विजेट आपके ब्लॉग पर

Friday, May 19, 2017

विश्वप्रसिद्ध रूसी नाटक "इंस्पेक्टर" ; अंक-3 ; दृश्य-8

दृश्य-8
(आन्ना अंद्रेयेव्ना आउ मारिया अंतोनोव्ना)
आन्ना अंद्रेयेव्ना - आह, केतना मनोहर !
मारिया अंतोनोव्ना - आह, केतना प्यारा !
आन्ना अंद्रेयेव्ना - लेकिन केतना परिष्कृत शिष्टाचार ! देखके तुरतम्मे समझल जा सकऽ हइ कि रजधानी के व्यक्ति हइ । ई सब्भे व्यवहार ... आह, केतना सुंदर ! अइसन नवयुवक लोग हमरा भयंकर रूप से पसीन पड़ऽ हइ ! हम तो बस अपन होश खो बैठऽ हूँ । उनका तो हम बहुत अधिक पसीन पड़लिअइ; हम नोटिस कइलिअइ - हमेशे हमरा पर नजर गड़इले रहला ।
मारिया अंतोनोव्ना - आह, माय, ऊ तो हमरा दने तक रहलथिन हल !
आन्ना अंद्रेयेव्ना - मेहरबानी करके अपन बकवास अलगे ले जो ! ई हियाँ परी बिलकुल नयँ फिट बैठऽ हउ ।
मारिया अंतोनोव्ना - नयँ, माय, सच में !
आन्ना अंद्रेयेव्ना - ले देखहीं ! भगमान बचावे, बहस करे से ! ई संभव नयँ, बस ! काहाँ परी उनका तोरा निहारे के हउ ? आउ काहे लगी उनका तोरा निहारे के चाही ?
मारिया अंतोनोव्ना - सच माय, ऊ पूरे समय हमरा निहार रहलथिन हल । आउ जब ऊ साहित्य के बारे बोले लगलथिन, त हमरा दने तकलथिन, आउ बाद में, जब ऊ बता रहलथिन हल, कि ऊ राजदूत लोग के साथ ह्विस्ट खेलऽ हलथिन, तखनियों हमरा दने देखलथिन ।
आन्ना अंद्रेयेव्ना - अच्छऽ, शायद, एकाऽ तुरी, आउ अइसीं, शिष्टाचार खातिर, बस । "ओह", खुद से बोलऽ होथिन, "ओकरो दने जरी देख लेवे के चाही !"

  
सूची            पिछला                     अगला

No comments: