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Tuesday, October 26, 2021

रूसी उपन्यास "अपमानित आउ तिरस्कृत": भाग 4; अध्याय 9

              अपमानित आउ तिरस्कृत

भाग 4

अध्याय 9

लेकिन ऊ अब तक ओकरा अकवार में ले चुकलथिन हल! ...

ऊ ओकरा, एगो बुतरू नियन उठाके, धर लेलथिन हल, अपन अरामकुरसी तक लइलथिन, ओकरा बैठा देलथिन, आउ खुद ओकरा सामने टेहुना के बल गिर गेलथिन। ऊ ओकर हाथ, गोड़ चुमलथिन; ऊ ओकरा चुम्बन लेवे में शीघ्रता कइलथिन, ओकरा तरफ देखे में जल्दी कइलथिन, मानु उनका अभियो तक विश्वास नञ् हो रहले हल, कि ऊ फेर से उनकन्हीं के साथ हलइ, कि ऊ फेर से ओकरा देखऽ आउ सुन्नऽ हथिन - ओकरा, अपन बेटी के, अपन नताशा के! आन्ना अन्द्रेयेव्ना, [*421] सुबकते ओकरा धर लेलकइ, ओकर सिर के अपन छाती से दबा लेलकइ आउ ई अकवार में ऊ स्थिर रहलइ, ओकर मुँह से कोय शब्द नञ् निकसलइ।

"मित्र हमर! ... जिनगी हमर! ... खुशी हमर! ...", असंगत रूप से बुढ़उ चिल्ला उठलथिन, नताशा के हाथ धरके आउ, एगो प्रेमी नियन, ओकर पीयर, दुब्बर-पातर, लेकिन सुन्दर चेहरा के देखते, ओकरा आँख में देखते, जेकरा में अश्रु चमक रहले हल। "खुशी हमर, बुतरू हमर!" ऊ दोहरइलथिन आउ फेर से चुप हो गेलथिन आउ ओकरा तरफ श्रद्धायुक्त हर्षोन्माद में तकते रहलथिन। "काहे, काहे हमरा लोग कहते जा हलइ, कि ऊ दुबराऽ गेले ह!" ऊ शीघ्रतापूर्ण, मानु बचकाना मुसकान सहित, हमन्हीं तरफ संबोधित करते बोललथिन आउ अभियो तक ओकरा सामने टेहुना के बल बैठल। "दुब्बर, सच हइ, पीयर, लेकिन ओकरा दने देखहो, केतना सुन्दर हइ! पहिलहूँ से बेहतर हइ, हाँ, बेहतर!" स्वाभाविक रूप से ऊ आगू बोललथिन, आत्मा के पीड़ा, आनंद के पीड़ा के अधीन, जेकरा चलते मानु उनकर आत्मा के दू टुकड़ा होब करऽ हइ।

"खड़ी हो जा, प्रिय पिताजी! हाँ खड़ी तो हो जा", नताशा बोललइ, "आखिर हमरो तोहरा चुम्मे के मन करऽ हको ..."

"ओ प्यारी! सुन्नऽ हो, सुन्नऽ हो, आन्नुश्का, केतना सुंदर ई बोललइ", आउ ऊ उत्तेजित होल ओकरा गले लगा लेलथिन। "नञ्, नताशा, हमरा, हमरा तोर गोड़ पर तब तक पड़ल रहे के हउ, जब तक कि हमर दिल नञ् सुनतउ, कि तूँ हमरा माफ कर देलँऽ, काहेकि कभियो, कभियो अब हम तोर माफी के लायक नञ् हो सकऽ हिअउ! हम तोरा छोड़ देलियो हल, तोरा शाप देलियो हल, सुन्नऽ हीं, नताशा, हम तोरा शाप देलियो हल - आउ हम ई कर सकलियो हल! ... आउ तूँ, आउ तूँ, नताशा - की तूँ विश्वास कर सकऽ हलहीं, कि हम तोरा शाप देलियो हल! आउ विश्वास कइलकइ - आखिर विश्वास कइलकइ! विश्वास करे के नञ् चाही हल! नञ् विश्वास करते हल, बस विश्वास नञ् करते हल! निर्दय आत्मा! तूँ हमरा हीं काहे नञ् आवऽ अइलहीं? आखिर तूँ जानऽ हलहीं, कि तोरा कइसे स्वागत करबउ! ... ओ नताशा, आखिर तोरा आद होतउ, कि तोरा पहिले हम केतना प्यार करऽ हलिअउ - आउ अब आउ एतना समय तक हम तोरा दोगना, हजार गुना प्यार कइलिअउ, पहिले के बनिस्पत! हम तोरा अपन खून से प्यार कइलिअउ! हम खून सहित अपन आत्मा के निकास देतियो हल, अपन आत्मा के फाड़के टुकड़ा-टुकड़ा करके तोर गोड़ पर रख देतियो हल! ... ओ खुशी हमर!"

"अच्छऽ, त हमरा चूम ल, तूँ निर्दय व्यक्ति, होंठ पर, चेहरा पर चूम ल, जइसे कि माय चुम्मऽ हके!" कष्टकारी, दुर्बल, खुशी से आँसू भरल स्वर में नताशा चीख उठलइ।

"आउ आँखो में! आउ आँखो में! आद हउ, पहिले कइसे", बेटी के देर तक, मधुर अकवार के बाद बुढ़उ दोहरइलथिन। "ओ नताशा! की हमन्हीं के बारे कभी सपनइवो करऽ हलहीं? आउ तूँ लगभग हरेक रात हमर सपना मेम आवऽ हलँऽ, आउ हरेक रात तूँ हमरा हीं आवऽ हलँऽ, आउ हम तोरा पर रोवऽ हलिअउ, आउ एक तुरी तूँ, एगो बुतरू के रूप में, अइलहीं हल, तोरा आद हउ, जब तूँ बस दस साल के हलँऽ आउ तूँ अभी-अभी पियानो बजावे लगी सिक्खे लगलँऽ हल - अइलँऽ हल एगो छोटगर ड्रेस में, सुन्दर जुत्ती में आउ सुन्दर लाल हाथ में ... आखिर ओकर एतना सुन्दर हाथ हलइ तहिया, आद हको, आन्नुश्का? - हमरा भिर अइलइ, टेहुना के बल बैठ गेलइ आउ हमरा गले लगलइ ... आउ तूँ, आउ तूँ, तूँ दुष्ट लड़की! आउ तूँ सोच सकलहीं, कि हम तोरा शाप देलिअउ, कि हम तोर स्वागत नञ् करबउ, अगर तूँ अइम्ही! ... आखिर हम ... सुन, नताशा - आखिर हम तोरा हीं अकसर जा हलिअउ, आउ तोर मइयो के मालुम नञ् हलउ, आउ केकरो नञ् मालुम हलइ; त कभी तोरा हीं खिड़कियन के निच्चे खड़ी रहऽ हलिअउ, त कभी इंतजार करऽ हलिअउ - त कभी-कभी आधा-आधा दिन तक तोर गेट भिर [*422] कहीं फुटपाथ पर इंतजार करऽ हलिअउ! कि कहीं तूँ निकलम्हीं, त हम कम से कम दूरहीं से तोरा एक झलक तो देख लिअउ! नञ् तो शाम के तोरा हीं खिड़की पर मोमबत्ती अकसर जलते देखाय देउ; त ई तरह केतना तुरी हम, नताशा, शाम में तोरा हीं जा हलिअउ, बल्कि तोर मोमबत्तियो के एक झलक खातिर, बल्कि तोर छाया भी खिड़की में देखे खातिर, तोरा रात्रि खातिर आशीर्वाद देवे खातिर। लेकिन तूँ की हमरा रात्रि खातिर हमरा शुभकामना दे हलहीं? की तूँ हमरा बारे सोचऽ हलहीं? की तोर दिल के सुनाय दे हलउ, कि हम हिएँ खिड़की के निच्चे हिअउ? आउ केतना तुरी जाड़ा में हम देर रात में तोर ज़ीना पर चढ़ऽ हलिअउ आउ अन्हार प्रवेशमार्ग में खड़ी रहऽ हलिअउ, ई आशा में कि दरवाजा से होके तोर अवाज सुनाय देउ - की तोर स्वर नञ् सुनाय देत? की तूँ हँसम्हीं नञ्? की हम तोरा शाप देलिअउ? आखिर हम एक शाम तोरा हीं अइलिअउ, तोरा माफ करे लगी चहलिअउ आउ खाली तोर दरवाजा भिर से लौट गेलिअउ ... ओ नताशा!"

ऊ उठ गेलथिन, ऊ ओकरा कुरसी पर से उठइलथिन आउ ओकरा अपन दिल से कस-कसके लगइलथिन।

"ऊ फेर से, हमर दिल के नगीच हइ!" ऊ चिल्लइलथिन, "ओ, तोरा हम धन्यवाद दे हियो, भगमान, सब कुछ लगी, सब कुछ खातिर, तोहर गोस्सा खातिर आउ तोहर दया खातिर! ... आउ तोहर सूर्य खातिर, जे अभी चमक रहलो ह, झंझावात के बाद, हमन्हीं पर! ई सब पल खातिर धन्यवाद दे हियो! ओ! हमन्हीं बल्कि अपमानित होइअइ, चाहे हमन्हीं तिरस्कृत होइअइ, लेकिन हमन्हीं फेर से साथ-साथ हिअइ, आउ अब ई अभिमानी आउ हठी लोग, हमन्हीं के अपमानित आउ तिरस्कृत करे वलन, बल्कि जीत जाय! बल्कि ओकन्हीं हमन्हीं पर पत्थर फेंकइ! डरिहँऽ मत, नताशा ... हमन्हीं हाथ से हाथ मिलाके चलबइ, आउ हम ओकन्हीं के कहबइ - ई हमर प्यारी, ई हमर दुलारी बेटी हके, ई निष्पाप बेटी हके हमर, जेकर तोहन्हीं अपमान आउ तिरस्कार करते गेलहीं, लेकिन जेकरा हम, हम प्यार करऽ हिअइ, हम हमेशे खातिर आशीर्वाद दे हिअइ! ..."

"वान्या! वान्या! ...", क्षीण स्वर में नताशा बोललइ, पिता के अकवार से हमरा दने हाथ बढ़इते।

"ओ! हम कभी नञ् भुलइबइ, कि ई पल में ऊ हमरा आद कइलकइ आउ हमरा बोलइलकइ!

"नेली काहाँ हइ?" बुढ़उ पुछलथिन, चारो दने निगाह डालते।

"ओह, काहाँ हइ उ?" बूढ़ी चिल्लइलइ, "हमर प्यारे! आखिर हमन्हीं ओकरा अइसीं छोड़ देते गेलिअइ!"

लेकिन ऊ कमरा में नञ् हलइ; ऊ अगोचर रूप से शय्याकक्ष में घसक गेले हल। सब कोय हुएँ गेलइ। नेली कोना में खड़ी हलइ, दरवाजा के पीछू, आउ भयभीत होल हमन्हीं से नुक्कल हलइ।

"नेली, तोरा की हो गेलो ह, बुतरू हमर!" बुढ़उ चिल्लइलथिन, ओकरा अकवार में लेवे लगी चाहते। लेकिन ऊ कइसूँ देर तक उनका तरफ देखते रहलइ ...

"माय, माय काहाँ हइ?" ऊ बोललइ, मानु विस्मृति में, "काहाँ, कहाँ हइ हमर माय?" ऊ एक तुरी आउ चीख उठलइ, अपन काँपइत हाथ हमन्हीं तरफ बढ़इते, आउ अचानक ओकर छाती से भयानक, भयंकर चीख निकस पड़लइ; ओकर चेहरा पर विकृति (convulsions) आ गेलइ, आउ ऊ भयंकर दौरा में फर्श पर गिर पड़लइ ...

 

*** चौठा भाग समाप्त ***


भूमिका               भाग 4, अध्याय 8              उपसंहार, अध्याय 1 

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