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Saturday, September 25, 2021

रूसी उपन्यास "अपमानित आउ तिरस्कृत": भाग 3; अध्याय 7

                         अपमानित आउ तिरस्कृत

भाग 3

अध्याय 7

हम चल पड़लिअइ आउ घर पहुँचे लगी शीघ्रता कइलिअइ - मस्लोबोयेव के शब्द हमरा बहुत प्रभावित कइलकइ। हमरा, भगमान जाने, की दिमाग में अइलइ ...  मानु सोद्देश्य, घर में हमरा एक घटना इंतजार कर रहले हल, जे हमरा हिला देलकइ, एगो विद्युत मशीन के झटका नियन।

ऊ घर के, जेकरा में हम रह रहलिए हल, गेट के ठीक सामने बत्ती हलइ। जइसीं हम गेट भिर खड़ी होलिअइ, अचानक ठीक बत्ती से [*339] हमरा तरफ कइसनो विचित्र आकृति तेजी से अइलइ, अइसे कि हम चिल्लाइयो उठलिअइ, कोय तो जीवित प्राणी, आतंकित होल, काँपते, आधा पागल, आउ चिल्लइते हमर हाथ धर लेलकइ। भय हमरा पर हावी हो गेलइ। ई नेली हलइ!

"नेली! तोरा की हो गेलो ह?" हम चिल्लइलिअइ। "की बात हउ!"

"हुआँ, उपरे ... ऊ बैठल हइ ... हमन्हीं हीं ..."

"केऽ हइ? चलल जाय; हमन्हीं साथे चलबइ।"

"नञ् चाही, नञ् चाही! हम इंतजार करबो, जब तक कि ऊ चल नञ् जा हइ ... प्रवेशमार्ग में ... नञ् चाही।"

हम एगो विचित्र आशंका के साथ अपन कमरा में गेलिअइ, दरवाजा खोललिअइ आउ - प्रिंस के देखलिअइ। ऊ टेबुल बिजुन बैठल हलइ आउ उपन्यास पढ़ रहले हल। कम से कम, पुस्तक तो खुल्ला हलइ।

"इवान पित्रोविच!" ऊ खुशी से चिल्लइलइ। "हम एतना खुश हिअइ, कि अपने आखिरकार वापिस आ गेलथिन। अभी चल जाय लगी चाह रहलिए हल। एक घंटा से जादे से अपने के इंतजार कर रहलिए ह। काउंटेस के अत्यंत आग्रहपूर्ण आउ दृढ़ अनुरोध पर, उनका भिर आझ शाम के अपने के साथ जाय के हम वचन देलिए हल। ऊ एतना निवेदन कइलथिन, एतना अपने के साथ मिल्ले लगी चाहऽ हथिन! चूँकि अपनहूँ हमरा वचन देलथिन हल, त हम अपने के पास खुद, जरी पहिले, आवे के सोचलिअइ, जब तक कि अपने कहीं आउ अलगे नञ् चल जाथिन, आउ अपने के हम अपन साथ आवे के आमंत्रित कर सकिअइ। कल्पना करथिन हमर तकलीफ के; आवऽ हिअइ - अपने के नौकरानी कहऽ हइ, कि अपने घर पर नञ् हथिन। की कइल जाय! हम आखिर अपने के साथ उपस्थित होवे के वचन देलिए हल; आउ ओहे से अपने के इंतजार में बैठ गेलिअइ, ई निर्णय करके, कि पनरह मिनट इंतजार करबइ। लेकिन पनरह मिनट कब के गुजर गेलइ - अपने के उपन्यास खोललिअइ आउ पढ़ते बखत समय के भूल गेलिअइ। इवान पित्रोविच! आखिर ई उत्कृष्ट कृति हइ! आखिर लोग अपने के ठीक से नञ् समझऽ हइ! आखिर अपने हमरा रुला देलथिन। आखिर हम रो रहलिए हल, लेकिन हम बहुत अकसर नञ् रोवऽ हिअइ ..."

"त अपने चाहऽ हथिन, कि हम अइअइ? हम अपने के सामने स्वीकार करऽ हिअइ, अब ... हलाँकि हमरा बिलकुल विरोध नञ् हइ, लेकिन ..."

"भगमान के नाम पर, चलल जाय! अपने हमरा साथ की करथिन? आखिर हम अपने के आध घंटा इंतजार कइलिअइ! ... एकर अलावे हमरा अपने के साथ एतना जरूरत हइ, एतना जरूरत हइ बात करे के - अपने समझऽ हथिन कउची के बारे? अपने ई सब मामला के हमरा से बेहतर जानऽ हथिन ... हमन्हीं, शायद, कुछ तो निर्णय करते जइबइ, कुछ तो निष्कर्ष पर अइबइ, जरी सोचथिन! भगमान के नाम पर, इनकार नञ् करथिन।"

हम निर्णय कइलिअइ, कि देर चाहे सबेर, जाय तो पड़तइ। मान लेल जाय, कि नताशा अभी अकेल्ले हइ, हमर ओकरा जरूरत हइ, लेकिन आखिर ऊ खुद्दे हमरा काम सौंपलकइ कि यथासंभव जल्दी कात्या से परिचित होइअइ। एकरा अलावे, शायद, अल्योशा भी हुआँ हइ ... हम जानऽ हलिअइ, कि नताशा के चैन नञ् पड़तइ, जब तक कि हम ओकरा लगी कात्या के बारे समाचार नञ् लावऽ हिअइ, आउ जाय के फैसला कर लेलिअइ। लेकिन नेली हमरा संकोच में डाल देलकइ।

"जरी ठहरथिन", हम प्रिंस के कहलिअइ आउ बाहर निकसके ज़ीना पर अइलिअइ। नेली हियाँ खड़ी हलइ, अन्हार कोना में।

"काहे तूँ जाय लगी नञ् चाहऽ हीं, नेली? ऊ तोरा की कइलकउ? तोरा साथ की बोललउ?"

"कुछ नञ् ... हम नञ् चाहऽ ही, नञ् चाहऽ ही ...", ऊ दोहरइलकइ, "हमरा डर लगऽ हके ..."

हम ओकरा केतनो समझइलिअइ - कुच्छो फयदा नञ् होलइ। हम ओकरा से सहमत होलिअइ, कि जइसीं हम प्रिंस के साथ बाहर निकसबइ, ऊ कमरा में जइतइ आउ खुद के ताला लगाके बंद कर लेतइ।

[*340] "आउ केकरो अंदर नञ् आवे दिहँऽ, नेली, चाहे तोरा केतनो समझाबउ।"

"आउ तूँ ओकरा साथ जइबहो?"

"ओकरा साथ।"

ऊ काँप गेलइ आउ हमर बाँह कसके धर लेलकइ, मानु हमरा निवेदन करे लगी चाहऽ हलइ कि हम नञ् जइअइ, लेकिन एक्को शब्द नञ् बोललइ। हम ओकरा विस्तार से बिहान पूछताछ करे के निश्चय कइलिअइ।

प्रिंस से माफी माँगके, हम पोशाक पेन्हे लगलिअइ। ऊ हमरा विश्वास देलावे लगलइ, कि हुआँ परी कइसनो विशेष पहनावा के जरूरत नञ् हइ।

"शायद, जरी कुछ अधिक शानदार!" ऊ आगू बोललइ, आपादमस्तक हमरा तरफ नजर डालते, "जानऽ हथिन, तइयो ई उच्च समाज के पूर्वाग्रह ... आखिर ई सब कुछ से बिलकुल पिंड छुड़ाना असंभव हइ। ई उत्कृष्टता हमन्हीं के समाज में जादे दिन तक नञ् देखे लगी मिलतो", ऊ निष्कर्ष पर अइलइ, संतुष्ट होल देखके, कि हमरा पास टेलकोट हइ।

हमन्हीं बाहर निकसलिअइ। लेकिन ओकरा ज़ीना पर रोकइलिअइ, कमरा के अन्दर गेलिअइ, जाहाँ परी नेली पहिलहीं खिसके पहुँच गेले हल, आउ फेर से ओकरा अलविदा कहलिअइ। ऊ बहुत उत्तेजित हलइ। ओकर चेहरा नीला पड़ गेले हल। हमरा ओकरा लगी डर लग रहले हल; हमरा ओकरा छोड़ना कष्टदायक लग रहले हल।

"ई अपने के नौकरानी विचित्र हइ", प्रिंस हमरा से बोललइ, ज़ीना से उतरते। "वास्तव में ई छोटकुन्नी लड़की अपने के नौकरानी हइ?"

"नञ् ... ऊ अइसीं ... अभी खातिर हमरा हीं रहऽ हइ।"

"विचित्र लड़की हइ। हमरा पक्का विश्वास हइ, कि ऊ पागल हइ। कल्पना करथिन, शुरू में ऊ हमरा ठीक से उत्तर देलकइ, लेकिन बाद में, जब हमरा तरफ निम्मन से देखलकइ, त हमरा तरफ झपट के अइलइ, चिल्ला उठलइ, काँपे लगलइ, हमरा से चिपक गेलइ ... कुछ तो कहे लगी चाहऽ हइ - नञ् कह पावऽ हइ। स्वीकार कर हिअइ, हम डर गेलिअइ, हम ओकरा भिर से भाग जाय लगी चहलिअइ, लेकिन ऊ, भगमान के किरपा से, खुद्दे हमरा भिर से भाग गेलइ। हम अचंभित हो गेलिअइ। अपने एकरा साथ कइसे रह पावऽ हथिन?"

"ओकरा मिरगी के दौरा पड़ऽ हइ", हम उत्तर देलिअइ।

"ओह, त ई बात हइ! अच्छऽ, त ई ओतना अचरज के बात नञ् हइ ... अगर ओकरा दौरा पड़ऽ हइ।"

हमरा तुरते दिमाग में एक बात अइलइ - कि कल्हे के मस्लोबोयेव के हियाँ हमर भेंट, तब जबकि ऊ जानऽ हलइ, कि हम घर पर नञ् हिअइ; कि आझ के मस्लोबोयेव के हियाँ हमर भेंट; कि मस्लोबोयेव के आझ के कहानी, जे ऊ पीयल हालत में हमरा बतइलकइ आउ अनिच्छा से; कि ओकरा हीं आझ सात बजे के हमर भेंट देवे के आमंत्रण; कि प्रिंस के चाल में विश्वास नञ् करे के ओकर दृढ़ धारणा; आउ आखिरकार, कि हमरा लगी डेढ़ घंटा से इंतजार कर रहल प्रिंस, शायद, जे जानऽ हलइ कि हम मस्लोबोयेव के हियाँ हिअइ; जबकि नेली ओकरा भिर से भागके स्ट्रीट में चल गेलइ - कि ई सब कुछ एक दोसरा से संबंधित हइ। कुछ तो एकरा पर गहराई से सोच-विचार करे के हलइ।

गेट भिर ओकर कल्यास्का (घोड़ागाड़ी) इंतजार कर रहले हल। हमन्हीं बैठ गेलिअइ आउ चल पड़लिअइ।


भूमिका               भाग 3, अध्याय 6              भाग 3, अध्याय 8 


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