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Tuesday, October 01, 2019

पितिरबुर्ग से मास्को के यात्रा ; अध्याय 16. विश्नी वोलोचोक


[*268]                                     विश्नी वोलोचोक
हम कभियो ई शहर से बिन हियाँ के जलपाश (canal locks) के देखले नञ् गुजरलिअइ। ऊ पहिला व्यक्ति, जेकर दिमाग में विचार अइलइ कि प्रकृति के परोपकारिता के अनुसरण कइल जाय, कृत्रिम रूप से नदी के धारा के नियंत्रित करके नहर बनावल जाय, ताकि कोय प्रदेश के हरेक छोर के आउ अधिक यातायात सुविधा देल जाय सकइ, सुदूरतम पीढ़ी खातिर स्मारक के योग्य हइ। जब आझकल के राज्य प्राकृतिक आउ नैतिक कारण से जर्जर हो जइतइ, जब सुनहरा खेत सब में कँटीला झाड़ी भर जइतइ, आउ ओकर शासक के शानदार राजमहल के खंडहर में घास के साँप, सर्प आउ भेक (toads) निवास करे लगतइ; त जिज्ञासु राहगीर ओकर गरिमा के अर्थपूर्ण (eloquent) अवशेष वाणिज्य में पावऽ हइ। रोमन लोग बड़गर रोड, नहर बनइते गेलथिन, जेकर टिकाऊपन के न्यायतः (justly) आझो प्रशंसा कइल जा हइ; लेकिन अंतर्देशीय जलमार्ग (inland waterways) [*269] , जइसन यूरोप में अभी हइ, के संकल्पना उनकन्हीं के नञ् हलइ। रोड, जइसन रोमन लोग के हलइ, हमन्हीं हीं कभियो नञ् होतइ; एकर निर्माण में हमन्हीं हीं के लमगर शीतकाल आउ प्रचंड तुषार (intense frost) बाधक हइ, लेकिन नहर बिन कोय रखरखाव के भी मट्टी, घास आदि से जल्दी सपाट नञ् होतइ।
विश्नेवी वोलोचोक के नहर देखे में हमरा कोय छोटगर खुशी के बात नञ् हलइ, जे अनाज आउ दोसर-दोसर माल लदल नौका (barges) से भरल हलइ, आउ जे जलपाश से होके अपन आगू के पितिरबुर्ग तक के सुदूर यात्रा के तैयारी कर रहले हल। हियाँ परी जमीन के वास्तविक समृद्धि देखाय दे हलइ, आउ कृषक लोग के प्रचुरता; हियाँ परी मानव क्रिया-कलाप आउ स्वार्थप्रेम के शक्तिशाली प्रेरक के पूरे चमक-दमक में देखल जा सकऽ हलइ। लेकिन पहिला नजर में हमर मन समृद्धि के दृश्य से आनंदित हो उठले हल, त हमर विचार के बिखरला पर जल्दीए हमर आनंद क्षीण हो गेलइ। काहेकि हमरा आद पड़लइ कि रूस में कइएक कृषक खुद अपना लगी नञ् काम करते जा हइ; आउ ओहे से रूस के कइएक प्रदेश में जमीन के प्रचुरता [*270] अपन वासी लोग के दर्दनाक किस्मत के प्रमाण दे हइ। हमर खुशी ओतने गोस्सा में बदल गेल, जइसन हम अनुभव करऽ ही जब गरमी के समय में सीमाशुल्क के जेटी (customs pier) पर चहलकदमी करऽ हिअइ आउ ऊ सब जहाज पर नजर डालऽ हिअइ जे हमन्हीं हीं अमेरिका के आवश्यकता से अतिरिक्त (surplus) माल लावऽ हइ आउ एकर महँगा उत्पाद, जइसे चीनी, कॉफी, रंग-सामग्री (dyes) आउ दोसर-दोसर चीज, जेकरा में ओकर उत्पादन में लगावल पसीना, आँसू आउ खून अभी तक सुखवो नञ् कइले ह[1]। "कल्पना करहो", कभी हमर मित्र हमरा से बोललथिन हल, "कि जे कॉफी तोहर कप में डालल हको, आउ ओकरा में घुलल चीनी, ऊ तोहरे नियन अदमी के शांति छीन लेलके हल, कि ई सब ओकर शक्ति से बाहर के मेहनत के कारण हलइ, ओकर आँसू, कराह, मार-पीट, मृत्युदंड आउ गाली-गलौज के कारण हलइ; अब तूँ अपन जिह्वा के स्वाद चख, क्रूरहृदय!" जन ऊ ई बात कहब करऽ हलथिन त उनकर घृणा के दृश्य हमरा आत्मा के अंदर तक हिला देलक। हमर हाथ काँपे लगल आउ कॉफी छलक गेल।
[*271] लकिन ऐ पितिरबुर्ग के वासी लोग, अपन पितृभूमि के प्रदेश के प्रचुरता पर अपन भरण-पोषण करे वलन, शानदार त्योहार के बखत, चाहे मित्र के हियाँ भोज के बखत, चाहे अकेल्ले में, जब तोहर हाथ तोहर तृप्ति खातिर रोटी के पहला कोर उठावऽ हको, त जरी रुकहो आउ सोचहो। कीऽ हम तोहरा ओहे बात नञ् कह सकऽ हियो, जे हमर मित्र हमरा अमेरिका के उत्पाद के बारे बतइलथिन? कीऽ पसेना, आँसू आउ आह से खेतवन के जादे उपजाऊ नञ् बनावल गेलइ, जेकरा पर ई वृद्धि पइलकइ? तूँ भाग्यशाली हकऽ, अगर ऊ रोटी जेकरा लगी तूँ भूख अनुभव करऽ ह, अनाज के ऊ बाली से बनावल हइ, जेकरा उपजावल गेलइ ऊ खेत में, जेकरा सरकारी खेत कहल जा हइ, चाहे कम से कम ऊ खेत में, जेकरा लगी जमींदार के कर (commutation tax) चुकावल जा हइ। लेकिन तूँ शोकग्रस्त होवऽ (woe to you), अगर ई, ऊ अनाज से बन्नल हको, जे कोय कुलीन के कोठार (अन्नभंडार) में पड़ल हलो। एकरा में अपमान आउ निराशा हलो; एकरा में सर्वशक्तिमान के अभिशाप निहित हलो, जब ऊ अपन क्रोध में बोललथुन हल - "ई जमीन अपन फल के मामले में अभिशप्त होवे।"[2] (Cursed be the earth with its fruits.) [*272] सावधान, कहीं तोहर वांछित भोजन विषाक्त नञ् होवे आउ तूँ मर नञ् जा। गरीब के कड़वा आँसू ओकरा पर भारी पड़ऽ हको। एकरा अपन मुँह से दूर रक्खऽ; उपवास करऽ, शायद वास्तविक आउ लाभदायक उपवास होतो।
कोय जमींदार के कहानी प्रमाणित करतो कि मानव अपन स्वार्थ खातिर अपने नियन के प्रति मानवता के भूल जा हइ, कि क्रूरहृदयता के उदाहरण लगी दूर के देश जाय के हमन्हीं के जरूरत नञ्, आउ न दुनियाँ के दोसर पटी चमत्कार ढूँढ़े के; ई सब हमन्हीं के देशे में हमन्हीं के अँखिया के सामनहीं घट्टऽ हइ।
कोय व्यक्ति सरकारी सेवा में, जइसन कि साधारण भाषा में कहल जा हइ, सुख नञ् पइला पर, चाहे ओकरा में सफलता पावे लगी नञ् चाहके, राजधानी से चल गेलइ, एगो छोटगर गाम प्राप्त कर लेलकइ, सो - दू सो आत्मा के, आउ खेती पर अपन जीविका चलावे के निश्चय कइलकइ। लेकिन ऊ खुद हर (हल) चलइलकइ, बल्कि सबसे यथार्थ [*273] तरीका से यथासंभव अपन कृषक लोग के प्राकृतिक बल के उपयोग करके खेती करवावे के इरादा कइलकइ। ई मामले में सबसे विश्वसनीय तरीका ऊ अपन कृषक लोग के औजार नियन समझलकइ, जेकरा न तो इच्छा होवऽ हइ आउ न प्रेरणा; आउ कुछ हद तक वस्तुतः ओकन्हीं के आझकल के सैनिक नियन समझलकइ, जेकन्हीं के सामूहिक रूप से आदेश देल जा हइ, युद्ध में समूह में आगू बढ़ऽ हइ, आउ अकेल्ले कोय काम के नञ् होवऽ हइ। अपन उद्देश्य के प्राप्ति हेतु ऊ ओकन्हीं हीं से थोड़े सुन जोत जमीन आउ घास के मैदान वापिस ले लेकइ, जे ओकन्हीं के आवश्यक निर्वाह खातिर साधारणतः कुलीन लोग देते जा हइ, मानुँ हर्जाना के रूप में ऊ सब बेगार के काम खातिर, जे ओकन्हीं कृषक लोग से माँग करऽ हइ। एक शब्द में, ई कुलीन सब्भे कृषक, ओकन्हीं के घरवली आउ बुतरुअन के खुद लगी साल के सब दिन काम करे लगी बाध्य कर देलकइ। आउ कहीं ओकन्हीं भूख से मर नञ् जाय, ओहे से ऊ ओकन्हीं के रोटी के कुछ निश्चित मात्रा [*274] मेसिचिना (मासिक सीधा) के रूप में दे दे हलइ। जेकन्हीं के कोय परिवार नञ् हलइ, ओकन्हीं के मेसिचिना नञ् मिल्लऽ हलइ, आउ साधारणतः लाकेदेमोन्यान[3] (Lacedaemonian) रिवाज के अनुसार ओकन्हीं जमींदार के घर (manor house) में साथ-साथ खइते जा हलइ, जेकरा में मांस भोजन [(क्रिसमस से पूत-काल (Shrovetide) तक] के बखत में पतगोबी के पतरा शोरबा (सूप), आउ उपवास के बखत पावरोटी आउ क्वास मिल्लऽ हलइ। अगर वास्तव में मांस होवऽ हलइ त खाली पवित्र (ईस्टर) सप्ताह में। अइसन भूदास लोग के ओकन्हीं के स्थिति के अनुसार निम्मन आउ उचित बस्तर देल जा हलइ। जाड़ा लगी जुत्ता, मतलब छाल के जुत्ता (लाप्ती) ओकन्हीं खुद्दे बना लेते जा हलइ; टांग-त्राण[4] (leggings) ओकन्हीं के अपन मालिक से मिल्लऽ हलइ; आउ गरमी में खाली गोड़ (नंगे पैर) बुल्लऽ-चल्लऽ हलइ। ओहे से अइसनकन भूदास के पास न तो गाय होवऽ हलइ, न घोड़ा, न भेड़ी आउ न भेड़ा। ऊ सब के रक्खे लगी मालिक अइसन भूदास लोग से अनुमति से वंचित नञ् करऽ हलइ, बल्कि एकरा लगी साधन के। जे कोय आर्थिक रूप से कुछ निम्मन ढंग से रहऽ हलइ, जे कोय जरी कमती खा-पीअ हलइ, ऊ कुछ मुरगी रक्खऽ हलइ, जेकरा मालिक [*275] कभी-कभी खुद लगी ले हलइ, जेकरा लगी अपन इच्छा के अनुसार कीमत चुकावऽ हलइ।
अइसन प्रबंध रहला पर कोय अचरज के बात नञ् हइ कि कोय मिस्टर फलना के गाम में कृषि समृद्धिशाली दशा में हलइ। जब सब्भे के फसल मारल गेलइ, त ओकरा हीं अनाज चार गुना होलइ; जब दोसरा लोग हीं फसल निम्मन होलइ, त ओकरा हीं उपज दस गुना आउ एकरा से जादे होलइ। थोड़हीं समय में अपन दू सो आत्मा के साथ ऊ अपन स्वार्थप्रेम के आउ दू सो शिकार खरीद लेलकइ; आउ एहे तरह से पहिले नियन साल-साल अपन जायदाद बढ़इते गेलइ, अपन खेत में आह भरते लोग के संख्या के दोगना करते। अभी तो ऊ ओकन्हीं के हजार में गिन्नऽ हइ, आउ एगो नामी कृषक के रूप में प्रसिद्ध हइ।
ऐ बर्बर! तूँ नागरिक कहलाय के योग्य नञ् हकँऽ। राज्य के एकरा से कीऽ फयदा होवऽ हइ कि कुछ हजार चित्वेर्त[5] अनाज जादे पैदा होवऽ हइ, अगर ऊ लोग के, जे एकरा पैदा करऽ हइ, बैल मानल जा हइ, जेकरा भारी कूँड़ (furrow) बनावे लगी [*276] भाग्य में बद्दल हइ? कि हम सब नागरिक लोग के खुशी ई बात में समझऽ हिअइ कि हमन्हीं के अन्न के कोठार भरल हइ जबकि पेट खाली हइ? कि एगो सरकार के आशीर्वाद दे हइ, आउ हजार गो नञ्? ई खून चूसे वला के धन ओक्कर नञ् हइ। ई लूटके लेल गेले ह आउ कानून के मोताबिक ऊ कठोर सजा के लायक हइ। तइयो अइसन लोग हइ, जे ई जल्लाद के उपजाऊ खेत देखके ओकरा खेती के काम में आदर्श (perfection) के उदाहरण प्रस्तुत करते जा हइ। आउ तोहन्हीं सरलहृदय कहलाय लगी चाहऽ हो, आउ तोहन्हीं सार्वजनिक भलाई के संरक्षक के रूप में जानल जा हो। तोहन्हीं के अइसन बलात्कार के प्रोत्साहन देवे के बदले, जेकरा तोहन्हीं राज्य के धन के स्रोत समझऽ हो, अपन मानवोचित प्रतिशोध के ई सार्वजनिक दुश्मन के विरुद्ध निर्दिष्ट करहो। ओकर कृषि कार्य के औजार सब के नष्ट कर देहो; ओकर खरिहान, ओविन[6], अनाज के कोठार के जला देहो, आउ ओकर राख के ऊ सब खेत पर छिड़क देहो जाहाँ परी यातना देल जा हलइ, ओकरा लोग के लुटेरा [*277] घोषित करहो, ताकि हर कोय ओकरा देखके नञ् खाली ओकरा से नफरत करइ, बल्कि ओकरा पास आवे से बचते जाय ताकि ओकर उदाहरण से लोग के संक्रमण (infection) नञ् हो जाय।



[1] रादिषेव जब ई शब्द लिखलथिन हल, त ऊ पितिरबुर्ग के सीमाशुल्क (customs) विभाग के डिप्टी डिरेक्टर (उपनिदेशक) हलथिन आउ जल्दीए निदेशक बन्ने वला हलथिन।
[2] लेखक के इशारा बाइबिल, पुरनका विधान (Old Testament), उत्पत्ति (Genesis) 3:17 तरफ हइ। Genesis 3:17 And to Adam he said: Because thou hast hearkened to the voice of thy wife, and hast eaten of the tree, whereof I commanded thee, that thou shouldst not eat, cursed is the earth in thy work: with labour and toil shalt thou eat thereof all the days of thy life.”
[3] किंवदन्ती के अनुसार, लिकुर्गुस (800 ई.पू. - 730 ई.पू.) प्राचीन ग्रीक राज्य-शहर स्पार्ता (Sparta) में सार्वजनिक भोजन (public meals) के स्थापना कइलकइ, जेकरा में नागरिक अनिवार्य रूप से 15-15 लोग के समूह में भाग लेते जा हलइ; आउ जेकरा में मुख्य व्यंजन होवऽ हलइ शोरबा (सूप), शिकार के पशु-पक्षी आउ फल ।
[4] टांग-त्राण (leggings)- (विशेष रूप से महिला खातिर) कसके फिट बैठे वला पैजामा।
[5] चित्वेर्त - 12 पूद के प्राचीन रूसी भार के इकाई, जे लगभग 196 किलोग्राम के बराबर होवऽ हइ। (1 पूद = 16.38 किलोग्राम)
[6] ओविन - भट्ठी के साथ ऊ संरचना, जेकरा में अनाज के बोझा के दौनी करे के पहिले सुखावल जा हइ।


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