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Sunday, October 31, 2021

रूसी उपन्यास "अपमानित आउ तिरस्कृत": उपसंहार; अध्याय 3

 अपमानित आउ तिरस्कृत

उपसंहार

अध्याय 3

लेकिन हमन्हीं के पुष्प उत्सव दोसरा दिन सफल नञ् होलइ। नेली के तबीयत बत्तर हो गेलइ, आउ ऊ कमरा से बाहर नञ् निकस पइलइ।

आउ बाद में ऊ कभियो ई कमरा से बाहर नञ् निकस पइलइ।

ऊ दू सप्ताह बाद मर गेलइ। ई दू सप्ताह अपन पीड़ा में ऊ एक्को तुरी बिलकुल होश में नञ् आ सकलइ आउ ओकरा अपन विचित्र सनक (fantasies) से छुटकारा नञ् मिल पइलइ। ओकर बुद्धि मानु धुँधला पड़ गेले हल।

 ओकरा दृढ़ विश्वास हलइ, ओकर मौत के पहिले-पहिले तक, कि ओकरा ओकर नाना बोलाब करऽ हइ आउ ओकरा पर गोसाल हइ, कि ऊ नञ् आवऽ हइ, ओकरा पर अपन छड़ी से कुरेदऽ हइ आउ ओकरा आज्ञा दे हइ, उदार लोग के हियाँ से रोटी आउ तमाकू खातिर भीख माँगे लगी। अकसर ऊ नीन में रोवे लगऽ हलइ आउ,  जगला पर, बतावऽ हलइ, कि ऊ अपन माय के देखलके हल। खाली कभी-कभी मानु ऊ पूरे होश में आ जाय। एक तुरी हमन्हीं अकेल्ले हलिअइ - ऊ हमरा दने बढ़लइ आउ हमर हाथ अपन दुब्बर, बोखार से तप रहल हाथ से जकड़ लेलकइ।

[*441] "वान्या", ऊ हमरा कहलकइ, "जब हम मर जइबो, त नताशा से शादी कर लिहो!"

ई, लगऽ हइ, ओकर लगातार आउ लमगर अवधि से चल रहल विचार हलइ। हम चुपचाप ओकरा तरफ मुसकइलिअइ। हमर मुसकान देखके, ऊ खुद मुसकइलइ, शरारत भरल मुद्रा में अपन पातर अँगुरी से हमरा धमकी देलकइ आउ तुरते हमरा चुम्बन लेवे लगलइ।

अपन मौत के तीन दिन पहिले, ग्रीष्मकाल के एगो उत्तम संध्या के बखत, ऊ निवेदन कइलकइ, कि परदा उठा देल जाय आउ ओकर शय्या-कक्ष के खिड़की खोल देल जाय। खिड़की बाग तरफ खुल्लऽ हलइ; ऊ देर तक घनगर हरियाली तरफ देखते रहलइ, अस्ताचलगामी सूर्य तरफ आउ अचानक निवेदन कइलकइ, कि हमन्हीं के अकेल्ले छोड़ देल जाय।

"वान्या", मोसकिल से सुनाय देवे वला स्वर में ऊ कहलकइ, काहेकि ऊ बहुत कमजोर हो गेले हल, "हम जल्दीए मर जइबो। बहुत जल्दीए, आउ तोरा कहे लगी चाहऽ हियो, कि तूँ हमरा आद रखिहऽ। यादगार के रूप में अइकी तोहरा लगी ई छोड़ते जा हियो (आउ ऊ हमरा एगो बड़गर थैली देखइलकइ, जे ओकर छाती पर क्रॉस के साथ लटकल हलइ। ई हमरा लगी माय छोड़के गेल हल, मरते बखत। त हम जब मर जइबो, त ई थैली उतार लिहऽ, खुद रख लिहऽ आउ पढ़िहऽ, कि एकरा में की हइ। हमहूँ आझ सब लोग के बता देबो, कि खाली तोहरे ई थैली देल जाय। आउ जब तूँ पूरा पढ़ लेबहो, कि एकरा में कउची लिक्खल हइ, त ओकन्हीं के पास जइहो आउ बतइहो, कि हम मर गेलिअइ, लेकिन ओकरा माफ नञ् कइलिअइ।  ओकरो बता दिहो, कि हम हाल में गोस्पेल पढ़लिए ह। ओकरा में कहल हइ - अपन सब दुश्मन के माफ कर देना। खैर, हम ई पढ़लिअइ, लेकिन तइयो हम ओकरा माफ नञ् कइलिअइ, काहेकि जब माय मर रहले हल आउ अभियो बोल सकऽ हलइ, त ऊ अन्तिम बात जे कहलकइ, ऊ हलइ - «ओकरा शाप दे हिअइ», त ओइसीं हमहूँ ओकरा शाप दे हिअइ, अपना लगी नञ्, बल्कि माय खातिर शाप दे हिअइ ... ओकरा बता दिहो, कि कइसे माय मरलइ, कइसे हम बुबनोवा के हियाँ अकेल्ले रह गेलिअइ; बता दिहो, जइसे तूँ हमरा बुबनोवा के हियाँ देखलहो हल, सब कुछ, सब कुछ बता दिहो आउ एकरे साथ एहो बता दिहो, कि हम बेहतर बुबनोवा के हियाँ रहे लगी चाहऽ हलिअइ, बनिस्पत ओकरा हीं जाय के ...”

एतना कहला पर, नेली पीयर पड़ गेलइ, ओकर आँख चमके लगलइ आउ दिल एतना जोर-जोर से धड़के लगलइ, कि ऊ तकिया पर लुढ़क गेलइ आउ दू मिनट तक एक्को शब्द नञ् बोल पइलइ।

"ओकन्हीं के बोलाहो, वाब्या", आखिरकार ऊ क्षीण स्वर में बोललइ, "हम ओकन्हीं सब से अलविदा कहे लगी चाहऽ हिअइ। अलविदा, वान्या! ..."

ऊ कसके हमरा अन्तिम तुरी गले लगइलकइ। सब कोय अन्दर अइते गेलथिन। बुढ़उ के समझ में नञ् अइलइ, कि ऊ मर रहले ह; ई विचार माने लगी तैयार नञ् हो पइलथिन। ऊ अन्तिम बखत तक हमन्हीं साथ विवाद कइलथिन, कि ऊ पक्का चंगा हो जइतइ। ऊ फिकिर से पूरा दुबरा गेलथिन हल, ऊ नेली के बिछावन भिर पूरे दिन आउ रतियो के बैठल रहऽ हलथिन ... अन्तिम कुछ रात के तो ऊ शब्दशः सुतवो नञ् कइलथिन। ऊ नेली के छोटगर से छोटगर सनक के, छोटगर से छोटगर इच्छा के पहिलहीं जान लेवे के प्रयास करऽ हलथिन आउ, बाहर निकसके हमन्हीं तरफ अइते, जोर से रोवे लगऽ हलथिन, लेकिन मिनट भर के बाद फेर से आशा करे लगऽ हलथिन आउ हमन्हीं के विश्वास देलावऽ हलथिन, कि ऊ चंगा हो जइतइ। ऊ ओकर कमरा में फूल से भर देलथिन। एक तुरी ऊ उत्तम प्रकार के, उज्जर आउ लाल रंग के, गुलाब के पूरा पुष्प-गुच्छ खरदलथिन, ओकरा खातिर कहीं तो दूर तक चल गेलथिन हल आउ अपन नेलिच्का खातिर लइलथिन हल ... ई सब से ऊ ओकरा बहुत उत्तेजित कर देलथिन। अइसन सार्वत्रिक प्रेम के प्रति ओकरा अपन पूरे हृदय से नञ् प्रतिसाद देवे से नञ् रहल गेलइ। ई शाम, हमन्हीं साथ ओकर अलविदा कहे के शाम, बुढ़उ कइसूँ ओकरा साथ हमेशे लगी बिदाई नञ् लेवे लगी चाहऽ हलथिन। नेली उनका तरफ मुसकइलइ आउ पूरे शाम खुश रहे के प्रयास कइलकइ, उनका साथ मजाक कइलकइ, हँसवो कइलकइ ... हमन्हीं सब्भे [*442] ओकरा भिर से बाहर निकसलिअइ लगभग आशा में, लेकिन दोसरा दिन ऊ बोल नञ् सकलइ। दू दिन के बाद ऊ मर गेलइ।

हमरा आद पड़ऽ हइ, कि कइसे बुढ़उ ओकर ताबूत के फूल से सजइलथिन आउ निराशा से ओकर दुबराल मरल चेहरा के तरफ देखते रहलथिन, ओकर मरल मुसकान के तरफ, ओकर हाथ के तरफ, जे छाती पर क्रॉस कइल हलइ। ऊ ओकरा लगी रो रहलथिन हल, अपन सगी बुतरू पर नियन। नताशआ, हम, हमन्हीं सब उनका सांत्वना देलिअइ, लेकिन ऊ हतोत्साह हलथिन आउ नेली के दफनइला के बाद गंभीर रूप से बेमार पड़ गेलथिन।

आन्ना अन्द्रेयेव्ना खुद्दे हमरा थैली देलकइ, जे ओकर छाती पर से हटइलके हल। ई थैली में प्रिंस के नाम नेली के माय के पत्र हलइ। हम ओकरा नेली के मौत के दिन पूरा पढ़लिअइ। ऊ प्रिंस के शाप से संबोधित कइलके हल, बोलले हल, कि ऊ ओकरा माफ नञ् कर सकऽ हइ, अपन बाद के पूरे जिनगी के वर्णन कइलके हल, सब आतंक के, जेकरा पर नेली के छोड़ रहले ह, आउ ओकरा बुतरू लगी कम से कम कुछ तो करे खातिर निवेदन कइलके हल। «ऊ तोहर हको», ऊ लिखलके हल, «ई बेटी तोहर हको, आउ तूँ खुद्दे जानऽ हो, कि ऊ तोहर हको, असली (सगी) बेटी। हम ओकरा तोहरा भिर जाय लगी कह देलियो ह, जब हम मर जइबो, आउ तोरा ई पत्र दे देवे लगी। अगर तूँ नेली के अस्वीकार नञ् करऽ हो, त, शायद, हुआँ हम तोरा माफ कर दियो, आउ भगमान के सिंहासन (वेदी) के सामने निर्णय के दिन हम खुद खड़ी होबो आउ न्यायाधीश के तोहर पाप के क्षमा कर देवे लगी प्रार्थना करबो। नेली के हमर पत्र के मजमून (contents) मालुम हको; हम एकरा पढ़के ओकरा सुना देलियो ह; हम ओकरा सब कुछ समझा देलियो ह, ओकरा सब कुछ मालुम हको, सब कुछ ... »”

लेकिन नेली अपन माय के वसीयत (अन्तिम इच्छा) के पूरा नञ् कइलके हल - ऊ सब कुछ जानऽ हलइ, लेकिन प्रिंस के पास नञ् गेलइ आउ अपन बात पर अटल रहके मर गेलइ।

जब हमन्हीं नेली के दफनइला के बाद वापिस अइते गेलिअइ, त नताशा आउ हम बाग में गेलिअइ। दिन झरकाहा हलइ, धूपयुक्त। एक सप्ताह बाद उनकन्हीं जाय लगलथिन। नताशा हमरा दने देर तक, विचित्र निगाह से देखते रहलइ।

"वान्या", ऊ कहलकइ, "वान्या, आखिर ई सपना हलइ!"

"कउची सपना हलइ?" हम पुछलिअइ।

"सब कुछ, सब कुछ", ऊ उत्तर देलकइ, "सब कुछ, ई पूरे साल के। वान्या, काहे लगी हम तोर सुख के नष्ट कर देलियो?"

आउ ओकर आँख में हम पढ़लिअइ - «हमन्हीं साथ-साथ हमेशे लगी सुखी रहतिए हल!»

 

*** समाप्त ***


भूमिका         उपसंहार, अध्याय 2              भाग 1, अध्याय 1 


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