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Sunday, July 24, 2016

रूसी उपन्यास "आझकल के हीरो" ; भाग-1 ; 2. माक्सीम माक्सीमिच - अध्याय-1



भाग-1
2. माक्सीम माक्सीमिच - अध्याय-1

माक्सीम माक्सीमिच से विदा होके, हम घोड़ा के सरपट दौड़इते तेरेक आउ दर्याल दर्रा के पार कइलिअइ, काज़बेक में नाश्ता कइलिअइ, लार्स में चाय पिलिअइ, आउ रात के भोजन व्लादिकवकाज़ [1] में कइलिअइ । हम अपने के बोर करे लगी नयँ चाहऽ हिअइ - पर्वत के वर्णन से, उद्गार प्रकटीकरण से, जे कोय अर्थ नयँ अभिव्यक्त करऽ हइ, चित्र से, जे कुच्छो नयँ दर्शावऽ हइ, विशेष करके ऊ लोग लगी, जे हुआँ कभी नयँ गेला ह, आउ सांख्यिकीय प्रेक्षण (statistical observations) से, जेकरा, हमरा पक्का विश्वास हकइ, कोय नयँ पढ़तइ ।

हम एगो होटल में ठहरलिअइ, जाहाँ परी सब यात्रा करे वलन ठहरते जा हइ आउ जाहाँ संयोगवश अइसन कोय नयँ रहऽ हइ, जेकरा तीतर (pheasant) झौंसे लगी, चाहे बंदागोभी के शोरबा तैयार करे लगी औडर कइल जा सकऽ हइ, काहेकि तीन गो अपंग सैनिक, जेकन्हीं के काम सौंपल रहऽ हइ, अइसन बेवकूफ होवऽ हइ, चाहे एतना पीयल रहऽ हइ, कि ओकन्हीं कोय काम के नयँ होवऽ हइ ।

हमरा सूचना मिललइ, कि हमरा, हियाँ आउ तीन दिन ठहरे के चाही, काहेकि एकातेरिनोग्राद [2] से "ओकाज़िया" (शाब्दिक अर्थ – अवसर, संयोग) अभियो तक नयँ अइले ह, आउ फलस्वरूप, वापसी यात्रा पर नयँ जाल जा सकऽ हइ । ई कइसन ओकाज़िया हइ ! (अर्थात् दुर्भाग्य हइ) ... लेकिन खराब यमक अलंकार (pun) एगो रूसी व्यक्ति लगी कोय सांत्वना नयँ हइ, आउ हम, समय गुजारे खातिर माक्सीम माक्सीमिच के बेला के बारे कहानी लिक्खे के सोचलूँ; ई बिन कल्पना कइले, कि ई, कथा के एगो लमगर शृंखला के पहिलौका कड़ी होतइ; देखथिन, कइसे कभी-कभी एगो तुच्छ घटना में गंभीर परिणाम छिप्पल रहऽ हइ ! ... लेकिन अपने, शायद, नयँ जानऽ होथिन, कि "ओकाज़िया" के की मतलब होवऽ हइ ? ई एगो रक्षक दल होवऽ हइ, जेकरा में पैदल सेना के आधा कंपनी आउ तोप होवऽ हइ, जेकर सुरक्षा में गाड़ी के कारवाँ व्लादिकवकाज़ से कबार्दा होते एकातेरिनोग्राद जा हइ ।

पहिला दिन हमरा लगी बहुत उबाऊ रहल; दोसरा दिन भोरगरे अइलइ एगो गाड़ी ... आह ! माक्सीम माक्सीमिच ! ... हमन्हीं पुरनका दोस्त नियन मिललिअइ । हम उनका अपन कमरा में रहे के प्रस्ताव रखलिअइ । बिन कोय औपचारिकता के ऊ हमर प्रस्ताव स्वीकार कर लेलका, हमर कन्हा थपथपइलका आउ अपन मुँह टेढ़ा करते मुसकइला । कइसन अद्भुत व्यक्ति हका ! ...

माक्सीम माक्सीमिच के पाक कला में गहरा ज्ञान हलइ - ऊ आश्चर्यजनक स्तर पर निम्मन ढंग से तीतर के झौंसलका, एकरा पर खीरा के नमकीन जल सफलतापूर्वक चुपड़ देलका, आउ हमरा स्वीकार करे के चाही, कि उनका बेगर हमरा खाली सुक्खल हलका नश्ते पर शंख बजावे पड़त हल । कमती संख्या के व्यंजन, जे कुल्लम एक्के कोर्स के हलइ, के बारे भूल जाय में काख़ेतिन [3] शराब के बोतल हमन्हीं के मदत कइलकइ, आउ पाइप सुलगाके हमन्हीं बैठ गेते गेलिअइ - हम खिड़की बिजुन, ऊ एगो जलावल स्टोव बिजुन, काहेकि दिन सरदाहा (damp) आउ ठंढगर हलइ । हमन्हीं चुप हलिअइ । हमन्हीं कउची के बारे बात करतिए हल ? ... ऊ तो खुद के बारे हमरा सब कुछ सुना चुकला हल, जे रोचक हलइ, आउ हमरा पास कुच्छो सुनावे लायक नयँ हलइ । हम खिड़की से बाहर देख रहलिए हल । कइएक छोटगर-छोटगर घर, जे तेरेक नदी के किनारे-किनारे बिखरल हलइ, जे लगातार (समुद्र से मिल्ले के पहिले तक) चौड़गर आउ चौड़गर होल बहऽ हइ, पेड़वन के बीच से देखाय दे रहले हल, आउ दूर में पर्वत के नीला दाँतेदार देवाल हलइ, जेकर पीछू से काज़बेक के शिखर कार्डिनल (रोमन कैथोलिक चर्च में पोप के ठीक निचला रैंक के अधिकारी) के उज्जर टोपी नियन हुलक रहले हल । हम मानसिक रूप से ऊ सब से विदा होलिअइ - हमरा ऊ सब से अलग होवे में खराब लगल ...

अइसीं हमन्हीं देर तक बैठल रहलिअइ । सूरज शीतल शिखर के पीछू डूब रहले हल, आउ उजरगर (whitish) कुहरा घाटी में फैले लगले हल, जब रोड पर यात्रा के घंटी के टनटनाहट आउ ड्राइवर लोग के चिल्लाहट सुनाय देलकइ । कुछ गाड़ी आउ साथ-साथ गंदा-संदा अर्मेनियन लोग अंदर होटल के प्रांगण में घुसते गेलइ, आउ ओकन्हीं के पीछू-पीछू यात्रा के एगो खाली कल्यास्का (घोड़ागाड़ी); एकर हलका चाल, सुविधाजनक संरचना आउ सज्जल-धज्जल बाह्यरूप एक प्रकार से एकर विदेशी होवे के छाप लगऽ हलइ । ओकर पीछू-पीछू एगो बड़गर-बड़गर मोछ वला अदमी चल रहले हल, एगो हंगरियन जैकेट में, आउ नौकर लगी काफी निम्मन ढंग से पोशाक पेन्हले; ऊ जइसन जोशीला तरीका से अपन पाइप के राख झाड़के हटावऽ हलइ आउ कोचवान पर चिल्ला हलइ, ओकरा से ओकर ओहदा के बारे चूक करना असंभव हलइ । ऊ स्पष्टतः एगो आलसी मालिक के सिरचढ़ा नौकर हलइ - कुछ रूसी फ़िगारो [4] नियन ।
"ए प्यारे", हम खिड़की से ओकरा तरफ चिल्लइलिअइ, "ई की हइ - ओकाज़िया अइले ह की ?"
ऊ हमरा दने ढिठाई से देखलकइ, अपन टाई सीधा कइलकइ आउ मुड़ गेलइ; ओकर बगले में जा रहल एगो अर्मेनियन, मुसकइते ओकरा तरफ से जवाब देलकइ, कि ई ओकाज़िया ही अइले ह आउ बिहान सुबहे वापिस जइतइ ।
"भगमान के किरपा !" माक्सीम माक्सीमिच कहलका, जे अब तक खिड़की तक पहुँच गेला हल । "केतना सुंदर कल्यास्का (घोड़ागाड़ी) हइ !" ऊ आगू बोलला, "पक्का कोय अधिकारी जाँच-पड़ताल खातिर तिफ़लिस जा रहला ह । लगऽ हइ, हमन्हीं के पर्वत से अनभिज्ञ हका ! नयँ, प्यारे, मजाक करऽ ह - ऊ हमन्हीं के भाय नयँ हका, अँगरेजी गाड़ी भी हिचकोला बरदास नयँ कर पइतइ ! - ई केऽ हो सकऽ हइ - चलके मालूम कइल जाय ... हमन्हीं गलियारा (कॉरिडोर) में बाहर अइते गेलिअइ । गलियारा के अंत में एगो बगल के कमरा के दरवाजा खुल्लल हलइ। नौकर आउ ड्राइवर साथ-साथ सूटकेस ढोके ओकरा में ला रहले हल ।

"सुन्नऽ तो भाय", ओकरा स्टाफ-कप्तान पुछलका, "ई किनकर सुंदर कल्यास्का हइ ? ... ऐं ? ... शानदार कल्यास्का हइ ! ..."
नौकरवा, बिन मुड़ले, अपने आप में कुछ तो बड़बड़इलइ, सूटकेस के बन्हन खोलते । माक्सीम माक्सीमिच नराज हो गेलथिन; ऊ ढीठ के कन्हा छूके कहलथिन - "हम तोरा से बोल रहलियो ह, प्यारे ..."
"किनकर कल्यास्का हइ ? .. हम्मर मालिक के ..."
"आउ तोर मालिक केऽ हथुन ?"
"पिचोरिन ..."
"की कहलहो ? की कहलहो ? पिचोरिन ? ... आह, हे भगमान ! ... अरे, ऊ, जे काकेशिया में सेवा कइलका हल ? ..." हमर बाँह घींचते माक्सीम माक्सीमिच अचरज प्रकट कइलका । उनकर आँख में खुशी के लहर दौड़ गेलइ ।
"सेवा कइलका होत, शायद - लेकिन हम उनका हीं जादे दिन से काम पर नयँ हिअइ ।"
"अच्छऽ ! ... अच्छऽ ! ... ग्रिगोरी अलिक्सांद्रविच ? ... एहे उनकर नाम हइ न ? ... तोर मालिक आउ हम दुन्नु दोस्त हलिअइ", ऊ बात आगू बढ़इलका, नौकरवा के कन्हा पर दोस्ताना ढंग से प्रहार करते, एतना जोर से कि ऊ अपन नियंत्रण खोके लड़खड़ा गेलइ ...
"माफ करथिन, महोदय, अपने हमर काम में बाधा डाल रहलथिन हँ", नाक-भौं सिकोड़ते ऊ कहलकइ ।
"ई की भाय ! ... की तूँ जानऽ हो ? तोर मालिक आउ हम दुन्नु पक्का दोस्त हलिअइ, साथ-साथ रहऽ हलिअइ ... लेकिन ऊ खुद काहाँ रह गेला ? ..."
नौकरवा बतइलकइ, कि पिचोरिन रात के खाना खाय लगी आउ रात गुजारे खातिर कर्नल एन॰ के हियाँ रुक गेला हल ...
"की ऊ आझ शाम हियाँ नयँ अइथुन ?" माक्सीम माक्सीमिच कहलका, "चाहे तूँ, प्यारे, कोय काम खातिर उनका हीं नयँ जइबहो ? ... अगर जइबऽ, त बता दीहो, कि हियाँ परी माक्सीम माक्सीमिच हथुन; अइसीं बोल दीहो ... ऊ समझ जइथुन ... हम तोरा वोदका लगी आठ ग्रिव्ना (अर्थात् अस्सी कोपेक) देबो ..."
अइसन मामूली बख्शिश सुनके नौकरवा घृणाजनक भाव बनइलकइ, लेकिन माक्सीम माक्सीमिच के आश्वस्त कइलकइ, कि ऊ उनकर संदेश पहुँचा देतइ ।
"वास्तव में ऊ अभिए दौड़के अइतइ ! ...", माक्सीम माक्सीमिच विजय के मुद्रा में हमरा कहलका, "गेट भिर हम ओकर इंतजार करे लगी जइबइ ... ओह ! खेद हइ, कि हम कर्नल एन॰ से परिचित नयँ हिअइ ..."

माक्सीम माक्सीमिच गेट के बहरसी एगो बेंच पर बैठ गेला, आउ हम अपन कमरा में चल गेलिअइ । हम स्वीकार करऽ हिअइ, कि हमहूँ ओइसीं कुछ अधीरतापूर्वक ई पिचोरिन के आवे के प्रतीक्षा कर रहलिए हल; स्टाफ-कप्तान के कहानी के मोताबिक, हमरा ओकरा बारे अपन मन में बहुत अनुकूल अवधारणा नयँ बनले हल, लेकिन ओकर चरित्र में कुछ विशेषता हमरा अद्भुत लगलइ । एक घंटा के बाद अपंग सैनिक उबलइत सामोवार आउ चायदानी (केतली) लेके अइलइ ।

"माक्सीम माक्सीमिच, चाय लेथिन ?" हम उनका खिड़की से चिल्लइलिअइ ।
"धन्यवाद; हमरा पीए के मन नयँ ।"
"ओह, पी लेथिन ! देखथिन, बहुत लेट हो चुकले ह, आउ ठंढा कइले हइ ।"
"कोय बात नयँ; धन्यवाद ..."
"खैर, जइसन अपने के मर्जी !" हम अकेल्ले चाय पीए लगलिअइ; लगभग दस मिनट के बाद हमर बुजुर्ग अंदर आवऽ हका – "अपने ठीक कहऽ हथिन - बेहतर होतइ कि चाय पी लेल जाय - लेकिन हम लगातार (पिचोरिन के) इंतजार कर रहलिए हल ... ओकर अदमी ओकरा हीं बहुत देर पहले रवाना होले हल, लेकिन, साफ हइ, कि कुछ तो ओकरा अटका देलकइ ।"

ऊ जल्दी-जल्दी एक कप चाय के चुस्की लेलका, दोसर कप लगी इनकार कइलका आउ फेर से गेट के बहरसी एक प्रकार से बेचैनी के साथ चल गेला - स्पष्ट हलइ, कि ई बुजुर्ग के पिचोरिन के लापरवाही से तकलीफ हो रहले हल, आउ ई बात से अधिक, कि ऊ हाल में ओकरा साथ अपन दोस्ती के बारे बतइलका हल आउ एक्के घंटा पहिले ऊ आश्वस्त हला, कि ऊ जइसीं उनकर नाम सुनतइ, ओइसीं दौड़ल अइतइ ।

लेट आउ अन्हेरा हो चुकले हल, जब हम फेर से खिड़की खोललिअइ आउ माक्सीम माक्सीमिच के पुकरलिअइ, ई कहते, कि अब सुत्ते के बखत हो चुकले ह; ऊ दाँत के बीच से (through clenched teeth) कुछ तो बड़बड़इला; हम आमंत्रण के दोहरइलिअइ - ऊ कुछ नयँ उत्तर देलका ।

हम ओवरकोट लपेटके, स्टोव-बेंच पर मोमबत्ती रखके, सोफा पर पड़ गेलिअइ, जल्दीए नीन आ गेलइ आउ अराम से रातो भर सुत्तल रहतिए हल, अगर बहुत लेट रात में माक्सीम माक्सीमिच कमरा में आके हमरा नयँ जगइता हल । ऊ पाइप टेबुल पर फेंक देलका, कमरा में चहलकदमी करे लगला, स्टोव में हलचल करे लगला, आखिरकार पड़ गेला, लेकिन देर तक खोंखते रहला, थूकते रहला, करवट बदलते रहला ...
"कहीं ऊड़िस तो नयँ काट रहले ह अपने के ?" हम पुछलिअइ ।
"हाँ, ऊड़िस ..", भारी उच्छ्वास लेके ऊ उत्तर देलका ।

दोसरा दिन सुबह हम जल्दीए जग गेलिअइ; लेकिन माक्सीम माक्सीमिच हमरा से पहिलहीं उठ गेला हल । हम उनका गेट भिर बेंच पर बैठल पइलिअइ । "हमरा कमांडेंट के पास जाय के हइ", ऊ बोलला, "ओहे से, अगर पिचोरिन आवइ, त हमरा बोलवा भेजथिन ..."
हम वचन देलिअइ । ऊ दौड़ पड़ला, मानूँ उनकर शरीर के अंग के फेर से जवानी के शक्ति आउ लचीलापन मिल गेले हल ।  

सुबह ताजा, लेकिन निम्मन हलइ । सुनहला बादर पर्वत पर ढेर के ढेर जामा हलइ, हवाई पर्वत के नयका शृंखला नियन; गेट के सामने चौड़गर मैदान (चौक, square) फैलल हलइ; ओकर पीछू में लोग से बजार गरम हलइ, काहेकि एतवार हलइ; नंगे पैर ओसेतिन लड़कन, अपन कन्हा पर छत्ता के मध के थैला लेले, हमरा चारो दने मँड़रा रहले हल; हम ओकन्हीं के भगा देलिअइ - हमरा ओकन्हीं से कोय मतलब नयँ हलइ, हम उदार स्टाफ-कप्तान के बेचैनी के साझा करे लगलिअइ ।

दसो मिनट नयँ गुजरले होत, कि मैदान के आखिर में ओहे दृष्टिगोचर होलइ, जेकर हमन्हीं इंतजार कर रहलिए हल । ऊ कर्नल एन॰ के साथ आ रहले हल, जे, ओकरा होटल तक साथ देके, ओकरा से विदा हो गेला आउ किला दने मुड़ गेला । हम तुरतम्मे अपंग सैनिक के माक्सीम माक्सीमिच के बोलावे लगी भेजलिअइ ।

पिचोरिन से मिल्ले लगी ओकर नौकर बाहर अइलइ आउ सूचित कइलकइ, कि अभिए घोड़ागाड़ी तैयार कर देल जइतइ, ओकरा एगो सिगार केस देलकइ, आउ कुछ औडर पाके, अपन काम में लग गेलइ । ओकर मालिक, सिगार जलइलकइ, दू तुरी उबासी लेलकइ आउ गेट के दोसरा दने बेंच पर बैठ गेलइ । अब हमरा ओकर रूपचित्र (portrait) अपने के सामने प्रस्तुत करे के चाही ।


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