विजेट आपके ब्लॉग पर

Friday, July 08, 2016

रूसी उपन्यास "आझकल के हीरो" ; भाग-1 ; बेला - अध्याय-5



रूसी उपन्यास – “आझकल के हीरो”
भाग-1
1. बेला - अध्याय-5

"हम स्वीकार करऽ हिअइ, कि हमरो किस्मत में एकरा बारे काफी कुछ सहे पड़लइ । जइसीं हमरा मालूम चललइ, कि ई चेर्केस लड़की ग्रिगोरी अलिक्सांद्रविच के पास हइ, त हम स्कंधिका (epaulettes) पेन्हलिअइ, तलवार लेलिअइ आउ ओकरा हीं लगी रवाना हो गेलिअइ । ऊ पहिलौका कोठरी में बिछौना पर पड़ल हलइ, एक हाथ अपन सिर के निच्चे रखले, आउ दोसरा से पाइप पकड़ले, जे बुझ चुकले हल; दोसर कोठरी के दरवाजा में ताला लगल हलइ, आउ ताला में कोय कुंजी नयँ हलइ । हम ई सब कुछ तुरतम्मे नोटिस कर लेलिअइ ... हम खोंखे लगलिअइ आउ दहलीज पर बूट से जरी सन ठकठकइलिअइ - लेकिन ऊ अइसन ढोंग कइलकइ, मानूँ ओकरा कुछ नयँ सुनाय देब करऽ हइ ।

"मिस्टर सूबेदार !" हम यथासंभव कठोरतापूर्वक कहलिअइ । "की वास्तव में अपने के देखाय नयँ दे हइ, कि हम अपने के पास अइलिए ह ?"
"ओह, नमस्ते, माक्सीम माक्सीमिच ! की पाइप पीथिन ?" बिन उठलहीं ऊ उत्तर देलकइ ।
"क्षमा करथिन ! हम माक्सीम माक्सीमिच नयँ हिअइ - हम स्टाफ-कप्तान हिअइ ।"
"बात बराबरे हइ । चाय लेथिन ? काश अपने जानथिन हल, कि हम केतना परेशान हिअइ !"
"हमरा सब कुछ मालूम हइ", हम जवाब देलिअइ, बिछावन तक जइते ।
"त ई तो आउ बेहतर हइ - हमरा बतावे के हिम्मत नयँ हइ ।"
"मिस्टर सूबेदार, अपने गलती कइलथिन हँ, जेकरा लगी हमरा जवाब देवे पड़ सकऽ हइ ..."
"त ठीक हइ न ! समस्या की बात के हइ ? हमन्हीं तो लम्मा समय से सब कुछ बराबर बराबर साझा करते गेलिए ह ।"
"की मजाक कर रहलथिन हँ ? अपन तलवार समर्पित करथिन !"
"मित्का, तलवार (लेके आव) !" ...

मित्का तलवार लेके अइलइ । अपन ड्यूटी पूरा करके, हम ओकरा भिर बिछौना पर बैठ गेलिअइ आउ कहलिअइ - "सुन, ग्रिगोरी अलिक्सांद्रविच, ई कबूल कर ले, कि ई अच्छा बात नयँ हउ ।"
"कउची अच्छा बात नयँ हइ ?"
"ई, कि तूँ बेला के अपहरण करके लइलहीं ... ओह, ई जंगली जानवर अज़मात ! ... हूँ, कबूल कर", हम ओकरा कहलिअइ ।
"आउ अगर हमरा ऊ पसीन हइ ? ..."

एकर हम की जवाब दे सकऽ हलिअइ ? ... हम तो बंद गली (अन्हार गली) में खड़ी हलिअइ (अर्थात् हमरा कुछ नयँ सूझ रहले हल कि की करूँ) । लेकिन तइयो कुछ देर चुप रहला के बाद हम ओकरा कहलिअइ, कि अगर ओकर बाप माँग करतइ, त (ई लड़की के) वापिस देवे पड़तइ ।
"कुछ जरूरत नयँ हइ !"
"लेकिन ओकरा नयँ पता चलतइ, कि ऊ हियाँ हइ ?"
"लेकिन ओकरा कइसे पता चलतइ ?"
हम फेर अन्हार गली में पड़ गेलिअइ ।
"सुनथिन, माक्सीम माक्सीमिच !" उठके पिचोरिन कहलकइ, "वस्तुतः अपने दयालु व्यक्ति हथिन - आउ अगर हमन्हीं ई वहशी अदमी के बेटी के वापिस दे दिहइ, त ऊ ओकर गला रेत देतइ, चाहे बेच देतइ । जे हो गेलइ से हो गेलइ, अब जान-बूझके बरबाद करे के नयँ चाही; ओकरा हमरा पास छोड़ देथिन, आउ हमर तलवार के अपने साथ रखथिन ..."
"लेकिन हमरा ओकरा देखा देथिन", हम कहलिअइ ।

"ऊ ई दरवजवा के पीछू हइ; हम खुद्दे आझ ओकरा देखे लगी चाहऽ हलिअइ, लेकिन व्यर्थ रहलइ; कोनमा में बैठल रहऽ हइ, बुर्का में दुबकल, न तो बोलऽ हइ आउ न देखऽ हइ - जंगली हिरन नियन डरपोक । हम दूख़न चलावे वला के घरवली के काम पर रखलिअइ - ऊ तातार भाषा जानऽ हइ, ओकर देखभाल करतइ आउ ओकरा ई बात समझइतइ, कि ऊ हम्मर हइ, काहेकि हमरा सिवाय ऊ आउ दोसर केकरो नयँ हो सकऽ हइ", ऊ बात आगू बढ़इलकइ, टेबुल पर मुक्का से प्रहार करके । हम एहो बात लगी सहमत हो गेलिअइ ... की कइल जाय ? अइसन लोग हकइ, जेकरा से सहमत होहीं पड़ऽ हइ ।

"फेर की होलइ ?" हम माक्सीम माक्सीमिच के पुछलिअइ, "की वास्तव में ऊ ओकरा अपन बात समझा पइलकइ, कि कैद में मातृभूमि के आद सतइते रहे के चलते ऊ मुरझा गेलइ ?"

"माफ करथिन, मातृभूमि के आद काहे लगी सतइतइ । किला से ओहे सब पहाड़ देखाय दे हलइ, जे आउल से - आउ ई जंगली लोग के आउ अधिक कुछ नयँ चाही । आउ एकरा अलावे ग्रिगोरी अलिक्सांद्रविच रोज दिन ओकरा कुछ न कुछ उपहार दे हलइ - पहिलौका कुछ दिन चुपचाप अभिमान से उपहार सब के झटक देलकइ, जे तखने चलावे वला के घरवली के मिल जा हलइ आउ ओकर वाक्पटुता के प्रेरित करऽ हलइ । ओह, उपहार! रंगीन कपड़ा-लत्ता लगी औरत की नयँ करतइ ! ... खैर, ई बात के छोड़ देल जाय ..." लम्मा समय तक ग्रिगोरी अलिक्सांद्रविच ओकर मन के जित्ते के बहुत प्रयास कइलकइ; एहे दौरान ऊ तातार भाषा सीख लेलकइ, आउ ऊ (बेला) हमन्हीं के भाषा समझे लगलइ । धीरे-धीरे ऊ ओकरा तरफ देखे के अभ्यस्त हो गेलइ, शुरू-शुरू में भौं चढ़ाके, तिरछा नजर से, आउ हमेशे उदास रहऽ हलइ, धीमे स्वर में अपन गीत गावऽ हलइ, ओहे से हमरो मन खिन्न हो जा हलइ, जब हम पास के कोठरी से ओकर गीत सुन्नऽ हलिअइ । हम कभियो एक दृश्य के नयँ भूल पइबइ - हम खिड़की भिर से गुजरते अंदर देखलिअइ; बेला चारपाई पर बैठल हलइ, अपन सिर पेट पर झुकइले, आउ ग्रिगोरी अलिक्सांद्रविच ओकर सामने खड़ी हलइ । "सुन, हमर परी", ऊ बोललइ, "तूँ तो जानऽ हीं, कि आझ नयँ तो बिहान तोरा हम्मर होवे पड़तउ - त काहे लगी हमरा सताब करऽ हीं ? की वास्तव में तूँ कोय चेचेन के प्यार करऽ हीं ? अगर ई बात हउ, त हम तोरा अभी घर चल जाय देबउ ।" ऊ चौंक गेलइ, लेकिन जे मोसकिल से दृष्टिगोचर होलइ आउ ऊ सिर हिला देलकइ । "कि ई बात हउ, कि हम तोरा लगी बिलकुल नफरत करे लायक अदमी हिअउ ?" ऊ उच्छ्वास लेलकइ । "कि तोर धार्मिक विश्वास हमरा प्यार करे से मना करऽ हउ ?" ऊ पीयर पड़ गेलइ आउ चुप रहलइ । "हमरा पर विश्वास रख, अल्लाह सब्भे जनजाति लगी बस एक्के हथिन, आउ अगर ऊ हमरा तोरा प्यार करे के इजाजत दे हथिन, त तोरा काहे लगी हमरा प्यार करे से रोकथुन ?" ऊ ओकरा एकटक चेहरा देखते रहलइ, मानूँ ई नयका विचार से हक्का-बक्का हो गेले हल; ओकर आँख में अविश्वास आउ आश्वस्त होवे के इच्छा प्रकट हो रहले हल । ओकर आँख कइसन हलइ ! ऊ अइसे चमक रहले हल, मानूँ दूगो कोयला होवइ ।

"सुन, प्यारी, नेक बेला !" पिचोरिन बात जारी रखलकइ, "तूँ देखऽ हीं, कि हम तोरा केतना प्यार करऽ हिअउ; हम तोरा सब कुछ देवे लगी तैयार हिअउ, ताकि तूँ खुश रह सकहीं - हम चाहऽ हिअउ, कि तूँ खुश रह; आउ अगर फेर से तूँ दुखी रहमँऽ, त हम मर जइबउ । बताव, तूँ आउ अधिक प्रसन्न रहमँऽ ?"

ऊ (बेला) विचारमग्न हो गेलइ, ओकरा पर से अपन करिया आँख बिन निच्चे झुकइले, फेर प्यार से मुसकइलइ आउ स्वीकृति में सिर हिलइलकइ । ऊ ओकर हाथ पकड़लकइ, आउ ओकरा मनावे लगलइ, कि ऊ ओकरा चूम लेइ; ऊ क्षीणतापूर्वक प्रतिकार कइलकइ आउ खाली दोहरइलकइ - "माफ करथिन, माफ करथिन, नयँ, नयँ ।" ऊ (पिचोरिन) जिद पकड़ लेलकइ; ऊ (बेला) थरथराय लगलइ, रो उठलइ । "हम तोर कैदी हकियो", ऊ बोललइ, "तोर दासी; वस्तुतः तूँ हमरा पर जबरदस्ती कर सकऽ ह", आउ फेर से लोर बहावे लगलइ ।

ग्रिगोरी अलिक्सांद्रविच अपन निरार पर मुक्का मरलकइ आउ लपकके दोसर कमरा में चल गेलइ । हम ओकरा हीं अंदर गेलिअइ; ऊ अपन बहियाँ मोड़ले उदास होल आगू-पीछू शतपथ (चहलकदमी) कर रहले हल । "की बात हइ, बबुआ ?" हम ओकरा पुछलिअइ । "ऊ शैतान हइ, औरत नयँ !" ऊ जवाब देलकइ, "खाली हम अपने के पक्का वचन दे हिअइ, कि ऊ हम्मर होतइ ..." हम सिर हिलइलिअइ । "बाजी लगावे ल चाहऽ हथिन ?" ऊ कहलकइ, "एक सप्ताह के बाद !" "ठीक हइ !" हमन्हीं परस्पर हाथ पर प्रहार करते गेलिअइ आउ अलग हो गेलिअइ ।

दोसरा दिन ऊ तुरतम्मे एगो हरकारा (संदेशवाहक) के तरह-तरह के चीज खरदे लगी किज़्ल्यार (दागेस्तान के एगो शहर) भेजलकइ; कइएक तरह के अनगिनती फारसी सामान लावल गेलइ ।
"अपने की सोचऽ हथिन, माक्सीम माक्सीमिच !" उपहार देखइते ऊ हमरा कहलकइ, "की एगो एशियाई सुंदरी अइसन ढेंगार लगल चीज के विरुद्ध अविचल खड़ी रहतइ ?"
"अपने चेर्केस औरत के बारे नयँ जानऽ हथिन", हम जवाब देलिअइ, "ई जॉर्जियन चाहे काकेशियाई पर्वत से दक्खिनी क्षेत्र के (Transcaucasian) तातार औरत नियन नयँ होवऽ हइ, बिलकुल नयँ । ओकन्हीं के खुद के नियम होवऽ हइ - ओकन्हीं के दोसरे तरह से पालन-पोषण कइल रहऽ हइ ।" ग्रिगोरी अलिक्सांद्रविच मुसकइलइ आउ तुरंत प्रस्थान करे के लहजा में सीटी बजावे लगलइ ।



अनूदित साहित्य            सूची            पिछला                     अगला

No comments: