विजेट आपके ब्लॉग पर

Monday, August 09, 2021

रूसी उपन्यास "अपमानित आउ तिरस्कृत": भाग 1; अध्याय 10

                                  [*207]

                                  अपमानित आउ तिरस्कृत

भाग 1

अध्याय 10

स्मिथ के मौत के पाँच दिन बाद हम ई फ्लैट में स्थानान्तरित हो गेलिअइ। ऊ पूरा दिन हम बरदास के बाहर उदास हलिअइ। मौसम बरसाती आउ ठंढा हलइ; भींगा बरफ गिर रहले हल, बीच-बीच में बारिस के साथ। खाली शाम होवे के बखत एक पल खातिर सूर्य देखाय देलकइ आउ एक प्रकार के गुमराह किरण, मानु उत्सुकतावश, हमर कमरा में भी हुलकलइ। हमरा हियाँ स्थानान्तरित होवे के पछतावा होवे लगल। कमरा, लेकिन, बड़गो हलइ, लेकिन छत एतना निचगर, कारिख से भरल, फफूँदियाहा (musty) आउ कुछ फर्नीचर के बावजूद एतना अप्रिय रूप से खाली हलइ। तभिए हम सोचलिअइ, कि पक्का अपन बच्चल स्वास्थ्य भी ई फ्लैट में हम बरबाद कर लेम। आउ अइसीं होलइ।

ई पूरे सुबह हम अपन कागज-पत्तर में व्यस्त रहलिअइ, उलट-पुलटके ओकरा क्रमबद्ध करते। सूटकेस नञ् रहला के चलते हम ओकरा तकिया के खोल में लइलिअइ; ई सब कुछ मचुरा गेले हल आउ अस्त-व्यस्त हो गेले हल। बाद में हम लिक्खे लगी बैठ गेलिअइ। हम अभियो तक तखने अपन बड़का उपन्यास लिख रहलिए हल; लेकिन काम फेर से हाथ से निकस गेलइ; हमर दिमाग दोसर चीज से भरल हलइ ...

हम लेखनी फेंक देलिअइ आउ खिड़की बिजुन बैठ गेलिअइ। अँधेरा छाय लगलइ, आउ हम अधिकाधिक उदास होते गेलिअइ। विभिन्न तरह के भारी विचार हमरा पर हावी हो गेलइ। हमरा लगातार लग रहल हल, कि पितिरबुर्ग में, आखिरकार, मर जाम। वसंत नगीच आ रहले हल; हमरा स्वास्थ्यलाभ होतइ, लगऽ हइ, अइसन हम सोचलिअइ, ई बंद कोठरी से दिन के उजाला में निकसके, खेत आउ जंगल के गंध के साथ साँस लेके - लेकिन एतना लमगर अवधि तक हम ई सब नञ् देख पइलिअइ! ... हमरा आद आवऽ हइ, हमर दिमाग में एहो विचार अइलइ, केतना निम्मन होवइ, अगर कइसनो जादू चाहे चमत्कार से हम ऊ सब कुछ भूल जइअइ, जे बीत गेलइ, जे हाल के कुछ साल में हम अनुभव कइलिअइ; सब कुछ भूल जइअइ, अपन दिमाग के ताजा करिअइ आउ फेर से नयका ऊर्जा से शुरू करिअइ। तहिनो हम एकरा बारे सपना देखऽ हलिअइ आउ नयका जिनगी के आशा करऽ हलिअइ। "कम से कम पागलखानो चल जाय के चाही की", हम आखिरकार फैसला कइलिअइ, "ताकि हमर सिर के मस्तिष्क कइसूँ उलट-पलट जाय आउ नया तरह से क्रमबद्ध हो जाय, आउ बाद में फेर से इलाज करावल जाय।" हमरा जीवन के पिपासा हलइ आउ ओकरा में विश्वास! ... लेकिन, आद पड़ऽ हइ, हम तबहिएँ हँस पड़लिअइ। "पागलखाना से वापिस अइला पर की कइल जाय के चाही? की वास्तव में फेर से उपन्यास लिक्खल जाय? ...

ई तरह हम सपनाऽ हलिअइ आउ शोक मनावऽ हलिअइ, लेकिन ई दौरान समय गुजर रहले हल। रात अइलइ। ई शाम के हम नताशा के साथ भेंट करे के वचन देल हलइ; ऊ एक दिन पहिलहीं हमरा पत्र भेजलके हल कि जाके ओकरा से मिलिअइ। हम उछल गेलिअइ आउ तैयार होवे लगलिअइ। एकरो बेगर हमरा जल्दी से जल्दी बल्कि कहूँ फ्लैट से निकसके बाहर जाय के हलइ, बल्कि बारिस होवे, चाहे कादो रहे।

जइसे जइसे अन्हेरा होल जा हलइ, हमर कमरा मानु आउ विस्तृत होल जा हलइ, मानु ऊ लगातार बृहत् से बृहत्तर होल जा हलइ। हमरा लगऽ हलइ, कि हरेक रात के हरेक कोना में हम स्मिथ के देखबइ - ऊ बैठल रहतइ आउ हमरा एकटक देखते रहतइ, जइसे कि मिठाय के दोकान में आदाम इवानोविच के देखते रहऽ हलइ, आउ ओकर गोड़ भिर अज़ोर्का रहतइ। आउ अइकी एहे पल हमरा साथ एगो अइसन घटना घटलइ, जे हमरा प्रचंड रूप से प्रभावित कइलकइ।

लेकिन, हमरा साफ-साफ ई सब बात के स्वीकार करे के चाही - या तो स्नायु के अव्यवस्था के कारण होवे, चाहे नयका फ्लैट में नयका छाप (impressions), चाहे हाल के [*208] उदासी के कारण, लेकिन हम धीरे-धीरे आउ चरणबद्ध रूप से, ठीक गोधूलि वेला शुरू होवे के बाद से, अइसन मानसिक स्थिति में पड़े लगलिअइ, जे हमरा एतना अकसर अब होवऽ हइ, हमर रोग में, रात के दौरान, आउ जेकरा हम रहस्यमय आतंक  कहऽ हिअइ। ई अत्यंत भारी, कष्टकारी भय हइ कोय चीज के, जेकरा हम खुद परिभाषित नञ् कर सकऽ हिअइ, जे अबोधगम्य आउ अविद्यमान हइ, लेकिन जे पक्का, शायद, एहे पल, सही हो जा सकऽ हइ, मानु तर्क के सब निष्कर्ष के मजाक के रूप में हमरा तरफ अइतइ आउ हमरा सामने प्रकट हो जइतइ, एगो भयंकर, विकृत आउ निर्दय अकाट्य तथ्य के रूप में। ई भय साधारणतः लगातार अधिकाधिक प्रबल आउ प्रबलतर होल जा हइ, तर्क द्वारा सब विरोध के बावजूद, हियाँ तक कि आखिरकार बुद्धि, ई बात के बावजूद, कि अइसन समय में, शायद, आउ बड़गर स्पष्टता प्राप्त कर ले हइ, तइयो विरोधी संवेदना के हर संभावना के खो दे हइ। एकर बात नञ् मानल जा हइ, ई बेकार हो जा हइ, आउ ई द्विभाजन (dichotomy) आशा के भयंकर उदासी आउ जादे शक्तिशाली होते जा हइ। हमरा लगऽ हइ, कि आंशिक रूप से लोग के अइसन उदासी ओकरा होवऽ हइ, जे मरल लोग से डरऽ हइ। लेकिन हमर उदासी में खतरा के अनिश्चितता यातना के आउ जादे बढ़ा दे हइ।

हमरा आद पड़ऽ हइ, हम अपन पीठ दरवाजा दने करके खड़ी हलिअइ आउ टेबुल पर से टोपी लेब करऽ हलिअइ, आउ अचानक ठीक एहे पल हमर दिमाग में विचार अइलइ, कि जब हम पीछू तरफ मुड़बइ, त पक्का स्मिथ के देखबइ - शुरू में ऊ धीरे से दरवाजा खोलतइ, दहलीज पर खड़ी रहतइ आउ कमरा में नजर डालतइ; फेर शांतिपूर्वक, अपन मूड़ी गोतले, अन्दर अइतइ, हमरा सामने खड़ी हो जइतइ, हमरा दने अपन धुँधला नजर से एकटक तकतइ आउ अचानक हमर अँखिया के सामने, दीर्घ, दंतहीन आउ अश्रव्य  हँसी हँसतइ, आउ ओकर पूरा देह काँपतइ आउ ई हँसी से देर तक झुलते रहतइ। ई सब दृश्य अचानक हमर कल्पना में अत्यंत उज्ज्वल आउ स्पष्ट चित्रित हो गेलइ, आउ एकरा अलावे अचानक बिलकुल पूरा, अत्यंत दुर्निवार विश्वास बैठ गेलइ, कि ई सब पक्का, अनिवार्य रूप से होतइ, कि ई होइयो गेलइ, लेकिन हमरा खाली देखाय नञ् दे हइ, काहेकि हम दरवाजा के तरफ पीठ कइले खड़ी हिअइ, कि ठीक एहे पल, शायद, दरवाजा खुल रहले ह। हम तेजी से चारो तरफ नजर डललिअइ, आउ की देखलिअइ? - दरवाजा वास्तव में खुललइ, धीरे से, बिन अवाज के, बिलकुल ओइसीं, जइसे पल भर पहिले हमरा लगले हल। हम चीख पड़लिअइ। देर तक कोय नञ् प्रकट होलइ, मानु दरवाजा खुद्दे खुल गेलइ; अचानक दहलीज पर एगो विचित्र जीव प्रकट होलइ; जेकर आँख, जेतना कि हम अन्हरवा में देख पइलिअइ, हमरा दने एकटक आउ अविचल रूप से देख रहले हल। हमर पूरे देह में सिहरन दौड़ गेलइ। अत्यंत भयंकर दृश्य के रूप में, हम देखलिअइ, कि ई एगो बुतरू हइ, लड़की, आउ अगर ई खुद स्मिथ भी होते हल, त ओहो, शायद, हमरा एतना नञ् डरइते हल, जेतना कि हमर कमरा में अइसन घड़ी आउ अइसन पल में अनजान बुतरू के ई विचित्र, अप्रत्याशित प्रकट होना।

हम पहिलहीं उल्लेख कर चुकलिए ह, कि दरवाजा ऊ खोललकइ अइसन अश्रव्य अवाज में आउ एतना धीरे-धीरे, मानु अन्दर आवे में डरऽ हलइ। प्रकट होके, ऊ दहलीज पर खड़ी रहलइ आउ देर तक हमरा दने अचरज से, आउ लगभग स्तब्ध होल, देखते रहलइ; आखिरकार शांतिपूर्वक, धीरे-धीरे दू डेग आगू बढ़लइ आउ हमरा सामने रुक गेलइ, अभियो तक बिन कोय शब्द बोलले। हम ओकरा नगीच से देखलिअइ। ई एगो बारह चाहे तेरह साल के लड़की हलइ, [*209] छोटगर कद के, पतरी, पीयर, मानु अभी-अभी भयंकर बेमारी से उठले हल। ओकर बड़गर कार आँख आउ उज्ज्वल चमक रहले हल। बामा हाथ से ऊ छाती पर एगो पुरनका, फट्टल-फुट्टल शाल डालले हलइ, जेकरा से ऊ अपन छाती के, जे शाम के ठंढक से अभियो ठिठुर रहले हल, ढँकले हलइ। ओकर पोशाक के कहल जा सकऽ हलइ कि पूरा जीर्ण-शीर्ण हलइ; घना कार केश में लट्टा हलइ आउ कंगही कइल नञ् हलइ। हमन्हीं अइसीं दू मिनट तक खड़ी रहलिअइ, एकटक एक दोसरा के देखते।

"नाना काहाँ हथिन?" ऊ पुछलकइ, आखिरकार, मोसकिल से सुनाय देवे वला आउ भर्राल अवाज में, मानु ओकर छाती चाहे गला में कोय तकलीफ हलइ।

हमर सब रहस्यपूर्ण भय ई प्रश्न के साथ दूर हो गेलइ। स्मिथ के बारे जाँच कइल गेलइ; अप्रत्याशित रूप से ओकर आँख में आँसू आ गेलइ।

"तोर नाना? लेकिन ऊ तो आखिर मर चुकलथुन!" हम अचानक कह देलिअइ, ओकर प्रश्न के उत्तर देवे लगी बिलकुल बिन तैयारी कइले, आउ तुरतम्मे हमरा पछतावा होलइ। मिनट भर ऊ तो ओइसने स्थिति में रहलइ आउ अचानक ओकर पूरा देह काँपे लगलइ, लेकिन एतना जोर-जोर से, मानु ओकरा में कइसनो खतरनाक स्नायविक दौरा (nervous fit) पड़े जा रहले हल। हम ओकरा सहारा देवहीं जा रहलिए हल कि ऊ कहीं गिर नञ् जाय। कुछ मिनट के बाद ओकरा बेहतर लगलइ, आउ हम साफ-साफ देखलिअइ, कि ऊ अपने ऊपर अस्वाभाविक प्रयास कर रहले ह, हमरा सामने अपन उत्तेजना के छिपावे खातिर।

"माफ कर दे, माफ कर दे हमरा, लड़की! माफ कर दे, हमर बुतरू!" हम बोललिअइ, "हम एतना अचानक तोरा बता देलिअउ, लेकिन शायद, अइसन बात नञ् हउ ... अभगली! ... तूँ केकरा खोजऽ हीं? बुढ़उ, जे हियाँ रहऽ हलथिन?"

"हाँ", ऊ प्रयास करके फुसफुसइलइ आउ हमरा तरफ बेचैनी से देखते।

"उनकर सरनेम स्मिथ हलइ? हइ न?"

"ह-हाँ!"

"त ऊ ... हाँ, त ऊ मर गेलथुन ... खाली तूँ उदास मत हो, हमर दुलारी। तूँ पहिले काहे नञ् अइलहीं? तूँ अभी काहाँ से आ रहलहीं हँ? उनका कल्हे दफना देवल गेलइ; ऊ अचानक मर गेलथुन, बिलकुल अचानक ... त तूँ उनकर नतनी हकहीं?"

लड़की हमर त्वरित आउ अनर्गल प्रश्न के उत्तर नञ् देलकइ। चुपचाप ऊ मुड़ गेलइ आउ शांति से कमरा से चल पड़लइ। हमरा एतना अचरज होलइ, कि हम ओकरा न रोक पइलिअइ आउ न आगू कुछ पूछ पइलिअइ। ऊ एक तुरी आउ दहलीज पर रुकलइ, आउ हमरा तरफ आधा मुड़के, पुछलकइ - "अज़ोर्का बी मर गेलइ?"

"हाँ, अज़ोर्का भी मर गेलइ।" हम उत्तर देलिअइ, आउ हमरा ओकर प्रश्न विचित्र लगलइ - मानु ओकरा पक्का विश्वास हलइ, कि अज़ोर्का पक्का बुढ़उ के साथहीं मर जाय के चाही हल। हमर उत्तर सुन लेला पर, लड़की बिन कोय अवाज कइले कमरा से निकस गेलइ, सावधानी से अपन पीछू दरवाजा बन्द करते।

एक मिनट के बाद हम ओकर पीछू दौड़ल गेलिअइ, भयंकर रूप से झुँझलाल, कि हम ओकरा जाय कइसे देलिअइ! ऊ एतना शांति से बाहर निकसलइ, कि हमरा सुनाइयो नञ् देलकइ, जब ऊ ज़ीना पर के दोसरा दरवाजा खोललकइ। ज़ीना पर से ऊ अभियो उतर नञ् पइलके होत, हम सोचलिअइ, आउ हम प्रवेशमार्ग में सुन्ने लगी रुक गेलिअइ। लेकिन सब कुछ शांत हलइ, आउ कउनो कदम के आहट नञ् सुनाय दे हलइ। खाली कहीं तो निचला मंजिला पर दरवाजा बंद होवे के अवाज सुनाय पड़लइ, आउ फेर से सब कुछ शांत हो गेलइ।

[*210] हम तेजी से ज़ीना से उतरके निच्चे गेलिअइ। ज़ीना सीधे हमर फ्लैट से, पचमा मंजिला से चौठा मंजिला पर, सर्पिल (spiral) आकार में जा हलइ; चौठा से सीधा शुरू होवऽ हलइ। ई गंदा हलइ, करिया आउ हमेशे अन्हार ज़ीना, अइसनकन में से, जइसन साधारणतः बड़गर घर में छोटगर-छोटगर फ्लैट बन्नल रहऽ हइ। ऊ बखत ओकरा पर बिलकुल अन्हेरा हो चुकले हल। टटोलते-टटोलते उतरके चौठा मंजिला पर हम रुक गेलिअइ, आउ अचानक हमरा मानु कोय चीज से ठोकर लगलइ, लगलइ, कि हियाँ परी प्रवेशमार्ग में, कोय तो हलइ आउ हमरा से छिप्पल हलइ। हम हाथ से टटोले लगलिअइ; लड़की हिएँ हलइ, ठीक कोना में, आउ, देवलिया तरफ मुँह करके, मृदु अश्रव्य अवाज में सुबक रहले हल।

"सुन, तोरा कउची के डर हउ?" हम शुरू कइलिअइ। "हम खाली-पीली तोरा डरा देलिअउ; हम दोषी हिअउ। तोर नाना, जब मर रहलथुन हल, तोरा बारे बोल रहलथुन हल; ई उनकर अन्तिम शब्द हलउ ... हमरा हीं कुछ पुस्तक भी रह गेलो ह; पक्का, तोरे होतउ। तोर कि नाम हउ? तूँ काहाँ रहऽ हीं? ऊ बोलऽ हलथुन, कि छट्ठा लाइन (गल्ली) में ..."

लेकिन हमर बात अभी पूरा नञ् हो पइले हल। ऊ भय से चीख उठलइ, मानु ई बात से, कि हमरा मालुम हइ, कि ऊ काहाँ रहऽ हइ, ऊ हमरा अपन दुब्बर, हड्डीदार हाथ से ढकेल देलकइ आउ ज़ीना से निच्चे तरफ लपकके चल गेलइ। हम ओकर पीछू-पीछू गेलिअइ; ओकर निच्चे कदम के आहट सुनाय दे हलइ। अचानक ऊ बंद हो गेलइ ... जब हम निकसके रोड पर अइलिअइ, त ऊ देखाय नञ् देलकइ। वोज़निसेन्स्की प्रोस्पेक्त तक दौड़ल गेला के बाद हम देखलिअइ कि हमर सब खोज बेकार हलइ - ऊ गायब हो गेले हल। "हो न हो, कहीं तो ऊ हमरा से छिप गेलइ", हम सोचलिअइ, "जब हम ज़ीना से उतरिए रहलिए हल।"


भूमिका                       भाग 1, अध्याय 9                   भाग 1, अध्याय 11 

No comments: