विजेट आपके ब्लॉग पर

Sunday, October 10, 2021

रूसी उपन्यास "अपमानित आउ तिरस्कृत": भाग 4; अध्याय 2

                  अपमानित आउ तिरस्कृत

भाग 4

अध्याय 2

... दू सप्ताह गुजर गेलइ; नेली के स्वास्थ्य सुधर रहले हल। ओकरा बोखार तो नञ् हलइ, लेकिन ऊ बहुत गंभीर रूप से बेमार हलइ। ऊ अप्रैल के अंत में, एक उज्ज्वल, स्वच्छ दिन के बिछौना पर से उठलइ। ई पुण्य सप्ताह (Holy Week) हलइ।

बेचारा जीव! हम कहानी के पहिलउके क्रम में आगू नञ् जारी रख सकऽ हिअइ। वर्तमान मिनट के बाद बहुत समय गुजर चुकलइ, जब हम ई सब विगत बात के लिक्खब करऽ हिअइ, लेकिन अभियो तक एतना भारी मन से, अन्तर्बेधी उदासी से हमरा आद पड़ऽ हइ ई पीयर, दुब्बर-पातर चेहरा, ओकर करिया आँख के ई अन्तर्बेधी लमगर नजर, जब कभी हमन्हीं दुइए गो रह जइअइ, आउ ऊ हमरा तरफ अपन बिछौना से देखइ, देखइ, देर तक देखते रहइ, मानु हमरा अन्दाज लगावे के चुनौती दे रहल होवे, कि ओकर मन में की हइ; लेकिन ई देखके, कि हम अन्दाज नञ् लगा पावऽ हिअइ आउ सब कुछ पहिलउका घबराहट (अचरज) में, शांतिपूर्वक आउ मानु मने-मन मुसकइतइ आउ अचानक प्यार से हमरा तरफ, दुब्बर-पातर हड्डीदार अँगुरी के साथ, अपन गरम हाथ बढ़इतइ। अब तो सब कुछ गुजर चुकलइ, आउ सब कुछ स्पष्ट हो चुकलइ, लेकिन अभियो तक ई रोगी के, क्लान्त आउ अपमानित छोटकुन्ना दिल के, सब रहस्य हमरा नञ् मालुम।

हमरा लगऽ हइ, कि हम कहानी से विचलित हो रहलिए ह, लेकिन ई पल हमरा खाली नेली के बारे सोचे के मन करऽ हइ। विचित्र हइ - अब, जबकि हम अस्पताल के बिछौना पर अकेल्ले पड़ल हिअइ, ऊ सब के द्वारा त्यागल, जेकरा हम एतना जादे आउ गंभीरतापूर्वक प्यार करऽ हलिअइ - अब कभी-कभी ऊ समय के एगो कइसनो क्षुद्र घटना, जे तहिया अकसर हमरा लगी अगोचर होवऽ हलइ आउ जल्दीए भुला जा हलइ, अचानक आद पड़ गेला पर, अचानक हमर दिमाग में दोसरे अर्थ रक्खऽ हइ, जे अब हमरा लगी सम्पूर्ण आउ व्याख्यात्मक हइ, जेकरा हम अभी तक समझियो नञ् पइलिए हल।

ओकर बेमारी के पहिला चार दिन तक हम सब, यानी हम आउ डाक्टर, ओकरा खातिर बहुत भयभीत हलिअइ, लेकिन पचमा दिन डाक्टर हमरा बगल में ले गेलथिन आउ हमरा कहलथिन, कि डर के कोय बात नञ् हइ आउ ऊ पक्का ठीक हो जइतइ। ई ठीक ओहे डाक्टर हलथिन, बहुत पहिले के हमर परिचित पुरनका अविवाहित, उदार आउ सनकी, जिनका हम नेली के पहिला बेमारी में बोलइलिए हल आउ जे ओकरा अपन गरदन में विशाल आकृति के स्तानिस्लाव क्रॉस से अचंभित कर देलथिन हल।

"मतलब, भयभीत होवे के कोय कारण नञ् हइ!" हम कहलिअइ, खुश होल।

"हाँ, ऊ अभी ठीक हो जइतइ, लेकिन बाद में ऊ बहुत जल्दी मर जइतइ।"

"की, मर जइतइ! लेकिन कइसे!" हम चिल्लइलिअइ, अइसन फैसला (दंडादेश) से स्तब्ध होल।

"हाँ, ऊ पक्का बहुत जल्दी मर जइतइ। रोगी के दिल में शारीरिक विकार हइ, आउ छोटगर से छोटगर प्रतिकूल परिस्थिति में ओकरा फेर से पड़ जाय पड़तइ। शायद, फेर से चंगी हो जइतइ, लेकिन बाद में फेर से शय्या पकड़ लेवे पड़तइ आउ आखिरकार मर जइतइ।"

"आउ की ओकरा कइसूँ बचावल नञ् जा सकऽ हइ? नञ्, अइसन नञ् हो सकऽ हइ!"

"लेकिन ई होने हइ। आउ तइयो, प्रतिकूल परिस्थिति के दूर रखला पर, शांतिपूर्ण जीवन के साथ, जब जादे मनोरंजन रहइ, रोगी मौत से दूर रह सकऽ हइ, [*372] आउ अइसनो संयोग होवऽ हइ ... अप्रत्याशित ... असामान्य आउ विचित्र ... एक शब्द में, रोगी शायद बचावलो जा सकऽ हइ, कइएक अनुकूल परिस्थिति के एक साथ होवे पर, लेकिन निर्णायक रूप से (radically) बचावल जाना - कभी नञ्।"

"लेकिन, हे भगमान, अब की कइल जाय?"

"हमर सलाह के मानल जाय, शांत जीवन गुजारल जाय आउ नियमित रूप से चूर्ण लेल जाय। हम नोटिस कइलिअइ, कि ई लड़की सनकी हइ, अस्थिर स्वभाव के आउ हँसोड़; ओकरा नियमित रूप से चूर्ण लेना बहुत पसीन नञ् हइ आउ अइकी अभिए दृढ़तापूर्वक इनकार कर देलकइ।"

"हाँ, डाक्टर। ऊ वास्तव में विचित्र हइ, लेकिन हम एकर श्रेय हमेशे ओकर रोगजन्य झुँझलाहट (morbid irritation) के दे हिअइ। कल्हे ऊ बिलकुल आज्ञाकारी हलइ; आझे, जब ओकरा दवाय देलिअइ, त ऊ चम्मच के ढकेल देलकइ मानु संयोगवश, आउ सब कुछ बाहर गिर गेलइ। जब हम नयका चूर्ण मिलावे लगी चहलिअइ, त ऊ पूरा डिबिया के हमरा हीं से छीनके फर्श पर फेंक देलकइ, आउ फेर रोवे लगलइ ... खाली, लगऽ हइ, ई कारण से नञ्, कि ओकरा चूर्ण लेवे लगी जबरदस्ती कइल जा हलइ", कुछ देर सोचके हम आगू बोललिअइ।

"हूँ! झुँझलाहट (irritation)। पहिलउका बड़गर विपत्ति (हम विस्तार से आउ खुले दिल से डाक्टर के नेली के बहुत कुछ इतिहास बतइलिअइ, आउ हमर कहानी उनका बहुत अचंभित कइलकइ), ई सब संबंधित, आउ अइकी एकरे चलते रोग। अभी तो एकमात्र उपाय हइ - चूर्ण लेना, आउ ओकरा चूर्ण लेहीं के चाही। हम जइबइ आउ एक तुरी आउ प्रयास करबइ ओकरा चिकित्सा परामर्श के कर्तव्यपालन के ओकर मस्तिष्क में प्रेरणा देवे के आउ ... मतलब सामान्य रूप से कहल जाय तो ... चूर्ण लेना।"

हमन्हीं दुन्नु रसोईघर से बाहर अइलिअइ (जेकरे में हमन्हीं के मीटिंग होले हल), आउ डाक्टर फेर से रोगी के बिछावन भिर गेलथिन। लेकिन नेली, लगऽ हइ, हमन्हीं के बात सुन रहले हल - कम से कम, ऊ तकिया से अपन सिर उपरे कइलले हलइ आउ, अपन कान हमन्हीं तरफ करके, लगातार हमन्हीं के बात ध्यान से सुन रहले हल। हम आधा खुल्लल दरवाजा के छेद से नोटिस कइलिअइ; जब हमन्हीं ओकरा दने बढ़लिअइ, त ठगनी फेर से रजाई के अन्दर घुस गेलइ आउ हमन्हीं तरफ व्यंग्यात्मक मुसकान के साथ देखे लगलइ। बेचारी ई चार दिन के बेमारी में बहुत दुबरा गेले हल - आँख अन्दर धँस गेले हल, बोखार अभियो नञ् उतर रहले हल। ओकर चेहरा पर के चंचल भाव आउ जादहीं विचित्र हलइ आउ उत्साही चमकइत नजर, जे बहुत अचंभित कर देलके हल ऊ डाक्टर के, जे पितिरबुर्ग के सब्भे जर्मन लोग में से सबसे दयालु हलथिन।

ऊ गंभीरतापूर्वक, लेकिन अपन स्वर के यथासंभव नरम करे के प्रयास करते, प्यार आउ दुलार के स्वर में चूर्ण के आवश्यकता आउ उद्धारक शक्ति के प्रस्तुत कइलथिन, आउ हरेक रोगी के ओकरा लेवे के कर्तव्य के। नेली अपन सिर उठाहीं वली हलइ, लेकिन अचानक, प्रतीयमानतः अपन बाँह के बिलकुल आकस्मिक हलचल से, ऊ चम्मच के स्पर्श कइलकइ, आउ पूरा दवाय फेर से फर्श पर बह गेलइ। हमरा पक्का विश्वास हइ, कि ऊ जानबूझके कइलकइ।

"ई तो बहुत अप्रिय असावधानी हको", शांतिपूर्वक बुढ़उ कहलथिन, "आउ हमरा शंका हको, कि तूँ ई जानबूझके के कइलऽ, जे बिलकुल निम्मन बात नञ् हको। लेकिन ... सब कुछ ठीक कइल जा सकऽ हइ आउ फेर से चूर्ण मिश्रित कइल जा सकऽ हइ।"

नेली उनकर आँख के सामनहीं हँस पड़लइ।

डाक्टर नियमित रूप से अपन सिर हिलइलथिन।

"ई बहुत खराब बात हको", ऊ कहलथिन, दोसरा चूर्ण खोलते, "बहुत, बहुत खराब बात।"

[*373] "हमरा पर नराज नञ् होथिन", नेली उत्तर देलकइ, व्यर्थ के फेर से नञ् हँस्से के प्रयास करते, "हम पक्का लेबइ ... लेकिन हमरा प्यार करऽ हथिन?"

"अगर ठीक से व्यवहार करबऽ, त बहुत प्यार करबो।"

"बहुत?"

"बहुत।"

"आउ अभी नञ् प्यार करऽ हथिन?"

"अभियो प्यार करऽ हियो।"

"आउ अपने हमरा चुमथिन, अगर हम अपने के चुम्मे लगी चाहबइ?"

"हाँ, अगर तूँ एकर लायक होबऽ।"

हियाँ परी नेली फेर से बरदास नञ् कर पइलकइ आउ फेर से हँस पड़लइ।

"रोगी हँसोड़ स्वभाव के हइ, लेकिन अब - ई स्नायु आउ सनक", डाक्टर हमरा से अत्यंत गंभीर मुद्रा में फुसफुसइलथिन।

"अच्छऽ, ठीक हको, हम चूर्ण पी लेबो", नेली अपन क्षीण स्वर में अचानक चिल्लइलइ, "लेकिन जब हम बढ़के बड़गो हो जइबो, त तूँ हमरा से शादी करभो?"

शायद, नयका शरारत के ई सोच ओकरा पसीन पड़लइ; ओकर आँख चमक रहले हल, आउ होंठ हँसी से काँप रहले हल, जरी अचंभित डाक्टर से जवाब के इंतजार में।

"ठीक हको", ऊ उत्तर देलथिन, ई नयका सनक लगी जाने-अनजाने मुसकइते, "ठीक हको, अगर तूँ एगो दयालु, निम्मन से पलल-बढ़ल लड़की होबऽ, आज्ञाकारी होबऽ आउ ..."

"आउ चूर्ण लेबऽ?" नेली उनकर बात के पूरा कइलकइ।

"ओहो! हाँ, चूर्ण लेबऽ। दयालु लड़की", ऊ हमरा फेर से फुसफुसइलथिन, "ओकरा में बहुत, बहुत हइ ... उदार आउ बुद्धिमान, लेकिन, तइयो ... शादी ... कइसन विचित्र सनक हइ ..."

आउ ऊ फेर से ओकरा दवाय देलथिन। लेकिन अबरी ऊ नञ् खाली चलाँकी कइलकइ, बल्कि बस निच्चे से उपरे तरफ चम्मच के झटक देलकइ, आउ पूरा दवाय बेचारे बुढ़उ के मनिश्का (shirt−front) आउ चेहरा पर छिटक गेलइ। नेली जोर से हँस पड़लइ, लेकिन पहिलउका सहज आउ आनंदित हँसी में नञ्। ओकर चेहरा पर कुछ तो निर्दय, बुरा कौंधलइ। ई पूरे समय तक ऊ हमर नजर से मानु बच रहले हल, खाली डाक्टर तरफ देख रहले हल आउ व्यंग्य के साथ, जेकर माध्यम से, लेकिन, बेचैनी झलक रहले हल, कुछ तो अब "हास्यजनक" बुढ़उ करतइ, ऊ एकर इंतजार कर रहले हल।

"ओह! तूँ फेर से ... कइसन आफत! लेकिन ... फेर से चूर्ण मिश्रित कइल जा सकऽ हइ", बुढ़उ बोललथिन, रूमाल से चेहरा आउ मनिश्का के पोंछते।

ई नेली के बहुत अचंभित कर देलकइ। ऊ हमन्हीं के गोस्सा के इंतजार करब करऽ हलइ, सोच रहले हल, कि ओकरा डाँटल-फटकारल जइतइ, बुरा-भला कहल जइतइ, आउ, शायद, ओकरा अचेतन रूप से, ई पल एहे चाही हल, ताकि बहाना मिल जाय तुरते रोना शुरू करे के, सिसके के, जइसन कि हिस्टीरिया में होवऽ हइ, फेर से चूर्ण फेंक देइ, जइसन कि अभी कइलके हल, हियाँ तक कि झुँझलाहट में कुछ तो तोड़ देइ, आउ ई सब से अपन सनकी, दुखदायक हृदय के संतुष्ट कर सकइ। अइसन सनक खाली रोगी के साथ हीं नञ् होवऽ हइ, आउ नञ् खाली नेली के साथ। जइसन कि अकसर अचेतन कामना के साथ कमरा में हम आगू-पीछू चहलकदमी करते रहऽ हलिअइ, ताकि जल्दी से जल्दी कोय हमरा अपमानित करइ चाहे कोय अइसन शब्द कहइ, जेकरा अपमान समझल जा सकइ, आउ जल्दी से जल्दी हम अपन गोस्सा केकरो पर निकास सकिअइ। औरतियन तो, ई तरह से अपन गोस्सा «निकासते», बिलकुल असली आँसू से रोवे लगी शुरू कर दे हइ, आउ ओकन्हीं में से अत्यंत भावुक लोग [*374] तो हिस्टीरिया के दौरा तक पहुँच जा हइ। ई मामला बहुत सरल आउ अत्यंत रोजमर्रा के आउ अकसर होवे वला हइ, जब कोय दोसरा हइ, जेकर दिल में केकरो नञ् जानल तकलीफ हइ आउ जेकरा ऊ बता देवे लगी तो चाहऽ हइ, लेकिन बता नञ् पावऽ हइ।

लेकिन अचानक ओकरा से अपमानित बुढ़उ डाक्टर के देवदूतीय दयालुता आउ सहिष्णुता से अचंभित होल, जेकरा से ऊ फेर से ओकर तेसरा चूर्ण के खुराक बनइलथिन, ओकरा बिन कोय झिड़की के एक्को शब्द बोलले, नेली अचानक शांत हो गेलइ। उपहास ओकर होंठ से गायब हो गेलइ, ओकर चेहरा पर लाली छा गेलइ, आँख गीला हो गेलइ; ऊ पल भर लगी हमरा दने तकलकइ आउ तुरते नजर हटा लेलकइ। डाक्टर ओकरा लगी दवाय लइलथिन। ऊ शांतिपूर्वक आउ भीरुता से ओकरा पी गेलइ, बुढ़उ के स्थूल लाल हाथ पकड़के, आउ धीरे-धिरे उनकर आँख में आँख डालके देखलकइ।

"तूँ ... गोसाल हकऽ ... कि हम खराब हियो", ऊ कहहीं जा रहले हल, लेकिन पूरा नञ् कर पइलकइ, रजाई के अन्दर घुस गेलइ, सिर छिपा लेलकइ आउ जोर-जोर से, हिस्टीरिया के दौरा नियन, रोवे लगलइ।

"ओ हमर बुतरू, मत रोवऽ ... कोय बात नञ् ... ई स्नायु हको; पानी पी ल।"

लेकिन नेली नञ् सुनलकइ।

"शांत हो जा ... परेशान मत होवऽ", ऊ बात जारी रखलथिन, खुद लगभग ओकरा पर ठुनकते, काहेकि ऊ बहुत संवेदनशील व्यक्ति हलथिन, "हम तोरा माफ करऽ हियो आउ तोरा से शादी कर लेबो, अगर तूँ अपन निम्मन व्यवहार से ईमानदार लड़की होबऽ ..."

"चूर्ण ले ल!" रजाई के अन्दर से घंटी नियन एगो धीमी स्नायविक (nervous laugh) हँसी सुनाय देलकइ, रोदन द्वारा बीच-बीच में रुकावट के साथ - जे हमरा लगी बहुत परिचित हँसी हलइ।

"निम्मन, कृतज्ञ बुतरू", हर्षित होल डाक्टर कहलथिन आउ अपन आँख में लगभग आँसू के साथ। "बेचारी लड़की!"

आउ ई समय से उनका आउ नेली के बीच एक प्रकार के विचित्र, आश्चर्यजनक सहानुभूति (प्रेम) शुरू हो गेलइ। हमरा साथ तो, एकर विपरीत, नेली अधिकाधिक उदास, परेशान आउ झुँझलाल रहलइ। हमरा समझ में नञ् आ रहले हल, कि कउची के एकर श्रेय देल जाय, आउ ओकरा पर अचंभित हलिअइ, खास करके ई बदलाव से, जे ओकरा में कइसूँ अचानक होलइ। रोग के पहिला कुछ दिन के दौरान ऊ हमरा साथ अत्यंत स्नेही आउ मधुर हलइ; लगऽ हलइ, हमरा दने से नजर हटा नञ् पावऽ हलइ, खुद से हमरा अलगे नञ् करऽ हलइ, अपन गरम हाथ से हमर हाथ जकड़ ले हलइ आउ हमरा अपन पास बैठा ले हलइ, आउ अगर नोटिस करऽ हलइ, कि हम उदास आउ चिंतित हिअइ, त हमरा प्रसन्न करे के प्रयास करऽ हलइ, मजाक करऽ हलइ, हमरा साथ खेलऽ हलइ आउ हमरा तरफ मुसका हलइ, स्पष्टतः अपन खुद के तकलीफ के दबइते। ऊ नञ् चाहऽ हलइ, कि हम रात में काम करिअइ, चाहे बैठके ओकर देखभाल करिअइ, आउ दुखी हो जा हलइ, ई देखके, कि हम ओकर बात के नञ् मानऽ हिअइ। कभी-कभी हम ओकरा में चिंता नोटिस करऽ हलिअइ; ऊ हमरा पूछताछ करे लगऽ हलइ आउ हमरा से मालुम करऽ हलइ, कि काहे लगी हम दुखी हिअइ, कि हमर दिमाग में की हइ; लेकिन विचित्र बात हलइ, कि जब हम नताशा के पास जा हलिअइ, त ऊ तुरतहीं चुप हो जा हलइ चाहे दोसरे कुछ के बारे बात करे लगऽ हलइ। ऊ मानु नताशा के बारे बात करे से बच्चे लगी चाहऽ हलइ, आउ ई हमरा अचंभित कर दे हलइ। जब हम आवऽ हलिअइ, त ऊ खुश हो जा हलइ। जब हम अपन हैट उठावऽ हलिअइ, त ऊ हमरा उदासी आउ कइसूँ विचित्र ढंग से देखऽ हलइ, मानु झिड़की के साथ, हमरा नजर से विदा करऽ हलइ।

ओकर बेमारी के चौठा दिन हम पूरे शाम आउ हियाँ तक कि आधी रात के बाद देर तक नताशा भिर बैठल रहलिअइ। हमन्हीं के तहिया कुछ के बारे चर्चा करे के हलइ। घर से जइते बखत, हम अपन रोगी के कहलिअइ, कि हम बहुत जल्दी वापिस अइबइ, [*375] जइसन कि हमरा भरोसा हलइ। नताशा के हियाँ अप्रत्याशित रूप से रह गेला पर, हम नेली के मामले में बेफिक्र हलिअइ - ऊ अकेल्ले नञ् हलइ। ओकरा साथ हलइ अलिक्सान्द्रा सिम्योनोव्ना, जेकरा मस्लोबोयेव से, जे हमरा हीं मिनट भर लगी अइले हल, पता चलले हल, कि नेली बेमार हइ आउ हम बड़गो तकलीफ में हिअइ आउ बिलकुल बेसहारा (अकेला)। हे भगमान, केतना परेशान होलइ उदार अलिक्सान्द्रा सिम्योनोव्ना -

"त, मतलब, ऊ हमन्हीं हीं भोजन पर नञ् अइता! ... आह, हे भगमान! आउ ऊ तो अकेल्ले हथिन, बेचारे, अकेल्ले। खैर, त हमन्हीं अब उनका अपन सौहार्द देखइबइ। अइकी अवसर मिललइ, त एकरा हमन्हीं के अइसीं नञ् जाय देवे के चाही।"

तुरते ऊ हमरा हीं उपस्थित होलइ, अपन साथ गाड़ी में एगो पूरा बोरा लेले। पहिला शब्द से घोषित करके, कि अब ऊ हमरा हीं से नञ् जइतइ, आउ ई लगी अइले ह, ताकि हमरा हमर तकलीफ में मदत कर सकइ, ऊ बोरा खोललकइ। ओकरा में हलइ सिरप (syrups), रोगी खातिर अचार, चूजा आउ मुर्गी, अगर कहीं रोगी के हालत सुधरे लगइ, त बिस्कुट लगी सेब, संतरा, कीव (Kiev) के शुष्क अचार (अगर डाक्टर अनुमति देथिन), आखिरकार, कपड़ा, बेडशीट, भोजन के बखत खातिर नैपकिन, स्त्री के कमीज, पट्टी (बैंडेज), पनकपड़ा (poultice) - मानु पूरा अस्पताल।

"सब कुछ तो हमन्हीं पास हइ", ऊ हमरा बोललइ, जल्दीए आउ दौड़धूप करते हरेक शब्द के उच्चारण करते, मानु कहीं जाय लगी ओकरा जल्दी हइ, "आउ अइकी अपने एगो अविवाहित नियन रहऽ हथिन। अपने के पास ई सब बहुत कम हइ। त हमरे अनुमति देथिन ... आउ फ़िलिप फ़िलिपिच अइसन औडर देलथुन हँ। अच्छऽ, अब की कइल जाय ... जरी जल्दी, जरी जल्दी! अभी की कइल जाय के चाही? ऊ कइसन हइ? होश में हइ? आह, केतना असुविधाजनक ढंग से पड़ल हइ, तकिया ठीक करे के चाही, ताकि ऊ अपन सिर निच्चे करके लेटइ, आउ जानऽ हथिन ... की चमड़ा के तकिया बेहतर होतइ? चमड़ा से तो ठंढी होवऽ हइ। आह, हम कइसन बेवकूफ हिअइ! हमर दिमागो में नञ् घुसलइ लावे खातिर। हम जाके ले आवऽ हिअइ ... की आग जलावे के जरूरत हइ? हम अपन बूढ़ी के अपने के हियाँ भेजऽ हिअइ। हमरा पास एगो परिचित बूढ़ी हइ। अपने के हियाँ कोय नौकरानी नञ् हइ ... खैर, अभी की कइल जाय? ई कउची हइ? जड़ी-बूटी ... डाक्टर साहब नुस्खा लिखलथिन हँ? शायद, औषधीय जड़ी-बूटी से तैयार चाय खातिर? अभिए जा हिअइ आउ आग जलावऽ हिअइ।"

लेकिन हम ओकरा शांत कइलिअइ, आउ ओकरा बहुत अचरज होलइ आउ हियाँ तक कि उदास हो गेलइ, कि काम तो ओतना जादे नञ् लगऽ हइ। ई, लेकिन, ओकरा बिलकुल हताश नञ् कइलकइ। ऊ नेली के साथ तुरते दोस्ती कर लेलकइ आउ ओकर बेमारी के दौरान पूरे समय मदत कइलकइ, हमन्हीं हीं लगभग रोज भेंट दे हलइ आउ हमेशे अइसन मुद्रा में आवइ, मानु कुछ तो खो गेलइ चाहे कहीं तो चल गेलइ आउ जल्दी से जल्दी पकड़े के चाही। ऊ हमेशे ई बात कहऽ हलइ, कि एहे फ़िलिप फ़िलिपिच के औडर हइ। नेली के ऊ बहुत पसीन पड़लइ। ओकन्हीं एक दोसरा के, दू गो बहिन नियन, प्यार करे लगलइ, आउ हमरा लगऽ हइ, कि अलिक्सान्द्रा सिम्योनोव्ना कइएक मामले में ठीक ओइसने बुतरू हलइ, जइसन कि नेली। ऊ ओकरा विभिन्न तरह के कहानी सुनावऽ हलइ, ओकर मनोरंजन करऽ हलइ, आउ नेली बाद में अकसर बोर होवऽ हलइ, जब अलिक्सान्द्रा सिम्योनोव्ना घर चल जा हलइ। ओकर हमन्हीं हीं पहिलउके उपस्थिति हमर रोगी के अचंभित कर देलकइ, लेकिन ऊ तुरते अंदाज लगा लेलकइ, कि काहे लगी बिन आमंत्रित अतिथि अइले हल, आउ, अपन आदत के मोताबिक, नाक-भौं सिकोड़लकइ, चुप आउ अशिष्ट हो गेलइ।

"ऊ हमन्हीं हीं काहे लगी अइलइ?" नेली पुछलकइ मानु नराज मुद्रा में, जब अलिक्सान्द्रा सिम्योनोव्ना चल गेलइ।

[*376]  "तोरा मदत करे खातिर, नेली, आउ तोर देखभाल करे लगी।"

"लेकिन कउची? ... काहे लगी? आखिर हम तो ओकरा लगी अइसन कुछ नञ् कइलिए ह।"

"दयालु लोग एकर इंतजार में नञ् रहऽ हथिन, कि उनकन्हीं लगी कुछ नञ् कइल गेलइ, नेली। उनकन्हीं अइसूँ ओइसन लोग के मदत करते जा हथिन, जेकरा जरूरत पड़ जा हइ। बहुत हो गेलउ, नेली; दुनियाँ में बहुत जादे उदार लोग हथिन। ई तो खाली तोर बदकिस्मती हउ, कि अभी तक अइसन लोग से भेंट नञ् होलउ आउ न तोरा भेंट होलउ, जब तोरा जरूरत हलउ।"

नेली चुप हो गेलइ; हम ओकरा भिर से दूर चल गेलिअइ। लेकिन पनरह मिनट बाद ऊ खुद धीमे स्वर में हमरा अपना भिर बोलइलकइ, कुछ पीए लगी मँगलकइ आउ अचानक हमरा गले से लगा लेलकइ, हमर छाती से चिपकल रहलइ आउ देर तक हमरा अपन हाथ से नञ् छोड़लकइ। दोसरा दिन, जब अलिक्सान्द्रा सिम्योनोव्ना अइलइ, त ऊ ओकरा खुशी से मुसकइते स्वागत कइलकइ, लेकिन मानु अभियो कोय कारणवश ओकरा से लजइते रहलइ।

 

भूमिका               भाग 4, अध्याय 1              भाग 4, अध्याय 3 

No comments: