लेखक - दिनेश वर्मा
मगह के धरती पर कइगो ऐतिहासिक, धार्मिक आउ पुरातात्त्विक कलाकृति धरोहर के रूप में विराजमान हे । जहानाबाद जिला के बराबर पहाड़ी आउ ओकरा पर बनल सिद्धेश्वर नाथ के मन्दिर भी ऊ सब धरोहर में से एक हे । जनश्रुति के अनुसार मगधनरेश बाणासुर के नाम पर पहाड़ी के नाम बाणावर पड़ल । बाद में ई 'बराबर' के रूप में प्रसिद्ध होयल । 'महाभारत' में वर्णन हे कि बाणासुर के राजधानी यहीं पर बेला स्टेशन से चार मील पश्चिम सोनितपुर में हल जेकरा आजकल लोग सोनपुर कहऽ हथ ।
बाणासुर रोज दिन बाबा सिद्धेश्वर नाथ के पूजा करऽ हलन । एकरा खातिर ऊ एगो सुरंग के निर्माण सोनितपुर से बराबर तक करवैलन हल । यहीं पर बाणासुर के लड़की ऊषा आउ भगवान श्रीकृष्ण के बेटा प्रद्युम्न के बिआह के लेके श्रीकृष्ण आउ बाणासुर में भीषण लड़ाई होयल हल । बाणासुर के मदद स्वयं भगवान शंकर करलन हल । ई लड़ाइये के बीच में श्रीकृष्ण एगो बात बतिअयलन कि बाणासुर राक्षस हे, एकरा अपने के मदद न करे के चाही । तब शंकर जी आउ श्रीकृष्ण युद्ध क्षेत्र में ही अप्पन भक्त के महत्त्व खातिर बाणासुर से वचन मांगलन । ओहे घड़ी से बाणासुर के नाम पर पहाड़ी के नाम बाणावर पड़ल आउ बाद में बराबर कहावे लगल ।
लेकिन इतिहासकार ई बात से संतुष्ट न होवऽ हथ । इनका अनुसार एकर उत्पत्ति ई॰पू॰ तीसर शताब्दी में सम्राट् अशोक के काल में मानल जा हे । कोइ-कोई इतिहासकार एकर उत्पत्ति सातवीं शताब्दी में होवे के बात स्वीकारऽ हथ । ई पहाड़ी आउ ओकरा पर बनल सिद्धनाथ मन्दिर पटना गया रेलखण्ड के मखदुमपुर आउ बेला के बीच से पूरब दिशा में लगभग ४ मील के दूरी पर हे । उहाँ हथियाबोर बावनसीढ़ी आउ पतालगंगा के रस्ता से लोग ऊपर जा हथ । पतालगंगा पहाड़ी के अन्दर से एगो झरना झरइत रहऽ हे, जेकर पानी नीचे आके एगो जलकुंड में जमा होइत रहऽ हे । ध्यान न देवे के चलते कुंड आजकल मट्टी से भरल हे । जनश्रुति के अनुसार एकर जल पवित्तर समझ के सिद्धेश्वर नाथ पर चढ़ावल जाहे ।
बराबर पहाड़ी के नीचे दक्खिन आउ पूरब के कोण पर सतघरवा नाम के गुफा हे जे पुरातात्त्विक विचार से महत्त्वपूर्ण मानल जाहे । प्रसिद्ध लोमश ऋषि के गुफा भी यहीं पर हे । सतघरवा के पूरा घेरा ५०० फीट लम्बा, १२० फीट चौड़ा आउ ३५ फीट ऊँचा हे । एकरा में कारीगरी के उत्कृष्ट नमूना देखते बनऽ हे । २७२ ई॰ पूर्व समय लोमश ऋषि के मानल जाहे । एकरा पर हथियो के चित्र छत पर अलंकृत हे । यहीं पर सुदामा गुफा भी हे । एकर निर्माण सम्राट् अशोक २५७ ई॰ पू॰ में अप्पन राज्य के बारहवाँ बरस में संत महात्मा के ठहरे ला करैलन हल । एही कारण हे कि एकरा 'संत घर' कहल जाहे । आजकल अपभ्रंश के रूप में लोग एकरा सतघरवा कहऽ हथ ।
लोमश ऋषि गुफा आउ सुदामा गुफा के विपरीत दिशा में कर्ण के झोपड़ी हे । ई १० फीट ऊँचा, ३५ फीट लम्बा आउ ६ फीट मोटा देवाल से घिरल हे । इहाँ से एक किलोमीटर पर नागार्जुन पहाड़ी हे, जेकरा में वेदायिक आउ वापयायिक गुफा हे । एकर निर्माण अशोक के ज्येष्ठ बेटा दशरथ २३७ ई॰पू॰ में करैलन हल ।
ई सब धार्मिक आउ ऐतिहासिक तथ्य के बावजूद पर्यटक के ठहरे लागी आउ उनकर सुरक्षा के प्रबन्ध ला कोई खास इन्तजाम न हे । जिला प्रशासन के ध्यान देवे के चाही । दूसर समस्या ई हे कि क्रैशर वाला लोग एकर अस्तित्वे खतम करल चाहऽ हथ । उनकर गतिविधि पर रोक लगावे के चाही । सरकार के तरफ से बंगला आउ पेय जल व्यवस्था होयल हे । एकरा आउ आकर्षक बनावे ला जनता के सहयोग लेवे के चाही आउ जनता के भी कर्तव्य हे कि प्रशासन के मदद करे । तबे ई महान पर्यटन केन्द्र, ऐतिहासिक, पुरातात्त्विक आउ धार्मिक धरोहर के दर्शन करके लोग गद्गद् आउ निहाल भी हो जयतन ।
[मगही मासिक पत्रिका "अलका मागधी", बरिस-५, अंक-१२, दिसम्बर १९९९, पृ॰१३-१४ से साभार]
बाणासुर रोज दिन बाबा सिद्धेश्वर नाथ के पूजा करऽ हलन । एकरा खातिर ऊ एगो सुरंग के निर्माण सोनितपुर से बराबर तक करवैलन हल । यहीं पर बाणासुर के लड़की ऊषा आउ भगवान श्रीकृष्ण के बेटा प्रद्युम्न के बिआह के लेके श्रीकृष्ण आउ बाणासुर में भीषण लड़ाई होयल हल । बाणासुर के मदद स्वयं भगवान शंकर करलन हल । ई लड़ाइये के बीच में श्रीकृष्ण एगो बात बतिअयलन कि बाणासुर राक्षस हे, एकरा अपने के मदद न करे के चाही । तब शंकर जी आउ श्रीकृष्ण युद्ध क्षेत्र में ही अप्पन भक्त के महत्त्व खातिर बाणासुर से वचन मांगलन । ओहे घड़ी से बाणासुर के नाम पर पहाड़ी के नाम बाणावर पड़ल आउ बाद में बराबर कहावे लगल ।
लेकिन इतिहासकार ई बात से संतुष्ट न होवऽ हथ । इनका अनुसार एकर उत्पत्ति ई॰पू॰ तीसर शताब्दी में सम्राट् अशोक के काल में मानल जा हे । कोइ-कोई इतिहासकार एकर उत्पत्ति सातवीं शताब्दी में होवे के बात स्वीकारऽ हथ । ई पहाड़ी आउ ओकरा पर बनल सिद्धनाथ मन्दिर पटना गया रेलखण्ड के मखदुमपुर आउ बेला के बीच से पूरब दिशा में लगभग ४ मील के दूरी पर हे । उहाँ हथियाबोर बावनसीढ़ी आउ पतालगंगा के रस्ता से लोग ऊपर जा हथ । पतालगंगा पहाड़ी के अन्दर से एगो झरना झरइत रहऽ हे, जेकर पानी नीचे आके एगो जलकुंड में जमा होइत रहऽ हे । ध्यान न देवे के चलते कुंड आजकल मट्टी से भरल हे । जनश्रुति के अनुसार एकर जल पवित्तर समझ के सिद्धेश्वर नाथ पर चढ़ावल जाहे ।
बराबर पहाड़ी के नीचे दक्खिन आउ पूरब के कोण पर सतघरवा नाम के गुफा हे जे पुरातात्त्विक विचार से महत्त्वपूर्ण मानल जाहे । प्रसिद्ध लोमश ऋषि के गुफा भी यहीं पर हे । सतघरवा के पूरा घेरा ५०० फीट लम्बा, १२० फीट चौड़ा आउ ३५ फीट ऊँचा हे । एकरा में कारीगरी के उत्कृष्ट नमूना देखते बनऽ हे । २७२ ई॰ पूर्व समय लोमश ऋषि के मानल जाहे । एकरा पर हथियो के चित्र छत पर अलंकृत हे । यहीं पर सुदामा गुफा भी हे । एकर निर्माण सम्राट् अशोक २५७ ई॰ पू॰ में अप्पन राज्य के बारहवाँ बरस में संत महात्मा के ठहरे ला करैलन हल । एही कारण हे कि एकरा 'संत घर' कहल जाहे । आजकल अपभ्रंश के रूप में लोग एकरा सतघरवा कहऽ हथ ।
लोमश ऋषि गुफा आउ सुदामा गुफा के विपरीत दिशा में कर्ण के झोपड़ी हे । ई १० फीट ऊँचा, ३५ फीट लम्बा आउ ६ फीट मोटा देवाल से घिरल हे । इहाँ से एक किलोमीटर पर नागार्जुन पहाड़ी हे, जेकरा में वेदायिक आउ वापयायिक गुफा हे । एकर निर्माण अशोक के ज्येष्ठ बेटा दशरथ २३७ ई॰पू॰ में करैलन हल ।
ई सब धार्मिक आउ ऐतिहासिक तथ्य के बावजूद पर्यटक के ठहरे लागी आउ उनकर सुरक्षा के प्रबन्ध ला कोई खास इन्तजाम न हे । जिला प्रशासन के ध्यान देवे के चाही । दूसर समस्या ई हे कि क्रैशर वाला लोग एकर अस्तित्वे खतम करल चाहऽ हथ । उनकर गतिविधि पर रोक लगावे के चाही । सरकार के तरफ से बंगला आउ पेय जल व्यवस्था होयल हे । एकरा आउ आकर्षक बनावे ला जनता के सहयोग लेवे के चाही आउ जनता के भी कर्तव्य हे कि प्रशासन के मदद करे । तबे ई महान पर्यटन केन्द्र, ऐतिहासिक, पुरातात्त्विक आउ धार्मिक धरोहर के दर्शन करके लोग गद्गद् आउ निहाल भी हो जयतन ।
[मगही मासिक पत्रिका "अलका मागधी", बरिस-५, अंक-१२, दिसम्बर १९९९, पृ॰१३-१४ से साभार]
1 comment:
बहुत बढिया जनकारी दिये हैं,बधाई
Post a Comment