के गब्रियेली, मार्केज़ी, अथवा तोदी[2] (Gabrielli, Marchesi, or Todi) के अनोखा सुरीला गीत। हुआँ परी खड़ी लोग में से कोय भी बिन गहरा आंतरिक हलचल के  नञ् रहलइ, जब क्लीन के गायक, [*402] अपन हीरो के बिदाई तक पहुँचला पर, हरेक पल अपन बाधित हो रहल बोली में, मोसकिल से अपन कहानी जारी रख पा रहले हल। ऊ स्थान जाहाँ परी ओकर दुन्नु आँख हलइ, दुख से भावुक होल ओकर आत्मा से बह रहल आँसू से भर गेलइ, आउ ओकर धारा गायक के गाल पर से होके टघरे लगलइ। ऐ प्रकृति, तूँ केतना शक्तिशाली हँऽ! कन रहल बुढ़उ के देखके, औरतियनो कन्ने लगलइ; युवा लोग के होंठ पर से ओकर साथी, मुसकुराहट, उड़के गायब हो गेलइ; किशोर लोग के चेहरा पर भीरुता छा गेलइ, जे एगो कष्टदायक लेकिन अनजान भावना के वास्तविक सूचक हलइ; हियाँ तक कि प्रौढ़ लोग भी, जे क्रूरता के एतना अभ्यस्त होवऽ हइ, गंभीर मुद्रा अपनाऽ लेलकइ। ऐ प्रकृति! हम फेर से जोर से चीख पड़लिअइ ...
केतना मधुर होवऽ हइ बिन कड़वाहट वला दुख के भावना! केतना ताजा कर दे हइ दिल के, आउ ओकर संवेदनशीलता के! डाक स्टेशन भिर जामा होल लोग के साथ-साथ हमहूँ सिसक रहलूँ हल, आउ हमर आँसू हमरा लगी ओतने मधुर हलइ, जेतना कभी वेर्थर (Werther) के दिल से निकसले हल[3] ... ऐ [*403] हमर दोस्त, हमर दोस्त![4] काहे नञ् तूहूँ ई तस्वीर देखलऽ? तूँ हमरा साथ आँसू बहइतइ हल, आउ पारस्परिक भावना के खुशी कहीं अधिक मधुर होते हल।
गीत समाप्त होला पर सब खड़ी होल लोग बुढ़उ के मानुँ ओकर परिश्रम के पुरस्कार के रूप में कुछ तो देलकइ। ऊ सब्भे पैसा आउ पोलुश्का[5] स्वीकार कइलकइ, रोटी के छोटगर आउ बड़गर टुकरी, काफी शांतिपूर्वक, लेकिन हमेशे झुकके धन्यवाद सहित, क्रॉस करते आउ देवे वला के बोलते - "भगमान तोहरा निम्मन सेहत दे।" हम ई वस्तुतः भगमान के प्रिय वृद्ध के बिन प्रार्थना कइले जाय लगी नञ् चाहऽ हलिअइ। हम ओकर आशीर्वाद चाहऽ हलिअइ, कि हमर यात्रा सफल आउ हमर कामना पूरा हो जाय। हमरा लगऽ हलइ, आउ हमेशे ई सपना देखऽ हिअइ, मानुँ भावुक आत्मा के आशीर्वाद ञात्रा के कष्ट हलका करऽ हइ आउ शंका के कावटा निकास दे हइ। ओकरा भिर जाके, ओकर काँपते हाथ में, भय से ओकरे एतना काँपते, [*404] कि कहीं हम अहंकारवश तो अइसन नञ् कर रहलिए ह, अप्पन हाथ से ओकरा लगी एक रूबल रखलिअइ। क्रॉस करते बखत, साधारणतया पैसा देवे वला के आशीर्वाद के शब्द नञ् बोल पइलकइ, काहेकि ऊ अपन हाथ में पड़ल के असाधारण अनुभव से विचलित हो गेलइ। आउ एकरा से हमर दिल कचोट गेलइ। - "केतना निम्मन ओकरा लगऽ हइ", हम खुद के कहलिअइ, "ओकरा देल गेल एक पोलुश्का (दमड़ी) के उपहार! एकरा में ऊ दुख-तकलीफ लगी मानवता के सामान्य सहानुभूति अनुभव करऽ हइ, हम्मर रूबल में शायद ऊ हम्मर अहंकार अनुभव करऽ हइ। ऊ एकरा लगी अपन आशीर्वाद नञ् दे हइ।" ओह! केतना छोटगर खुद लगी तखने हम प्रतीत होलिअइ, केतना ईर्ष्या होलइ हमरा ऊ गावे वला वृद्ध के पोलुश्का आउ रोटी के टुकरी देवे वला के प्रति!
"कीऽ ई पाँच कोपेक के सिक्का हइ?" ऊ कहलकइ, अपन हरेक शब्द के बिन कोय विशेष व्यक्ति दने निर्दिष्ट कइले।
"नञ् बाबा, एक रूबल", ओकरा भिर खड़ी एगो लड़का बोललइ।
"काहे लगी अइसन दान?" अन्हरा बोललइ, अपन आँख के पुतली निच्चे करते आउ लगलइ कि मन में कल्पना करते, ओकरा बारे, [*405] जे ओकर हथेली में पड़ल हलइ। "एकर इस्तेमाल नञ् कर सके वला लगी ई कउन काम के हइ? अगर हम दृष्टि से वंचित नञ् होतिए हल, त एकरा लगी हमर कृतज्ञता केतना बड़गर होते हल। एकर हमरा जरूरत नञ् रहला से हम केकरो अइसन व्यक्ति के दे देतिए हल जेकरा पास कुछ नञ् हइ। आह! अगर ई हमरा पास हियाँ परी पहिले लग्गल आग के बाद रहते हल, त हमर पड़ोसी के भुक्खल बुतरू के चीख के कम से कम एक दिन लगी तो शान्त कर देते हल। लेकिन काहे लगी हमरा अब चाही? हमरा तो देखाइयो नञ् दे हइ कि एकरा काहाँ रखिअइ; एहो हो सकऽ हइ कि ई अपराध के कारण बनतइ। एक पोलुश्का चोरावे से कोय फयदा नञ्, लेकिन एक रूबल लगी तो कइएक लोग अपन हाथ आगू बढ़इतइ। एकरा वापिस ले लऽ दयालु महोदय, आउ तू आउ हम तोहर रूबल से एगो अदमी के चोर बना दे सकऽ हिअइ।"
ऐ सत्य! केतना तूँ भारी पड़ऽ हीं एगो संवेदनशील हृदय लगी, जब तूँ ओकरा बिजुन तिरस्कारपूर्वक भेंट दे हीं।
"एकरा वापिस ले लऽ, हमरा वास्तव में एकर जरूरत नञ् हके, आउ हम एकर योग्य भी नञ् हिअइ; काहेकि एकरा पर चित्रित सम्राट् के हम कोय सेवा भी नञ् कइलिए ह। सृष्टिकर्ता के इच्छा हलइ कि हमर भरले जवानी में [*406] हमरा दुन्नु नेत्र (नेतृत्व करे वला, गाइड) से वंचित कर देलका। धैर्यपूर्वक हम उनकर दंड के सहन करऽ हिअइ। हमर पाप के कारण ऊ हमरा हीं भेंट देलका ... हम एगो योद्धा हलिअइ; कइएक लड़ाई में अपन पितृभूमि के दुश्मन के विरुद्ध भाग लेलिअइ; हमेशे वीरतापूर्वक लड़लिअइ। लेकिन योद्धा हमेशे आवश्यकता के अनुसार होवे के चाही। लड़ाई शुरू होला पर हमेशे हमर दिल क्रोध से भर जा हलइ; हम अपन गोड़ भिर पड़ल शत्रु के कभियो नञ् छोड़लिअइ, आउ बिन हथियार वला के निवेदन कइलो पर हम दया नञ् करऽ हलिअइ। अपन हथियार के विजय से उत्साहित होके, जब हम दुश्मन के दंडित करे आउ लूट के माल हसोते लगी आगू बढ़लिअइ, त हम निच्चे गिर पड़लिअइ, अपन दृष्टि आउ होश खोके, जब तोप के एगो गोला अपन पूरा जोर से हमर आँख भिर से गुजरलइ। ओ! तूँ जे हमर पीछा कइले आब करऽ ह, साहसी बन्नऽ, लेकिन मानवीयता के आद रक्खऽ!" ऊ हमर रूबल वापिस कर देलकइ, आउ फेर से अपन जगह पर शांति से बैठ गेलइ।
"अपन उत्सव के पूआ लऽ बाबा", ऊ आन्हर बुढ़उ के एगो लगभग पचास साल के एगो औरत आके बोललइ। [*407] केतना हर्षातिरेक में ऊ अपन दुन्नु हाथ से ई स्वीकार कइलकइ! "ई वास्तविक परोपकार हइ, ई वास्तविक दान हइ। लगातार तीस साल तक उत्सव आउ रविवार के दिन हम ई पूआ खइते आ रहलिए ह। तूँ अपन देल वचन के भुललहीं नञ्, जे तूँ अपन बचपन में देलहीं हल। आउ जे कुछ हम तोर स्वर्गीय पिता लगी कइलियो हल, कीऽ ऊ ई लायक हइ कि तूँ हमरा मरे तक हमरा नञ् भुलइम्हीं? हमर दोस्त लोग, हम एकर पिता के बचइलिए हल, ऊ पिटाई से जे अकसर पास से गुजर रहल सैनिक लोग से कृषक लोग के कइल जा हइ। सैनिक लोग ओकरा हीं से कुछ तो छीन लेवे लगी चाहऽ हलइ; ऊ ओकन्हीं साथ बहस करे लगऽ हलइ। ई घटना खर्हानी (खलिहान) के पीछू घटलइ। सैनिक लोग मुझीक के पिट्टे लगलइ; हम ऊ कम्पनी के सर्जेंट हलिअइ, जेकर ओकन्हीं सैनिक हलइ, आउ हम आसे-पास हलिअइ; मुझीक के चिल्लाहट पर हम दौड़ल अइलिअइ, आउ हम ओकरा (आउ आगू के) पिटाई से बचइलिअइ; शायद आउ कुछ जादहीं खराबी से, लेकिन आगू के कुछ कहल नञ् जा सकऽ हइ कि कीऽ होते हल। त एहे बात हमरा अभी के खिलावे वली के आद पड़ गेलइ, जब ऊ हमरा हियाँ भिखारी के स्थिति में देखलकइ। [*408] एहे बात हइ जे ऊ कउनो दिन आउ कउनो उत्सव के समय नञ् भुला हइ।
"त कीऽ तूँ, ऐ भला बुजुर्ग, सब लोग के बीच में हमर दिल के दुखइबहो", हम ओकरा कहलिअइ, "आउ खाली हमर उपहार के अस्वीकार करभो? त कीऽ हमर दान एगो पापी के दान हइ? लेकिन एहो ओकरा लगी उपयोगी हो सकऽ हइ, अगर ओकर कठोर हृदय के जरी नरम कर सकइ।"
"तूँ एगो दुखी हृदय के कष्ट दे रहलहो ह, जे बहुत पहिलहीं से नैसर्गिक दंड से पीड़ित हइ", बुढ़उ उत्तर देलकइ, "हमरा मालुम नञ् हलो कि तोहरा कष्ट पहुँचतो, एगो अइसन उपहार के अस्वीकार करे से, जेकरा से अपराध के बढ़ावा मिल सकऽ हलइ; हमर पाप के माफ करऽ, लेकिन हमरा देवे लगी चाहऽ ह, त कोय अइसन चीज दऽ जे हमरा लगी उपयोगी होवे ... हमन्हीं हीं वसन्त ठंढगर हलइ, हमर गला में दरद हले - हमरा पास शाल नञ् हले जेकरा हम गरदन में लपेट सकतूँ हल - लेकिन भगमान दया कइलका, आउ रोग दूर हो गेल ... कीऽ तोरा पास पुराना शाल हको? [*409] जब हमर गला में कष्ट होत, त एकरा लपेट लेम; ई हमर गरदन के गरम करत; गला के दरद बन्द हो जात; हम तोहरा आद रखबो, अगर तोहरा एगो भिखारी के आदगारी के जरूरत हको।" हम अपन गरदन से शाल उतार लेलिअइ, आउ एकरा अन्हरा के गरदन से लपेट देलिअइ ... आउ ओकरा भिर से चल गेलिअइ।
क्लीन से होते वापिस आते बखत, हमरा ऊ आन्हर गायक फेर नजर नञ् अइलइ। हमरा पहुँचे के तीन दिन पहिलहीं ऊ मर चुकले हल। "लेकिन हमर शाल", हमरा ऊ औरतिया बतइलकइ, जे ओकरा लगी उत्सव के दौरान पूआ लाके दे हलइ, "ऊ अपन मौत के पहिले बेमार हो गेला पर गरदन में लपटलके हल, आउ ओकरा ओकरे साथ दफनावल गेले हल।" ओह! अगर कोय ई शाल के महत्त्व के अनुभव करऽ हइ, त ऊ एहो अनुभव करतइ कि हमरा ई बात के सुनके कइसन लगलइ।[6]



[1] “Aleksey chelovek Bozhy,” a folk song derived from the life of St. Alexis (fl. a.d. 400. His saint’s day is March 17 according to the Eastern Orthodox, July 17 according to the Roman Catholic, calendar of saints). The story came to Russia from two principal sources: “The Life of S. Alexis” in Jacobus de Voragine’s Legenda Aurea (written ca. 1275. In English as The Golden Legend or Lives of the Saints, tr. William Caxton (1483), ed. F. S. Ellis, 7 vols. (London, 1900), VI, 205-212. It went east via Bohemia and the Ukraine); and the Byzantine Anthologion, translated by Arseny the Greek, Moscow, 1660. For a full account of the story, see Varvara Pavlovna Adrianova-Peretts, Zhitie Alekseya cheloveka Bozhiya v drevney russkoy literature i narodnoy slovesnosti (The Life of Aleksey the Man of God in Old Russian Literature and Folk Literature), Petrograd, 1917).
[2] Catterina Gabrielli, 1730-1796, Italian operatic singer, in Russia ca. 1768-1775. Luigi Marchesi, 1755-1829, Italian singer, in Russia ca. 1785. Mrs. Francesco Saverio Todi (born Luiza Rosa de Aguiar), 1753-1833, Portuguese singer, in Russia ca. 1783-1786.
[3] प्रसिद्ध जर्मन लेखक ग्योटऽ (Goethe) के उपन्यास "Die Leiden des jungen Werthers" (युवक वेर्थर के दुख) 1774 में प्रकाशित होले हल, जब ऊ 24 साल के हलथिन। ई उपन्यास ऊ जनवरी-मार्च 1774 के दौरान साढ़े पाँच सप्ताह में समाप्त कर देलथिन हल। ई पुस्तक के प्रकाशन उनका तुरन्त एगो अन्तर्राष्ट्रीय साहित्यकार के रूप में स्थापित कर देलकइ। एकर संशोधित संस्करण 1787 में निकसलइ।
[4] कुतुज़ोव।
[5] पोलुश्का - दमड़ी; पुरनका जमाना के तामा के सिक्का जेकर मान एक चौथाई कोपेक हलइ।
[6] Cf. Laurence Sterne (1899): A Sentimental Journey through France and Italy, “The Snuff- Box. Calais.”, pp.23-25.

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