दृश्य-9
(ओहे सब आउ मेयर)
मेयर
- (दबे पाँव प्रवेश करते) श्श्श ! ... श्श्श ! ...
आन्ना
अंद्रेयेव्ना - की बात हइ ?
मेयर
- काश, हम एतना जादे नयँ पिलइतिए हल ! लेकिन एकरा से की, अगर बल्कि ऊ जे कुछ बोललइ
ओकरा में आधो सच हइ ? (चिंतन मुद्रा में) आउ ई कइसे सच नयँ हो सकऽ हइ ? जब पीके अदमी
धुत्त हो जा हइ, त सब कुछ बहरसी आ जा हइ - जे दिल में हइ, ओहे जीभ पर । वस्तुतः जरी-मनी
बात बढ़ा-चढ़ाके बोललइ; लेकिन कइसनो बात बिन नमक-मिर्च लगइले बोललो तो नयँ जा हइ । मंत्री
लोग के साथ ताश खेलऽ हइ आउ राजमहल अइते-जइते रहऽ हइ ... त अइकी, सचमुच, जेतने जादे
सोचऽ हो ... शैताने ओकरा जानऽ हइ, तोरा मालुम नयँ पड़तो कि तोर दिमाग में की चल रहलो
ह; बस मानूँ लगतो कि कइसनो घंटाघर के उपरे खड़ी हकऽ, चाहे लगतो कि तोरा फाँसी पर लटकावे
लगी चाहते जा हको ।
आन्ना
अंद्रेयेव्ना - लेकिन हमरा तो कइसनो भीरुता बिलकुल नयँ अनुभव होलइ; हमरा तो ओकरा में
एगो शिक्षित, शिष्ट, उच्च चाल-चलन के व्यक्ति देखाय देलकइ, आउ ओकर पदवी के बारे हमरा
कोय जरूरत नयँ ।
मेयर
- अरे, तूँ सब - औरत ! बस हो गेलो, खाली ई एक्के शब्द काफी हको ! तोहन्हीं सब लगी खाली
- साज-शृंगार ! अचानक कुछ ई नयँ तो ऊ बक देना । तोहरा पर कोड़ा बरसइतो, बस खिस्सा खतम,
लेकिन पति बिन कोय अता-पता के गायब हो जइतो । तूँ तो, हमर प्रिये, ओकरा साथ एतना सहजता
से बरताव कइलहो, मानूँ ऊ कोय दोबचिन्स्की होवे ।
आन्ना
अंद्रेयेव्ना - एकरा बारे तो हम सुझाव दे हिअइ कि अपने बेफिकिर रहथिन । हमन्हीं कइसूँ
सम्हार लेवे के तिकड़म जानऽ हिअइ ... (अपन बेटी दने देखऽ हका ।)
मेयर
- (स्वगत) हूँ, तोरा से तो बाते करना फिजूल हइ ! ... वास्तव में ई कइसन अप्रत्याशित
घटना हइ ! अभियो तक हमर मन से भय नयँ दूर हो पा रहल ह । (दरवाजा खोलऽ हका आउ ओकरा से
होके बोलऽ हका।) मिश्का, दुन्नु सिपाही स्विस्तुनोव आउ देर्झिमोर्दा के बोलाके लाव
- ओकन्हीं हिएँ नगीच में कहीं परी गेट के पीछू होतउ । (कुछ देर के चुप्पी के बाद) आझकल
दुनियाँ में सब कुछ में विचित्र बदलाव हो चुकले ह - कइसूँ तो ई अदमी देखाय दे हलइ,
लेकिन बिलकुल दुब्बर-पातर - कइसे पछानल जाय कि ऊ केऽ हइ ? मिलिट्री वरदी में कइसूँ
पछान में आ जा हइ, लेकिन जइसीं फ्रॉक-कोट धारण कर ले हइ (अर्थात् सिविल ड्रेस में हो
जा हइ) - त पक्का कतरल पंख वला एगो मक्खी नियन लगऽ हइ । लेकिन बहुत देर तक सराय में
जम्मल रहलइ, अन्योक्ति अलंकार में आउ गोल-गोल बात कइलकइ, लगइ कि शताब्दी भर में भी
ओकरा बारे कुछ पता नयँ लगा पइबइ । लेकिन अइकी आखिर समर्पण कर देलकइ । आउ बहुत कुछ जरूरत
से जादहीं बोल गेलइ । ई बात साफ हइ, कि ई अदमी अभी नवयुवक हइ ।
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