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Saturday, July 09, 2016

रूसी उपन्यास "आझकल के हीरो" ; भाग-1 ; बेला - अध्याय-6



रूसी उपन्यास – “आझकल के हीरो”
भाग-1
1. बेला - अध्याय-6

आउ वस्तुतः ई बात सामने अइलइ, कि हम सही हलिअइ - उपहार के खाली आधे असर पड़लइ; ऊ (बेला) अधिक नरम हो गेलइ, अधिक विश्वासशील हो गेलइ - बस एतने; ओहे से ऊ (पिचोरिन) अपन अंतिम तिकड़म अजमावे के फैसला कइलकइ । एक तुरी सुबह ऊ घोड़ा के जीन लगावे के औडर देलकइ, चेर्केस नियन पोशाक पेन्हलकइ, हथियार से लैस होलइ आउ ओकर (बेला के) भित्तर में घुस गेलइ । "बेला !" ऊ कहलकइ, "तूँ जानऽ हीं, कि हम तोरा केतना प्यार करि हउ । हम तोर अपहरण करे के निर्णय कइलिअउ, ई सोचके, कि तूँ जब हमरा बारे जनम्हीं, त प्यार करे लगम्हीं; हमरा से चूक हो गेलउ - अलविदा ! हमर जे कुछ हउ, ऊ सब कुछ के तूँ मालकिन हो; अगर चाहऽ हीं, त अपन बाप के पास लौट जो - तूँ अजाद हकँऽ । हम तोरा सामने दोषी हिअउ आउ हमरा खुद के दंडित करे के चाही; अलविदा, हम जा रहलियो ह - काहाँ ? हमरा की मालूम ? शायद जल्दीए या तो गोली से, चाहे तलवार के प्रहार से मारल जइअउ; तब हमरा आद करिहँऽ आउ हमरा माफ कर दीहँऽ ।" ऊ मुड़लइ आउ विदाई पर अपन हाथ आगू बढ़इलकइ । ऊ (बेला) ओकर हाथ (अपन हाथ में) नयँ लेलकइ, चुप रहलइ । हम खाली दरवाजा के पीछू खड़ी रहते, हम ओकर चेहरा दरार से देख सकऽ हलिअइ - आउ हमरा तरस अइलइ - ई सुंदर चेहरा पर कइसन घोर पीलापन पसरल हलइ ! कोय जवाब नयँ सुनके, पिचोरिन कुछ डेग दरवाजा तरफ बढ़इलकइ; ऊ थरथरा रहले हल - आउ अपने के बतइअइ ? हमरा विश्वास हइ, कि ऊ वास्तव में ऊ बात के पूरा करे के परिस्थिति में हलइ, जेकरा बारे ऊ मजाक में बोलले हल । अइसने ऊ अदमी हलइ, भगमान ओकरा जानऽ हथिन ! मोसकिल से ऊ दरवाजा स्पर्श कइलकइ, कि ऊ (बेला) उछल पड़लइ, सिसके लगलइ आउ अपन बाँह ओकर गरदन में डाल देलकइ । हम दरवाजा के पीछू खड़ी, ओइसीं रो पड़लिअइ, मतलब, समझऽ हथिन, ई बात नयँ कि हम रो पड़लिअइ, बल्कि अइसीं - बेवकूफी हलइ ! ..."   

स्टाफ-कप्तान चुप हो गेलइ ।

"हाँ, हम स्वीकार करऽ हिअइ", अपन मोछ पर ताव देते ऊ फेर कहलकइ, "हमरा चिढ़ होलइ, कि हमरा एक्को औरत कभियो एतना प्यार नयँ कइलक ।"
"आउ ओकन्हीं के खुशी चालू रहलइ ?" हम पुछलिअइ ।
"हाँ, ऊ (बेला) हमन्हीं सामने स्वीकार कइलकइ, कि तहिया से, जब ऊ पिचोरिन के देखलके हल, ऊ ओकर सपना में आवऽ हलइ, कि आउ कोय एक्को अदमी ओकर दिमाग पर ओइसन छाप नयँ छोड़लकइ । हाँ, ओकन्हीं सुखी हलइ !"
"ई केतना बोरिंग हइ !" अनजाने में हमर उद्गार प्रकट हो गेलइ । वास्तव में, हम दुखांत के प्रत्याशा कर रहलिए हल, आउ अचानक ई अप्रत्याशित ढंग से हमर आशा  पर पानी फिर गेल ! ... "आउ की वास्तव में", हम बात जारी रखलिअइ, "बप्पा के शक्का नयँ होलइ, कि ऊ अपने के पास किला में हकइ ?"
"अइसन तो, लगऽ हइ, ओकरा शक्का हलइ । कुछ दिन के बाद हमन्हीं के पता चललइ, कि बुढ़उ के हत्या हो गेलइ। अइकी ई घटना अइसे घटलइ ..."
हमर ध्यान फेर से आकृष्ट हो गेलइ ।

"हमरा अपने के बतावे के चाही, कि काज़बिच के दिमाग में अइलइ, कि अज़मात अपन बाप के सहमति से ओकर घोड़ा के चोरी कइलकइ, कम से कम, अइसन हमर सोचना हइ । अइकी ऊ एक तुरी आउल से करीब तीन विर्स्ता पर ओकर घात में नुक्कल हलइ; बुढ़उ अपन बेटी के निष्फल खोज करके वापिस आ रहले हल; ओकर जागीरदार (liegemen) लोग पीछू रह गेले हल - ई घटना गोधूलि वेला में घटलइ - ऊ विचारमग्न होल घोड़ा पर सवार टहले जइसन धीरे-धीरे जाब करऽ हलइ, कि अचानक काज़बिच, बिलाय नियन, झाड़ी से निकसलइ आउ पीछू से उछलके ओकर घोड़वा पर बइठ गेलइ, अपन कटार से ओकरा प्रहार करके जमीन पर गिरा देलकइ, आउ रास पकड़ लेलकइ - आउ भाग गेलइ; ओकर कुछ जागीरदार (सामंत) लोग ई सब कुछ पहाड़ी पर से देख लेते गेलइ; ओकन्हीं तेजी से पीछा कइलकइ, लेकिन पकड़ नयँ पइलकइ ।"
"त ऊ ई तरह अपन घोड़ा के खो देवे के भरपाई कइलकइ आउ बदला ले लेलकइ", हम कहलिअइ, ताकि अपन साथीदार के विचार जान सकिअइ ।
"हाँ, वास्तव में, अपन तरीका से", स्टाफ-कप्तान कहलकइ, "ऊ बिलकुल सही हलइ ।"

हम रूसी व्यक्ति के ऊ लोग के रस्म-रिवाज में ढल जाय के क्षमता से अचंभित हो गेलिअइ, जेकर बीच ओकरा रहे पड़ जा हइ; हमरा मालूम नयँ, कि ई बौद्धिक गुण निंदा चाहे प्रशंसा के योग्य हइ कि नयँ, लेकिन ई पक्का ओकर अविश्वसनीय लचीलापन (incredible pliancy, remarkable flexibiIity) आउ ई स्पष्ट सामान्य बुद्धि (common sense) के उपस्थिति के सिद्ध करऽ हइ, जे ओइसन सगरो जगह पे बुराई के नजरअंदाज (अनदेखी) कर दे हइ, जाहाँ परी ओकर अनिवार्यता, चाहे ओकर निर्मूलन के अशक्यता देखऽ हइ ।


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