दृश्य-4
(मिश्का आउ ओसिप)
ओसिप
- एकरा काहाँ रक्खल जाय ?
मिश्का
- हियाँ, चचा, हियाँ ।
ओसिप
- ठहर, जरी सुस्ताय लेवे दे । आह, कइसन दयनीय जिनगी हइ ! जब पेट खाली रहऽ हइ, त सब
बोझा भारी लगऽ हइ ।
मिश्का
- चचा, जरी बतावऽ - की जेनरल (सेनापति) जल्दीए आवे वला हथिन ?
ओसिप
- कउन जेनरल ?
मिश्का
- तोर मालिक ।
ओसिप
- मालिक ? लेकिन ऊ कइसन जेनरल हथिन ?
मिश्का
- त की वास्तव में जेनरल नयँ हथिन ?
ओसिप
- जेनरल हथिन, लेकिन खाली दोसरा तरह के ।
मिश्का
- की ? ई वास्तविक जेनरल से जादे हथिन कि कम ?
ओसिप
- जादे ।
मिश्का
- कीऽ ! ओहे से हमन्हीं हीं अइसन हलचल मचल हइ ।
ओसिप
- सुन, बेटा - तूँ तो, हमरा लगऽ हउ, समझदार लड़का हकँऽ; कुछ तो खाय के इंतजाम कर ।
मिश्का
- लेकिन, चचा, तोरा लगी कुच्छो तैयार नयँ हको । रूखा-सूखा तूँ खइबहो नयँ, आउ अइकी जब
तोर मालिक खाय लगी टेबुल भिर बैठथुन, त तोहरो लगी ओहे खाना लगावल जइतो ।
ओसिप
- अच्छऽ, लेकिन रूखा-सूखा तोहरा हीं की हको ?
मिश्का
- पतकोबी के सूप आउ कचौड़ी ।
ओसिप
- ठीक हइ, पतकोबी के सूप, काशा आउ कचौड़िए सही ! कोय बात नयँ, सब कुछ खइबइ । खैर, ट्रंक
के ढोके ले जाल जाय ! की, कोय दोसर दरवाजा हइ ?
मिश्का
- हकइ ।
(दुन्नु मिलके ट्रंक ढोके बगल वला कमरा
में ले जइते जा हइ ।)
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