रूसी
उपन्यास – “आझकल के हीरो”
भाग-1
1.
बेला - अध्याय-9
"सुनथिन,
माक्सीम माक्सीमिच", ऊ उत्तर देलकइ, "हमर चरित्रे दुर्भाग्यपूर्ण हइ; पालन-पोषण
हमरा अइसन बना देलकइ, कि भगमाने हमरा अइसन बनइलथिन, हमरा मालूम नयँ; हम खाली एतने जानऽ
हिअइ, कि अगर हम दोसर लोग के दुख के कारण हिअइ, त हम खुद्दे कम दुखी नयँ हिअइ; जाहिर
हइ, ई ओकन्हीं लगी खराब तसल्ली हइ - लेकिन तथ्य ई हइ, कि बात एहे हइ । युवावस्था के
पहिलौके चरण में, ऊ पल से, जब हम अपन माता-पिता के देख-रेख से बाहर निकसलिअइ, हम अनियंत्रित
ढंग से ऊ सब सुख से मौज करे लगलिअइ, जे पैसा से प्राप्त कइल जा सकऽ हलइ, आउ जाहिर हइ,
ई सब सुख से हम तंग आ गेलिअइ । फेर हम बड़गर समाज में प्रवेश कइलिअइ, आउ जल्दीए ई समाजो से हम ऊब गेलिअइ; उच्चवर्गीय सुंदरी सब
से प्यार में आसक्त हो गेलिअइ आउ हमहूँ ओकन्हीं से प्यार पइलिअइ - लेकिन ओकन्हीं के
प्यार खाली हमर कल्पना आउ स्वाभिमान के उत्तेजित कइलकइ, लेकिन हमर हृदय खाली-खाली रहलइ
... हम पढ़े आउ अध्ययन करे लगलिअइ - शास्त्रो से हम ऊब गेलिअइ; हम देखलिअइ, कि न तो
यश, आउ न खुशी ओकरा पर कइसूँ निर्भर करऽ हइ, काहेकि सबसे खुश लोग - निरक्षर लोग होवऽ
हइ, आउ यश - सौभाग्य के बात हइ, आउ ओकरा पावे लगी खाली चतुराई के जरूरत हइ । तब हम
उदास हो गेलूँ ... जल्दीए हमरा काकेशिया स्थानांतरित (बदली) कर देल गेलइ - ई हमर जिनगी
के सबसे खुशहल समय हले । हमरा आशा हले, कि चेचेन गोली (बुलेट) के अधीन उदासी नयँ जिंदा
रहतइ - लेकिन व्यर्थ - एक महिन्ना के बाद हम ओकर सनसनाहट आउ मौत के नगीची के एतना अभ्यस्त
हो गेलिअइ, कि सचमुच हम मच्छड़ पर कहीं जादे ध्यान दे हलिअइ - आउ हमरा पहिले से जादे
ऊबाहट होल, काहेकि हम लगभग अंतिम आशा भी खो देलूँ । जब हम बेला के अपन घर में देखलिअइ,
जब हम पहिले तुरी, ओकरा टेहुना पर रखके, ओकर कार-कार घुंघराला लट के चुमलिअइ, त हम
बेवकूफ सोचलिअइ, कि ऊ हमर देवदूत हकइ, जेकरा हमर सहानुभूतिपूर्ण सौभाग्य से भेजल गेले
ह ... हमरा से फेर चूक होलइ - एगो असभ्य लड़की के प्यार, कुलीन घराना के ठकुराइन के
प्यार से जरिक्के सुनी बेहतर होवऽ हइ; एगो के अज्ञानता आउ सरलहृदयता ओइसीं उबाऊ होवऽ
हइ, जइसे कि दोसर के हाव-भाव (coquetry) । अगर अपन चाहऽ हथिन, त हम ओकरा अभियो प्यार
करऽ हिअइ, कुछ यथेष्ट मधुर पल खातिर हम ओकर
आभारी हिअइ, हम ओकरा लगी अपन प्राण दे सकऽ हिअइ - लेकिन हम ओकरा साथ बोर होवऽ हिअइ
... हम मूरख हिअइ, कि खलनायक, हमरा मालूम नयँ; लेकिन ई बात पक्का हइ, कि हमहूँ ओइसीं
तरस खाय के योग्य हकिअइ, आउ शायद जादहीं, बनिस्बत बेला - हमर आत्मा दुनियाँ से भ्रष्ट
होल हइ, आउ कल्पना अशांत, हृदय अतृप्त; हमरा लगी सब कुछ कमती हइ - शोक के हम ओइसीं
अभ्यस्त हो जा हिअइ, जइसे आनंद के, आउ जिनगी हमर दिन प्रतिदिन आउ खाली होल जा हइ; हमरा
लगी एक्के उपाय रह गेल ह - यात्रा करते रहना । जइसीं हमरा लगी संभव होतइ, हम रवाना
हो जइबइ - खाली यूरोप लगी नयँ, भगमान बचावे ! - अमेरिका, अरब, भारतवर्ष लगी - संयोगवश
कहीं तो रस्ते में मर जइबइ ! कम से कम हम तो आश्वस्त हिअइ, कि ई अंतिम आश्वासन जल्दीए
नयँ समाप्त होतइ - बर्फानी तूफान आउ खराब रोड के सहायता से ।" अइसीं ऊ देर तक
बोलते रहलइ, आउ ओकर शब्द हमर स्मृति में अंकित रह गेलइ, काहेकि पहिले तुरी हम अइसन
बात एगो पचीस साल के व्यक्ति से सुनलिअइ, आउ भगमान करे, ई अंतिम होवे ... कइसन अचंभा
के बात हइ ! किरपा करके बताथिन", स्टाफ-कप्तान हमरा संबोधित करते बात जारी रखलका,
"अइकी, लगऽ हइ, अपने रजधानी होके अइलथिन हँ, आउ हाले में - की वास्तव में हुआँ
के नौजवान सब अइसने होवऽ हइ?" हम जवाब देलिअइ, कि कइएक लोग हइ, बिलकुल अइसने बोले
वला; कि शायद अइसन लोग हइ, जे सच बोलते जा हइ; कि शायद, सब प्रकार के चलन (फैशन) नियन,
निराशा समाज के सबसे उच्च वर्ग से प्रारंभ होके निम्न वर्ग में उतरके अइले ह, जे (निम्न
वर्ग) ओकरा कइसूँ चला रहले ह, कि अभी ऊ लोग, जे सबसे जादे वास्तव में बोर होवऽ हइ,
ई दुर्भाग्य के छिपावे लगी प्रयास करऽ हइ, एगो पाप नियन । स्टाफ-कप्तान के ई सब वितण्डा
(subtleties) समझ में नयँ अइलइ, सिर हिलइलकइ आउ धूर्ततापूर्वक मुसकइलइ - "आउ बोर
होवे के ई फैशन के, शायद, फ्रेंच लोग चालू करते गेलइ ?"
"नयँ,
अँग्रेज लोग ।"
"आहा,
त ई बात हइ ! ..." ऊ उत्तर देलका, "आउ वास्तव में ओकन्हीं हमेशे पक्का पियक्कड़
होते जा हलइ !"
हमरा
अनजाने में आद पड़ गेलइ एगो मास्कोवासी महिला के बारे, जेकर दृढ़तापूर्वक कहना हलइ, कि
बायरन (Byron) एगो पियक्कड़ से जादे कुछ नयँ हलइ । लेकिन, स्टाफ-कप्तान के टिप्पणी अधिक
क्षम्य (excusable) हलइ - शराब से दूर रहे खातिर ऊ, वास्तव में, खुद के आश्वस्त करे
के प्रयास करऽ हलइ, कि संसार में सब तरह के दुख-तकलीफ शराबखोरी से ही पैदा होवऽ हइ
।
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