विजेट आपके ब्लॉग पर

Sunday, October 06, 2019

पितिरबुर्ग से मास्को के यात्रा ; अध्याय 17. विद्रपुस्क


[*278]                                     विद्रपुस्क
हियाँ परी हम फेर से अपन मित्र के कागज में व्यस्त हो गेलिअइ। हमर हाथ में कोर्ट रैंक के उन्मूलन के मसौदा पड़ गेलइ।
भावी परियोजना
समाज में नष्ट होल स्वाभाविक आउ सिविल समानता के फेर से स्थापित करके हमन्हीं के पूर्वज ई बात के कइसूँ कम महत्त्व नञ् देलथिन कि कुलीनता (nobility) के अधिकार के सीमित कर देवे के चाही। शुरू में अपन गुण के आधार पर राज्य खातिर ई उपयोगी हलइ; लेकिन अपन उत्तराधिकार के रूप में प्राप्ति के अधिकार एकर उपलब्धि के कमजोर कर देलकइ, आउ रोपे के बखत जबकि एकर जड़ मिठगर हलइ, आखिरकार एकर फल कड़वा पैदा कइलकइ। वीरता के स्थान पर, अहंकार आउ स्वार्थपरता जड़ जमा लेलकइ। आत्मा के उदारता आउ विशालहृदयता के बदले चटुकारिता आउ आत्मविश्वास के अभाव, जे महानता के वास्तविक दुश्मन हइ, जड़ जमा लेलकइ। एतना संकीर्ण विचार के आत्मा के साथ रहते [*279] आउ अपन उत्तराधिकार में प्राप्त गुण आउ योग्यता के चाटुकारिता से क्षुद्रता के प्रति प्रेरित होल, कइएक शासक सोचलकइ कि ओकन्हीं भगमान हइ, आउ ऊ सब कुछ, जे ओकन्हीं स्पर्श कर दे हइ, निम्मन हो जा हइ आउ चमके लगऽ हइ। अइसहीं होवे के चाही हमन्हीं के क्रिया-कलाप में, लेकिन खाली सार्वजनिक लाभ खातिर। अपन शक्ति के भव्यता के अइसने झपकी में शासक लोग सोचते जा हलइ कि दास आउ नौकर-चाकर ओकन्हीं के दृष्टि सामने हर घड़ी खड़ी रहते ओकन्हीं के चमक-दमक के अपनावऽ हइ; कि राजकीय चमक, अइसन कहल जा सकऽ हइ, ई सब नयकन प्रतिबिम्ब में परावर्तित होते, आवर्धित (magnified) हो जा हइ आउ अधिकतम तीव्र प्रतिबिम्ब के रूप में। विचार के अइसन भ्रम में शासक लोग कोर्ट मूर्ति स्थापित करते गेलइ, जे थियेटर के वास्तविक देवता लोग जइसन, सीटी चाहे झुनझुन्ना के आज्ञा मानऽ हइ। अगर कोर्ट रैंक के चरण पर नजर डालल जाय, त सहानुभूति भरल मुसकान के साथ हम सब अपन नजर ऊ लोग के तरफ से फेर लेते जा हिअइ, जे अपन सरकारी सेवा पर शेखी बघारऽ हइ; लेकिन हमन्हीं के रोना आवऽ हइ, [*280] जब हम सब देखऽ हिअइ कि वास्तविक योग्यता वला के अपेक्षा ओकन्हीं के वरीयता देल जा हइ। हमर खामसामा (butler) , अश्वपाल (equerry), हियाँ तक कि साईस (groom) आउ कोचवान भी, रसोइया, साकी, बाजपालक (falconer), आउ ओकर अधीनस्थ शिकारी, गृह-प्रबंधक (chamberlain), ऊ जे हमर हजामत करऽ हइ, ऊ जे हमर सिर के केश सँवारऽ हइ, ऊ जे हमर जुत्ता के धूरी आउ गंदगी साफ करऽ हइ, आउ दोसर लोग के बिन उल्लेख कइले, सब बराबर बन जा हइ चाहे ओकन्हिंयों से वरिष्ठ हो जा हइ, जे पितृभूमि के अपन आध्यात्मिक आउ शारीरिक शक्ति से सेवा करते जा हइ, जेकरा लगी न तो अपन स्वास्थ्य, न खून के परवाह करऽ हइ, अपन देश के गौरव खातिर खुशी से अपन प्राण के आहुति देवे लगी भी तैयार रहऽ हइ। एकरा से तोहरा कीऽ लेना-देना हको कि हमर घर में शुद्धता आउ सफाई के राज हइ? कीऽ तूँ रजके खइबहो, ई जानके कि हमरा हीं खाना तोहरा हीं से बेहतर बनावल हइ, आउ हमर जाम (goblets) में दुनियाँ के हर कोना से शराब बहऽ हइ? कीऽ तोहर यात्रा में मौसम के खराब रहे से हमरा हीं शरण लेबहो ई जानके कि हमर घोड़ागाड़ी पर सोना के मुलम्मा कइल (gilded) हइ आउ हमर घोड़वन तगड़ा हइ? [*281] कीऽ तोर खेत तोरा निम्मन पैदावार देतो, तोर घास के मैदान जादे हरियर लगतो, अगर हमर मनोरंजन में जंगली जानवर के शिकार के दौरान ओकरा रौंद देल जइतो? तूँ सहानुभूति में मुसकरइबहो। लेकिन कइएक दोसर लोग अपन न्यायसंगत क्रोध में हमन्हीं के कहथिन – “ऊ जे तोहर आलीशान महल के देखभाल करऽ हको, ऊ जे ओकरा गरम करऽ हको, ऊ जे दाक्षिणात्य (meridional) पौधा के गरम मसाला के उत्तरी वसा के ठंढगर लसलसाहट (viscosity) से मिलावऽ हको, ताकि तोहर कमजोर होल पेट आउ तोहर सुन्न होल स्वाद लगी सवदगर लगइ; ऊ जे अफ्रीका के अंगूर के मिठगर रस के तोहर जाम (goblet) में झागदार बनावऽ हको; ऊ जे तोहर घोड़ागाड़ी के चिकनावऽ हको (lubricates), तोहर घोड़वन के खिलावऽ आउ पानी पिलावऽ हको; ऊ जे तोहर नाम पर बलूत के जंगल के जानवर आउ आकाश के पक्षी के विरुद्ध खूनी जंग छेड़ऽ हको; ई सब परजीवी, कइएक दोसरा लोग नियन, तोर अहंकार के ई सब चाटुकार, रैंक में उपरे हइ हमरा से, जे युद्धक्षेत्र में खून के धारा बहइलको ह, [*282] जे तोर शहर आउ राजमहल के रक्षा में अपन देह के सबसे जरूरी अंग गमइलको ह, जाहाँ परी तोर कायरता तेजस्विता के परदा में वीरता प्रतीत होलो; एक-एक पाई (पोलुश्का) बचावे लगी, जे अपन खुशी, जवानी आउ ऐशो-आराम के बलिदान कइलको ह, ताकि यथासंभव कर के सामान्य बोझ जे जरी हलका हो सकइ; जे लोक-कल्याण प्राप्त करे लगी संसाधन के खोज में दिन-रात काम करते जे अपन जायदाद के भी परवाह नञ् कइलको; जे रिश्तार, मित्र, हृदय आउ खून के बंधन के भी उपेक्षा कइलको ताकि कोर्ट में तोर नाम पर सत्य के उद्घोषणा कइल जाय कि तूँ प्रिय बन्नल रहो।” हमन्हीं के कारानामा में हम सब के केश उज्जर होब करऽ हके, हमन्हीं द्वारा शुरू कइल उद्यम में शक्ति क्षीण हो रहल ह, आउ जबकि हम सब के गोड़ कब्र में लटकल हके, हम सब मोसकिल से तोर अनुग्रह के काबिल हकूँ; आउ ई सब बछड़ा ऐशो-आराम आउ पाप के थन से मोटाल, पितृभूमि के ई सब अवैध बेटा हमलोग के जायदाद के उत्तराधिकारी बनतइ।
[*283] अइसीं आउ कुछ जादहीं तोहन्हीं में से कइएक लोग कहतो, आउ ठीके। हमन्हीं कीऽ जवाब देबइ, शक्ति के मालिक? हम सब अपन अपमान के दिल पर पत्थल रखके गुप्त रखबइ, आउ हमन्हीं के आँख में क्रोध के ज्वाला देखाय देतइ ऊ लोग के विरुद्ध जे ई सब बात कहलके ह। सत्य के घोषणा के हमन्हीं उत्तर अकसर अइसने होवऽ हइ। आउ कोय भी एकरा लगी अचंभित नञ् होवे, जब हमन्हीं बीच सबसे उत्तम व्यक्ति अइसन कहे के साहस करऽ हइ; ऊ प्रिय लोग के बीच रहऽ हइ, प्रिय लोग के साथ बोलऽ हइ, चाटुकारी में सुत्तऽ हइ, चाटुकारी में बुल्लऽ-चल्लऽ हइ। आउ चाटुकारिता आउ लाड़-प्यार ओकरा बहिर, आन्हर आउ सुन्न कर दे हइ।
लेकिन अइसन तिरस्कार हमन्हीं पर नञ् पड़े। अपन बचपने से लाड़-प्यार से नफरत करते अइलिए ह, अभियो तक हम सब अपन हृदय के ओकर जहरीला मिठास से दूर रखलिए ह; आउ हमन्हीं के तोरा लगी प्रेम आउ भक्ति के अभी नयका सबूत स्पष्ट हो जइतो। हम सब अब कोर्ट सेवा के मिलिट्री आउ सिविल सेवा के साथ बराबरी के रद्ध करऽ हिअइ। [*284] हमन्हीं लगी शरम वला ई रिवाज, जे एतना साल तक अस्तित्व में रहले ह, स्मृति से मिटा देल जाय। खाली वास्तविक योग्यता आउ गुण, लोक-कल्याण के उत्साह, के अपन परिश्रम खातिर पुरस्कार प्राप्त करे आउ खाली एहे सर्वश्रेष्ठ गिन्नल जाय।
अपन हृदय से एतना असहनीय बोझ के, जे हमन्हीं के लमगर अवधि तक यातना देलके ह, उठाके, जे वास्तविक सेवा आउ गुण लगी एतना अपमानजनक रहले ह ऊ रैंक (ranks) के नष्ट करे के अपने के हम कारण बतइबइ। अपने के बतावल जा हइ आउ हमन्हीं के पूर्वज एहे विचार के हलथिन कि राजकीय सिंहासन, जेकर शक्ति नागरिक लोग के विचार में निहित हइ, बाहरी चमक-दमक से जानल जाय के चाही ताकि एकर महानता के बारे विचार हमेशे लगी सम्पूर्ण आउ अविनाशी रहइ। ओहे से देश के शासक के भव्य बाहरी प्रदर्शन, ओहे से ओकन्हीं के घेरले दास लोग के झुंड। हरेक व्यक्ति के सहमत होवे के चाही कि संकुचित बुद्धि आउ क्षुद्र आत्मा बाह्याडंबर से अचंभित हो सकऽ हइ। लेकिन जेतने जादे कोय देश प्रबुद्ध होवऽ हइ, मतलब, जेतने [*285] जादे प्रबुद्ध लोग होवऽ हइ, ओतने कम बाह्याडंबर के प्रभाव रहऽ हइ। नुमा[1] तत्कालीन असभ्य रोमन लोग के विश्वास देला सकलइ कि परी इगेरिया (nymph Egeria) ओकरा विधि-निर्माण (legislation) में मार्गदर्शन कइलकइ। कमजोर पेरुवियन (पेरू के निवासी) असानी से मानको कपाक[2] (Manco Capac) पर विश्वास कर लेते गेलइ कि ऊ सूर्य के पुत्र हइ, कि ओकर कानून स्वर्ग से अइले ह[3]। मोहम्मद अपन बकवास से खानाबदोश अरब लोग के धोखा दे सकला। ओकन्हीं में से सब्भे बाहरी रूप के उपयोग करते गेला; हियाँ तक कि विधि-निर्माता (Moses) कानून के तालिका (Tablets of the Law) बिजली के चमक के बीच एगो पहाड़ पर प्राप्त कइलका हल[4]। लेकिन आझकल अगर कोय केकरो आकर्षित करे लगी चाहऽ हइ, त ओकरा बाहर से चमक-दमक वला होना जरूरी नञ् हइ, बल्कि तर्क के बाह्य रूप, अगर अइसन कहल जा सकऽ हइ, दृढ़ धारणा के बाह्य रूप। कोय भी आझ अपन सन्देश के उच्च स्तर पर अनुमोदन चाहतइ, त ऊ एकर उपयोगिता के जादे से जादे बाह्य रूप के प्रयोग करतइ आउ एकरा से सब कोय प्रभावित होतइ। जबकि हम सब तो अपन पूरा ताकत सब के आउ हरेक के कल्याण खातिर लगावऽ हिअइ, त हमन्हीं के बाह्याडंबर के कीऽ जरूरत हइ? कीऽ राज्य के कल्याण के खातिर हमन्हीं के जारी कइल अध्यादेश (decrees) के उपयोगिता से [*286] हमन्हीं के मुख नञ् चमकऽ हइ? हमन्हीं दने देखे वला हर कोय हमन्हीं के निम्मन इरादा देखतइ, हमन्हीं के कारनामा में अपन खुद के भलाई देखतइ, आउ ओकरा लगी हमन्हीं के अभिवादन करतइ, कइसनो चलते शासक के सामने भय से नञ्, बल्कि भलाई लगी बैठल शासक के सामने नियन। अगर प्राचीन काल के पारसी लोग पर हमेशे उदारतापूर्वक शासन कइल गेले हल, तब ओकन्हीं अह्रमन[5] (Ahriman) अथवा बुराई के घृणास्पद सिद्धान्त के अस्तित्व के बारे नञ् सोचते जइते हल। लेकिन अगर बाह्याडंबर हमन्हीं लगी बेकार हइ, त केतना खतरनाक हो सकऽ हइ राज्य में ओकरा बचावे वलन! हमन्हीं के प्रति सेवा में ओकन्हीं के एक कर्त्तव्य हइ हमन्हीं के संतुष्टि, त ओकन्हीं केतना प्रयास करते जइतइ ऊ सब कुछ के खोजे लगी जे हमन्हीं के पसीन पड़ सकऽ हइ। हमन्हीं के इच्छा पूर्वानुमानित (anticipated) होतइ; लेकिन नञ् खाली हमन्हीं के दिमाग में इच्छा पैदा होवे नञ् देल जइतइ, बल्कि विचारो, काहेकि ओकर संतुष्टि पहिलहीं से तैयार हइ। इच्छा के अइसन पूर्ति के प्रभाव के आतंक के साथ देखहो। अत्यन्त सुदृढ़ आत्मा भी अपन सिद्धान्त में हिल जइतइ, [*287]  कान लुभावना मिठगर प्रशंसा के सामने झुक जइतइ आउ ओकरा नीन आ जइतइ। आउ ई मिठगर मोहकता मस्तिष्क आउ हृदय के वश में कर लेतइ। दोसर के शोक आउ अपमान हमन्हीं के मोसकिल से अल्पकालिक बेमारी प्रतीत होतइ; एकरा लगी शोक करे के या तो अनुचित समझते जइबइ, नञ् तो प्रतिकूल, आउ एकरा बारे शिकायत भी करे के मनाही करते जइबइ। सबसे दर्दनाक शोक आउ घाव आउ हियाँ तक कि मौत भी, हमन्हीं के जिनगी के अनिवार्य घटना प्रतीत होतइ, आउ हमन्हीं के अपारदर्शक परदा के पीछू अवतरित होते मोसकिल से ऊ अल्पकालिक भावना पैदा कर सकतइ, जे हमन्हीं में थियेटर के प्रदर्शन या अभिनय पैदा करऽ हइ, काहेकि रोग के बाण आउ विपत्ति के डंक घुसला के चलते हमन्हीं के छाती नञ् थरथरा हइ।
ई राजकीय बाह्याडंबर के विनाशक परिणाम के एगो धुँधला तस्वीर हइ। कीऽ हम सब परम सुखी नञ् हिअइ, अगर अपन निम्मन इरादा के विकृत होवे से खुद के बाचावे में सफल होलिअइ? कीऽ हमन्हीं वस्तुतः भाग्यशाली नञ् हिअइ, अगर हमन्हीं संक्रामक उदाहरण के बाधित कर देलिअइ? अपन सुहृदयता में आश्वस्त, [*288] बाहर से प्रलोभन के विरुद्ध आश्वस्त, अपन इच्छा के संयम में आश्वस्त, हम सब फेर से समृद्ध होबइ, आउ दूरतम पीढ़ी लगी ई बात के उदाहरण होबइ कि कइसे पारस्परिक लाभ हेतु सत्ता स्वतंत्रता के साथ जोड़ल जाय के चाही।




[1] नुमा पोम्पिलियुस (Numa Pompilius), रोम के परम्परागत द्वितीय राजा, जेकर शासनकाल 715 ई.पू. से 673 ई. पू. हलइ। दे॰ Livy, I, xix, 4-5.
[2] मानको कपाक (Manco Capac) - दक्षिणी-पूर्वी पेरू के कुस्को (Cusco) शहर के पहला गवर्नर आउ इन्का (Inca) सभ्यता के संस्थापक, शायद तेरहमी शताब्दी के शुरुआत में।
[3] ई विचार विलियम रोबर्टसन [William Robertson (1721-1793)], स्कॉटिश इतिहासकार, से उद्धृत कइल गेले ह। दे॰ The History of America, Vol.2, Dublin, 1777, p.306.
[4] दे॰ Hebrew Bible, Exodus 24:12; 31:18; 32:16; 32:19; 34:1; 34:4 etc.
[5] पारसी मिथकशास्त्र में अह्रमन बुराई आउ अन्हेरा के देवता हलइ, आउ पारसी धर्म में, एगो अइसन धर्म जे फारस में लगभग 600 ई.पू. में बड़गर संख्या में अनुयायी के आकृष्ट कइलकइ। अकसर द्रुज (झूठ) कहलाय वला, अह्रमन एगो बल हलइ क्रोध, लोभ, ईर्ष्या आउ दोसर-दोसर नकारात्मक आउ हानिकारक भावना के। ऊ संसार में लइलकइ अव्यवस्था, मृत्यु, रोग आउ अन्य प्रकार के बुराई। इस्लाम में ओकरा इब्लीस (शैतान, जिन्न) के नाम से जानल जा हइ।


No comments: