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Thursday, May 25, 2017

विश्वप्रसिद्ध रूसी नाटक "इंस्पेक्टर" ; अंक-4 ; दृश्य-2

दृश्य-2
(ख़्लिस्ताकोव अकेला, आँख मलते प्रवेश)
ख़्लिस्ताकोव - (स्वगत) हम, लगऽ हइ, खर्राटा भरके निम्मन से सुतलिअइ । काहाँ से ओकन्हीं के अइसन गद्दा आउ पंख वला बिस्तर मिल गेलइ ? पसेने-पसेने भी हो गेलूँ । लगऽ हइ, कल्हे हमर भोजन में कुछ तो डाल देते गेले हल - हमर सिर में अभियो तलक दरद हके । हियाँ परी, जइसन कि हमरा देखाय दे हइ, आनंद से कुछ समय गुजार सकऽ हिअइ । हमरा सुंदर आवभगत पसीन पड़ऽ हइ, आउ हम स्वीकार करऽ हिअइ, कि हमरा आउ जादे पसीन पड़ऽ हइ अगर हमर आवभगत स्वार्थवश नयँ, बल्कि पवित्र हृदय से कइल जा हइ । आउ मेयर के बिटिया बहुत निम्मन हइ, आउ ओकर माय भी ठीके होतइ ... नयँ, हमरा मालुम नयँ, लेकिन हमरा सचमुच अइसन जिनगी पसीन पड़ऽ हइ ।

   
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