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Thursday, October 28, 2021

रूसी उपन्यास "अपमानित आउ तिरस्कृत": उपसंहार; अध्याय 1

 अपमानित आउ तिरस्कृत

उपसंहार

अध्याय 1

जून मध्य। दिन झरकाहा आउ दमघोंटू; शहर में रहना असंभव हलइ - धूरी, चूना, पाड़ (scaffolding), बहुत गरम पत्थर (फुटपाथ), भाफ से प्रदूषित हावा ... लेकिन अइकी, ओ खुशी! कहीं तो बिजली कड़कलइ; धीरे-धीरे आकाश में बादर छा गेलइ; हावा बहे लगलइ, अपन पीछू [*423] शहरी धूरी के बादर के उड़इते। कइएक बड़गर-बड़गर बून जोर से जमीन पर गिरलइ, आउ ओकर पीछू अचानक मानु पूरा आसमान खुल गेलइ, आउ पानी के पूरा नदी शहर के उपरे बह चललइ। जब आध घंटा के बाद फेर से सूरज चमके लगलइ, त हम अपन कोठरी के खिड़की खोललिअइ आउ उत्सुकतापूर्वक, अपन थक्कल छाती से, ताजा हावा के साँस लेलिअइ। हर्षोन्माद में हम कलम फेंकही वला हलिअइ, आउ अपन सब काम, आउ प्रकाशक के भी, आउ अपन वसिल्येव्स्की द्वीप में जल्दी से जल्दी जाय वला हलिअइ। लेकिन हलाँकि प्रलोभन बड़गो हलइ, तइयो हम खुद के नियंत्रित कर लेलिअइ आउ कइसनो क्रोध से कागज पर आक्रमण कइलिअइ - चाहे जे होवे, समाप्त करना जरूरी हलइ! हमर प्रकाशक माँग करऽ हइ आउ अन्यथा पैसा नञ् देतइ। हमर हुआँ इंतजार कइल जा रहले ह, लेकिन हमरा शाम के फुरसत होतइ, बिलकुल फुरसत, हावा नियन स्वतंत्र, आउ आझ शाम ई हाल के दू दिन आउ दू रात के पुरस्कृत करतइ, जेकर दौरान हम साढ़े तीन फरमा लिखलिए हल।

आउ अइकी आखिरकार काम पूरा हो गेलइ; कलम रख दे हिअइ आउ उठ जा हिअइ, पीठ आउ छाती में दरद अनुभव करऽ हिअइ आउ सिर भारी-भारी लगऽ हइ। हम जानऽ हिअइ, कि ई पल में हमरा स्नायु बहुत हद दर्जा तक क्लांत हइ, आउ मानु अन्तिम शब्द सुनाय दे हइ, हमर बुढ़उ डाक्टर के कहल - «नञ्, कइसनो स्वास्थ्य अइसन तनाव नञ् सहन कर सकऽ हइ, काहेकि ई असंभव हइ!» लेकिन तइयो ई संभव हइ! हमर सिर चकरा तहल ह; हम मोसकिल से अपन गोड़ पर खड़ी हो सकऽ हूँ, लेकिन आनंद, असीम आनंद हमर हृदय के भर दे हइ। हमर कहानी बिलकुल पूरा हो चुकले ह, आउ प्रकाशक, हलाँकि हम उनका अभी बहुत धारऽ हिअइ, तइयो कुछ तो देता, अपन हाथ में लाभ देखके - बल्कि पचासे रूबल, आउ हम लमगर समय से अपना पास हाथ में एतना पैसा नञ् देखलिअइ। स्वतंत्रता आउ पैसा! ... हर्षोन्माद में हम हैट लेलिअइ, पाण्डुलिपि अपन बगल में (काँख में) आउ बेतहाशा दौड़ल जा हिअइ, ताकि अपन सबसे प्रिय अलिक्सान्द पित्रोविच से घर पर भेंट हो जाय।

हमरा उनका से भेंट हो जा हइ, लेकिन ऊ बाहर निकसहीं वला हला। ऊ, अपना तरफ से, अभी-अभी एगो असाहित्यिक, लेकिन तइयो बहुत लाभदायक सट्टेबाजी समाप्त कइलथिन हल आउ, आखिरकार कइसनो सामर चेहरा वला यहूदी के विदा करके, जेकरा साथे अपन अध्ययन-कक्ष में लगातार दू घंटा तक बैठल हलथिन, हमरा सादर हाथ बढ़ावऽ हथिन आउ अपन नम्र, मधुर निम्नतम स्वर (bass voice) में हमर स्वास्थ्य के बारे पुच्छऽ हथिन। ई अत्यंत उदार व्यक्ति हथिन, आउ हम, मजाक नञ् करऽ हिअइ, उनकर आभारी हिअइ। उनकर की दोष हइ, कि साहित्य में अपन पूरा जीवन प्रकाशक के रूप में गुजरलथिन? ऊ समझऽ हलथिन, कि साहित्य लगी प्रकाशक के जरूरत हइ, आउ बहुत ठीक समय पर समझलथिन, एकरा लगी उनका प्रति आदर आउ गौरव हइ, जाहिर हइ, प्रकाशकीय।

ऊ मनोहर मुसकान मुसका हथिन, जब जानऽ हथिन, कि कहानी पूरा हो गेले ह आउ कि पत्रिका के अगला अंक, ई तरह, मुख्य स्तंभ में सुरक्षित हो गेले ह, आउ अचरज करऽ हथिन, कि ई हम कइसे बल्कि कुच्छो समाप्त कर सकलिअइ, आउ एकर साथे-साथ निम्मन मजाक करऽ हथिन। तब ऊ अपन लोहा के सन्दूक तरफ जा हथिन, ताकि ऊ अपन वचन के अनुसार पचास रूबल दे सकथिन, आउ ई दौरान हमरा दोसर, शत्रुतापूर्ण, मोटगर जर्नल सौंपऽ हथिन आउ समीक्षा स्तंभ में कुछ पंक्ति तरफ संकेत करऽ हथिन, जाहाँ परी हमर गत कहानी के बारे दू शब्द कहल गेले ह।

देखऽ हिअइ - ई हइ «लिपिक (copyist)» के लेख। हमरा न तो गाली देल गेले ह, आउ न प्रशंसा कइल गेले ह, आउ हम बहुत संतुष्ट (खुश) हिअइ। लेकिन «लिपिक» बोलऽ हइ, संयोगवश, कि हमर रचनावली से सामान्यतः «पसेना के गंध आवऽ हइ», [*424] मतलब ओकरा पर हम एतना पसेना बहइलिए ह, परिश्रम कइलिए ह, एतना हद तक सजावऽ हिअइ आउ परिष्कृत करऽ हिअइ, कि अघाऊ (cloying) हो जा हइ। प्रकाशक आउ हम हँस्सऽ हिअइ। हम उनका रिपोर्ट दे हिअइ, कि हमर गत कहानी दू दिन आउ दू रात में लिक्खल गेलइ, आउ खाली दुइए दिन आउ दुइए रात में हमरा से साढ़े तीन फरमा लिक्खल गेलइ - आउ अगर खाली ई «लिपिक», जे हमर फालतू परिश्रम आउ अत्यंत शिथिलता के शिकायत कइलके ह, हमर काम के जानते हल!

"लेकिन अपने खुद दोषी हथिन, इवान पित्रोविच। खाहे अपने एतना देरी करऽ हथिन, कि अपने के रात में काम करे पड़ऽ हइ?"

अलिक्सान्द्र पित्रोविच, निस्सन्देह, अत्यन्त प्रिय व्यक्ति हथिन, हलाँकि उनकर एगो खास कमजोरी हइ - अपन साहित्यिक निर्णय के डींग हाँकना ठीक ऊ लोग के सामने, जे, जइसन कि ऊ खुद शंका करऽ हथिन, उनका बहुत निम्मन से जानऽ हइ। लेकिन हम उनका साथ साहित्य के बारे चर्चा करे लगी नञ् चाहऽ ही, हम पैसा ले ही आउ हैट उठावऽ ही। अलिक्सान्द्र पित्रोविच अपन दाचा में जा हथिन आउ, ई सुनके, कि हम वसिल्येव्स्की जाय वला हिअइ, उदारतापूर्वक अपन करेता (घोड़ागाड़ी) में हमरा हुआँ तक छोड़े लगी प्रस्ताव रक्खऽ हथिन।

"हमरा पास आखिर नयका गाड़ी हइ; अपने नञ् देखलथिन? बहुत निम्मन हइ।"

हमन्हीं उतरके प्रवेशद्वार तक आवऽ हिअइ। करेता वास्तव में बहुत निम्मन हइ, आउ अलिक्सान्द्र पित्रोविच एकर स्वामित्व के पहिलउका दिन में अत्यंत प्रसन्नता अनुभव करऽ हथिन आउ एकरा में अपन परिचित लोग के ले जाय में  एक प्रकार के आत्मिक आवश्यकता।

करेता में अलिक्सान्द्र पित्रोविच फेर से कइएक तुरी आधुनिक साहित्य के चर्चा में लग जा हथिन। हमर उपस्थिति में ऊ नञ् घबरा हथिन आउ शांतिपूर्वक दोसर के विभिन्न विचार दोहरावऽ हथिन, जे ऊ हाल में एगो साहित्यकार से सुनलथिन हल, जेकरा में उनका विश्वास हइ आउ जेकर निर्णय के आदर करऽ हथिन। एकरे साथ ऊ कभी-कभी आश्चर्यजनक वस्तु के आदर करे लगऽ हथिन। उनका साथ एहो हो जा हइ कि दोसर के विचार के तोड़-मरोड़ दे हथिन, चाहे ओकरा हुआँ लागू नञ् करऽ हथिन, जाहाँ कि करे के चाही, आउ कुछ तो बकवास निकसऽ हइ। हम बैठल रहऽ हिअइ, चुपचाप सुन्नऽ हिअइ आउ मानवीय शौक के विविधता आउ सनकीपन (विलक्षणता) पर हैरान होवऽ हिअइ। «अच्छऽ, त अइकी एगो व्यक्ति हइ», हम सोचऽ हिअइ, «पैसा कमा सकऽ हइ आउ कमइवो कइलकइ; नञ्, एकरा आउ प्रसिद्धि के जरूरत हइ, साहित्यिक प्रसिद्धि, उत्तम प्रकाशक, आलोचक के प्रसिद्धि!»

वर्तमान पल में ऊ हमरा विस्तार से एगो साहित्यिक विचार (सिद्धान्त) बतावे के प्रयास करऽ हथिन, जे ऊ हमरे से तीन दिन पहिले सुनलथिन हल, आउ जेकर विरुद्ध ऊ, तीन दिन पहिले, हमरे से विवाद कइलथिन हल, आउ अभी अप्पन कहके प्रस्तुत करऽ हथिन। लेकिन अलिक्सान्द्र पित्रोविच के साथ अइसन भुलक्कड़पन (विस्मृति) मिनट-मिनट होते रहऽ हइ, आउ ई निर्दोष दुर्बलता लगी ऊ अपन परिचित लोग के बीच प्रसिद्ध हथिन। अभी ऊ केतना खुश हथिन, अपन करेता में बात करते, अपन भाग्य से केतना खुश, केतना नेकदिल! ऊ विद्वत्तापूर्ण आउ साहित्यिक चर्चा के संचालन करऽ हथिन, आउ उनकर विनम्र, शानदार निम्नतम स्वर (bass voice) में विद्वत्ता प्रतिध्वनित होवऽ हइ। धीरे-धीरे ऊ उदारतावाद (liberalism) पर उतर गेलथिन आउ निर्दोष-संशयवादी विचारधारा के तरफ मुड़ जा हथिन, कि हमन्हीं के साहित्य में, आउ सामान्यतः केकरो में आउ कभियो ईमानदारी आउ विम्रता नञ् हो सकऽ हइ, आउ खाली एकमात्र हकइ «एक दोसरा के थोपड़ा पर पिटाई करना» - विशेष रूप से चंदा (subscription) के शुरुआत में। हम सोचऽ हिअइ, कि हरेक ईमानदार आउ विनम्र साहित्यकार के ओकर ईमानदारी आउ विनम्रता लगी [*425] अगर मूर्ख नञ्, त कम से कम गोबरगणेश (सीधा-सादा व्यक्ति, nincompoop) समझे के अलिक्सान्द्र पित्रोविच के प्रवृत्ति हइ। जाहिर हइ, अइसन विचार के उद्भव सीधे अलिक्सान्द्र पित्रोविच के अत्यंत निर्दोषता से होवऽ हइ।

लेकिन अब हम उनकर बात पर ध्यान नञ् दे हिअइ। वसिल्येव्स्की द्वीप पर ऊ करेता से हमरा उतार दे हथिन, आउ हम अप्पन लोग के हियाँ दौड़ पड़ऽ हूँ। अइकी तेरहमी गली हइ, अइकी उनकन्हीं के घर हइ। आन्ना अन्द्रेयेव्ना, हमरा देखके, अँगुरी से हमरा धमकी दे हइ, हमरा पर हाथ लहरावऽ हइ आउ हमरा तरफ "श्श्श!" करऽ हइ, ताकि हम अवाज नञ् करिअइ।

"नेली के अभी-अभी नीन पड़ले ह, बेचारी!" जल्दी-जल्दी ऊ हमरा फुसफुसा हइ, "भगमान खातिर, जगाहो मत! अभी बहुत, प्यारे, कमजोर हइ। हमन्हीं के ओकरा लगी डर लगऽ हइ। डाक्टर बोलऽ हथिन, कि अभी खातिर चिन्ता के कोय बात नञ् हइ। लेकिन उनका हीं से, तोहर डाक्टर से, कउची निम्मन मिल सकऽ हइ! आउ तोरा शरम नञ् लगऽ हको, इवान पित्रोविच? तोहर हमन्हीं इंतजार करते रहलिअइ, दुपहर के भोजन तक इंतजार करते रहलिअइ ... आखिर दू दिन तक तोर पता नञ् हलो!"

"लेकिन आखिर हम बतइलियो हल तेसरे दिन, कि दू दिन हम नञ् अइबो", हम आन्ना अन्द्रेयेव्ना के फुसफुसा हिअइ। "काम पूरा करे के हलइ ..."

"लेकिन आझ दुपहर के भोजन के बखत आवे के वचन देलहो हल! काहे नञ् अइलहो? नेली जानबूझके बिछावन पर से उठ गेलइ, हमर देवदूत, अरामकुरसी में ओकरा बैठावल गेलइ, आउ भोजन पर भी लावल गेलइ - «हम तोरा साथे वान्या के इंतजार करे लगी चाहऽ ही», लेकिन हमन्हीं के वान्या अइवे नञ् कइला। आखिर जल्दीए छो बज जइतइ! काहाँ गायब हो गेलहो हल? कइसन पापी हकऽ! आखिर ओकरा तूँ एतना परेशान कर देलहो, कि हमरो नञ् समझ में आ रहले हल, कि कइसे ओकरा शांत करिअइ ... खुशी के बात हइ, कि सुत गेलइ, दुलारी। आउ निकोलाय सिर्गेयिच तो शहर चल गेलथुन हँ (चाय के बखत आ जइथुन!); खाली एक्के बात के डर हको ... उनका लगी एक पद हइ, इवान पित्रोविच; खाली जइसीं सोचऽ हिअइ, कि पेर्म में हइ, त हमर आत्मा में शीत लहर दौड़ जा हइ ..."

"आउ नताशा काहाँ हइ?"

"बाग में, दुलारी, बाग में! जाहो ओकरा भिर ... ओकरो साथ कुछ तो गड़बड़ हइ ... हमरा तो समझ में नञ् आवऽ हको ... ओह, इवान पित्रोविच, हमर दिल तो बैठल हको! हमरा आश्वस्त करऽ हइ, कि खुश आउ संतुष्ट हइ, लेकिन हमरा ओकरा पर विश्वास नञ् ... जाहो ओकरा भिर, वान्या, आउ हमरो जरी चुपके से नतावऽ, कि ओकरा की हो गेले ह ... सुनलहो?"

लेकिन हम अब आन्ना अन्द्रेयेव्ना के बात पर ध्यान नञ् देब करऽ हिअइ, आउ दौड़ल बाग जा हिअइ। ई बाग घर के हइ; ई पचीस डेग लंबा आउ ओतने चौला हइ आउ समुच्चे में हरियाली छाल हइ। ओकरा में तीन गो उँचगर पुरनका, फैले वला पेड़ हइ, कुछ छोटगर बर्च के पेड़ हइ, कुछ लिलैक (lilac) आउ मधु लवांग (honeysuckle) के झाड़ी हइ, कोना में रसभरी (raspberry) के पेड़ हइ, स्ट्राबेरी के दू गो क्यारी हइ आउ दू गो सँकरा घुमघुमौआ रस्ता हइ, बाग के लंबाई के तरफ आउ आड़े (along and across)। बुढ़उ एकरा से हर्षोन्माद में हथिन आउ विश्वास देलावऽ हथिन, कि एकरा में जल्दीए मशरूम उगतइ। मुख्य बात ई हइ, कि नेली के ई बाग पसीन पड़लइ, आउ ओकरा अकसर अरामकुरसी में बाग के रस्ता पर लावल जा हइ, आउ नेली अभी पूरे घर के प्रतिमा हइ। लेकिन अइकी नताशा हइ; ऊ खुशी से हमरा स्वागत करऽ हइ आउ हमरा दने अपन हाथ बढ़ावऽ हइ। ऊ केतना दुब्बर हइ, केतना पीयर! ओहो मोसकिल से अपन रोग से चंगा होले ह।

"बिलकुल पूरा कर लेलऽ, वान्या?" ऊ हमरा पुच्छऽ हइ।

"बिलकुल, बिलकुल! आउ पूरा शाम बिलकुल फुरसते फुरसत।"

"अच्छ, भगमान के किरपा! की जल्दी में हलऽ? बरबाद तो नञ् कर देलऽ?"

"की कइल जाय! लेकिन, कोय बात नञ्। हमरा अइसन तनाव वला काम में स्नायु के कइसनो विशेष दौरा [*426] पड़ जा हइ; हम अधिक स्पष्ट कल्पना करऽ हिअइ, अधिक सजीव आउ गहरा अनुभव करऽ हिअइ, आउ हियाँ तक कि शैली हमर बिलकुल नियंत्रण में होवऽ हइ, एतना कि दबाव वला काम में परिणाम बेहतर होवऽ हइ। सब कुछ निम्मन ..."

"ओह, वान्या, वान्या!"

हम नोटिस करऽ हिअइ, कि नताशा हाल में हमर साहित्यिक सफलता के प्रति, हमर प्रसिद्धि के प्रति भयंकर रूप से ईर्ष्यालु हो गेले ह। फेर से सब कुछ पढ़ रहले , जे हम पिछले साल प्रकाशित कइलिए हल, मिनट-मिनट हमर भावी योजना के बारे पूछताछ करते रहऽ हइ, हरेक समीक्षा में रुचि ले हइ, जे हमरा पर लिक्खल गेले , कुछ पर गोस्सा करऽ हइ आउ पक्का चाहऽ हइ, कि हम साहित्य में खुद के उच्च स्थान पर रखिअइ। ओकर आकांक्षा एतना बलपूर्वक आउ दृढ़तापूर्वक अभिव्यक्त होवऽ हइ, कि हमरा ओकर वर्तमान प्रवृत्ति पर अचरज होवऽ हइ।

"तूँ खाली लिखते-लिखते अपन सारा साहित्यिक प्रतिभा खरच कर देबऽ, वान्या", हमरा से बोलऽ हइ, "खुद पर जबरदस्ती करऽ आउ लिखते-लिखते क्लांत हो जइबऽ; आउ एकरा सिवाय, अपन सेहत खराब कर लेबऽ। अइकी एस*** [1] हथिन, दू साल में एक्के कहानी लिक्खऽ हथिन, आउ एन* [2] दस साल में बस एक्के उपन्यास लिखलथिन। लेकिन उनकन्हीं के रचना केतना परिष्कृत हइ, परिपूर्ण हइ! ओकरा में एक्को खामी नञ् मिलतो।"

"हाँ, उनकन्हीं के जीविका सुरक्षित हइ आउ समय के अनुसार नञ् लिक्खऽ हथिन; लेकिन हम - डाक के मरियल टट्टू हिअइ! खैर, सब तो बकवास हइ! सब बात छोड़ देल जाय, हमर मित्र। की, कुछ नाया नञ् हइ?"

"बहुत सारा हइ। पहिला, ओकरा हीं से पत्र।"

"आउ?"

"आउ। हमरा अल्योशा के तरफ से पत्र देलके ह। वियोग के बाद तेसरा पत्र हो चुकले ह। पहिला पत्र मास्को से हीं लिखलके हल आउ मानु कइसनो दौरा के दौरान लिखलके हल। बतइलके हल, कि परिस्थिति अइसन हो गेले हल, कि मास्को से पितिरबुर्ग वापिस आना, जइसन कि वियोग के समय प्लान कइल गेले हल, ओकरा लगी असंभव हलइ। दोसरका पत्र में सूचित करे में शीघ्रता कइलके हल, कि हमन्हीं हीं कुच्छे दिन में आवे वला हइ, ताकि जल्दी से जल्दी नताशा के साथ विवाह कइल जा सकइ, कि निर्धारित हइ आउ कइसनो ताकत से एकरा रोकल नञ् जा सकले हल। आउ तइयो पूरे पत्र के लहजा से स्पष्ट हलइ, कि निराश हलइ, कि बाहरी प्रभाव ओकरा पर पूर्णरूपेण हावी हो चुकले हल आउ कि ओकरा खुद पर विश्वास नञ् रह गेले हल। उल्लेख कइलके हल, अन्य बात के अलावे, कि कि कात्या - ओकर नियति (Providence) हलइ आउ कि खाली ओहे अकेल्ले ओकरा सांत्वना आउ सहारा दे हइ। हम उत्सुकतापूर्वक ओकर अभी के तेसरा  पत्र खोललिअइ।

दू पन्ना में हलइ, असंगत रूप से, अव्यवस्थित रूप से लिक्खल हलइ, जल्दी-जल्दी में आउ गिच-पिच, स्याही आउ आँसू के बूँद पड़ल। शुरू होले  हल बात से, कि अल्योशा नताशा के परित्याग कर रहले हल आउ नताशा के ओकरा भूल जाय लगी समझा रहले हल। साबित करे के प्रयास कइलके हल, कि ओकन्हीं के विवाह असंभव हलइ, कि बाहरी, शत्रुतापूर्ण प्रभाव सब से जादे बलशाली हलइ आउ कि, आखिरकार, अइसीं होवे के चाही - आउ नताशा साथ-साथ खुश नञ् रह पइतइ, काहेकि ओकन्हीं दुन्नु बराबर नञ् हलइ। लेकिन सहन नञ् कर पइलकइ आउ अचानक, अपन तर्क आउ सबूत के त्याग करके, तुरते, सीधे, पत्र के पहिलउका आधा हिस्सा के बिन फाड़ले आउ बिन त्यागले, स्वीकार कर लेलके हल, कि नताशा के सामने अपराधी हइ, कि मरल अदमी हइ आउ ओकरा, गाम में चुकल अपन बाप के विरोध में खड़ी होवे के शक्ति नञ् हइ। लिखलके हल, कि अपन यातना के व्यक्त करे में असमर्थ हइ; अन्य बात के अलावे, स्वीकार कइलके हल, कि ओकरा पूर्णरूपेण बोध हइ कि नताशा के सुखी रखना संभव हइ, अचानक साबित करे लगलइ, [*427] कि ओकन्हीं पूर्णरूपेण बराबर हइ; दृढ़तापूर्वक, क्रोधपूर्वक अपन पिता के तर्क के खंडन कइलके हल; निराशा में पूरे जिनगी के परमानंद के चित्र घिंचलके हल, जे ओकन्हीं दुन्नु के, ओक्कर आउ नताशा के, तैयार होते हल, अगर ओकन्हीं के विवाह होते हल, अपन कायरता खातिर खुद के कोसलके हल आउ - हमेशे लगी अलविदा कहलके हल! पत्र तकलीफ में लिक्खल गेले हल; ऊ, स्पष्टतः, अपन आपा खोवल स्थिति में लिखलके हल; हमर आँख डबडबा गेलइ ... नताशा हमरा दोसर पत्र देलकइ, कात्या के हियाँ से। ई पत्र एक्के लिफाफा में अल्योशा के पत्र के साथ अइले हल, लेकिन अलगे से सील कइल हलइ। कात्या काफी संक्षेप में, कुछ लाइन में, सूचित कइलके हल, कि अल्योशा बहुत उदास हइ, बहुत रोवऽ हइ आउ मानु निराश हइ, कुछ बेमारो हइ, लेकिन कि ऊ ओकरा साथ हइ आउ कि ऊ (अल्योशा) खुश रहतइ। अन्य बात के अलावे, कात्या नताशा के समझावे के प्रयास कइलके हल, कि ओकरा नञ् सोचे के चाही, कि अल्योशा एतना जल्दी शांत हो जइतइ आउ कि ओकर उदासी गंभीर नञ् हइ। «ऊ तोहरा कभियो नञ् भूल पइथुन», कात्या आगू लिखलके हल, «आउ न कभियो भूल सकऽ हथुन, काहेकि उनकर दिल अइसन नञ् हइ; ऊ तोहरा असीम प्यार करऽ हथुन, हमेशे प्यार करते रहथुन, ओहे से अगर ऊ कभी तोरा कभियो प्यार करना बन्द कर देथुन, अगर बल्कि कभियो तोहर आद में कभी उदास होना बन्द कर देथुन, त हम खुद एकरा लगी उनका तुरते प्यार करना बन्द कर देबइ ...»

हम दुन्नु पत्र नताशा के वापिस कर देलिअइ; हमन्हीं बीच निगाह के आदान-प्रदान होलइ आउ एक्को शब्द नञ् बोलते गेलिअइ। एहे बात हलइ पहिलउको दुन्नु पत्र के साथ, आउ सामान्यतः भूतकाल के बारे हमन्हीं अब चर्चा करना टालऽ हलिअइ, मानु हमन्हीं बीच अइसन कोय समझौता होल हलइ। ओकरा असह्य तकलीफ होवऽ हलइ, हम ई देखऽ हलिअइ, लेकिन ऊ हमरो सामने एकरा व्यक्त करना नञ् चाहऽ हलइ। माता-पिता के घर वापिस अइला के बाद ओकरा तीन सप्ताह तक बोखार रहलइ आउ अभी मोसकिल से चंगा होले हल। हमन्हीं नगीची भावी परिवर्तन के बारे भी बहुत कम बात करऽ हलिअइ, हलाँकि ऊ जानऽ हलइ, कि बुढ़उ के पद मिल्ले वला हइ आउ कि हमन्हीं के जल्दीए अलगे होवे पड़तइ। एकर बावजूद, ऊ हमरा प्रति एतना स्नेहशील, शिष्ट हलइ, ई समय के दौरान एतना ऊ सब में रुचि लेते रहलइ, जे हमरा से संबंधित हलइ; अइसन आग्रही, दृढ़ ध्यान से ऊ सब कुछ सुन्नऽ हलइ, जे हम ओकरा अपना बारे कहे के रहऽ हलइ, कि शुरू में तो हमरो लगी बड़ी कठिन हलइ - हमरा लगऽ हलइ, कि ऊ हमरा भूतकाल खातिर पुरस्कृत करे लगी चाहऽ हलइ। लेकिन ई कठिनाई तेजी से गायब हो गेलइ - हम समझ गेलिअइ, कि ओकरा में बिलकुल दोसर इच्छा हइ, कि ऊ खाली हमरा प्यार करऽ हइ, असीम प्यार करऽ हइ, हमरा बेगर नञ् जी सकऽ हइ आउ ऊ सब कुछ के बारे कोय फिकिर नञ् करऽ हइ, जेकर हमरा से संबंध हइ, आउ हमरा लगऽ हइ, कभियो बहिन अपन भाय के ओतना हद तक प्यार नञ् करऽ हलइ, जेतना कि नताशा हमरा से प्यार करऽ हलइ। हम बहुत निम्मन से जानऽ हलिअइ, कि हमन्हीं के सन्निकट वियोग ओकर दिल के दाब रहले हल, कि नताशा यातना झेल रहले हल; ओकरा एहो मालुम हलइ, कि हमहूँ ओकरा बेगर नञ् जी सकऽ हिअइ; लेकिन हमन्हीं एकरा बारे नञ् बोलऽ हलिअइ, हलाँकि हमन्हीं सन्निकट घटना के बारे विस्तार से चर्चा करते जा हलिअइ ...

हम निकोलाय सिर्गेयिच के बारे पुछलिअइ।

"ऊ जल्दीए, हमरा लगऽ हइ, वापिस अइथिन", नताशा उत्तर देलकइ, "चाय के बखत तक आवे के वचन देलथिन हल।"

"की ई सब कोय पद प्राप्ति खातिर दौड़धूप चालू हइ?"

"हाँ; लेकिन, अब तो नौकरी के मामले में कोय शंका नञ् हइ; आउ उनका आझ जाय के, लगऽ हइ, कोय जरूरत नञ् हलइ", विचारमग्न होल ऊ आगू बोललइ, "बिहानो हो सकऽ हलइ।"

"त फेर काहे लगी ऊ गेलथिन?"

[*428] "काहेकि हमरा पत्र मिलले हल ... हमरा से एतना बेमार हथिन", नताशा आगू बोललइ, जरी रुकके, "कि हमरो लगी कठिन हइ, वान्या। , लगऽ हइ, नीनियो में खाली हमरे एकमात्र देखऽ हथिन। हमरा पक्का विश्वास हइ, कि - 'हमरा की हो गेले , हम कइसे रहऽ हिअइ, अभी कउची बारे सोचऽ हिअइ?' एकरा अलावे आउ कुछ नञ् सोचऽ हथिन। हमर सब उदासी उनकर दिल में प्रतिध्वनित होवऽ हइ। हम आखिर देखऽ हिअइ, कि कइसे अजीब ढंग से कभी-कभी जबरदस्ती प्रयास करऽ हथिन देखावे के, कि हमरा बारे उदास नञ् होवऽ हथिन, जबरदस्ती प्रयास करऽ हथिन खुश रहे के, हँस्से के आउ हमन्हीं के हँसावे आउ मनोरंजन करे के। मइयो अइसन पल में स्वाभाविक नञ् रहऽ हइ, आउ ओहो उनकर हँसी पर विश्वास नञ् करऽ हइ, आउ आह भरऽ हइ ... एतना ऊ अजीब लगऽ हइ ... सीधी-सादी आत्मा!" हँसते ऊ आगू बोललइ। "अइकी जइसीं आझ हमरा पत्र मिललइ, उनका तुरते भाग जाना जरूरी हो गेलइ, ताकि ऊ हमरा आँख से आँख मिलाके देख नञ् सकथिन ... हम उनका खुद से जादे, दुनियाँ में सबसे जादे प्यार करऽ हिअइ, वान्या", ऊ आगू बोललइ, मूड़ी गोतले आउ हमर हाथ दबइते, "हियाँ तक कि तोरो से जादे ..."

हमन्हीं बाग से होके दू तुरी आगू-पीछू टहललिअइ, एकर पहिले कि ऊ बोलना शुरू कइलकइ।

"हमन्हीं हीं आझ मस्लोबोयेव अइले हल आउ कल्हिंयों", ऊ कहलकइ।

"हाँ, ऊ हाल में बहुत अकसर तोहन्हीं हीं भेंट देलको ह।"

"आउ मालुम हको, कि ऊ काहे लगी हियाँ हकइ? मइया के ओकरा पर विश्वास हइ, मालुम नञ् केतना हद तक। ऊ सोचऽ हइ, कि ओकरा सब कुछ मालुम हइ ई सब के बारे (कानून वगैरह, वगैरह), कि ऊ कइसनो काम के सलटा सकऽ हइ। तोहरा की सोचना हको, ओकर दिमाग में कइसन खिचड़ी पक रहले ह? ओकरा, खुद के बारे, बहुत तकलीफ आउ खेद हइ, कि हम राजकुमारी (प्रिंसेस) नञ् बन पइलिअइ। ई विचार ओकरा जीए नञ् दे हइ, आउ, लगऽ हइ, ऊ पूरे तरह से मस्लोबोयेव के साथ खुले दिल से बात करऽ हइ। पिताजी के साथ एकरा बारे बात करे से डरऽ हइ आउ सोचऽ हइ - की कोय मामले में ओकरा मस्लोबोयेव मदत नञ् कर सकतइ, बल्कि कम से कम कानून के मामले में? मस्लोबोयेव, लगऽ हइ, ओकर बात के विरोध नञ् करऽ हइ, आउ ऊ ओकरा शराब से सत्कार करऽ हइ", मुसकइते नताशा आगू बोललइ।

"एकरा से ऊ तो शरारती बन जइतइ। लेकिन तोरा कइसे मालुम?"

"आखिर हमरा मइया खुद हमरा बता देलकइ ... इशारा से ..."

"नेली के की हाल-चाल हइ? ऊ कइसन हइ?" हम पुछलिअइ।

"हमरा तोरा पर अचरज भी होवऽ हको, वान्या - अभी तक तूँ ओकरा बारे नञ् पुछलहो हल!" शिकायत करते नताशा कहलकइ।

नेली सब कोय खातिर ई घर में प्रतिमा हलइ। नताशा ओकरा हद से जादे प्यार करऽ हलइ, आउ नेली ओकरा आत्मसमर्पित कर देलके हल, आखिरकार, अपन पूरे दिल से। बेचारी बुतरू! ओकरा कभियो आशा नञ् हलइ, कि ओकरा कभी अइसन लोग मिलते जइथिन, कि ओकरा एतना सारा प्यार मिलतइ, आउ हम खुशी से देखलिअइ, कि कटु हृदय नरम हो गेले हल आउ ओकर आत्मा हमन्हीं सब्भे लगी खुल गेले हल। ऊ एक प्रकार के कष्टकारी उत्सुकता से सार्वत्रिक प्रेम (universal love) के प्रति प्रतिसाद (response) दे हलइ, जेकरा से ऊ घिरल हलइ, पहिलउका ओकरा में विकसित अविश्वास, क्रोध आउ हठ के तुलना में बिलकुल भिन्न रूप में (in contrast to)। लेकिन, अभियो नेली लमगर समय तक अटल रहलइ, देर तक जानबूझके हमन्हीं से अपन समझौता के आँसू के छिपइलकइ, जे ओकरा में उबल रहले हल, आउ, आखिरकार, हमन्हीं के सामने पूर्ण रूप से आत्मसमर्पित कर देलकइ। ऊ नताशा से बहुत जादे प्यार करे लगलइ, फेर बाद में बुढ़उ के। हम तो ओकरा लगी एतना हद तक आवश्यक हो गेलिअइ, कि ओकर रोग बढ़ जा हलइ, अगर हम लमगर समय तक नञ् आवऽ हलिअइ। पिछले तुरी, दू दिन तक ओकरा से दूर रहला से, ताकि हम आखिरकार शुरू कइल काम के पूरा कर सकिअइ, हमरा ओकरा बहुत समझावे पड़लइ ... निस्सन्देह, परोक्ष रूप से। नेली अभियो तक लजा हलइ - [*429] अपन भावना के बहुत सीधे तरह से, बहुत जादे नियंत्रणहीन रूप से अभिव्यक्त करे में ...

ऊ हमन्हीं सब्भे के बहुत घबरा दे हलइ। चुपचाप आउ बिन कइसनो चर्चा के निश्चय कइल गेलइ, कि ऊ हमेशे खातिर निकोलाय सिर्गेयिच के घर में रहतइ, आउ ई दौरान प्रस्थान नगीच आ रहले हल, लेकिन ओकर हालत लगातार बद से बत्तर होते जा रहले हल। ऊ ओहे दिन से बेमार पड़ गेले हल, जब हम ओकरा साथ बुजुर्ग लोग के हियाँ तहिया अइते गेलिए हल, उनकन्हीं के नताशा के साथ समझौता के दिन। लेकिन, हम की हिअइ? ऊ तो हमेशे बेमार रहऽ हलइ। बेमारी धीरे-धीरे पहिलहूँ बढ़ते रहले हल, लेकिन अब असाधारण गति से बढ़े लगलइ। हमरा समझ में नञ् आवऽ हइ आउ ओकर रोग के ठीक-ठीक निश्चय नञ् कर सकऽ हिअइ। ओकर दौरा, सच में, पहिले के अपेक्षा कुछ जादहीं अकसर दोहराय लगलइ; लेकिन, मुख्य बात ई हलइ, कि एक प्रकार के परिश्रान्ति (exhaustion) आउ सब शक्ति के ह्रास, अनवरत ज्वरीय आउ तनावपूर्ण दशा - ई सब कुछ ओकरा अन्तिम समय में एतना हद तक पहुँचा देलकइ, कि ऊ बिछावन पर से उठ नञ् पावऽ हलइ। आउ विचित्र बात ई, कि जेतने जादे रोग ओकरा पर हावी हो रहले हल, नेली ओतने जादे नरम, ओतने जादे स्नेहशील, ओतने जादे हमन्हीं के प्रति खुला दिल के हो रहले हल। तीन दिन पहिले ऊ हमरा हाथ से पकड़ लेलकइ, जब हम ओकर बिछावन भिर से गुजर रहलिए हल, आउ अपना तरफ हमरा घींच लेलकइ। कमरा में कोय नञ् हलइ। ओकर चेहरा गरम हलइ (ऊ भयंकर रूप से दुबरा गेले हल), आँख आग नियन दहक रहले हल। ऊ झटका आउ आसक्ति से हमरा दने बढ़लइ, आउ जब हम ओकरा दने झुकलिअइ, ऊ कसके हमर गरदन के चारो तरफ अपन सामर पातर बाँह डाल देलकइ आउ कसके हमरा चुमलकइ, आउ बाद में तुरते नताशा के बोलावे लगी कहलकइ; हम ओकरा बोलइलिअइ; नेली के जिद हलइ, कि नताशा ओकरा भिर बिछावन पर बैठइ आउ ओकरा दने देखइ ...

"हमरा खुद तोरा दने देखे के मन करऽ हको", ऊ बोललइ। "हम तोहरा कल्हे सपना में देखलियो हल आउ आझ रात के देखबो ... तूँ अकसर हमर सपना में आवऽ ह ... हरेक रात ..."

ओकरा, स्पष्टतः, कुछ तो कहे लगी चाहऽ हलइ, भावना ओकरा पर हावी हलइ; लेकिन ओकरा खुद अपन भावना समझ में नञ् आवऽ हलइ आउ ओकरा मालुम नञ् हलइ, कि एकरा कइसे व्यक्त कइल जाय ...

निकोलाय सिर्गेयिच के ऊ लगभग सबसे जादे प्यार करऽ हलइ, हमरा अलावे। कहल जाय के चाही, कि निकोलाय सिर्गेयिच भी ओकरा लगभग ओतने प्यार करऽ हलथिन, जेतना कि नताशा के। उनका पास एगो आश्चर्यनक गुण हलइ नेली के खुश करे आउ मनोरंजन करे के। ऊ ओकरा भिर अइवे करथिन, कि तुरते हँसी चालू हो जाय आउ शरारत भी। रोगी लड़की बुतरू नियन खुश हो जाय, बुढ़उ के साथ नखरा करइ, उनका पर हँस्सइ, उनका अपन सपना सुनावइ आउ हमेशे कुछ तो नाया सोचके गढ़इ, आउ उनको बतावे लगी कहइ, आउ बुढ़उ एतना खुश होथिन, एतना संतुष्ट होथिन, अपन «छोटकुन्नी बेटी नेली» के देखके, कि रोज दिन ओकरा से अधिकाधिक प्रसन्न होल जाथिन।

"ओकरा हमन्हीं लगी भगमान हमन्हीं के कष्ट सहन खातिर पुरस्कार के रूप में भेजलका", ऊ हमरा एक तुरी कहलथिन, नेली भिर से जइते आउ हमेशे नियन रात्रि खातिर ओकरा लगी क्रॉस करते।

रोज दिन, शाम के शाम, जब हमन्हीं साथ में एकत्र होवऽ हलिअइ (मस्लोबोयेव भी लगभग हरेक शाम आवऽ हलइ), त बुढ़उ डाक्टर भी कभी-कभी आवऽ हलथिन, जे इख़मेनेव परिवार से दिल से जुड़ल हलथिन; नेली के भी ओकर अरामकुरसी में हमन्हीं भिर गोल मेज तक लावल जा हलइ। बाल्कोनी के तरफ के दरवाजा खोलल जा हलइ। हरियर बाग, अस्ताचलगामी सूर्य से प्रकाशित, [*430] पूरा देखाय दे हलइ। एकरा से ताजा हरियाली आउ अभी-अभी खिल रहल लिलैक के सुगंध आवऽ हलइ। नेली अपन अरामकुरसी में बैठल हलइ, स्नेहपूर्वक हमन्हीं सब्भे तरफ देख रहले हल आउ हमन्हीं के बातचीत सुन रहले हल। कभी-कभी ऊ सजीव हो उठऽ हलइ आउ खुद्दे अगोचर रूप से कुछ तो बोलहूँ लगऽ हलइ ... लेकिन अइसन पल में हमन्हीं सब्भे साधारणतः ओकर बात बेचैनी से भी ध्यान से सुन्नऽ हलिअइ, काहेकि ओकर संस्मरण में अइसन विषय होवऽ हलइ, जेकरा स्पर्श नञ् कइल जा सकऽ हलइ। आउ हम आउ नताशा, आउ इख़मेनेव लोग ओकरा सामने अपन पूरा दोष के अनुभव कइलिए हल आउ समझ गेलिए हल, ऊ दिन, जब थरथरा रहल आउ क्लांत होल, ओकरा हमन्हीं के अपन कहानी कहे के हलइ। डाक्टर खास करके ई सब संस्मरण के विरुद्ध हलथिन, आउ हमन्हीं साधारणतः बातचीत के बदल देवे के प्रयास करते जा हलिअइ। अइसन परिस्थिति में नेली हमन्हीं के देखावे लगी नञ् चाहऽ हलइ, कि ओकरा हमन्हीं के प्रयास समझ में आवऽ हइ, आउ डाक्टर के साथ चाहे निकोलाय सिर्गेयिच के साथ हँस्से लगऽ हलइ ...

आउ, तइयो, ओकर हालत लगातार बद से बत्तर होल जा हलइ। ऊ अत्यन्त भावुक हो गेलइ। ओकर दिल के धड़कन अनियमित हो गेलइ। डाक्टर हमरा कहवो कइलथिन, कि ऊ बहुत जल्दीए मर जा सकऽ हइ। हम ई बात इख़मेनेव लोग के नञ् बतइलिअइ, कि कहीं उनकन्हीं चिंतित नञ् हो जाथिन। निकोलाय सिर्गेयिच के पक्का विश्वास हलइ, कि ऊ यात्रा के लायक भला-चंगा हो जइतइ।

"अइकी पिताजी वापिस आ गेलथिन", नताशा कहलकइ, उनकर स्वर सुनके। "चलल जाय, वान्या।"

*             *          *         *          *

भूमिका               भाग 4, अध्याय 9              उपसंहार, अध्याय 2 

[1] संभवतः, संकेत हइ लेव तल्स्तोय (1828-1910) के तरफ, जे दू साल के दौरान आंशिक रूप से अपन जीवनी प्रकाशित कइलथिन हल - "Детство" (बचपन) (1852) आउ "Отрочество" (किशोरावस्था) (1854)।

[2] संभवतः, संकेत हइ इवान गोन्चारोव (1812-1891) के तरफ, जे अपन उपन्यास "Обломов" (ओबलोमोव) पर दस साल 1849 से 1859 तक काम करके 1859 में प्रकाशित कइलका हल।


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