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Thursday, May 25, 2017

विश्वप्रसिद्ध रूसी नाटक "इंस्पेक्टर" ; अंक-4 ; दृश्य-1

अंक -4
(मेयर के घर के ओहे कमरा)
दृश्य-1
(सवधानी से लगभग चौआ पर चलते, पूरे औपचारिक परिधान आउ वरदी में, अंदर प्रवेश करते जा हका - आम्मोस फ़्योदरोविच, अरतेमी फ़िलिप्पोविच, पोस्टमास्टर, लुका लुकीच, दोबचिन्स्की आउ बोबचिन्स्की । पूरा दृश्य आधा फुसफुसाहट में ।)
आम्मोस फ़्योदरोविच (जज) - (सब के अर्द्धवृत्त में खड़ी करऽ हका) भगमान खातिर, भद्रजन, जल्दी से वृत्ताकार रूप में खड़ी हो जइते जाथिन, आउ जरी अपन स्थान पर रहते जाथिन ! भगमान उनकर भला करथिन - ऊ राजमहल आवऽ-जा हका, आउ राज्य परिषद् के फटकारऽ हका ! मिलिट्री फैशन में लाइन में खड़ी होते जाथिन, बिलकुल मिलिट्री फैशन में ! अपने, प्योत्र इवानोविच, जल्दी से ई तरफ आ जाथिन, आउ अपने प्योत्र इवानोविच हुआँ खड़ी हो जाथिन ।
(दुन्नु प्योत्र इवानोविच चौआ पर तेजी से जा हका ।)
अरतेमी फ़िलिप्पोविच (अनुदान संस्था के न्यासी) - अपने के मर्जी, आम्मोस फ़्योदरोविच, लेकिन हम सब के कुछ न कुछ तो करे के चाही ।
आम्मोस फ़्योदरोविच - लेकिन ठीक-ठीक कउची ?
अरतेमी फ़िलिप्पोविच - ई तो जाहिर हइ कि कउची ।
आम्मोस फ़्योदरोविच - कुछ चुपके चोरी सरका देवे के चाही ?
अरतेमी फ़िलिप्पोविच - हाँ, बल्कि चोरी चुपके कुछ सरका देवे के बात काहे नयँ होवे ।    
आम्मोस फ़्योदरोविच - ई तो खतरनाक काम हइ, भाड़ में जाय ! हम सब पर चिल्लइता - ऊ तो सरकारी अदमी हथिन । लेकिन हाँ, कइसनो स्मारक के खातिर अभिजात वर्ग (gentry) के तरफ से चंदा के रूप में हो सकऽ हइ ।
पोस्टमास्टर - आउ नयँ तो - "अइकी, डाक से पैसा अइलइ, मालुम नयँ केकरा लगी ।"    
अरतेमी फ़िलिप्पोविच - सावधान, कहीं अपनहीं के डाक से ऊ कहीं आउ दूर नयँ पठा देथुन । सुनथिन - अइसन काम एगो सुव्यवस्थित राज्य में नयँ कइल जा हइ । काहे लगी हियाँ परी पूरा स्क्वैड्रन (संगठित दल) हिअइ ? जरूरत हइ एक-एक करके खुद के पेश करे के, आउ आँख से आँख मिलाके आउ ई तरह ... जइसन कि होवे के चाही ... ताकि लोग के कानो-कान खबर नयँ होवे । अइसीं एगो सुव्यवस्थित समाज में कइल जा हइ! अच्छऽ, त अपने, आम्मोस फ़्योदरोविच, सबसे पहिले शुरू करथिन ।
आम्मोस फ़्योदरोविच - नयँ, बेहतर अपने पहिले । अपने के संस्था में ई विशिष्ट आगंतुक रोटी के स्वाद लेलथुन।
अरतेमी फ़िलिप्पोविच - नयँ, बेहतर होतइ कि युवा वर्ग के प्रबोधक के हैसियत से लुका लुकीच पहिले ।
लुका लुकीच - नयँ भद्रजन, नयँ, हमरा से ई नयँ होतइ । हम स्वीकार करऽ हिअइ, हमर पालन-पोषण अइसन होले ह, कि अगर एक रैंक के ऊपर वला कोय हमरा से बात करऽ हथिन, त हम ठक हो जा हिअइ आउ लगऽ हइ जइसे हमर जीभ कीचड़ में फँस गेलइ । नयँ भद्रजन, हमरा क्षमा करथिन, किरपा करके क्षमा करथिन !
अरतेमी फ़िलिप्पोविच - हाँ, आम्मोस फ़्योदरोविच, अपने के अलावे आउ कोय नयँ हइ । अपने के मुँह से कइसनो शब्द निकसलइ, कि मानूँ सिसेरोन (Cicero) उड़के अइलथिन ।
आम्मोस फ़्योदरोविच - की कहऽ हथिन ! की कहऽ हथिन - सिसेरोन ! देखथिन, कइसन बात सोचलथिन ! हाँ, जब कभी घरेलू कुत्ता चाहे बोर्ज़्वा (borzoi) के बारे बात करे लगऽ हिअइ, त भावना में बह जा हिअइ ...
सब्भे - (उनका प्रेरित करते) नयँ, अपने खाली कुत्ता के मामले में नयँ, बल्कि खलबली मचावे में भी ... नयँ, आम्मोस फ़्योदरोविच, हम सब के परित्याग नयँ करथिन, हम सब के पिता (अर्थात् संरक्षक) बनथिन ! ... नयँ, आम्मोस फ़्योदरोविच !
आम्मोस फ़्योदरोविच - भद्रजन, हमरा अकेल्ले छोड़ देते जाथिन !
(एतने में ख़्लिस्ताकोव के कमरा में कदम के आहट आउ खोंखे के अवाज सुनाय दे हइ । सब लोग दरवाजा दने लपकल जइते जा हका, एक दोसरा से टकरा जा हका आउ बहरसी निकसे के प्रयास करते जा हका, एकर बिन परवाह कइले कि कोय एकरा चलते कुचला जा हइ कि नयँ । आधा फुसफुसाहट में उद्गार सुनाय पड़ऽ हइ ।)
बोबचिन्स्की के अवाज - अरे, अरे, प्योत्र इवानोविच, प्योत्र इवानोविच ! हमर गोड़वा पर अपन गोड़ रख देलऽ !
ज़िमल्यानिका के अवाज - भद्रजन, हमर गोड़वा पर से हटते जा ! दया करते जा ! हमरा तो रौंद देते गेलऽ !
(कइएक "ओह !", "आह" जइसन कष्ट भरल उद्गार सुनाय पड़ऽ हइ । आखिरकार सब्भे एक दोसरा के धकिअइते बहरसी निकस जइते जा हइ, आउ कमरा खाली हो जाइ ।)

  
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